RB 11 Sanskrit

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम्

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम्

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम्

पाठ्यपुस्तकस्य अभ्यास प्रश्नोत्तराणि

अभ्यास :1

अधोलिखतेषु रिक्तस्थानेषु कोष्ठांकित निर्देशानुसार पूर्तिं कुरुत(निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में अंकित निर्देशों के अनुसार कीजिए-)

  1. सुरेशः श्वं ग्रामे ……………………………..। (आ+गम्-लृट् लकार, प्रथम पुरुष एकवचनम्)
  2. सर्वे छात्राः युगपत् ……………………………..। (चल् लट लकार प्रथम पुरुष बहुवचनम्)
  3. एकस्मिन् नगरे एकः भिक्षुकः …………………………….. (वस लक्त प्रथम पुरुष एकवचनम्)
  4. सत्यं ……………………………..। धर्मं चर।। (वद् लोट मध्यम् पुरुष एकवचनम्)
  5. अहं प्रतिदिनं विद्यालयं ……………………………..। (गर्म-लट्-उत्तमपुरुष -एकवचनम्)
  6. ते उद्याने ……………………………..। (क्रीड्–लट्-प्रथम-पुरुष-बहुवचनम्)
  7. छात्राः समये गृहकार्य ……………………………..। (कृ-धातुः, विधिलित्-प्रथमपुरुष-बहुवचनम्)
  8. वृक्षात् पत्राणि …………………………….. (पत्-धातु-लटलकार-प्रथमपुरुष-बहुवचनम्)
  9. मम पार्वे दश रूप्यकाणि …………………………….. (अस-लट्-लकार-प्रथमपुरुष-बहुवचनम्।)
  10. यदा त्वम् आमिष्यसि तदा ते ……………………………..(ग्ल ट्-लकार-प्रथमपुरुष-बहुवचनम्।)

उत्तराणि-

  1. आगमिष्यति
  2. चलन्ति
  3. अवसत्
  4. वद
  5. गच्छामि
  6. क्रीडन्ति
  7. कुर्यः
  8. पतान्ति
  9. सन्ति
  10. गमिष्यन्ति।।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

अभ्यास : 2
प्रश्नः
अधोलिखितानि धातुरूपाणि वाक्येषु प्रयुज्जत– (निम्नलिखित धातु-रूपों को वाक्यों में प्रयोग करो-)। पठिष्यामि, अपिबत्, आसीत्, पठति, करिष्यामि, सन्ति, करिष्यसि, कुर्मः, असि, पठति, अस्ति, याचते, पचति, याचति, भवति, पिबति, आसन्, हन्ति, नृत्यति, हसति।
उत्तर:

  1. अहं गृहे संस्कृतं पठिष्यामि।
  2. रामः शीतलं जलम् अपिबत्।
  3. सीता जनकस्य दुहिता आसीत्।
  4. राकेशः गणितविषयस्य पुस्तकं पठति।
  5. अहं गीतायाः पाठं करिष्यामि।
  6. ग्रामम् अभितः वृक्षाः सन्ति।
  7. त्वं कदा कार्यं करिष्यसि?
  8. वयं नद्यां स्नानं कुर्मः।
  9. भो राम ! त्वं कुत्र असि?
  10. रमेशः विद्यालये पठति।
  11. विद्यालयं निकषा नदी अस्ति।
  12. बालकः जनकं मोदकं याचते।
  13. रमा तन्दुलान् ओदनं पचति।
  14. सः मातां मोदकं याचति।
  15. विद्यया यशः भवति।
  16. गीता हस्ताभ्यां जलं पिबति।
  17. दशरथस्य चत्वारः पुत्राः आसन्।
  18. सिंहः पशून हन्ति।
  19. बालिका रंगमंचे नृत्यति।
  20. राम: भिक्षुकं दृष्ट्वा हसति।

अभ्यास : 3

प्रश्नः
अधोलिखितानि धातुरूपाणि वाक्येषु प्रयुज्जत- (निम्नलिखित धातुरूपों का वाक्यों में प्रयोग करो-) सेवते, लभन्ते, लेखिष्यति, अचिन्तयत्, भजति, भवति, सन्ति, रोचते, पचति, नयति, अस्ति, पठति, पचते, सेवन्ताम्, वहति, सेवन्ते, याचते, कुर्वन्ति, पिबति, चिन्तयति।
उत्तर:

  1. धनाशया सः कृपणमपि सेवते।
  2. शिष्याः विद्यालये ज्ञानं लभन्ते।
  3. रामः श्वः पत्रं लेखिष्यति।
  4. तम् अवलोक्य शृगालः अचिन्तयत्।
  5. सा वृद्धा प्रतिदिनं ईश्वरं भजति।।
  6. वृक्षस्य अधः छाया भवति।
  7. ग्रामं परितः क्षेत्राणि सन्ति।
  8. हरये भक्तिः रोचते।।
  9. माता भोजनं पचति।
  10. कृषकः ग्रामम् अजां नयति।
  11. सः नेत्रेण काणः अस्ति।
  12. छात्रः शिक्षकात् पठति।
  13. सा भोजनं पचते।
  14. ते गुरुजनान् सेवन्ताम्।
  15. गर्दभः भारं वहति।
  16. शिष्याः आचार्यं सेवन्ते।
  17. याचकः राजानं वस्त्रं याचते।।
  18. भवन्तः मे साहाय्यं कुर्वन्ति।।
  19. बालकः मधुरं दुग्धं पिबति।
  20. माता पुत्रस्य विषये चिन्तयति।

अभ्यास : 4

प्रश्न:
कोष्ठके प्रदत्तेन धातुरूपेण निर्देशानुसारेण रिक्तस्थानस्य पूर्तिः करणीया (कोष्ठक में दिये गये धातुरूप से निर्देशानुसार रिक्त-स्थान की पूर्ति कीजिये-)।

  1. अद्य चिरकालानन्तरं तव दर्शनं ……………………………..। (भू-लुट्)
  2. सः ग्रामम् अजां ……………………………..। (नी+लट्)
  3. सेवकः धनाशया कृपणमपि ……………………………..। (सेव्-लट्)
  4. इदानीम् अहं गन्तुं न ……………………………..। (शक्ल ट्)
  5. त्वं मित्रं धनं मा ……………………………..। (याच्-लोट्)
  6. शिष्या: आचार्यं ……………………………..। (सेव्-लट्)
  7. जननी भोजनं ……………………………..। (पच्-लट्)
  8. श्रद्धावन्तः जनाः ज्ञानं ……………………………..। (लभ्ल ट्)
  9. श्रीकृष्णस्य जन्म कारागारे ……………………………..। ( भू+लङ)
  10. त्वं यशस्वी ……………………………..। (भू-लोट्)
  11. ते मां दृष्ट्वा ……………………………..। (हस्-लट्)
  12. धनाशया कृपणं न ……………………………..। (सेव-विधिलङ्)
  13. बालकः पुस्तकं ……………………………..। (पढ्-लट्)
  14. रामः पाठं ……………………………..। (लिख-लोट्)
  15. गगने तारागणाः ……………………………..। (अस्-लट्)
  16. सः चमरौं मृगं ……………………………..। (हन-लुट्)
  17. उत्सवे बालिकाः ……………………………..। (नृत्-लट्)
  18. कृषकाः परिश्रमं ……………………………..। (कृ-लोट्)
  19. जनकः पुत्रस्य विषये ……………………………..। (चिन्त्-लट्)
  20. अहं कार्यं कर्तुं न ……………………………..। (शक्-लट्)

उत्तर:
1. भविष्यति 2. नयति 3. सेवते 4. शक्नोमि 5. याचस्व 6. सेवन्ते 7. पचति 8. लभन्ते 9. अभवत् 10. भव 11. हसन्ति 12. सेवेत 13. पठति 14. लिखतु 15. सन्ति 16. हनिष्यति 17. नृत्यन्ति 18. कुर्वन्तु 19. चिन्तयति 20. शक्नोमि।।

अभ्यास : 5
प्रश्न:
कोष्ठके प्रदत्तेन धातुरूपेण निर्देशानुसारेण रिक्तस्थानस्य पूर्तिः करणीया (कोष्ठक में दिये गये धातु-रूप से निर्देशानुसार रिक्त-स्थान की पूर्ति कीजिये-)

  1. तौ गुरु ……………………………..। (सेव्-ल) :
  2. गीत श्वः विद्यालये ……………………………..। (नृत्-लुट्)
  3. तौ बालकौ प्रतियोगितायां किं ……………………………..। (वद्-लुट्)
  4. मोहनः अद्य पत्रं ……………………………..। (लिख्-लोट्)
  5. रामः दशरथस्य पुत्रः ……………………………..। (अस्-लङ)
  6. त्वं विद्यालयस्य गृहकार्य ……………………………..। (कृ-लोट्)
  7. त्वम् एतत् कार्यं कर्तुं समर्थः ……………………………..। (अस्-लट्)
  8. अहम् एतत् पाठं पठितुं न ……………………………..। (शक्-लेट्)
  9. रामः कथायाः रहस्यं ……………………………..। (ज्ञा-लोट्)
  10. सः शीघ्रमेव सफलतां ……………………………..। (आप्-लुट्)
  11. अहं दुग्धं ……………………………..। (पा-लुट्)
  12. शिष्यः सदैव ज्ञानं ……………………………..। (लभ्-लट्)
  13. श्वः राकेशः कार्यं ……………………………..। (कृ-लुट्)
  14. मह्यं मोदकं ……………………………..। (रुच्-लट्)
  15. मिष्टान्नं दृष्ट्वा बालकः ……………………………..। (मुद्-लुट्)
  16. भिक्षुकः सदैव भिक्षां ……………………………..। (याच्-लट्)
  17. बालकः ग्रामं अजा ……………………………..। (नी-लुट्)
  18. ह्यः चौरा: धनं …………………………….. (हृ-लङ)
  19. मीरा कृष्णम् ……………………………..। (भज्-लङ)
  20. बालिकाः भोजनं ……………………………..। (पच्-लोट्)

उत्तर:
1. सेवेते 2. नर्तिष्यति 3. वदिष्यतः 4. लिखतु 5. आसीत् 6. कुरु 7. असि 8. शक्नोमि 9. जानातु 10. आप्स्यति 11. पास्यामि 12. लभते 13. करिष्यति 14. रोचते 15. मोदिष्यते 16. याचते 17. नेष्यति 18. अहरन् 19. अभजत् 20. पचन्तु।

प्रस्तुत प्रकरण के अन्तर्गत पाठ्यक्रम में निर्धारित धातु (क्रिया) तीनों (परस्मैपद, आत्मनेपद तथा उभयपद) पदों का वाक्यों में प्रयोग कराया जायेगा। सर्वप्रथम धातु तथा पदों का परिचय दिया जा रहा है।

धातु- क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। जैसे- पठ् (पढ़ना), गम् (जाना), हस् (हँसना), क्रीड् (खेलना) आदि।

धातु दो प्रकार की होती हैं

  1. सकर्मक-जिन धातुओं के साथ अपना कर्म रहता है वे सकर्मक धातुएँ होती हैं, जैसे- पठ्, गम आदि।
  2. अकर्मक-जिन धातुओं के साथ अपना कर्म नहीं रहता, वे अकर्मक धातुएँ होती हैं, जैसे- वृद्धि, नर्तन्, निद्रा आदि।।

पद-संस्कृत भाषा में धातुओं के तीन पद होते हैं

  1. परस्मैपद – जिन क्रियाओं का फल कर्ता को प्राप्त न होकर किसी अन्य व्यक्ति को मिलता है वह परस्मैपद धातु कहलाती है।।
  2. आत्मनेपद – जिन क्रियाओं का फल कर्ता स्वयं प्राप्त करता है वे आत्मनेपदी धातु होती हैं।
  3. उभयपद – जो धातुएँ परस्मैपद तथा आत्मनेपद दोनों में प्रयोग की जाती हैं उन्हें उभयपदी धातु कहते हैं।

पाठ्यक्रम में निर्धारित धातु रूप इस प्रकार हैं

  1. परस्मैपद धातवः – भू, पठ्, हस्, वच्, लिखु, अस्, हुन्, पा, नृत्, आप्, शक्, कृ, ज्ञा, चिन्त् तथा इनकी समानार्थक धातुएँ।
  2. आत्मनेपद धातवः- सेव्, लभ्, रुच्, मुद्, याच्।
  3. उभयपद धातवः- नी, हृ, भज्, पच्।।

गण-क्रिया को संस्कृत में ‘ धातु’ कहते हैं। संस्कृत की समस्त धातुओं को दस गणों में बाँटा गया है। इन गणों के नाम इनकी प्रथम धातु के आधार पर रखे गये हैं। गण तथा उनकी कुछ मुख्य धातुएँ इस प्रकार हैं-

RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 1.1

निर्देश- इन सभी धातुओं के रूप प्राय: दस लकारों में चलते हैं। पाठ्यक्रम के अनुसार निम्नलिखित लकारों का अध्ययन ही अपेक्षित है :

  1. लट् – वर्तमानकाल।।
  2. लृट् – काल।
  3. लङ् – भूतकाल।
  4. लोट् – आज्ञार्थक।
  5. विधिलिङ् – विधि (चाहिए अर्थ में)।

(1) लट् लकार-वर्तमान काल में लट् लकार का प्रयोग होता है। जिस काल में क्रिया का प्रारम्भ होना तथा चालू रहना सूचित होता हो और क्रिया की समाप्ति न पाई जाये, उसे वर्तमान काल कहते हैं ; जैसे
‘रामः पुस्तकं पठति’-राम पुस्तक पढ़ता है, यहाँ पर पठन क्रिया प्रचलित है तथा उसकी समाप्ति का बोध नहीं होता। अतः वर्तमान काल है। इसी प्रकार ‘सः लिखति’ (वह लिखता है), ‘ते गच्छन्ति’ (वे जाते हैं), आदि वाक्यों में भी वर्तमान काल समझना चाहिए।

(2) लृट् लकार – लृट् लकार का प्रयोग भविष्यत् काल में होता है। अर्थात् क्रिया का वह काल जिसमें क्रिया का प्रारम्भ होना तो न पाया जाये किन्तु उसका आगे होना पाया जाये, उसे भविष्यत् काल कहते हैं; जैसे
‘सः वाराणसीं गमिष्यति’ (वह वाराणसी जायेगा)। इस वाक्य में गमन क्रिया का आगे होना पाया जाता है। अतः यह भविष्यत् काल है। इसके लिए लृट् लकार का प्रयोग किया जाता है।।

(3) लङ् लकार–अनद्यतन भूतकाल में लङ् लकार का प्रयोग होता है। अनद्यतन भूत वह काल है जो आज का न हो, अर्थात् आज बारह बजे रात से पूर्व का काल अथवा आज प्रातः से पूर्व का समय; जैसे
देवदत्तः विद्यालयम् अगच्छत्। (देवदत्त विद्यालय गया।)

(4) लोट् लकार-लोट् लकार का प्रयोग आज्ञा देने के अर्थ में होता है। अत: सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे ‘आज्ञा काल’ कहते हैं। यथा-‘देवदत्त: गृहं गच्छतु। (देवदत्त घर जाये)। यहाँ देवदत्त को घर जाने की आज्ञा दी गई है। अतः लोट् लकार का प्रयोग हुआ है।

(5) विधिलिङ-इस लकार का प्रयोग विधि, निमन्त्रण, आमन्त्रण, अभीष्ट, सलाह और प्रार्थना आदि अर्थों में किया जाती है। सामान्यतः यह चाहिए’ वाले वाक्य में प्रयुक्त होता है। जैसे-‘देवदत्त: इदं कार्यं कुर्यात्।’ (देवदत्त को यह कार्य करना चाहिए), ‘सः गृहं गच्छेत्’ (उसे घर जाना चाहिए)।

(I) परस्मैपदिन धातवः
(1) भू (होना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 1.2
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 3
(2) पठ्(पढ़ना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 4

(3) हस् (हँसना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 5
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 6

(4) वद् (बोलना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 7

(5) लिखु (लिखना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 8

(6) अस् (होना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 9
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 10

(7) हन् (मारना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 11

(8) पा (पीना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 12
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 13

(9) नृत् (नाचना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 14
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(10) आप् (पाना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 16

(11) कृ (करना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 17
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 18

(12) ज्ञा (जानना) लट् लकार (वर्तमान काल)
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(13) चिन्त् (सोचना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 20

(14) शक् (समर्थ होना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 21
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 21

(15) पच् (पकाना) लट् लकार (वर्तमान काल)
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(II) आत्मनेपदिनः धातवः
(1) एथ् लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 24
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 25

(2) सेव् (सेवा करना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 26
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 27

(3) लभ् (पाना) लट् लकार (वर्तमान काल)
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(4) रुच् (चमकना या पसन्द करना) लट् लकार (वर्तमान काल)
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RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 30

(5) मुद् (प्रसन्न होना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 31

(6) याच् (माँगना) लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 32

(III) उभयपदिनः धातवः
(1) नी (ले जाना) परस्मैपद लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 33
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 34
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 35

(2) ‘ह’ (चुराना, हरण करना) परस्मैपद लट् लकार (वर्तमानकाल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 36
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 37
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 38

(3) भज् (सेवा करना) परस्मैपद लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 39
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 40

(4) पच् (पकाना) परस्मैपद लट् लकार (वर्तमान काल)
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 41
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 42
RBSE Class 11 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप प्रकरणम् 43

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