PBN 9th Computer Science

PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 2 इंटरनैट एप्लीकेशन

PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 2 इंटरनैट एप्लीकेशन

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 2 इंटरनैट एप्लीकेशन

जान-पहचान (Introduction)

इंटरनेट आपस में जुड़े हुए कम्प्यूटर का विश्वव्यापी सिस्टम है। यह विभिन्न प्रकार के नेटवर्क तथा उपकरणों के साथ संचार करता है । यह एक काफ़ी विशाल नेटवर्क है। इसमें कई प्रकार के प्राइवेट, पब्लिक, अकादमिक, कारोबारी, लोकल तथा ग्लोबल नेटवर्क शामिल होते हैं । ये नेटवर्क आपस में कई प्रकार की टैक्नोलॉजी का प्रयोग करते हैं ।
इंटरनेट टेलीफोन की तारों तथा उपग्रहों का प्रयोग करके कम्प्यूटर के बीच डाटा संचार करता है । इंटरनेट के यूज़र कई प्रकार से जानकारी को साझा करते हैं। इंटरनेट पर कोई भी यूज़र, सर्च इंजन की मदद से, टैक्नोलॉजी, सेहत, विज्ञान, सामाजिक, अध्ययन, भौगोलिक जानकारी, सूचना टैक्नोलॉजी उत्पादों आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकता है।
संचार तथा जानकारी के अलावा इंटरनेट मनोरंजन का भी एक माध्यम है। इंटरनेट पर हमें कई प्रकार की ऑनलाइन गेम, वीडियोज़ तथा सोशल नेटवर्किंग वैबसाइट तथा ऐप्स मिल जाती हैं जिसके द्वारा यूज़र अपना मनोरंजन कर सकता है। इंटरनेट ई-कॉमर्स की सुविधा भी प्रदान करता है । इंटरनेट हमें कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है, जिनमें मुख्य हैं- इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन टिकट बुकिंग, ऑनलाइन बिल पेमेंट ई-मेल आदि ।

ई-मेल (E-mail)

ई-मेल इलैक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्त रूप है। इंटरनेट में प्रयोग होने वाली सबसे बड़ी सुविधा में से एक है। हम एक ई-मेल एड्रैस का प्रयोग करते हुए दुनिया में कहीं भी किसी भी यूज़र को संदेश भेज सकते हैं तथा उससे संदेश प्राप्त कर सकते हैं।
कम्प्यूटर यूज़र ई-मेल द्वारा एक या एक से अधिक लोगों को ई-मेल संदेश भेज सकता है। कुछ मुख्य वैबसाइट ई-मेल की सुविधा प्रदान करते हैं जैसे –
1. जी-मेल
2. याहू मेल
3. रेडिफमेल
4. हॉटमेल ।

कैप्चा कोड (Captcha Code)

कैप्चा कोड का अर्थ Completely Automated Public Turning Test to Tell Computer and Human Apart होता है। कम्प्यूटर में यह एक प्रकार का टैस्ट होता है जो यह निर्धारित करने के लिए प्रयोग किया जाता है कि वैब पेज का प्रयोग करने वाला यूज़र कोई एक मनुष्य है या नहीं ।
कैप्चा कोड को ज्यादातर वैबसाइट पर तैनात या लॉग-इन पेज पर प्रयोग किया जाता है । यह एक ऐसी तकनीक है जो वैबसाइट को सुरक्षित ढंग से प्रयोग करने में मदद करता है। इसको मनुष्य ही पढ़ सकते हैं। किसी भी मशीन के लिए इस टैस्ट को पास करना संभव नहीं होता क्योंकि इसमें प्रयोग होने वाला कोड किसी मशीन द्वारा नहीं समझा जा सकता तथा यह कोड कुछ समय बाद बदलता रहता है।

डाऊनलोडिंग तथा अपलोडिंग (Downloading and Uploading)

डाऊनलोडिंग (Downloading)

डाऊनलोडिंग का अर्थ है- किसी भी रिमोट कम्प्यूटर या किसी और कम्प्यूटर से डाटा को प्राप्त करके अपने कम्प्यूटर पर सेव करना । इसकी सहायता से इंटरनेट द्वारा विभिन्न फाइलों का आदान-प्रदान किया जाता है। हम इंटरनेट पर किसी भी फाइल को जो डाऊनलोडिंग की सुविधा प्रदान करता है, अपने कम्प्यूटर पर सेव कर सकते हैं। इसमें किसी भी प्रकार का डाटा शामिल हो सकता है, जैसे अध्ययन सामग्री, तस्वीरें, गाने, वीडियो आदि।

सॉफ्टवेयर को डाऊनलोड करना (Download Software)

किसी भी रिमोट सर्वर या वैबसाइट से किसी फाइल को अपने कम्प्यूटर पर सेव करने की प्रक्रिया को डाऊनलोडिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया में रिमोट सर्वर पर पड़ी हुई फाइल की एक कापी हमारे लोकल कम्प्यूटर पर सेव हो जाती है। किसी भी सॉफ्टवेयर को इस प्रक्रिया का प्रयोग करके डाऊनलोड किया जा सकता है। किसी भी सॉफ्टवेयर को डाऊनलोड करने के निम्नलिखित पग होते हैं –
1. दिए गए लिंक पर क्लिक करो ।
2. Open या Save पर क्लिक करो ।
3. डाऊनलोड को Confirm करो ।
4. सेव किए जाने की जगह का चुनाव करो ।
5. डाऊनलोड को आवश्यकतानुसार Open या Run करो ।

अपलोडिंग (Uploading)

अपलोडिंग डाऊनलोडिंग के विपरीत प्रक्रिया होती है अर्थात् अपने लोकल कम्प्यूटर से किसी भी फाइल को किसी रिमोट सर्वर पर सेव करने की प्रक्रिया को अपलोडिंग कहा जाता है । इस प्रक्रिया में लोकल कम्प्यूटर पर पड़ी हुई फाइल की एक कापी नेटवर्क की सहायता से रिमोट सर्वर को भेजी जाती है तथा दी गई लोकेशन पर सेव हो जाती है। अपलोडिंग किसी भी वैबसाइट को लाइव करने का अन्तिम पग होता है।

क्लाउड नेटवर्किंग तथा क्लाउड प्रिंटिंग (Cloud Networking and Cloud Printing)

क्लाउड शब्द इंटरनेट के लिए प्रयोग किया जाता है और इसका अर्थ है किसी रिमोट कम्प्यूटर पर भंडारण क्षमता। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि क्लाउड का अर्थ किसी रिमोट लोकेशन की उपस्थिति। क्लाउड पब्लिक तथा प्राइवेट नेटवर्क जैसे कि लोकल एरिया नेटवर्क, वाइड एरिया नेटवर्क की सेवाएं प्रदान करता है । इंटरनेट की सेवाएं जैसे कि ई-मेल, वैब कॉन्फ्रेंसिंग, रिलेशनशिप मैनेजमैंट आदि क्लाउड प्लेटफॉर्म पर ही लागू की जाती है।

क्लाउड नेटवर्किंग (Cloud Networking)

क्लाउड नेटवर्किंग का अर्थ है रिमोट लोकेशन से हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर से कार्य करना । यह तकनीक नेटवर्क पर ऑनलाइन डाटा संदेश भेजने तथा विभिन्न प्रकार की एप्लीकेशन संबंधित सुविधाएं प्रदान करती है । क्लाउड नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म की स्वतंत्रता प्रदान करती है। इसमें लोकल कम्प्यूटर पर इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर का प्रयोग नहीं किया जाता। सारे सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर विभिन्न वैबसाइट पर ही स्टोर होते हैं । नेटवर्क में बहुत सी चीजें शामिल होती हैं। यदि यूज़र को अपने सिस्टम में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है तो वह इसको बड़ी आसानी से इंटरनेट की सहायता से बदल सकता है ।

क्लाउड प्रिंटिंग (Cloud Printing)

क्लाउड प्रिंटिंग की बहुत सुविधा है जिसमें यूज़र क्लाउड या नेटवर्क का प्रयोग करके अपने साथ जुड़े हुए किसी प्रिंटर से प्रिंटिंग की सेवाएं ले सकता है। इसमें यूज़र अपने कम्प्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, फोन आदि उपकरणों को इंटरनेट द्वारा किसी विशेष उपकरण से जोड़ कर सीधा प्रिंटिंग भी कर सकते हैं तथा इंटरनेट की सहायता से भी प्रिंटिंग कर सकते हैं।
क्लाउड प्रिंटिंग सेवाओं में यूज़र कम्प्यूटर, स्मार्टफोन या टैबलेट के बीच प्रिंटिंग कार्य करने के लिए इंटरनेट का प्रयोग कर सकते हैं। इस तकनीक द्वारा यूज़र बिना ड्राइवर इंस्टॉलेशन के अपनी साइटों को कम्प्यूटर ब्राऊज़र की मदद से प्रिंट कर सकता है। इसमें प्रयोग होने वाला सॉफ्टवेयर इन फाइलों को इंटरनेट की मदद से उस प्रिंटर तक भेजता है जिस पर प्रिंट होने की कमांड दी जा रही है l

गूगल एप्स (Google Apps)

ऐप का अर्थ है – एप्लीकेशन । वास्तव में ऐप एक सॉफ्टवेयर ही होता है । यह ऐप इंटरनेट पर हमारे कम्प्यूटर, टेलीफोन या अन्य इलैक्ट्रिक, इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों पर कार्य करता है । ऐप शब्द का प्रयोग एक विशेष शब्द के रूप में किया जाता है परंतु यह ऐप कम्प्यूटर पर चलने वाले सॉफ्टवेयर के समान ही होती है। गूगल अपनी ऑनलाइन सेवाओं को एप्स के रूप में प्रदान करता है। गूगल इनकी सेवाओं को एक विशेष ग्रुप बना कर बेचता है जिनको गूगल ऐप कहा जाता है।
“गूगल एप्स” गूगल द्वारा तैयार की गई इंटरनेट आधारित एप्लीकेशन का एक समूह है जिसमें कई प्रकार की एप्लीकेशन शामिल हैं, जैसे कि ई-मेल, कैलेंडर, वर्ड प्रोसैसिंग, स्प्रेडशीट तथा प्रेजेंटेशन आदि ।

जीमेल (Gmail)

जीमेल गूगल द्वारा प्रदान की जाने वाली एक फ्री ई-मेल सेवा है । यह सेवा कई प्रकार के अन्य ई-मेल सेवा से मेल खाती है। इसका प्रयोग करके यूज़र दूसरे लोगों को ई-मेल भेज सकता है तथा उनकी ई-मेल प्राप्त कर सकता है। वह मेल को देख सकता है तथा एक एड्रेस बुक बना सकता है परंतु इसकी कुछ अन्य विशेषताएं भी हैं जो इसे अन्य ई – मेल सर्विस प्रोवाइडर से अलग बनाती हैं ।
1. नया अकाऊंट बनाना (Creating new E-mail Account)
गूगल में जीमेल सर्विस का प्रयोग करने के लिए उस पर एक अकाऊंट होना ज़रूरी है। एक अकाऊंट बनाकर उसको बार-बार प्रयोग किया जा सकता है । इसी अकाऊंट की सहायता से यूज़र अपना मेल चैक कर सकता है। अकाऊंट पर मेल चैक करने के लिए यूज़र को गूगल द्वारा एक यूज़रनेम, पासवर्ड प्रदान किया जाता है। जीमेल पर ई-मेल अकाऊंट बनाने के लिए निम्नलिखित पगों का प्रयोग किया जाता है—
  1. एक ब्राऊज़र ओपन कीजिए ।
  2. उसमें www.gmail.com टाइप कीजिए ।
  3. आपको जीमेल का होम पेज दिखाई देगा ।
  4. इस पेज पर एक तरफ साइन-इन का बटन दिखाई देगा।     
  5. क्योंकि अभी तक आपके पास गूगल अकाऊंट नहीं है तो इसलिए हमें गूगल अकाउंट बनाने की आवश्यकता पड़ेगी। नया गूगल अकाऊंट बनाने के लिए क्रिएट अकाऊंट (Create Account) पर क्लिक करें।
  6. इसके बाद एक फॉर्म दिखाई देगा जिस पर गूगल अकाऊंट तैयार करने के लिए आधारभूत जानकारी भरी जाएगी जैसे कि-
    1. आपका पहला नाम तथा आखिरी नाम |
    2. “Choose your username” में अपना यूज़र नाम रख सकते हैं जिसके द्वारा आप जीमेल में लॉग-इन करेंगे। यूज़र नाम एक विलक्षण नाम होता है जो पहले किसी ने न रखा हो । इस नाम की सहायता से ही हमारा ई-मेल एड्रैस बनेगा । जो यूज़रनेम हम यहां पर रखेंगे उसके साथ @gmail.com. लिखना है।               
    3. यूज़रनेम बना देने के बाद गूगल उसके साथ रखे जाने वाले पासवर्ड के बारे में पूछेगा। यह पासवर्ड भी दिए गए टैक्सट बॉक्स में टाइप किया जा सकता है। इसके साथ ही confirm passward डायलॉग बॉक्स होगा जिसमें गूगल पासवर्ड दोबारा टाइप करने के लिए कहेगा । दोबारा टाइप करने की आवश्यकता इसलिए होती है ताकि हमें पता चल सके कि पासवर्ड सही टाइप किया है ।
    4. उसके बाद अन्य आधारभूत जानकारी जैसे कि जन्म तारीख, लिंग, मोबाइल नंबर आदि पूछे जाएंगे।
    5. जब यह जानकारी दी जाती है तो उसके बाद “Next Page ” पर क्लिक करके अगले पेज पर जाया जा सकता है। अगले पेज पर जाने से पहले गूगल भरी गई सारी जानकारी को चैक करेगा यदि कुछ ग़लत भरा हुआ है तो वह उसके बारे में गलत संदेश दिखा देगा ।
    6. सारा कुछ सही होने पर अगले पेज पर हमें संदेश दिखाई देगा जो बताएगा कि हमारा जीमेल अकाऊंट बन चुका है ।
2. जीमेल अकाऊंट में लॉग-इन करना (Log-in-to Gmail Account)
जीमेल पर अपनी ई-मेल देखने के लिए उसमें सबसे पहले लॉग-इन किया जाता है । लॉग-इन करने के निम्नलिखित पग होते हैं –
  1. वैब ब्राऊज़र ओपन कीजिए ।
  2. उसमें www.gmail.com टाइप कीजिए ।
  3. जीमेल का होम पेज दिखाई देगा। उसमें एक तरफ साइन-इन का बटन आएगा।
  4. साइन-इन पर क्लिक करें ।
  5. अब नए पेज पर अपना यूज़रनेम तथा पासवर्ड भरें ।
  6. सही यूज़रनेम तथा पासवर्ड भरने के बाद जीमेल एक पेज दिखाएगा जिसमें यूज़र को आई हुई सारी मेल की लिस्ट होगी ।
  7. ई-मेल को देखने के लिए उस मेल पर माऊस द्वारा क्लिंक किया जाता है तथा उस ई-मेल का संदेश दिखाई देता है।
3. ई-मेल भेजना (Sending Email)
किसी भी यूज़र को ई-मेल भेजने के लिए सबसे पहले अपने ई-मेल अकाऊंट में लॉग-इन किया जाता है। लॉग-इन करने के बाद जीमेल का होम पेज दिखाई देता है जिसमें एक तरफ यूज़र को आई हुई मेल दिखाई देती है तथा बाईं तरफ कुछ बटन होते हैं।
1. इनमें सबसे ऊपर Compose बटन होता है, जिसका प्रयोग नई ई-मेल भेजने के लिए किया जाता है।
2. कंपोज बटन पर क्लिक करने के बाद एक छोटी विंडो खुल जाती है जिसमें ई-मेल भेजने के विकल्प दिए जाते हैं जो निम्नानुसार हैं
  1. प्राप्तकर्ता “To” इस बॉक्स में वह सभी ई-मेल अकाऊंट टाइप किए जाते हैं जिनको यूज़र ई-मेल भेजना चाहता है। इन सभी ई-मेल अकाऊंट को (,) कामा की सहायता से अलग किया जाता है।
  2. “CC” इस बॉक्स में वह ई-मेल अकाऊंट टाइप किए जाते हैं जिनको आप संदेश की एक कापी भेजना चाहते हैं ।
  3. “Bcc” इस बॉक्स में वह सभी ई-मेल अकाऊंट टाइप किए जाते हैं जिनको यूज़र चाहता है कि संदेश की एक कापी मिले, पर बाकी प्राप्तकर्ता को यह न पता चले कि इनको भी ई-मेल भेजी गई है। “Bcc” का अर्थ होता है – Blind Carbon Copy.
3. विषय (Subject) इस टैक्सट बॉक्स में ई-मेल संदेश का विषय टाइप किया जाता है।
4. जीमेल के बाकी कंटैंट विषय टैक्सट बॉक्स के नीचे एक खाली विंडो दिखाई देती है जिसमें ई-मेल द्वारा भेजे जाने वाला सारा संदेश टाइप किया जाता है । मूल रूप से यह विंडो एच० टी० एम० एल० फॉर्मेट में संदेश दिखाई देता है। इसमें वर्ड डॉक्युमैंट की तरह ही टाइपिंग की जा सकती है।
5. ई-मेल संदेश के साथ फाइलें अटैच करना – यूज़र ई-मेल की सहायता से किसी भी व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की फाइलें भी भेज सकता है। इन फाइलों को भेजने के लिए ई-मेल के साथ अटैच किया जाता है। इसके लिए ई-मेल करते समय उसमें अटैच बटन आता है उस पर क्लिक किया जाता है। उसके बाद एक डायलॉग बॉक्स दिखाई देता है जिसमें भेजने वाली फाइल का चुनाव किया जाता है। इससे वह फाइल ई-मेल के साथ अपलोड कर दी जाती है। जब हम ई-मेल भेजते हैं तो यह फाइल भी उसी के साथ चली जाती है। संदेश टाइप हो जाने के बाद Send बटन पर क्लिक किया जाता है। इससे हमारी ई-मेल सभी प्राप्तकर्ता तक पहुंच जाती है ।
4. ई-मेल पढ़ना ( Reading Email)
किसी भी यूज़र को प्राप्त हुई सारी जीमेल उसके इनबॉक्स में स्टोर हो जाती है। जीमेल सभी यूज़र के अकाऊंट में प्राप्त होने वाली ई-मेल की जानकारी इकट्ठा करती रहती है। जैसे ही कोई नई ई-मेल आती है वह उस व्यक्ति के ई-मेल अकाऊंट में दिखाई देने लगती है। ई-मेल संदेश पढ़ने के लिए सबसे पहले उस ई-मेल अकाऊंट में लॉग- -इन किया जाता है। लॉग-इन करने के बाद हमें प्राप्त हुई सारी ई-मेल लिस्ट दिखाई देती है।
जीमेल इंटरफ़ेस हमें उस लिस्ट में किसी ई – मेल से संबंधित संक्षिप्त जानकारी प्रदान करता है जिसमें –
1. भेजने वाले का नाम
2. विषय
3. संदेश के कुछ पहले शब्द
4. ई-मेल प्राप्ति की तारीख़ तथा समय दिखाई देता है।
किसी भी ई-मेल का सारा संदेश पढ़ने के लिए उसकी मेल पर क्लिक किया जाता है। क्लिक करने के बाद ई-मेल एक नई विंडो में खुल जाती है जिसमें उसका सारा संदेश विस्तार से दिखाई देता है। इसी के साथ उसी मेल में अटैच की गई फाइल भी दिखाई देती है। उन फाइलों पर क्लिक करके उनको डाऊनलोड भी किया जा सकता है ।

गूगल कैलेंडर (Google Calender)

गूगल कैलेंडर गूगल द्वारा बनाई गई एक समय प्रबंधन संबंधी वैब एप्लीकेशन और मोबाइल ऐप है । इस ऐप का प्रयोग करने के लिए यूज़र के पास गूगल अकाऊंट होना ज़रूरी है। गूगल कैलेंडर मल्टीपल कैलेंडर की सुविधा भी प्रदान करता है। इस कैलेंडर को पढ़ने के लिए या मैनेज करने के लिए अथवा शेयर करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। इस कैलेंडर का प्रयोग पब्लिक कैलेंडर के तौर पर भी किया जा सकता है। गूगल कैलेंडर यूज़र को बनाने तथा इंवैंट को मैनेज करने की सुविधा प्रदान करता है । इसके साथ ही प्रत्येक इवैंट में बहुत सारे विकल्प प्रदान किए जाते हैं । इन विकल्पों का प्रयोग यूज़र अपनी सुविधा अनुसार कर सकता है।

गूगल मैप्स (Google Maps)

गूगल मैप्स गूगल द्वारा तैयार की गई एक वैब मैपिंग एप्लीकेशन है। इसमें सैटेलाइट इमेज़री, गलियों के नक्शे, सड़कों का 360° पैनोरैमिक व्यू, रियल-टाइम ट्रैफिक स्थिति तथा पैदल, कार, दुपहिया वाहन आदि से संबंधित जानकारी पेश की जाती है। गूगल मैप्स एंड्रायड तथा iOS दोनों के लिए उपलब्ध है। इसकी सहायता से हम दो स्थानों के बीच की दूरी भी पता कर सकते हैं। किसी भी यात्री के लिए गूगल मैप्स बहुत ही सुविधाजनक ऐप है। किसी स्थान पर पहुंचने के लिए इस ऐप Google Maps का प्रयोग कदम दर कदम किया जा सकता है। गूगल मैप्स हमें अन्य कई प्रकार की सुविधाएं भी प्रदान करता है ।

गूगल ट्रांसलेट (Google Translate)

गूगल ट्रांसलेट गूगल की एक बहु भाषाई न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन सेवा है । इसके द्वारा टैक्सट, डॉक्यूमैंट तथा वैबसाइट के कंटैंट को एक भाषा से दूसरी भाषा में ट्रांसलेट किया जा सकता है। गूगल ट्रांसलेट एक मुफ्त सेवा है। इसको अंग्रेज़ी, हिंदी, पंजाबी तथा अन्य 100 भाषाओं में शब्दों, वाक्यांशों, वैब पेजों का अनुवाद करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है ।

गूगल डॉक्स (Google Docs)

गूगल डॉक्स एक ऑनलाइन वर्ड प्रोसैसर है। इसकी सहायता से कोई भी यूज़र ऑनलाइन दस्तावेज़ बना सकता है । यह लगभग सारी सुविधाएं प्रदान करता है जो एक आम वर्ड प्रोसैसर में होती है। गूगल डॉक्स अपने यूज़र को ऑनलाइन दस्तावेज़ शेयरिंग की सुविधा भी प्रदान करता है । यह ऑनलाइन शेयरिंग रियल टाइम पर आधारित भी हो सकती है। इसमें सारे यूज़र एक ही समय पर एक दस्तावेज़ पर कार्य कर सकते हैं तथा सभी को यही प्रतीत होता है कि वह अकेले ही कार्य कर रहे हैं । इस प्रकार सारे E यूज़र मिलकर एक कॉमन दस्तावेज़ का उत्पादन कर सकते हैं। सभी यूज़र द्वारा किए जाने वाले कार्य उसी समय दस्तावेज में अपडेट हो जाते हैं तथा दूसरों को भी दिखाई देने लगते हैं। गूगल डॉक्स में संपादित किया जाने वाला दस्तावेज अपने आप ही सेव होता रहता है ।

गूगल शीट्स (Google Sheets)

माइक्रोसॉफ्ट एक्सल की तरह ही गूगल शीट्स भी एक स्प्रेडशीट वैब एप्लीकेशन है। इसका प्रयोग यूज़र विभिन्न प्रकार का डाटा संभालने तथा विश्लेषण करने के लिए कर सकता है। यह स्प्रैडशीट प्रोग्राम यूज़र को नई स्प्रेडशीट बनाने, अपडेट करने, एडिट करने तथा रियल टाइम में ऑनलाइन डाटा शेयर करने की सुविधा प्रदान करता है। गूगल शीट में तैयार की गई स्प्रेडशीट को अन्य किसी भी प्रकार की स्प्रेडशीट फॉर्मेट में सेव किया जा सकता है तथा डाऊनलोड भी किया जा सकता है ।

गूगल स्लाइड्ज़ (Google Slides) 

गूगल स्लाइड्ज़ एक ऑनलाइन प्रेजेंटेशन ऐप है जो यूज़र को अपने विचारों को विजुअल तरीके से पेश करने में मदद करता है। यह एप्लीकेशन माइक्रोसॉफ्ट पावरप्वाइंट की तरह ही कार्य करती है। इसमें भी यूज़र टैक्सट, तस्वीरें, ऑडियो तथा वीडियो फाइलों को प्रेजेंटेशन में ऐड कर सकता है। इसके साथ यह एप्लीकेशन विभिन्न योजनाओं को एक समय पर एक ही प्रेजेंटेशन पर कार्य करने की सुविधा भी प्रदान करती है । इस प्रेजेंटेशन को इंटरनेट की सहायता से किसी भी डिवाइस पर वैब ब्राऊज़र की सहायता से देखा भी जा सकता है ।

गूगल फॉर्म (Google Form)

गूगल फॉर्म एक ऑनलाइन एप्लीकेशन है जो यूज़र को विभिन्न प्रकार के फॉर्म बनाने में मदद करती है। इन फॉर्म का प्रयोग सर्वेक्षण, रजिस्ट्रेशन फॉर्म आदि बनाने के लिए किया जा सकता है। इस फॉर्म के द्वारा इकट्ठी की गई जानकारी एक स्प्रेडशीट में सेव होती रहती है । इस शीट को यूज़र अपनी सुविधा अनुसार विश्लेषण के लिए प्रयोग कर सकता है तथा इसको डाऊनलोड भी किया जा सकता है । इस शीट को अन्य स्प्रेडशीट फॉर्मेट से भी डाऊनलोड़ किया जा सकता है ।

गूगल साइटस (Google Sites)

गूगल साइटस गूगल की एक एप्लीकेशन है जो यूज़र को अपनी खुद की वैबसाइट बनाने में मदद करती है। वैबसाइट बनाने के लिए यूज़र को किसी भी प्रकार की कोडिंग की आवश्यकता नहीं होती । वह सारी वैबसाइट विजुअल तरीके से बना सकता है। बनाई गई वैबसाइट उसी समय इंटरनेट पर प्रदर्शित की जा सकती है। इसमें वह सारे विकल्प भी सैट किए जा सकते हैं जैसे कि कौन हमारी वैबसाइट का प्रयोग कर सकता है तथा कौन इस वैबसाइट का प्रयोग नहीं कर सकता। यह एप्लीकेशन गूगल की अन्य एप्लीकेशनज़ की तरह ही एक समय पर विभिन्न लोगों को वैबसाइट बनाने की सुविधा प्रदान करती है। सभी लोगों द्वारा किया जाने वाला कार्य दूसरे लोगों को उसी समय दिखाई देने लगता है तथा किया गया कार्य अपने आप सेव हो जाता है ।

गूगल फोटोज़ (Google Photos)

गूगल फोटोज़ गूगल द्वारा तैयार की गई फोटो शेयरिंग तथा स्टोर करने की एक सुविधा है। इसकी शुरुआत 2015 में की गई थी । यह एंड्रायड तथा आई० ओ० एस० दोनों उपकरणों पर कार्य करती है। एंड्रायड मोबाइल के लिए यह एक ऑटोमैटिक बैकअप के तौर पर भी प्रयोग की जाती है । इस एप्लीकेशन के द्वारा यूज़र अपने मोबाइल फोन पर क्लिक की गई सारी तस्वीरें तथा वीडियोज़ का प्रबंधन कर सकता है तथा साथ ही इन वीडियोज़ को दूसरे लोगों के साथ भी शेयर कर सकता है।

गूगल लैंस (Google Lens)

गूगल लैंस एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित टैक्नोलॉजी है। इसका प्रयोग स्मार्टफोन तथा मशीन लर्निंग द्वारा कैमरे की सहायता से किसी भी वस्तु का पता लगाने के लिए किया जाता है । इसके साथ ही यह उस वस्तु को समझने में भी सहायता करती है। इस ऐप की सहायता से स्कैनिंग, ट्रांसलेशन, खरीदारी तथा अन्य बहुत प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं। गूगल लैंस में निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं –
  1. गूगल लैंस मोबाइल फोन द्वारा टैक्सट को स्कैन करके ट्रांसलेट करने की सुविधा प्रदान करता है। यह ऑफलाइन भी कार्य कर सकता है।
  2. यह स्मार्ट टैक्सट सिलैक्शन की इजाज़त भी देता है। फोन के कैमरे द्वारा टैक्सट को स्कैन करके तथा फिर उसको गूगल लैंस के अंदर हाइलाइट करके टैक्सट को अपने फोन में प्रयोग करने के लिए कापी भी किया जा सकता है।
  3. यह स्मार्ट टैक्सट सर्च की आज्ञा भी प्रदान करता है। जब गूगल लैंस में टैक्सट को हाइलाइट किया जाता है तो गूगल सर्च इंजन में टैक्सट को सर्च करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी शब्द की परिभाषा देखना चाहते हैं तो इस टूल की सहायता से उसको स्कैन करके प्रयोग किया जा सकता है ।
  4. यह किसी भी तरह की वस्तु पर कार्य करता है, जिसके बारे में आप सोच सकते हैं, खरीदारी कर सकते हैं तथा रिव्यू कर सकते हैं ।
  5. गूगल लैंस प्रश्नों को स्कैन करके उनके उत्तर देने की सुविधा भी प्रदान करता है ।
  6. गूगल लैंस हमारे चारों तरफ की वस्तुओं को समझने तथा उनको पहचानने की सुविधा भी प्रदान करता है ।

गूगल मीट (Google Meet)

गूगल मीठ गूगल की एक वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग सेवा है । इसकी सहायता से यूज़र कहीं भी बैठे इंटरनेट की सहायता से दूसरे लोगों के साथ ऑनलाइन मीटिंग कर सकते हैं । यह सुविधा ऑडियो तथा वीडियो दोनों प्रकार की कॉल करने की सहूलियत प्रदान करती है । यह ऐप आम व्यक्तियों तथा कारोबार करने वाले, दोनों प्रकार के लोगों द्वारा प्रयोग की जाती है। गूगल मीट एंड्रायड तथा iOS प्रकार के स्मार्ट फोनों पर उपलब्ध है। ऑनलाइन स्कूल क्लासेस चलाने के लिए गूगल मीट एक बहुत बढ़िया एप्लीकेशन है।

गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store)

गूगल प्ले स्टोर एंड्रायड आप्रेटिंग सिस्टम पर आधारित सभी प्रकार की एप्लीकेशन का एक ऑनलाइन स्टोर है। इसका प्रयोग स्मार्टफोन, टैबलेट, गूगल टीवी आदि पर किया जा सकता है । इस ऐप का प्रयोग करके यूज़र विभिन्न प्रकार की ऐप, संगीत, किताबें, फिल्म आदि खरीदने तथा डाऊनलोड करने के लिए कर सकता है। गूगल प्ले स्टोर एंड्रायड डिवाइस पर पहले से ही इंस्टॉल होता है । जिस भी यूज़र के पास गूगल का एक अकाऊंट होगा वह इसका प्रयोग आसानी से कर सकता है । इसके साथ गूगल प्ले स्टोर तीसरे व्यक्ति द्वारा तैयार की गई एप्लीकेशन को खरीदने, डाऊनलोड करने तथा इंस्टॉल करने की आज्ञा भी देता है ।

गूगल ड्राइव (Google Drive )

गूगल ड्राइव गूगल द्वारा तैयार की गई एक अन्य सुविधा है। इसका प्रयोग फाइलों को ऑनलाइन स्टोर करने तथा शेयर करने के लिए किया जाता है । इस सेवा की शुरुआत अप्रैल, 2012 में की गई थी। इसके द्वारा डाटा को ऑनलाइन स्टोर किया जा सकता है। गूगल 15 GB की मुफ्त सुविधा प्रदान करता है । यह सुविधा कोई भी गूगल अकाऊंट तैयार करने के साथ ही दे दी जाती है । इसके अलावा यदि कोई यूज़र और ज़्यादा स्टोर क्षमता चाहता है तो उसको भी फीस देकर खरीदा जा सकता है ।

1. गूगल ड्राइव के लाभ (Advantages of Google Drive)

गूगल ड्राइव के लाभ निम्न अनुसार हैं-
1. गूगल ड्राइव यूज़र को जीमेल की सहायता से सीधे ही फाइलें भेजने की सुविधा प्रदान करता है ।
2. गूगल ड्राइव यूज़र को अपनी फाइलों को रिमोट एक्सैस करने की सुविधा भी प्रदान करता है ।
3. गूगल ड्राइव पर सेव की गई फाइलें ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं।
4. गूगल ड्राइव की अपनी एक मोबाइल एप्लीकेशन भी है, जिसका प्रयोग स्मार्टफोन तथा आईफोन पर किया जा सकता है ।
5. गूगल ड्राइव में एक प्रभावशाली सर्च इंजन बना हुआ है जिसका प्रयोग करके यूज़र अपनी फाइलों को आसानी से ढूंढ सकता है।
6. गूगल ड्राइव आप्टीकल करैक्टर रिकॉग्रिशन (OCR) फंक्शन प्रदान करता है । इसकी सहायता से हम किसी भी स्कैन किए गए दस्तावेज़ को वर्ड डॉक्यूमैंट में बदल सकते हैं । उदाहरण के तौर पर किसी अखबार में लिखे गए लेख को आप गूगल ड्राइव पर स्कैन कर सकते हैं, उसमें अपने कंटैंट को ढूंढ सकते हैं।
7. गूगल ड्राइव यूज़र को कई प्रकार की फाइलों को स्टार्ट तथा खोलने की सुविधा प्रदान करता है ।

2. गूगल ड्राइव फाइलों को गूगल ड्राइव से शेयर करना (Sharing Files with Google Drive)

गूगल ड्राइव की सहायता से निम्नलिखित पगों का प्रयोग करके हम अपनी फाइलों को शेयर कर सकते हैं –
1. सबसे पहले अपने जीमेल अकाऊंट की सहायता से गूगल ड्राइव ओपन करें l
2. गूगल ड्राइव में दिखाई दे रही फाइलों में से उस फाइल का चयन करें जिसको आप दूसरों के साथ शेयर करना चाहते हैं ।
3. गूगल ड्राइव के इस पेज पर बाईं तरफ शेयर आइकन दिखाई देगा । उस पर क्लिक करें ।
4. शेयरिंग डायलॉग बॉक्स में उन लोगों के ई-मेल एड्रैस टाइप करें जिनसे फाइल को आप शेयर करना चाहते हैं। एक साथ हम ज्यादा लोगों के साथ भी फाइल शेयर कर सकते हैं ।
5. एक टैक्सट बॉक्स के बाएं तरफ एक ड्रॉप-डाऊन एरो पर क्लिक करके यूज़र को दिए जाने वाले एक्सैस लैवल का चयन करें। गूगल तीन प्रकार के एक्सैस लैवल की सुविधा प्रदान करता है .
  1. एडिटर (Editor) – इस लैवल की सहायता से यूज़र फाइलों तथा फोल्डर के कंटैंट को एडिट कर सकता है तथा इसको दूसरों के साथ शेयर कर सकता है।
  2. कमेंट ( Comment) – इस लैवल की सहायता से यूज़र उन फाइलों पर कमेंट कर सकता है तथा किए गए कमेंट को देख भी सकता है।
  3. व्यूअर (Viewer) — इस लैवल की सहायता से यूज़र फाइलों को देख सकता है पर उनमें किसी भी प्रकार की एडिटिंग नहीं कर सकता ।
6. एक्सैस लैवल को सैट करने के बाद सेंड (Send) बटन पर क्लिक करो। यूज़र को एक ई-मेल प्राप्त होगी जिसमें उसे बताया जाएगा कि उसके साथ यह वाली फाइल शेयर की गई है।
7. यदि यूज़र एक साथ कई फाइलों को शेयर करना चाहता है तो यह कार्य गूगल ड्राइव पर सभी फाइलों को एक साथ सिलैक्ट करके भी कर सकता है।

डिजी लॉकर (DigiLocker)

डिजी लॉकर एक इंडियन डिजिटलाइज़ेशन ऑनलाइन सर्विस है। इसकी शुरुआत भारत सरकार के इलैक्ट्रानिक तथा सूचना टैक्नोलॉजी मंत्रालय द्वारा डिजिटल इंडिया पहल के तहत की गई है। डिजी लॉकर अपने उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार के दस्तावेज़ों को ऑनलाइन स्टोर करने की सुविधा प्रदान करता है । यह सुविधा यूज़र के आधार कार्ड के साथ जुड़ी होती है। इसके लिए यूज़र को डिजी लॉकर पर पहले रजिस्ट्रेशन करनी होती है जिसमें उसके आधार कार्ड का प्रयोग किया जाता है। एक बार रजिस्ट्रेशन कर लेने के बाद यूज़र उसमें कभी भी लॉग-इन कर सकता है तथा अपने दस्तावेजों की स्कैन DigiLocker कापी अपलोड कर सकता है । यह सुविधा किसी भी यूज़र को 1 गीगाबाइट (GB) की स्टोरेज सुविधा प्रदान करती है।
मौजूदा समय में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा तथा अन्य कई शिक्षा बोर्ड द्वारा विद्यार्थियों को डिजी लॉकर की सहायता से दसवीं तथा बारहवीं कक्षा के सर्टीफिकेट डाऊनलोड करने की सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही उन विद्यार्थियों को इन सर्टीफिकेट को विभिन्न एजेंसियों के साथ शेयर करने की सुविधा भी प्रदान की जाती है।

डिजी लॉकर के उद्देश्य (Objectives of DigiLocker)

भारत सरकार द्वारा जिन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर डिजी लॉकर की शुरुआत की गई थी वह इस प्रकार हैं-
  1. देश के नागरिकों में डिजिटल सशक्तिकरण की क्षमता पैदा करना ।
  2. दस्तावेज़ों के भौतिक प्रयोग को कम करना तथा दस्तावेज़ों को इलैक्ट्रानिक तरीके से उपलब्ध करवा कर हस्ताक्षर जैसी विशेषताओं का प्रयोग करने लायक बनाना ।
  3. डिजी लॉकर ऑनलाइन अपलोड किए गए दस्तावेजों की प्रामाणिकता बढ़ाएगा तथा जाली दस्तावेजों के प्रयोग को कम करेगा ।
  4. वैब एप्लीकेशन तथा मोबाइल एप्लीकेशन द्वारा इस सुविधा को आसानी से प्रयोग करना ।
  5. सरकारी विभागों तथा एजेंसियों के प्रबंध का भार कम करना ।
  6. क्लाउड के ऊपर ऑनलाइन उपलब्ध दस्तावेजों को भारतीय नागरिक अपने दस्तावेजों को कहीं भी किसी भी समय प्रयोग कर सकते हैं ।
  7. दस्तावेज़ों को आसानी से शेयर करना ।
  8. यूज़र के डाटा की गोपनीयता तथा आधिकारित एक्सैस को बनाए रखना ।

इंटरनेट खतरे तथा सुरक्षा (Internet Threats and Security)

इंटरनेट एक ऐसी सुविधा है जिस पर बहुत से खतरे हर समय मंडराते रहते हैं। कई प्रकार के अपराधी – साइबर क्राइम के लिए वर्ल्ड वाइड वैब का प्रयोग करते हैं। इंटरनेट खतरों को वैब खतरे भी कहा जाता है। इन खतरों में कई प्रकार के मालवेयर तथा धोखाधड़ी आदि शामिल होते हैं। इन खतरों में ई-मेल द्वारा भेजे जाने वाले लिंक तथा मालवेयर अटैचमैंट आदि हो सकते हैं। साइबर अपराधी जानकारी बेचने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करते हैं ।

इंटरनेट खतरे (Internet Threats)

इंटरनेट असल में निजी तथा सुरक्षित है पर सुरक्षा के कई गंभीर जोखिम भी होते हैं । इंटरनेट पर कुछ खतरे निम्न अनुसार हैं –
  1. वायरस (Virus) – वायरस (Virus) का पूरा नाम Vital Information Resource Under Siege है । कम्प्यूटर वायरस एक कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है जो कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर तथा डाटा को नुकसान पहुंचा सकता है। यह अपने आप दूसरे कम्प्यूटर पर पहुंच सकता है तथा अपने आप ही कापी भी तैयार कर सकता है। जब कभी एक कम्प्यूटर पर वायरस आ जाता है तो यह कम्प्यूटर पर कई प्रकार के .हानिकारक कार्य कर सकता है जिसमें डाटा तथा फाइलें खराब करना शामिल होता है।
  2. स्पाईवेयर (Spyware) – स्पाईवेयर एक खतरनाक प्रोग्राम होता है जो हमारे डिवाइस में दाखिल होने के लिए तैयार रहता है । यह हमारे कम्प्यूटर से डाटा एकत्रित करता है तथा उस को हमारी सहमति के बगैर किसी तीसरे व्यक्ति को भेज देता है। एक बार जब हमारा कम्प्यूटर स्पाईवेयर प्रोग्राम से प्रभावित हो जाता है तो इसकी यूजर को जानकारी नहीं होती तथा वह इसके बिना ही सूचनाएं इकट्ठी करनी शुरू कर देता है। कुछ स्पाईवेयर प्रोग्राम कम हानिकारक होते हैं तथा बहुत ही आम जानकारी एकत्रित करते हैं परंतु कई प्रकार के स्पाईवेयर प्रोग्राम बहुत ही खतरनाक होते हैं। यह प्रोग्राम की स्ट्रोक का रिकॉर्ड इक्ट्ठा करते रहते हैं जिसकी सहायता से वह यूजर द्वारा प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न पासवर्ड का एक समूह तैयार कर लेते हैं तथा उसको किसी तीसरे व्यक्ति को भेज देते हैं। इसी तकनीक का प्रयोग करके यह प्रोग्राम किसी भी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड नंबर तथा उससे संबंधित अन्य जानकारी को भी चुरा सकते हैं। स्पाईवेयर अक्सर हमारी संस्था में उस समय दाखिल हो जाते हैं जब हम किसी भरोसेलायक स्रोत से कोई मुफ्त सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर लेते हैं। सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने के साथ ही यह स्पाईवेयर भी हमारे कम्प्यूटर में इंस्टॉल हो जाते हैं। इन प्रोग्राम के इंस्टॉल होने का हमारे कम्प्यूटर एंटीवायरस प्रोग्राम को भी पता नहीं चलता।
  3. ट्रोजन हॉर्स (Trojan Horse ) — ट्रोजन हॉर्स को अक्सर ट्रोजन भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का मालवेयर प्रोग्राम होता है जो कम्प्यूटर को अनधिकृत रिमोट एक्सैस प्रदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है। ट्रोजन अपने आप को वायरस की तरह दोहराने की क्षमता नहीं रखता। ट्रोजन हॉर्स बनाने वाले व्यक्ति को कम्प्यूटर कंट्रोल करने की क्षमता प्रदान करता है । ट्रोजन हॉर्स शब्द का नाम ट्रोजन युद्ध की यूनानी कहानी से लिया गया है जिसमें यूनानियों ने एक बड़े लकड़ी के घोड़े का प्रयोग करके ट्रोजन शहर में शांति की पेशकश की थी । ट्रोजन शहर ने शांति की पेशकश को स्वीकार करते हुए उस लकड़ी के घोड़े को अपने बंद दरवाजों के अंदर दाखिल होने की इजाज़त दे दी तथा बाद में जब रात हुई तो लकड़ी के घोड़े में छुप कर बैठे हुए सिपाही बाहर आ गए तथा उन्होंने बंद दरवाज़े खोल दिए जिसके साथ यूनानी फौज को ट्रॉय शहर में घुसपैठ करने तथा उस शहर को अपने कब्जे में लेने का मौका मिल गया ।
  4. फिशिंग घोटाले ( Phishing Scams ) – फिशिंग ई-मेल द्वारा धोखाधड़ी करने की एक विधि है। इसका प्रयोग धोखा करने वाला व्यक्ति निजी तथा वित्तीय जानकारी इकट्ठा करने के लिए करता है । इसके लिए वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को एक ई-मेल भेजता है । इस ई-मेल में जाने-पहचाने व्यक्ति तथा भरोसेमंद वैबसाइटों के लिंक होते हैं। इन लिंक पर क्लिक करते ही संवेदनशील जानकारी जैसे कि लॉग-इन की डिटेल आदि उस व्यक्ति को भेज दी जाती है । इस प्रकार के फिशिंग घोटाले में कुछ समस्याओं का विवरण दिया जाता है जिसकी पुष्टि के लिए आपको अपने खाते में लॉग-इन करने की आवश्यकता होती है। आमतौर पर इन संदेशों में लोकल तथा रस्मी भाषा का प्रयोग किया जाता है। सारे संदेश इस प्रकार दिखाई देते हैं जैसे कि वह किसी असल स्रोत से आया हो । जब यूज़र उस लिंक पर क्लिक करते हैं तो एक वैब पेज़ खुल जाता है जो कि अधिकारिक वैब पेज नहीं होता । जब यूज़र इस अन अधिकारिक वैब पेज पर अपनी जानकारी डालता है तो वह सारी जानकारी फिशिंग मेल भेजने वाले व्यक्ति के पास पहुंच जाती है तथा वह उसका किसी भी प्रकार से प्रयोग कर सकता है। इस प्रकार की फिशिंग मेलज़ आमतौर पर वित्तीय जानकारी लेने के लिए प्रयोग की जाती है ।

इंटरनेट सुरक्षा (Internet Security)

इंटरनेट सुरक्षा से अभिप्राय उन सभी सॉफ्टवेयर या रोकथाम के उपायों से है जो हमारे कम्प्यूटर को इंटरनेट खतरों से बचा सकते हैं । इस उद्देश्य के लिए कुछ आम प्रयोग में आने वाले साधन तथा तकनीक आगे दिए अनुसार है –
  1. एंटीवायरस (Anti-Virus) — इंटरनेट के खतरे जैसे कि कम्प्यूटर वायरस तथा अन्य मालवेयर से निपटने का सबसे आसान तरीका एंटीवायरस सॉफ्टवेयर होते हैं। एंटीवायरस सॉफटवेयर कम्प्यूटर सिस्टम को •वायरस तथा अन्य नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर से बचा कर रखता है । यह वायरस संक्रमित फाइलों को इंटरनेट से डाऊनलोड करने आदि के दौरान उन फाइलों को Scan करता है तथा यदि उनमें कोई वायरस होता है तो वह उन्हें डिलीट कर देता है। इसी के साथ वह हमारे कम्प्यूटर में हर समय चलता रहता है तथा कम्प्यूटर की गतिविधियों पर निगरानी भी रखता है। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर हमारे कम्प्यूटर के विभिन्न भागों में से वायरस को ढूंढने तथा उसको खत्म करने में सहायता भी करता है। नॉर्टन एंटीवायरस, कैस्परस्काई, अवीरा, मैकैफे आदि कुछ आम प्रयोग होने वाले एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के नाम हैं।
  2. एंटी स्पाईवेयर (Anti-Spyware) — एंटी स्पाईवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो अनचाहे स्पाईवेयर प्रोग्राम को ढूंढने तथा उनको खत्म करने के लिए प्रयोग किया जाता है। स्पाईवेयर प्रोग्राम को खत्म करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि जब हम इन प्रोग्राम को खत्म करना चाहते हैं तो यह दोबारा प्रोग्राम को अपने आप इंस्टॉल कर लेता है । इसका मुकाबला करने के लिए एक समर्पित स्पाईवेयर मैनेजमैंट टूल का प्रयोग किया जाता है। कुछ एंटीवायरस सॉफ्टवेयर स्पाईवेयर मैनेजमैंट टूल की सुविधा भी प्रदान करते हैं ।
  3. ट्रोजन हॉर्स की रोकथाम (Prevention from Trojan Horse) — ट्रोजन हॉर्स से अपने कम्प्यूटर को बचाने के लिए हमें उन स्रोतों से सॉफ्टवेयर डाऊनलोड तथा इंस्टॉल नहीं करना चाहिए जिनके बारे में हम नहीं जानते। कोई भी अनजान या अविश्वासी स्रोत से प्राप्त होने वाली ई-मेल अटैचमैंट या प्रोग्राम को ओपन नहीं करना चाहिए । हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे कम्प्यूटर में ट्रोजन एंटीवायरस वैलिड लाइसेंस के साथ इंस्टॉल किया गया है । इसकी सहायता से हम ट्रोजन हॉर्स को अपने कम्प्यूटर में दाखिल होने से रोक सकते हैं ।
  4. फिशिंग घोटाले की रोकथाम (Prevention from Phishing Scam) – फिशिंग घोटाले से अपने आप को बचाने के लिए ई-मेल द्वारा प्राप्त होने वाले लिंक का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा सिर्फ अधिकारिक वैबसाइट की सहायता से ही किसी भी अकाऊंट में लॉग-इन करना चाहिए ।

साइबर क्राइम तथा साइबर नैतिकता (Cyber Crime & Cyber Ethics)

साइबर क्राइम (Cyber Crime)

साइबर क्राइम एक अपराध होता है जिसको कम्प्यूटर तथा नेटवर्क की सहायता से अंजाम दिया जाता है। बहुत से मामलों में यह खुद भी अपराध का निशाना बन सकता है। साइबर क्राइम किसी व्यक्ति या देश की सुरक्षा तथा वित्तीय सेहत के लिए काफ़ी खतरा होते हैं । साइबर क्राइम एक ग़ैर-कानूनी कार्रवाई होती है, जिसमें अपराध करने वाला व्यक्ति कम्प्यूटर या किसी अन्य टूल की सहायता से कार्य करता है। साइबर अपराधों में आपराधिक गतिविधियां शामिल हो सकती हैं जिसमें शामिल है – (i) डाटा की चोरी (theft), (ii) धोखाधड़ी (fraud), (iii) जालसाज़ी (forgery), (iv) मानहानि (defamation) तथा (v) अन्य शरारत (mischief) आदि ।
कोई भी ऐसा अपराध जिसमें व्यक्ति के मान-सम्मान या शारीरिक व मानसिक तौर पर इलैक्ट्रॉनिक साधनों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है, साइबर क्राइम के तौर पर परिभाषित किया जाता है । इलैक्ट्रॉनिक साधनों में आधुनिक दूरसंचार नेटवर्क जैसे कि इंटरनेट चैट रूम, ई-मेल, नोटिस बोर्ड, ग्रुप तथा मोबाइल फोन आदि शामिल हो सकते हैं परंतु इलैक्ट्रानिक साधनों का दायरा सिर्फ इन्हीं तक सीमित नहीं किया जा सकता । साइबर अपराधों को दो प्रकार से श्रेणीबद्ध किया जा सकता है –
  1. कम्प्यूटर एक टारगेट के रूप में (Computer as a Target ) — दूसरे कम्प्यूटर पर हमला करने के लिए किसी कम्प्यूटर का प्रयोग करना जैसे कि हैकिंग, वायरस अटैक, डॉस अटैक आदि ।
  2. कम्प्यूटर एक हथियार के रूप में (Computer as a Weapon ) – संसार में अपराध करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग करना जैसे कि साइबर आतंकवाद, IPR की उल्लंघना, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, इलैक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (EFT) धोखाधड़ी आदि ।

साइबर क्राइम की रोकथाम के उपाय (Preventive Measures Against Cyber Crime)

इंटरनेट का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को साइबर अपराध की रोकथाम के लिए कुछ बुनियादी उपाय करने चाहिए । इनका प्रयोग करने से हम साइबर क्राइम से बच सकते हैं। इनमें से कुछ साइबर क्राइम रोकथाम उपाय निम्नानुसार हैं –
  1. यूजर को एक इंटरनेट सुरक्षा सूट का प्रयोग करना चाहिए ।
  2. यूज़र को विभिन्न ऑनलाइन वैबसाइटों के लिए मज़बूत पासवर्ड का प्रयोग करना चाहिए ।
  3. अपने कम्प्यूटर पर सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें ।
  4. अपनी निजी तथा गुप्त जानकारी किसी के साथ शेयर न करें ।
  5. एक मज़बूत एंक्रिप्शन पासवर्ड के साथ एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का प्रयोग करना एक अच्छा विचार होता है ।
  6. हम अपने बच्चों को इंटरनेट के इन खतरों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं ।
  7. अपने आप को इन सुरक्षा खतरों के बारे में अप-टू-डेट रखें।
  8. आइडेंटिटी थैफ्ट से अपने आप को बचाने के लिए उपाय करते रहें ।
  9. यदि आप को लगता है कि आप साइबर क्राइम के शिकार हो गए हैं तो तुरंत लोकल पुलिस को सूचित किया जाना चाहिए।

साइबर नैतिकता (Cyber Ethics )

साइबर नैतिकता एक यूज़र द्वारा ऑनलाइन स्रोतों के स्वीकार योग्य कार्यों के प्रयोग का व्यवहार है । साइबर नैतिकता इंटरनेट पर एक जिम्मेवार व्यवहार को दर्शाती है । इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि यूज़र ऑनलाइन कार्य करते हुए अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें तथा दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार न करें।

साइबर नैतिकता के सिद्धांत (Principles of Cyber Ethics)

क्या नहीं करना चाहिए ( Don’ts )
  1. दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग न करें।
  2. दूसरे लोगों के कम्प्यूटर पर कार्य करते समय विघन न पैदा करें ।
  3. दूसरे लोगों की कम्प्यूटर फाइलों में घुसपैठ न करें। #
  4. अनधिकृत सूचना चोरी कर कम्प्यूटर में प्रयोग न करें।
  5. सॉफ्टवेयर की नकल तथा उनको अनधिकृत प्रयोग न करें।
  6. दूसरे लोगों के कम्प्यूटरों को सही प्रामाणिकता के बिना प्रयोग न करें।
क्या करना चाहिए (Do’s)
  1. आप जो कार्य ऑनलाइन कर रहे हैं उसके सामाजिक नतीजों के बारे में सोचें ।
  2. कम्प्यूटर का प्रयोग हमेशा अच्छे ढंग से करना चाहिए ताकि आपके साथियों के मन में आपके लिए एक भरोसे की भावना पैदा हो ।

Computer Guide for Class 9 PSEB इंटरनैट एप्लीकेशन Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

1. जीमेल (Gmail) एक मुख्य मुफ्त ई-मेल सेवा है जो …………….. द्वारा प्रदान की जाती है ।
(क) याहू (Yahoo )
(ख) गूगल (Google )
(ग) रेडिफमेल (Rediffmail)
(घ) हॉटमेल (Hotmail)।
उत्तर – (ख) गूगल (Google )
2. कम्प्यूटिंग में …………. एक प्रकार का टैस्ट होता है जो यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि वैब पेज का प्रयोग करने वाला यूज़र एक मनुष्य है या नहीं ।
(क) Captcha
(ख) Dertsa
(ग) Heptcha
(घ) Nephca.
उत्तर – (क) Captcha
3. ………………. एक यूज़र के कम्प्यूटर को अनधिकृत रिमोट एक्सैस प्रदान करने के लिए तैयार किया गया एक प्रकार का मालवेयर होता है।
(क) स्पाईवेयर (Spyware)
(ख) ट्रोजन (Trojan)
(ग) मालवेयर (Malware)
(घ) हॉर्स (Horse) ।
उत्तर – (ख) ट्रोजन (Trojan)
4. ……………. एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है जो अपने आपको दूसरे कम्प्यूटर प्रोग्राम में दोहराता है। 
(क) स्पाइवेयर (Spyware)
(ख) वायरस (Virus )
(ग) फिशिंग (Phishing)
(घ) मालवेयर (Malware)
उत्तर – (ख) वायरस (Virus )
5. ………………… एक इंडियन डिजिटलाइज़ेशन ऑनलाइन सर्विस है जो भारत सरकार के इलैक्ट्रानिक तथा सूचना टैक्नोलॉजी मंत्रालय द्वारा डिजिटल इंडिया पहल के तहत प्रदान की गई है।
(क) DigiLocker
(ख) Digi Program
(ग) Digi Hacker
(घ) Digi Banker.
उत्तर – (क) DigiLocker

सही / ग़लत :

1. स्पाईवेयर ई-मेल द्वारा धोखाधड़ी करने की एक विधि है जिसमें धोखा करने वाले व्यक्ति निजी तथा वित्तीय जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश के लिए जायज दिखने वाली ई-मेल भेजता है।
उत्तर – गलत
2. गूगल ड्राइव हमें फाइलों को ऑनलाइन स्टोर करने तथा शेयर करने की आज्ञा नहीं देता l
उत्तर – गलत
3. कम्प्यूटर वायरस के खतरे के साथ निपटने के लिए सबसे बढ़िया तरीका एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना होता है।
उत्तर – सही
4. इंटरनेट खतरे कोई भी ऐसे खतरे हो सकते हैं जो साइबर क्राइम के लिए वर्ल्ड वाइड वैब का प्रयोग करते हैं।
उत्तर – सही
5. गूगल मीट गूगल द्वारा प्रदान की जाने वाली एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेवा है ।
उत्तर – सही

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न :

प्रश्न 1. ई-मेल (Email) को परिभाषित करें।
उत्तर-ई-मेल इंटरनेट पर प्रदान की जाने वाली सुविधा है जिसके द्वारा कोई भी यूज़र इंटरनेट का प्रयोग करने वाले किसी व्यक्ति को संदेश भेज़ सकता है तथा उससे संदेश प्राप्त कर सकता है। इसके लिए यूज़र के पास एक ई-मेल अकाऊंट होना आवश्यक होता है।
प्रश्न 2. किसी भी चार प्रकार के गूगल एप्स के नाम लिखें ।
उत्तर – चार प्रकार के गूगल एप्स निम्न अनुसार हैं :-
1. गूगल कैलेंडर
2. गूगल ट्रांसलेट
3. गूगल मैप्स
4. गूगल मीट ।
प्रश्न 3. साइबर नैतिकता (Cyber Ethics) को परिभाषित करें।
उत्तर – साइबर नैतिकता एक यूज़र द्वारा ऑनलाइन स्रोतों के स्वीकारयोग्य कार्यों के प्रयोग का व्यवहार है। साइबर नैतिकता इंटरनेट पर एक ज़िम्मेवार व्यवहार को दर्शाती है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि यूज़र ऑनलाइन कार्य करते हुए अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें तथा दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार न करें l
प्रश्न 4. डिजी लॉकर (DigiLocker) क्या है ? 
उत्तर – डिजी लॉकर भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली एक ऑनलाइन स्टोरेज सुविधा है जिसका प्रयोग भारत के नागरिक अपने आधार कार्ड के साथ कर सकते हैं। इसमें एक यूज़र को उसके आधार कार्ड से लिंक करके एक अकाऊंट प्रदान किया जाता है तथा 1 GB स्टोरेज क्षमता प्रदान की जाती है। इसमें अपने दस्तावेज़ों को अपलोडं कर सकता है तथा उन दस्तावेजों को दूसरे के साथ शेयर भी कर सकता है ।
प्रश्न 5. क्लाउड प्रिंटिंग (Cloud Printing) क्या होती है ?
उत्तर – क्लाउड इंटरनेट का प्रयोग करके इंटरनेट के साथ जुड़े हुए प्रिंटर पर अपने दस्तावेज़ प्रिंट करने की प्रक्रिया होती है। इसमें कोई भी यूज़र जो इंटरनेट के साथ जुड़ा हुआ हो तथा उसको इंटरनेट के साथ जुड़े हुए प्रिंटर का प्रयोग करने की इजाज़त हो तो वह अपने दस्तावेजों को कहीं से भी उस प्रिंटर पर प्रिंट कर सकता है ।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न :

प्रश्न 1. गूगल एप्स क्या है ? किन्हीं दो गूगल एप्स का वर्णन करो ।
उत्तर – गूगल अपनी ऑनलाइन सेवाओं को एप्स के रूप में प्रदान करता है। गूगल इन सेवाएं को एक विशेष ग्रुप बना कर बेचता है जिनको गूगल एप्स कहा जाता है।
“गूगल एप्स” गूगल द्वारा तैयार की गई इंटरनेट आधारित एप्लीकेशन का एक समूह है जिसमें कई प्रकार की एप्लीकेशन शामिल हैं, जैसे कि ई-मेल, कैलेंडर, वर्ड प्रोसैसिंग, स्प्रेडशीट तथा प्रेजेंटेशन आदि ।
  1.  गूगल कैलेंडर (Google Calender) — यह एक गूगल द्वारा बनाया गया टाइम मैनेजमैंट वैब एप्लीकेशन तथा मोबाइल ऐप है। इसके द्वारा हम अपने कार्य को रिकार्ड कर सकते हैं तथा यह हमें समय आने पर अलर्ट भी कर देता है । इसके लिए यूज़र के पास Google अकाऊंट होना चाहिए ।
  2. गूगल मैप्स (Google Maps) — गूगल मैप्स एक डैस्कटाप वैब मैपिंग सेवा है। इससे हमें सैटेलाइट इमेज, स्ट्रीट मैप, 360 डिग्री स्ट्रीट व्यू, मौजूदा ट्रैफिक कंडीशन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा यात्रा करना आदि जैसे विकल्प या सुविधाएं प्रदान की जाती हैं ।
प्रश्न 2. गूगल ड्राइव क्या है ? गूगल ड्राइव के भिन्न-भिन्न लाभ लिखो।
उत्तर — गूगल ड्राइव के लाभ अग्र अनुसार हैं-
  1. गूगल ड्राइव यूज़र को जीमेल की सहायता से सीधे ही फाइलें भेजने की सुविधा प्रदान करता है।
  2. गूगल ड्राइव यूज़र को अपनी फाइलों को रिमोट एक्सैस करने की सुविधा भी प्रदान करता है ।
  3. गूगल ड्राइव पर सेव की गई फाइलें ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं ।
  4. गूगल ड्राइव की अपनी एक मोबाइल एप्लीकेशन भी है, जिसका प्रयोग स्मार्टफोन तथा आईफोन पर किया जा सकता है ।
  5. गूगल ड्राइव में एक प्रभावशाली सर्च इंजन बना हुआ है जिसका प्रयोग करके यूज़र अपनी फाइलों को आसानी से ढूंढ सकता है।
  6. गूगल ड्राइव आप्टीकल करैक्टर रिकॉगनिशन (OCR) फंक्शन प्रदान करता है। इसकी सहायता से हम किसी भी स्कैन किए गए दस्तावेज़ को वर्ड डॉक्यूमैंट में बदल सकते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी अखबार में लिखे गए लेख को आप गूगल ड्राइव पर स्कैन कर सकते हैं, उसमें अपने कंटैंट को ढूंढ सकते हैं ।
  7. गूगल ड्राइव यूज़र को कई प्रकार की फाइलों को स्टार्ट तथा खोलने की सुविधा प्रदान करता है ।
प्रश्न 3. इंटरनेट सुरक्षा (Internet Security) के विभिन्न तरीकों के बारे में लिखो।
उत्तर – इंटरनेट सुरक्षा से अभिप्राय उन सभी सॉफ्टवेयर या रोकथाम के उपायों से हैं जो हमारे कम्प्यूटर को इंटरनेट खतरों से बचा सकते हैं । इस उद्देश्य के लिए कुछ आम प्रयोग में आने वाले साधन तथा तकनीक निम्न अनुसार हैं—
  1. एंटीवायरस (Anti-Virus) — इंटरनेट के खतरे जैसे कि कम्प्यूटर वायरस तथा अन्य मालवेयर से निपटने का सबसे आसान तरीका एंटीवायरस सॉफ्टवेयर होते हैं। एंटीवायरस सॉफटवेयर कम्प्यूटर सिस्टम को वायरस तथा अन्य नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर से बचा कर रखता है । यह वायरस संक्रमित फाइलों को इंटरनेट से डाऊनलोड करने आदि के दौरान उन फाइलों को Scan करता है तथा यदि उनमें कोई वायरस होता है तो वह उन्हें डिलीट कर देता है । इसी के साथ वह हमारे कम्प्यूटर में हर समय चलता रहता है तथा कम्प्यूटर की गतिविधियों पर निगरानी भी रखता है। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर हमारे कम्प्यूटर के विभिन्न भागों में से वायरस को ढूंढने तथा उसको खत्म करने में सहायता भी करता है। नॉर्टन एंटीवायरस, कैस्परस्काई, अवीरा, मैकैफे आदि कुछ आम प्रयोग होने वाले एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के नाम हैं।
  2. एंटी स्पाईवेयर (Anti-Spyware) — एंटी स्पाईवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो अनचाहे स्पाईवेयर प्रोग्राम को ढूंढने तथा उनको खत्म करने के लिए प्रयोग किया जाता है । स्पाईवेयर प्रोग्राम को खत्म करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि जब हम इन प्रोग्राम को खत्म करना चाहते हैं तो यह दोबारा प्रोग्राम को अपने आप इंस्टॉल कर लेता है। इसका मुकाबला करने के लिए एक समर्पित स्पाईवेयर मैनेजमैंट टूल का प्रयोग किया जाता है। कुछ एंटीवायरस सॉफ्टवेयर स्पाईवेयर मैनेजमैंट टूल की सुविधा भी प्रदान करते हैं ।
  3. ट्रोजन हॉर्स की रोकथाम (Prevention from Trojan Horse ) — ट्रोजन हॉर्स से अपने कम्प्यूटर को बचाने के लिए हमें उन स्रोतों से सॉफ्टवेयर डाऊनलोड तथा इंस्टॉल नहीं करना चाहिए जिनके बारे में हम नहीं जानते। कोई भी अनजान या अविश्वासी स्रोत से प्राप्त होने वाली ई-मेल अटैचमैंट या प्रोग्राम को ओपन नहीं करना चाहिए । हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे कम्प्यूटर में ट्रोजन एंटीवायरस वैध लाइसेंस के साथ इंस्टॉल किया गया है। इसकी सहायता से हम ट्रोजन हॉर्स को अपने कम्प्यूटर में दाखिल होने से रोक सकते हैं ।
  4. फिशिंग घोटाले की रोकथाम (Prevention from Phishing Scam) – फिशिंग घोटाले से अपने आप को बचाने के लिए ई-मेल द्वारा प्राप्त होने वाले लिंक का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा सिर्फ अधिकारिक वैबसाइट की सहायता से ही किसी भी अकाऊंट में लॉग-इन करना चाहिए ।
प्रश्न 4. साइबर क्राइम क्या होता है ? साइबर क्राइम की रोकथाम के उपाय लिखो ।
उत्तर – साइबर क्राइम एक अपराध होता है जिसको कम्प्यूटर तथा नेटवर्क की सहायता से अंजाम दिया जाता है। बहुत-से मामलों में यह खुद भी अपराध का निशाना बन सकता है। साइबर क्राइम किसी व्यक्ति या देश की सुरक्षा तथा वित्तीय सेहत के लिए काफ़ी खतरा होते हैं। साइबर क्राइम एक ग़ैर-कानूनी कार्रवाई होती है, जिसमें अपराध करने वाला व्यक्ति कम्प्यूटर या किसी अन्य टूल की सहायता से कार्य करता है । साइबर अपराधों में आपराधिक गतिविधियां शामिल हो सकती हैं जिसमें शामिल है – (i) डाटा की चोरी (theft), (ii) धोखाधड़ी (fraud), (iii) जालसाज़ी (forgery), (iv) मानहानि (defamation) तथा (v) अन्य शरारत (mischief) आदि ।
इंटरनेट का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को साइबर अपराध की रोकथाम के लिए कुछ बुनियादी उपाय करने चाहिए। इनका प्रयोग करने से हम साइबर क्राइम से बच सकते हैं। इनमें से कुछ साइबर क्राइम रोकथाम उपाय निम्नानुसार हैं –
  1. यूज़र को एक इंटरनेट सुरक्षा सूट का प्रयोग करना चाहिए ।
  2. यूज़र को विभिन्न ऑनलाइन वैबसाइटों के लिए मज़बूत पासवर्ड का प्रयोग करना चाहिए ।
  3. अपने कम्प्यूटर पर सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें ।
  4. अपनी निजी तथा गुप्त जानकारी किसी के साथ शेयर न करें ।
  5. एक मज़बूत एंक्रिप्शन पासवर्ड के साथ एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का प्रयोग करना एक अच्छा विचार होता है।
  6. हम अपने बच्चों को इंटरनेट के इन खतरों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं ।
  7. अपने आप को इन सुरक्षा खतरों के बारे में अप-टू-डेट रखें।
  8. आइडेंटिटी थैफ्ट से अपने आप को बचाने के लिए उपाय करते रहें ।
  9. यदि आप को लगता है कि आप साइबर क्राइम के शिकार हो गए हैं तो तुरंत लोकल पुलिस को सूचित किया जाना चाहिए।

PSEB 8th Class Computer Guide इंटरनैट एप्लीकेशन Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें :

1. Gmail ………………. की एक फ्री सेवा है ।
(क) Yahoo
(ख) Google
(ग) Rediffmail
(घ) Hotmail.
उत्तर – (ख) Google
2. इंटरनेट पर प्रत्येक मशीन को एक विशिष्ट नंबर दिया जाता है जिसे …………… कहते हैं ।
(क) एड्रैस
(ख) ई-मेल
(ग) ID
(घ) IP एड्रैस |
उत्तर – (घ) IP एड्रैस |
3. …………… एक प्रकार का टैस्ट होता है जो पता लगाता है कि यूज़र एक मनुष्य है कि नहीं ।
(क) CAPTCHA
(ख) DERTSA
(ग) HEPTCHA
(घ) NEPHCA.
उत्तर – (क) CAPTCHA
4. ………….. एक प्रकार का मालवेयर होता है जो यूज़र के कम्प्यूटर को बिना आज्ञा प्रयोग करने के लिए बनाया जाता है |
(क) स्पाईवेयर
(ख) ट्रोजन
(ग) मालवेयर
(घ) हॉर्स।
उत्तर – (ख) ट्रोजन
5. TV तथा रेडियो इंटरनेट पर …………. मीडिया के उदाहरण हैं।
(क) स्ट्रीमिंग
(ख) लिमिटिड
(ग) ऑनलाइन
(घ) ऑफ़लाइन ।
उत्तर – (क) स्ट्रीमिंग
6. Gmail, Yahoo mail, Hotmail आदि ……………… सेवाएं हैं ।
(क) Google
(ख) Microsoft
(ग) e-mail
(घ) Skymail.
उत्तर – (ग) e-mail
7. Play store …………………. कंपनी की ऐप है |
(क) Microsoft
(ख) Apple
(ग) Play
(घ) Google.
उत्तर – (घ) Google.
8. …………….. द्वारा फाइलें शेयर की जा सकती हैं ।
(क) Hotmail
(ख) Play Store
(ग) Google Drive
(घ) Virus.
उत्तर – (ग) Google Drive
9. …………………. का ईलाज ……………… है।
(क) Virus, Antivirus
(ख) Google
(ग) E-mail
(घ) Antivirus.
उत्तर – (क) Virus, Antivirus

सही / ग़लत :

1. स्पाईवेयर एक ई-मेल धोखा है जिसमें ग़लत कार्य करने वाला व्यक्ति एक सही दिखने वाली ई-मेल हमें भेजता है, जो हमारी निजी तथा वित्तीय जानकारी इकट्ठी कर लेता है ।
उत्तर – गलत
2. गूगल ड्राइव के साथ हम फाइलों को ऑनलाइन स्टोर तथा शेयर नहीं कर सकते।
उत्तर – गलत
3. एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके उसके साथ हम वायरस को सही कर सकते हैं ।
उत्तर – सही
4. BCC में हम उन व्यक्तियों के ई-मेल पते टाइप करते हैं जिनको हम ई-मेल की एक कापी तो भेजते हैं पर दूसरे रिसीपिअट को इसका पता नहीं चलता।
उत्तर – सही
5. डिजीटल सिगनेचर को बायोग्राफी के द्वारा बनाया तथा वैरीफाई किया जाता है ।
उत्तर – गलत
6. Gmail, Microsoft का उत्पाद है।
उत्तर – गलत
7. हम इंटरनेट में फाइलों को शेयर कर सकते हैं।
उत्तर – सही
8. Google Drive पर डाटा कभी नष्ट नहीं होता ।
उत्तर – सही
9. कम्प्यूटर में Cloud का अर्थ है बादल ।
उत्तर – गलत
उत्तर

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न :

प्रश्न 1. CAPTCHA ( कैप्चा) कोडं किसे कहते हैं ?
उत्तर – CAPTCHA का पूरा नाम है Completely Automated Public Turning Test to Tell Computer and Human Apart. यह एक प्रकार का टैस्ट होता है जो हमें बताता है कि यूज़र मनुष्य है या नहीं। इसमें यूज़र को कोई टैक्सट भरने के लिए दिया जाता है तथा उसे फिर चैक किया जाता है।
प्रश्न 2. Google Apps से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – Google Apps एक एप्लीकेशनज़ का सैट है जिसमें विभिन्न प्रयोग करने वाली एप्लीकेशनज़ हैं। यह सैट Google द्वारा बनाया गया है।
प्रश्न 3. ई-मेल भेजने का तरीका बताएँ ।
उत्तर – ई-मेल भेजने लिए सबसे पहले Compose पर क्लिक करें। फिर आपको ई-मेल भेजने का एंट्री फॉर्म नज़र आ जाएगा। To में पाने वाले का ई-मेल एड्रैस टाइप करें, Subject भरें तथा संदेश टाइप करें। उसके बाद Send पर क्लिक करें ।
प्रश्न 4. डाऊनलोडिंग के बेसिक स्टैप लिखें।
उत्तर –
(1) लिंक पर क्लिक करें। (एक डायलॉग बॉक्स दिखाई देगा।)
(2) Save या Open पर क्लिक करें ।
(3) डाऊनलोड को Confirm करें ।
(4) डाऊनलोड को Open या Run पर क्लिक करें।
प्रश्न 5. कोई चार एंटीवायरस के नाम बताओ।
उत्तर-
(1) Microsoft Essential
(2) Aura
(3) Avast
(4) Mcafee.
प्रश्न 6. Gmail वो वै ?
उत्तर – जीमेल गूगल द्वारा प्रदान की जाने वाली एक फ्री ई-मेल सेवा है । यह सेवा कई प्रकार के अन्य ई-मेल सेवा से मेल खाती है। इसका प्रयोग करके यूज़र दूसरे लोगों को ई-मेल भेज सकता है, उनकी ई-मेल प्राप्त कर सकता है। वह मेल को रोक सकता है तथा एक एड्रैस बुक बना सकता है परंतु इसकी कुछ अन्य विशेषताएं भी हैं जो इसे अन्य ई-मेल सर्विस प्रोवाइडर से अलग बनाती हैं ।
प्रश्न 7. क्लाउड क्या है ?
उत्तर – क्लाउड शब्द नेटवर्क या इंटरनेट के लिए प्रयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि क्लाउड एक ऐसी चीज़ है जो किसी दूसरे स्थान पर मौजूद होती है। क्लाउड हमें पब्लिक तथा प्राइवेट नेटवर्क जैसे कि WAN, LAN या VPN आदि पर कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है। इस प्रकार की सेवाओं में ई-मेल, वैब कॉन्फ्रैंसिंग, कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमैंट आदि शामिल होती हैं। ये सभी प्रकार की सेवाएं क्लाउड पर चलती हैं ।
प्रश्न 8. क्लाउड नेटवर्किंग क्या होती है ?
उत्तर – क्लाउड नेटवर्किंग का अर्थ है रिमोट लोकेशन से हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर संसाधनों को प्रयोग या कॉन्फ़िगर करना । यह हमें ऑनलाइन डाटा स्टोरेज, इंफ्रास्ट्रक्चर तथा विभिन्न प्रकार की एप्लीकेशन भी प्रदान करती है। क्लाउड नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म की स्वतंत्रता प्रदान करती है। इसमें लोकल कम्प्यूटर पर इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर का प्रयोग नहीं किया जाता। सारे सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर विभिन्न वैबसाइट पर ही सेव होते हैं। नेटवर्क में बहुत-सी चीजें शामिल होती हैं । यदि यूज़र को अपने सिस्टम में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है तो वह इसको बड़ी आसानी से इंटरनेट की सहायता से बदल सकता है।

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