स्टैंड अलोन कम्प्यूटर पर एक समय में सिर्फ एक यूज़र कार्य कर सकता है। कुछ पेचीदा कार्यों को करने के लिए हमें एक कम्प्यूटर को दूसरे कम्प्यूटर के साथ जोड़ने की आवश्यकता होती है। कम्प्यूटरों के बीच इस प्रकार के आपसी संबंध को नेटवर्क कहा जाता है । एक नेटवर्क यूज़र के बीच संचार करने तथा फाइलें शेयर करने में सहायता करता है। आज के युग में सारी दुनिया डाटा पर निर्भर करती है। सभी कार्यों को सही प्रकार से करने के लिए नेटवर्क का प्रयोग किया जाता है। डाटा को सही समय तथा सही स्थान पर भेजने के लिए किसी साधन की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर नेटवर्क की शुरुआत डाटा को सही प्रकार से साझा करने के लिए ही की गई थी । आज हम इस दिशा में आगे बढ़ चुके हैं कि हम अपना डाटा सारी दुनिया में बहुत ही कम समय में पहुंचा सकते हैं।
जब दो या दो से अधिक कम्प्यूटर इस प्रकार जुड़े हुए हों कि वे आपस में सूचना तथा उपकरणों को सांझा कर सकें, उस स्थिति को कम्प्यूटर नेटवर्क कहा जाता है ।
एक कम्प्यूटर नेटवर्क के अंदर सभी यूज़र आपस में संचार करने लायक होते हैं। नेटवर्क में कम्प्यूटर आपस में किसी संचार माध्यम जैसे केबल, टेलीफोन लाइन, रेडियो तरंग, उपग्रह या इनफ्रारेड लाइट आदि की मदद से जुड़े हो सकते हैं। एक नेटवर्क के अंदर विभिन्न यूज़र आपस में सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर को साझा कर सकते हैं ।
कम्प्यूटर नेटवर्किंग करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि इसके द्वारा डाटा को सांझा किया जा सकता है। नेटवर्क की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से पड़ी :
1. कम्प्यूटर (Computer ) – नेटवर्क का मुख्य कार्य कम्प्यूटर को आपस में जोड़ना होता है। नेटवर्क को स्टार्ट करने के लिए सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि किस प्रकार के कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ा जाना है। इन कम्प्यूटरों को नेटवर्क पर जोड़ने के लिए सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। यह सॉफ्टवेयर किसी-न-किसी कम्प्यूटर पर ही इंस्टॉल किए जाते हैं ।
(i) क्लाइंट (Client) – क्लाइंट आम कम्प्यूटर सिस्टम होते हैं। इनका प्रयोग कई स्रोतों को सांझा करने के लिए किया जाता है ।
(ii) सरवर ( Server) — सरवर एक शक्तिशाली कम्प्यूटर सिस्टम होता है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर नेटवर्क – में जानकारी को सांझा करने के तौर पर तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है । यह नेटवर्क से जुड़े अन्य कम्प्यूटरों को भी कंट्रोल करते हैं ।
2. नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (Network Interface Card— NIC)— नेटवर्क इंटरफेस कार्ड एक कम्प्यूटर सर्किट बोर्ड या कार्ड होता है जो कम्प्यूटर में इंस्टॉल किया जाता है। यह किसी भी कम्प्यूटर को नेटवर्क के साथ जोड़ता है। यह कार्ड प्रत्येक क्लाइंट तथा सर्वर में लगाया जाता है। वास्तव में यह कार्ड सरवर तथा क्लाइंट के बीच संबंध बनाता है। प्रत्येक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड का अपना एक अलग एड्रेस होता है जिसको आई० पी० एड्रेस भी कहा जाता है। नेटवर्क इंटरफेस कार्ड दो प्रकार के होते हैं
(1) तार वाला (Wired) – तार वाला नेटवर्क इंटरफेस कार्ड डाटा को ट्रांसफर करने के लिए केबल कनेक्शन का प्रयोग करता है ।
(2) बिना तार वाला (Wireless) – बिना तार वाला नेटवर्क इंटरफेस कार्ड संचार करने के लिए रेडियो तरंगों आदि का प्रयोग करता है। इसमें एक छोटा एंटीना भी लगा होता है ।
(3) हब (Hub ) – हब एक ऐसा यंत्र होता है जो विभिन्न कम्प्यूटर को एक जैसे नेटवर्क डिवाइस के साथ जोड़ता है। यह एक पोर्ट से प्राप्त डाटा को डुप्लीकेट करने का कार्य करता है तथा इस डाटा को सभी पोर्ट पर उपलब्ध करवाता है।
(4) राउटर (Router) — राउटर जो भी डाटा प्राप्त करता है उसका निरीक्षण करने के बाद उसे अगले कम्प्यूटर नेटवर्क पर भेज देता है ।
(5) ट्रांसमिशन मीडिया (Transmission Media) – ट्रांसमिशन मीडिया वे चैनल होते हैं जो भेजने वाले से प्राप्त करने वाले तक जानकारी पहुंचाते हैं। ये दो प्रकार के होते है –
(i) गाइडेड मीडिया (Guided Media) – इसमें सभी तार वाले मीडिया शामिल होते हैं जैसे कि ट्विस्टेड पेयरड केबल, कोइक्सियल केबल तथा ऑप्टिकल फाइबर आदि ।
(ii) अनगाइडेड मीडिया (Unguided Media) – इसमें वायरलेस मीडिया शामिल होते हैं जैसे कि माइक्रोवेव सिग्नल, सेटेलाइट, रेडियो वेब ।
कम्प्यूटर नेटवर्क कई प्रकार के होते हैं । कम्प्यूटर नेटवर्क को उनके आकार तथा उद्देश्य के अनुसार विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है। एक नेटवर्क का आकार, उसके क्षेत्र तथा उसके साथ जुड़े हुए कम्प्यूटरों की गिनती से दर्शाया जा सकता है । एक नेटवर्क कमरे के अंदर कुछ उपकरणों से लेकर पूरी दुनिया तक हो सकता है। कोई भी नेटवर्क आकार अपने क्षेत्र के अनुसार छोटा या बड़ा हो सकता है । कम्प्यूटर नेटवर्क को आकार के आधार पर अग्रलिखित चार भागों में बांटा जा सकता है –
1. पर्सनल एरिया नेटवर्क ( Personal Area Network) (PAN) — पर्सनल एरिया नेटवर्क एक कम्प्यूटर नेटवर्क होता है जो किसी व्यक्ति तथा उसके व्यक्तिगत यंत्रों के एक छोटे से कमरे के अन्दर आपस में जोड़ता है। यह यंत्र तार वाले तथा बिना तार के दोनों प्रकार के हो सकते हैं। इसमें लैपटाप, हैडफोन, प्रिंटर, मोबाइल फोन आदि को आपस में जोड़ कर प्रयोग किया जाता है ।
2. लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network ) ( LAN) — लोकल एरिया नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क होता है जो आमतौर पर किसी दफ्तर की इमारत या घर के अंदर मौजूद उपकरणों में संचार करने के लिए प्रयोग किया जाता है। लोकल एरिया नेटवर्क विभिन्न स्रोतों की शेयरिंग में मदद करता है । इस प्रकार के नेटवर्क का आकार सीमित होता है। यह नेटवर्क आमतौर पर कुछ मीटर तक फैले होते हैं परंतु इनका दायरा अधिक-से-अधिक 1 मील तक हो सकता है । यह तेज़ गति के नेटवर्क होते हैं इनमें आमतौर पर स्पीड 10 एम०बी० पी०एस० से लेकर 10 जी० बी० पी० एस० तक होती है । इस प्रकार के नेटवर्क को बनाने के लिए तारों की आवश्यकता होती है। आमतौर पर सभी उपकरण एक ही तार से जुड़े होते हैं। इन नेटवर्क को बनाने की कीमत दूसरे नेटवर्क को बनाने से कम होती है। लोकल एरिया नेटवर्क तार वाला तथा बिना तार के हो सकता है। इस प्रकार के नेटवर्क में कोएक्सियल केबल या फाइबर ऑप्टिकल केबल का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के नेटवर्क में बस, रिंग या स्टार टोपोलॉजी का प्रयोग किया जाता है। इस नेटवर्क में कोएक्सियल केबल स्टेट ट्रांसमिशन मीडिया का प्रयोग भी किया जा सकता है।
3. मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network) (MAN) — इस प्रकार का नेटवर्क एक केबल टी०वी० नेटवर्क की तरह ही शहर, कॉलेज कैंपस या बड़े क्षेत्र में फैला होता है । यह नेटवर्क लोकल एरिया नेटवर्क से अधिक क्षेत्र में फैला होता है । इस प्रकार के नेटवर्क किसी संस्था द्वारा चलाए जाते हैं तथा इनका प्रयोग बहुत से व्यक्ति या संस्थाएं करती हैं। इस प्रकार के नेटवर्क में कई लोकल एरिया नेटवर्क आपस में जुड़े हो सकते हैं । यह नेटवर्क तेज़ गति से शेयरिंग का कार्य करता है। एक मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क का कार्य क्षेत्र 5 किलोमीटर से 50 किलोमीटर के क्षेत्र में हो सकता है। इस प्रकार के नेटवर्क के कुछ उदाहरण हैं – केबल टी०वी० नेटवर्क तथा टेलीफोन कंपनी का नेटवर्क।

4. वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network) (WAN) — वाइड एरिया नेटवर्क एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र में फैला होता है । यह बड़ा क्षेत्र एक देश, महाद्वीप अथवा पूरी दुनिया हो सकती है। वाइड एरिया नेटवर्क में कई छोटे नेटवर्क शामिल होते हैं। यह नेटवर्क कई प्रकार के संचार माध्यमों जैसे कि टेलीफोन लाइन, उपग्रह, माइक्रोवेव सिग्नल आदि का प्रयोग करता है । यह संचार मीडिया राउटर के साथ जुड़े होते हैं। दुनिया का सबसे प्रसिद्ध वाइड एरिया नेटवर्क इंटरनेट है।
नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topologies)
नेटवर्क टोपोलॉजी कम्प्यूटर के तत्व जैसे कि लिंक से, नोड आदि के प्रबंधन में प्रयोग की जाती है। टोपोलॉजी शब्द से भाव है वह तरीका जिसके द्वारा एक नेटवर्क के विभिन्न कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ा जाता है। एक कम्प्यूटर नेटवर्क के लिए प्रयोग किए गए हार्डवेयर के असली लेआउट का वर्णन नेटवर्क टोपोलॉजी कहलाता है । टोपोलॉजी उस डाटा रास्ते को निर्धारित करती है जिसमें उपकरण आपस में संचार करते हैं। दो या दो से अधिक उपकरण मिलकर एक लिंक बनाते हैं तथा दो या उससे अधिक लिंक मिलकर एक टोपोलॉजी बनाते हैं ।
एक नेटवर्क के लिए टोपोलॉजी का चयन, मीडिया का चयन तथा प्रयोग की जाने वाली विधियां निम्न चीज़ों पर निर्भर करती है –
1. लागत
2. भरोसा
3. मापयोगिता
4. बैंडविथ क्षमता.
5. इंस्टॉलेशन की सुविधा
6. समस्या के निपटारे की सुविधा
भौतिक टोपोलॉजी की मुख्य किस्में (Main Types of Physical Topologies) — भौतिक टोपोलॉजी तथा उससे संबंधित विषयों में प्रयोग होने वाली भौतिक टोपोलॉजी (Physical Topology) का वर्णन आगे दिए अनुसार है-
- लीनियर बस टोपोलॉजी (Linear Bus-Topology )
- रिंग टोपोलॉजी (Ring-Topology)
- स्टार टोपोलॉजी (Star Topology )
- मैश टोपोलॉजी (Mesh-Topology)
- ट्री टोपोलॉजी (Tree-Topology)
- पार्शल मैश टोपोलॉजी (Partial Mesh-Topology)
- हाइब्रिड टोपोलॉजी (Hybrid Topology )
1. लीनियर बस टोपोलॉजी (Linear Bus Topology) — इस प्रकार के नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों और टर्मिनलों को एक सांझा संचार चैनल से जोड़ा जाता है। ऐसे नेटवर्क में कोई केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। इसमें केबिलों की लम्बाई न्यूनतम होती है। इसमें मुख्य चैनल काट दिये जाने पर नेटवर्क असफल हो जाता है, लेकिन किसी एक कम्प्यूटर या टर्मिनल के कट जाने पर नेटवर्क ज्यादा प्रभावित नहीं होता। ऐसे नेटवर्क का विस्तार करके और टर्मिनल जोड़ना भी सरल हो जाता है। किसी बहुमंजिली इमारत में नेटवर्क स्थापित करते समय इस संरचना का उपयोग किया जाता है ।
लीनियर बस टोपोलॉजी के लाभ (Advantages of Linear Bus Topology ) — लीनियर बस टोपोलॉजी के लाभ निम्न अनुसार हैं –
- कोई भी नया कम्प्यूटर आसानी से जोड़ा जा सकता है ।
- यह एक सस्ती टोपोलॉजी है।
- यदि एक कम्प्यूटर फेल हो जाता है तो दूसरे कम्प्यूटर पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
- अन्य टोपोलॉजी के मुकाबले इसमें तार का कम प्रयोग होता है
- इसका प्रयोग छोटे नेटवर्क में बढ़िया ढंग से किया जा सकता है ।
- इसमें कनेक्टिविटी को समझना आसान होता है।
लीनियर बस टोपोलॉजी की हानियां (Disadvantages of Linear Bus Topology ) – लीनियर बस टोपोलॉजी की निम्नलिखित हानियां होती हैं-
- यदि मुख्य केबल फेल हो जाए तो सारा नेटवर्क बंद हो जाता है ।
- नेटवर्क के बढ़ने से इसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है।
- इसमें केबल की लंबाई सीमित होती है ।
- यह अन्य प्रकार की टोपोलॉजी से धीरे-धीरे कार्य करती है ।
- मुख्य केबल के दोनों किनारों पर टर्मिनेटर लगाने आवश्यक होते हैं ।
- यदि सारा नेटवर्क बंद हो जाएं तो पहचान करना मुश्किल हो जाता है
2. रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) — इस प्रकार के नेटवर्क में कम्प्यूटरों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि वे आपस में मिलकर एक बंद घेरे या वलय (Ring) का रूप लेते हैं। इसमें कोई भी केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। इस नेटवर्क की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें सभी बिन्दु या कम्प्यूटर बराबर होते हैं। हालांकि इसमें कोई सर्वर (Server) भी हो सकता है ।
ऐसे नेटवर्क में डाटा का प्रवाह केवल एक दिशा में होता है और प्रत्येक कम्प्यूटर एक रिपीटर की तरह. डाटा को आगे भेज देता है । संचार पूरा होने पर भेजने वाला कम्प्यूटर संदेश पहुंच जाने की सूचना प्राप्त कर लेता है।
इस नेटवर्क टोपोलॉजी में सबसे बड़ी कमी यह है कि एक कम्प्यूटर के असफल हो जाने पर पूरा नेटवर्क असफल हो जाता है। लेकिन इस समस्या को बाईपास केबलों का प्रयोग करके हल किया जाता है। प्रत्येक बाईपास केबल किसी एक कम्प्यूटर को बाईपास करता है। जैसे ही वह कम्प्यूटर असफल होता है, बाईपास केबल चालू हो जाता है और नेटवर्क का कार्य चलता रहता है ।
रिंग टोपोलॉजी के लाभ (Advantages of Ring Topology) – रिंग टोपोलॉजी के लाभ निम्न अनुसार हैं –
- यह टोपोलॉजी बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से कार्य करती है l
- यह टोपोलॉजी भारी नेटवर्क में भी कार्य करती है ।
- कम्प्यूटरों के बीच का प्रबंधन करने के लिए किसी केंद्रीय नोड की आवश्यकता नहीं होती।
- इसमें समस्या का पता लगाना आसान होता है।
रिंग टोपोलॉजी की हानियां (Disadvantages of Ring Topology) – रिंग टोपोलॉजी की हानियां निम्न अनुसार हैं –
- एक कम्प्यूटर की असफलता पूरे नेटवर्क को प्रभावित कर सकती है ।
- समस्या का निपटारा करने में कई बार काफी दिक्कत आती है ।
- नए कम्प्यूटर को जोड़ना तथा हटाना काफी मुश्किल कार्य होता है ।
- एक रिंग टोपोलॉजी में बस टोपोलॉजी से अधिक तार का प्रयोग होता है ।
3. स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) — इस प्रकार के नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों तथा उपकरणों को एक बड़े केन्द्रीय कम्प्यूटर, जिसे मेज़बान कम्प्यूटर (Host Computer) या सर्वर (Server) कहा जाता है, से जोड़ा जाता है, जो उन्हें नियंत्रित करता है तथा उनके बीच डाटा के संचार को नियमित करता है। ऐसे नेटवर्क में प्रत्येक नोड (Node) किसी दूसरे नोड तक केवल मेजवान कम्प्यूटर के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है । इस नेटवर्क का कार्य स्पष्ट रूप से केन्द्रीय कम्प्यूटर पर निर्भर करता है और किसी जुड़े हुए उपकरण या केबलस की असफलता से नेटवर्क बहुत प्रभावित होता है। ऐसे नेटवर्क का विस्तार करना भी सरल है ।
यह संरचना ऐसे संगठनों के लिए बहुत उपयोगी है, जहां एक बड़े कम्प्यूटर में मास्टर डाटा बेस रखा जाता है। सुरक्षा नियंत्रण तथा देख-रेख की दृष्टि से यह सबसे अच्छा माना जाता है। भारत में रेलों के आरक्षण में इसी संरचना का प्रयोग किया गया है। स्टार नेटवर्क की सबसे बड़ी कमी यह है कि केन्द्रीय कम्प्यूटर के असफल हो जाने पर नेटवर्क पूरा असफल हो जाता है।
स्टार टोपोलॉजी के लाभ (Advantages of Star Topology ) – स्टार टोपोलॉजी के लाभ निम्न अनुसार हैं –
- इस टोपोलॉजी को शुरू करना तथा कनेक्ट करना काफी आसान होता है ।
- एक कम्प्यूटर की असफलता दूसरे कम्प्यूटर को प्रभावित नहीं करती ।
- इसमें कम्प्यूटरों को आसानी से जोड़ा जा सकता है।
- नेटवर्क में कमी ढूंढना काफी आसान होता है।
- समस्या का निपटारा करना काफी आसान होता है ।
- इस टोपोलॉजी में बदलाव करना काफी आसान होता है ।
स्टार टोपोलॉजी की हानियां (Disadvantages of Star Topology) – स्टार टोपोलॉजी की हानियां निम्न अनुसार हैं-
- केंद्रीय हब के फेल हो जाने से पूरा नेटवर्क फेल हो जाता है।
- स्टार टोपोलॉजी की इंस्टॉलेशन लागत काफी अधिक होती है ।
- नेटवर्क की कार्य क्षमता केंद्रीय हब की क्षमता पर निर्भर करती है ।
- स्टार टोपोलॉजी में केबल की ज्यादा जरूरत पड़ती है ।
4. मैश टोपोलॉजी (Mesh – Topology) — इस टोपोलॉजी में प्रत्येक कम्प्यूटर दूसरे प्रत्येक कम्प्यूटर पर सीधे तौर से जुड़ा होता है । यह कम्प्यूटर पूरी तरह से या आंशिक रूप से आपस में जुड़े हो सकते हैं ।
पूरी तरह से जुड़ी हुई टोपोलॉजी के कम्प्यूटर एक-दूसरे से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं । आंशिक तौर पर जुड़ी हुई टोपोलॉजी में नेटवर्क के कम-से-कम दो कम्प्यूटर आपस में जुड़े होते हैं ।
मैश टोपोलॉजी के लाभ (Advantages of Mesh Topology ) – मैश टोपोलॉजी के लाभ निम्न अनुसार
- डाटा को विभिन्न उपकरणों पर एक साथ ही ट्रांसमिट किया जा सकता है ।
- यह टोपोलॉजी भारी ट्रैफिक का सामना कर सकती है।
- कोई भी भाग सफल हो जाता है तो उसका प्रभाव डाटा ट्रांसफर पर नहीं पड़ता।
- टोपोलॉजी का विस्तार दूसरे कम्प्यूटरों को बिना नुकसान पहुंचाए किया जा सकता है।
मैश टोपोलॉजी की हानियां (Disadvantages of Mesh Topology)मैश टोपोलॉजी की हानियां निम्न अनुसार हैं –
- इसकी स्थापना करनी काफी मुश्किल होती है।
- इसमें तार की काफी अधिक आवश्यकता होती है।
- यह टोपोलॉजी काफी पेचीदा हो जाती है ।
5. ट्री टोपोलॉजी (Tree – Topology) — ट्री टोपोलॉजी एक विशेष प्रकार की संरचना होती है जिसमें सारे नोड/कम्प्यूटर वृक्ष की शाखाओं की तरह आपस में जुड़े होते हैं । कम्प्यूटर नेटवर्किंग में ट्री टोपोलॉजी को बस तथा स्टारं टोपोलॉजी के मेल के रूप में देखा जाता है। ट्री टोपोलॉजी एक सरल टोपोलॉजी होती है। इसमें किसी भी दो कम्प्यूटर के बीच सिर्फ एक रास्ता मौजूद होता है। कनेक्शन की संरचना एक वृक्ष की शाखाओं की तरह होती है।
ट्री टोपोलॉजी के लाभ (Advantages of Tree – Topology) — ट्री टोपोलॉजी के लाभ निम्न अनुसार हैं
- यह स्टार तथा बस टोपोलॉजी का विस्तार है ।
- इसमें नेटवर्क का विस्तार करना काफी आसान होता है ।
- इसमें सारे नेटवर्क को विभिन्न खंडों में बांट सकते हैं जिनका प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है ।
- इस टोपोलॉजी में नेटवर्क में आई किसी भी गलती का पता लगाना तथा ठीक करना काफी आसान होता है।
- यदि कोई खंड खराब हो जाता है तो वह दूसरे हिस्से को प्रभावित नहीं करता ।
ट्री टोपोलॉजी की हानियां (Disadvantages of Tree – Topology)- ट्री टोपोलॉजी की हानियां निम्न अनुसार हैं –
- इस टोपोलॉजी की बस टोपोलॉजी के अनुसार मुख्य केबल पर काफी निर्भर करती है। इसलिए यदि वह केबल खराब हो जाए तो सारा नेटवर्क प्रभावित हो जाता है ।
- अधिक बड़ा नेटवर्क हो जाने पर इस टोपोलॉजी का रखरखाव काफी मुश्किल हो जाता है।
- नेटवर्क की गुणवत्ता, प्रयोग होने वाले तार की गुणवत्ता पर निर्भर करती है ।
- इस टोपोलॉजी को लगाने में प्रयोग होने वाली तार की लागत काफी अधिक होती है।
6. पार्शियल मैश टोपोलॉजी (Partial Mesh Topology ) — पार्शियल मैश टोपोलॉजी मैश टोपोलॉजी का ही एक रूप है। इसमें सभी नोडस (Nodes) प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं । यदि कभी पूरी टोपोलॉजी सीधे रूप में कार्य न कर रही हो तो डाटा को अप्रत्यक्ष रास्ते द्वारा पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार की टोपोलॉजी में तार का खर्चा भी कम होता है क्योंकि कई नोडस (Nodes ) आपस में सीधे तौर पर तार से जुड़े नहीं होते। उन नोडस (Nodes) को जोड़ने के लिए तार की आवश्यकता नहीं होती तथा इस प्रकार कम तार का प्रयोग किया जाता है जिससे तार का खर्चा कम हो जाता है। मैश टोपोलॉजी की मुख्य कमी इस पर होने वाला खर्चा होता है क्योंकि ज्यादातर नोडस (Nodes) आपस में तार द्वारा जुड़े होते हैं। इसलिए इस प्रकार की टोपोलॉजी में तार का खर्चा काफ़ी अधिक होता है।
पार्शियल मैश टोपोलॉजी के लाभ (Advantages of Partial Mesh Topology)- पार्शियल मैश टोपोलॉजी के लाभ निम्न अनुसार हैं –
- इसमें मैश टोपोलॉजी के मुकाबले कम तार का प्रयोग किया जाता है।
- सीधा लिंक न होने की सूरत में भी किसी भी कम्प्यूटर से संचार किया जा सकता है।
पार्शियल मैश टोपोलॉजी की कमियां (Disadvantages of Partial Mesh Topology ) – पार्शियल मैश टोपोलॉजी की मुख्य कमियां निम्नलिखित हैं –
- इस प्रकार की टोपोलॉजी का निर्माण करना कठिन कार्य होता है ।
- ज्यादा बड़ा नेटवर्क होने की सूरत में यह टोपोलॉजी काफ़ी कठिन हो जाती है ।
7. हाइब्रिड टोपोलॉजी (Hybrid Topology ) – हाइब्रिड टोपोलॉजी एक विशेष प्रकार की टोपोलॉजी है जिसमें दो या दो से अधिक प्रकार की टोपोलॉजी का प्रयोग किया जाता है । इस प्रकार की टोपोलॉजी में स्टार, रिंग, ट्री आदि किसी भी टोपोलॉजी का प्रयोग किया जा सकता है। वास्तव में यह कोई नई टोपोलॉजी नहीं है अपितु दो या दो से अधिक प्रकार की टोपोलॉजी का मिश्रण है।
हाइब्रिड टोपोलॉजी के लाभ (Advantages of Hybrid Topology) — हाइब्रिड टोपोलॉजी के लाभ निम्न अनुसार हैं –
- यह टोपोलॉजी काफी विश्वसनीय है।
- इसमें गलतियों का पता लगाना काफी आसान होता है ।
- गलतियों का निपटारा भी आसानी से किया जा सकता है ।
- इस प्रकार की टोपोलॉजी में नेटवर्क का आकार काफी आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
हाइब्रिड टोपोलॉजी की हानियां (Disadvantages of Hybrid Topology) — हाइब्रिड टोपोलॉजी की हानियां निम्न अनुसार हैं
- इसका डिज़ाइन काफी पेचीदा होता है ।
- इसको बनाना काफी महंगा कार्य होता है ।
डाटा संचार (Data Communication)
दो या अधिक कम्प्यूटरों में डाटा सांझा करने की प्रक्रिया को डाटा कम्यूनिकेशन कहते हैं। इसमें Sender, Receiver तथा Communication चैनल मिल कर कार्य करते हैं ।
डाटा संचार की तीन शर्तें होती हैं-
- डिलिवरी (Delivery ) – डाटा अपने स्थान तक सही ढंग से पहुंचे।
- शुद्धता (Accuracy) – डाटा दोष मुक्त होना चाहिए ।
- समय की पाबंदी (Time Limit) – डाटा बिना किसी देरी के पहुंचे।
डाटा संचार के भाग (Components of Data Communication)
डाटा संचार के मुख्य भाग निम्न अनुसार होते हैं-
- सैंडर (Sender) जो सूचना तैयार करता तथा भेजता है।
- माध्यम (Medium) – सैंडर से प्राप्तकर्ता तक ले जाने वाला माध्यम ।
- रिसीवर (Receiver) – जो सूचना प्राप्त करता है ।
- प्रोटोकॉल (Protocol) – सूचना भेजने के नियम । –
डाटा संचार के तरीके (Modes of Data Communication)
डाटा ट्रांसमिशन के ढंग का अर्थ है- सैंडर तथा रिसीवर के बीच डाटा किस प्रकार जाता है। डाटा भेजने तथा प्राप्त करने के निम्न ढंग हैं –
1. सिम्पलैक्स (Simplex) – यह संचार का एक तरफा माध्यम होता है। इसमें एक समय पर एक तरफ ही संचार होता है। दूसरी तरफ संचार नहीं होता । उदाहरण के तौर पर टेलीविज़न तथा रेडियो नेटवर्क l
2. हॉफ डुप्लैक्स (Half Duplex) – इसमें दोनों तरफ से संचार हो सकता है, परन्तु एक समय पर सिर्फ एक तरफ से ही संचार होता है। दूसरी तरफ से संचार शुरू करने से पहले पहली तरफ का संचार बंद करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर वाकी-टाकी सिस्टम ।
3. फुल डुप्लैक्स (Full Duplex) – इसमें दोनों तरफ से संचार एक ही समय पर हो सकता है। मोबाइल फोन का नेटवर्क इसी का उदाहरण है।
Computer Guide for Class 9 PSEB नेटवर्किंग Textbook Questions and Answers
बहुविकल्पीय प्रश्न :
1. ………………. दो या दो से अधिक कम्प्यूटरों का समूह होता है जो यंत्रों जैसे कि प्रिंटर, फाइलों आदि को शेयर करने के लिए आपस में जोड़े जाते हैं ।
(क) नेटवर्क (Network)
(ख) इंटरनेट (Internet)
(ग) वायरलेस (Wireless)
(घ) टोपोलॉजी (Topology)।
उत्तर – (क) नेटवर्क (Network)
2. निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे छोटा नेटवर्क है ?
(क) मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)
(ख) वाइड एरिया नेटवर्क (WAN)
(ग) लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)
(घ) इनमें से कोई भी नहीं ।
उत्तर – (ग) लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)
3. ……………. एक उपकरण है जो हमें कई कम्प्यूटरों को एक नेटवर्क के साथ जोड़ने की आज्ञा देता है ।
(क) हब (HUB)
(ख) बस (BUS)
(ग) रिंग (RING)
(घ) स्टार (STAR) |
उत्तर – (क) हब (HUB)
4. ………………. नेटवर्क टोपोलॉजी में एक सिंगल केबल सारे उपकरणों को आपस में जोड़ती है।
(क) बस (BUS)
(ख) ट्री (TREE)
(ग) मैश (MESH)
(घ) स्टार (STAR ) |
उत्तर – (क) बस (BUS)
5. …………….. जानकारी तैयार करता है तथा आगे भेजता है।
(क) प्रोटोकॉल (Protocol)
(ख) रिसीवर (Receiver)
(ग) सैंडर ( Sender)
(घ) हब (Hub )।
उत्तर – (ग) सैंडर ( Sender)
सही / ग़लत :
1. हम नेटवर्क उपकरणों में हार्डवेयर तौर पर कोई शेयर नहीं कर सकते ।
उत्तर – ग़लत
2. लोकल एरिया नेटवर्क एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता है ।
उत्तर – ग़लत
3. फुल डुप्लैक्स में जानकारी दोनों दिशाओं में प्रदर्शित की जाती है।
उत्तर – सही
4. प्रोटोकॉल नियमों का समूह होता है जिनके अनुसार कम्प्यूटर के बीच डाटा का संचार होता है।
उत्तर – सही
पूरे नाम लिखो :
1. LAN : ………………………
उत्तर – लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network)
2. MAN : …………………….
उत्तर – मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network)
3. WAN : …………………….
उत्तर – वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network)
4. PAN : ………………………
उत्तर – पर्सनल एरिया नेटवर्क (Personal Area Network)
5. NIC : ………………………
उत्तर – नेटवर्क इंटरफेस कार्ड Network Interface Card)
छोटे उत्तरों वाले प्रश्न :
प्रश्न 1. किन्हीं चार नेटवर्क टोपोलॉजी के नाम लिखो ।
उत्तर – चार प्रकार की टोपोलॉजी के नाम निम्नलिखित हैं –
1. बस टोपोलॉजी
2. रिंग टोपोलॉजी
3. स्टार टोपोलॉजी
4. ट्री टोपोलॉजी।
प्रश्न 2. नेटवर्क इंटरफेस कार्ड को परिभाषित करें।
उत्तर—नेटवर्क इंटरफेस कार्ड एक कम्प्यूटर सर्किट बोर्ड या कार्ड होता है जो कम्प्यूटर में इंस्टॉल किया जाता है । यह किसी भी कम्प्यूटर को नेटवर्क के साथ जोड़ता है । यह कार्ड प्रत्येक क्लाइंट तथा सर्वर में लगाया जाता है। वास्तव में यह कार्ड सरवर तथा क्लाइंट के बीच संबंध बनाता है। प्रत्येक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड का अपना एक अलग एड्रेस होता है जिसको आई० पी० या नोड एड्रेस भी कहा जाता है।
प्रश्न 3. डाटा संचार के भागों (Components) के नाम लिखो ।
उत्तर – डाटा संचार के निम्नलिखित भाग होते हैं –
1. सैंडर
2. माध्यम
3. रिसीवर
4. प्रोटोकॉल ।
प्रश्न 4. हब (HUB) पर एक नोट लिखो।
उत्तर – हब एक ऐसा यंत्र होता है जो विभिन्न कम्प्यूटर को एक जैसे नेटवर्क डिवाइस के साथ जोड़ता है। हब एक – पोर्ट से प्राप्त डाटा को डुप्लीकेट करने का कार्य करता है तथा इस डाटा को सभी पोर्ट पर उपलब्ध करवाता है।
प्रश्न 5. रिंग टोपोलॉजी की दो किस्में कौन-कौन सी होती हैं ?
उत्तर – रिंग टोपोलॉजी की दो किस्में हैं-
1. सिंगल रिंग
2. डयूल रिंग ।
बड़े उत्तरों वाले प्रश्न :
प्रश्न 1. नेटवर्क क्या होता है ? इसके लाभ तथा हानियों के बारे में बताओ।
उत्तर – जब दो या दो से अधिक कम्प्यूटर इस प्रकार जुड़े हुए हों कि वह आपस में सूचना तथा उपकरणों को साझा कर सकें, उस स्थिति को कम्प्यूटर नेटवर्क कहा जाता है।
एक कम्प्यूटर नेटवर्क के अंदर सभी यूज़र आपस में संचार करने लायक होते हैं। नेटवर्क में कम्प्यूटर आपस में किसी संचार माध्यम जैसे केबल, टेलिफोन लाइन, रेडियो तरंग, उपग्रह या इनफ्रारेड लाइट आदि की मदद से जुड़े होते हैं। एक नेटवर्क के अंदर विभिन्न यूज़र आपस में सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर को साझा कर सकते हैं।
नेटवर्क के लाभ (Advantages of Network ) —
- हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर शेयर करने के लिए ( Share Hardware and Software ) – नेटवर्क के अंदर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर को आसानी से शेयर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए एक प्रिंटर को नेटवर्क के अंदर प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए कंपनी को एक अलग से प्रिंटर लगाने की आवश्यकता नहीं होती ।
- डाटा साझा करने के लिए (Sharing Data and Information ) — नेटवर्क के द्वारा प्रोग्राम तथा विभिन्न प्रकार की सूचना को साझा करते हैं। यह इस कारण ही संभव हो पाता है क्योंकि डाटा की सारी फाइलें केंद्रीय कम्प्यूटर पर पड़ी होती हैं। इन सभी फाइलों को कोई भी प्रयोग कर सकता है।
- कम्युनिकेशन मीडिया (Communication Media ) — नेटवर्क बहुत ही तेज़ गति से संचार माध्यम का कार्य करता है। उदाहरण के तौर पर ई-मेल का प्रयोग बहुत कम समय में संदेश भेजने के लिए किया जा सकता है ।
- भरोसेमंद (Reliability) — नेटवर्क बहुत सारे स्रोतों को प्रयोग करने का भरोसा देता है। उदाहरण के लिए अगर कोई एक हार्डवेयर फेल हो जाता है तो यूज़र सारी सूचना किसी अन्य कम्प्यूटर पर कार्य कर ठीक कर सकता है।
- फाइल इंटीग्रिटी ( File Integrity ) — नेटवर्क द्वारा फाइलों की अखंडता बनी रहती है जिससे समय तथा शक्ति की बचत होती है। नेटवर्क में फाइलों का प्रयोग तथा शेयरिंग बहुत तेज़ी से होती है।
- बैकअप (Backup ) — किसी भी नेटवर्क में किसी दूसरे कम्प्यूटर की फाइलों का बैकअप लेना बहुत आसान हो जाता है । इस बैकअप को आसानी से रिस्टोर किया जा सकता है।
- सस्ता साधन (Cost Effective) — नेटवर्क द्वारा विभिन्न प्रकार के महंगे इनपुट तथा आऊटपुट उपकरणों को साझा कर सकते हैं। इससे समूचे सिस्टम की लागत काफी कम हो जाती है।
- गति ( Speed) — नेटवर्क का प्रयोग करते हुए सभी प्रकार के कार्य तेज़ गति से किए जा सकते हैं।
- लचकता (Flexibility) — नेटवर्क हमें सभी यंत्रों का प्रयोग करने में एकता प्रदान करता है। किसी भी यंत्र को हम विभिन्न प्रकार से प्रयोग कर सकते हैं ।
- सुरक्षा (Security) — नेटवर्क हमें सुरक्षा भी प्रदान करता है। किसी भी नेटवर्क पर कोई भी यूज़र अनधिकृत फाइलों का प्रयोग कर सकते हैं ।
- फाइल डाटा तथा जानकारी शेयर करना (Sharing Data File and Information) — इंटरनेट का प्रयोग डाटा प्रोग्राम तथा विभिन्न प्रकार के स्रोतों को शेयर करने के लिए किया जा सकता है। अपने सरवर पर संभाल कर रखी गई किसी भी प्रकार की फाइल को दुनिया में कहीं भी शेयर किया जा सकता है।
नेटवर्क की हानियां (Disadvantages of Network ) –
- नेटवर्क फेल हो जाना (Failed Network ) – नेटवर्क फेल हो जाने से सभी यूज़र कई प्रकार की सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं।
- प्रबंधन ( Management) – किसी भी नेटवर्क का प्रबंधन करना काफी मुश्किल कार्य होता है।
- सिक्योरिटी ( Security ) – नेटवर्क पर डाटा तथा उपकरणों की सुरक्षा को हमेशा खतरा रहता है। कई बार नेटवर्क का गलत प्रयोग भी किया जाता है।
- महंगा (Costly) – नेटवर्क को बनाना एक महंगा कार्य है। इसके लिए कई महंगे उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है।
- संस्थाएं ( Organisations) – कई बार नेटवर्क के लिए आवश्यक हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर खरीदने काफी मुश्किल होते हैं। यह कार्य किसी एक संस्था के लिए असंभव होता है ।
प्रश्न 2. कम्प्यूटर नेटवर्क के विभिन्न भागों का वर्णन करो ।
उत्तर – कम्प्यूटर नेटवर्क के निम्न भाग होते हैं-
- कम्प्यूटर (Computer) — नेटवर्क का मुख्य कार्य कम्प्यूटर को आपस में जोड़ना होता है। नेटवर्क को शुरू करने के लिए सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि किस प्रकार के कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ा जाना है। इन कम्प्यूटरों को नेटवर्क पर जोड़ने के लिए सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। यह सॉफ्टवेयर किसी न किसी कम्प्यूटर पर ही इंस्टॉल किए जाते हैं ।
- नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (Network Interface Card— NIC) — नेटवर्क इंटरफेस कार्ड एक कम्प्यूटर सर्किट बोर्ड या कार्ड होता है जो कम्प्यूटर में इंस्टॉल किया जाता है। यह किसी भी कम्प्यूटर को नेटवर्क के साथ जोड़ता है। यह कार्ड प्रत्येक क्लाइंट तथा सर्वर में लगाया जाता है। असल में यह कार्ड सरवर तथा क्लाइंट के बीच संबंध बनाता है। प्रत्येक नेटवर्क इंटरफेस कार्ड का अपना एक अलग एड्रेस होता जिसको आई० पी० एड्रेस भी कहा जाता है।
- हब (Hub ) – हब एक ऐसा यंत्र होता है जो विभिन्न कम्प्यूटर को एक जैसे नेटवर्क डिवाइस के साथ जोड़ता है। हब एक पोर्ट से प्राप्त डाटा को डुप्लीकेट करने का कार्य करता है तथा इस डाटा को सभी पोर्ट पर उपलब्ध करवाता है ।
- राउटर (Router) — राउटर जो भी डाटा प्राप्त करता है उसका निरीक्षण करने के बाद उसे अगले कम्प्यूटर नेटवर्क पर भेज देता है ।
- ट्रांसमिशन मीडिया (Transmission Media) — ट्रांसमिशन मीडिया वे चैनल होते हैं जो भेजने वाले से प्राप्त करने वाले तक जानकारी पहुंचाते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं –
- गाइडेड मीडिया (Guided Media) – इसमें सभी तार वाले मीडिया शामिल होते हैं जैसे कि ट्विस्टेड पेयरड केबल, कोइक्सियल केबल तथा ऑप्टिकल फाइबर आदि ।
- अनगाइडेड मीडिया (Unguided Media) – इसमें वायरलेस मीडिया शामिल होते हैं जैसे कि माइक्रोवेव सिग्नल, सेटेलाइट, रेडियो वेब ।
प्रश्न 3. विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटर नेटवर्क की किस्मों के संबंध में लिखो ।
उत्तर – कम्प्यूटर नेटवर्क कई प्रकार के होते हैं । कम्प्यूटर नेटवर्क को उनके आकार तथा उद्देश्य के अनुसार विभाजित किया जा सकता है। एक नेटवर्क का आकार उसके क्षेत्र तथा उसके साथ जुड़े हुए कम्प्यूटरों की गिनती से दर्शाया जा सकता है। नेटवर्क कमरे के अंदर कुछ उपकरणों से लेकर पूरी दुनिया तक हो सकता है। कोई भी नेटवर्क आकार अपने क्षेत्र के अनुसार छोटा या बड़ा हो सकता है । कम्प्यूटर नेटवर्क को आकार के आधार पर निम्नलिखित चार भागों में बांटा जा सकता है –
-
- पर्सनल एरिया नेटवर्क (PAN)
- लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)
- मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)
- वाइड एरिया नेटवर्क (WAN)
- पर्सनल एरिया नेटवर्क ( Personal Area Network)- पर्सनल एरिया नेटवर्क एक कम्प्यूटर नेटवर्क होता है जो किसी व्यक्ति तथा उसके व्यक्तिगत यंत्रों को एक छोटे से कमरे में जोड़ता है । यह तार वाले तथा बिना तार के दोनों प्रकार के हो सकते हैं ।
- लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network) — लोकल एरिया नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क है जो आमतौर पर किसी दफ्तर की इमारत या घर के अंदर मौजूद उपकरणों में संचार करने के लिए प्रयोग किया जाता है। लोकल एरिया नेटवर्क विभिन्न स्रोतों की शेयरिंग में मदद करता है। इस प्रकार के नेटवर्क का आकार सीमित होता है। यह नेटवर्क आमतौर पर कुछ मीटर तक फैले होते हैं परंतु इनका दायरा अधिक-से-अधिक 1 मील तक हो सकता है। यह तेज़ गति के नेटवर्क होते हैं। इनमें आमतौर पर स्पीड 10 एम०बी० पी० एस० से लेकर 10 जी० बी० पी० एस० तक होती है। इस प्रकार के नेटवर्क को बनाने के लिए कम तारों की आवश्यकता होती है। आमतौर पर सभी उपकरण एक ही तार से जुड़े होते हैं। इन नेटवर्क को बनाने की कीमत दूसरे नेटवर्क को बनाने से कम होती है। लोकल एरिया नेटवर्क तार वाला तथा बिना तार के हो सकता है । इस प्रकार के नेटवर्क में कोएक्सियल केबल या फाइबर ऑप्टिकल केबल का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के नेटवर्क में बस, रिंग या स्टार टोपोलॉजी का प्रयोग किया जाता है ।
- मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network ) — इस प्रकार का नेटवर्क एक केबल टी०वी० नेटवर्क की तरह ही शहर, कॉलेज कैंपस या बड़े क्षेत्र में फैला होता है । यह नेटवर्क लोकल एरिया नेटवर्क से अधिक क्षेत्र में फैला होता है । इस प्रकार के नेटवर्क किसी संस्था द्वारा चलाए जाते हैं तथा इनका प्रयोग बहुत से व्यक्ति या संस्थाएं करती हैं। इस प्रकार के नेटवर्क में कई लोकल एरिया नेटवर्क आपस में जुड़े हो सकते हैं । यह नेटवर्क तेज़ गति से शेयरिंग का कार्य करता है। एक मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क का कार्य क्षेत्र 5 किलोमीटर से 50 किलोमीटर के क्षेत्र में हो सकता है। इस प्रकार के नेटवर्क के कुछ उदाहरण हैं – केबल टी०वी० नेटवर्क तथा टेलिफोन कंपनी का नेटवर्क ।
- वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network ) – वाइड एरिया नेटवर्क एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र में फैला होता है। यह बड़ा क्षेत्र एक देश, महाद्वीप अथवा पूरी दुनिया हो सकती है। वाइड एरिया नेटवर्क में कई छोटे नेटवर्क शामिल होते हैं । यह नेटवर्क कई प्रकार के संचार माध्यमों जैसे कि टेलिफोन लाइन, उपग्रह माइक्रोवेव सिग्नल आदि का प्रयोग करता है । यह संचार मीडिया राउटर के साथ जुड़े होते हैं। दुनिया का सबसे प्रसिद्ध वाइड एरिया नेटवर्क इंटरनेट है। ।
प्रश्न 4. डाटा ट्रांसमिशन के विभिन्न मोड का वर्णन करो ।
उत्तर – डाटा ट्रांसमिशन के विभिन्न मोड निम्न अनुसार हैं
- सिम्पलैक्स (Simplex) — यह संचार का एक तरफा माध्यम होता है। इसमें एक समय पर एक तरफ ही संचार होता है। दूसरी तरफ संचार नहीं होता । उदाहरण के तौर पर टेलीविज़न तथा रेडियो नेटवर्क।
- हॉफ डुप्लैक्स ( Half Duplex) — इसमें दोनों तरफ से संचार हो सकता है परन्तु एक समय पर सिर्फ एक तरफ से ही संचार होता है। दूसरी तरफ से संचार शुरू करने से पहले पहली तरफ का संचार बंद करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर वांकी-टाकी सिस्टम ।
- फुल डुप्लैक्स (Full Duplex) — इसमें दोनों तरफ से संचार एक ही समय पर हो सकता है। मोबाइल फोन का नेटवर्क इसी का उदाहरण है।
PSEB 8th Class Computer Guide नेटवर्किंग Important Questions and Answers
रिक्त स्थान भरें :
1. एक साधारण कम्प्यूटर सिस्टम है जो नेटवर्क में स्रोत को साझे करने के लिए जुड़ा होता है।
(क) सर्वर
(ख) क्लाइंट
(ग) नोड
(घ) लैन तथा वैन ।
उत्तर – (क) सर्वर
2. …………….. एक ऐसा यंत्र होता है जो ज्यादा कम्प्यूटरों को एक समान नेटवर्क डिवाइस से जुड़ने की आज्ञा देता है।
(क) हब
(ख) बस
(ग) रिंग
(घ) स्टार |
उत्तर – (क) हब
3. …………. नेटवर्क में सारे कम्प्यूटर एक केवल को साझा करते हैं तथा डाटा एक दिशा में जाता है।
(क) सिंगल रिंग
(ख) डयूल रिंग
(ग) MAN
(घ) LAN.
उत्तर – (क) सिंगल रिंग
4. ……………. सूचना को बना कर आगे भेजता है।
(क) प्रोटोकॉल
(ख) रिसीवर
(ग) सैंडर
(घ) हब ।
उत्तर – (ग) सैंडर
5. डाटा संचार का दोष मुक्त होना ……………… कहलाता है।
(क) डिलीवरी
(ख) शुद्धता
(ग) पाबंदी
(घ) प्रोटोकॉल ।
उत्तर – (ख) शुद्धता
6. ………………. सूचना प्राप्त करता है ।
(क) सैंडर
(ख) रिसीवर
(ग) प्रोटोकॉल
(घ) माध्यम ।
उत्तर – (ख) रिसीवर
7. नेटवर्किंग डिवाइस के ग्राफिकल प्रबंध को …………….. कहते हैं।
(क) टोपोलॉजी
(ख) नेटवर्क
(ग) रिंग
(घ) केबल ।
उत्तर – (क) टोपोलॉजी
8. …………… टोपोलॉजी में एक तार होती है ।
(क) रिंग
(ख) स्टार
(ग) बस
(घ) ट्री।
उत्तर – (ग) बस
सही / ग़लत :
1. लैन (LAN) एक बहुत बड़े भौगोलिक क्षेत्र में होता है l
उत्तर – गलत
2. फुल डुप्लैक्स में सूचना दोनों दिशाओं में भेजी जाती है।
उत्तर – सही
3. प्रोटोकॉल डाटा संचार के समय प्रयोग होने वाला नियम है ।
उत्तर – सही
4. नेटवर्क हमें सिक्योरिटी प्रदान नहीं करता ।
उत्तर – सही
5. कम्प्यूटर की गिनती बढ़ने से नेटवर्क के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है
उत्तर – गलत
6. एक वर्क स्टेशन एक कम्प्यूटर होता है जो एक नेटवर्क के साथ जुड़ा होता है ।
उत्तर – सही
7. MAN नेटवर्क वह नेटवर्क होता है जो एक शहर या बड़े क्षेत्र में फैला होता है ।
उत्तर – सही
8. वह दर जिस पर LAN डाटा को बदलता है, गीगाबाइट प्रति सेकंड में होता है।
उत्तर – गलत
9. नेटवर्क इंटरफेस एकाई एक डिवाइस होता है जो सर्वर के साथ तथा समूह वर्क स्टेशन के साथ कनेक्शन जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है ।
उत्तर – सही
10. नेटवर्क संकल्प में यू०आर०एल० का अर्थ है यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर l
उत्तर – सही
11. 1 GBPS 1,000,000,00 बिट प्रति सेकंड के बराबर होता है ।
उत्तर – गलत
12. गाइडेड मीडिया हवा में ग़ैर मार्ग-दर्शक संचार माध्यम होता है ।
उत्तर – सही
13. हब वह डिवाइस होता है जो आपको बहुमुखी कम्प्यूटरों को एक जैसे नेटवर्क के साथ जोड़ने की आज्ञा प्रदान करता है।
उत्तर – सही
14. बैंडविडथ माध्यम की क्षमता होती है जिसमें सिग्नल का संचार होता है ।
उत्तर – सही
15. यदि किसी फाइल की कम्प्यूटर नेटवर्क में दो या अधिक कापियां हों तथा कोई एक कापी उपलब्ध न हो तो दूसरी कापी का प्रयोग किया जा सकता है ।
उत्तर – सही
छोटे उत्तरों वाले प्रश्न :
प्रश्न 1. राउटर क्या होता है ?
उत्तर – राउटर एक हार्डवेयर डिवाइस है जो डाटा प्राप्त करता है तथा उसका निरीक्षण करने के बाद उसे आगे दूसरे नेटवर्क पर भेजता है।
प्रश्न 2. नोडज़ क्लाईंट क्या होते हैं ?
उत्तर – क्लाईंट या नोड़ से अभिप्राय है वह कम्प्यूटर जो स्रोतों की साझेदारी के लिए नेटवर्क के साथ जुड़ा होता है। इनको वर्क स्टेशन भी कहा जाता है ।
प्रश्न 3. सर्वर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – सर्वर एक शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है। यह स्रोतों की साझेदारी में मदद करता है । यह सारे नोडज़ को कन्ट्रोल करता है।
प्रश्न 4. नेटवर्क के कौन-कौन से भाग होते हैं ?
उत्तर – नेटवर्क के निम्न भाग होते हैं
(1) क्लाईंट या नोड
(2) सर्वर
(3) नेटवर्क इंटरफेस कार्ड
(4) कम्यूनिकेशन चैनल।
प्रश्न 5. नेटवर्क कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर – नेटवर्क निम्न तीन प्रकार का होता है –
(1) लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)
(2) मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)
(3) वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) ।
प्रश्न 6. लोकल एरिया नेटवर्क क्या होता है ?
उत्तर – यह एक प्राईवेट नेटवर्क होता है । यह कुछ किलोमीटर, एक बिल्डिंग या एक संस्था के अन्दर का नेटवर्क होता है। यह फैक्टरियों तथा दफ्तरों में व्यक्तिगत कम्प्यूटर तथा वर्क स्टेशनों को जोड़कर सूचना का आदान-प्रदान करता है ।
प्रश्न 7. मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – यह वह नेटवर्क है जो सारे शहर में फैला होता है। उदाहरण के तौर पर केबल टी०वी० का नेटवर्क । इसका उद्देश्य यूज़र को कोई विशेष सेवा प्रदान करना होता है ।
प्रश्न 8. वाइड एरिया नेटवर्क क्या होता है ?
उत्तर – यह कई देशों में फैला नेटवर्क होता है । यह कम्प्यूटरों का एक ऐसा समूह होता है जो काफ़ी दूरी तक फैला होता है । यह कई LAN को आपस में जोड़ता है। इसकी कार्य की क्षमता काफ़ी तेज़ होती है।
प्रश्न 9. बस टोपोलॉजी क्या होती है ?
उत्तर – बस टोपोलॉजी में एक साझी तार होती है। इसके साथ अन्य कम्प्यूटरों तथा यन्त्रों को जोड़ा जाता है जिस कम्प्यूटर को सन्देश भेजना होता है वह इस बस की मदद से सन्देश भेजता है।
प्रश्न 10. रिंग तथा स्टार टोपोलॉजी में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
रिंग टोपोलॉजी |
स्टार टोपोलॉजी |
(1) सारे कम्प्यूटर एक रिंग आकार में जुड़े होते हैं ।
(2) केबल खराब होने से नेटवर्क बन्द हो जाता है।
(3) इसमें हब नहीं होती ।
(4) हब न होने से नेटवर्क बन्द नहीं होता ।
|
(1) कम्प्यूटर एक स्टार के आकार में जुड़े होते हैं।
(2) कोई केबल खराब होने से नेटवर्क बन्द नहीं होता ।
(3) इसमें केन्द्रीय हब होती है ।
(4) हब बन्द होने से नेटवर्क बन्द हो जाता है ।
|
प्रश्न 11. ट्री टोपोलॉजी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर—यह टोपोलॉजी एक ट्री के समान होती है। इस में बस तथा स्टार के गुण होते हैं। एक नोड के नीचे अन्य नोडज़ होती है ।
प्रश्न 12. प्रोटोकॉल क्या होते हैं ?
उत्तर – प्रोटोकॉल नियमों का सेट होता है। यह निश्चित यन्त्रों की सूचना भेजने की आज्ञा देता है। इसके बिना किसी भी प्रकार का कार्य सम्भव नहीं होता।
प्रश्न 13. एक अच्छे संचार चैनल में कौन-से गुण होने चाहिए ?
उत्तर – एक अच्छे संचार चैनल में निम्नलिखित गुण होने चाहिए –
(1) यह कम से कम लागत में डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लायक होना चाहिए।
(2) इसके द्वारा रास्ते में किसी भी प्रकार का शोर नहीं पैदा होना चाहिए।
(3) सैंडर (भेजने वाले) तथा प्राप्तकर्ता के बीच दूरी की कोई भी शर्त नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न 14. हब कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर – हब निम्नलिखित दो प्रकार की होती है-
1. एक्टिव हब – यह हब डाटा की निगरानी करती तथा कम्प्यूटर पोर्ट को व्यक्तिगत तौर पर समरूप करती है ।
2. पैसिव हब – यह हब डाटा की किसी भी प्रकार की निगरानी किए बिना उसे ट्रांसलेट करती है ।
प्रश्न 15. डाटा कम्युनिकेशन क्या होता है ?
उत्तर – जब दो या दो से अधिक कम्प्यूटर के बीच संचार माध्यम द्वारा डाटा का आदान-प्रदान किया जाता है – तो उसे डाटा कम्युनिकेशन कहा जाता है। जो यंत्र या डिवाइस सूचना को तैयार करता है तथा उसको भेजता है, उसे सैंडर या भेजने वाला कहा जाता है। जो यंत्र या डिवाइस डाटा को प्राप्त करता है उसे रिसीवर ( प्राप्तकर्ता) कहा जाता है।
प्रश्न 16. नैटवर्क से संबंधित मुख्य मुद्दे बताओ।
उत्तर – नेटवर्क से संबंधित मुख्य मुद्दे निम्न अनुसार होते हैं-
1. डिलीवरी – कोई भी नैटवर्क पहुंच स्थान तक डाटा को सही ढंग से भेज सकने के लायक होना चाहिए ।
2. शुद्धता – डाटा संचार किसी भी प्रकार के दोष से मुक्त होना चाहिए ।
3. समय की पाबंदी – डाटा पहुंच स्थान तक बिना किसी देरी के पहुंच जाना चाहिए।
प्रश्न 17. कम्युनिकेशन चैनल क्या होते हैं ?
उत्तर – एक स्थान से दूसरे स्थान तक डाटा के संचार के लिए प्रयोग किए जाने वाला माध्यम कम्युनिकेशन चैनल कहलाता है। डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए दो प्रकार के कम्युनिकेशन चैनल प्रयोग किए जाते हैं। पहले प्रकार का चैनल गाइडेड मीडिया कहलाता है तथा यह किसी-न-किसी प्रकार की तार का प्रयोग करता है जैसे कि ट्विस्टेड केबल (तार) तथा ऑप्टिकल फाइबर केबल। दूसरे प्रकार का चैनल डाटा को सभी दिशाओं में प्रदर्शित करता है तथा यह कितने प्रकार के तार का प्रयोग नहीं करता जैसे कि माइक्रोवेव, सेटेलाइट, रेडियो या इंफ्रारेड ।