PBN 9th Computer Science

PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 3 नेटवर्किंग

PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 3 नेटवर्किंग

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 3 नेटवर्किंग

नैटवर्क
नेटवर्क दो या दो से ज्यादा कम्प्यूटरों के उस समूह को कहते हैं जिसमें वे आपस में बातचीत कर सकते हैं। ये कम्प्यूटर किसी प्रकार के माध्यम से जुड़े होते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में यंत्रों को भी शेयर करते|

नैटवर्किंग की ज़रूरत
नैटवर्किंग की आवश्यकता डाटा साझा करने तथा अदला-बदली करने के लिए होती है। नैटवर्क का उपयोग

  1. इमेल द्वारा संचार
  2. हार्डवेयर सांझा करना
  3. फाइल शेयर करना
  4. रीमोट साफ्टवेयर तथा आपरेटिंग सिस्टम शेयर करना
  5. सूचना को आसानी से पहुंचाना
  6. विभिन्न यूजरों को एक गेम खेलने की आज्ञा देना
  7. इंटरनैट का प्रयोग करना
  8. डाटा को एक स्थान पर स्टोर करना।

नेटवर्क के भाग नेटवर्क के निम्न भाग होते हैं-

  • कम्प्यूटर-कम्प्यूटर को नोड या क्लाईट भी कहते हैं। यह वह कम्प्यूटर होता है जिस पर सारे स्रोत शेयर किये जाते हैं। इसका प्रयोग यूजर करता है।
  • सरवर-सरवर वह कम्प्यूटर होता है जो नेटवर्क को कंट्रोल करता है तथा सारा समय नैटवर्क के साथ जुड़ा रहता है। यह एक शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है।
  • नेटवर्क इंटरफेस कार्ड-यह एक सर्कट बोर्ड होता है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर को कम्यूनीकेशन मीडिया से जोड़ने के लिए किया जाता है।

निम्न प्रकार के नेटवर्क प्रयोग किए जाएं।

  1. तार वाला
  2. बिना तार के।

हब/स्विच- यह एक ऐसा यंत्र होता है जो ज़्यादा कम्प्यूटरों को आपस में जुड़ने की आज्ञा देता है।

राऊटर-यह हार्डवेयर डिवाइस होता है जो डाटा प्राप्त करता है, उसका निरीक्षण करता है तथा दूसरे नेटवर्क पर आगे भेजता है।

नैटवर्क के लाभ तथा हानियाँ
नेटवर्क के लाभ

  1. इससे डाटा, प्रोग्राम आपस में सांझे किये जा सकते हैं।
  2. इससे हम हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर शेयर कर सकते हैं।
  3. यह कम्यूनीकेशन का एक बढ़िया साधन है।
  4. इनके प्रयोग से कम यंत्र ज्यादा लोग प्रयोग कर सकते हैं।
  5. नैटवर्क द्वारा फाइलों की अखंडता बनी रहती है।
  6. नैटवर्क द्वारा महंगी मशीनरी की प्रति यूजर कीमत कम होती है।
  7. नैटवर्क सारे स्रोतों को भरोसे से प्रयोग करने की आज्ञा देता है।
  8. नैटवर्क लचकता प्रदान करता है।
  9. नैटवर्क डाटा बैकअप की सहुलियत देता है।
  10. यह डाटा को सुरक्षा प्रदान करता है।
  11. इसे हमारे कार्य ज्यादा गति से होते हैं।

नेटवर्क की हानियाँ

  • ये काफी महंगे बनते हैं।
  • नेटवर्क बन्द होने पर सारा कार्य बन्द हो जाता है।
  • नेटवर्क में डाटा की सुरक्षा में सेंध लगा सकती है।
  • इन पर कार्य यूजर को मुश्किल लगता है।

नैटवर्क टोपोलोजी
किसी नेटवर्क को तैयार करने में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कारक उसकी संरचना होती है। यह वह तरीका है, जिसमें नेटवर्क के कम्प्यूटरों को जोड़ा जाता है। मूल रूप से तीन प्रकार की संरचाएं होती हैं, जिनमें नेटवर्क के उपकरणों को जोड़ा जाता है
1. स्टार टोपोलोजी (Star Topology)
2. बस टोपोलोजी (Bus Topology)
3. रिंग टोपोलोजी (Ring Topology)

1. स्टार नेटवर्क (Star Topology)-इस प्रकार के नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों तथा उपकरणों को एक बड़े केन्द्रीय कम्प्यूटर, जिसे मेजबान कम्प्यूटर (Host Computer) या सर्वर (Server) कहा जाता है, से जोड़ा जाता है, जो कि उन्हें नियंत्रित करता है तथा उनके बीच डाटा के संचार को नियमित करता है। चित्र में एक स्टार नेटवर्क दिखाया गया है। ऐसे नेटवर्क में प्रत्येक बिन्दु (Node) किसी दूसरे बिन्दु तक केवल मेजबान कम्प्यूटर के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। इस नेटवर्क का कार्य स्पष्ट रूप से कम्प्यूटर के ऊपर निर्भर करता है और किसी जुड़े हुए उपकरण या केबिलस की असफलता से नेटवर्क बहुत प्रभावित होता है। ऐसे नेटवर्क का विस्तार करना भी सरल है।

यह संरचना ऐसे संगठनों के लिए बहुत उपयोगी है, जहां एक बड़े कम्प्यूटर में मास्टर डाटा बेस रखा जाता है। सुरक्षा नियंत्रण तथा देख-रेख की दृष्टि से यह सबसे अच्छा माना जाता है। भारत में रेलों के आरक्षण में इसी संरचना का प्रयोग किया गया है। स्टार नेटवर्क की सबसे बड़ी कमी यह है कि केन्द्रीय कम्प्यूटर के असफल हो जाने पर पूरा असफल हो जाता है।

2. बस नेटवर्क (Bus Network)-इस प्रकार के नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों और टर्मिनलों को एक साझा संचार चैनल से जोड़ा जाता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। ऐसे नेटवर्क में कोई केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। इसमें केबिलों की लम्बाई न्यूनतम होती है। इसमें चैनल काट दिये जाने पर नेटवर्क असफल हो जाता है, लेकिन किसी एक कम्प्यूटर या टर्मिनल के कट जाने पर नेटवर्क ज्यादा प्रभावित नहीं होता। ऐसे नेटवर्क का विस्तार करके और टर्मिनल जोड़ना भी सरल हो जाता है। किसी बहुमंजिली इमारत में नेटवर्क स्थापित करते समय इस संरचना का उपयोग किया जाता है।

3. रिंग नेटवर्क (Ring Network)-इस प्रकार के नेटवर्क में कम्प्यूटरों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि वे कुल मिलाकर एक बंद घेरे या वलय (Ring) का रूप लेते हैं। चित्र में एक रिंग नेटवर्क दिखाया गया है। इसमें कोई भी केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। इस नेटवर्क की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें सभी बिन्दु या कम्प्यूटर बराबर होते हैं। हालांकि इसमें कोई सर्वर (Server) भी हो सकता है। ऐसे नेटवर्क में डाटा का प्रवाह केवल एक दिशा में होता है और प्रत्येक कम्प्यूटर एक रिपीटर की तरह डाटा को आगे भेज देता है। संचार पूरा होने पर भेजने वाला कम्प्यूटर संदेश पहुंच जाने की सूचना प्राप्त कर लेता है।

इस नेटवर्क में सबसे बड़ी कमी यह है कि एक कम्प्यूटर के असफल हो जाने पर पूरा नेटवर्क असफल हो जाता है। लेकिन इस समस्या को बाईपास केबिलों का प्रयोग करके हल किया जाता है। प्रत्येक बाईपास केबिल किसी एक कम्प्यूटर को बाईपास करता है। जैसे ही वह कम्प्यूटर असफल होता है, बाईपास केबल चालू हो जाता है और नेटवर्क का कार्य चलता रहता है। उपरोक्त तीनों प्रकार की मूल संरचनाओं में सुधार करके कुछ उपयोगी संरचनाएं उपयोग में लायी जाती हैं। इनके बारे में आगे बताया गया है(क) कैम्ब्रिज रिंग (The Cambridge Ring)-यह एक प्रकार का रिंग नेटवर्क होता है।

यह पहली बार अमेरिका के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में विकसित किया गया था, परन्तु मूल डिज़ाइन में अनेक सुधार हो चुके हैं। इसका सुधरा हुआ रूप प्रत्येक निर्माता द्वारा बनाया जाता है। इसमें डाटा का सम्प्रेषण क्रमिक (Serial) विधि से (अर्थात् एक के बाद एक बिट) और लूप पूरा होने तक ही दिशा में किया जाता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। नेटवर्क के प्रत्येक उपकरण (या साधन) को एक रिंग स्टेशन (Ring Station) के माध्यम से जोडा जाता है। इनके बीच ही इंटरफेस होता है।

इसमें एक रिंग स्टेशन दूसरे स्टेशन तक संदेश मिनी पैकेटों के माध्यम से भेजता है। मिनी पैकेट एक मॉनीटर स्टेशन (Monitor Station) द्वारा पैदा किये जाते हैं, प्रारम्भ में वे खाली होते हैं। यदि किसी स्टेशन को किसी दूसरे तक कोई संदेश भेजना होता है, तो वह वहां से गुजरने वाले किसी खाली मिनी पैकेट में डाटा भर देता है और गंतव्य का पता (Destination Address) भी लिख देता है। भरा हुआ पैकेट आगे यात्रा करता रहता है और गंतव्य तक पहुंचने पर संदेश नकल कर लिया जाता है।

साथ ही पैकेट पर उचित चिन्ह लगा दिया जाता है कि संदेश प्राप्त कर लिया गया है। पैकेट की यात्रा जारी रहती है और भेजने वाले स्टेशन तक चलता रहता है। एक बार में एक निश्चित संख्या में ही पैकेट यात्रा में हो सकते हैं। इस प्रकार के नेटवर्क में मॉनीटर स्टेशन की बड़ी जिम्मेदारी होती है। वह पूरे नेटवर्क में डाटा के आवागमन (Traffic) को नियंत्रित करता है और उसका हिसाब रखता है।

(ख) टोकन रिंग (Token Ring)- यह एक अन्य प्रकार का रिंग नेटवर्क होता है, जिसे टोकन पासिंग रिंग (Token Passing Ring) भी कहते हैं। इसमें एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक एक टोकन गुज़रता रहता है। जब भी किसी स्टेशन पर टोकन आता है, वह स्टेशन उसमें डाटा भरने या भेजने के लिए स्वतंत्र होता है। इस नेटवर्क में किसी मॉनीटर स्टेशन की कोई आवश्यकता नहीं होती और हर स्टेशन अपना मामला खुद देखता है।

(ग) ईथर नेट (Ether Net)-यह एक बस संरचना का लोकल एरिया नेटवर्क होता है। मूलरूप में इसे जीरॉक्स कॉरपोरेशन द्वारा तैयार किया गया था, परन्तु इस तकनीक का प्रयोग अन्य निर्माताओं द्वारा भी व्यापक रूप से किया जाता है। इसलिए उस जैसी संरचना का नाम भी ईथर नेट पड़ गया है। यह कोक्सियल केबल (Coaxial Cable) के या अधिक खंडों (Segments) द्वारा बनता है। प्रत्येक खण्ड लगभग 100 बिंदुओं (Nodes) तथा 500 मीटर की लम्बाई का होता है।

इस प्रकार किसी बड़े नेटवर्क में कई खण्ड हो सकते हैं, जिन्हें रिपीटर द्वारा जोड़ा जाता है। खण्डों से ट्रांसीवर (Transceiver) नामक साधनों (Devices) को जोड़ा जाता है। जो उपकरण नेटवर्क से जुड़ना चाहता है, वह ट्रांसीवर के माध्यम से ही जुड़ता है। ऐसे नेटवर्क में डाटा पैकेटों के रूप में प्रेषित किया जाता है। प्रत्येक पैकेट का आकार 1500 बाइटों तक होता है और ट्रांसफर की दर 10 मेगाबाइट प्रति सेकण्ड होती है।

डाटा कम्यूनिकेशन दो या ज्यादा कम्प्यूटरों में डाटा साझा करने की प्रक्रिया को डाटा कम्यूनिकेशन कहते हैं। इसमें Sendar, Reciever तथा Communication चैनल मिल कर कार्य करते हैं। डाटा संचार की तीन शर्ते होती हैं।

  1. Delivery : डाटा अपने स्थान तक सही ढंग से पहुंचे
  2. Accuracy : डाटा दोष मुक्त होना चाहिए।
  3. समय की पाबंदी : डाटा वगैर किसी देरी के पहुंचे

डाटा संचार के हिस्से Sendar – जो सूचना तैयार करता तथा भेजता है।
Medium – Sender से Receiver तक ले जाने वाला माध्यम।
Reciever – जो सूचना प्राप्त करता है।
Protocol – सूचना भेजने के नियम
Protocols
Protocols

डाटा ट्रांसमिशन के तरीके डाटा ट्रांसमिशन के तरीके का अर्थ है-सैंडर तथा रिसीवर के बीच डाटा किस प्रकार जाता है। डाटा भेजने तथा प्राप्त करने के निम्न तरीके हैं।

1. Simplex-यह संचार का एक तरफा माध्यम होता है। इसमें एक समय पर एक तरफ ही संचार होता है। दूसरी तरफ संचार नहीं होता। उदाहरण के तौर पर टेलीविज़न तथा रेडियो नेटवर्क।
PSEB 9th Class Computer Notes Chapter 3 नेटवर्किंग 11
2. Half Duplex-Half Duplex में दोनों तरफ से संचार हो सकता है परन्तु एक समय पर सिर्फ एक तरफ से ही संचार होता है। दूसरी तरफ से संचार शुरू करने से पहले पहली तरफ का संचार बंद करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर वाकी टाकी सिस्टम।

3. Full Duplex : इसमें दोनों तरफ से संचार एक ही समय पर हो सकता है। मोबाइल फोन का नेटवर्क इसी का उदाहरण है।

नेटवर्क की किस्में
कम्प्यूटर नेटवर्क की कई किस्में होती हैं। इनको आकार, प्रयोग आदि के आधार पर कई प्रकार से विभाजित किया जाता है। भौगोलिक आधार से नेटवर्क को आगे दिए भागों में बांटा जा सकता है।
1. पैन-पैन का अर्थ है परसनल एरिया नेटवर्क। (यह एक छोटा नेटवर्क होता है। यह एक नये टाइप का नैटवर्क है। यह अकेले आदमी का नेटवर्क है। इसमें किसी व्यक्ति के परसनल डिवाइस आपस में मिलकर एक नेटवर्क बनाते हैं। यह केबल वाला तथा बिना किसी केबल के भी हो सकता है।
2. लैन-लैन का अर्थ है-लोकल एरिया नेटवर्क। इस का प्रयोग छोटी जगह जैसे एक दफ्तर, बिल्डिंग आदि में किया जाता है। इसके द्वारा कई स्रोत तथा यंत्र सांझे किये जा सकते हैं। यह एक सरल नैटवर्क है। इसमें तारों का अधिकतर प्रयोग होता है।

3. मैन-यह नेटवर्क ज़्यादा बड़े क्षेत्र में फैला होता है। अकसर यह एक शहर में कोई सुविधा प्रदान करते हैं ; जैसे-टेलीविज़न केवल नेटवर्क। यह सिंगल भी हो सकता है तथा किसी के साथ जुड़ा भी। यह कई लैन का मेल भी हो सकता है। यह 5 से 50 कि०मी० तक फैला हो सकता है।

4. वैन-वैन का अर्थ है-वाईड एरिया नेटवर्क। यह बहुत बड़े भौगोलिक क्षेत्र में फैला होता है, जैसे पूरा देश, महाद्वीप या सारी दुनिया इसमें बहुत सारे छोटे नेटवर्क होते हैं। इंटरनैट इस की एक बढ़िया उदाहरण है।

Computer Guide for Class 9 PSEB नेटवर्किंग Textbook Questions and Answers

1. रिक्त स्थान भरें-

1. …………………………. दो या दो से ज्यादा कम्प्यूटरों का सुमेल होता है।
(क) नेटवर्क
(ख) इंटरनेट
(ग) वायरलैस
(घ) टोपोलोजी।
उत्तर-
(क) नेटवर्क।

2. एक आम कम्प्यूटर सिस्टम है जो नैटवर्क में स्रोत को सांझे करने के लिए जुड़ा होता है।
(क) सरबर
(ख) क्लाइंट
(ग) नोड
(घ) लैन तथा वैन
उत्तर-
(क) सरबर।

3. ………………………… एक ऐसा यंत्र होता है जो ज्यादा कम्प्यूटरों को एक समान नैटवर्क डिवाइस से जुड़ने की आज्ञा देता है।
(क) हब
(ख) बस
(ग) रिंग
(घ) स्टार।
उत्तर-
(क) हब।

4. …………………… नेटवर्क के सारे कम्प्यूटर एक केवल को साझा करते हैं तथा डाटा एक दिशा में
जाता है।
(क) सिंगल रिंग
(ख) डयूल रिंग
(ग) MAN
(घ) LAN.
उत्तर-
(क) सिंगल रिंग।

5. ……………………… सूचना को बना कर आगे भेजता है।
(क) प्रोटोकाल
(ख) रिसीवर
(ग) सैंडर
(घ) हब।
उत्तर-
(ग) सैंडर।

2. सही या ग़लत बताएं

1. लैन (LAN) एक बहुत बड़े भौगोलिक क्षेत्र में होता है।
उत्तर-
ग़लत,

2. कुल ड्यूलैक्स में सूचना दोनों दिशाओं में भेजी जाती है।
उत्तर-
सही,

3. प्रोटोकॉल डाटा संचार के समय प्रयोग होने वाला नियम है।
उत्तर-
सही,

4. नैटवर्क हमें स्कियोरिटी प्रदान नहीं करता।
उत्तर-
ग़लत,

5. कम्प्यूटर की गिनती बढ़ने से नेटवर्क के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
उत्तर-
ग़लत।

3. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं चार नैटवर्क टोपोलोजी के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. वस टोपोलोजी
  2. स्टार टोपोलोजी
  3. रिंग टोपोलोजी
  4. ट्री टोपोलोजी।

प्रश्न 2.
नेटवर्किंग में कौन-कौन से कम्प्यूटर प्रयोग किये जाते हैं ?
उत्तर-
नेटवर्किंग में निम्न दो प्रकार के कम्प्यूटर प्रयोग होते हैं-

  • सरबर
  • क्लाइंट।

प्रश्न 3.
राऊटर क्या होता है ?
उत्तर-
राऊटर एक हार्डवेयर डिवाइस है जो डाटा प्राप्त करता है तथा उसका निरीक्षण करने के बाद उसे आगे दूसरे नेटवर्क पर भेजता है।

प्रश्न 4.
हब क्या होता है ?
उत्तर-
हब एक ऐसा यंत्र होता है जो बहुपक्षीय कम्प्यूटरों को एक नैटवर्क डिवाइस के साथ जोड़ता है।

प्रश्न 5.
दो प्रकार की रिंग टोपोलोजी कौन-सी है ?
उत्तर-

  • सिंगल रिंग (Single Ring)
  • डयूल रिंग (Dual Ring)।

4. बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नेटवर्क क्या होता है ? नेटवर्क के लाभ तथा हानियां बताओ।
उत्तर-
नेटवर्क दो या दो से ज़्यादा कम्प्यूटरों के उस समूह को कहते हैं जिसमें वे आपस में बातचीत कर सकते हैं। ये कम्प्यूटर किसी प्रकार के माध्यम से जुड़े होते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में यंत्रों को भी शेयर करते हैं।

नेटवर्क के लाभ

  • इससे डाटा, प्रोग्राम आपस में सांझे किये जा सकते हैं।
  • इससे हम हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर शेयर कर सकते हैं।
  • यह कम्यूनीकेशन का एक बढ़िया साधन है।
  • इनके प्रयोग से कम यंत्र ज़्यादा लोग प्रयोग कर सकते हैं।

नेटवर्क की हानियाँ –

  • ये काफी महंगे बनते हैं।
  • नेटवर्क बन्द होने पर सारा कार्य बन्द हो जाता है।
  • नेटवर्क में डाटा की सुरक्षा में सेंध लगा सकती है।
  • इन पर कार्य यूजर को मुश्किल लगता है।

प्रश्न 2.
नेटवर्क के कौन-कौन से भाग होते हैं ?
उत्तर-
नेटवर्क के निम्न भाग होते हैं –

  1. कम्प्यूटर-कम्प्यूटर को नोड या क्लाईट भी कहते हैं। यह वह कम्प्यूटर होता है जिस पर सारे स्रोत शेयर किये जाते हैं। इसका प्रयोग यूजर करता है।
  2. सरवर-सरवर वह कम्प्यूटर होता है जो नेटवर्क को कंट्रोल करता है तथा सारा समय नैटवर्क के साथ जुड़ा रहता है। यह एक शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है।
  3. नेटवर्क इंटरफेस कार्ड-यह एक सर्कट बोर्ड होता है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर को कम्यूनीकेशन मीडिया से जोड़ने के लिए किया जाता है।

निम्न प्रकार के नेटवर्क कार्ड प्रयोग किये जाते हैं-

  • तार वाला
  • बिना तार के।

हब/स्विच-यह एक ऐसा यंत्र होता है जो ज़्यादा कम्प्यूटरों को आपस में जुड़ने की आज्ञा देता है-

राऊटर- यह हार्डवेयर डिवाइस होता है जो डाटा प्राप्त करता है, उसका निरीक्षण करता है तथा दूसरे नेटवर्क पर आगे भेजता है।

प्रश्न 3.
नेटवर्क की किस्मों के बारे में बताओ।
उत्तर-
कम्प्यूटर नेटवर्क की कई किस्में होती हैं। इनको आकार, प्रयोग आदि के आधार पर कई प्रकार से विभाजित किया जाता है। भौगोलिक आधार से नेटवर्क को निम्न भागों में बांटा जा सकता है।

1. लैन-लैन का अर्थ है-लोकल एरिया नेटवर्क। इस का प्रयोग छोटी जगह जैसे एक दफ्तर, बिल्डिंग आदि में किया जाता है। इसके द्वारा कई स्रोत तथा यंत्र सांझे किये जा सकते हैं। यह एक सरल नेटवर्क है। इसमें तारों का अधिकतर प्रयोग होता है।

2. मैन- यह नेटवर्क ज़्यादा बड़े क्षेत्र में फैला होता है। अकसर यह एक शहर में कोई सुविधा प्रदान करते हैं ; जैसे-टेलीविज़न केवल नेटवर्क। यह सिंगल भी हो सकता है तथा किसी के साथ जुड़ा भी। यह कई लैन का मेल भी हो सकता है। यह 5 से 50 कि०मी० तक फैला हो सकता है।

3. वैन-वैन का अर्थ है-वाईड एरिया नेटवर्क। यह बहुत बड़े भौगोलिक क्षेत्र में फैला होता है, जैसे पूरा देश, महाद्वीप या सारी दुनिया इसमें बहुत सारे छोटे नेटवर्क होते हैं। इंटरनैट इस की एक बढ़िया उदाहरण है।

4. पैन-पैन का अर्थ है परसनल एरिया नेटवर्क। (यह एक छोटा नेटवर्क होता है। यह एक नये टाइप का नैटवर्क है। यह अकेले आदमी का नेटवर्क है। इसमें किसी व्यक्ति के परसनल डिवाइस आपस में मिलकर एक नेटवर्क बनाते हैं। यह केबल वाला तथा बिना किसी केबल के भी हो सकता है।

प्रश्न 4.
डाटा ट्रांसमिशन के तरीकों के बारे में बताएं।
उत्तर-
डाटा ट्रांसमिशन के तरीके का अर्थ है-सैंडर तथा रिसीवर के बीच डाटा किस प्रकार जाता है। डाटा भेजने तथा प्राप्त करने के निम्न तरीके हैं।

1. Simplex-यह संचार का एक तरफा माध्यम होता है। इसमें एक समय पर एक तरफ ही संचार होता है। दूसरी तरफ संचार नहीं होता। उदाहरण के तौर पर टेलीविज़न तथा रेडियो नेटवर्क।

2. Half Duplex-Half Duplex में दोनों तरफ से संचार हो सकता है परन्तु एक समय पर सिर्फ एक तरफ से ही संचार होता है। दूसरी तरफ से संचार शुरू करने से पहले पहली तरफ का संचार बंद करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर वाकी टाकी सिस्टम।

3. Full Duplex : इसमें दोनों तरफ से संचार एक ही समय पर हो सकता है। मोबाइल फोन का नेटवर्क इसी का उदाहरण है।

PSEB 8th Class Computer Guide नेटवर्किंग Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

1. इंटरनेट हज़ारों कम्प्यूटर का एक ……………………. है।
(क) सरबर
(ख) कम्प्यूटर
(ग) नेटवर्क
(घ) हब।
उत्तर-
(ग) नेटवर्क।

2. इंटरनेट को आमतौर पर ………………………. भी कहा जाता है।
(क) सरबर
(ख) नेटवर्क
(ग) नैट
(घ) इंटरएरिया।
उत्तर-
(ख) नेटवर्क।

3. इंटरनेट पर प्रयोग होने वाले नियमों को ……………………… कहते हैं।
(क) प्रोटोकॉल
(ख) इंस्ट्रक्शन
(ग) सैंडर
(घ) रिसीवर।
उत्तर-
(क) प्रोटोकॉल।

4. कम्प्यूटर नेटवर्क के ………….. भाग है।
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर-
(ग) चार।

निम्नलिखित सूची में से वाक्य से सम्बन्धित शब्द चुनो –

(1) वायरलैस लैन
(2) सर्वर
(3) लैन
(4) डाटा बांट
(5) संचार चैनल
(6) इलेक्ट्रिक मेल
(7) वैन
(8) इंटरनेट स्थान विज्ञान
(9) ऑप्टीकल फाइबर
(10) सर्विस रूट
(11) FTP
(12) HTTP
(13) नेटवर्क स्थान विज्ञान
(14) विभाग
(15) मुड़े जुड़े केबल।

(1) स्टार, रिंग और बस नेटवर्क इसकी मिसालें हैं।
(2) दो स्थितियों के बीच डाटा को तबदील के माध्यम को कहा जाता है।
(3) एक छोटा-सा कम्प्यूटर नेटवर्क जो स्थान खतरे जैसे दफ्तर, इमारत तक ही सीमित होता है।
(4) दो या अधिक नेटवर्क के कनैक्शन को यह कहा जाता है।
(5) यह नेटवर्क का भाषा विज्ञान है।
(6) यह नेटवर्क का उपयोग है।
(7) नियम जो फाइल बदली का ध्यान रखता है।
(8) आप इसके द्वारा कम्प्यूटरों को सन्देश भेज और प्राप्त कर सकते हो।
(9) रूलों का सैट जो प्रदान की गई सेवा का प्रबन्ध करता है।
(10) केबल, जो प्लास्टिक या शीशे की बनी होती है और जो मनुष्य के बालों जितनी घनी होती है,
डाटा संचार के लिए उपयोग की जाती है।
उत्तर-
(1) नेटवर्क स्थान विज्ञान
(2) संचार चैनल
(3) लैन
(4) इंटरनेट स्थान विज्ञान
(5) सर्वर
(6) डाटा बांट
(7) FTP
(8) इलैक्ट्रॉनिक मेल
(9) विभाग
(10) ऑप्टीकल फाइबर।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संचार (Communication) प्रणाली के साधन द्वारा जोड़े गए कम्प्यूटरों का संग्रह।
उत्तर-
नेटवर्क (Network)।

प्रश्न 2.
एक नेटवर्क के नोडस के अन्तर सम्बन्ध का नमूना।
उत्तर-
टोपोलोजी।

प्रश्न 3.
टोपोलोजी जिसमें केन्द्रीय नोड शामिल होती है, जिसके साथ और नोडस हर एक मार्ग द्वारा जुड़ी होती हैं ?
उत्तर-
स्टार टोपोलोजी।

प्रश्न 4.
विकसित और डिज़ाइन की गई पहली वैन (WAN) प्राइवेट नेटवर्क कौन-सी थी ?
उत्तर-
आरपानैट।

प्रश्न 5.
डाटा संचार गति को मापने वाली एक इकाई।
उत्तर-
ब्रांड (Band)।

प्रश्न 6.
नोडज़ क्लाईंट क्या होते हैं ?
उत्तर-
क्लाईंट या नोड से अभिप्राय है वह कम्प्यूटर जो स्रोतों की साझेदारी के लिए नेटवर्क के साथ जुड़ा होता है। इनको वर्क स्टेशन भी कहा जाता है।

प्रश्न 7.
सर्वर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सर्वर एक शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है। यह स्रोतों की साझेदारी में मदद करता है। यह सारे नोडज़ के कन्ट्रोल करता है।

प्रश्न 8.
नेटवर्क के कौन-कौन से भाग होते हैं ?
उत्तर-
नेटवर्क के अग्र भाग होते हैं

  1. क्लाईंट या नोड
  2. सर्वर
  3. नेटवर्क इंटरफेस कार्ड
  4. कम्यूनीकेशन चैनल।

प्रश्न 9.
नेटवर्क कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर-
नेटवर्क निम्न तीन प्रकार का होता है

  1. लोकल एरिया नेटवर्क
  2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क
  3. बाइड एरिया नेटवर्क।

प्रश्न 10.
लोकल एरिया नेटवर्क क्या होता है ?
उत्तर-
यह एक प्राईवेट नेटवर्क होता है। यह कुछ किलोमीटर, एक बिल्डिंग या एक संस्था के अन्दर का नेटवर्क होता है। यह फैक्टरियों तथा दफ्तरों में पीसी तथा वर्क स्टेशनों को जोड़कर सूचना का आदानप्रदान करता है।

प्रश्न 11.
मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क के बारे में आप क्या जानते हैं ? ।
उत्तर-
यह वह नेटवर्क है जो सारे शहर में फैला होता है। उदाहरण के तौर पर केबल टी०वी० का नेटवर्क। इसका उद्देश्य यूज़र को कोई खास सेवा प्रदान करता होता है।

प्रश्न 12.
वाइड एरिया नेटवर्क क्या होता है?
उत्तर-
यह कई देशों में फैला नेटवर्क होता है। पर कम्प्यूटरों का एक ऐसा समूह होता है जो काफ़ी दूरी तक फैला होता है। यह कई LAN को आपस में जोड़ता है। इसकी कार्य की क्षमता काफ़ी तेज़ होती है।

प्रश्न 13.
बस टोपोलोजी क्या होती है ?
उत्तर-
बस टोपोलोजी में एक साझी तार होती है। इसके साथ अन्य कम्प्यूटरों तथा यन्त्रों को जोड़ा जाता है जिस कम्प्यूटर को सन्देश भेजना होता है वह इस बस की मदद से सन्देश भेजता है।

प्रश्न 14.
रिंग तथा स्टार टोपोलोजी में क्या अन्तर है ?
उत्तर
रिंग टोपोलोजी-

  1. सारे कम्प्यूटर एक रिंग के आकार में जुड़े होते हैं।
  2. केवल खराब होने से नेटवर्क बन्द हो जाता है।
  3. इसमें हब नहीं होती।
  4. हब न होने से नेटवर्क बन्द नहीं होता।

स्टार टोपोलोजी-

  • कम्प्यूटर एक स्टार के आकार में जुड़े होते हैं।
  • कोई केबल खराब होने से नेटवर्क बन्द नहीं होता।
  • इसमें केन्द्रीय हब होती है।
  • हब बन्द होने से नेटवर्क बन्द हो जाता है।

प्रश्न 15.
ट्री टोपोलोजी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
यह टोपोलोजी एक ट्री के समान होती है। इस में बस तथा स्टार के गुण होते हैं। एक नोड के नीचे अन्य नोडज़ होती है।

प्रश्न 16.
प्रोटोकॉल क्या होते हैं ?
उत्तर-
प्रोटोकॉल नियमों का सेट होता है। यह निश्चित यन्त्रों की सूचना भेजने की आज्ञा देता है। इसके बिना किसी भी प्रकार का कार्य सम्भव नहीं होता।

प्रश्न 17.
HTTP के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
HTTP का अर्थ है Hyper Text Tranfer Protocol. यह इंटरनेट पर सूचना प्रदान करने का एक प्रोटोकॉल है। इसका असली कार्य हाइपर टैक्सट पेज को दिखाना होता है।

प्रश्न 18.
नेटवर्क की ज़रूरत क्यों होती है ?
उत्तर-
नेटवर्क की ज़रूरत निम्नलिखित कारणों के कारण होती है-

  1. कम्प्यूटर फाइलों की शेयरिंग के लिए-नेटवर्क यूजरज़ को अपनी फाइलें या सूचनाएं शेयर करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण साधन प्रदान करता है।
  2. कम्प्यूटर सीमा की बांट-कई कम्प्यूटर डिवाइस बहुत ही महंगे होते हैं, मिसाल के लिए कलर लेज़र प्रिंटर। नेटवर्क द्वारा हम इन यन्त्रों को बांट सकते हैं।
  3. अलग-अलग कम्प्यूटरों को एक-दूसरे से संचार करने के काबिल करना-नेटवर्क द्वारा अलग-अलग कम्प्यूटर एक-दूसरे से संचार करते हैं।
  4. संचार बहुत तेज़ और शुद्ध होता है-यह सम्भव है कि डाक को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में अनेकों दिन लग जाते हैं। नेटवर्क द्वारा तेज़ी से और शुद्ध सन्देश भेज सकते हैं।
  5. सस्ता साधन है-डाटा का संचार करने के लिए नेटवर्क एक सस्ता ढंग है। इसलिए कम्प्यूटर की मदद से हम डाटा बदली की लागत कम कर सकते हैं।

प्रश्न 19.
डाटा बांट को नेटवर्किंग का महत्त्वपूर्ण प्रयोग क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
नेटवर्किंग में डाटा बांट को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इससे समय और ऊर्जा दोनों की बचत होती है। किसी भी संस्था में एक फाईल को अलग-अलग विभागों के साथ बांट सकते हैं और नेटवर्क द्वारा एक-दूसरे से मिल कर काम कर सकते हैं। इससे काम जल्दी हो जाता है और लागत भी कम होती है।

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