RBSE Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन
RBSE Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन
पाठ-सार
RBSE Class 10 Social Science वन और वन्य जीव संसाधन InText Questions and Answers
पृष्ठ 17
प्रश्न 1.
वे प्रतिकूल कारक कौनसे हैं जिनसे वनस्पतिजात और प्राणिजात का ऐसा भयानक ह्रास हुआ है?
उत्तर:
वनस्पतिजात एवं प्राणिजात के ऐसे भयानक ह्रास का मूल कारण वनोन्मूलन है। भारत में वनों को सबसे बड़ा नुकसान उपनिवेश काल में रेल लाइन, कृषि, व्यवसाय, वाणिज्य, वानिकी और खनन क्रियाओं में वृद्धि से हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त भी वन संसाधनों के सिकुड़ने से कृषि का फैलाव महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक रहा है। वन सर्वेक्षण के अनुसार देश में 1951 और 1980 के बीच लगभग 26,200 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र कृषि भूमि में परिवर्तित किया गया। अधिकतर जनजातीय क्षेत्रों विशेष रूप से पूर्वोत्तर और मध्य भारत में स्थानान्तरी अर्थात् झूम खेती अथवा स्लैश और बर्न खेती के चलते वनों की कटाई या निम्तीकरण हुआ है। बड़ी विकास परियोजनाओं ने भी वनों को अधिक नुकसान पहुँचाया है। खनन ने भी वनों के निम्नीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पश्चिमी बंगाल में बक्सा टाइगर रिजर्व डोलोमाइट के खनन के कारण गंभीर खतरे में है। इसने अनेक प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुँचाया है तथा कई जातियाँ जिसमें भारतीय हाथी भी शामिल है, के आवागमन मार्ग को बाधित किया है।
पृष्ठ 18
प्रश्न 2.
क्या उपनिवेशी वन नीति को दोषी माना जाए?
उत्तर:
भारत में उपनिवेश काल में वनों को सबसे अधिक नुकसान हुआ। उपनिवेश काल में रेल लाइनों के विस्तार, कृषि के विस्तार, वाणिज्यिक, वानिकी तथा खनन क्रियाओं में अप्रत्याशित वृद्धि की गई जिसके फलस्वरूप वनों का तीव्र गति से ह्रास हुआ। वनों के दोहन की तुलना में उनके संरक्षण के प्रयास नहीं किए गये। अतः उपनिवेशी वन नीति भारत में वन ह्रास के लिए दोषी रही है।
पृष्ठ 20
प्रश्न 3.
क्या आपने अपने आस-पास ऐसी गतिविधियाँ देखी हैं जिनसे जैव-विविधता कम होती है? इस पर एक टिप्पणी लिखें और इन गतिविधियों को कम करने के उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
जी हाँ, मैंने हमारे आस-पास ऐसी अनेक गतिविधियाँ होती देखी हैं, जिनसे जैव विविधता कम होती है, जैसे-
- हमारे क्षेत्र में लोग कीटनाशकों का अत्यधिक छिड़काव करते हैं जिससे अनेक उपयोगी कीट भी नष्ट हो जाते हैं।
- आज भी अनेक लोग ईंधन के लिए लकड़ी का प्रयोग करते हैं जिससे वनों का निम्नीकरण हो रहा है।
- लोग सॉप-गोहरा आदि जानवरों को देखते ही मार देते हैं।
- पास के जंगल में लोग जानवरों का शिकार करते हैं और पेड़ों को भी काटते हैं।
- कुछ लोग वन्य जीवों के अंगों का व्यापार करते हैं।
जैव विविधता में कमी लाने वाली गतिविधियों को कम करने के उपाय-
- कीटनाशकों के अनावश्यक उपयोग पर रोक लगाई जाये।
- ईंधन के सुरक्षित साधनों का उपयोग बढ़ाया जाये। ईंधन हेतु पेड़ काटने पर रोक लगाई जाये।
- साँप-गोहरा या अन्य जंगली जानवरों का रेस्क्यू कर उन्हें वन क्षेत्र में छोड़ा जाये।
- जानवरों के शिकार पर प्रतिबन्ध लगाया जाये तथा ऐसा करने वालों को कठोर दण्ड दिया जाये।
- वन्य जीवों का व्यापार प्रतिबन्धित हो।
- विभिन्न जीवों के प्राकृतिक आवासों का विकास किया जायें।
पृष्ठ 21
प्रश्न 4.
भारत में वन्य जीव पशु-विहार और राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में और जानकारी प्राप्त करें और उनकी स्थिति मानचित्र पर अंकित करें।
उत्तर:
भारत में जैव-विविधता तथा पर्यावरण के संरक्षण हेतु अनेक वन्य जीव पशु विहार तथा राष्ट्रीय उद्यान बनाये गये हैं। वर्तमान में भारत में 500 से भी अधिक वन्य जीव अभयारण्य तथा 100 से भी अधिक राष्ट्रीय उद्यान हैं। इनमें अधिकतर पशु विहार तथा कुछ पक्षी विहार हैं।
कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्य जीव पशु-विहारों की मानचित्र पर स्थिति निम्न मानचित्र में स्पष्ट है-
RBSE Class 10 Social Science वन और वन्य जीव संसाधन Textbook Questions and Answers
- बहुवैकल्पिक प्रश्न-
(i) इनमें से कौनसी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास का सही कारण नहीं है-
(क) कृषि प्रसार
(ख) वृहत् स्तरीय विकास परियोजनाएँ
(ग) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना
(घ) तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण
उत्तर:
(ग) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना
(ii) इनमें से कौनसा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता-
(क) संयुक्त वन प्रबंधन
(ख) चिपको आन्दोलन
(ग) बीज बचाओ आन्दोलन
(घ) वन्य जीव पशुविहार (sanctuary) का परिसीमन
उत्तर:
(घ) वन्य जीव पशुविहार (sanctuary) का परिसीमन
- निम्नलिखित प्राणियों/पौधों का उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें :
जानवर/पौधे | अस्तित्व वर्ग |
काला हिरण | लुप्त |
एशियाई हाथी | दुर्लभ |
अंडमान जंगली सूअर | संकटग्रस्त |
हिमालयन भूरा भालू | सुभेद्य |
गुलाबी सिर वाली बतख | स्थानिक |
उत्तर:
जानवर/पौधे | अस्तित्व वर्ग |
काला हिरण | संकटग्रस्त |
एशियाई हाथी | सुभेद्य |
अंडमान जंगली सूअर | स्थानिक |
हिमालयन भूरा भालू | दुर्लभ |
गुलाबी सिर वाली बतख | लुप्त |
- निम्नलिखित का मेल करें-
आरक्षित वन | सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि। |
रक्षित वन | वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन। |
अवर्गीकृत वन | वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है। |
उत्तर:
आरक्षित वन | वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन। |
रक्षित वन | वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है। |
अवर्गीकृत वन | सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि। |
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न (i).
जैव विविधता क्या है? यह मानव जीवन के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के प्राणिजात एवं वनस्पतिजात का पाया जाना जैव विविधता कहलाता है।
जैव विविधता पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखती है तथा इससे हमें हमारी आवश्यकता की अनेक वस्तुएँ प्राप्त होती हैं।
प्रश्न (ii).
विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के कारक हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पतिजात तथा प्राणिजात के ह्रास का मुख्य कारक मानव क्रियाएँ हैं। मनुष्य द्वारा कृषि के क्षेत्र में विस्तार, स्थानान्तरी कृषि, बड़ी विकास परियोजनाएँ, वाणिज्य वानिकी, रेललाइन एवं खनन क्रियाओं में वृद्धि द्वारा वनों को बहुत नुकसान पहुंचाया गया है। इससे प्राकृतिक वनस्पतिजात तथा प्राणिजात का ह्रास हुआ है।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिये।
प्रश्न (i).
भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर:
भारत में वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में विभिन्न समुदायों के योगदान के तथ्य निम्न प्रकार हैं-
- सरिस्का बाघ रिजव में राजस्थान के गाँवों के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के तहत वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने के लिए संघर्षरत हैं।
- राजस्थान के अलवर जिले में 5 गाँवों के लोगों ने 1200 हैक्टेयर भूमि भैरोंदेव डाकव सेंचुरी’ घोषित कर दी है। जिसके अपने ही नियम कानून हैं जो कि शिकार वर्जित करते हैं तथा बाहरी लोगों की घुसपैठ से इस क्षेत्र के वन्य जीवन की रक्षा करते हैं।
- हिमालय क्षेत्र में प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन अनेक क्षेत्रों में वन कटाई रोकने में ही कामयाब नहीं रहा अपितु यह भी दिखाया कि स्थानीय पौधों की जातियों को प्रयोग करके सामुदायिक वनीकरण अभियान को सफल बनाया जा सकता है।
- (iv) टिहरी में किसानों का बीज बचाओ आन्दोलन और नवदानय ने दिखा दिया है कि रासायनिक उर्वरकों के बिना भी विविध फसल उत्पादन द्वारा आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन संभव है।
- छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा और संथाल जनजातियाँ महुआ और कदम्ब के पेड़ों की पूजा तथा उनका संरक्षण करती हैं।
- राजस्थान में बिश्नोई समाज के लोग अपने आसपास के क्षेत्रों में निवास करने वाले हिरन. चिंकारा, नीलगाय, मोर आदि वन्य पशुओं की सुरक्षा करते हैं।
प्रश्न 2.
वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबंध लिखिये।
उत्तर:
भारत में वन तथा वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी अनेक रीति-रिवाज तथा प्रथाएँ प्रचलन में हैं। इनमें से प्रमुख रीति-रिवाज निम्नलिखित हैं-
(1) प्रकृति की पूजा करना- भारत में जनजातीय लोग प्राचीन काल से प्रकृति की पूजा करते आये हैं जिसका आधार प्रकृति के हर रूप की रक्षा करना है। इन्हीं विश्वासों ने विभिन्न वनों को मूल एवं कौमार्य रूप में बचाकर रखा है जिनको पवित्र पेड़ों के झुरमुट अथवा देवी-देवताओं के वन के नाम से जाना जाता है। वनों के इन भागों में न तो स्थानीय लोग घुसते हैं और न ही किसी और को छेड़छाड़ करने देते हैं।
(2) पेड़-पौधों की पूजा करना- भारत में कुछ समाज कुछ विशेष पेड़ों की पूजा करते हैं और आदिकाल से उनका संरक्षण करते आ रहे हैं। छोटा नागपुर क्षेत्र में मुण्डा और संथाल जनजातियाँ महुआ और कदम्ब के पेड़ों की पूजा करते हैं। उड़ीसा और बिहार में जनजाति के लोग विवाह के अवसर पर इमली और आम के पेड़ की पूजा करते हैं । देश के अधिकांश व्यक्ति पीपल और वट वृक्ष को पवित्र मानते हैं।
(3) देश में अनेक संस्कृतियों के लोग मिलना- भारत में आमतौर पर झरनों, पहाड़ी चोटियों, पेड़ों और पशुओं को पवित्र मानकर उनका संरक्षण किया जाता है। अनेक अवसरों पर मन्दिरों के आस-पास बंदर और लंगूर पाए जाते हैं। उपासक लोग उन्हें खिलाते-पिलाते हैं। राजस्थान में बिश्नोई जाति के गाँवों के आस-पास वाले हिरण, चिंकारा, नीलगाय और मोरों के झुण्ड भ्रमण करते देखे जा सकते हैं।