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RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 17 पृथ्वी के बाहर जीवन की खोज

RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 17 पृथ्वी के बाहर जीवन की खोज

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Chapter 17 पृथ्वी के बाहर जीवन की खोज

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एलियन शब्द का अर्थ है –
(अ) जादू
(ब) पृथ्वी के बाहर का जीव
(स) बिचित्र जीव
(द) गाय जैसा जीव

प्रश्न 2.
पृथ्वी के बाहर जीवन पाया जा सकता है –
(अ) किसी भी तारे पर
(ब) कहीं भी
(स) पृथ्वी जैसे ग्रह पर
(द) किसी भी ग्रह पर

प्रश्न 3.
सौरमण्डल के बाहर जाने वाला पहला अन्तरिक्षयान था –
(अ) चन्द्रयान-2
(ब) मंगलयान
(स) पायोनियर-एक
(द) पायोनियर-10

प्रश्न 4.
अन्तरिक्ष में होने वाली फुसफुसाहट को सुनने हेतु काम आने वाले यन्त्र हैं ?
(अ) रेडियो दूरसंवेदी
(ब) दूरदर्शी यंत्र
(ब) सूक्ष्मदर्शी यंत्र
(द) कोई नहीं

प्रश्न 5.
किस स्थान पर रह कर एक दिन में 15 बार सूर्योदय देख सकते हैं?
(अ) ध्रुवों पर
(ब) अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर
(स) मंगल पर
(द) चन्द्रमा पर
उत्तरमाला:
(1) ब
(2) स
(3) द
(4) अ
(5) ब।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
पृथ्वी के बाहर मानव के रहने का स्थान कौनसा
उत्तर:
पृथ्वी के बाहर मानव के रहने का स्थान अंतरिक्ष

प्रश्न 7.
ग्लोबल वार्मिंग का संकट किस जीव के कारण उत्पन्न हुआ है ?
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग का संकट मानव के कारण उत्पन्न हुआ है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी का भौतिक वातावरण व पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव मिलकर, एक सजीव इकाई की तरह कार्य करते हैं, इस अवधारणा को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
डार्विन का विकासवाद सिद्धान्त कहते हैं।

प्रश्न 9.
पृथ्वी जैसा ग्रह के बनते समय वातावरण अत्यधिक गर्म व विस्फोटक था, इसे ठण्डा होने में लगभग कितना समय लगा?
उत्तर:
पृथ्वी जैसा ग्रह के बनते समय वातावरण अत्यधिक गर्म व विस्फोटक था, इसे ठण्डा होने में लगभग 50 करोड़ से एक अरब वर्ष का समय लगा। लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 10.
हमारी गेलेक्सी आकाशगंगा में पृथ्वी के जैसे कितने ग्रह हो सकते हैं ?
उत्तर:
हमारी गेलेक्सी आकाशगंगा में पृथ्वी के जैसे एक अरब ग्रह हो सकते हैं।

प्रश्न 11.
एलियन शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
एलियन – पृथ्वी के बाहर के जीव को एलियन कहते हैं।

प्रश्न 12.
डार्विन के अनुसार पृथ्वी पर पहले जीव की उत्पत्ति कैसे हुई होगी?
उत्तर:
डार्विन के विकासवाद सिद्धान्त से यह स्पष्ट हुआ कि गर्म गोले के रूप में पृथ्वी का जन्म हुआ और पृथ्वी धीरेधीरे ठण्डी हुई तब जाकर वातावरण बना। वातावरण में उपस्थित तत्त्वों के संयोग से सरल यौगिक व उनसे जटिल यौगिक बने। इन यौगिकों में जीवन के आधार अणु जैसे जल, अमीनो अम्ल, केन्द्रकीय अम्ल आदि भी थे। इन अणुओं के घनीभूत होने पर आकस्मिक रूप से प्रथम जीव की उत्पत्ति हुई।

प्रश्न 13.
पायोनियर-10 के छोड़े जाने के समय वैज्ञानिक किस बात से डर रहे थे ?
उत्तर:
पायोनियर-10 के छोड़े जाने के समय वैज्ञानिकों को यह डर सता रहा था कि पृथ्वी के बाहर की सभ्यता, हमारी किसी भूल से नाराज होकर हम पृथ्वीवासियों पर हमला कर सकती है।

प्रश्न 14.
सृजनात्मक व विनाशात्मक बलों का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
ऐसे बल जो सृजन या विकास के लिए काम आते हैं सृजनात्मक बल कहलाते हैं तथा जो बल विनाशात्मक शक्ति के रूप में काम आते हैं विनाशात्मक बल कहलाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 15.
पायोनियर-10 के छोड़े जाने के समय पृथ्वी बाहर के जीवों के विषय में मानवीय सोच क्या थी ?
काल्पनिक मुसीबत से बचने के लिए क्या उपाय किए गए थे ?
उत्तर:
पायोनियर-10 के छोड़े जाने के समय पृथ्वी बाहर के जीवों के विषय में मानवीय सोच यह थी कि पृथ्वी के बाहर, मानव से बहुत अधिक विकसित जीवन होने की संभावना है। उस समय वैज्ञानिकों को यह भय सताने लगा था कि पृथ्वी के बाहर की कोई सभ्यता, हमारी किसी भूल से नाराज होकर हम पृथ्वीवासियों पर हमला कर सकती है। पायोनियर-10 अन्तरिक्ष यान को बृहस्पति ग्रह के पास से होते हुए हमारे सौर मण्डल से बाहर जाना था। डर इस बात का था कि अपनी अनन्त यात्रा के दौरान पायोनियर 10 अन्तरिक्ष यान किसी विकसित सभ्यता के सम्पर्क में आ सकता था। विकसित सभ्यता पायोनियर 10 अन्तरिक्ष यान को उन पर मानव सभ्यता द्वारा किया हमला मानकर हम पर पलट वार भी कर सकती थी। काल्पनिक मुसीबत से बचने के लिए पायोनियर-10 अन्तरिक्ष यान पर एक प्लेट पर मानव स्त्री-पुरुष को मित्रता की मुद्रा में चित्रित किया गया तथा सांकेतिक भाषा में यान के पृथ्वी से भेजे जाने की बात प्रदर्शित की गई थी।


चित्र : पायोनियर-10 पर एलियनों को शान्ति __ का सन्देश देने के लिए लगाई गई प्लेट

प्रश्न 16.
अपने आपको अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन में मानकर दिनचर्या का वर्णन करिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 17.
पृथ्वी के बाहर जीवन के विषय में वर्तमान वैज्ञानिक सोच को समझाइए।आपकी अपनी सोच क्या है?
उत्तर:
पृथ्वी के बाहर जीवन के विषय में वर्तमान वैज्ञानिक सोच–नासा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एलेन स्टोफेन का कहना है कि आज हम पृथ्वीवासियों के पास बहुत पक्के सबूत हैं कि आगामी एक दशक में पृथ्वी बाह्य जीवन को खोज लेंगे। 20 या 30 वर्ष में तो एलियन के विषय में पक्के प्रमाण जुटा लिए जाएँगे। वैज्ञानिकों द्वारा शनिग्रह के उपग्रह टाइटन पर उपस्थित द्रव मीथेन के सागर में जीवन होने की संभावना प्रकट की गई है।

वैज्ञानिक जगत में यह भी माना जा रहा है कि अन्तरिक्ष में जीवन प्रचुर संख्या में उपस्थित है। सूक्ष्म जीवों के रूप में यह लगातार पृथ्वी पर आता रहता है। यह भी माना जाता है कि जीवन की उत्पत्ति पृथ्वी पर नहीं हुई थी। पृथ्वी पर जीवन सूक्ष्म रूप में बाह्य अन्तरिक्ष से आया है। कई बार अन्तरिक्ष से आए जीवन को सिद्ध करने के दावे भी किए गए हैं लेकिन वे दावे पूरी तरह प्रमाणित नहीं हो सके हैं।

वैज्ञानिकों के दूसरे समूह की सोच है कि पृथ्वी के बाहर जीवन तो मिल सकता है लेकिन उसके पृथ्वी जैसा विकसित होने की संभावना नगण्य ही है। उनका मानना है कि जीवन के विकास के लिए जल युक्त पृथ्वी जैसा चट्टानी ग्रह होना ही पर्याप्त नहीं है। पृथ्वी जैसे पिण्ड पर जीवन की उत्पति के लिए वहाँ के वातावरण को जीवन के योग्य होने की आवश्यकता नहीं होती।

उत्पन्न होने के बाद जीवन को बनाए रखने व उसके विकसित होने के कारण वातावरण का जीवन योग्य होना जरूरी होता है। जीवन की उत्पत्ति के बाद उस पिण्ड के वातावरण को जीवन योग्य बनाने तथा वातावरण को उसी रूप में निरन्तर बनाए रखना बहुत कठिन होता है। हमारी सोच वैज्ञानिकों की सोच से मिलती-जुलती है क्योंकि जिस प्रकार हमारी पृथ्वी की उत्पत्ति में करोड़ों वर्षों का समय लगा, ठीक उसी प्रकार वर्तमान वैज्ञानिक अनुसंधानों से इस बात को बल मिलता है कि पृथ्वी के बाहर भी जीवन संभव हो सकता है।

प्रश्न 18.
उपग्रहों के महत्त्व को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
उपग्रहों का महत्त्व-उपग्रहों के महत्त्व का अध्ययन निम्न प्रकार से है –
(1) पर्यावरण के क्षेत्र में कृत्रिम उपग्रह द्वारा बादलों के चित्र, वायुमंडल सम्बन्धी जानकारी, ओजोन परत में छेद जैसी कई महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। ध्रुवीय उपग्रह से प्राप्त सूचनाएँ सुदूर संवेदन (Remote Sensing), मौसम विज्ञान तथा पर्यावरण सम्बन्धी अध्ययन के लिए उपयोगी हैं।

(2) दूरसंचार के क्षेत्र में कृत्रिम उपग्रह दूरसंचार के साधनों, जैसे टेलीफोन, मोबाइल, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आदि से तरंगें प्राप्त करता है और इन्हें पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर भेजता है।

(3) कृषि क्षेत्र में कृषि क्षेत्र में कृत्रिम उपग्रह निम्न योगदान देते हैं…

  • फसल के क्षेत्रफल एवं उत्पादन का आकलन करना।
  • सूखा एवं बाढ़ की चेतावनी देना तथा उनसे होने वाली हानि का पता करना।
  • भूमिगत जल की खोज करके जल संसाधनों का प्रबन्धन करना।

(4) रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम उपग्रह रक्षा क्षेत्र में भी प्रमुख योगदान देते हैं –

  • हवाई-अड्डों, बंदरगाहों तथा सैनिक ठिकानों की निगरानी रखना जिससे उनकी सुरक्षा के प्रबन्ध में आसानी हो।
  • सैनिक गतिविधियों की जासूसी करना।
  • वायुयान, जहाज, व्यक्ति अथवा वस्तु के सही स्थान का पता लगाना।
  • GPS द्वारा शत्रु के विमानों पर निगरानी रखना।

प्रश्न 19.
विश्व अन्तरिक्ष अभियान में भारत का महत्त्व समझाइए।
उत्तर:
विश्व अन्तरिक्ष अभियान में भारत का योगदान-भारत में बाह्य अंतरिक्ष अन्वेषण का कार्य अंतरिक्ष विभाग की स्थापना से पहले ही प्रारम्भ हो चुका था। इस अंतरिक्ष अनुसन्धान के निम्नलिखित चरण भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में योगदान की कहानी कहते हैं –
(1) प्रथम भारतीय रॉकेट रोहिणी-75 का प्रमोचन तिरूअनन्तपुरम् के निकट स्थित थुम्बा इलेक्ट्रोरियल रॉकेट लांचिंग स्टेशन’ (TERLS) से 1967 में किया गया।

(2) भारत ने अंतरिक्ष युग में 19 अप्रैल, 1975 को प्रवेश किया जब भारत में डिजायन तथा निर्मित प्रथम उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का प्रमोचन तात्कालिक सोवियत संघ (वर्तमान में रूस) से किया गया। इस आर्यभट्ट उपग्रह से एक्स किरण, खगोलिकी, मौसम विज्ञान और सौर भौतिकी के क्षेत्र के साथ-साथ भारतीय वैज्ञानिकों को कक्षा में उपग्रह की कार्यक्षमता को नियंत्रित करने तथा उपग्रह निर्माण के लिए सुविधायें तथा कौशल विकसित करने के लिए अवसर प्रदान किये। इस उपग्रह का नाम सुविख्यात गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया।

(3) भारत का दूसरा उपग्रह भास्कर-1 था जिसे सुदूर संवेदी प्रौद्योगिकी के माध्यम से पाकृतिक संसाधनों के बारे में आँकड़े एकत्रित करने के उद्देश्य के लिए 7 जून, 1979 को तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) से प्रमोचित किया गया। इर उपग्रह का नाम सुविख्यात खगोलशास्त्री भास्कर प्रथम के नाम पर रखा गया। भास्कर-II का प्रमोचन भी सोवियत संघ (रूस) से ही 20 नवम्बर, 1981 को किया गया। भास्कर श्रृंखला के उपग्रहों की सफलता से हमारे वैज्ञानिकों को सुदूर संवेदन उपग्रहों का स्वरूप तैयार करने तथा उनके निर्माण के लिए आवश्यक विश्वास एवं कौशल मिला।

(4) यद्यपि भारत के प्रथम प्रायोगिक दूर संवेदी उपग्रह भास्कर ही थे तथापि भारतीय दूर संवेदी उपग्रह प्रणाली को 1983 में राष्ट्र को समर्पित किया गया। सर्वप्रथम IRS- IA उपग्रह को 17 मार्च, 1983 को सोवियत संघ (रूस) से प्रमोचित किया गया। इस उपग्रह में रेखीय चित्रण स्व-अवलोकन कैमरे का उपयोग किया गया था जिसमें 148 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के चित्रण की क्षमता थी। 29 अगस्त, 1991 को भारत ने IRSIB का सफल प्रक्षेपण किया जिसमें IRS-IA की तुलना में LISS कैमरे की संवेदन क्षमता को दुगुना किया गया था। इन दोनों उपग्रहों की सहायता से बहुवर्णी चित्र प्राप्त किये गये। भारत ने दिसम्बर, 1995 में IRS-IC का सफल प्रक्षेपण किया जो प्रथम भारतीय उपग्रह था जिसमें एक टेपरिकॉर्डर का उपयोग किया गया था।

दूर संवेदन के क्षेत्र में भारत को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सफलता 21 मार्च, 1996 को IRS-P3 का प्रक्षेपण करके मिली क्योंकि इस उपग्रह में प्रयुक्त वृहद् क्षेत्र संवेदक ने सूचना प्राप्ति की प्रक्रिया को अत्यन्त प्रभावशाली बना दिया। 29 सितम्बर, 1997 को IRS-ID तथा 26 मई, 1998 को IRS-P4 (OCEAN SAT) के सफल प्रक्षेपण किये गये जिन उपग्रहों ने दूर संवेदन के क्षेत्र में भारत की स्थिति को वैश्विक स्तर पर सुदृढ़ किया। IRS-P4 (OCEAN SAT) में एक अति कार्यकुशल ओसन कलर मोनिटर (Ocean Colour Monitor, OCM) तथा एक बहु-आवृत्ति अवलोकन माइक्रोवेव विकिरणमापी का उपयोग किया गया था। MSMR का उपयोग मौसम तथा बादलों के अध्ययन हेतु किया जाता है जिसमें माइक्रोवेव (सूक्ष्म तरंग) तकनीक का उपयोग किया जाता है।

(5) 70 के दशक में भारत का संचार के लिए उपग्रह का उपयोग करने के लिए विदेशी उपग्रहों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन 1975-76 में उपग्रह निर्देशित दूरदर्शन प्रयोग (SITE) का क्रियान्वयन कर भारत ने अंतरिक्ष संचार के नये युग में प्रवेश कर लिया।

(6) इसी प्रकार 1977-79 में उपग्रह दूरसंचार प्रायोगिक परियोजना (STEP) का क्रियान्वयन किया गया।

(7) संचार के लिए उपग्रह का उपयोग करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने तीसरा प्रायोगिक उपग्रह बनाया जिसका नाम APPLE उपग्रह रखा गया अर्थात् एरियान पैसेंजर पेलोड एक्सपेरीमेंट। इसे 19 जून, 1981 को कोरू प्रक्षेपण स्थल से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेन्सी की सहायता से प्रक्षेपित किया गया। भू-स्थिर कक्षा में स्थापित किया जाने वाला यह पहला भारतीय उपग्रह था। भू-स्थिर कक्षा–यदि पृथ्वी पर स्थापित किसी केन्द्र के सापेक्ष उपग्रह की स्थिति समय के साथ परिवर्तित न हो तो इस उपग्रह की कक्षा को भू-स्थिर कक्षा कहते हैं अर्थात् भू-स्थिर कक्षा में किसी उपग्रह का परिक्रमण काल अपने अक्ष के सापेक्ष पृथ्वी के घूर्णन काल 24 घण्टे के बराबर होता है।

(8) भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली, इनसैट प्रणाली के कार्य प्रारम्भ करने की घटना को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास के क्रम में सर्वाधिक मील का पत्थर कहा जा सकता है। INSAT एक बहुउद्देश्यीय प्रणाली है जिसे 1983 में राष्ट्र को समर्पित किया गया। इनसैट प्रणाली के अन्तर्गत तीन पीढ़ियों के उपग्रहों इनसैट-1, इनसैट-2 व इनसैट-3 को सम्मिलित किया गया।

22 मार्च, 2000 को इनसैट-3B का सफल प्रमोचन किया गया। इनसैट-3 सी का प्रक्षेपण जनवरी, 2002 में सफलतापूर्वक कोरू प्रक्षेपण स्थल से किया गया। इनसैट-3A का प्रक्षेपण अप्रैल, 2003 तथा श्रृंखला के चौथे उपग्रह इनसैट-3E का प्रक्षेपण सितम्बर, 2003 में किया गया। ये सभी उपग्रह पूर्णतया भारत में निर्मित हैं तथा सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं । इनसैट शृंखला की चौथी पीढ़ी के उपग्रहों का प्रक्षेपण भी प्रारम्भ हो चुका है। इनसैट-4A को 22 दिसम्बर, 2005 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
पायोनियर-10 कब प्रक्षेपित किया गया ?
(अ) 1966
(ब) 1968
(स) 1970
(द) 1972

प्रश्न 2.
स्पूतनिक-1 को अन्तरिक्ष में भेजा गया –
(अ) 1955
(ब) 1956
(स) 1957
(द) 1958

प्रश्न 3.
किस ग्रह पर जीवन की तलाश खोजी जा रही है?
(अ) मंगल
(ब) बुध
(स) शुक्र
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 4.
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम है –
(अ) नासा
(ब) इसरो
(स) रोसकोसमोस
(द) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 5.
भारत द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गये प्रवाह का नाम है –
(अ) भास्कर-1
(ब) आर्यभट्ट
(स) कल्पना-1
(द) इनसेट-1

उत्तरमाला:
(1) द
(2) स
(3) अ
(4) ब

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
खगोलशास्त्र की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर रहकर अंतरिक्ष की पड़ताल करना खगोलशास्त्र कहलाता है।

प्रश्न 2.
अंतरिक्ष से पृथ्वी का पहला चित्र कब खींचा गया ?
उत्तर:
अंतरिक्ष से पृथ्वी का पहला चित्र 1946 में खींचा गया।

प्रश्न 3.
अंतरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में अग्रणी दो देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) रूस (पूर्व सोवियत संघ)
(ii) संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 4.
भारत में अंतरिक्ष अनुसन्धान का प्रारम्भ कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान का प्रारम्भ 1948 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में हुआ।

प्रश्न 5.
भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री का नाम लिखिए।
उत्तर:
भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री का नाम सुनीता विलियम्स है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कृत्रिम उपग्रह के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
(1) मौसम सम्बन्धी जानकारी उपलब्ध करवाना।
(2) भूगर्भ में स्थित खनिज संसाधन का पता लगाना।

प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन के बारे में लिखिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित उपग्रह है। यह पृथ्वी की कक्षा में उपस्थित सबसे बड़ी कृत्रिम संरचना है। इसे पृथ्वी से बिना दूरदर्शी के भी देखा जा सकता है। सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद यह श्वेत गतिशील बिन्दु के रूप में दिखाई देता है। लगभग वृत्ताकार पथ पर, यह पृथ्वी से 330 से 435 किलोमीटर की दूरी बनाए रखता है। यह एक दिन में पृथ्वी के 15 से अधिक चक्कर लगा लेता है।

प्रश्न 3.
विश्व की प्रमुख तीन अंतरिक्ष एजेन्सियों के नाम लिखिये।
उत्तर:
विश्व की प्रमुख तीन अंतरिक्ष एजेन्सियाँ –

  • रूस की रोसकोसमोस
  • अमेरिका की नासा
  • भारत की इसरो।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री के बारे में लिखिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रहते हुए अन्तरिक्ष यात्री पूर्व निर्धारित प्रयोग करने के साथ-साथ रेडियो, दूरदर्शन आदि के माध्यम से विद्यार्थियों के सम्पर्क में रहते हैं। वे विद्यार्थियों के लिए वीडियो बना कर भेजते रहते हैं। अन्तरिक्ष यात्री समयसमय पर अपने परिवार के सदस्यों से भी बातचीत करते रहते हैं। प्रत्येक अन्तरिक्ष यात्री के लिए भोजन प्लास्टिक की थैलियों पर उसके नाम से भेजा जाता है। भोजन को ठण्डा या गर्म करने की सीमित व्यवस्था होती है।

लेकिन पुराना होने पर वह बेस्वाद होने लगता है। कुछ दिन व्यतीत हो जाने के बाद अन्तरिक्ष यात्री पृथ्वी से ताजा भोजन आने का इन्तजार करने लगते हैं। पेय पदार्थों को स्ट्रॉ की सहायता से ही मुँह में खींचना होता है। ठोस भोजन भी चिमटी व चाकू की सहायता से करना होता है। चिमटी व चाकू को ट्रे पर रखने के लिए चुम्बक का प्रयोग किया जाता है अन्यथा वह हवा में तैरने लगते हैं।

वहाँ शौचालय भी विशिष्ट प्रकार के बनाए जाते हैं। मूत्र को एकत्रित कर साफ कर उससे शुद्ध जल प्राप्त कर उसका पीने व अन्य कार्यों में उपयोग किया जाता है। भारहीनता में रहने से अन्तरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर कई विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। इससे बचने के लिए वे व्यायाम का सहारा लेते हैं। व्यायाम में सहायता करने हेतु ट्रेडमिल जैसे उपकरण अन्तरिक्ष स्टेशन पर लगाए गए हैं।

दूर अन्तरिक्ष में छोटे से कमरे जैसे स्थान पर लम्बे समय तक एक दो साथियों के साथ रहने से कई प्रकार की मनोवैज्ञानिक परेशानियाँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। प्राकृतिक सूक्ष्म उल्का पिण्ड आदि बेकार सामान अन्तरिक्ष स्टेशन से टकरा कर परेशानी पैदा कर सकते हैं। अन्तरिक्ष में चक्कर लगाते पिण्डों की तेज गति के कारण छोटे से टुकड़े की टक्कर भी बड़ी हानि पहुँचा सकती है।

प्रश्न 2.
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के योगदान पर लेख लिखिए।
उत्तर:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation : ISRO):
प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष परमाणु वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा के नेतृत्व में सन् 1962 में परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा इण्डियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च (INCOSPAR) का गठन किया गया। इसे 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO : Indian Space Research Organisation) नाम से पुनर्गठित किया गया। भारत में कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण, विकास तथा प्रक्षेपण इसरो (ISRO) द्वारा ही किया जा रहा है।

इसरो के अंतरिक्ष आधारित प्रयोगों की सहायता से अंतरिक्ष तथा ग्रहों सम्बन्धी अनुसंधान तथा विकास कार्य किए जा रहे हैं। इसरो की कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य करते हुए प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भारतीय उपग्रह प्रक्षेपण यान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। आज भारत स्वयं के उच्चस्तरीय उपग्रह प्रक्षेपण यान निर्मित करने में आत्मनिर्भर हो गया है। इसरो ने 50 से अधिक विदेशी , उपग्रहों को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया है।

इसरो के कई केन्द्र सम्पूर्ण भारत में हैं। इसका प्रमुख प्रक्षेपण केन्द्र श्री हरिकोटा (SHAR) आंध्र प्रदेश में है। साथ ही अंतरिक्ष सम्बन्धी अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय केन्द्र अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री (PRL) है तथा तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र है। राजस्थान के जोधपुर शहर में भी कृत्रिम उपग्रहों से प्राप्त चित्रों, सूचनाओं और आँकड़ों का अध्ययन करने के लिए दूर संवेदी केन्द्र (Remote Sensing Centre) स्थित है।

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