RB 10 Sanskrit

RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् सन्धिकार्यम्

RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् सन्धिकार्यम्

RBSE Class 10 Sanskrit व्याकरणम् सन्धिकार्यम्

[ध्यातव्यः – नवीन पाठ्यक्रमानुसार निर्धारित सन्धियों में से पदों की सन्धि/सन्धि-विच्छेद करना अपेक्षित है। यहाँ विषय-वस्तु को सरलता से हृदयंगम कराने के उद्देश्य से हिन्दी-भाषा में सन्धियों का ज्ञान कराकर अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर संस्कृत-भाषा में ही दिये जा रहे हैं।]

सन्धि शब्द की व्युत्पत्ति – सम् उपसर्ग पूर्वक डुधाञ् (धा) धातु से “उपसर्गे धोः किः” सूत्र से कि प्रत्यय करने पर ‘सन्धि’ शब्द निष्पन्न होता है।
सन्धि की परिभाषा – वर्ण सन्धान को सन्धि कहते हैं। अर्थात् दो वर्गों के परस्पर के मेल अथवा सन्धान को सन्धि कहा जाता है।

पाणिनीय परिभाषा-“परः सन्निकर्षः संहिता” अर्थात् वर्गों की अत्यधिक निकटता को संहिता कहा जाता है। जैसे-‘सुधी + उपास्य’ यहाँ ‘ई’ तथा ‘उ’ वर्गों में अत्यन्त निकटता है। इसी प्रकार की वर्गों की निकटता को संस्कृत-व्याकरण में संहिता कहा जाता है। संहिता के विषय में ही सन्धि-कार्य होने पर ‘सुध्युपास्य’ शब्द की सिद्धि होती है।

सन्धि के भेद-संस्कृत व्याकरण में सन्धि के तीन भेद होते हैं। वे इस प्रकार हैं –

  1. अच् सन्धि (स्वर सन्धि)।
  2. हल् सन्धि (व्यंजन सन्धि)।
  3. विसर्ग सन्धि।

1. स्वर सन्धि-जिसमें परस्पर मिलने वाले दोनों वर्ण स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ) हों, जैसे – विद्या + आलयः = विद्यालयः, रमा + ईशः = रमेशः, पो + अनम् = पवनम्।

2. व्यंजन सन्धि-जिसमें प्रथम शब्द का अन्तिम वर्ण और द्वितीय शब्द का प्रथम वर्ण दोनों व्यंजन होते हैं या एक स्वर और एक व्यंजन होता है, जैसे-जगत् + ईशः = जगदीशः, सत् + चरित्र = सच्चरित्र, महत् + दानम् = महद्दानम्।

3. विसर्ग सन्धि-जिसमें प्रथम शब्द के अन्त में विसर्ग रहे और वह बाद के शब्द के प्रथम अक्षर से मिल जाये, जैसे-हरिः + अवदत् = हरिरवदत्, मनः + रथः = मनोरथः।

[विशेष-कक्षा-X के नवीन पाठ्यक्रमानुसार केवल व्यञ्जन एवं विसर्ग सन्धियों का ही ज्ञान अपेक्षित है। अतः यहाँ नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार सन्धियों का ज्ञान कराया जा रहा है।]

व्यञ्जनसन्धिः

परिचय-व्यञ्जन के पश्चात् स्वर या व्यञ्जन वर्णों के परस्पर व्यवधान-रहित सामीप्य की स्थिति में जो व्यञ्जन या हल वर्ण का परिवर्तन होता है, वह व्यञ्जन सन्धि कही जाती है।
भेद-व्यञ्जन सन्धि के अनेक भेद होते हैं। नवीन पाठ्यक्रम के अनुसार व्यञ्जन सन्धि के निम्नलिखित भेदों का ज्ञान आवश्यक है (1) श्चुत्व सन्धि-स्तोः श्चुना श्चुः।
श्चुत्व सन्धि-स् अथवा त्, थ्, द्, ध्, न् (तवर्ग) के बाद श् वर्ण, अथवा च्, छ्, ज, झ, ञ् (चवर्ग) आए तो स् (वर्ण) का श् (वर्ण) हो जाता है, तथा त्, थ्, द्, ध्, न् (तवर्ग) का च्, छ्, ज, झ, ञ् (चवर्ग) क्रमशः हो जाता है। जैसे –

अन्य उदाहरण –

  • सत् + छात्रः = सच्छात्रः।
  • कतिचिद् + जनाः = कतिचिज्जनाः।
  • विपद् + जालम् = विपज्जालम्।
  • उद् + ज्वल = उज्ज्वल।

ष्टुत्व सन्धिः – ष्टुना ष्टुः।

ष्टुत्व सन्धिः – स् अथवा त् थ् द् ध् न् (तवर्ग) के पहले अथवा बाद में ष् (वर्ग) अथवा ट्, ठ, ड्, द, ण् (टवर्ग) हो तो स् का ष् हो जाता है और त् थ् द् ध् न् का क्रमशः ट्, त्, ड्, द, ण् (टवर्ग) हो जाता है। जैसे –

जश्त्व सन्धिः-झलां जशोऽन्ते।

जश्त्व सन्धि-इस सन्धि के दो भाग हैं-प्रथम भाग पद के अन्त में तथा द्वितीय भाग पद के मध्य में होने वाली जश्त्व सन्धि है।

प्रथम भाग – यदि वर्गों के प्रथम अक्षर (क्, च्, ट्, त्, प्) के बाद घोष-वर्णों (ङ् ञ्, ण, न्, म्, य, र, ल, व्, ह) को छोड़कर कोई भी स्वर या व्यंजन वर्ण आता है तो वह प्रथम अक्षर (क्, च्, ट्, त्, प्) अपने वर्ग का तीसरा अक्षर (ग, ज, ड्, द्, ब्) हो जाता है। जैसे –

द्वितीय भाग-यदि पद के मध्य में किसी भी वर्ग के चौथे (घ्, झ, द, धू, भ) व्यंजन वर्ण के ठीक बाद किसी वर्ग का चौथा वर्ण आता है तो वह पूर्व वाला चौथा व्यंजन वर्ण अपने ही वर्ग का तीसरा व्यंजन वर्ण हो जाता है। जैसे –

जश्त्व सन्धि के अन्य उदाहरण –

चर्व सन्धिः – खरि च।

चव सन्धि – यदि ङ् ण् न् म् ञ् तथा य् र् ल् व् को छोड़कर कोई अन्य व्यंजन के बाद खर् ख् फ् छ् ठ् थ् च् ट् त् प् क् श् ष् स् आवे तो झल् के स्थान पर चर् (उसी वर्ग का प्रथम अक्षर) हो जाता है। जैसे –

वृक्षाद् + पतति = (द् का त् होने पर) वृक्षात्पतति।
तद् + फलम्  = (द् का त् होने पर) तत्फलम्।
शरद् + कालः = (द् का त् होने पर) शरत्कालः।

इसी प्रकार अन्य उदाहरण –

  • सेद् + कारः = सत्कारः।
  • विपद् + कालः  = विपत्कालः।
  • सम्पद् + समयः = सम्पत्समयः।
  • ककुभ् + प्रान्तः = ककुष्प्रान्तः।
  • उद् + पन्नः = उत्पन्नः।

अनुस्वार-सन्धिः -मोऽनुस्वारः।

अनुस्वार सन्धि – यदि शब्द के अन्त में ‘म्’ आये और उसके बाद कोई व्यंजन आये तो ‘म्’ का अनुस्वार। हो जाता है। लेकिन स्वर आने पर वह उसमें मिल जाता है। जैसे –

  • सत्यम् + वद = सत्यं वद
  • शिक्षकम् + प्रणमति = शिक्षकं प्रणमति
  • पाठम् + पठ = पाठं पठ
  • त्वम् + अत्र = त्वमत्र
  • लक्ष्मीम् + एव = लक्ष्मीमेव
  • धनम् + इति = धनमिति
  • धर्मम् + चर = धर्मं चर
  • रामम् + भज = रामं भज
  • हरिम् + वन्दे = हरिं वन्दे
  • गृहम् + गच्छति = गृहं गच्छति
  • दुःखम् + प्राप्नोति = दुःखं प्राप्नोति।
  • त्वम् + पठसि = त्वं पठसि
  • अहम् + धावामि = अहं धावामि
  • सत्यम् + वद = सत्यं वद

अन्य उदाहरण –

  • भारतम् + वन्दे = भारतं वन्दे।
  • कुशलम् + ते = कुशलं ते।
  • कार्यम् + कुरु = कार्यं कुरु।
  • दानम् + भोगः = दानं भोगः।
  • सम् + प्राप्तः = संप्राप्तः।
  • श्रियम् + विभज्य = श्रियं विभज्य।
  • एषाम् + एव = एषामेव।
  • एवम् + उपासितव्यम् = एवमुपासितव्यम्।
  • किम् + अहम् = किमहम्।
  • वयम् + अपि = वयमपि।
  • सम् + आयान्ति = समायान्ति।
  • त्वाम् + इदम् = त्वामिदम्।
  • विषम् + औषधम् = विषमौषधम्।
  • सम् + उल्लसति = समुल्लसति।
  • प्रथितम् + अस्ति = प्रथितमस्ति।
  • उत्तरस्याम् + दिशि = उत्तरस्यां दिशि।

विसर्गसन्धिः

विसर्ग (:) के बाद स्वर या व्यञ्जन वर्ण के आने पर विसर्ग के स्थान पर होने वाले परिवर्तन को विसर्ग सन्धि कहते हैं।
विसर्ग सन्धि के भी अनेक भेद होते हैं। नवीन पाठ्यक्रमानुसार विसर्ग सन्धि के निम्नलिखित भेदों का ज्ञान आवश्यक है –

विसर्गस्य लोपः, उत्वं, रत्वं विसर्गस्थाने स्, श, ष् (सत्व)

(क) विसर्गलोपः

(क) यदि विसर्ग से पहले ‘अ’ (अः) हो तथा बाद में ‘अ’ से भिन्न स्वर हो तो, वहाँ विसर्ग का लोप हो जाता है।

यथा-

(ख) यदि विसर्ग’ (:) से पहले ‘अ’ हो तथा उसके पश्चात् भी ‘अ’ हो तो विसर्ग के स्थान पर रु, रु को ‘उ’ आदेश दोनों का गुण अ + उ = ओ तथा ओ + अ का पूर्वरूप एकादेश ‘ओ’ ही रहता है। ‘ओ’ के बाद ‘अ’ की स्थिति अवग्रह के चिह्न (ऽ) द्वारा दिखाई जाती है।
यथा –

यथा वा –

(ख) विसर्गस्य उत्वम्
परिचय: –

उदाहरणानि –
रामः + अस्ति = अः + अ = रामोऽस्ति।
कृष्णः + अपि = अः + अ = कृष्णोऽपि।

यथा वा –

  • बाल: + अस्ति = बालोऽस्ति
  • नृपः + अतीव = नृपोऽतीव
  • मृगः + अपि = मृगोऽपि
  • सिंहः + अत्र = सिंहोऽत्र
  • चन्द्रः + अयम् = चन्द्रोऽयम्
  • पुरुषः + अपि = पुरुषोऽपि।

(ग) विसर्गस्य रुत्वम्

परिचयः –

(क) जिन पदों के अन्त में अ/आ भिन्न स्वर हैं, वहाँ विसर्ग के स्थान पर ‘र’ होता है।

यथा-

(ख) प्रातः, पुनः आदि विसर्गयुक्त अव्ययपद हो तो विसर्ग के स्थान पर ओ नहीं होता, सर्वत्र र् ही होता है।

यथा –

  • प्रातः + गच्छति = प्रातर्गच्छति
  • प्रातः + उदेति = प्रातरुदेति
  • पुनः + उपविशति = पुनरुपविशति
  • पुनः + आस्ते = पुनरुस्थे
  • प्रातः + उत्तिष्ठति = प्रातरुत्तिष्ठति
  • प्रातः + वन्दनीयः = प्रातर्वन्दनीयः

विसर्गस्य श, ष, स (सत्व)

परिचय: –

यथा: –

  1. बालः + तत्र = बाल + स् + तत्र = बालस्तत्र (विसर्गस्थाने स्)
  2. रामः + च = राम + श् + च = रामश्च (विसर्गस्थाने श्)
  3. कृष्णः + तदा = कृष्ण + स् + तदा = कृष्णस्तदा
  4. गोपालः + तथैव = गोपाल + स् + तथैव = गोपालस्तथैव
  5. शावकः + चलति = शावक + श् + चलति = शावकश्चलति
  6. डयमानः + टिट्टिभः = डयमान + ष् + टिट्टिभः = डयमानष्टिट्टिभः (विसर्गस्थाने ए)
  7. धनुः + टङ्कारः = धनु + ष् + टङ्कारः = धनुष्टङ्कारः
  8. भक्तः + सेवते = भक्त + स् + सेवते = भक्तस्सेवते
  9. भक्तः + शोभते = भक्त + श् + शोभते = भक्तश्शोभते.
  10. भक्तः + चलति = भक्त + श् + चलति . = भक्तश्चलति
  11. छात्रः + छादयति = छात्र + श् + छादयति = छात्रश्छादयति
  12. रूप्यकैः + ठनठनायते = रूप्यकै + ष् + ठनठनायते = रूप्यकैष्ठनठनायते

अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तराणि

बहुविकल्पात्मकप्रश्नाः

प्रश्न 1.
श्चुत्वसन्धेः उदाहरणम् अस्ति
(अ) पेष्टा
(ब) सच्चित्
(स) जगदीशः
(द) मनोहरः
उत्तरम् :
(ब) सच्चित्

प्रश्न 2.
जश्त्वसन्धेः उदाहरणम् अस्ति
(अ) तट्टीका
(ब) रामश्शेते
(स) वागीशः
(द) हरिवन्दे
उत्तरम् :
(स) वागीशः

प्रश्न 3.
‘नमस्ते’ इति शब्दे सन्धिः अस्ति
(अ) व्यंजनसन्धिः
(ब) अच्सन्धिः
(स) विसर्गलोपसन्धिः
(द) विसर्गसन्धिः
उत्तरम् :
(द) विसर्गसन्धिः

प्रश्न 4.
‘शिवो. वन्द्यः’ इति शब्दे सन्धिः अस्ति
(अ) ष्टुत्वसन्धिः
(ब) चर्वसन्धिः
(स) उत्वसन्धिः
(द) सत्वसन्धिः
उत्तरम् :
(स) उत्वसन्धिः

प्रश्न 5.
विसर्गसन्धेः उदाहरणम् अस्ति –
(अ) हरिः शेते
(ब) बालो हसति
(स) सच्चित्
(द) इतस्ततः
उत्तरम् :
(अ) हरिः शेते

प्रश्न 6.
‘दिगम्बरः’ पदस्य सन्धिविच्छेदं भवति
(अ) दिश् + अम्बरः
(ब) दिग + अम्बरः
(स) दिगम् + बरः
(द) दिक् + अम्बरः
उत्तरम् :
(द) दिक् + अम्बरः

प्रश्न 7.
चर्वसन्धेः उदाहरणमस्ति
(अ) उज्ज्वलः
(ब) उत्पन्न:
(स) सुबन्तः
(द) इष्टः
उत्तरम् :
(ब) उत्पन्न:

प्रश्न 8.
‘मनः + रथः’ इत्यस्य सन्धियुक्तपदं किम् ?
(अ) मनोरथः
(ब) मनरथः
(स) मनारथः
(द) मर्नरथः
उत्तरम् :
(अ) मनोरथः

प्रश्न 9.
‘कश्चित्’ पदे प्रयुक्तसन्धेः नाम किम्?
(अ) ष्टुत्वसन्धिः
(ब) सत्वसन्धिः
(स) श्चुत्वसन्धिः
(द) चवसन्धिः
उत्तरम् :
(स) श्चुत्वसन्धिः

प्रश्न 10.
‘यशः + दा’ इत्यस्य सन्धियुक्तपदं किम्?
(अ) यशस्दा
(ब) यशश्दा
(स) यशोर्दा
(द) यशोदा
उत्तरम् :
(द) यशोदा

प्रश्न 11.
उत्वसन्धेः उदाहरणं किम्?
(अ) अजन्तः
(ब) मनोहरः
(स) हरिं वन्दे
(द) दिग्गजः
उत्तरम् :
(ब) मनोहरः

प्रश्न 12.
‘उच्चारणम्’ इति पदे का सन्धिः ?
(अ) श्चुत्व
(ब) ष्टुत्व
(स) सत्व
(द) चर्व
उत्तरम् :
(अ) श्चुत्व

प्रश्न 13.
अनुस्वारसन्धेः उदाहरणं किम्?
(अ) सत्कारः
(ब) नमो नमः
(स) धर्मं चर
(द) सज्जनः
उत्तरम् :
(स) धर्मं चर

प्रश्न 14.
‘मनः + तापः’ इत्यस्य सन्धियुक्तं पदं किम् ?
(अ) मनोतापः
(ब) मनस्तापः
(स) मनश्चापः
(द) मनोरागः
उत्तरम् :
(ब) मनस्तापः

प्रश्न 15.
‘निश्छलः’ इति पदे का सन्धिः?
(अ) श्चुत्व
(ब) ष्टुत्व
(स) उत्व
(द) सत्व
उत्तरम् :
(द) सत्व

प्रश्न 16.
ष्टुत्वसन्धेः उदाहरणं किम् ?
(अ) राष्ट्रम्
(ब) दिग्गजः
(स) निःशेषः
(द) सत्कारः
उत्तरम् :
(अ) राष्ट्रम्

(ब) अतिलघूत्तरात्मकप्रश्नाः

प्रश्न 1.
समुचितं सन्धिविच्छेदरूपं पूरयत –

  1. दिगम्बरः – ………………… + अम्बरः (दिक् / दिग्)
  2. मच्छिरः – मत् + …………………. (छिर् / शिरः)
  3. जगदीशः – ……………….. + ईशः (जगत् / जगद्)
  4. अयं गच्छति – …………………… + गच्छति (अयं। अयम्)
  5. नीरोगः – ……………….. + रोगः (निर् / नीर)
  6. तल्लीनः – तत् + ………………. (लिनः / लीनः)

उत्तरम् :

  1. दिक्
  2. शिरः
  3. जगत्
  4. अयम्
  5. निर्
  6. लीनः।

प्रश्न 2.
समुचितं सन्धिपदं चित्वा लिखत –

  1. सत् + जनः – सज्जनः / सत्जनः
  2. तत् + श्रुत्वा – तच्श्रुत्वा / तच्छ्रुत्वा
  3. विद्वान् + लिंखति – विद्वांल्लिखति / विद्वाँल्लिखति
  4. सम् + कल्पः – सम्कल्पः / सङ्कल्पः
  5. उत् + लेखः – उल्लेखः / उच्लेखः

उत्तरम् :

  1. सज्जनः
  2. तच्छ्रुत्वा
  3. विद्वाँल्लिखति।
  4. सङ्कल्पः
  5. उल्लेखः।

प्रश्न 3.
अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानां यथापेक्षं सन्धिम् अथवा सन्धिविच्छेदं कृत्वा लिखत –

  1. सर्वे जगच्छिवानि कार्याणि कुर्वन्तु। ………………
  2. यत्पाठे उत् + लिखितम् तत् सर्वं पठत। …………
  3. नीरोगः जनः सुखी भवति। ………….
  4. कोकिलः पं. + चमे स्वरे गायति। …….
  5. सः तरुच्छायायाम् पठति। ……………….
  6. मानी मानम् + न त्यजति। …………..

उत्तरम् :

  1. जगत् + शिवानि
  2. उल्लिखितम्
  3. निर् + रोगः
  4. पञ्चमे
  5. तरु + छायायाम्
  6. मानं न।

प्रश्न 4.
समुचितं सन्धिपदं चित्वा लिखत –

  1. इतः + ततः – इतस्ततः / इतश्ततः ……….
  2. दुः + कर्म – दुश्कर्म / दुष्कर्म ……………
  3. शिवः + अवदत् – शिवावदत् / शिवोऽवदत् …..
  4. मुनिः + आगच्छति – मुनिरागच्छति / मुनिरगच्छित ………….
  5. मनः + रथ: – मनरथः / मनोरथः …………….
  6. छात्रः + अयम् – छात्रोऽयम् / छात्रायम् ………..
  7. प्रथमः + नाम – प्रथमो नाम / प्रथमोऽनाम् ………….
  8. कपि + चलति – कपिर्चलति / कपिश्चलति …………

उत्तरम् :

  1. इतस्ततः
  2. दुष्कर्म
  3. शिवोऽवदत्
  4. मुनिरागच्छति
  5. मनोरथः
  6. छात्रोऽयम्
  7. प्रथमो नाम
  8. कपिश्चलति।

प्रश्न 5.
सन्धिविच्छेदं कृत्वा लिखत

  1. कीटोऽपि – ……………… + अपिः।
  2. भोजो नाम – …………….. + नाम।
  3. वर्षयोरुपरान्तम् – वर्षयोः + ……………।
  4. शिविर्जयति – ……………. + जयति।
  5. कैश्चित – कैः + ………………।
  6. महापुरुषैरपि – ……………… + अपि।
  7. नमस्कारः – नमः +………………।
  8. धनुष्टङ्कारः – ………………… + टङ्कारः।

उत्तरम् :

  1. कीटः + अपि
  2. भोजः + नाम
  3. वर्षयोः + उपरान्तम्
  4. शिविः + जयति
  5. कैः + चित्
  6. महापुरुषैः + अपि
  7. नमः + कारः
  8. धनु + टङ्कारः।

प्रश्न 6.
अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदेषु सन्धिविच्छेदं कृत्वा लिखत

  1. पितुरिच्छा वर्तते।
  2. छात्रः तपोवनम् गच्छति।
  3. अध्यापक: उत्तमं छात्रं पुरस्करोति।
  4. मन्दबुद्धिः सेवकः स्वामिनः मनस्तापस्य कारणमभवत्।
  5. निष्कपटः जनः शोभते।
  6. बालो गच्छति।

उत्तरम् :

  1. पितुः + इच्छा
  2. तपः + वनम्
  3. पुरः + करोति
  4. मनः + तापस्य
  5. निः + कपटः
  6. बालः + गच्छति।

प्रश्न 7.
निम्नलिखितपदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्व सन्धेः नाम अपि लिखत।
उत्तरम् :

प्रश्न 8.
निम्नलिखितशब्दानां सन्धिं कृत्वा सन्धेः नाम अपि लिखत।
उत्तरम् :

प्रश्न 9.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धेः नामापि लेखनीयम् –
(i) सच्छात्रः
(ii) तट्टीका
(iii) जगदीशः।
उत्तरम् :
(i) सत् + छात्रः = श्चुत्व सन्धि।
(ii) तत् + टीका = ष्टुत्व सन्धि।
(iii) जगत् + ईशः = जश्त्व सन्धि।

प्रश्न 10.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिं कृत्वा तस्य नामापि लिखत
(i) बहिः + गच्छ
(ii) बालकः + गच्छति
(iii) नमः + ते।
उत्तरम् :
(i) बहिर्गच्छ = विसर्ग, रुत्वसन्धि।
(ii) बालको गच्छति = विसर्ग, उत्वसन्धि।
(iii) नमस्ते = विसर्ग, सत्वसन्धि।

प्रश्न 11.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धेः नामापि लेखनीयम् –
(i) इष्टः
(ii) सत्पुत्रः
(iii) यस्तु।
उत्तरम् :

प्रश्न 12.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिं कृत्वा तस्य नामापि लिखत –
(i) दिक् + गजः
(ii) यशः + दा
(iii) निः + चलः।
उत्तरम् :
(i) दिग्गजः, जश्त्वसन्धिः।
(ii) यशोदा, उत्वसन्धिः।
(iii) निश्चलः, सत्वसन्धिः

प्रश्न 13.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धेः नामापि लेखनीयम् –
(i) उज्ज्वलः
(ii) दिगम्बरः
(iii) हरिं वन्दे।
उत्तरम् :

प्रश्न 14.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिं कृत्वा तस्य नामापि लिखत

  • धनुः + टंकारः
  • रामः + अयम्
  • मनः + हरः।

उत्तरम् :

  • धनुष्टंकारः, सत्वसन्धिः।
  • रामोऽयम्, उत्वसन्धिः।
  • मनोहरः, उत्वसन्धिः।

प्रश्न 15.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धेः नामापि लिखत –
(i) दिग्गजः
(ii) उच्चारणम्
(iii) तत्फलम्।
उत्तरम् :

प्रश्न 16.
अधोलिखितेषु पदेषु सन्धिं कृत्वा तस्य नाम निर्देशनं कुरुत –

  1. नमः + तुभ्यम्
  2. बालकः – गच्छति
  3. नरः + हसति।

उत्तरम् :

  1. नमस्तुभ्यम्, सत्वसन्धिः।
  2. बालको गच्छति, उत्वसन्धिः।
  3. नरो हसति, उत्वसन्धिः।

प्रश्न 17.
अधोलिखितेषु वाक्येषु स्थूलाङ्कितपदानां सन्धिं सन्धिच्छेदं वा कृत्वा लिखत –

  1. ऋग्वेदः वेदेषु प्रथमः वर्तते।
  2. अजन्तम् पदं लिखत।
  3. अधुना अहम वाटिकाम + प्रति गमिष्यामि।
  4. तच्चन्दनपादपः सत्वभरैः समन्तात् आश्रितः।
  5. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
  6. कीटोऽपि सुमनः सङ्गात् + आरोहति।
  7. एतत् + चिन्तयित्वा राजा पण्डितसभां कारितवान्।
  8. वाक् + दानं केन क्रियते?
  9. वयं षडाननम् वन्दामहे।
  10. अहम् + वाटिकां पुनः गमिष्यामि।
  11. वागीशः मम मित्रम् अस्ति।
  12. गुरुम् दृष्ट्वा कृष्णः उत् + लसितः जातः।
  13. मम आराध्यः तु जगदीशः अस्ति।
  14. सज्जनाः सर्वत्र पूजनीयाः भवन्ति।
  15. शिवः दिगम्बरः वर्तते।
  16. गगने विद्युत् + लता राजते।
  17. विद्यादानं महत् + दानं कथ्यते।
  18. प्राणैरपि सत् + चरित्रं रक्षणीयम्।
  19. काष्ठात् + अग्निः जायते।
  20. नैनम् + छिन्दन्ति शस्त्राणि।
  21. यन्नाश्रितं सत्त्वभरैः समन्तात्।
  22. तदाकर्ण्य विस्मित: मुनिः अचिन्तयत्।
  23. हे मुने! ज्ञानविघ्नः अहङ्कारः।
  24. वयं तु भवन्तमेव अनुसरिष्यामः।

उत्तरम् :

  1. ऋक् + वेदः।
  2. अच् + अन्तम्
  3. वाटिकां प्रति
  4. तत् + चन्दनपादपः
  5. स्वर्गात् + अपि
  6. सङ्गादारोहति
  7. एतच्चिन्तयित्वा
  8. वाग्दानं
  9. षट् + आननम्
  10. अहं वाटिकां
  11. वाक् + ईशः
  12. उल्लसितः
  13. जगत् + ईशः
  14. सत् + जनाः
  15. दिक् + अम्बरः
  16. विद्युल्लता
  17. महदानं
  18. सच्चरित्रं
  19. काष्ठादग्निः
  20. नैनं छिन्दन्ति।
  21. यत् + नाश्रितं
  22. तत् + आकर्ण्य
  23. अहम् + कारः
  24. भवन्तम् + एव।

प्रश्न 18.
निम्नलिखितवाक्येषु स्थूलपदानां सन्धिं सन्धिच्छेदं वा कृत्वा लिखत

  1. उत्सुकाः वयम् एतम् + पाठं पठितुम्।
  2. गुरुं प्रति गच्छ अध्ययनार्थम्।
  3. कालः पिबति तत् + रसम्।
  4. न तु वित्तस्य सञ्चयात्।
  5. काष्ठात् + अग्निः जायते मथ्यमानाद्।
  6. क्व असौ सत्यम् + अनुव्रतः।
  7. त्वदागमनाम् आर्याय निवेदयामि।
  8. यशः किञ्चिन्मयार्जितम्।

उत्तरम् :

  1. एतं पाठं
  2. गुरुम् + प्रति
  3. तद्रसम्
  4. सम् + चयात्
  5. काष्ठादग्निः
  6. सत्यमनुव्रतः
  7. त्वत् + आगमनम्
  8. किञ्चित् + मयार्जितम्।

प्रश्न 19.
निम्नलिखितवाक्येषु स्थूलपदानाम् सन्धिं सन्धिच्छेदं वा कृत्वा लिखत

  1. मनुष्यैर्दानं करणीयम्।
  2. दानेन तुल्यः निधिरस्ति नान्यः।
  3. धनुः + टङ्कारः श्रूयते।
  4. नृत्यं दृष्ट्वा गोपाः + हसन्ति।
  5. अधुना देवः + आगच्छति।
  6. उद्याने बालकः इतः + ततः पश्यति।
  7. तेन सह श्यामः + अपि पठति।
  8. अन्ये छात्रा: + अपि तत्र क्रीडन्ति।
  9. सोऽपि मया सह गमिष्यति।
  10. अहो! तत्र क्रीडितुम् भानुरपि आगच्छति।
  11. तत्र गङ्गायाः + तटे विशालः वटः अस्ति।
  12. तं दृष्ट्वा नृपः + अतीव प्रसन्नः भवति।
  13. कोऽयम् ऋषिः बालकः च।
  14. कः + ते उपाध्यायात् अतिशयः प्राप्तः?
  15. मयूरः + अपि अहिभुक् कथ्यते।
  16. ततस्तेन नकुलेन कृष्णसर्पः दृष्टः।
  17. ब्राह्मणोऽपि श्राद्धं गृहीत्वा गृहम् उपागतः।
  18. बालकः सुस्थः सर्पश्च व्यापादितः तिष्ठति।
  19. नमस्ते विवेकः।
  20. स्थितिः + उच्चैः पयोदानाम्।

उत्तरम् :

  1. मनुष्यैः + दानं
  2. निधिः + अस्ति
  3. धनुष्टङ्कारः
  4. गोपा हसन्ति
  5. देव आगच्छति
  6. इतस्ततः
  7. श्यामोऽपि
  8. छात्रा अपि
  9. सः + अपि
  10. भानुः + अपि
  11. गङ्गायास्तटे
  12. नृपोऽतीव
  13. कः + अयम्
  14. कस्ते
  15. मयूरोऽपि
  16. ततः + तेन
  17. ब्राह्मणः + अपि
  18. सर्पः + च
  19. नमः + ते
  20. स्थितिरुच्चैः

प्रश्न 20.
अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानां सन्धिं सन्धिच्छेदं वा कृत्वा लिखत –

  1. तासां कथानां संग्रहः + अपि विद्यते।
  2. परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते।
  3. एकश्चन्द्रः तमो हन्ति।
  4. नं च तारागणैः + अपि।
  5. कः मम पुत्राणां पुनर्जन्म कारयितुं समर्थः?
  6. विष्णुशर्मा बृहस्पतिः + इव अब्रवीत्।
  7. राजा सविनयं पुनरुवाच।
  8. कोऽत्र सन्देहः?
  9. कीटोऽपि सुमनःसङ्गादारोहति सतां शिरः।

उत्तरम् :

  1. संग्रहोऽपि
  2. कः + वा
  3. एकः + चन्द्रः
  4. तारागणैरपि
  5. निर्गन्धाः + इव
  6. पुनः + जन्म
  7. बृहस्पतिरिव
  8. पुनः + उवाच
  9. कः + अत्र
  10. कीट: + अपि।

प्रश्न 21.
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदेषु सन्धिं सन्धिविच्छेदं वा कृत्वा लिखत –

  1. दुर्वहमत्र जीवितं जातं प्रकृतिरेव शरणम्।
  2. चलत् + अनिशं कालायसचक्रम्।
  3. स्यात् + नैव जनग्रसनम्।
  4. क्षणमपि मे स्यात् सम् + चरणम्
  5. पाषाणी सभ्यता निसर्गे स्यान्न समाविष्टा।
  6. अन्यो द्वितीयः कश्चिल्लक्ष्यते।
  7. धूर्तः शृगालः हसन्नाह
  8. त्वं मानुषादपि बिभेषि।
  9. व्याघ्रः + अपि सहसा नष्टः।
  10. व्याघ्रजाद् भयात् पुनरपि मुक्ताऽभवत्।
  11. अत एव उच्यते।
  12. आरोग्यं चापि परमं व्यायामादुपजायते
  13. बलस्यार्धन कर्त्तव्यो व्यायामो हन्त्यतः + अन्यथा
  14. व्रजति हिमकरोऽपि बालभावात्।
  15. किं द्वयोः + अपि एकमेव प्रतिवचनम् ?
  16. वयसः + तु न किञ्चिदन्तरम्।
  17. अतिदीर्घः प्रवासोऽयं दारुणश्च
  18. तदहं सुहृज्जन साधारणं श्रोतुमिच्छामि।
  19. यतः + हि अयमन्येभ्यो दुर्बलः।
  20. अचिरादेव प्रवर्षः समजायत।

उत्तरम् :

  1. प्रकृति: + एव
  2. चलदनिशं
  3. स्यान्नैव
  4. सञ्चरणम्
  5. स्यात् + न
  6. अन्यः + द्वितीयः
  7. हसन् + आह
  8. मानुषात् + अपि
  9. व्याघ्रोऽपि
  10. पुनः + अपि
  11. अतः + एव
  12. व्यायामात् + उपजायते
  13. हन्त्यतोऽन्यथा
  14. हिमकरः + अपि
  15. द्वयोरपि
  16. वयसस्तु
  17. दारुणः + च
  18. तत् + अहं
  19. यतो हि
  20. अचिरात् + एव।

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