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PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

याद रखने योग्य बातें (Points to Remember)

→ वायु, मृदा एवं जल हमारे प्राकृतिक संसाधन हैं।

→ इन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना चाहिए जिससे संसाधनों का सप्रदूषण हो सके तथा इससे पर्यावरण का संक्षारण भी हो सके।

→ कोयला तथा पेट्रोलियम भी हमारे प्राकृतिक संसाधन हैं, जिन्हें संप्रदूषित रखने की आवश्यकता है।

→ पर्यावरण को बचाने के लिए तीन ‘Rs’ का उपयोग किया जा रहा है।

→ ये तीनों R क्रमश: Reduce (कम करो), Recycle (पुनः चक्रण), Reuse (पुनः प्रयोग) हैं।

→ पुन: चक्रण का अर्थ है कि काँच, प्लास्टिक, धातु की वस्तुएं आदि का पुनः चक्रण करके उन्हें फिर से उपयोगी वस्तुओं में बदलना।

→ पुनः उपयोग, पुनः चक्रण से भी अधिक अच्छा तरीका है, क्योंकि इसमें हम किसी चीज़ का उपयोग बार-बार कर सकते हैं।

→ पुनः चक्रण में कुछ ऊर्जा व्यय होती है।

→ गंगा सफ़ाई योजना (Ganga Action Plan) करीब 1985 में इसलिए आई, क्योंकि गंगा के जल की | गुणवत्ता बहुत कम हो गई थी।

→ कोलिफार्म जीवाणु का एक वर्ग है जो मानव की आंत्र में पाया जाता है।

→ हमें सूर्य से ऊर्जा भी पृथ्वी पर उपस्थित जीवों के द्वारा प्रक्रमों से तथा अनेक भौतिक तथा रासायनिक प्रक्रमों द्वारा ही मिलती है।

→ प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय लंबी अवधि को ध्यान में रखना पड़ता है।

→ खुदाई से भी प्रदूषण होता है, क्योंकि धातु के निष्कर्षण के साथ-साथ बड़ी मात्रा में स्लेग भी मिलता है।

→ विभिन्न व्यक्ति फल, नट्स तथा औषधि एकत्र करने के साथ-साथ अपने पशुओं को वन में चराते हैं और उनका चारा भी वन से ही एकत्र करते हैं।

→ हमें वनों से टिंबर, कागज़, लाख तथा खेल के समान आदि भी मिलते हैं।

→ जल धरती पर रहने वाले सभी जीवों की मूल आवश्यकता है। जल जीवन सहारा देने वाले तंत्र का मुख्य अवयव है। यह हमारे शरीर की सभी रासायनिक प्रक्रियाओं में भाग लेता है। मुख्यतः यह हमारे शरीर के ताप का नियमन करता है तथा मलमूत्र के विसर्जन में सहायता करता है।

→ जल वातावरण में जलवायु के नियमन का कार्य करता है। जल धाराओं से मशीनें चलती हैं तथा बिजली बनती है। जल कृषि तथा उद्योगों के लिए भी आवश्यक है।

→ जल संभर प्रबंधन में मिट्टी एवं जल संक्षारण पर जोर दिया जाता है, जिससे कि ‘जैव-मात्रा’ उत्पादन में वृद्धि हो सके।

→ इसका मुख्य उद्देश्य भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास, द्वितीय संसाधन पौधों एवं जंतुओं का उत्पाद इस प्रकार करना है जिससे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा न हो जाए।

→ जीवाश्म ईंधन, जैसे कि कोयला एवं पेट्रोलियम अंततः समाप्त हो जाएँगे। क्योंकि उनकी मात्रा सीमित है और इनके दहन से पर्यावरण प्रदूषित होता है, अतः हमें इन संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है।

Science Guide for Class 10 PSEB प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं ?
उत्तर-

  1. धुआँ रहित वाहनों का प्रयोग करके।
  2. पॉलीथीन का उपयोग न करना।
  3. जल संरक्षण को बढ़ावा देकर।
  4. वनों की कटाई पर रोक लगाकर ।
  5. वृक्षारोपण।
  6. तेल से चालित वाहनों का कम-से-कम उपयोग करके।
  7. व्यर्थ बहते जल की बर्बादी रोक कर।
  8. ठोस कचरे का कम-से-कम उत्पादन कर।
  9. सोच-समझ कर विद्युत् उपकरणों का उपयोग करके।
  10. पुनः चक्रण हो सकने वाली वस्तुओं का उपयोग करके।
  11. 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मना कर।
  12. नालियों में रसायन तथा उपयोग किया हुआ तेल न डाल कर।
  13. जैव निम्नीकरणीय और जैव अनिम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग फैंक कर।
  14. सीसा रहित पैट्रोल का प्रयोग करके। उपरोक्त विभिन्न विधियों को अपनाकर हम पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर-
इसका केवल एक ही लाभ है, मनुष्य की आत्म-केंद्रित (स्वार्थ) संतुष्टि। पेड़-पौधों को काट कर हम अपने स्वार्थ की पूर्ति कर लेते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि इससे पर्यावरण असंतुलित हो जाता है। संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं को कुछ सोच-समझ कर ही बनाना चाहिए।

प्रश्न 3.
यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाए गए परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय लंबी अवधि को ध्यान में रखना होता है। जिससे कि वे अगली कई पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सकें। अल्प अवधि के लाभ के लिए पेड़ काटे जाते हैं लेकिन लंबी अवधि को ध्यान में रख कर पुनः वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। वनों की कटाई से कृषि, आवासीय और औद्योगिक कार्यों के लिए भूमि प्राप्त हो सकती है लेकिन इससे भूमि कटाव की समस्या और पर्यावरण की सुरक्षा नहीं रह सकती।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं ?
उत्तर-
आर्थिक विकास का पर्यावरण संरक्षण के साथ सीधा संबंध है। संसार में संसाधनों का असमान वितरण ग़रीबी का एक मुख्य कारण है। संसाधनों का समान वितरण एक शांतिपूर्ण संसार की स्थापना कर सकता है। सरकारी अभिकर्ता और कुछ स्वार्थी तत्त्व प्राकृतिक संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कार्य करते हैं। चोरी छिपे वनों की कटाई इसी का एक उदाहरण है।

प्रश्न 5.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
वन एवं वन्य जीवन को निम्नलिखित कारणों से सुरक्षित रखना चाहिए

  1. प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए।
  2. जीन पूल की सुरक्षा के लिए।
  3. फल, मेवे, सब्ज़ियाँ तथा औषधियाँ प्राप्त करने के लिए।
  4. इमारती तथा जलाने वाली लकड़ी प्राप्त करने के लिए।
  5. पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने के लिए।
  6. वृक्षों के वायवीय भागों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो वर्षा के स्रोत का कार्य करते हैं।
  7. मृदा अपरदन एवं बाढ़ पर नियंत्रण करने के लिए।
  8. वन्य जीवों को आश्रय प्रदान करने के लिए।
  9. धन प्राप्ति के अच्छे स्रोत के रूप में।
  10. स्थलीय खाद्य श्रृंखला की निरंतरता के लिए।
  11. प्राणियों की प्रजाति को बनाये रखने के लिए।
  12. वन्य प्राणियों से ऊन, अस्थियाँ, सींग, दाँत, तेल, वसा तथा त्वचा आदि प्राप्त करने के लिए।

वन्य जीवन का संरक्षण राष्ट्रीय पार्क तथा पशुओं और पक्षियों के लिए शरण स्थल बनाने से किया जा सकता है। यह पशुओं का शिकार करने की निषेध आज्ञा का कानून प्राप्त करके किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर-
संरक्षण के उपाय-पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन्य जीवन का संरक्षण आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-

  1. सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिएं जिससे शिकारियों को प्रतिबंधित वन्य पशु का शिकार करने पर दंड मिले।
  2. राष्ट्रीय पार्क और पशु-पक्षी विहार स्थापित किए जाने चाहिएं जहां पर वन्य पशु सुरक्षित रह सकें।
  3. वनों को काटने पर रोक लगानी चाहिए।
  4. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण करना चाहिए और रोपित पेड़-पौधों की सुरक्षा करनी चाहिए।
  5. वनों की आग से रक्षा करनी चाहिए। प्रति वर्ष विश्व में अनेक वन जल कर नष्ट हो जाते हैं।
  6. वनों को अधिक चराई से बचाना चाहिए।

प्रश्न 7.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर-
हमारे निवास क्षेत्र के आस-पास वर्षा के जल को जोहड़ों और तालाबों में इकट्ठा करने का प्रचलन था। भूमिगत टैंकों में भी जल संग्रहण का प्रचलन था।

प्रश्न 8.
इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • लद्दाख के क्षेत्रों में जिंग द्वारा जल संरक्षण किया जाता है, जिसमें बर्फ के ग्लेशियर को रखा जाता है जो दिन के समय पिघल कर जल की कमी को पूरा करता है।
  • बाँस की नालियाँ-जल संरक्षण की यह प्रणाली मेघालय में सदियों पुरानी पद्धति है। इसमें जल को बाँस की नालियों द्वारा संरक्षित करके उन्हें पहाड़ों के निचले भागों में उन्हीं बाँस की नालियों द्वारा लाया जाता है।

मैदानी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • तमिलनाडु क्षेत्र में वर्षा जल को बड़े-बड़े टैंकों में संरक्षित किया जाता है तथा ज़रूरत के समय उपयोग करते हैं।
  • बावरियाँ-ये मुख्यतः राजस्थान में पाए जाते हैं। ये छोटे-छोटे तालाब हैं जो प्राचीन काल में बंजारों द्वारा पीने के पानी की पूर्ति के लिए बनाए गए थे।

पठारी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था

  • भंडार-ये मुख्यत: महाराष्ट्र में पाए जाते हैं, जिसमें नदियों के किनारों पर ऊँची दीवारें बनाकर बड़ी मात्रा में जल को संरक्षित किया जाता है।
  • जोहड़-ये पठारी क्षेत्रों की जमीन पर पाए जाने वाले प्राकृतिक छोटे खड्डे होते हैं। जो वर्षा जल को संरक्षित करने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 9.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है ?
उत्तर-
हमारे क्षेत्र में मुख्य जल स्रोत भूमिगत जल तथा नगर निगम द्वारा जल आपूर्ति हैं। कभी-कभी विशेषकर गर्मी के दिनों में इन स्रोतों से प्राप्त होने वाले जल में कुछ कमी आ जाती है तथा इसकी पूर्ण या समान उपलब्धता भी संभव नहीं होती।

PSEB 10th Class Science Guide प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं ?
उत्तर-
निम्नलिखित परिवर्तन लाकर हम अपने घर में पर्यावरण-मित्र वातावरण बना सकते हैं –

  1. हम बिजली के पंखे तथा बल्ब के स्विच बंद करके विद्युत् का अपव्यय रोक सकते हैं।
  2. टपकने वाले जल के पाइप या नल की मुरम्मत करवा कर हम जल की बचत कर सकते हैं।
  3. हमें तीन Rs द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलने की कोशिश करनी चाहिए।
  4. हमें पुन: चक्रण योग्य वस्तुओं को कूड़े के साथ नहीं फेंकना चाहिए।
  5. हमें चीज़ों (जैसे लिफ़ाफ़े) को फेंकने की अपेक्षा फिर से प्रयोग में लाना चाहिए।
  6. हमें आहार को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  7. हमें अपने आवास के आस-पास कचरे और गंदे जल को इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए।
  8. जल के व्यर्थ रिसाव को रोकना चाहिए।
  9. जल को मितव्ययिता से प्रयोग करना चाहिए।
  10. आवासीय कूड़े-कचरे को कूड़ादान में इकट्ठा कर उसका निपटान करना चाहिए।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके ?
उत्तर-
निम्नलिखित परिवर्तनों द्वारा हम अपने विद्यालय में पर्यानुकूलित वातावरण बना सकते हैं-

  1. हमें विद्यालय में ज़्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिएं।
  2. बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए कि फूल तथा पत्तियों को न तोड़ें।
  3. हमें जल का अपव्यय रोकना चाहिए।
  4. कमरों में ज़्यादा-से-ज्यादा खिड़कियाँ बनानी चाहिएं ताकि सूर्य की रोशनी अंदर आए और कम-से-कम बिजली खर्च हो।
  5. हमें कूड़ा-कचरा इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए, बल्कि चीज़ों का पुन: उपयोग करना चाहिए।
  6. शौचालय और मूत्रालयों की नियमित सफाई-धुलाई की जानी चाहिए।
  7. विद्युत् अपव्यय को नियंत्रित करना चाहिए।
  8. विद्यालय के आस-पास कचरे के ढेर और रुका हुआ गंदा जल नहीं होना चाहिए।
  9. विद्यालय का भवन साफ-सुथरा रखना चाहिए।
  10. जैव निम्नीकृत और जैव अनिम्नीकृत कूड़े-कचरे के एकत्रीकरण के लिए कूड़ादान अलग-अलग होने चाहिए। इससे कूड़े का निपटान सरलता से हो सकेगा।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं ? आप ऐसा क्यों सोचते हैं ?
उत्तर-
वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते समय सामने आने वाले चार मुख्य दावेदार हैं-

  1. वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोग अपनी तरह-तरह की आवश्यकताओं के लिए वन पर निर्भर रहते हैं।
  2. सरकार का वन विभाग वनों से प्राप्त साधनों का नियंत्रण करता है।
  3. उद्योगपति तेंदुआ पत्ती का प्रयोग कर बीड़ी उत्पादकों से लेकर कागज़ मिल तक वन उत्पादों का उपयोग करते हैं।
  4. वन्य जीवन और प्रकृति प्रेमी प्रकृति का संरक्षण इसकी आद्य अवस्था में चाहते हैं।

वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार वन के अंदर तथा निकट रहने वाले उन लोगों को देने चाहिए जो सदियों से वनों पर निर्भर रहते हैं। परंतु कुछ अधिकार सरकार के पास भी होने चाहिएं ताकि लोग वनों का उपयोग ठीक से करें तथा इनका अपव्यय न करें। वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमियों को भी कुछ अधिकार देने चाहिएं क्योंकि वे प्रकृति का संरक्षण इसका आद्य अवस्था में करना चाहते हैं।

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं।
(a) वन एवं वन्य जंतु
(b) जल संसाधन
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम ?
उत्तर-
(a) वन एवं वन्य जंतु-दूसरे लोगों में वनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता जगा सकते हैं, अपने क्षेत्र के उन क्रियाकलापों में भाग ले सकते हैं जो वन तथा वन्य जंतुओं के संरक्षण को महत्त्व देते हैं। संरक्षण के नियमों को अपनाकर तथा इन मसले पर काम कर रही कमेटियों की सहायता करके भी हम वन एवं वन्य जंतुओं के प्रबंधन में योगदान दे सकते हैं।

(b) जल संसाधन-अपने घर तथा कार्य स्थान पर जल का अपव्यय रोक कर तथा वर्षा के जल को अपने घरों में संग्रहण करके।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम-विद्युत् के अपव्यय को रोक कर तथा कम-से-कम बिजली उपयोग करके हम इनके प्रबंधन में योगदान दे सकते हैं। निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक वाहन का उपयोग कर पेट्रोल-डीजल की बचत कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-

  • विद्युत् को कम-से-कम इस्तेमाल कर सकते हैं तथा इसके अपव्यय को रोक सकते हैं।
  • तीन (R’s) के नियमों का पालन करके हम प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम कर सकते हैं।
  • हमें आहार को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  • जल को व्यर्थ होने से रोकना चाहिए।
  • खाना पकाने के लिए भी लकड़ी की जगह गैस का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 6.
निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर-
(a)

  1. विद्युत् उपकरणों का व्यर्थ उपयोग नहीं किया।
  2. रोशनी के लिए CFL का प्रयोग करके।
  3. स्कूल आने-जाने के लिए अपने वाहन की जगह सरकारी वाहनों का प्रयोग करके।
  4. नहाने में कम-से-कम पानी का उपयोग किया।
  5. पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित जागरूकता अभियान में भाग लिया।

(b)

  1. कंप्यूटर पर प्रिंटिंग के लिए अधिक कागज़ों का प्रयोग किया।
  2. पंखा चलते छोड़कर कमरे से बाहर गया।
  3. दीवाली पर पटाखे जलाकर।
  4. मोटर साइकिल का अत्यधिक प्रयोग करके।
  5. आहार को व्यर्थ किया।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके ?
उत्तर

  1. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम एक समाज में रहते हैं, अकेले नहीं।
  2. हमें अपने संसाधनों का कम-से-कम उपयोग करना चाहिए तथा किसी भी तरह उन्हें व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
  3. हमें तीन (R’s) के नियमों का पालन करना चाहिए। (Reduce, Recycle, Reuse)
  4. हमें निजी वाहनों की अपेक्षा सरकारी वाहनों का उपयोग करना चाहिए।
  5. हमें अपने पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। इन सब बातों को अपने जीवन में महत्त्व देकर हम अपने संसाधनों के संपोषण को बढ़ावा दे सकते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वन्य संपदा की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से उपाय हैं ?
उत्तर-
वन्य संपदा की सुरक्षा के उपाय-

  • वृक्षों को काटना बंद होना चाहिए।
  • केवल वे ही वृक्ष काटे जाएं तो सूख जाएं या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी लग जाए और उनके स्थान पर नये वृक्ष लगाये जाने चाहिए।
  • वृक्षों की प्रति वर्ष गिनती की जानी चाहिए और वृक्षारोपण के लक्ष्य को पूर्ण करना चाहिए।
  • वन-महोत्सव मनाया जाना चाहिए। यह हमारे देश की वृक्षारोपण की परंपरा है जिसके अनुसार वनमहोत्सव सप्ताह में हज़ारों नये वृक्ष लगाये जाते हैं।
  • नये लगाए गए वृक्षों की देखभाल करनी चाहिए।
  • वनारोपण की नयी योजना लागू होनी चाहिए।
  • वन संपदा को जंगल की आग से बचाने के लिए उचित प्रबंध होना चाहिए।
  • वृक्षों को बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषण के घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव तथा पर्यावरण का आपस में गहरा तथा अटूट संबंध है। मानव ही पर्यावरण को स्वच्छ या प्रदूषित करता है तथा उसका प्रभाव मानव को ही उसी रूप में प्रभावित करता है। मानव समाज के लिए स्वच्छ तथा स्वास्थ्यवर्धक पर्यावरण अति आवश्यक है। परंतु पर्यावरण को स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बनाना मनुष्यों पर ही निर्भर करता है।

मानव की क्रियाओं का अनियोजन होना पर्यावरण को उतनी ही अधिक हानि पहुंचाता है। महानगरों में ट्रकों तथा बसों से निकलता काला धुंआ, नदियों में नालों का गंदा पानी तथा सड़कों पर बिखरा कूड़ा-कर्कट आदि महानगरों के पर्यावरण को दूषित करते हैं। ये सभी क्रियाकलाप मिलजुल कर हमारे पर्यावरण के सभी घटकों जैसे-जल, वायु तथा मृदा के साथ-साथ हमें जीवित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

जनसंख्या में लगातार वृद्धि पर्यावरण को प्रदूषित करने में मानव की प्रमुख भूमिका है। जनसंख्या के बढ़ने से आवास, वस्त्र तथा खाद्य पदार्थों की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संपदाओं की हानि होती है। जैसे जंगलों को अत्यधिक काटा जाना; भूमिगत जल का अनियंत्रित उपयोग, जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग, औद्योगिकीकरण आदि। वे सभी किसी-न-किसी रूप में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।

जब प्राकृतिक साधन पर्यावरण को पुनः स्वच्छता प्रदान नहीं कर सकते तो प्रदूषण होता है। औद्योगिक दुर्घटनाओं तथा बिना नियोजित लगाए गए कारखानों आदि से भी पर्यावरण प्रदूषित होता है। अत्यधिक रसायनों का उपयोग भी इसी का एक घटक है। प्राकृतिक संपदाओं का अतिशोषण भी पर्यावरण के प्रदूषण को बढ़ावा देता है। औद्योगिक क्रांति से वायु तथा जल प्रदूषण होता है। अम्लीय वर्षा, अंतः दहन इंजनों द्वारा प्रचलित वाहनों द्वारा अधिक मात्रा में सल्फर युक्त यौगिकों को वायु में मुक्त करने का परिणाम है। ऐरोसाल के उपयोग से ओजोन सतह की हानि हो रही है।

मानव के विभिन्न क्रियाकलापों के परिणाम से उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करने में सबसे आगे हैं। ये अपशिष्ट पदार्थ अत्यंत घातक होते हैं तथा इनका प्रभाव दूर-दूर तक फैल जाता है। इनका निपटान आजकल विश्व की समस्या है। इनका पुन: चक्रण ही पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकता है। पर्यावरण को प्रदूषित करने में मुख्य भूमिका मनुष्य की है, इसके साथ-साथ इस प्रदूषित पर्यावरण का शिकार भी प्रमुख रूप से मानव ही है।

प्रश्न 3.
कोयला एवं पेट्रोलियम का प्रयोग सावधानीपूर्वक क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
कोयला और पेट्रोलियम पेड़-पौधों तथा जीव जंतुओं से बनते हैं जिनमें कार्बन के अतिरिक्त हाइड्रोजन, नाइट्रोजन एवं सल्फर भी होते हैं। जब इन्हें जलाया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड, जल, नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा सल्फर के ऑक्साइड उत्पन्न होती हैं। अपर्याप्त वायु में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्थान पर मोनो ऑक्साइड उत्पन्न होती है। इन उत्पादों में से नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड तथा कार्बन मोनोआक्साइड विषैली गैसें हैं। कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस है।

कोयला और पेट्रोलियम कार्बन के विशाल भंडार हैं। यदि इनकी संपूर्ण मात्रा का कार्बन न जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो गया तो पृथ्वी पर ऑक्सीजन की उपलब्धता तो अत्यंत हो जाएगी पर साथ ही साथ कार्बन डाइऑक्साइड से अधिकता वैश्विक ऊष्मण होने का कारण बन जाएगी। इसलिए इन संसाधनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

प्रश्न 4.
गंगा का प्रदूषण किस प्रकार हो रहा है ? इसकी सफाई योजना पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
गंगा हिमालय पर्वत में स्थित गंगोत्री से लेकर बंगाल की खाड़ी तक लगभग 2500 किलोमीटर तक यात्रा करती है। वह विभिन्न राज्यों के सौ से अधिक नगरों और कस्बों से गुजरती है जिस कारण उसमें तरह-तरह की गंदगियों का मिलना स्वाभाविक है।

गंगा का प्रदूषण मुख्य रूप से अग्रलिखित प्रकार का है-

  • औद्योगिक कचरा।
  • अनौपचारित मल और अपशिष्ट।
  • मृत शरीरों को तटों पर जलाना, जल में बहाना और मृत शरीरों की राख और हड्डियों को गंगा के जल में डालना।
  • अंधविश्वास के कारण गंगा में नहाना। गंगा की सफाई योजना गंगा के जल में धार्मिक कारणों से अस्थि प्रवाह किया जाता है।

इसलिए इसके जल में, मानव आंत में पाया जाने वाला कोलिफार्म जीवाणु उपस्थित है और उसकी MPN (Most Probable Number) जल के अधोप्रवाह में बढ़ता जाता है। सन् 1985 में, गंगा के प्रदूषण को दूर करने के लिए गंगा सफाई योजना शुरू की गयी थी। जिसका बजट प्रथम चरण में 462 करोड़ रुपये और द्वितीय चरण में 416 करोड़ रुपये था। इस अभियान के अनुसार 873 मिलियन लीटर जल प्रतिदिन उपचारित करना था। वर्तमान में गंगा की सफाई योजना में तेजी लाए जाने की परम आवश्यकता है तभी इसमें निरंतर बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधन को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources)-प्रकृति में पाए जाने वाले मनुष्य के लिए उपयोगी पदार्थों को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। उदाहरण-वायु, जल, मिट्टी, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम आदि प्राकृतिक संसाधन हैं।

प्रश्न 2.
3R के सिद्धांत से आप क्या समझते हो ? वर्णन करो।
उत्तर-
पहले ‘R’ का अर्थ है Reduce अर्थात् कम करना। इसका यह अर्थ है कि हमें कम-से-कम वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए हम बिजली के पंखे तथा बल्ब के स्विच बंद करके विद्युत् के अपव्यय को रोक सकते हैं। इसी प्रकार कम-से-कम जल का उपयोग करके तथा लीक होने वाले नल तथा पाइप की मरम्मत करवा के भी हम जल के अपव्यय को रोक सकते हैं।

दूसरे ‘R’ का अर्थ है Recycle अर्थात् पुनः चक्रण। इसका अर्थ है कि हमें प्लास्टिक, कागज़, काँच, धातु की वस्तुएँ आदि पदार्थों का पुनः चक्रण करके इनसे उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिएं। हमें ऐसी चीज़ों को कचरे के डिब्बे में नहीं डालना चाहिए बल्कि इन्हें अपने कचरे से अलग करना होगा ताकि यह दुबारा उपयोगी बनाई जा सकें।

तीसरा ‘R’ है Reuse अर्थात् पुन: उपयोग। यह पुन:चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनःचक्रण से भी कुछ न कुछ ऊर्जा व्यर्थ जाती है। पुन: उपयोग के तरीके में हम एक ही वस्तु का बार-बार उपयोग कर सकते हैं। उदाहरणविभिन्न खाद्य पदाथों के साथ आए डिब्बे तथा केन हम अन्य सामान रखने में प्रयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
गंगा के जल प्रदूषण को किस प्रकार रोका जा सकता है ?
उत्तर-
गंगा के जल प्रदूषण को निम्नलिखित विधियों से रोका जा सकता है

  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले हानिकारक कचरे को गंगा में गिरने से रोक कर।
  • नदी में मृत पशुओं को बहाने से रोक कर।
  • घरों-व्यापारिक संस्थानों से निकले कूड़े को नदी में न बहा कर।
  • नदी में कपड़े न धो कर।
  • जल स्रोतों के निकट मल-मूत्र को न त्याग कर।
  • नदी में राख और शवों को न बहा कर।

प्रश्न 4.
पुनः चक्रण क्या है ? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
पुनः चक्रण-पुरानी अखबारों, कॉपी-किताबों, धातु से बनी पुरानी-बेकार वस्तुओं, प्लास्टिक आदि को कुछ प्रक्रियाओं के द्वारा नए रूप में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसे पुनः चक्रण कहते हैं। पुनः चक्रण के लिए हम अग्रलिखित कार्य कर सकते हैं-

  • ऐसी वस्तुएं खरीदें जिनका पुनः चक्रण संभव हो।
  • ऐसी वस्तुएं प्रयोग करें जो पुनः चक्रण से निर्मित हों।
  • पुन: चक्रण के लिए उपयुक्त वस्तुओं को खराब होने से पहले बेच दें।

प्रश्न 5.
‘चिपको आंदोलन’ ने सरकार तथा लोगों को क्या सिखाया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
चिपको आंदोलन-‘चिपको आंदोलन’ बहुत तेजी से विभिन्न समुदायों में फैल गया है। जन संचार माध्यमों ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसने सरकार को यह सोचने पर विवश कर दिया कि वन संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए प्राथमिकता तय करने के लिए पुनर्विचार की आवश्यकता है। लोगों को अनुभव ने सिखा दिया है कि वनों के विनाश से केवल वन की उपलब्धता ही प्रभावित नहीं होती बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता और जल स्रोत भी प्रभावित होते हैं। स्थानीय लोगों की भागीदारी निश्चित रूप से वनों के प्रबंधन में होनी चाहिए।

प्रश्न 6.
भौम जल के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
भौम जल के लाभ-

  • यह जल वाष्पित होकर वायुमंडल में मिलता नहीं है।
  • इसमें जीव जंतु तथा पादपों का जनन नहीं हो पाता।
  • यह भौम स्तर में सुधार लाता है।
  • यह पौधों को नमी प्रदान करता है।
  • यह जीव-जंतुओं के कारण प्रदूषित और संदूषित नहीं हो पाता।

प्रश्न 7.
जीवाश्म ईंधन क्या हैं तथा किस प्रकार बनते हैं ? इसके दो उदाहरण बताओ।
उत्तर-
जीवाश्म ईंधन-जंतु तथा वनस्पति के अवशेष पृथ्वी की सतह में दबते रहे हैं जो धीरे-धीरे तलछट के नीचे दब कर एकत्रित होते जाते हैं। इस प्रकार उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होती। तलछट के आवरण के नीचे न तो इनका ऑक्सीकरण होता है और न ही विघटन, परंतु इसी तलछट के भार के कारण इन अवशेषों से पानी तथा अन्य वाष्पीजन्य पदार्थ निचुड़ कर बाहर निकल जाते हैं। इन्हीं पदार्थों को जीवाश्म ईंधन कहते हैं। जीवाश्म ईंधन ऊर्जा युक्त कार्बन यौगिकों के वे अणु हैं जिनका निर्माण मूलत: सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए वनस्पतियों ने किया था। जीवाश्म ईंधन के उदाहरण कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस हैं।

प्रश्न 8.
“जल जीवन के लिए आवश्यक है।” इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
जल निम्नलिखित कारणों से जीवन के लिए आवश्यक है

  1. जल हमारे शरीर की सभी रासायनिक प्रक्रियाओं में भाग लेता है।
  2. जल शरीर में तापमान को स्थिर रखता है।
  3. जल पोषक पदार्थों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है।
  4. जल भल-मूत्र के विसर्जन में सहायता करता है।
  5. जल पदार्थों के परिवहन में सहायता करता है।
  6. कृषि, कारखानों तथा विद्युत् के लिए भी जल आवश्यक है।

प्रश्न 9.
जल संरक्षण के कुछ प्रमुख उपाय लिखिए।
उत्तर-
जल के संरक्षण हेतु उपाय

  1. जल को सिंचाई के लिए उपयोग करना।
  2. बाढ़ नियंत्रण तथा हाइड्रोलोजिकल सर्वे और बाँध निर्माण करना।
  3. भूमिगत जल की रिचार्जिंग तथा व्यय को रोकना।
  4. अधिक जल तथा कम जल वाले स्थानों को स्थानांतरण करना।
  5. मृदा अपरदन को रोकने के लिए बाह्य मृदा को बनाए रखना।

प्रश्न 10.
कुछ वायु प्रदूषकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
वायु के मुख्य प्रदूषक निम्नलिखित हैं-

  1. कार्बन मोनोक्साइड
  2. कार्बन डाइऑक्साइड
  3. सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  4. फ्लोराइडज के यौगिक
  5. धातुएं तथा हाइड्रोकार्बन।

प्रश्न 11.
प्रदूषण नियंत्रण के पाँच उपाय बताओ।
उत्तर-
प्रदूषण को रोकने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएँ –

  1. गोबर गैस का निर्माण करना चाहिए।
  2. अजैव विघटनशील पदार्थों को गड्ढों में डालना चाहिए।
  3. अपशिष्ट पदार्थों का चक्रीकरण करना चाहिए।
  4. वाहित मल तथा उत्सर्जी पदार्थ आदि का सही ढंग से विसर्जन करना चाहिए।
  5. आटोमोबाइल्स में सी० एन० जी० का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 12.
वनों के कटने से क्या हानि होती है ?
उत्तर-
यदि वृक्षों के कटने की दर उनकी वृद्धि से अधिक हो तो वृक्षों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाएगी। वृक्ष वाष्पण की क्रिया से बड़ी मात्रा में जल मुक्त करते हैं। इससे वर्षा वाले बादल आसानी से बनते हैं। जब वन कम हो जाते हैं तब उस क्षेत्र में वर्षा कम होती है। इससे वृक्ष कम संख्या में उग पाते हैं। इस प्रकार एक दुष्चक्र आरंभ हो जाता है और वह क्षेत्र रेगिस्तान भी बन सकता है। वृक्षों के बहुत अधिक मात्रा में कटने से जैव पदार्थों से समृद्ध मिट्टी की सबसे ऊपरी परत वर्षा के पानी के साथ बहकर लुप्त होने लगती है।

प्रश्न 13.
कोयला और पेट्रोलियम को किस प्रकार लंबे समय तक बचाया जा सकता है ?
उत्तर-
कोयला पेट्रोलियम का उपयोग मशीनों की दक्षता पर भी निर्भर करता है। यातायात के साधनों में आंतरिक दहन-इंजन का प्रयोग होता है। लंबे समय से इसके उपयोग के लिए शोध किया जा रहा है कि इनमें ईंधन का पूर्ण दहन किस प्रकार सुनिश्चित किया जा सकता है। यह भी प्रयत्न किया जा रहा है कि इनकी दक्षता भी बढ़े तथा वायु प्रदूषण को भी कम किया जा सके और इन्हें लंबे समय तक बचाया जा सके।

प्रश्न 14.
राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभयारण्य में अंतर लिखिए।
उत्तर-

राष्ट्रीय उद्यान जीव अभयारण्य
(1) चीता, गैंडा, शेर आदि विशेष वन्य जीवों को आवास प्रदान किया जाता है। (1) जीव-जंतुओं की सामान्य प्रजातियों को प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षा दी जाती है।
(2) क्षेत्र 100 वर्ग किलोमीटर से 500 वर्ग किलोमोटर तक होता है। (2) क्षेत्र 500 वर्ग किलोमीटर से 1000 वर्ग किलोमीटर तक होता है।
(3) चारों ओर पक्की दीवारें बनाई जाती हैं। (3) चारों ओर ऊँची जालीदार अस्थायी दीवारें बनाई जाती हैं।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रदूषण क्या है?
उत्तर-
प्रदूषण-प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले अथवा शुद्ध रूप में पाए जाने वाले पदार्थों में धूल कण तथा अन्य नुकसानदेह पदार्थों का मिश्रण प्रदूषण कहलाता है।

प्रश्न 2.
किन्हीं पाँच प्राकृतिक संसाधनों के नाम बताएँ।
उत्तर-

  1. वन
  2. वन्य जीवन
  3. जल
  4. कोयला
  5. पेट्रोलियम।

प्रश्न 3.
पर्यावरण को बचाने के लिए तीन R. के नाम बताएँ।
उत्तर-

  1. Reduce (कम करो)
  2. Recycle (पुनः चक्रण)
  3. Reuse (पुनः प्रयोग)।

प्रश्न 4.
किन वस्तुओं को पुनः चक्रण द्वारा दुबारा इस्तेमाल कर सकते हैं?
उत्तर-
प्लास्टिक, काँच, कागज़ एवं धातु की वस्तुएँ।

प्रश्न 5.
CFC का पूरा नाम बताएँ।
उत्तर-
क्लोरो फलोरो कार्बन।

प्रश्न 6.
ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण दें।
उत्तर-
कोयला एवं पेट्रोलियम।

प्रश्न 7.
ऊर्जा के दो परंपरागत स्त्रोतों के नाम बताएँ।
उत्तर-
खनिज ईंधन और बहता हुआ पानी।

प्रश्न 8.
संसाधन यदि वर्तमान दर से प्रयोग में आते रहे तो यह कितने समय तक उपलब्ध रहेंगे ?
उत्तर-
पेट्रोलियम के संसाधन लगभग अगले 40 वर्षों तथा कोयले के संसाधन अगले 200 वर्षों तक उपलब्ध रह सकते हैं।

प्रश्न 9.
अपशिष्ट पदार्थों को किन दो वर्गों में रखा जा सकता है ? इनमें से कौन-सा अधिक घातक होता है ?
उत्तर-

  1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ।
  2. जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ। इन दोनों में से जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ अधिक घातक हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इंदिरा गाँधी नहर से किस राज्य के बड़े क्षेत्र को हरा-भरा बनाने में सहायता मिली ?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) उत्तराखंड
(c) छत्तीसगढ़
(d) राजस्थान।
उत्तर-
(d) राजस्थान।

प्रश्न 2.
अमृता देवी बिश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जाता है
(a) जीव संरक्षण हेतु
(b) वनोन्मूलन हेतु
(c) वनों के विनाश को रोकने हेतु
(d) जल संरक्षण हेतु।
उत्तर-
(a) जीव संरक्षण हेतु।

प्रश्न 3.
जल संग्रह की “कुल्ह” तकनीक प्रचलन में है
(a) राजस्थान में
(b) हिमाचल प्रदेश में
(c) उत्तराखंड में
(d) मध्यप्रदेश में।
उत्तर-
(b) हिमाचल प्रदेश में।

प्रश्न 4.
1970 के प्रथम दशक में चिपको आंदोलन कहां आरंभ हुआ ?
(a) कुमायुं में
(b) गढ़वाल में
(c) हिमाचल प्रदेश में
(d) असम में।
उत्तर-
(b) गढ़वाल में।

प्रश्न 5.
गंगा सफाई योजना कब आरंभ हुई ?
(a) 1945 में
(b) 1965 में
(c) 1985 में
(d) 2005 में।
उत्तर-
(c) 1985 में।

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