UK Board 10th Class Science – Chapter 13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव
UK Board 10th Class Science – Chapter 13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव
UK Board Solutions for Class 10th Science – विज्ञान – Chapter 13 विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव
अध्याय के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर : चुम्बक के समीप लाए जाने पर, चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दिक्सूचक सुई पर एक बल-युग्म लगता है जो सुई को विक्षेपित कर देता है।
प्रश्न 2. किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए ।
उत्तर : देखिए 13.10 चित्र ।
प्रश्न 3. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए ।
उत्तर : चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण –
(1) चुम्बक के बाहर इन बल – रेखाओं की दिशा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है। इस प्रकार ये बन्द वक्र के रूप में होती हैं।
(2) चुम्बकीय बल – रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।
(3) चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं, क्योंकि एक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ सम्भव नहीं हैं।
(4) किसी स्थान पर चुम्बकीय बल रेखाओं की सघनता उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
(5) एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की चुम्बकीय बल रेखाएँ, परस्पर समान्तर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती हैं।
प्रश्न 4. दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर : यदि दो चुम्बकीय बल रेखाएँ परस्पर काटेंगी तो उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हो जाएँगी जो कि असम्भव है।
प्रश्न 5. मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण- हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए ।
उत्तर : संलग्न चित्र के अनुसार, यदि दाहिने हाथ की अंगुलियाँ तार के ऊपर इस प्रकार लपेटी जाएँ कि अँगूठा तार में प्रवाहित धारा की दिशा में हो, तब अंगुलियों के मुड़ने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेगी।
चित्र से स्पष्ट है कि पाश के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश के तल (मेज के तल) के लम्बवत् नीचे की ओर होगी, जबकि पाश के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज) के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगी।
प्रश्न 6. किसी दिए गए क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए ।
उत्तर : एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर समान्तर बल रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाएगा जैसा कि संलग्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
प्रश्न 7. सही विकल्प चुनिए—
किसी विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र-
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिन्दुओं पर समान होता है।
उत्तर : (b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
प्रश्न 8. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं। )
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर : (c) वेग तथा (d) संवेग |
प्रश्न 9. क्रियाकलाप 13.7 में, हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(ii) अधिक प्रबल नाल चुम्बक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लम्बाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर : (i) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
(ii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योंकि इस पर कार्यरत बल चुम्बकीय क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती होता है।
(iii) छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा; क्योकि इस पर कार्यरत बल छड़ की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है।
प्रश्न 10. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी।
उत्तर : (d) उपरिमुखी
प्रश्न 11. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए ।
उत्तर : फ्लेमिंग का वामहस्त नियम — इस नियम के अनुसार, “यदि हम बाएँ हाथ के अँगूठे तथा पहली दो अंगुलियों को इस प्रकार फैलाएँ कि तीनों परस्पर लम्बवत् रहें, तब यदि मध्यमा चालक में प्रवाहित धारा को तथा तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को इंगित करे तो अँगूठा चालक पर लगने वाले बल की दिशा को इंगित करेगा [देखें चित्र – 13.3]
प्रश्न 12. विद्युत मोटर का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर : विद्युत मोटर का सिद्धान्त- जब किसी कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जो कुण्डली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है। यही विद्युत मोटर का सिद्धान्त है।
प्रश्न 13. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर : विद्युत मोटर में विभक्त वलय की भूमिका – विभक्त वलय का कार्य कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है। जब कुण्डली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का ब्रुशों से सम्पर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से सम्पर्क जुड़ जाता है। इसके फलस्वरूप कुण्डली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुण्डली एक ही दिशा में घूमती रहे। यदि विद्युत मोटर में विभक्त वलय न लगे हों तो मोटर घूमना प्रारम्भ तो करेगी परन्तु आधा चक्कर घूमकर रुक जाएगी।
प्रश्न 14. किसी कुण्डली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न करने के विभिन्न ढंग
(1) कुण्डली को स्थिर रखकर, दण्ड चुम्बक को कुण्डली की ओर लाकर या कुण्डली से दूर ले जाकर कुण्डली में धारा प्रेरित की जा सकती है।
(2) चुम्बक को स्थिर रखकर कुण्डली को चुम्बक के समीप या उससे दूर ले जाकर कुण्डली में धारा प्रेरित की जा सकती है।
(3) कुण्डली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाकर उसमें धारा प्रेरित की जा सकती है।
(4) कुण्डली के समीप रखी किसी अन्य कुण्डली में प्रवाहित धारा में परिवर्तन करके भी पहली कुण्डली में धारा प्रेरित की जा सकती है।
प्रश्न 15. विद्युत जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर : विद्युत जनित्र का सिद्धान्त – जब किसी बन्द कुण्डली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है । कुण्डली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुण्डली में विद्युत ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।
प्रश्न 16. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए ।
उत्तर : (1) विद्युत सेल या बैटरी तथा (2) दिष्ट धारा जनित्र ।
प्रश्न 17. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर : जनित्र प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करता है ।
प्रश्न 18. सही विकल्प का चयन कीजिए—
ताँबे के तार की एक आयताकार कुण्डली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है?
(a) दो
(b) एक
(c) आधे
(d) एक-चौथाई ।
उत्तर : (c) आधे ।
प्रश्न 19. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर : (1) फ्यूज तार तथा (2) मेन स्विच ।
प्रश्न 20. 2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ ( 220 V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : ⋅.⋅ घरेलू परिपथ की धारा क्षमता 5 A है, इसका यह अर्थ हुआ कि घर की मुख्य लाइन में 5 A का फ्यूज तार लगा है।
भट्टी की शक्ति P = 2 kW = 2000 W जबकि V = 220 V
माना भट्टी द्वारा ली जाने वाली धारा I है तो
अर्थात् विद्युत भट्टी लाइन से 9.09 A की धारा लेगी जो कि फ्यूज की क्षमता से अधिक है; अतः फ्यूज का तार गल जाएगा।
प्रश्न 21. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर : घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए मेन स्विच के समीप, फेज तार में उचित सामर्थ्य का फ्यूज तार जोड़ना चाहिए ।
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन किसी लम्बे विद्युत धारावाही तार के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है –
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समान्तर होती हैं।
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्रीय क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
उत्तर : (d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्रीय क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
प्रश्न 2. विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना-
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुण्डली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है ।
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुण्डली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर : (c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
प्रश्न 3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-
(a ) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर ।
उत्तर : (a) जनित्र ।
प्रश्न 4. किसी ac जनित्र तथा de जनित्र में एक मूलभूत अन्तर यह है कि –
(a) ac जनित्र में विद्युत चुम्बक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुम्बक होता है।
(b) de जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर : (d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
प्रश्न 5. लघुपथन के समय, परिपथ में विद्युत धारा का मान-
(a) बहुत कम हो जाता है
(b) परिवर्तित नहीं होता
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है
(d) निरन्तर परिवर्तित होता है।
उत्तर : (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए-
(a) विद्युत मोटर यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
(c) किसी लम्बी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र समान्तर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर : (a) असत्य (b) सत्य (c) सत्य (d) असत्य ।
प्रश्न 7. चुम्बकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए ।
उत्तर : चुम्बकीय क्षेत्र के स्रोत हैं – (1) स्थायी चुम्बक, (2) विद्युत धारा तथा (3) गतिमान आवेश ।
प्रश्न 8. परिनालिका चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही ‘परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं? समझाइए ।
उत्तर : धारावाही परिनालिका का छड़-चुम्बक के समान व्यवहार – धारावाही परिनालिका एवं छड़ – चुम्बक में निम्नलिखित समानताएँ होती हैं-
(1) छड़-चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाए जाने पर दोनों के अक्ष उत्तर एवं दक्षिण दिशा में रुकते हैं।
(2) छड़-चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण एवं असमान ध्रुवों में आकर्षण होता है।
(3) छड़-चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
(4) छड़-चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के निकट दिक्सूचक की सुई लाने पर सुई विक्षेपित हो जाती है।
(5) छड़-चुम्बक एवं स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी धारावाही परिनालिका के निकट कोई धारावाही तार लाने पर दोनों विक्षेपित हो जाते हैं।
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि धारावाही परिनालिका एक दण्ड चुम्बक की भाँति व्यवहार करने लगती है।
धारावाही परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर उसमें दैशिक गुण आ जाता है और उसका अक्ष सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकता है। यदि धारावाही परिनालिका में धारा की दिशा वामावर्त (anticlockwise) है तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव होगा तथा दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा। इसके विपरीत, यदि धारा की दिशा दक्षिणावर्त (clockwise) है तो सामने वाला सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा तथा दूसरा सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
यदि परिनालिका में बहने वाली धारा की दिशा बदल दी जाए तो परिनालिका का उत्तरी सिरा दक्षिणी ध्रुव तथा दक्षिणी सिरा उत्तरी ध्रुव बन जाएगा।
दण्ड चुम्बक की सहायता से परिनालिका के ध्रुवों का निर्धारण
एक दण्ड चुम्बक की सहायता से धारावाही परिनालिका के ध्रुवों का निर्धारण किया जा सकता है।
(1) इसके लिए परिनालिका को उसके केन्द्र पर धागा बाँधकर स्वतन्त्रतापूर्वक इस प्रकार लटका देते हैं कि वह क्षैतिज अवस्था में बनी रहे ।
(2) अब दण्ड चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के एक सिरे के समीप लाते हैं।
(3) यदि परिनालिका का यह सिरा दण्ड चुम्बक की ओर आकर्षित उत्तरी ध्रुव होगा । होता है तो परिनालिका का यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा तथा विपरीत सिरा
(4) यदि दण्ड चुम्बक का उत्तरी ध्रुव समीप लाने पर परिनालिका विक्षेपित हो (घूम) जाती है। दण्ड चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के सामने वाला परिनालिका का सिरा उत्तरी ध्रुव होगा तथा विपरीत सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।
प्रश्न 9. किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर : जब चालक को चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखा गया हो।
प्रश्न 10. मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुँज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर : फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम के अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर होगी।
प्रश्न 11. विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है?
अथवा स्वच्छ नामांकित चित्र खींचकर किसी विद्युत मोटर का सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें वलयों का क्या कार्य होता है?
उत्तर : विद्युत मोटर – विद्युत मोटर एक ऐसा साधन है, जो विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलता है।
सिद्धान्त – जब किसी कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जो कुण्डली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि. कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है।
कार्य – विधि- जब बैटरी से कुण्डली में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं। तो फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से, कुण्डली की भुजाओं AB तथा CD पर बराबर, परन्तु विपरीत दिशा में दो बल कार्य करने लगते हैं। ये बल एक बल-युग्म बनाते हैं, जिसके कारण कुण्डली दक्षिणावर्त दिशा में घूमने लगती है। कुण्डली के साथ उसके सिरों पर लगे विभक्त वलय भी घूमने लगते हैं। इन विभक्त वलयों सहायता से धारा की दिशा इस प्रकार रखी जाती है कि कुण्डली पर बल लगातार एक ही दिशा में कार्य करे अर्थात् . कुण्डली एक दिशा में घूमती रहे।
विभक्त वलय का महत्त्व – विभक्त वलय का कार्य कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है। जब कुण्डली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का ब्रुशों से सम्पर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से सम्पर्क जुड़ जाता है। इसके फलस्वरूप कुण्डली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुण्डली एक ही दिशा में घूमती रहे।
प्रश्न 12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर : विद्युत मोटर के उपयोग — विद्युत मोटर का उपयोग बिजली के पंखे, जलपम्प, गेहूँ पीसने की चक्की एवं अन्य अनेक विद्युत उपकरणों में होता है।
प्रश्न 13. कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुण्डली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुम्बकमें धकेल दिया जाता है।
(i) कुण्डली
(ii) कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।
(iii) कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है।
उत्तर : (i) कुण्डली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होगी और धारामापी विक्षेप प्रदर्शित करेगा ।
(ii) प्रेरित धारा उत्पन्न होगी और धारामापी में विक्षेप प्रदर्शित होगा, परन्तु विक्षेप की दिशा पहले की विपरीत होगी।
(iii) कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी, धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आएगा।
प्रश्न 14. दो वृत्ताकार कुण्डली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुण्डली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन न करें तो क्या कुण्डली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर : हाँ, कुण्डली B में धारा प्रेरित होगी। इसका कारण यह है कि जब कुण्डली A में प्रवाहित धारा में बदलाव किया जाता है तो इसके चारों ओर स्थित चुम्बकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है। इस क्षेत्र की बल रेखाएँ कुण्डली B से भी गुजरती हैं; अतः बल रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण कुण्डली B में धारा प्रेरित हो जाती है।
प्रश्न 15. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र |
(ii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
(iii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुण्डली के घूर्णन करने पर उस कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा ।
उत्तर : (i) धारावाही चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय की दिशा, दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा निर्धारित होती है।
दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम – इस नियमानुसार, “यदि दाएँ हाथ की अंगुलियों को धारावाही चालक के चारों ओर मोड़कर, अँगूठे को धारावाही चालक में प्रवाहित धारा के अनुदिश रखें तो मुड़ी हुई अंगुलियाँ चुम्बकीय बल-रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी । “
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम द्वारा निर्धारित होती है।
फ्लेमिंग का बाएँ हाथ का नियम- इस नियम के अनुसार, “यदि हम बाएँ हाथ के अँगूठे तथा पहली दो अंगुलियों को इस प्रकार फैलाएँ कि तीनों परस्पर लम्बवत् रहें, तब यदि मध्यमा चालक में प्रवाहित धारा को तथा तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को इंगित करे तो अँगूठा चालक पर लगने वाले बल की दिशा को इंगित करेगा [ देखें चित्र – 13-7] ।
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुण्डली की गति के कारण उसमें प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम द्वारा ज्ञात होती है।
फ्लेमिंग का दाएँ हाथ का नियम – इस नियम के अनुसार, “यदि दाएँ हाथ का अंगूठा, उसके पास की तर्जनी अंगुली (fore finger) तथा मध्यमा अंगुली (middle finger) को परस्पर एक-दूसरे के लम्बवत् फैलाकर इस प्रकार रखें कि तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में तथा अँगूठा चालक की गति की दिशा में हो तो मध्यमा अंगुली चालक में रा की दिशा बताएगी।” जैसा कि चित्र – 13-8 में दिखाया गया है।
प्रश्न 16. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें बुशों का क्या कार्य है?
उत्तर : प्रत्यावर्ती धारा डायनमो अथवा विद्युत-जनित्रप्रत्यावर्ती धारा डायनमो एक ऐसा यन्त्र है जो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। इसका कार्य फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर निर्भर है।
सिद्धान्त- जब किसी बन्द कुण्डली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है। कुण्डली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुण्डली में विद्युत ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है। संरचना – इसके मुख्य भाग निम्नलिखित हैं—
(1) क्षेत्र चुम्बक – यह एक शक्तिशाली चुम्बक (N-S) होता है। इसका कार्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करना है, जिसमें कुण्डली क्षेत्र घूमती है। इसके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखाएँ N से S की ओर जाती हैं।
(2) आर्मेचर – यह एक आयताकार कुण्डली a b c d होती है, जो कच्चे लोहे के क्रोड पर पृथक्कित ताँबे के तार को लपेटकर बनाई जाती है (चित्र – 13-9) । इसमें ताँबे के फेरों की संख्या अधिक होती है। इस कुण्डली को क्षेत्र के चुम्बक ध्रुव खण्डों NS के बीच तेजी से घुमाया जाता है। आर्मेचर कुण्डली को घुमाने के लिए स्टीम टरबाइन, वाटर टरबाइन, पेट्रोल इंजन आदि का उपयोग किया जाता है।
(3) सर्पी वलय (Slip Rings) — कुण्डली पर लिपटे तार के दोनों सिरे धातु के दो छल्लों S1 व S2 से जुड़े रहते हैं तथा आर्मेचर के साथ-साथ घूमते हैं। इनको सर्पी वलय (slip rings) कहते हैं। ये छल्ले परस्पर तथा धुरा दण्ड से पृथक्कित रहते हैं।
(4) बुश (Brush) — सर्पी वलय S1, S2 सदैव ताँबे की बनी दो पत्तियों b1 व b2 को स्पर्श करते रहते हैं, जिन्हें बुश कहते हैं। ये ब्रुश स्थिर रहते हैं तथा इनका सम्बन्ध उस बाह्य परिपथ से कर देते हैं, जिसमें विद्युत धारा भेजनी होती है।
कार्य-विधि – माना कि कुण्डली a b c d दक्षिणावर्त दिशा में घूम रही है, जिससे भुजा c d नीचे जा रही है तथा भुजा a b ऊपर की ओर आ रही है। फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियमानुसार, इन भुजाओं में प्रेरित धारा की दिशा चित्रानुसार होगी; अतः बाह्य परिपथ में धारा S2 से जाएगी तथा S1 से वापस आएगी। जब कुण्डली अपनी ऊर्ध्वाधर स्थिति से गुजरेगी, तब भुजा a b नीचे आएगी तथा c d ऊपर की ओर जाने लगेगी। इसी कारण, a b तथा c d में धारा की दिशाएँ पहले से विपरीत हो जाएँगी। इस प्रकार की धारा को प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक आधे चक्कर के बाद बाह्य परिपथ में धारा की दिशा बदल जाती है।
बुशों का कार्य — ताँबे की दो पत्तियाँ by व by सर्पी वलयों से जुड़ी रहती हैं। इन पत्तियों को ब्रुश कहते हैं। ये घूमने वाली कुण्डली का बाह्य परिपथ में सम्पर्क बनाए रखती हैं।
प्रश्न 17. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर : जब किसी घरेलू अथवा औद्योगिक परिपथ में जीवित तार (फेज तार) तथा उदासीन तार (न्यूट्रल तार) परस्पर सम्पर्कित हो जाते हैं तो परिपथ लघुपथित हो जाता है। इस स्थिति में परिपथ का प्रतिरोध एकाएक शून्य रह जाता है और धारा का मान एकाएक बहुत अधिक बढ़ जाता है।
प्रश्न 18. भूसम्पर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसम्पर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर : भूसम्पर्क तार – घरेलू विद्युत परिपथ में विद्युतमय तथा उदासीन तारों के साथ एक तीसरा तार भी लगा होता है। इस तार का सम्पर्क घर के निकट जमीन के नीचे गहराई में दबी धातु की प्लेट के साथ होता है। इस तार का रोधन हरे रंग का होता है। इस तार को भूसम्पर्क तार कहते हैं। यह तार विद्युत धारा को अल्प प्रतिरोध चालन पथ प्रस्तुत करता है।
धातु के साधित्रों (उपकरणों; जैसे–बिजली की प्रेस, फ्रिज, टोस्टर आदि) को भूसम्पर्क तार से जोड़ दिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि साधित्र की बॉडी में विद्युत धारा का क्षरण होने पर बॉडी का विभव भूमि के विभव के बराबर बना रहे। इससे साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को तीव्र विद्युत – आघात लगने का खतरा समाप्त हो जाता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
- विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. विद्युत फ्यूज का कार्य स्पष्ट करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर : विद्युत फ्यूज का कार्य – एक मेज पर धातु की दो कीलें इस प्रकार गाड़िए कि उनके बीच लगभग 5 सेमी की दूरी हो। इन कीलों को चालक तारों की सहायता से एक बैटरी, एक छोटे बल्ब तथा प्लग कुंजी से जोड़िए । अब कीलों को चित्र के अनुसार एक अत्यन्त बारीक ऐलुमिनियम पत्ती के द्वारा परस्पर जोड़िए । प्लग कुंजी लगाइए। आप क्या देखते हैं। ऐलुमिनियम की पत्ती तुरन्त ही जल जाती है।
प्लग कुंजी लगाने से परिपथ में प्रवाहित धारा का मान एकाएक बढ़ जाता है। ऐलुमिनियम की पत्ती बारीक होने के कारण इतनी अधिक धारा को सहन नहीं कर पाती; अतः जल जाती है।
फ्यूज तार का कार्य भी ऐलुमिनियम की पत्ती के समान ही है। फ्यूज तार ताँबा, टिन तथा सीसे के मिश्रधातु का बना होता है। इसका गलनांक बहुत कम होता है। इसकी मोटाई इस प्रकार निर्धारित की जाती है कि यह एक महत्तम धारा को ही वहन कर सके। यदि परिपथ में प्रवाहित कुल धारा इस उच्चतम सीमा को पार कर जाती है तो फ्यूज तार पिघल जाता है और परिपथ को तोड़ देता है।
प्रश्न 2. विद्युत परिपथ में फ्यूज तार का उपयोग क्यों किया जाता है?
अथवा एक बैटरी से किसी बल्ब में धारा प्रवाहित की जाती है। इस परिपथ में बल्ब की सुरक्षा के लिए फ्यूज तार के संयोजन को परिपथ – आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
अथवा विद्युत फ्यूज का सचित्र संक्षिप्त वर्णन करते हुए इसका उपयोग बताइए।
उत्तर : विद्युत फ्यूज (Electric Fuse ) — कभी- कभी घरो अथवा कारखानों में बिजली की डोरी के दोनों तार आपस में छू जाते हैं तो परिपथ शॉर्ट सर्किट हो जाता है, जिससे परिपथ का प्रतिरोध बहुत कम हो जाने से धारा का मान बढ़ जाता है और इससे इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि विद्युत उपकरणों के जल जाने का भय हो जाता है तथा परिपथ के तारों में आग भी लग सकती है। इस प्रकार के खतरों से बचने के लिए विभिन्न परिपथों की वायरिंग में फ्यूज तार लगाए जाते हैं।
संरचना – सामान्यतः विद्युत फ्यूज तार ताँबा, टिन और सीसे के मिश्रण से बना हुआ एक छोटा-सा तार होता है जो कि चीनी मिट्टी के होल्डर पर लगे दो धात्विक टर्मिनलों के बीच खिंचा रहता है (चित्र – 13.11 ) । इसका गलनांक ताँबे की तुलना में बहुत कम होता है। जिस परिपथ की सुरक्षा करनी होती है, उसके एक अथवा दोनों संयोजक तारों में श्रेणीक्रम में फ्यूज तार जोड़ देते हैं। मोटाई के अनुसार फ्यूज तार की एक निश्चित क्षमता होती है, जिससे अधिक धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज तार गर्म होकर पिघल जाता है। तार के पिघल जाने से विद्युत परिपथ टूट जाता है और धारा बन्द हो जाती है। धारा के बन्द हो जाने से उपकरण अथवा परिपथ की खराबी का पता चल जाता है। इसे दूर करके तथा नया फ्यूज तार लगाने के बाद परिपथ में धारा को पुनः चालू कर लिया जाता है।
किसी बल्ब में बैटरी से धारा प्रवाहित करने पर, बल्ब की सुरक्षा के लिए फ्यूज तार के संयोजन का परिपथ – आरेख चित्र – 13-12 में दिखाया गया है।
प्रश्न 3. विद्युत आपूर्ति में लघुपथन और अतिभारण से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : लघुपथन- विद्युत परिपथ में लघुपथन का अर्थ यह है कि परिपथ में कहीं पर विद्युतमय तथा उदासीन तार परस्पर सम्पर्कित हो गए हैं। इस स्थिति में परिपथ का प्रतिरोध बहुत कम रह जाता है और धारा बहुत अधिक बढ़ जाती है। ऐसा होने पर परिपथ के तार बहुत गर्म हो जाते हैं और लघुपथन के स्थान पर चिंगारी उत्पन्न होने लगती है । लघुपथन के कारण घर में आग भी लग सकती है। है
अतिभारण- घर के परिपथ की वायरिंग करते समय सर्वप्रथम घर में होने वाली विद्युत-ऊर्जा की खपत का आकलन किया जाता है और तब ऐसे वाहक तारों का प्रयोग किया जाता है जो घर के परिपथ में प्रवाहित होने वाली महत्तम धारा को वहन कर सकें। यदि किसी कारणवश घर के परिपथ में व्यय होने वाली विद्युत ऊर्जा पहले से आकलित ऊर्जा से बहुत अधिक हो जाती है तो परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है और परिपथ के तार गर्म हो जाते हैं। इस स्थिति को अतिभारण कहा जाता है। अतिभारण की स्थिति में भी घर में आग लगने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 4. विद्युत – मेन्स से निम्नांकित उपकरणों को आवश्यक स्विच, रेगुलेटर आदि के सहित संयोजित करने के नामांकित परिपथ – आरेख बनाइए-
(i) विद्युत बल्ब,
(ii) प्लग प्वाइन्ट,
(iii) पंखा,
(iv) रेगुलेटर।
उत्तर : विद्युत बल्ब, प्लग प्वाइन्ट, पंखा तथा रेगुलेटर लाइन में जोड़ने के लिए विद्युत-परिपथ आरेख चित्र-13-13 में दर्शाया गया है। घरों में लगे विद्युत-स से दो-दो तारों की लाइन प्रत्येक कमरे में ली जाती है। इनमें एक तार गर्म होता है तथा दूसरा ठण्डा तार होता है। गर्म तार उच्च वोल्टेज पर तथा ठण्डा तार शून्य वोल्टेज पर होता है।
गर्म तार को जीवित तार तथा ठण्डे तार को उदासीन तार भी कहते हैं। इन्हें क्रमश: L व N से प्रदर्शित करते हैं । जीवित तार को फेज तार भी कहते हैं। विद्युत परिपथों में प्रत्येक उपकरण (बल्ब व पंखे) के एक टर्मिनल को तारों द्वारा लाइन के गर्म तार L से तथा दूसरे टर्मिनल को लाइन के ठण्डे तार N से जोड़ देते हैं। उपकरण तथा गर्म तार को जोड़ने वाले तार में एक-एक स्विच भी लगा देते हैं, जिससे कि स्विच को ऑफ कर देने पर उपकरण में धारा प्रवाहित न हो। स्विच को सदैव फेज तार तथा उपकरण के बीच में रखते हैं।
- लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. चुम्बकीय बल – क्षेत्र में गतिशील आवेश पर लगने वाला बल किन-किन बातों पर निर्भर करता है? इस बल के लिए आवश्यक सूत्र लिखिए।
उत्तर : चुम्बकीय बल – क्षेत्र में गतिशील आवेश पर लगने वाला बल (F), आवेश (q), आवेश के वेग (v), चुम्बकीय क्षेत्र (B) पर निर्भर करता है।
बल के लिए आवश्यक सूत्र-
F = qvB
जबकि आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् दिशा में गतिमान है।
प्रश्न 2. चुम्बकीय – अक्ष से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : चुम्बकीय अक्ष- ” चुम्बक के दोनों ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा चुम्बकीय-अक्ष कहलाती है।” दोनों ध्रुवों के बीच की न्यूनतम दूरी चुम्बक की प्रभावकारी लम्बाई कहलाती है।
प्रश्न 3. किसी धारावाही सीधे चालक से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखाओं के प्रतिरूप का आरेख खींचिए। यह बताइए कि चुम्बकीय क्षेत्र (i) चालक में प्रवाहित धारा के बढ़ाने पर तथा (ii) चालक से दूरी के अनुरूप किस प्रकार परिवर्तित होता है?
उत्तर : धारावाही सीधे चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र – रेखाओं के प्रतिरूप के लिए संलग्न चित्र – 13-14 देखिए ।
(i) चालक में प्रवाहित धारा को बढ़ाने पर चुम्बकीय क्षेत्र उसी अनुपात में बढ़ता है; क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र, चालक में प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
(ii) धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र, चालक से दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है; अतः दूरी के बढ़ने पर चुम्बकीय क्षेत्र घटेगा ।
प्रश्न 4. किसी दण्ड- चुम्बक के कारण उत्पन्न क्षेत्र – रेखाओं के प्रतिरूप का आरेख खींचिए । चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के किन्हीं दो धर्मों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर : चुम्बकीय क्षेत्र – रेखाओं के गुण- (1) चुम्बकीय क्षेत्र – रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श-रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।
(2) चुम्बकीय क्षेत्र – रेखाएँ एक-दूसरे को कहीं पर नहीं काटती, अन्यथा प्रतिच्छेद बिन्दु पर क्षेत्र की दो दिशाएँ हो जाएँगी जो कि असम्भव है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित के कारण चुम्बकीय क्षेत्र – रेखाओं का सामान्य प्रतिरूप प्रदर्शित कीजिए-
(1) वृत्तीय धारावाही लूप के कारण
(2) धारावाही परिनालिका के कारण
उत्तर : चित्र 13-16 देखिए-
प्रश्न 6. एक घरेलू परिपथ का नामांकित आरेख खींचिए जिसमें (i) मेन्स फ्यूज, (ii) पावर मीटर, (iii) एक प्रकाश प्वाइन्ट तथा एक पावर प्लग दिखाया गया हो।
उत्तर : संलग्न चित्र – 13.17 देखिए ।
प्रश्न 7. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से क्या तात्पर्य है ? प्रेरित विद्युत वाहक बल क्या होता है?
उत्तर : विद्युत चुम्बकीय प्रेरण तथा प्रेरित विद्युत वाहक बल— ” जब किसी बन्द विद्युत परिपथ से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस परिपथ में एक विद्युत वाहक बल (e.m.f.) प्रेरित हो जाता है और परिपथ में इसी विद्युत वाहक बल के कारण धारा बहने लगती है। यह धारा केवल तभी तक बहती है जब तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है। इस घटना को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण तथा उत्पन्न हुए विद्युत वाहक बल को प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं। “
प्रश्न 8. प्रेरित विद्युत धारा की दिशा जिस नियम द्वारा ज्ञात की जाती है, उसका उल्लेख कीजिए ।
अथवा फ्लेमिंग का दाएँ हाथ का नियम लिखिए।
उत्तर : प्रेरित-धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है।
फ्लेमिंग का दाएँ हाथ का नियम — इस नियमानुसार, “यदि दाएँ हाथ का अंगूठा, उसके पास की तर्जनी अंगुली (fore finger) तथा मध्यमा अंगुली (middle finger) को परस्पर एक-दूसरे के लम्बवत् फैलाकर इस प्रकार रखें कि तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में तथा अँगूठा चालक की गति की दिशा में हो तो मध्यमा अंगुली चालक में धारा की दिशा बताएगी।” जैसा कि संलग्न चित्र – 13.18 में दिखाया गया है।
प्रश्न 9. डायनमो का क्या अर्थ है? इसके कितने आवश्यक भाग होते हैं?
उत्तर : डायनमो एक ऐसा यन्त्र है जो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। इसके तीन भाग होते हैं—
(1) क्षेत्र चुम्बक,
(2) आर्मेचर तथा
(3) विभक्त – वलय या दिक् परिवर्तक ।
प्रश्न 10. तार की बनी वृत्तीय धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता-
(i) कुण्डली की त्रिज्या,
(ii) कुण्डली में प्रवाहित विद्युत धारा की तीव्रता तथा
(iii) कुण्डली में तार के फेरों की संख्या पर किस प्रकार निर्भर करती है?
उत्तर : तार की धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता-
(i) कुण्डली की त्रिज्या के व्युत्क्रमानुपाती होती है,
अर्थात्
(ii) कुण्डली में प्रवाहित विद्युत धारा की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है,
अर्थात् B ∝ I
(iii) कुण्डली में फेरों की संख्या के अनुक्रमानुपाती होती है,
अर्थात् B ∝ N
प्रश्न 11. फ्लेमिंग के वाम- हस्त नियम का उल्लेख कीजिए ।
अथवा धारावाही चालक पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के कारण लगने वाले बल की दिशा किस नियम से दी जाती है? इस नियम को समझाइए ।
उत्तर : फ्लेमिंग का वाम – हस्त ( बाएँ हाथ का ) नियम — चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम द्वारा दी जाती है (चित्र – 13.19 ) ।
इस नियमानुसार “यदि हम अपने बाएँ हाथ का अंगूठा तथा उसके पास वाली दोनों अंगुलियों को इस प्रकार फैलाएँ कि तीनों परस्पर लम्बवत् हों, तब यदि अँगूठे के पास वाली अंगुली (तर्जनी) चुम्बकीय क्षेत्र (B) की दिशा तथा दूसरी अंगुली (मध्यमा) विद्युत धारा (i) की दिशा को प्रदर्शित करे ती अंगूठा चालक पर लगने वाले बल (F) की दिशा बताएगा । “
- अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. यह कैसे प्रदर्शित किया जा सकता है कि यदि किसी तार में से दिष्ट विद्युत ध -धारा प्रवाहित हो रही हो तो उसके आस-पास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है?
उत्तर : जब एक चुम्बकीय सुई को धारावाही तार के समीप रखते हैं तो वह विक्षेपित हो जाती है। सुई का विक्षेपित होना यह प्रदर्शित करता है कि धारावाही तार के समीप चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 2. स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाई गई धारावाही परिनालिका धारा बहने पर ही उत्तर-दक्षिण दिशा में क्यों रुकती है?
उत्तर : धारा बहने पर परिनालिका चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। यदि वह स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी हो तो यह उत्तर-दक्षिण दिशा में ही ठहरती है।
प्रश्न 3. यदि स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी हुई परिनालिका विद्युत धारा की दिशा बदल दी जाए तो क्या होता है?
उत्तर : विद्युत धारा की दिशा बदल जाने पर परिनालिका 180° से घूम जाएगी।
प्रश्न 4. अनन्त लम्बाई के सीधे धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का सूत्र लिखिए ।
उत्तर : लम्बे, सीधे धारावाही चालक के कारण, उससे दूरी पर निर्वात या वायु में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
जहाँ, i चालक में प्रवाहित धारा है तथा μ0 निर्वात की चुम्बकशीलता है।
प्रश्न 5. विद्युत मोटर व विद्युत जनित्र में सिद्धान्ततः क्या अन्तर है?
उत्तर : विद्युत मोटर में विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में तथा विद्युत-जनित्र में यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
प्रश्न 6. विद्युत फ्यूज का उपयोग घरों व कारखानों में किस बचाव के लिए किया जाता है?
उत्तर : विद्युत फ्यूज का उपयोग घरों व कारखानों में लगे विद्युत उपकरणों को जल जाने से तथा परिपथ के तारों में आग लगने से बचाने के लिए किया जाता है।
- एक शब्द या एक वाक्य वाले प्रश्न
प्रश्न 1.. चुम्बकीय क्षेत्र में स्वतन्त्र छोड़ा गया उत्तरी ध्रुव किस ओर गति करेगा?
उत्तर : चुम्बकीय बल रेखा के अनुदिश ।
प्रश्न 2. धारावाही परिनालिका के कारण उसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र कैसा होता है?
उत्तर: एकसमान व अक्ष के अनुदिश ।
प्रश्न 3. क्या दो चुम्बकीय बल रेखाएँ एक-दूसरे को काट सकती हैं?
उत्तर: नहीं।
प्रश्न 4. ऋजुरेखीय धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय बल – रेखाओं की आकृति कैसी होती है?
उत्तर : संकेन्द्रीय वृत्तों के रूप में।
प्रश्न 5. लम्बी धारावाही परिनालिका के केन्द्र पर बल रेखाएँ कैसी होती हैं?
उत्तर : अक्ष के समान्तर ।
प्रश्न 6. एक धारामापी को एक परिनालिका के सिरों के बीच जोड़ा गया है। एक दण्ड चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के सिरे की ओर तेजी से लाया जाता है। आप किस प्रकार की घटना की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर: धारामापी में विक्षेप आ जाएगा।
प्रश्न 7. उपर्युक्त प्रश्न में चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के सामने स्थित परिनालिका का सिरा कौन-सा ध्रुव बनेगा ?
उत्तर : उत्तरी ध्रुव बनेगा ।
प्रश्न 8. यदि दण्ड चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को परिनालिका के सम्मुख सिरे से दूर ले जाया जाए तो इस सिरे में कौन-सा ध्रुव प्रेरित होगा ?
उत्तर : दक्षिण ध्रुव ।
प्रश्न 9. घरेलू परिपथ को अतिभारण तथा लघुपथन से बचाने के लिए कौन-सी युक्ति प्रयोग की जाती है?
उत्तर : फ्यूज तार ।
प्रश्न 10. धात्विक आधार वाले विद्युत उपकरणों में विद्युत के झटके से बचने के लिए क्या सावधानी रखी जाती है?
उत्तर : आधार को भू-सम्पर्कित कर देते हैं।
प्रश्न 11. विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में रूपान्तरित करने वाले यन्त्र का नाम लिखिए।
उत्तर : विद्युत मोटर ।
प्रश्न 12. विद्युत मोटर, विद्युत ऊर्जा को किस ऊर्जा में बदलती है?
अथवा विद्युत मोटर में होने वाले ऊर्जा परिवर्तन को बताइए।
उत्तर : विद्युत मोटर, विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलती है।
प्रश्न 13. डायनमो, किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में बदलता है?
उत्तर : डायनमो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
- आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1. एक 20 cm लम्बा तार, जिसमें 3.0 A की धारा बह रही है, 5.0 N/A-m के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र से समकोण | बनाते हुए रखा गया है। तार पर कितना बल लगेगा?
हल : दिया है : l = 20 cm = 20 × 10-2 m, I = 3.0 A,
B = 5.0 N/A-m, F =?
सूत्र F = IlB से,
बल F = 3.0 A × 20 × 10-2 m × 5.0 N/A-m
= 3.0 N
प्रश्न 2. एक चुम्बकीय बल क्षेत्र B के लम्बवत् रखे 1 m लम्बे तार में 2 A की धारा प्रवाहित करने पर उस पर 4 N का बल लग रहा है । चुम्बकीय बल क्षेत्र B का मान ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 3. एक 0.4 m लम्बे तार को 10-2 T तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर इस पर 0.80 N का बल लगता है, जबकि यह क्षेत्र की दिशा से समकोण बनाता है। तार में बहने वाली धारा ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है : l = 0.4 m, B = 10-2 T, F = 0.80 N, I = ?
सूत्र F = IlB से,
प्रश्न 4. एक लम्बे सीधे तार में 12 A की धारा बह रही है। तार से 48 cm की दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए ।
हल: प्रश्नानुसार, I = 12 A, r = 48 cm = 48 ×10−2 m, B = ?
प्रश्न 5. 30 फेरों वाली एकवृत्तीय कुण्डली की त्रिज्या 15 cm है । इस कुण्डली में 40 A की धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कीजिए ।
प्रश्न 6. एक a– कण, जिस पर 3.2 × 10-19 C का धनावेश है, 2 × 10-5 T तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के साथ समकोण बनाते हुए, 3 × 107 ms-1 के वेग से गतिशील है । a-कण पर लगने वाले बल का परिकलन कीजिए।
हल : दिया है : q = + 3·2 × 10-19 C, B = 2 × 10-5 T, v = 3 × 107 ms-1
∴ a-कण पर बल F = qvB
= 3.2 × 10-19 C × 3 × 107 ms-1 × 2 × 10-5 T
= 1.92 × 10-16 N
प्रश्न 7. किसी प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति क्या होगी यदि इसकी दिशा प्रत्येक 0.01 s के बाद परिवर्तित हो जाती है?
हल : प्रत्यावर्ती धारा की दिशा एक आवर्तकाल (T) में दो बार परिवर्तित होती है।