RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन
RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन
पाठ सार एवं पारिभाषिक शब्दावली (SUMMARY OF THE CHAPTERAND GLOSSARY)
RBSE Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन
RBSE Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Questions and Answers
पृष्ठ 303.
प्रश्न 1.
पर्यावरण – मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन – से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण – मित्र बनने के लिए हम अपनी आदतों में पाँच R – कम उपयोग (Reduce), Refuse (इनकार), Repurpose (पुनः प्रयोजन), पुनः चक्रण (Recycle) तथा पुनः उपयोग (Reuse) को शामिल करके निम्नलिखित परिवर्तन ला सकते हैं।
- बिजली के पंखे, बल्ब, टेलीविजन आदि की आवश्यकता न होने पर स्विच बन्द करके बिजली की बचत की जा सकती है।
- टपकने वाले नल की मरम्मत करके जल की बचत कर सकते हैं।
- घरों में बल्ब के स्थान पर फ्लोरोसेंट ट्यूब का प्रयोग करना।
- जहाँ तक सम्भव हो सके, अपने स्वयं के वाहन के स्थान पर बस में यात्रा करना।
- लिफ्ट का प्रयोग न करके सीढ़ियों का उपयोग करना।
- वस्तुओं का पुनः चक्रण करना, जैसे – प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुएँ तथा अन्य पदार्थों का पुनः चक्रण कर उपयोगी वस्तुएँ बनाना।
- वस्तुओं का पुनः उपयोग करना, जैसे – विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ आई प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बे आदि का उपयोग, रसोईघर में वस्तुओं को रखकर।
- खाद्य सामग्री / आहार को अनावश्यक व्यर्थ होने से बचाकर रखना, आदि।
प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना से ‘अर्थव्यवस्था में तेजी आ सकती है। लेकिन अर्थव्यवस्था में यह तेजी लम्बे समय तक नहीं रह सकती क्योंकि संसाधन असीमित नहीं हैं। संसाधनों का कम अवधि के उद्देश्यों के लिए दोहन वर्तमान पीढ़ी के लिए लाभकारी हो सकता है परन्तु भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए नहीं।
प्रश्न 3.
यह लाभ, लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
कम अवधि परियोजना के लाभ | लम्बी अवधि परियोजना के लाभ |
1. समस्त उपयोगी सामग्री प्रचुर मान्रा में उपलब्ध होती है। | 1. विभिन्न उपयोगी सामग्री की उपलब्धता सीमित होती है। |
2. उपयोग एवं फेंकने वाली प्रवृत्ति होती है। | 2. कम उपयोग, पुनः चक्रण एवं पुन: उपयोग की प्रवृत्ति होती है। |
3. संसाधन जल्दी ही खत्म हो जायेंगे। | 3. संसाधन लम्वे समय तक उपलब्ध रहेंगे। |
4. पारिस्थितिकी बाधित एवं नुकसानदायक हो जाती है। | 4. पारिस्थितिकी मित्रवत् होती है। |
5. वस्तुएँ बड़े परिमाण में बनने की प्रवृत्ति होती है। | 5. वस्तुएँ छोटे परिमाण में बनने की प्रवृत्ति होती है। |
6. कम अवधि के उद्देश्य से लाभ केवल व्यक्तिगत होता है। | 6. लम्बी अवधि के उद्देश्य का लाभ सम्पूर्ण समुदाय को होता है। |
प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन – कौनसी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर:
हमारे विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए। संसाधनों के समान वितरण से हमारा अभिप्राय है कि प्राकृतिक संसाधनों का सभी के लिए समान लाभ हेतु वितरण, चाहे व्यक्ति गरीब हो या अमीर। संसाधन निर्जीव व सजीव प्रकृति के हिस्से हैं जो कि भोजन, चारा, सुरक्षा, पानी, ऊर्जा एवं प्रतिदिन काम आने वाली सामग्री उपलब्ध करवाते हैं। प्रत्येक मनुष्य का यह अधिकार है कि वह इन्हें प्राप्त कर उनका समान रूप से उपयोग करे और यह तभी सम्भव है जब इन संसाधनों का वितरण समान होगा।
समान वितरण के विरुद्ध निम्न ताकतें कार्य कर सकती हैं ।
- संसाधनों का सीमित मात्रा में उपलब्ध होना।
- धनाढ्य व्यक्तियों के द्वारा संसाधनों का अत्यधिक उपभोग करना।
- स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं को नजरअंदाज कर अमीर एवं शक्तिशाली लोगों द्वारा अपने आर्थिक उद्देश्यों के लिए संसाधनों का दुरुपयोग करना
पृष्ठ 308.
प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
वृक्ष, झाड़ियों तथा काष्ठीय वनस्पति का एक सघन जैविक समुदाय वन (forest) कहलाता है। वन जैव विविधता के विशिष्ट स्थल (hotspots) होते हैं। वहाँ अनेक प्रकार की वनस्पति तथा वन्य जीव पाये जाते हैं। वनों एवं वन्य जीवन का संरक्षण करना आवश्यक है क्योंकि वनों से हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, जो मुख्यतः निम्न प्रकार है।
- वनों से मानव को अनेक प्रकार की वस्तुएँ, जैसे – ईंधन की तथा इमारती लकड़ी, बाँस, बेंत, सेल्यूलोज, चारा, गोंद, रबर, सुपारी, लाख, सूखा कोयला, कत्था आदि प्राप्त होती हैं।
- वनों से हमें फल, मेवे, सब्जियाँ, औषधियाँ आदि प्राप्त होती हैं।
- वन कई उद्योगों जैसे कागज, लाख, दियासलाई, धागे, वस्त्र, रंजक, रबर इत्यादि के लिए कच्चा माल उपलब्ध करवाते हैं।
- वन प्राकृतिक संतुलन बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो पर्यावरण की दृष्टि से पृथ्वी पर जीवन को बनाये रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है, जैसे
- भूमि के उपजाऊपन को बढ़ाते हैं।
- वर्षा के तेज जल प्रवाह एवं मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।
- वन पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने में सहायता करते हैं।
- भूमिगत जल के वाष्पन को रोकते हैं एवं वायुमण्डल की आर्द्रता को बनाये रखते हैं तथा बादलों के निर्माण व वृष्टि में सहायता करते हैं।
- वनों की उपस्थिति से ही पर्याप्त वर्षा होती है।
- CO2, SO2, व नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी वायुमण्डल की हानिकारक गैसों का वन अवशोषण कर वातावरण को स्वच्छ रखते हैं।
- जंगली जीवों को आवास एवं भोजन उपलब्ध करवाकर संरक्षण उनका करते हैं।
हमें वन्य जीवन का संरक्षण निम्न कारणों से करना चाहिए।
- वन्य प्राणी स्थलीय खाद्य श्रृंखला की निरन्तरता के लिए उत्तरदायी हैं।
- वन्य प्राणियों से हमें अनेक बहुमूल्य पदार्थ, जैसे – ऊन, खाल, सींग, फर, शहद, कस्तूरी आदि प्राप्त होते हैं।
- वन्य प्राणी पर्यावरण संतुलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
वनों एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें से कुछ अग्र प्रकार से हैं।
- जंगलों, विशेषकर राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों को सुरक्षित स्थान घोषित किया जाना चाहिए।
- वन महोत्सव की परम्परा डालकर नागरिकों को वृक्षारोपण कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- सामाजिक वानिकी के अन्तर्गत रेलमार्गों, सड़कों, नहरों के किनारे बंजर भूमि, पंचायत भूमि पर जनसामान्य व समाज के लिए इमारती व जलाऊ लकड़ी, फल व चारे की पूर्ति हेतु बहुउद्देश्यीय वृक्ष लगाने चाहिए।
- वन्य भूमि का उपयोग सड़क, भवन एवं बाँध बनाने में करने से बचना चाहिए।
- अतिचारण को कम करने हेतु घास उगानी चाहिए।
- हमें वनों एवं वन्य उत्पादों के विकल्पों की खोज करनी चाहिए, जिससे वनों पर कम से कम निर्भर रहना पड़े।
- वन्य प्राणियों का परिरक्षण हो।
- कटे हुए वन क्षेत्रों में वृक्षारोपण करना चाहिए।
- जंगल की आग से बचाव हो।
- वनों के काटे जाने तथा वन्य प्राणियों के शिकार पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
- वन्य चेतना केन्द्र स्थापित किए जाएँ।
पृष्ठ 311.
प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस – पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर:
हमारे निवास क्षेत्र के आस – पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति निम्न है बड़े समतल भू – भाग में जल संग्रहण स्थल मुख्यतः अर्धचन्द्राकार मिट्टी के गड्ढे अथवा निचले स्थान, वर्षा ऋतु में पूरी तरह भर जाने वाली नालियाँ अथवा प्राकृतिक जल मार्ग पर बनाये गये चेक डैम, जो कंक्रीट अथवा छोटे कंकड़पत्थरों के बने होते हैं। इन छोटे बाँधों के अवरोध के कारण इनके पीछे मानसून का जल तालाबों में भर जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य जल भौम स्तर में सुधार करना है।
प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों में जल व्यवस्था मैदानी एवं पठारी क्षेत्रों से भिन्न होती है। जैसे-हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में नहर सिंचाई की स्थानीय प्रणाली (व्यवस्था) को कुल्ह कहते हैं। झरनों से बहने वाले जल को मानव – निर्मित छोटी – छोटी नालियों से पहाड़ी पर स्थित निचले गाँवों तक ले जाया जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कृषि के मौसम में जल सबसे पहले दूरस्थ गाँव को दिया जाता है फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते हैं। सिंचाई के अतिरिक्त इन कुल्ह से जल का भूमि में अन्तः स्रावण भी होता रहता है जो विभिन्न स्थानों पर झरने को भी जल प्रदान करता रहता है।पठारी एवं मैदानी इलाकों में घरों की छत पर वर्षा के पानी को एकत्रित करके, बड़ी – बड़ी नदियों से नहरें निकालकर या तालाबों, टैंकों, नाड़ी, ताल आदि में संचित जल द्वारा या फिर नलकूपों द्वारा जल व्यवस्था की जाती है।
प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में जल अभियांत्रिकी विभाग द्वारा घरों में पानी नलों (pipes) के माध्यम से वितरित किया जाता है। यहाँ की जल प्रणाली के अनुसार जल का स्थानीय स्रोत बड़ी टंकी है, जिसमें पानी को बाँध, ट्यूबवैल, कुओं आदि से प्राप्त कर संग्रहित किया जाता है। फिर इस जल का वितरण पाइप लाइनों द्वारा सम्पूर्ण क्षेत्र को किया जाता है।
पानी क्षेत्र के सभी निवासियों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता है क्योंकि पानी की कमी के कारण अब घरों में एक वक्त ही पानी का वितरण किया जाता है, वह भी कम समय के लिए। झुग्गी – झोंपड़ी, ऐसी कॉलोनियाँ जो नगर विकास प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त नहीं हैं एवं दूरदराज के क्षेत्र जहाँ पाइप लाइन नहीं है, वे इस पानी से वंचित रहते हैं।
RBSE Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण – मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
उत्तर:
हमारे घर को पर्यावरण – मित्र बनाने के लिए हम निम्न परिवर्तन का सुझाव दे सकते हैं
- बिजली के पंखे, बल्ब, टेलीविजन आदि आवश्यकता न होने पर स्विच बन्द करके बिजली की बचत की जा सकती है।
- टपकने वाले नल की मरम्मत करके जल की बचत कर सकते हैं।
- घरों में बल्ब के स्थान पर. फ्लोरोसेंट ट्यूब का प्रयोग करना।
- पॉलीथिन एवं प्लास्टिक के बैग के स्थान पर कपड़े के थैले का उपयोग करना।
- खाद्य सामग्री / आहार को अनावश्यक व्यर्थ होने से बचाकर रखना।
- लिफ्ट का प्रयोग न करके सीढ़ियों का उपयोग करना।
- कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recycle) एवं पुनः उपयोग (Reuse) वाले पदार्थों / वस्तुओं का उपयोग करके।
- खाना बनाने में, पानी गर्म करने में, कमरों को गर्म रखने में सोलर ऊर्जा का उपयोग करके।
- अपशिष्टों को समाप्त करने से पहले पुनः चक्रण तथा अपशिष्ट पदार्थों को अचक्रण (noncyclic) पदार्थों से अलग करना।
प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके।
उत्तर:
हाँ, विद्यालय को पर्यानुकूलित बनाने के लिए निम्न परिवर्तन सुझाये जा सकते हैं।
- विद्यालय में अधिकाधिक पेड़ – पौधे लगाना।
- पेड़ – पौधों से गिरी पत्तियाँ एवं निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों को विद्यालय के दूरस्थ कोने में गड्ढा खोदकर दबा देते हैं, जिसके फलस्वरूप बनने वाले खाद का उपयोग बगीचे में अथवा पेड़-पौधों के लिए किया जा सकता है।
- विद्यालय परिसर में अपशिष्ट जैव निम्नीकरणीय व अनिम्नीकरणीय पदार्थों को पृथक-पृथक एकत्रित करने के लिए अलग-अलग कचरा पात्र की व्यवस्था करना।
- क्षा – कक्षों एवं कार्यालय आदि में सूर्य के समुचित प्रकाश की व्यवस्था करना ताकि दिन में बिजली की अनावश्यक खपत से बचा जा सके।
- विद्यालय में छात्र / छात्राओं के पानी पीने के दौरान बेकार जाने वाले पानी का सम्बन्ध बगीचे अथवा पेड़पौधों से कर देने पर इस पानी का सही सदुपयोग किया जा सकता है।
- विद्यालय की छत पर वर्षा के दौरान एकत्रित पानी को जमीन पर टैंक बनाकर संग्रह करना।
- विद्यालय में बिजली के स्थान पर सोलर ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए।
- विद्यालय में वातावरण को किस प्रकार सुरक्षित किया जा सकता हैं, इस सन्दर्भ में सेमिनार आयोजित किया जाना चाहिए जिसमें शिक्षक एवं छात्र/छात्राओं की भागीदारी हो।
- विद्यालय में इको क्लब की स्थापना की जानी चाहिए।
प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
वन एवं वन्य जन्तुओं के चार मुख्य दावेदार निम्नलिखित हैं।
- वन के अन्दर एवं इसके निकट रहने वाले लोग अपनी अनेक आवश्यकताओं के लिए वन पर निर्भर रहते हैं।
- सरकार का वन विभाग, जिनके पास वनों का स्वामित्व है तथा वे वनों से प्राप्त संसाधनों का नियंत्रण करते हैं।
- उद्योगपति जो तेंदु पत्ती का उपयोग बीड़ी बनाने से लेकर कागज मिल तक विभिन्न वन उत्पादों का उपयोग करते हैं, परन्तु वे वनों के किसी भी एक क्षेत्र पर निर्भर नहीं करते।
- वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमी जो प्रकृति का संरक्षण इसकी आद्य अवस्था में करना चाहते हैं।
उपर्युक्त चारों प्रकार के दावेदारों (stackholders) में से चौथे प्रकार के दावेदार, जो प्रकृति – प्रेमी हैं और वन्य प्राणियों एवं प्राकृतिक वनस्पति को अपनी प्राकृतिक अवस्था में ही बनाए रखना चाहते हैं, को ही प्रबन्धन एवं वन तथा उसके उत्पादों के सम्बन्ध में निर्णय लेने का अधिकार देना चाहिए।
प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं।
(a) वन एवं वन्य जन्तु।
(b) जल संसाधन।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम।
उत्तर:
(a) वन एवं वन्य जन्तु: मैं व्यक्तिगत रूप से वन एवं वन्य जन्तुओं के प्रबंधन में स्थानीय नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहूँगा एवं उन्हें इनके महत्त्व के बारे में बताना चाहूँगा। इसके साथ ही यह प्रबन्ध भी करूँगा कि वन संपदा को अनावश्यक क्षति न हो एवं इनका दुरुपयोग न हो।
(b) जल संसाधन: यह एक सीमित संसाधन है, अतः पानी की जितनी आवश्यकता हो, उतना ही उपयोग किया जावे । इस हेतु पानी के दुरुपयोग को कम करने का प्रयास करूँगा।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम: ऊर्जा की बचत के लिए मैं निम्न प्रयास करूँगा
- अपने स्वयं के वाहन (कार, मोटर-साइकिल, स्कूटर) के स्थान पर बस या साइकिल से यात्रा करूँगा।
- घर में बल्ब के स्थान पर ट्यूबलाइट या CFL का प्रयोग करूँगा।
- ठण्ड के दिनों में सिगड़ी या हीटर का प्रयोग न करके गर्म कपड़े पहनूँगा, ताकि ऊर्जा की बचत हो सके।
प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
- मैं अकेले व्यक्ति के रूप में विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए पाँच R – Refuse (इनकार), Repurpose (पुनः प्रयोजन), कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recycle) और पुनः उपयोग (Reuse) के सिद्धान्त की पालना करूँगा।
- बिजली की बचत करूँगा।
- भोजन/खाद्य सामग्री एवं जल की अनावश्यक बर्बादी को रोकँगा।
- लकड़ी के स्थान पर कुकिंग गैस का इस्तेमाल करूँगा।
- सोलर उपकरणों का अधिक से अधिक उपयोग करने का प्रयास करूँगा।
- ठण्ड से बचाव के लिए हीटर या सिगड़ी के स्थान पर ऊनी कपड़ों का प्रयोग कर सकते हैं।
- लाल बत्ती पर वाहनों का इंजन बन्द करके।
- लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का उपयोग करके।
प्रश्न 6.
निम्न से सम्बन्धित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं।
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर:
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
- बिजली के पंखे, बल्ब, टेलीविजन आदि की आवश्यकता न होने पर स्विच बन्द करके बिजली की खपत में कमी की।
- नहाते वक्त पानी की दो बाल्टियों के स्थान पर पानी की एक बाल्टी का उपयोग किया।
- अनेक स्थानों पर पैदल या साइकिल से गया।
- खाना खाते वक्त जूठन नहीं छोड़ा।
- नया पेन न खरीदकर रिफिल का उपयोग किया।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
- दाँत साफ करते वक्त वाशबेसिन का नल चालू रखा।
- एक बाल्टी पानी के स्थान पर तीन बाल्टी पानी से स्नान किया।
- मैं मेरे टिफिन में अधिक खाना लाया तथा शेष बचे खाने को प्रतिदिन फेंकता था।
- रात में पढ़ते – पढ़ते सो गया एवं सारी रात लाइट जलती रही।
- पि(ताजी की कार से दोस्तों के साथ घूमने गया।
प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवनशैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर:
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर हम अपनी जीवनशैली में निम्न परिवर्तन लाना चाहेंगे, जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके।
- मैं पाँच R – कम उपयोग (Reduce), पुनःचक्रण (Recycle), Refuse (इनकार), Repurpose (पुनः प्रयोजन) और पुनः उपयोग (Reuse) के सिद्धान्त की पालना करूँगा।
- वन महोत्सव के दौरान साल में दो बार वृक्षारोपण करूँगा।
- जहाँ तक हो सकेगा वहाँ तक सार्वजनिक बस (Public Bus) एवं विद्यालय की बस का उपयोग करूँगा।
- जहाँ तक सम्भव हो, सोलर ऊर्जा का उपयोग करूँगा।
- पॉलीथिन एवं प्लास्टिक के बैग के स्थान पर कपड़े के थैलों का उपयोग करूँगा।
- जल को व्यर्थ बहने से रोककर तथा टपकने वाले नल की मरम्मत करके जल की बचत करूँगा।