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RBSE Solutions for Class 11 Maths Chapter 2 सम्बन्ध एवं फलन Ex 2.4

RBSE Solutions for Class 11 Maths Chapter 2 सम्बन्ध एवं फलन Ex 2.4

Rajasthan Board RBSE Class 11 Maths Chapter 2 सम्बन्ध एवं फलन Ex 2.4

प्रश्न 1.
कारण सहित निम्न फलनों का एकैकी, बहु-एकी, अन्तर्केपी अथवा आच्छादक रूप में वर्गीकरण कीजिए :
(i) f: Q → Q, f(x) = 3x + 7
(ii) f: C → R, f(x + iy) = x
(iii) f: R [-1, 1], f(x) = sin x
(iv) f: N → Z, f(x) = |x|
हल-
(i) माना x1, x2 ∈ Q
यहाँ पर Q परिमेय संख्याओं का समुच्चय है।
f(x1) = f(x2)
तब 3x1 + 7 = 3x2 +7
⇒ 3x1 = 3x2
⇒ x1 = x2
∴ फलन एकैकी है।
पुनः ∀ x ∈ Q के लिए
= f(x) = 3x +7
⇒ 3x = y – 7 ⇒ x=y7/3
अर्थात् सहप्रान्त में y ∈ Q के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब प्रान्त Q में विद्यमान है, अतः दिया गया फलन आच्छादक होगा।
अतः f एकैकी-आच्छादक फलन है।

(ii) f: C→ R, (x + iy) = x
एकैकी : माना x + iy1 व x + iy2 ∈ C
2 + iy1 ≠ x + iy2
f(x + iy1) = x = f(x + iy2)
अवयव अलग होने पर भी प्रतिबिम्ब समान प्राप्त हुआ।
अतः फलन f बहु-एकैकी होगा।
आच्छादक : y = f(x + iy) = x अर्थात् समुच्चय B ∈ R का
पूर्व प्रतिबिम्ब समुच्चय C (सम्मिश्र संख्या) होना चाहिए।
∵प्रत्येक R को सम्मिश्र संख्या के रूप में व्यक्त किया जा सकता है अर्थात् समुच्चय B में यहाँ पर कोई भी अवयव खाली नहीं। होगा। अतः दिया गया फलन आच्छादक होगा।
अतः दिया गया फलने बहु, एकैकी-आच्छादक होगा।

(iii) f: R → [-1, 1], f(x) = sin x
एकैकी : माना 0, π ∈ R
0 ≠ π
लेकिन f(0) = sin 0 = 0 और f(π) = sin π = 0
⇒ f(0) = f(π) = 0
अर्थात् अलग-अलग अवयवों का एक ही प्रतिबिम्ब है। अतः दिया गया फलन बहु-एकैकी है।
आच्छादक : y = f(x) = sin x
x = sin-1 y अर्थात् y ∈ [-1, 1]
के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब प्रान्त R में विद्यमान है, अतः दिया गया फलन आच्छादक है।
अतः फलन f बहुएकैकी-आच्छादक है।

(iv) f: N → Z, f(x) = |x|
एकैकी : माना x1, x2 ∈ N
x1 = x2
|x1| = |x2|
f(x1) = f(x2)
इसलिए फलन f एकैकी है।
‘पुनः फलन f आच्छादक नहीं है, चूंकि प्रत्येक ऋणात्मक संख्या – x ∈ Z का प्रान्त N में कोई ऐसा अवयव नहीं है जिसका प्रतिबिम्ब (-x) हो, अर्थात् f(z) ≠ – x, क्योंकि |z| हमेशा एक धनात्मक संख्या होती है अर्थात् समुच्चय B में ऋणात्मक संख्याएँ सभी खाली होंगी। अतः फलन f अन्तर्केपी फलन होगा। अतः f एकैकी-अन्तर्केपी फलन है।

प्रश्न 2.
यदि A = {x} – 1 ≤ x ≤ 1} = B तो A से B में परिभाषित निम्न फलनों के लिए बताइए कि कौनसे एकैकी, आच्छादक अथवा एकैकी आच्छादक हैं :
(i) f(x) = x/2
(ii) g(x) = |x|
(ii) h(x) = x²
(iv) k(x) = sin π x
हल-
(i) माना x1, x2, ∈A
तब f(x1) = f(x2)

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अतः फलन आच्छादक नहीं है। अर्थात् अन्तर्चेपी है।
अतः फलन f एकैकी अन्तौंपी है।

(ii) g(x) = |x|
माना x1, x2 ∈ A
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अर्थात् दो भिन्न-भिन्न अवयवों का एक ही प्रतिबिम्ब है, अत: दिया गया फलन बहुएकैकी होगा। पुनः |x| सदैव धनात्मक वास्तविक संख्या होती है।
अतः g का परिसर g(A) = {x | x ∈ A}
= {x | 0≤x≤1} ≠ B (सहप्रान्त)
अर्थात् सहप्रान्त B में 1/2,-1 का कोई पूर्व प्रतिबिम्ब नहीं है,
अतः ये अवयव, B समुच्चय में खाली हैं।
अतः फलन g अन्तर्धेपी फलन होगा।
अतः फलन g बहुएकैकी-अन्तर्धेपी है।

(iii) h(x) = x²
माना x1, x2, ∈ A दो ऐसे अवयव हैं कि
1 ≠ – 1 परन्तु h(1) = 1 = h(-1)
अर्थात् समुच्चय A के भिन्न-भिन्न अवयवों 1,-1, का समुच्चय B में एक ही प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है। अतः दिया गया फलन (h) बहुएकैकी फलन होगा।
पुनः y = h(x) = x²
⇒ x = √y, अर्थात् y ∈ B के अवयव – 1 का पूर्व प्रतिबिम्ब
√-1 ∉ A प्राप्त हुआ है। अर्थात् समुच्चय B के अवयव -1 का समुच्चय A में कोई पूर्व प्रतिबिम्ब नहीं है, अतः फलन (h) अन्तर्चेपी होगा।
इसलिए फलन h बहुएकैकी-अन्तर्चेपी है।

(iv) k(x) = sin π x.
-1, 1 ∈ A ऐसी संख्याएँ हैं जिसमें -1 ≠ 1
परन्तु k(-1) = sin (-π) = 0 और k(1) = sin π = 0
⇒ k(-1) = k(1)
अतः फलन k बहुएकैकी है।
पुनः समुच्चय A का परिसर
= k(A) = {sin π x | x ∈ A}
= {(x | -1≤x≤1)}
= B (सहप्रान्त)
अर्थात् समुच्चय B के प्रत्येक अवयव का पूर्ण प्रतिबिम्ब समुच्चय A में विद्यमान है, अतः फलन f आच्छादक है।
इसलिए फलन k बहुएकैकी-आच्छादक है।

प्रश्न 3.
यदि f: C → C, f(x + iy) = (x – iy) हो तो सिद्ध कीजिए कि f एक एकैकी आच्छादक फलन है।
हल-
f: C → C, f(x + iy) = (x – iy)
माना f(x1 + iy) = (x2 + iy)
⇒ x1 – iy = x2 – iy
⇒ x1 = x2
इसलिए फलन f एकैकी है।
आच्छादक : (x + iy) = y = x – iy, अर्थात् समुच्चय B ∈ C के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब संयुग्मी सम्मिश्र राशि प्राप्त होगी, जो कि समुच्चय A में विद्यमान है, अतः दिया गया फलन आच्छादक होगा।
अतः फलन f एकैकी-आच्छादक है।

प्रश्न 4.
निम्न प्रकार के फलनों का एक-एक उदाहरण दीजिए :
(i) एकैकी अन्तर्केपी
(ii) बहु-एकी आच्छादक
(iii) आच्छादक पर एकैकी नहीं
(iv) एकैकी पर आच्छादक नहीं
(v) न एकैकी न आच्छादक
(vi) एकैकी आच्छादक
हल-
(i) एकैकी अन्तक्षेपी-एक फलन f, समुच्चय A से समुच्चय B में एकैकी अन्तक्षेपी फलन कहलाता है, यदि f एकैकी के साथसाथ अन्तर्चेपी भी हो, अर्थात् यदि A के भिन्न-भिन्न अवयवों के, B में भिन्न-भिन्न f-प्रतिबिम्ब हो तथा B में कम से कम एक अवयव ऐसा हो, जो A के किसी भी अवयव का f-प्रतिबिम्ब नहीं हो । अत; f: A → B एकैकी अन्तर्चेपी है, यदि और केवल यदि (iff) a ≠ b ⇒ f(a) ≠ f(b), a, b ∈ A तथा f(A) ≠ B
उदाहरणार्थ- f: I → I, f(x) = 2x – 3.
एकैकी : माना x1, x2 ∈ I
माना x1 ≠ x2
2x1 ≠ 2x2
2x1 – 3 ≠ 2x2 – 3
f(x1) ≠ f(x2)
∴ f एकैकी है।
पुनः y = f(x) = 2x – 3
2x = y + 3
x=y+3/2
अर्थात् समुच्चय B में y = 2, 4 ∈ I का पूर्व प्रतिबिम्ब 5/2 एवं 7/2 प्राप्त होंगे, जबकि 5/27/2 ∈ I अर्थात्, समुच्चय B में 2, 4, 6 अवयव ऐसे हैं, जिनके पूर्व प्रतिबिम्ब समुच्चय A में विद्यमान नहीं हैं, अतः फलन अन्तर्चेपी होगा।
इस प्रकार फलन एकैकी अन्तक्षेपी होगा।

(ii) बहु-एकी आच्छादक–एक फलन f, समुच्चय A से समुच्चय B में बहु-एकी आच्छादक फलन कहलाता है यदि f बहु-एकी के साथ-साथ आच्छादक भी हो अर्थात् यदि A के दो या दो से अधिक अवयवों के B में एक ही f-प्रतिबिम्ब हो तथा B का प्रत्येक अवयव A के किसी न किसी अवयव का f प्रतिबिम्ब हो।
f: R → R+, f(x) = x²
माना -1, 1 ∈ R, दो ऐसे अवयव हैं कि -1 ≠ 1
परन्तु f(-1) = 1 तथा f(1) = 1
f(-1) = f(1)
अर्थात् दो अलग-अलग अवयवों का एक ही प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है, अतः फलन f बहुएकैकी है।
पुनः y = f(x) = x²
x = √y
अर्थात् y ∈ R+ के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब R प्राप्त होता है, जो कि सैट A में विद्यमान है, अतः दिया गया फलन आच्छादक है।
इसलिए फलन f बहुएकैकी-आच्छादक है।

(iii) आच्छादक पर एकैकी नहीं।
समस्त n ∈ N के लिए।
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द्वारा परिभाषित फलन एक फलन f: N → N है। जो कि आच्छादक फलन है पर एकैकी नहीं है।
3, 4 ∈ N दो ऐसे अवयव हैं कि 3≠4
परन्तु f(3) = 3+1/2=2 तथा f(4) = 4/2 = 2
f(3) = f(4)
अतः फलन f एकैकी नहीं है।
पुनः f(1) = 1, f(3) = 2, f(5) = 3, ……. f(2n – n) = n
एवं f(2) = 1, f(4) = 2, f(6) = 3, ………f(2n) = n इत्यादि।
अर्थात् f का परिसर = N = सहप्रान्त
अतः फलन f आच्छादक है।

(iv) एकैकी पर आच्छादक नहीं
f(x) = 2x द्वारा प्रदत्त फलन f: N → N एकैकी है किन्तु आच्छादक नहीं है।
f: N → N, f(x) = 2x जहाँ N = {1, 2, 3, 4, …..}
एकैकी : माना x1, x2 ∈ N इस प्रकार है कि
f(x1) = f(x2)
f(x1) = f(x2)
2x1 = 2x2
x1 = x2 ∀ x1 x2, ∈ N
∴ f एकैकी फलन है।
आच्छादक : माना y = f(x) = 2x
x=1/2 y
अब y ∈ N में से y = 1 का पूर्व प्रतिबिम्ब x = 1/2 ∉ N अर्थात् सहप्रान्त के अवयव 1 का प्रान्त में कोई पूर्व प्रतिबिम्ब विद्यमान नहीं है। अतः फलन आच्छादक नहीं है।

(v) न एकैकी न आच्छादक,
f: R → R, f(x) = x²
एकैकी : 1, -1 ∈ R
f(1) = 1² = 1 और f(-1) = (-1)² = 1
अतः f(1) = f(-1)
परन्तु f(1) = f(-1) परन्तु 1 ≠ -1
अतः फलन एकैकी नहीं है।
आच्छादक : माना y = f(x) = x²
x = √y
अर्थात् सहप्रान्त R में स्थित अवयव -1 का पूर्व प्रतिबिम्ब प्रान्त R में विद्यमान नहीं है। सभी ऋणात्मक वास्तविक संख्याओं के पूर्व प्रतिबिम्ब विद्यमान नहीं हैं। अतः फलन आच्छादक नहीं होगा। अतः उपरोक्त फलन f न एकैकी है और न ही आच्छादक है।

(vi) एकै की आच्छादक
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अतः प्रत्येक y का पूर्व प्रतिबिम्ब प्रान्त R-{-1} में विद्यमान है।
अतः f आच्छादक फलन है।

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि f: R → R, f(x) = cos x एक बहु-एकी अन्तक्षेपी फलन है। f के प्रान्त तथा सहप्रान्त को इस प्रकार परिवर्तित कीजिए कि f हो जाए :
(i) एकैकी अन्तर्केपी
(ii) बहु-एकी आच्छादक
(iii) एकैकी आच्छादक।
हल-
f: R → R, f(x) = cos x
माना 0, 2π ∈ R, दो अवयव इस प्रकार हैं कि 0 ≠ 2π परन्तु f(0) = cos 0 = 1 एवं f(2π) = cos 2π = 1
इस प्रकार f(0) = f(2π) = 1
अतः f बहु एकैकी फलन है।
पुनः y = f(x) = cos x
⇒ x = cos-1 y
अर्थात् समुच्चय B में y ∈ 3 का पूर्व प्रतिबिम्ब समुच्चय A में विद्यमान नहीं है, अतः दिया गया फलन अन्तक्षेपी होगा।
(i) एकैकी अन्तक्षेपी : f[0, π] → R, f(x) = cos x
(ii) बहु एकैकी आच्छादक : f: R → [-1, 1], f(x) = cos x
(iii) एकैकी आच्छादक : f: [0, π] → [-1, 1], f(x) = cos x

प्रश्न 6.
यदि N = {1, 2, 3, 4,……}, O = {1, 3, 5, 7, …..}, E = {2, 4, 6, 8, ……} तथा f1,f2, निम्न प्रकार परिभाषित फलन हो : f1 : N → O, f1(x) = 2x – 1; f2: N → E, f2(x) = 2x तो सिद्ध कीजिए कि f1 तथा f2 एकैकी आच्छादक है।
हल-
f1: N → O, f1(x) = 2x – 1
माना x1, x2 ∈ N
माना
x1 = x2
2x1 = 2x2
2x1 – 1 = 2x2 – 1
f(x1) = f(x2)
अतः फलन एकैकी है।
पुनः y = f1(x) = 2x – 1
⇒ y + 1 = 2x
∴ x=y+1/2, अर्थात् y ∈ 0 के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब समुच्चय A में विद्यमान है, अतः दिया गया फलन आच्छादक होगा।
(b) f2: N → E, f2(x) = 2x
माना x1, x2 ∈ N
माना x1 = x2
2x1 = 2x2
f(x1) = f(x2)
∴ f फलन एकैकी है।
y = f(x) = 2x
⇒ x=1/2 y
अर्थात् समुच्चय B में y ∈ E के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब समुच्चय A में विद्यमान है, अतः दिया गया फलन f आच्छादक होगा।

प्रश्न 7.
‘यदि फलन f वास्तविक संख्याओं के समुच्चय R से R में निम्न प्रकार परिभाषित है तो कारण सहित उनका एकैकी, बहु-एकी, अन्तक्षेपी अथवा आच्छादक के रूप में वर्गीकरण कीजिए :
(i) f(x) = x²
(ii) f(x) = x³
(iii) f(x) = x³ + 3
(iv) f(x) = x³ – x
हल-
(i) f: R → R, f(x) = x²
माना -1, 1 ∈ R ऐसे दो अवयव हैं कि -1 ≠ 1
परन्तु f(-1) = (-1)² = 1 और f(1) = 1² = 1
⇒ f(-1) = f(1)
अर्थात् समुच्चय A के दो अलग-अलग अवयवों का समुच्चय B में एक ही प्रतिबिम्ब है, अतः दिया गया फलन बहु-एकैकी है।
पुनः y = f(x) = x²
∴ x = √y
अर्थात् y ∈ R को अवयव (-1) का समुच्चय A में कोई पूर्व प्रतिबिम्ब विद्यमान नहीं है। ∵ √-1 एक काल्पनिक संख्या है।
इसलिए फलन f बहु-एकैकी अन्तर्केपी है।

(ii) f: R → R, f(x) = x³
माना x1, x2 ∈ R
माना x1 = x2
⇒ x13 = x23
⇒ f(x1) = f(x2)
∴ फलन f एकैकी है।
पुनः y = f(x) = x³
∴ x = (y)1/3 अर्थात् समुच्चय B में y ∈ R के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब समुच्चय A में विद्यमान है, अर्थात् वास्तविक संख्या प्राप्त हो रही है। अतः दिया गया फलन
आच्छादक है।
∴ फलन f एकैकी-आच्छादक है।

(iii) f: R → R, f(x) = x³ + 3
माना x1, x2 ∈ R
माना  x1 = x2
⇒ x13 = x23
⇒ x13 + 3 = x23 + 3
f(x1) = f(x2)
इसलिए फलन f एकैकी है।
पुनः y = x³ + 3 ⇒ x = y – 3
∴ x = (y – 3)1/3
अर्थात् सहप्रान्त R में y के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब समुच्चय A में विद्यमान है, अत: दिया गया फलन आच्छादक है। इसलिए फलन एकैकी-आच्छादक है।

(iv) f: R → R, f(x) = x³ – x = x(x² – 1) = x(x – 1)(x + 1)
दिया गया फलन एकैकी होगा यदि x-अक्ष के समान्तर एक रेखा फलन के ग्राफ को एक से अधिक बिन्दुओं पर नहीं काटती है। यहाँ पर f(x) = (x + 1) (x – 1) के ग्राफ को एक रेखा जो कि x-अक्ष के समान्तर है, एक से अधिक बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती है।
P, Q, R बिन्दुओं के मान अलग-अलग हैं। लेकिन उनके फलन के तहत प्रतिबिम्ब समान हैं ।
अतः फलन बहु-एकैकी है।
पुनः हम देखते हैं कि सहप्रान्त R के बहुत से अवयव ऐसे हैं। जिनका पूर्व प्रतिबिम्ब प्रान्त R में विद्यमान नहीं है । उदाहरणार्थ 1 ∈ R (सहप्रान्त) परन्तु प्रान्त R में कोई अवयव x ऐसा नहीं है जिसके लिए f(x) = x³ – x = 1 सत्य हो।
इसलिए फलन f अन्तक्षेपी है।
अतः दिया गया फलन f बहु-एकैकी-अन्तक्षेपी है।

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