मध्यकालीन भारत

भारत पर तुर्क आक्रमणः महमूद गजनवी | Turk invasion of India

भारत पर तुर्क आक्रमणः महमूद गजनवी | Turk invasion of India

गजनवी तुर्क शासन (977 से) : अरबों के बाद तुर्कों ने भारत पर आक्रमण किया। अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी में तुर्क साम्राज्य की स्थापना की। 977 ई. में अलप्तगीन के दामाद सुबुक्तगीन ने गजनी पर शासन किया। सुबुक्तगीन ने मरने से पहले कई लड़ाइयां लड़ते हुए अपने राज्य की सीमाएं अफगानिस्तान, खुरासान, बल्ख एवं पश्चिमोत्तर भारत तक फैला ली थीं। सुबुक्तगीन की मुत्यु के बाद उसका पुत्र महमूद गजनवी गजनी की गद्दी पर बैठा। महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा के आदेशानुसार भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करना शुरू किए।
इस्लाम के विस्तार और धन, सोना तथा स्त्री प्राप्ति के उद्देश्य से उसने भारत पर 1001 से 1026 ई. के बीच 17 बार आक्रमण किए। गजनवी के आक्रमण के समय भारत में अन्य हिस्सों पर राजपूत राजाओं का शासन था। 10वीं शताब्दी ई. के अंत तक भारत अपने पश्‍चिमोत्तर क्षेत्र जाबुलिस्तान तथा अफगानिस्तान खो चुका था। 999 ई. में जब महमूद गजनवी सिंहासन पर बैठा, तो उसने प्रत्येक वर्ष भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करने की प्रतिज्ञा की।
महमूद गजनवी के आक्रमण के समय पंजाब एवं काबुल में हिन्दूशाही वंश का शासन था। कश्मीर की शासिका रानी दिद्दा थीं। दिद्दा की मुत्यु के बाद संग्रामराज गद्दी पर बैठा। सिन्ध पर पहले से ही अरबों का राज था। मुल्तान पर शिया मुसलमानों का राज था। कन्नौज में प्रतिहार, बंगाल में पाल वंश, दिल्ली में तोमर राजपूतों, मालवा में परमार वंश, गुजरात में चालुक्य वंश, बुंदेलखंड में चंदेल वंश, दक्षिण में चोल वंश का शासन था।

अरबों के द्वारा प्रारंभ किया गया कार्य तुर्कों ने पूरा किया अर्थात् अरबों के बाद भारत पर तुर्कों ने आक्रमण (महमूद गजनवी ) किया। 11 वी. शता. में भारत में राजनैतिक विकेंद्रीकरण का समय था। यह समय राजदूत राज्यों का था, जिन्होंने नेतृत्व के बाद अपनी-2 प्रधानता की क्षेत्रीय ईकाइयाँ बनाई।

महमूद गजनवी के 17 आक्रमण : दूसरे आक्रमण में महमूद ने जयपाल को हराया। जयपाल के पौत्र सुखपाल ने इस्लाम कबूल कर लिया। 4थे आक्रमण में भटिंडा के शासक आनंदपाल को पराजित किया। 5वें आक्रमण में पंजाब फतह और फिर पंजाब में सुखपाल को नियु‍क्त किया, तब उसे (सुखपाल को) नौशाशाह कहा जाने लगा। 6ठे और 7वें आक्रमण में नगरकोट और अलवर राज्य के नारायणपुर पर विजय प्राप्त की। आनंदपाल को हराया, जो वहां से भाग गया।
आनंदपाल ने नंदशाह को अपनी नई राजधानी बनाया तो वहां पर भी गजनवी ने आक्रमण किया। 10वां आक्रमण नंदशाह पर था। उस वक्त वहां का राजा त्रिलोचन पाल था। त्रिलोचनपाल ने वहां से भागकर कश्मीर में शरण ली। नंदशाह पर तुर्कों ने खूब लूटपाट ही नहीं की बल्कि यहां की महिलाओं का हरण भी किया। महमूद ने 11वां आक्रमण कश्मीर पर किया, जहां का राजा भीमपाल और त्रिलोचन पाल था।
इसके बाद महमूद ने कन्नौज पर आक्रमण किया। उसने बुलंदशहर के शासक हरदत्त को पराजित किया। अपने 13वें अभियान में गजनवी ने बुंदेलखंड, किरात तथा लोहकोट आदि को जीत लिया। 14वां आक्रमण ग्वालियर तथा कालिंजर पर किया। अपने 15वें आक्रमण में उसने लोदोर्ग (जैसलमेर), चिकलोदर (गुजरात) तथा अन्हिलवाड़ (गुजरात) पर आक्रमण कर वहां खूब लूटपाट की।
महमूद गजनवी ने अपना 16वां आक्रमण (1025 ई.) सोमनाथ पर किया। उसने वहां के प्रसिद्ध मंदिरों को तोड़ा और वहां अपार धन प्राप्त किया। इस मंदिर को लूटते समय महमूद ने लगभग 50,000 ब्राह्मणों एवं हिन्दुओं का कत्ल कर दिया। इसकी चर्चा पूरे देश में आग की तरह फैल गई। 17वां आक्रमण उसने सिन्ध और मुल्तान के तटवर्ती क्षेत्रों के जाटों के पर किया। इसमें जाट पराजित हुए।

महमूद गजनी के जीवन एवं क्रियाकलापों का ऐतिहासिक विवरण जैनुल अखबार (अबु सईद द्वारा रचित) से प्राप्त होता है।

तुर्क –

चीन की उत्तरी – पश्चिमी सीमाओं पर निवास करने वाली एक असभ्य व बर्बर जाति थी। इनका उद्येश्य एक विशाल मुस्लिम साम्राज्य स्थापित करना था।

तुर्की आक्रमण भारत के इतिहास में एक एक महत्वपूर्ण घटना थी। इन आक्रमणों ने अपने प्रभाव से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय परिवर्तनों को जन्म दिया।

अल्पतगीन नामक एक तुर्क सरदार ने गजनी में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।अल्पतगीन ने गजनी में यामिनी वंश की स्थापना की थी। 977 ई. में अलप्तगीन के दामाद सुबुक्तगीन ने गजनी पर अधिकार कर लिया। भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम अरबी मुस्लिम मुहम्मद बिन कासिम था, जबकि प्रथम तुर्की मुसलमान सुबुक्तगीन था।

सुबुक्तगीन ने भारत के हिन्दुशाही राजवंश के शासक जयपाल पर दो बार आक्रमण किया लेकिन सफल नहीं हो सका। फिर उसका पुत्र महमूद गजनवी उत्तराधिकारी बना जिसने भारत में काफि हद तक सफलता हासिल की थी।

महमूद गजनवी-

महमूद गजनवी ने 998 ई.से 1030 ई. तक भारत पर शासन किया। महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था। महमूद गजनवी अपने पिता के समय खुरासान का शासक था। इसने 1001 से लेकर 1030 ई. तक भारत पर 17 बार आक्रमण किये थे।उसके इन आक्रमणों का उल्लेख विद्वान हेनरी इलियट ने किया है।

उत्बी के अनुसार गजनवी ने युद्धों के समय जेहाद का नारा दिया था। महमूद ने अपना नाम बुतशिन(मूर्ति पूजा को समाप्त करने वाला) रखा। 30 अप्रैल 1030 को इसकी मृत्यु हो गई।

महमूद की उपाधियाँ-

इतिहासकारों ने मुस्लिम इतिहास में महमूद गजनवी को सर्वप्रथम सुल्तान माना है। महमूद के सिक्कों पर उसकी उपाधि अमीर महमूद अंकित है।

बगदाद के खलीफा अल कादिर विल्लाह ने उसे यामीन-उद्दौला तथा आमीन-उल-मिल्लाह की उपाधियाँ प्रदान की। यह भी कहा जाता है कि इसी अवसर पर उसने प्रत्येक वर्ष आक्रमण करने की शपथ खाई थी।

महमूद गजनवी के दरबारी लेखक –

अलबरूनीफिरदौसी(पुस्तक-शाहनामा), उत्बी (पुस्तक-किताब-उल-यामिनी/ तारीख-उल -यामिनी ) आदि थे।

1018-19 के भारत आक्रमण के समय महमूद की सेना के साथ प्रसिद्ध अरबी विद्वान अलबरूनी आया था।अलबरूनी ने किताब-उल-हिंद नामक पुस्तक की रचना की थी।इस पुस्तक में तत्कालीन भारत की गणित, इतिहास, भूगोल, खगोल, दर्शन आदि का वर्णन है।

तुर्क आक्रमण – महमूद गजनवी-

महमूद गजनवी ने 17 बार भारत पर आक्रमण किये थे, जिनमें से कुछ का विवरण निम्न लिखित है।

प्रथम आक्रमण – 1001 ई.में हिन्दूशाही राजवंशके शासक जयपाल के विरूद्ध गजनवी ने आक्रमण किया था जिसमें जयपाल पराजित होकर आत्महत्या कर लेता है।

1008 में आनंदपाल को पराजित किया।

1021 में उद्भांडपुर को जीत लिया था।

1013 में त्रिलोचनपाल को हराया।

1005 में भटिंडा (पंजाब) के शासक विजयराम को हराया।

1006 में मुल्तान को जीता और इसे अपने साम्राज्य में मिलाया।

1009 में नारायणपुर (अलवर) – व्यापारिक नगर पर आक्रमण किया।

1014 में थानेश्वर (हरियाणा) पर आक्रमण कर चक्रस्वामी मंदिर को नष्ट किया।

1018 -19 में मथुरा एवं कन्नौज पर आक्रमण किया।

कन्नौज पर प्रतिहार शासक राज्यपाल का शासन था। महमूद के आक्रमण के समय राज्यपाल भाग गया। सामंत विधाधर (चंदेल शासक ) ने राज्यपाल की हत्या कर दी थी।

महमूद ने कालिंजर पर 1021 में आक्रमण किया था। इस समय कालिंजर का शासक विधाधर था, जो कालिंजर से भाग गया था।

1023 में पुनः कालिंजर पर आक्रमण किया तथा विधाधर से संधि कर ली थी।

1025 में सोमनाथ पर महमूद गजनवी ने आक्रमण किया तथा यहाँ के लकङी के बने मंदिर को जला दिया । इसी मंदिर को बाद में गुजरात के शासक भीमI ने पत्थरों व ईंटों से बनाया था।

1027 में जाटों ने गजनवी पर आक्रमण किया यह आक्रमण गजनवी का भारत पर अंतिम आक्रमण था जो जाटों के विरुद्ध था।

गजनवी के अधीन अफगानिस्तान , फारस (ईरान )तथा पंजाब के कुछ क्षेत्र शामिल थे।

इसके शासनकाल में फारसी संस्कृति तथा फारसी भाषा का विकास हुआ।

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