PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 8 डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम
PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 8 डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम
PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 8 डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम
जान-पहचान (Introduction)
डाटा तथा सूचना (Data and Information )
- डाटा (Data) —डाटा उन कच्चे तथा अव्यवस्थित तथ्यों को कहते हैं जिनको अर्थपूर्ण बनाने के लिए उन पर कार्य करने की आवश्यकता होती है । डाटा अपने आप में हमें कोई भी जानकारी प्रदान नहीं करता । इन तथ्यों का अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता ।
- सूचना (Information) – सूचना प्रोसैस डाटा को कहते हैं। सूचना विभिन्न प्रकार के डाटा का एक समूह होती है जिसके ऊपर आवश्यकता अनुसार अर्थपूर्ण तरीके से प्रोसैसिंग की गई होती है । साधारण शब्दों में, जब डाटा को प्रोसैस कर लिया जाता है तो हमें सूचना प्राप्त होती है ।
डाटा Vs सूचना (Data Vs Information )
डाटा (Data) | सूचना (Information) |
1. डाटा ऐसे कच्चे तथा अव्यवस्थित तथ्य होते हैं, जिनका अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता ।
2. डाटा के ऊपर आवश्यकता अनुसार कार्य करने की आवश्यकता होती है
3. डाटा का कोई विशेष उद्देश्य नहीं होता ।
4. अकेले डाटा का कोई महत्त्व नहीं होता।
5. डाटा को बिट तथा बाइट्स में मापा जाता है।
6. डाटा से सूचना तैयार की जाती है ।
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1. प्रोसैस किए गए डाटा को सूचना कहते हैं।
2. सूचना के ऊपर आवश्यकता अनुसार कार्य किए जा चुकें होते हैं।
3. सूचना अर्थपूर्ण होती है ।
4. सूचना अपने आप में महत्त्वपूर्ण होती है।
5. सूचना को अर्थपूर्ण इकाइयों जैसे कि समय मात्रा आदि में मापा जाता है ।
6. सूचना पर निर्णय लिए जाते हैं ।
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डाटाबेस शब्दावली (Database Terminology)

फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम (File Processing System)
फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम के लाभ (Advantages of File Processing System)
- तकनीकी जानकारी की आवश्यकता नहीं – फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में किसी भी प्रकार की विशेष कंप्यूटर या साफ्टवेयर की जानकारी की आवश्यकता नहीं होती ।
- कम डाटा में आसानी – फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में कम डाटा के साथ काम करने में आसानी होती है।
- समझने में आसानी – फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में डाटा के स्ट्रक्चर को समझना डी० बी० एम०एस० से आसान होता है।
- सस्ता – फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम की कीमत कम होती है ।
- सरल – फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम सरल होता है ।
- फालतू हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं- आम करके फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में किसी हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती ।
- आसान जगह बदली – फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में डाटा की आसानी से जगह बदली जा सकती है। सिर्फ फाइलें कापी तथा पेस्ट ही करनी होती हैं।
फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम की हानियां (Disadvantages of File Processing System )
- डाटामैपिंग और अक्सैस (Data Mapping and Access ) – सब संबंधित सूचना को अलग-अलग फाइल में स्टोर करना होता है पर इनमें किसी भी प्रकार की मैपिंग नहीं होती है ।
- डाटा रिडुयनडैंसी (Redundancy) – डुपलीकेट डाटा को वैलिडेट करने के लिए फाइल सिस्टम में कोई भी तरीका नहीं होता है। फाइल सिस्टम में डुपलीकेट डाटा को संभाला नहीं जा सकता। क्योंकि इससे स्पेस घटती है जिससे डाटा को हमेशा संभाल कर रखने में मुश्किल होती है। इससे डाटाबेस संभाल सकते हैं।
- डाटा डिपैंडैंस (Data Dependence) – फाइल में डाटा एक विशेष प्रकार से स्टोर किया जाता है; जैसे कि टैब, कोमा या सैमीकालम जब फाइल का फार्मेट बदल दिया जाए। वह फाइल प्रोसैस करने के लिए पूरा प्रोग्राम बदलना पड़ेगा। सारा डाटा खराब हो जाएगा। क्योंकि बहुत प्रोग्राम फाइल का प्रयोग करते हैं। इससे फाइलों का प्रयोग काफ़ी मुश्किल हो जाता है।
- डाटा इनकनसिसटैंसी (Data Inconsistancy) – एक ही प्रकार के डाटा की भिन्न कापियों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। इस प्रकार के डाटा को इनकनसिसटेंसी कहते हैं। इसका कारण है कि फाइल की सही सूची नहीं बनी होती जिसके कारण डाटा की एक जैसी कापी नहीं होती है ।
- सुरक्षा (Security ) – प्रत्येक फाइल को पासवर्ड लगाकर सुरक्षित किया जाता है। परंतु यदि फाइल में से हम कोई रिकार्ड देखते हैं जैसे कि किसी भी यूज़र ने अपना नतीजा देखना हो तो यह फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम में बहुत मुश्किल होता है।
- एकसारता
- समकालीन अक्सैस ।
डी० बी० एम० एस० (DBMS)
डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम (Database Management System)
अच्छे डिज़ाइन के लिए ज़रूरी निर्देश (Instructions for Good Database Design)
- डाटाबेस में स्टोर किए जाने वाला डाटा सही, पूरा तथा अच्छी तरह बना होना चाहिए ताकि जब भी डाटा की आवश्यकता हो उसको बड़ी आसानी से आवश्यकता अनुसार प्राप्त किया जा सके।
- डाटाबेस सिस्टम को बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि बनाए जाने वाले डाटाबेस एप्लीकेशन को चाहे किसी भी वैबसाइट या लोकल नेटवर्क के ऊपर प्रयोग किया जाए। इसको दोनों ही स्थान पर डाटाबेस से नतीजे तेज़ तथा सही प्रदान करने चाहिए।
- डाटाबेस को बनाते समय डाटाबेस के डिजाइन का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। यदि डाटाबेस को अच्छे तरीके से डिजाइन न किया जाए तो इसे चलाने वाला प्रोग्राम चाहे कितना ही बढ़िया क्यों न बना लिया जाए परंतु इससे आवश्यकता अनुसार नतीजे प्राप्त करने में काफ़ी मुश्किलें आएंगी।
- डाटाबेस को भविष्य में आने वाली मुश्किलों तथा बदलाव को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया जाना चाहिए।
डाटाबेस का प्रयोग (Applications of Database )
- बैंकिंग क्षेत्र में इसका प्रयोग बैंक अकाऊंट की देख-रेख तथा प्रबंधन के लिए |
- एयरलाइन रिजर्वेशन तथा इंफॉर्मेशन के शेड्यूल बनाने के लिए।
- यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट को इंफॉर्मेशन तथा कोर्स के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए ।
- किसी संस्था की महीने बाद स्टेटमैंट बनाने के लिए।
- दूरसंचार के क्षेत्र में विभिन्न सेवाओं का प्रबंधन करने के लिए।
- फाइनेंस के क्षेत्र में सेल तथा पर्चेज की जानकारी पोस्ट करने के लिए ।
- सेल में ग्राहक के प्रोडक्ट की खरीद संबंधी जानकारी को संभालने के लिए।
- मैन्यूफैक्चरिंग में मैनेजमैंट में सपलाई तथा वेयरहाउस के ऑर्डर को जानकारी को दूर करने के लिए।
- मानव संसाधन क्षेत्र में कर्मचारियों की तनख्वाह, पेरोल, टैक्स संबंधी जानकारी को दूर करने के लिए।
DBMS की विशेषताएं (Features of DBMS)
- DBMS में बहुत बड़ी मात्रा में डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है । यह क्षमता प्रयोगकरता की आवश्यकता के अनुसार बढ़ाई या घटाई भी जा सकती है। एक डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम सीधे ही उपकरणों पर डाटा स्टोर करता है ।
- DBMS में फाइलों पर कार्य करने की काबलियत होती है। यह अपनी विभिन्न कमांड द्वारा डाटा को तैयार कर सकता है, उसका प्रबंधन कर सकता है तथा अन्य कई प्रकार के ऑपरेशन कर सकता है ।
- विभिन्न प्रकार के आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए कई प्रकार के ऑपरेशनल यूनिट्स बनाए जाते हैं। इस सभी का मकसद डाटा के दोहरेपन को समाप्त करना होता है l
- सिस्टम को कंट्रोल कर के डाटाबेस का सीमित उपयोग तथा डाटाबेस में महत्त्वपूर्ण आंकड़ों का विशेष प्रबंधन किया जा सकता है ।
- डाटाबेस के अंदर विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम भी शामिल किए जा सकते हैं ।
DBMS के लाभ (Advantages of DBMS)
- आंकड़ों का विभाजन (Data Sharing) – किसी भी डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में सभी आंकड़ों की संस्था की आवश्यकता अनुसार विभिन्न भागों में बांटा गया होता है । डाटाबेस मैनेजर इस जानकारी के विशाल भंडार का विश्लेषण कर सकता है। डाटाबेस का यह भंडार आम फाइल प्रणाली से काफ़ी बड़ा हो सकता है।
- बहुलता का नियंत्रण (Controlled Redundancy) – किसी भी डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में डाटा की बहुलता की विभिन्न प्रक्रिया का प्रयोग करके नियंत्रण किया गया होता है ।
- बेहतर प्रशासन तथा कंट्रोल (Improved Data Administration and Control) – डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम अपनी विभिन्न प्रकार की सड़कों के कारण एक बढ़िया प्रकार का डाटा प्रशासन तथा कंट्रोल प्रदान करता है। डाटा का प्रबंधन करने के लिए कई प्रकार के टूल्ज़ तथा तकनीकें प्रदान की जाती हैं।
- विभिन्न प्रोग्रामों का प्रयोग (Use of different programs) – डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में कई प्रकार के रूटीन कार्य करने के लिए विभिन्न प्रकार के बढ़िया एप्लीकेशन प्रोग्राम तथा तकनीक प्रदान की जाती हैं। ये सभी तकनीकें फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम की कमियों को दूर करने में सहायता करती हैं ।
- बेहतर सुरक्षा ( Better Data Security) – डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में सुरक्षा का भी बहुत बढ़िया प्रबंध होता है। किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को डाटा की पहुंच नहीं होती। जिस व्यक्ति को जितनी सहूलियत दी गई होती है वह व्यक्ति तक ही पहुंच सकता है। इस प्रकार डाटा विभिन्न योजनाओं के बीच भी अपनी गोपनीयता बनाए रखता है ।
- बैकअप तथा रिकवरी की सहूलियत (Facility of backup and recovery) — कोई भी अच्छा डाटाबेस मैनेजमैंट अपने यूज़र्स को डाटा का बैकअप लेने की बढ़िया सहूलियत प्रदान करता है। इसी के साथ यह सिस्टम बैकअप लिए गए डाटा को दोबारा रीस्टोर करने तथा डाटा खराब होने की सूरत में डाटा रिकवरी की सुलेख भी प्रदान करता है ।
- दोहरेपन से बचाव ( Safety from duplicacy ) – एक अच्छे डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में डाटाबेस डुप्लीकेसी से बचने के लिए प्रदान की जाती है।
DBMS की हानियां (Disadvantages of DBMS)
- उच्च कीमत (High Rate) – एक डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम सॉफटवेयर काफ़ी महंगा होता है । इसको प्रयोग करने के लिए आवश्यकता अनुसार अन्य सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर की आवश्यकता होती है। यह सभी कुछ मिलकर डी० बी० एम०एस० की कीमत को काफ़ी बढ़ा देते हैं l
- पेचीदापन (Complexity ) – एक डी० बी० एम०एस० सॉफ्टवेयर काफ़ी पेचीदा होता है । इसको तैयार करना काफ़ी मुश्किल कार्य होता है तथा इसको प्रयोग करने के लिए भी कई प्रकार की विशेष ट्रेनिंग लेने की आवश्यकता होती है।
- असफलता की संभावना (Possibility of Failure) – क्योंकि एक डी० बी० एम०एस० एक सॉफ्टवेयर तथा विभिन्न प्रकार के हार्डवेयर पर निर्भर करता है, यह सभी कुछ किसी भी समय असफल हो सकता है। असफल होने की स्थिति में डाटा के नुकसान की संभावना काफ़ी अधिक होती है ।
- मैमोरी की आवश्यकता (Need of Memory) – एक डी० बी० एम०एस० को ढंग से चलने के लिए काफ़ी अधिक मैमरी की आवश्यकता होती है। यह मैमरी आम कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली मैमरी से काफ़ी अधिक होती है ।
- अधिक परिवर्तन लागत (More Change Expense) – पहले से चल रहे किसी भी सिस्टम को आंधुनिक डी० बी०एम०एस० में बदलने की लागत काफ़ी अधिक होती है। कई बार यह लागत किसी कंपनी के लिए उसकी पहुंच से भी अधिक होती है ।
- मुश्किल स्थानांतरण (Difficulty in Change ) – डी० बी०एम०एस० के लिए आवश्यक हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य आसान नहीं होता।
फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम Vs. डी० बी० एम० एस० (File Processing System Vs. DBMS)
फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम (File Processing System) | डी० बी० एम० एस० (DBMS) |
1. इसमें कंप्यूटर के अंदर एक स्टोरेज माध्यम में फाइलों का प्रबंधन किया जाता है।
2. इस सिस्टम में डुप्लीकेट डाटा मौजूद हो सकता है।
3. इस सिस्टम में क्रैश रिकवरी की विधि नहीं होती ।
4. यदि डाटा नष्ट हो जाए तो डाटा का बैकअप तथा रिकवरी प्रदान नहीं की जाती ।
5. फाइल सिस्टम में कोई प्रभावशाली क्यूरी प्रोसैसिंग सिस्टम नहीं होता ।
6. फाइल सिस्टम में डाटा की कंसिस्टेंसी कम होती है।
7. यह एक सरल सिस्टम होता है ।
8. फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम कम सुरक्षा प्रदान करता ।
9. यह सिस्टम काफ़ी सस्ता होता है।
10. इसके लिए अधिक तजुर्बेकार व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं होती ।
11. इसका प्रयोग कम हो रहा है।
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1. डाटाबेस के प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है ।
2. इस सिस्टम में डुप्लीकेट डाटा मौजूद नहीं होता।
3. डी०बी०एम०एस० क्रश रिकवरी की विधि प्रदान करता है ।
4. डाटा को नष्ट होने से बचाने के लिए डाटा बैकअप तथा रिकवरी की विधियां प्रदान की जाती हैं ।
5. डी०बी०एम०एस० में एक प्रभावशाली क्यूरी प्रोसैसिंग सिस्टम होता है ।
6. नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस कारण डाटा में ज्यादा कंसिस्टेंसी होती है ।
7. डी०बी०एम०एस० एक पेचीदा सिस्टम होता है ।
8. डी०बी०एम०एस० सुरक्षा की काफी विधियां प्रदान करता है।
9. डी०बी०एम०एस० की कीमत फाइल सिस्टम के मुकाबले काफ़ी अधिक होती है।
10. इसके लिए तजुर्बेकार व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
11. इसका प्रयोग बढ़ रहा है ।
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DBMS वातावरण के कंपोनेंट्स (भाग) (Components of DBMS Environment)


- एप्लीकेशन प्रोग्रामर्ज़ (Application Programmers) — जो यूज़र डाटाबेस के ऊपर विभिन्न कार्य करने के लिए प्रोग्रामिंग भाषाओं का प्रयोग करते हुए एप्लीकेशन प्रोग्राम बनाते हैं, उनको एप्लीकेशन प्रोग्रामर कहा जाता है ।
- डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर्ज़ (Database Administrators) — वह व्यक्ति जो संपूर्ण डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम का प्रबंधन तथा कंट्रोल करता है उसे डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर कहा जाता है। डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर को साधारणतया डी० बी०ए० भी कहा जाता है । यह एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह हो सकता है । इन व्यक्तियों के ऊपर संपूर्ण डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम को संभालने की ज़िम्मेदारी होती है ।
- एंड यूज़र्स (End Users) — एंड यूज़र्स वे होते हैं जो डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में विभिन्न प्रकार के डाटाबेस कमांडों का प्रयोग करते हुए डाटा पर कार्य करते हैं। इनके मुख्य कार्य डाटा दाखिल करना डाटा, अपडेट करना, डाटा प्राप्त करना तथा डाटा डिलीट करना आदि होता है ।
डाटाबेस ऑपरेशनज़ (Database Operations )

- डाटा डेफिनेशन ऑपरेशन (Data Definition Operations) — इस श्रेणी में वे सारे कार्य शामिल होते हैं जो डाटाबेस में डाटा स्ट्रक्चर जैसे कि टेबल आदि को परिभाषित करने, एडिट करने तथा मिटाने के लिए किए जाते हैं । Create, Alter and Drop कमांडों का प्रयोग मुख्य रूप से इस श्रेणी के कार्यों को करने के लिए किया जाता है। डाटाबेस के ऊपर ये सारी कमांडें साधारणतया डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा प्रयोग की जाती हैं ।
- डाटा मैनिपुलेशन ऑपरेशन (Data Manipulation Operation ) – इस श्रेणी में वह कार्य शामिल किए जाते हैं जो डाटाबेस में स्टोर डाटा पर रोज़ाना के कार्य करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसमें होने वाले मुख्य कार्य हैं – नया रिकॉर्ड दाखिल करना, रिकॉर्ड को एडिट करना, रिकार्ड को मिटाना या रिकॉर्ड को देखना । Insert, update, delete and select आदि मुख्य कमांड्स हैं, जिनका प्रयोग इस श्रेणी के कार्यों को करने के लिए किया जाता है । इस श्रेणी के कार्य मुख्य रूप से एंड यूज़र्स द्वारा किया जाते हैं ।
- डाटा कंट्रोल ऑपरेशनज़ (Data Control Operations) – इस श्रेणी में वे सारे ऑपरेशन शामिल होते हैं जो डाटाबेस पर विभिन्न गतिविधियों को कंट्रोल करने के लिए किए जाते हैं । इस श्रेणी में किए जाने वाले मुख्य कार्य हैं- यूज़र्स को टेबल के ऊपर सिलैक्टेड समय की आज्ञा देना या दी गई आज्ञा को रद्द करना । इस श्रेणी की मुख्य कमांडें हैं – Grant and Revoke. इस श्रेणी के कार्य मुख्य रूप से डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किए जाते हैं ।
Computer Guide for Class 9 PSEB डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम Textbook Questions and Answers
बहुविकल्पीय प्रश्न :
पूरे नाम लिखो :
छोटे उत्तरों वाले प्रश्न :
बड़े उत्तरों वाले प्रश्न :
डाटा (Data) | सूचना (Information) |
1. डाटा ऐसे कच्चे तथा अव्यवस्थित तथ्य होते हैं, जिनका अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता।
2. डाटा के ऊपर आवश्यकता अनुसार कार्य करने की आवश्यकता होती है।
3. डाटा का कोई विशेष उद्देश्य नहीं होता।
4. अकेले डाटा का कोई महत्त्व नहीं होता।
5. डाटा को बिट तथा बाइट्स में मापा जाता है ।
6. डाटा से सूचना तैयार की जाती है ।
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1. प्रोसैस किए गए डाटा को सूचना कहते हैं ।
2. सूचना के ऊपर आवश्यकता अनुसार कार्य किए जा चुके होते हैं ।
3. सूचना अर्थपूर्ण होती है ।
4. सूचना अपने आप में महत्त्वपूर्ण होती है ।
5. सूचना को अर्थपूर्ण इकाइयों जैसे कि समय मात्रा आदि में मापा जाता है ।
6. सूचना पर निर्णय लिए जाते हैं ।
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- सॉफ्टवेयर (Software)– सॉफ्टवेयर डाटाबेस सिस्टम में प्रयोग होने वाले प्रोग्रामों का संग्रह होता है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम, डी०बी०एम०एस० सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन प्रोग्राम तथा यूटिलिटी प्रोग्राम हो सकते हैं ।
- ऑपरेटिंग सिस्टम – ऑपरेटिंग सिस्टम सारे हार्डवेयर कंपोनेंट्स का प्रबंध करता है। इसमें बाकी सारे सॉफ्टवेयर चलाए जाते हैं। यूनिक्स, लिनिक्स, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज आदि डाटा वातावरण में प्रयोग किए जाने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम हैं।
- डी०बी०एम०एस० सॉफ्टवेयर – डी० बी० एम०एस० सॉफ्टवेयर का प्रयोग डाटाबेस सिस्टम में डाटाबेस का प्रबंधन करने के लिए किया जाता है । कुछ महत्त्वपूर्ण डी० बी० एम०एस० सॉफ्टवेयर के नाम हैं – Oracle, DB2, MySql, MS Access and SQL
- एप्लीकेशन प्रोग्राम तथा यूटिलिटी सॉफ्टवेयर – इन सॉफ्टवेयर का प्रयोग डाटाबेस में से डाटा को प्राप्त करने तथा उस पर कार्य करने के लिए किया जाता है ।
- हार्डवेयर (Hardware) – डी० बी० एम०एस० वातावरण में डाटाबेस सिस्टम के सारे भौतिक उपकरण शामिल होते हैं। किसी भी संस्था के डाटा के ऊपर प्रोसैसिंग करने के लिए एक शक्तिशाली कम्प्यूटर सिस्टम सबसे महत्त्वपूर्ण तथा ज़रूरी भाग होता है। बड़ी-बड़ी संस्थाओं में यह शक्तिशाली कम्प्यूटर एक मेनफ्रेम कम्प्यूटर या मिनी कम्प्यूटर भी हो सकता है । डी०बी०एम०एस० को कार्य करने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में मैमरी की आवश्यकता होती है। डाटाबेस में बड़ी मात्रा में डाटा को दूर करने के लिए एक बड़ी सेकेंडरी स्टोरेज की भी आवश्यकता होती है। इसी प्रकार बहुत सारे यूज़र्स की रिक्वेस्ट को हैंडल करने के लिए एक बड़ी मात्रा में मेन मैमरी की आवश्यकता भी होती है ।
- प्रोसीजर्ज़ (Procedures) — प्रोसीजर से अभिप्राय हैं वह नियम तथा निर्देश जो डाटाबेस को डिज़ाइन करने तथा डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में प्रयोग करने में सहायता करते हैं। प्रोसीजर का प्रयोग एक नया डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम सेटअप करने, इंस्टॉल करने, डी० बी०एम०एस० में लोगिन करने, लॉग आऊट करने, डी०बी०एम०एस० या एप्लीकेशन का प्रबंधन करने, डाटाबेस का बैकअप लेने तथा डाटाबेस की बनावट को बदलने आदि कार्यों के लिए किया जाता है।
- डाटा (Data) — यह किसी भी डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग होता है। डी०बी०एम०एस० का मुख्य कार्य डाटा की प्रोसैसिंग करना होता है। डी०बी०एम०एस० में डाटाबेस को परिभाषित करके डाटाबेस बनाया जाता है तथा फिर डाटा को डाटाबेस में से किया जाता है आवश्यकता पड़ने पर डाटाबेस में से पुनः डाटा को प्राप्त तथा अपडेट किया जा सकता है। डाटाबेस में फार्मेट डाटा तथा असली डाटा दोनों प्रकार के डाटा स्टोर किए जाते हैं ।
- यूज़र्स (Users ) — यूज़र्स वे लोग होते हैं जो डाटाबेस को कंट्रोल करने, प्रबंधन करने तथा डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम का प्रयोग करते हुए डाटाबेस के ऊपर विभिन्न कार्य करते हैं। डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम वातावरण में बहुत सारे विभिन्न प्रकार के यूज़र्स कार्य करते हैं। ये यूज़र्स डी० बी०एम०एस० में विभिन्न भूमिकाएं निभाते हैं।
- एप्लिकेशन प्रोग्रामर्ज़ (Application Programmers)
- डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर (Database Administrator)
- एंड यूज़र्स (End Users)
फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम (File Processing System) | डी० बी० एम० एस० (DBMS) |
1. इसमें कंप्यूटर के अंदर एक स्टोरेज माध्यम में फाइलों का प्रबंधन किया जाता है।
2. इस सिस्टम में डुप्लीकेट डाटा मौजूद हो सकता है।
3. इस सिस्टम में क्रैश रिकवरी की विधि नहीं होती ।
4. यदि डाटा नष्ट हो जाए तो डाटा का बैकअप तथा रिकवरी प्रदान नहीं की जाती ।
5. फाइल सिस्टम में कोई प्रभावशाली क्यूरी प्रोसैसिंग सिस्टम नहीं होता ।
6. फाइल सिस्टम में डाटा की कंसिस्टेंसी कम होती है।
7. यह एक सरल सिस्टम होता है ।
8. फाइल प्रोसैसिंग सिस्टम कम सुरक्षा प्रदान करता ।
9. यह सिस्टम काफ़ी सस्ता होता है।
10. इसके लिए अधिक तजुर्बेकार व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं होती ।
11. इसका प्रयोग कम हो रहा है।
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1. डाटाबेस के प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है ।
2. इस सिस्टम में डुप्लीकेट डाटा मौजूद नहीं होता।
3. डी०बी०एम०एस० क्रश रिकवरी की विधि प्रदान करता है ।
4. डाटा को नष्ट होने से बचाने के लिए डाटा बैकअप तथा रिकवरी की विधियां प्रदान की जाती हैं ।
5. डी०बी०एम०एस० में एक प्रभावशाली क्यूरी प्रोसैसिंग सिस्टम होता है ।
6. नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस कारण डाटा में ज्यादा कंसिस्टेंसी होती है ।
7. डी०बी०एम०एस० एक पेचीदा सिस्टम होता है ।
8. डी०बी०एम०एस० सुरक्षा की काफी विधियां प्रदान करता है।
9. डी०बी०एम०एस० की कीमत फाइल सिस्टम के मुकाबले काफ़ी अधिक होती है।
10. इसके लिए तजुर्बेकार व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
11. इसका प्रयोग बढ़ रहा है ।
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DBMS के लाभ –
- डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम में डुप्लीकेसी को कंट्रोल किया जा सकता है।
- डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम का प्रयोग करने से डाटा की इनकंसिस्टेंसी पैदा नहीं होती । इस किस्म की परिस्थितियों को डी०बी० एम०एस० कंट्रोल कर लेता है ।
- डी०बी०एम०एस० में डाटा को कई एप्लीकेशन द्वारा तथा कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा सकता है ।
- डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम डाटा के बैकअप तथा रिकवरी को भी प्रदान करता है।
- डी०बी०एम०एस० में डाटाबेस तक अनधिकृत पहुंच नहीं हो सकती ।
- डी०बी०एम०एस० में एक ही समय पर बहुत से यूज़र्स कार्य कर सकते हैं।
PSEB 8th Class Computer Guide डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम Important Questions and Answers
रिक्त स्थान भरें :
छोटे उत्तरों वाले प्रश्न :
- डाटा को स्टोर करना ।
- डाटय से सूचना तैयार करना ।
- स्टोर की सूचना को दोबारा प्राप्त करना ।
- सूचना को बदलना।
- अनावश्यक सूचना को डिलीट करना ।
- सूचना को आवश्यक क्रम में लगाना ।
- सूचनाओं के मेल से नई सूचना तैयार करना ।