RBSE Class 10 Sanskrit रचनात्मक कार्यम् अनुवाद-कार्यम् (हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद)
RBSE Class 10 Sanskrit रचनात्मक कार्यम् अनुवाद-कार्यम् (हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद)
RBSE Class 10 Sanskrit रचनात्मक कार्यम् अनुवाद-कार्यम् (हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद)
हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिए संस्कृत व्याकरण के नियमों, शब्द व धातु रूपों का ज्ञान अत्यावश्यक है। हमने यहाँ हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद बनाने के लिए प्रमुख नियमों को सरलता से सोदाहरण समझाया है। विद्यार्थी इन नियमों को हृदयंगम कर तथा अभ्यास-कार्य के द्वारा संस्कृत में अनुवाद करने में सक्षम हो सकेंगे।
अनुवाद के लिए ध्यान देने योग्य निर्देश :
हिन्दी वाक्य का संस्कृत में अनुवाद करने के लिए उस वाक्य में कर्ता, क्रिया, कर्म, काल तथा अन्य कारक-चिह्नों को समझ लेना चाहिए। सर्वप्रथम कर्ता को देखना चाहिए तथा उसके लिंग, वचन और पुरुष के विषय में निर्धारण करना चाहिए. यदि वह शब्द पल्लिंग है तो उस शब्द का संस्कत में पल्लिंग एकवचन है तो एकवचन का प्रयोग करना चाहिए तथा उसके पुरुष के बारे में समझना चाहिए कि वह प्रथम पुरुष है या मध्यम पुरुष है या उत्तम पुरुष है। उसी के अनुसार प्रयोग करना चाहिए। तत्पश्चात् कर्ता के अनुसार उसी वचन व पुरुष की क्रिया का उपयोग किया जाना चाहिए। कारकों या विभक्ति के अनुसार उसी शब्द का प्रयोग होना चाहिए।
जैसे कर्ता कारक में प्रथमा विभक्ति होती है, उस प्रथमा विभक्ति को कर्ता के वचन के अनुसार प्रयोग करना चाहिए। इसी प्रकार कर्म कारक में द्वितीया विभक्ति, करण कारक में तृतीया विभक्ति, सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति, अपादान कारक में पंचमी विभक्ति, सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति, अधिकरण में सप्तमी विभक्ति तथा सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है। अत: अनुवाद करने के लिए शब्द-रूपों तथा धातु-रूपों का एवं व्याकरण का सामान्य ज्ञान होना आवश्यक है। इसके लिए सर्वप्रथम कारकों या विभक्तियों की जानकारी होनी चाहिए। इनके नामों तथा चिह्नों का ज्ञान अच्छी तरह से होना चाहिए, इसके लिए निम्नस्थ तालिका द्रष्टव्य है –
अनुवाद करते समय सर्वप्रथम कर्ता और क्रिया पर ध्यान देना चाहिए। कर्ता अन्य या प्रथम पुरुष, मध्यम पुरुष तथा उत्तम पुरुष में से किसी का भी हो सकता है। किसी क्रिया के एक काल (लकार) में नौ प्रकार के कर्ता हो सकते हैं। जहाँ अस्मद् शब्द के अहम् (मैं), आवाम् (हम दो), वयम् (हम सब) रूपों का प्रयोग किया जाता है, वहाँ उत्तम पुरुष की क्रिया का प्रयोग होगा। जैसे-अहं पठामि। आवां पठावः। वयं पठामः। जहाँ युष्मद् शब्द के त्वम् (तुम); युवाम् (तुम दो) तथा यूयम् (तुम सब) रूपों का प्रयोग होता है, वहाँ मध्यम पुरुष की क्रिया का प्रयोग होगा। जैसे-त्वं पठसि। युवां पठथः। यूयं पठथ। शेष सभी संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्द प्रथम पुरुष में आते हैं तथा उनके साथ प्रथम पुरुष की क्रिया का ही प्रयोग होगा। जैसे-रामः पठति। तौ पठतः। बालकाः पठन्ति।
प्रत्येक पुरुष में तीन वचन होते हैं-एकवचन, द्विवचन तथा बहुवचन। क्रियाओं के रूप भी इसी प्रकार तीनों पुरुषों तथा तीनों वचनों में चलते हैं। अतः जैसा कर्ता होगा, वैसी ही क्रिया भी होगी। यथा –
उपर्युक्त कर्ता व क्रिया के अनुसार अनुवाद करते समय ऊपर बताये गये नियम के अनुसार कर्ता के अनुसार ही क्रिया का प्रयोग करना चाहिए। यहाँ वर्तमान काल की क्रिया का रूप दिया गया है, अन्य काल अथवा लकारों में भी इसी प्रकार कर्ता के अनुसार क्रिया का प्रयोग करें। अभ्यासार्थ उक्त कर्ता व क्रियाओं को जोड़कर निम्नवत् वाक्य रचना होगी –
किसी भी वाक्य में कर्ता स्त्रीलिंग, पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग का हो सकता है, परन्तु क्रिया पर इस लिंग-भेद का कोई प्रभाव नहीं होगा। जैसे–’बालकः पठति’ (बालक पढता है) तथा ‘बालिका पठति’ (बालिका पढ़ती है)। यहाँ ‘बालक’ शब्द पुल्लिंग का प्रथम पुरुष एकवचन का कर्ता है, अत: उसके साथ क्रिया भी प्रथम पुरुष एकवचन है। इसी प्रकार ‘बालिका’ शब्द स्त्रीलिंग में प्रथम पुरुष, एकवचन का कर्ता है, अतः उसके साथ भी प्रथम पुरुष एकवचन की क्रिया का प्रयोग हुआ है। इसी प्रकार अन्य पुरुषों तथा वचनों में भी स्त्रीलिंग के कर्ता होने पर भी उसी पुरुष व वचन की क्रिया होगी, साथ ही नपुंसकलिंग में भी कर्ता के अनुसार ही क्रिया होगी। जैसे –
यहाँ लट् लकार (वर्तमान काल) की क्रियाओं के उदाहरण दिये गये हैं। अन्य कालों लङ् लकार (भूतकाल), लृट्लकार (भविष्यत् काल), लोट्लकार (आज्ञार्थक) तथा विधिलिङ् (प्रेरणार्थक, चाहिए अर्थ में) की क्रियाओं के भी प्रयोग वर्तमान काल की क्रियाओं के समान ही चलेंगे।
लट् लकार (वर्तमान काल) का प्रयोग नोट-लट् लकार का प्रयोग :
वर्तमान काल की क्रियाओं के साथ होता है। जो कार्य वर्तमान में हो रहा है; जैसे-पढ़ता है, जा रहा है, खेल रही है, इत्यादि क्रियाओं में लट् लकार की क्रिया कर्ता के अनुसार लगानी चाहिए।
लङ् लकार (भूतकाल) का प्रयोग :
नोट – कार्य की समाप्ति-सूचक शब्दों में तथा जिन क्रियाओं के अन्त में था, थे, थी हो एवं कार्य के हो . चुकने का ज्ञान हो, उस भूतकाल को बताने वाली क्रिया में लङ् लकार का प्रयोग होता है। जैसे –
लृट् लकार (भविष्यत् काल) का प्रयोग :
नोट – जिस क्रिया का होना सूचित हो तथा क्रिया के अन्त में गा, गे, गी आवे उसमें लृट् लकार का प्रयोग किया जाता है। इसमें भी कर्ता जिस पुरुष व वचन का होगा, क्रिया भी उसी पुरुष व बचन की होगी। जैसे –
लोट् लकार (आज्ञार्थक) का प्रयोग :
नोट – आज्ञा देने अथवा निमन्त्रण अर्थ में लोट् लकार का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
विधिलिङ् लकार (प्रेरणार्थक, चाहिए के अर्थ में) का प्रयोग :
नोट – विधि, प्रेरणा अथवा चाहिए अर्थ बतलाने में क्रिया में विधिलिङ् लकार का प्रयोग होता है। जैसे –
इस प्रकार हमें संस्कृत में अनुवाद करते समय व्याकरण के नियमों को ध्यान में रखते हुए कर्ता, क्रिया तथा अन्य शब्दों में उचित विभक्ति का प्रयोग करना चाहिए। कर्ता एवं क्रिया में समान विभक्ति, पुरुष तथा वचन का प्रयोग करें। बीच के शब्दों में हमें कारकों के नियमानुसार शब्दों में विभक्ति लगानी चाहिए। इसके लिए ‘कारक-प्रकरण’ में उपपद विभक्तियों का ज्ञान कराया गया है। जैसे-“पत्रः पित्रा सह गच्छति।” (पत्र पिता के साथ जाता है। यहाँ ‘पित्रा’ शब्द में कारक चिह्न के कारण तो षष्ठी विभक्ति आती, किन्तु इसका सम्बन्ध ‘सह’ उपपद के साथ होने के कारण तृतीया विभक्ति प्रयुक्त हुई है। इसी प्रकार अन्य उपपदों का ध्यान रखते हुए अनुवाद करते समय उचित विभक्ति लगानी चाहिए।
अनुवाद करने के लिए यत्र, तत्र, कुत्र, च, सर्वदा आदि अव्ययों का ज्ञान भी अपेक्षित है। अनुवाद. में अव्यय बहुत काम आते हैं। इनका विस्तृत विवेचन ‘अव्ययः प्रकरण’ में किया जा चुका है। साथ ही उपसर्ग एवं प्रत्ययों का प्रयोग भी अनुवाद में यथा-स्थान करना चाहिए। यहाँ अभ्यासार्थ सभी तरह के हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद के उदाहरण दिए गये हैं। छात्र इसी प्रकार अन्य वाक्यों का भी संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं।
निर्देश-अधोलिखितवाक्यानां संस्कृतेऽनुवादो विधेयः –
(निर्देश-निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए-)
1. शीला मोहन के साथ विद्यालय जाती है।
शीला मोहनेन सह विद्यालयं गच्छति।
2. मेरी कक्षा में तीस छात्र हैं।
मम कक्षायां त्रिंशत् छात्राः सन्ति।
3. क्या तुमने गीता पढ़ी?
किम् त्वम् गीता अपठः?
4. बालक घर जाकर दूध पीयेंगे।
बालकाः गृहं गत्वा दुग्धं पास्यन्ति।
5. सभी छात्र खेल के मैदान में खेलें।
सर्वे छात्राः क्रीडाक्षेत्रे क्रीडन्तु।
6. मोहन राम से सुन्दर है।
मोहनः रामात् सुन्दरतरः।
7. उसने पुस्तक पढ़ी।
सः पुस्तकम् अपठत्।
8. मेरी कक्षा में तीस छात्र हैं।
मम कक्षायां त्रिंशत् छात्राः सन्ति।
9. हमें मार्ग में नहीं दौड़ना चाहिए।
वयं मार्गे न धावेम।
10. तुम वहाँ किसका चित्र देखोगे?
त्वम् तत्र कस्य चित्रं द्रक्ष्यसि?
11. गुरु शिष्य पर क्रोध करता है।
गुरुः शिष्याय क्रुध्यति।
12. मैं कल दिल्ली जाऊँगा।
अहं श्व: दिल्ली गमिष्यामि।
13. रमा का भाई यहाँ रहता था।
रमायाः भ्राता अत्र अनिवसत्।
14. हमें अपने देश की रक्षा करनी चाहिए।
वयं स्वदेशस्य रक्षां कुर्याम।
15. राजा ब्राह्मण को गाय देता है।
नृपत: विप्राय धेनुः ददाति।
16. गुरु शिष्य पर क्रोध करता है।
गुरुः शिष्याय क्रुध्यति।
17. इस शहर में सरोवर है।
अस्मिन् नगरे तडागः वर्तते।
18. सोहन अश्व से गिर पड़ा।
सोहनः अश्वात् अपतत्।
19. शिशु को दूध पीना चाहिए।
शिशुः दुग्धं पिबेत्।
20. सीता हमेशा सत्य बोलती है।
सीता सदा सत्यं वदति।
21. हमें संस्कृत पढ़ना चाहिए।
वयं संस्कृतं पठेम।
22. पिता पुत्र पर क्रोध करता है।
पिता पुत्राय क्रुध्यति।
23. दौड़ता हुआ बालक गिर गया।
धावन् बालकः अपतत्।
24. कल हम सब नाटक देखेंगे।
श्वः वयं नाटकं द्रक्ष्यामः।
25. वह पैर से लँगड़ा है।
सः पादेन खञ्जः अस्ति।
26. वह मेरे साथ खेलता है।
सः मया सह क्रीडति।
27. वह हमेशा सत्य बोलता है।
सः सदा सत्यं वदति।
28. ‘क्या तुम दोनों यहाँ रहोगे?
किम युवाम् अत्र वत्स्यथः?
29. इस शहर में सरोवर है।
अस्मिन् नगरे सरोवरः अस्ति।
30. मोहन वृक्ष से गिर पड़ा।
मोहनः वृक्षात् अपतत्।
31. वह चित्र देखती है।
सा चित्रं पश्यति।
32. हे महेश! तू किताब पढ़।
भो महेश! त्वं पुस्तकं पठ।
33. शिष्य गुरु के पास जाता है।
शिष्यः गुरुम् उपगच्छति।
34. मेरे पिता कृषक हैं।
मम पिता कृषकः अस्ति।
35. वह माता के साथ जाती है।
सा मात्रा सह. गच्छति।
36. दीपक सभी छात्रों में श्रेष्ठतम है।
दीपकः सर्वेषु छात्रेषु श्रेष्ठतमः अस्ति।
37. हे रमा! तुम खाना खाओ।
हे रमे! त्वं भोजनं खादय।
38. बच्चों को खेलना भाता है।
बालकेभ्यः क्रीडनं रोचते।
39. वह पुस्तक पढ़ता है।
सः पुस्तकं पठति।
40. हे लता! तुम चित्र देखो।
हे लते! त्वं चित्रं पश्य।
41. सोहन पैर से लँगड़ा है।
सोहनः पादेन खञ्जः अस्ति।
42. विशिष्ट ज्ञान ही विज्ञान है।
विशिष्टं ज्ञानमेव विज्ञानमस्ति।
43. बशीर रहीम से अधिक चतुर है।
बशीरः रहीमात् चतुरतरः अस्ति।
44. दुःख में विचलित मत होओ।
दुःखे उद्विग्नो मा भव।
45. पृथ्वी सूरज के चारों ओर घूमती है।
पृथ्वीः सूर्यं परितः भ्रमति।
46. वे दोनों अपने गाँव गए।
तौ स्वग्रामं गतौ।
47. मेरे पिता प्रात: पाँच बजे उठते हैं।
मम पिता प्रातः पञ्चवादने उत्तिष्ठति।
48. हे मोहन! तम घर में क्या पढते हो?
हे मोहन! त्वं गृहे किं पठसि?
49. तुम पत्र लिखकर चलो।
त्वं पत्रं लिखित्वा चल।
50. उसने वन में सिंह देखा।
सः वने सिंहम् अपश्यत्।
51. हे रमा! तुम लेख लिखो।
हे रमे! त्वं लेखं लिख।
52. मैं बाग की ओर जाऊँगा।
अहम् उद्यानं प्रति गमिष्यामि।
53. वह कलम से पत्र लिखती है।
सा कलमेन पत्रं लिखति।
54. वे सब वहाँ कब गये?
ते तत्र कदा अगच्छन् ?
55. छात्र विद्यालय जाते हैं।
छात्राः विद्यालयं गच्छन्ति।
56. हे शीला! सदा सत्य बोलो।
हे शीले! सदा सत्यं वदतु।
57. यह पुस्तक किसकी है?
इदं पुस्तकं कस्य अस्ति?
58. हम सब आज चलचित्र देखेंगे।
वयं सर्वे अद्य चलचित्रं द्रक्ष्यामः।
59. वज्र से भी कठोर और फूल से भी कोमल चित्त किसके होते हैं?
वज्रादपि कठोराणि कुसुमादपि मृदूनि केषां चेतांसिं भवन्ति?
60. विद्या विष की तरह अनिष्टकारी कब होती है?
विद्या विषमिव अनिष्टकरी कदा भवति?
61. वह मेरा भाई है।
सः मम भ्राता अस्ति।
62. सीता जयपुर से कब आयेगी?
सीता जयपुरात् कदा आगमिष्यति?
63. हम यहाँ पढ़ते हैं।
वयमत्र पठामः।
64. तुम घर जाकर पुस्तक लाओ।
त्वं गृहं गत्वा पुस्तकम् आनयं।
65. वे यहाँ क्या काम करेंगे?
ते अत्र किं कार्य करिष्यन्ति?
66. यह मेरा तृतीय पुत्र है।
अयं मम तृतीयः पुत्रोऽस्ति।
67. तू घर जा, पुस्तक पढ़।
त्वं गृहं गच्छ, पुस्तकं पठः।
68. रमा के साथ कौन गया?
रमया सह कः अगच्छत्?
69. मैं राम के साथ पढ़ता हूँ।
अहम् रामेण सह पठामि।
70. यह मेरा दूसरा पुत्र है।
अयम् मम द्वितीयः पुत्रोऽस्ति।
71. अब हम नहीं दौड़ेंगे।
इदानीं वयं न धाविष्यामः।
72. वे दोनों अपने गाँव गये।
तौ स्वग्रामम् अगच्छताम्।
अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत
- नगर के पास उपवन है।
- बालक को फल अच्छा लगता है।
- हिमालय से गङ्गा निकलती है।
- मैं भी गाँव जाता हूँ।
- कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है।
- वृक्ष के उपर पक्षी है।
उत्तरम् :
- नगरं निकषा उपवनम् अस्ति।
- बालकाय फलं रोचते।
- हिमालयात् गङ्गा निर्गच्छति।
- अहम् अपि ग्राम गच्छामि।
- कविषु कालिदासः श्रेष्ठः।
- वृक्षस्य उपरि खगः अस्ति।
प्रश्न 2.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत
- महिला कुएँ से जल लाती है।
- तुम भी जाओ।
- दसं बज गए हैं।
- मैं गणित व विज्ञान पढ़
- मित्र को दूध अच्छा लगता है।
- मैं ज्ञानी हूँ।
उत्तरम् :
- महिला कूपात् जलम् आनयति।
- त्वम् अपि गच्छ।
- दशवादनं जातम्।
- अहं गणितं विज्ञानं च पठामि।
- मित्राय दुग्धं रोचते
- अहं ज्ञानी अस्मि।
प्रश्न 3.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषायाम् अनुवादं लिखत –
- माता पुत्र को उपदेश देती है।
- मुझे फल अच्छे लगते हैं।
- तीन बालिकाएँ इधर देखती हैं।
- कक्ष के बाहर शिक्षक हैं।
- उसके बिना तुम नहीं जाते हो।
- उनके साथ सुनीता आई।
उत्तरम् :
- माता पुत्राय उपदिशति।
- मह्यम् फलानि रोचन्ते।
- तिनः बालिकाः इतः पश्यन्ति।
- कक्षात् बहिः शिक्षकाः सन्ति।
- तं विना त्वम् न गच्छसि।
- तैः सह सुनीता आगच्छत्।
प्रश्न 4.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवाद करोतु
- विद्या विनम्रता प्रदान करती है।
- जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं।
- विपत्ति के समय दोषारोपण करना ही कायर पुरुष का लक्षण है।
- कृष्ण के चारों ओर बालक हैं।
- हम सब नाटक देखते हैं।
- राजेश महेश का मित्र है।
उत्तरम् :
- विद्या ददाति विनयम्।
- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
- विपत्काले विस्मय एव कापुरुषलक्षणम्।
- कृष्णं परितः बालकाः सन्ति।
- वयं नाटकं पश्यामः।
- राजेश: महेशस्य मित्रम् अस्ति।
प्रश्न 5.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं करोतु
- सजन दुर्जनों से डरते हैं।
- यह गोपाल का भाई है।
- सीता पुष्प सूंघती है।
- बालक घर की ओर जा रहे हैं।
- मोहन चलता हुआ गिर पड़ा।
- सभा में कवि कविता पढ़ते हैं।
उत्तरम् :
- सज्जनाः दुर्जनेभ्यः बिभन्ति।
- अयं गोपालस्य भ्राता अस्ति।
- सीता पुष्पं जिघ्रति।
- बालकाः गृहं प्रति गच्छन्ति।
- मोहनः चलन् अपतत्।
- सभायां कवयः कवितां पठन्ति।
प्रश्न 6.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं करोतु
- वह पढ़ने के लिए यहाँ आता है।
- तुम खेलकर कहाँ जाओगे?
- वह हँसता हुआ बोलता है।
- यह कार्य करने योग्य है।
- मेरी कक्षा में 65 छात्र हैं।
- इस घर में हम रहते हैं।
उत्तरम् :
- सः पठितुम् अत्र आगच्छति।
- त्वं क्रीडित्वा कुत्र गमिष्यसि?
- सः हसन् वदति।
- इदं कार्यं करणीयम्।
- मम कक्षायां पञ्चषष्ठि छात्राः सन्ति।
- अस्मिन् गृहे वयं निवसामः।
प्रश्न 7.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवाद करोतु
- तुम वहाँ जाकर पढ़ो।
- मैं कल यहाँ आऊँगा।
- वह घर जाकर आयेगा।
- बालक मेरे साथ खेलेगा।
- इसका भाई क्या कहता है?
- वृद्ध पैर से लँगड़ा है।
उत्तरम् :
- त्वं तत्र गत्वा पठ।
- अहं श्वः अत्र आगमिष्यामि।
- सः गृहं गत्वा आगमिष्यति।
- बालकः मया सह क्रीडिष्यति।
- अस्य भ्राता किं कथयति?
- वृद्धः पादेन खञ्जः।
प्रश्न 8.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं करोतु-
- यहाँ आकर पढ़ो।
- बालक उसको देखकर डरते हैं।
- ब्राह्मण गाँव को गया।
- वह जल से मुख धोता है।
- बालिकाएँ जल लाने गईं।
- अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा।
उत्तरम् :
- अत्र आगत्य पठ।
- बालकाः तं दृष्ट्वा बिभ्यन्ति।
- ब्राह्मणः ग्रामम् अगच्छत्।
- सः जलेन मुखं प्रक्षालयति।
- बालिकाः जलमानेतुम् अगच्छन्।
- अर्जुनः श्रीकृष्णम् अकथयत्।
प्रश्न 9.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवाद करोतु –
- वे देश के लिए धन देते हैं।
- राम के साथ सीता वन जाती है।
- वह दुष्ट पर क्रोध करता है।
- गंगा हिमालय से निकलती है।
- वृक्ष पर पक्षी हैं।
- किशोर स्वभाव से मेहनती है।
उत्तरम् :
- ते देशाय धनं ददति।
- रामेण सह सीता वनं गच्छति।
- सः दुर्जनाय क्रुध्यति।
- गङ्गाः हिमालयात् निर्गच्छति।
- वृक्षे खगाः सन्ति।
- किशोरः प्रकृत्या परिश्रमी अस्ति।
प्रश्न 10.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं करोतु –
- सोहन घोड़े से गिर पड़ा।
- हमें संस्कृत पढ़ना चाहिए।
- बालिका माता के साथ जाती है।
- बच्चों को खेलना अच्छा लमता है।
- वह वृद्ध पैर से लंगड़ा है।
- पर्वतों में हिमालय सबसे ऊंचा है।
उत्तरम् :
- सोहनः अश्वात् अपतत्।
- वयं संस्कृतं पठेम्।
- बालिका मात्रा सह गच्छति।
- बालकेभ्यः क्रीडनं रोचते।
- सः वृद्धः पादेन खञ्जः।
- पर्वतेषु हिमालयः उच्चतमः।
प्रश्न 11.
अधोलिखितषड्वाक्येषु केषांचन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतभाषया अनुवादं करोतु
- रमेश मोहन के साथ विद्यालय
- मेरी कक्षा में तीस छात्र हैं।
- बालक घर जाकर दूध पीयेंगे।
- मोहन राम से अधिक निपुण है।
- गुरु शिष्य पर क्रोध करता है।
- राजा ब्राह्मण को गाय देता है।
उत्तरम् :
- रमेशः मोहनेन सह विद्यालयं गच्छति।
- मम कक्षायां त्रिंशत् छात्राः सन्ति।
- बालकाः गृहं गत्वा दुग्धं पास्यन्ति।
- मोहनः रामात् निपुणतरः।
- गुरुः शिष्याय क्रुध्यति।
- राजा विप्राय धेनुः ददाति।