PBN 9th Agriculture

PSEB Solutions for Class 9 Agriculture Chapter 5 बीज, खाद और कीड़ेमार दवाइयों का क्वालिटी कन्ट्रोल

PSEB Solutions for Class 9 Agriculture Chapter 5 बीज, खाद और कीड़ेमार दवाइयों का क्वालिटी कन्ट्रोल

PSEB 9th Class Agriculture Solutions Chapter 5 बीज, खाद और कीड़ेमार दवाइयों का क्वालिटी कन्ट्रोल

पाठ एक नज़र में

  1. फ़सलों की लाभदायक उत्पादन के लिए बीज, खाद तथा कीटनाशक दवाइयां मुख्य तीन वस्तुएं हैं।
  2. भारत सरकार ने अनिवार्य वस्तुओं के कानून के अन्तर्गत कृषि में काम आने वाली इन तीनों वस्तुओं के लिए विभिन्न कानून बनाए हैं।
  3. ये कानून हैं बीज कन्ट्रोल आर्डर, खाद कन्ट्रोल आर्डर, कीटनाशक एक्ट ।
  4. सीड कन्ट्रोल आर्डर के अनुसार पंजाब में लाइसेंस अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। पंजाब में यह अधिकार कृषि विभाग, पंजाब को दिए गए हैं ।
  5. यदि बीज डीलर द्वारा किसान को घटिया बीज देने से फ़सल खराब हो गई हो तो किसान अपनी शिकायत बीज इन्सपैक्टर से कर सकता है ।
  6. बीज इंस्पैक्टर को यदि बीज की खराबी के कारण फसल के फेल होने का पता चलता है तो वह बीज डीलर के विरुद्ध कानूनी कारवाई शुरू करता है ।
  7. बीज कानून की धारा 7 के अन्तर्गत केवल निर्धारित बीजों की ही बिक्री की जा सकती है।
  8. खाद परीक्षण प्रयोगशाला लुधियाना तथा फरीदकोट में है।
  9. खाद कन्ट्रोल आर्डर 1985, बनाया गया है जो कि खादों की क्वालटी तथा वजन को ठीक रखने तथा मिलावट, घटिया तथा अप्रमाणित खादें बेचने को रोकने के लिए सहायक है।
  10. इन्सैक्टीसाइड अधिनियम (कीटनाशक एक्ट) 1968 में बनाया गया ।
  11. सेन्ट्रल इन्सैक्टीसाइड बोर्ड (केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड) सरकार को यह अधिनियम लागू करने की सलाह देता है ।
  12. सेन्ट्रल (केन्द्रीय) रजिस्ट्रेशन कमेटी कृषि रसायनों की रजिस्ट्रेशन करके इन्हें बनाने तथा आयात निर्यात के लिए आज्ञा देती है।
  13. दवाइयां चैक करने के लिए प्रयोगशालाएं लुधियाना, बठिंडा तथा अमृतसर में हैं।

Agriculture Guide for Class 9 PSEB बीज, खाद और कीड़ेमार दवाइयों का क्वालिटी कन्ट्रोल Textbook Questions and Answers

(क) एक – दो शब्दों में उत्तर दो

प्रश्न 1. बीजों के क्वालिटी कन्ट्रोल के लिए लागू कानून का नाम बताओ ।
उत्तर – सीड कन्ट्रोल आर्डर 1983 |
प्रश्न 2. खादों के क्वालिटी कन्ट्रोल के लिए लागू कानून का नाम बताओ ।
उत्तर – खाद कन्ट्रोल आर्डर, 1985।
प्रश्न 3. खादों की परख के लिये प्रयोगशालाएं कहां-कहां हैं ?
उत्तर – लुधियाना तथा फरीदकोट ।
प्रश्न 4. कीटनाशक दवाइयों के क्वालिटी कन्ट्रोल के लिये लागू कानून का नाम बताओ।
उत्तर – इन्सैक्टीसाइड अधिनियम-19681
प्रश्न 5. भारत सरकार को कीटनाशक एक्ट लागू करने के लिए सुझाव कौन देता है ?
उत्तर – केन्द्रीय कीटनाशक (सेन्ट्रल इन्सैक्टीसाइड) बोर्ड ।
प्रश्न 6. कीटनाशक दवाइयों की जांच के लिए प्रयोगशालाएं कहां हैं ?
उत्तर – लुधियाना, बठिंडा, अमृतसर ।
प्रश्न 7. विदेशों से कीटनाशक दवाइयों के निर्यात की आज्ञा कौन देता है ?
उत्तर – सेन्ट्रल (केन्द्रीय) रजिस्ट्रेशन कमेटी ।
प्रश्न 8. कीटनाशक एक्ट के अन्तर्गत कीटनाशक इन्स्पेक्टर किसे घोषित किया गया है ?
उत्तर – खेतीबाड़ी विकास अधिकारियों को इस अधिनियम के अन्तर्गत इन्सैक्टीसाइड इन्स्पैक्टर घोषित किया गया है ।
प्रश्न 9. घटिया खाद बेचने वाले के विरुद्ध किसको शिकायत की जाती है ?
उत्तर – जिले के मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी को शिकायत की जा सकती है।
प्रश्न 10. टी० एल० किस वस्तु का लेबल है ?
उत्तर – प्रमाणित बीज का, विश्वासयोग्य क्वालटी ।

(ख) एक – दो वाक्यों में उत्तर दो

प्रश्न 1. खादों का क्वालिटी कन्ट्रोल क्यों जरूरी है ?
उत्तर- कृषि में खाद का बहुत महत्त्व है। यह पौधों को बढ़ने-फूलने के लिये आवश्यक तत्त्व देने में सहायक होती है। यदि खादों की क्वालिटी घटिया होगी तो फ़सलों को इसकी बहुत हानि पहुंचेगी। पूरी मेहनत पर पानी फिर जायेगा । इसलिये खादों का क्वालिटी कन्ट्रोल बहुत ज़रूरी है।
प्रश्न 2. बीजों का क्वालिटी कन्ट्रोल क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर – यदि बीज उच्च क्वालिटी के नहीं होंगे तो फसल घटिया किस्म की पैदा होगी, उपज कम हो जायेगी तथा पूरी मेहनत बेकार हो जायेगी । इसलिये बीज बढ़िया होना चाहिए।
प्रश्न 3. जरूरी वस्तुओं से संबंधित कानून के अन्तर्गत कृषि से सम्बन्धित कौनसी वस्तुएं शामिल की गई हैं ?
उत्तर–भारत सरकार ने आवश्यक वस्तुओं के कानून के अन्तर्गत कृषि में काम आने वाली तीन वस्तुएं बीज, खाद तथा कीटनाशक दवाइयों को शामिल किया है ।
प्रश्न 4. बीज, खाद और कीटनाशक दवाइयों के क्वालिटी कन्ट्रोल के लिये कौन-कौन से कानून लागू किये गये हैं ?
उत्तर – बीजों के लिये सीड कन्ट्रोल आर्डर 1983, खादों के लिये फर्टीलाइज़र कन्ट्रोल आर्डर 1985, कीटनाशक दवाइयां तथा इन्सैक्टीसाइड अधिनियम 1968 कानून लागू किये गये हैं।
प्रश्न 5. बीजों के क्वालिटी कन्ट्रोल के लिये बीज इन्स्पेक्टर के क्या अधिकार हैं ?
उत्तर – बीज इन्स्पेक्टर किसी भी डीलर से बीज के स्टॉक के बारे में, बिक्री के बारे में, खरीद के बारे में तथा स्टोर में पड़े बीज के बारे में कोई भी सूचना मांग सकता है। बीज वाले स्टोर या दुकान की तलाशी ले सकता है तथा उपलब्ध बीजों के नमूने भर कर उनकी जांच बीज जांच प्रयोगशाला से करवा सकता है, कोई नुक्स होने पर बिक्री पर पाबन्दी लगा सकता है। इन्सपेक्टर बीजों से सम्बन्धित दस्तावेज़ कब्जे में ले सकता है तथा चैक कर सकता है। इसके अतिरिक्त दोषी का लाइसेंस रद्द करने के लिये लाइसेंस अधिकारी को लिख सकता है।
प्रश्न 6. बीज कन्ट्रोल आर्डर के अन्तर्गत किसान को क्या अधिकार प्राप्त हैं ?
उत्तर – बीज कन्ट्रोल कानून के अन्तर्गत बीज खरीदने वाले किसानों के अधिकार सुरक्षित रखे गये हैं, ताकि बीजों में कोई नुक्स होने पर उनके द्वारा बीजों पर किये गये खर्च का मुआवज़ा उसको मिल सके। यदि किसान यह समझता हो कि उसकी फ़सल के फेल होने का मुख्य कारण उसको बीज डीलर द्वारा दिया गया घटिया बीज है तो वह इस सम्बन्ध में बीज इन्सपेक्टर के पास अपनी शिकायत लिखित रूप में दर्ज करवा सकता है ।
प्रश्न 7. खराब बीज प्राप्त होने पर शिकायत दर्ज करवाने के लिये प्रमाण स्वरूप किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर – शिकायत दर्ज करवाते समय किसान को निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है-
(1) बीज की खरीद के समय दुकानदार द्वारा दिया गया पक्का बिल या रसीद ।
(2) बीज की थैली पर लगा हुआ लेबल |
(3) बीज वाला खाली पैकेट या थैला या डिब्बा |
(4) खरीदे हुए बीज में से बचा कर रखा हुआ बीज का नमूना ।
प्रश्न 8. खादों के क्वालिटी कन्ट्रोल सम्बन्धी कानून का क्या नाम है ? इसको कृषि विभाग के किन अफसरों के सहयोग से लागू किया जाता है ?
उत्तर – खादों के क्वालिटी कन्ट्रोल सम्बन्धी कानून का नाम फर्टीलाइज़र कन्ट्रोल आर्डर 1985 है ।
यह कानून पंजाब राज्य में कृषि विभाग के राज्य स्तरीय अधिकारी (डायरेक्टर कृषि पंजाब चण्डीगढ़) की देख-रेख में जिले के चीफ एग्रीकल्चर ऑफिसरों तथा उनके सहयोगी अधिकारियों, जिनमें एग्रीकल्चर ऑफिसर (A.O.) तथा उनके अधीन काम कर रहे एग्रीकल्चर डिवैल्पमैंट ऑफिसर (A.D.O.) के सहयोग से लागू किया जाता है।
प्रश्न 9. कीटनाशक इन्स्पेक्टर कीड़ेमार दवाइयों के क्वालिटी कन्ट्रोल के लिये क्या कार्यवाही करता है ?
उत्तर – इन्सैक्टीसाइड इन्स्पेक्टर अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में इन्सैक्टीसाइड बेचने वाली दुकानों, गोदामों, सेल सेंटरों तथा अन्य सम्बन्धित स्थानों पर निरीक्षण करते हैं। वह इन दुकानों से नमूने लेकर उनकी पड़ताल करने के लिये लुधियाना, भटिण्डा तथा अमृतसर की प्रयोगशालाओं में भेजता है।
स्टॉक चैक करके पता लगाता है कि कीटनाशक दवाइयां निश्चित समय की सीमा पार तो नहीं कर गईं। इसके अतिरिक्त स्टॉक में पड़ी दवाइयों का भार तथा अन्य तथ्यों की पड़ताल की जाती है तथा देखा जाता है कि कोई कानूनी उल्लंघना न हो रही हो । अधिनियम की उल्लंघना करने वाले व्यक्तियों के लाइसेंस रद्द कर दिये जाते हैं तथा उनके विरुद्ध कानूनी कारवाई भी की जाती है । दोषी व्यक्तियों को जुर्माना तथा जेल का दण्ड भी हो सकता है।
प्रश्न 10. बीज कानून की धारा 7 क्या है ?
उत्तर – इस धारा के अन्तर्गत केवल नोटीफाइड सूचित किस्मों के बीजों की ही बिक्री की जा सकती है।

(ग) पांच-छ: वाक्यों में उत्तर दो

प्रश्न 1. बीज, खादों और कीटनाशक दवाइयों का क्वालिटी कन्ट्रोल क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर – फ़सलों की बढ़िया उपज के लिये बीज, खाद तथा कीटनाशक दवाइयां मुख्य तीन वस्तुएं हैं। कृषि में ये तीनों वस्तुएं बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं | इसलिये इनकी क्वालिटी का उचित स्तर का होना बहुत ज़रूरी है। यदि बीज उच्च स्तर के तथा सही किस्म के नहीं होंगे, तो सारी मेहनत बेकार हो जायेगी। इसी प्रकार यदि खादों की क्वालिटी सही नहीं होगी, तो फ़सलों से पूरी उपज नहीं मिलेगी। फ़सलों में खरपतवारों, हानिकारक कीटों तथा बीमारियों की रोकथाम के लिये सही किस्म की दवाइयों तथा ज़हरों का प्रयोग भी बहुत ज़रूरी है ।
इन तीनों वस्तुओं पर खर्चा भी हो जाएगा तथा पैदावार भी कम मिलेगी, नदीन समाप्त नहीं होंगे, कीड़े फसल को खा जाएंगे। इसलिए तीनों वस्तुओं का क्वालिटी कण्ट्रोल बहुत ज़रूरी है ।
प्रश्न 2. कीटनाशक एक्ट (इन्सेक्टीसाइड एक्ट) की सहायता से कीटनाशक दवाइयों का क्वालिटी कन्ट्रोल कैसे किया जाता है ?
उत्तर – यह अधिनियम 1968 में बनाया गया था तथा सारे देश में लागू कर दिया गया था।
यह अधिनियम कीटनाशक दवाइयों आदि में मिलावट, कमी तथा अन्य कमियां दूर करने के लिये लागू किया गया है। इस अधिनियम के अन्तर्गत पुरानी आऊटडेटड हो चुकी तथा कम माप वाली दवाइयों की बिक्री अवैध है। पंजाब सरकार द्वारा जिला स्थित चीफ कृषि अधिकारियों को यह दवाइयां बेचने सम्बन्धी लाइसेंस देने का अधिकार दिया गया है। संबंधित अधिकारी कीटनाशक बेचने वाली दुकानों की चैकिंग करते हैं तथा सैंपल लेकर लुधियाना, अमृतसर, भटिंडा की प्रयोगशाला में भेजते हैं। कानून की उल्लंघना करने वाले दुकानदार के विरुद्ध कानूनी कारवाई तथा लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
प्रश्न 3. बीज कन्ट्रोल आर्डर की प्रमुख धाराओं का वर्णन करो ।
उत्तर – 1. लाइसेंस देने का अधिकार – बीज कन्ट्रोल आर्डर, 1983 के अन्तर्गत – राज्य सरकार को यह अधिकार दिये गये हैं कि वह किसी भी अधिकारी को जिसे वह ठीक समझती हो, लाइसेंस अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है तथा इस अधिकारी का कार्यक्षेत्र भी निर्धारित कर सकती है। पंजाब राज्य में यह अधिकार डायरेक्टर कृषि संयुक्त डायरेक्टर कृषि विभाग, पंजाब को दिये गये हैं।
         2. बीज इन्स्पेक्टर – इस अधिनियम के अन्तर्गत सरकार द्वारा कृषि विकास अधिकारियों को बीज इन्स्पेक्टर नियुक्त किया गया है उनका अधिकार क्षेत्र तथा उनके द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियों को भी नोटिफाई किया गया है। बीज इन्स्पैक्टर किसी भी डीलर से बीज के स्टॉक के बारे में, बिक्री के बारे में, खरीद के बारे में तथा स्टोर में पड़े बीज के बारे में कोई भी सूचना मांग सकता है। बीज वाले स्टोर या दुकान की तलाशी ले सकता है तथा उपलब्ध बीजों के नमूने भरकर उनकी जांच, बीज जांच प्रयोगशाला से करवा सकता है, कोई कमी होने पर बिक्री पर पाबन्दी लगा सकता है। इन्स्पेक्टर बीजों से सम्बन्धित दस्तावेज़ अपने कब्जे में ले सकता है तथा चैक कर सकता है। इसके अतिरिक्त दोषी का लाइसेंस रद्द करने के लिये लाइसेंस अधिकारी को लिख सकता है।
        3. किसानों के अधिकार – सीड कन्ट्रोल कानून के अन्तर्गत बीज खरीदने वाले किसानों के अधिकार सुरक्षित रखे गये हैं, ताकि बीजों में कोई कमी होने पर उस द्वारा बीजों पर किये गये खर्च का मुआवज़ा उसको मिल सके। यदि किसान यह समझता हो कि उसकी फसल के फेल होने का मुख्य कारण उसको बीज डीलर द्वारा दिया गया घटिया बीज है तो वह इस सम्बन्ध में बीज इन्स्पेक्टर के पास अपनी शिकायत लिखित रूप में दर्ज करवा सकता है।
       शिकायत दर्ज करवाते समय किसान को निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है-
(1) बीज खरीदते समय दुकानदार द्वारा दिया गया बिल या रसीद।
(2) बीज की थैली पर लगा हुआ लेबल ।
(3) बीज वाला खाली पैकेट या थैला या डिब्बा ।
(4) खरीदे हुए बीज में से रखा हुआ बीज का नमूना ।
बीज इन्स्पेक्टर यह शिकायत प्राप्त होने पर इसकी पूरी जांच-पड़ताल करेगा तथा यदि इस नतीजे पर पहुंचता है कि फ़सल का फेल होने का कारण बीज की खराबी है तो वह बीज के डीलर/ विक्रेता के विरुद्ध कानूनी कार्यवाई शुरू करेगा तथा बीज कानून के अन्तर्गत उसको दण्ड मिल सकता है ।
बीज कन्ट्रोल आदेश, 1983 की उल्लंघना करने वाले दोषी को आवश्यक वस्तुओं के कानून के अन्तर्गत दिये जाते दण्ड दिये जाएंगे क्योंकि बीज को भारत सरकार द्वारा एक आवश्यक वस्तु का दर्जा दिया गया है ।
प्रश्न 4. बीज कन्ट्रोल आर्डर अधीन किसानों को क्या-क्या अधिकार प्राप्त हैं ?
उत्तर – स्वयं उत्तर दें ।
प्रश्न 5. कृषि विकास से संबंधित तीन प्रमुख वस्तुओं के नाम बताओ तथा उनके क्वालिटी कन्ट्रोल पर प्रकाश डालो ।
उत्तर – स्वयं उत्तर दें ।

PSEB 9th Class Agriculture Guide बीज, खाद और कीड़ेमार दवाइयों का क्वालिटी कन्ट्रोल Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. बीज कन्ट्रोल एक्ट कब बना ?
उत्तर- 1983.
प्रश्न 2. खाद कन्ट्रोल आर्डर बन बना ?
उत्तर- 1985.
प्रश्न 3. पंजाब में बीज, खाद, कीटनाशक से संबंधित कानूनों को किस द्वारा लागू किया जाता है ?
उत्तर – कृषि विभाग, पंजाब।
प्रश्न 4. बीजों के बन्द पैकटों, डिब्बों या थैलों पर कौन-सा क्वालिटी का लेबल लगा होता है ?
उत्तर – टी० एल० ।
प्रश्न 5. कौन-से बीजों का प्रमाणीकरण किया जा सकता है ?
उत्तर – उन किस्मों का ही प्रमाणीकरण किया जा सकेगा जो कि निर्धारित हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. इन्सैक्टीसाइड अधिनियम, 1968 कब पारित किया गया है ?
उत्तर – यह अधिनियम भारतीय पार्लियामेंट द्वारा 1968 में पारित किया गया था तथा सारे देश में लागू कर दिया गया ।
प्रश्न 2. पंजाब सरकार ने इन्सैक्टीसाइड दवाइयां बेचने सम्बन्धी लाइसेंस देने का अधिकार किस को दिया है ?
उत्तर – ज़िला के मुख्य कृषि अधिकारियों को यह अधिकार मिला है।
प्रश्न 3. कीटनाशक दवाइयां खरीदते समय कौन-सी बातों की तरफ ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर – किसानों को कीटनाशक दवाइयां बेचने वालों से खरीद की रसीद अवश्य लेनी चाहिए। डिब्बों तथा दवाई की बोतलों का सील बन्द होना बहुत ज़रूरी है । खरीद करते समय यह भी देखना बहुत ज़रूरी है कि दवाई आऊटडेटड न हुई हो । किसी किस्म का सन्देह होने पर कृषि विकास अधिकारी या चीफ कृषि अधिकारी को इसके बारे में तुरन्त सूचित करें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. खाद कन्ट्रोल आर्डर 1985 से क्या अभिप्राय है ? यह खादों के क्वालिटी कन्ट्रोल में कैसे सहायक होता है ?
उत्तर – खाद कन्ट्रोल आर्डर, 1985 खादों की क्वालिटी मिलावट, पूरे वज़न, घटिया तथा अप्रमाणित खादें बेचने तथा अन्य प्रकार की उल्लंघना को रोकने के लिये बनाया गया है । किसी भी स्थान पर खादें बेचने से पहले डीलरों को जिले के सम्बन्धित चीफ एग्रीकल्चरल अधिकारी से खादें बेचने का लाइसेंस लेना ज़रूरी है । लाइसेंस तभी मिल सकता है, जब किसी खाद बनाने वाली कम्पनी ने उस डीलर को खाद बेचने के लिये अधिकार पत्र दिया हो।
खादों की क्वालिटी चैक करने के लिये खाद कन्ट्रोल आर्डर के नियमों के अनुसार विभिन्न स्तर पर कारवाई की जाती है। कोई भी व्यक्ति निश्चित स्तर से घटिया खाद नहीं बेच सकता। किसानों को सप्लाई की जाने वाली / बेचने वाली खादों की क्वालिटी पर निगरानी रखने के लिये खाद कन्ट्रोल 1985 के अन्तर्गत सम्बन्धित अधिकारियों को योग्य अधिकार दिए गये हैं। उनके द्वारा अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में खादों के कारोबारी विभागों का निरीक्षण किया जाता है । आवश्यकता अनुसार खादों के नमूने भरे जाते हैं। इन नमूनों को कृषि विभाग की खाद जांच लैब्राटरी, लुधियाना तथा फरीदकोट में परख करने के लिये भेजा जाता है। यदि नमूने क्वालिटी में घटिया पाए जाते हैं, तो उनके कारोबारी विभागों के विरुद्ध नियमों के अनुसार कानूनी कार्यवाई की जाती है। न्यायालय द्वारा दोषियों को जेल की सज़ा भी की जा सकती है ।

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