UK 10th Science

UK Board 10th Class Science – Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

UK Board 10th Class Science – Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

UK Board Solutions for Class 10th Science – विज्ञान – Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

अध्याय के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं? लिखिए। 
उत्तर : हम विभिन्न तरीकों से स्वयं को अधिक पर्यावरण- मित्र बना सकते हैं। जैसे 3‘R’ तकनीक का उपयोग करके हम पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं-
(i) कम उपयोग (Reduce)
(ii) पुन: चक्रण (Recycle)
(iii) पुन: उपयोग (Reuse)
उक्त 3’R’ तकनीक का उपयोग करके हम अधिक पर्यावरण सहयोगी सिद्ध हो सकते हैं। विद्युत, जल, कोयला, पेट्रोलियम आदि प्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग अर्थात् बचत करके; नई वस्तुओं के निर्माण के लिए उपलब्ध संसाधनों; जैसे प्लास्टिक, कागज, काँच तथा धातुओं से बनी वस्तुओं का पुनःचक्रण करके अथवा पुन: उपयोग करके हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं और हम स्वयं को पर्यावरण-मित्र सिद्ध कर सकते हैं।
प्रश्न 2. संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर : संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं से अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से ये योजनाएँ सफल नहीं होतीं।
प्रश्न 3. यह लाभ लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर : संसाधनों के दोहन हेतु कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं का एकमात्र लाभ यह है कि संसाधनों का अधिक-से-अधिक दोहन करके अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके। इन परियोजनाओं में भावी पीढ़ी के हितों को नजरअन्दाज कर दिया जाता है। इसके विपरीत जब हम दीर्घकालीन परियोजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं तो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग भावी पीढ़ी के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करते हैं कि हम उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित कर सकें।
प्रश्न 4. क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर : पृथ्वी पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर सभी व्यक्तियों का समान अधिकार है। जब कोई व्यक्ति इन संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करता है तो इसका सीधा प्रभाव अन्य व्यक्तियों पर पड़ता है। अन्य व्यक्तियों को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है, इसके फलस्वरूप संघर्ष प्रारम्भ हो जाता है। संघर्ष का दुष्प्रभाव भी पर्यावरण पर पड़ता है।
शक्तिशाली राष्ट्र, किसी राष्ट्र और समाज के शक्तिशाली एवं धनवान व्यक्ति संसाधनों का अधिकतम उपयोग अपने हितों के लिए करते हैं और अन्य व्यक्तियों को इनका लाभ नहीं मिल पाता।
प्रश्न 5. हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर : मनुष्य के सुख, सम्पन्नता और विकास में वन एवं वन्य जीवों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अतः यह आवश्यक है कि इनका संरक्षण किया जाए। वन्य प्रजातियों (जन्तु एवं पादप) को विलुप्त और नष्ट होने से बचाना अति आवश्यक है। जैव विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रजातियों का विलुप्त होना एक सामान्य प्रक्रिया है। पुरानी प्रजातियाँ विलुप्त होती रहती हैं, इनके स्थान पर नई प्रजातियाँ विकसित होती रहती हैं। लेकिन वर्तमान समय में मानव के औद्योगिक और सामाजिक विकास के कारण प्रजातियों के विलुप्त होने की प्रक्रिया में असामान्य रूप से तेजी आ गई है, इसका प्रमुख कारण प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन है। अतः वन्य प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए इनका संरक्षण अति आवश्यक है जिससे मानव की भावी पीढ़ियाँ इनसे लाभान्वित होती रहें।
संरक्षण के उद्देश्य – (1) वन्य जीवधारी और पादप पारितन्त्र सन्तुलन को बनाए रखते हैं।
(2) संरक्षण द्वारा जीवधारियों की विविधता एवं आनुवंशिक पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए।
(3) जैव विकास के लिए अधिक जीन राशि उपलब्ध कराने हेतु ।
(4) जीन बैंक के रूप में वन्य जातियों को सुरक्षित रखने के लिए जिससे रोग प्रतिरोधी, अधिक सहनशील एवं उन्नत प्रजातियों का विकास किया जा सके।
(5) अज्ञात उपयोगिताओं के लिए भी वन्य जीवों का संरक्षण आवश्यक है।
(6) मानव खाद्य पदार्थों और अनेक उद्योगों के लिए वन्य पादप और जन्तुओं पर निर्भर करता है।
प्रश्न 6. संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए ।
अथवा वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण हेतु कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर : वन्य प्राणि तथा पादप का संरक्षण इस प्रकार किया जाना चाहिए कि स्थानीय निवासियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो सके। वन क्षेत्रों की देखभाल की जिम्मेदारी से स्थानीय क्षेत्रवासियों को रोजगार मिलता है। इसी के साथ वन क्षेत्रों से मिलने वाले लाभों में स्थानीय निवासियों की भागीदारी होने से वन क्षेत्रों का संरक्षण एवं प्रबन्धन दक्षतापूर्वक किया जा सकता है।
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के अराबाड़ी वन क्षेत्र के विकास के लिए ग्रामीणों को सम्मिलित करके 1983 तक अराबाड़ी के साल वन को समृद्ध किया गया। इस परियोजना में ग्रामीणों को रोजगार के साथ-साथ वहाँ की उपज के 25% के उपयोग का अधिकार दिया गया। उन्हें बहुत कम लागत पर पशुओं को चराने और ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास एवं पारिस्थितिक संरक्षण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।
प्रश्न 7. अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर : जल संग्रहण – इसका प्रमुख उद्देश्य भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास, द्वितीयक संसाधन पौधों और जन्तुओं का उत्पादन इस प्रकार करना है जिससे कि पारिस्थितिक असन्तुलन पैदा न हो। जल संग्रहण सूखे तथा बाढ़ को शान्त करता है तथा जलाशयों और निचले बाँध के सेवाकाल को बढ़ाता है। जल संरक्षण हेतु विभिन्न तरीके विकसित किए गए हैं, जिनके द्वारा धरती पर पड़ने वाली प्रत्येक जल- बूँद का संरक्षण किया जा सके।
जल संग्रहण के लिए छोटे-छोटे गड्ढे खोदना, झीलों का निर्माण, मिट्टी के छोटे-छोटे बाँध बनाना, रेत तथा चूने के पत्थर के संग्राहक बनाना तथा घर की छतों से जल एकत्र करना आदि। इससे भूजल का स्तर बढ़ जाता है और नदी भी पुनः जीवित हो जाती है।
भारतवर्ष में जल संग्रहण हेतु प्राचीन पद्धति राजस्थान में खादिन, बड़े पात्र एवं नाड़ी, महाराष्ट्र में बंधारस एवं ताल, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में बंधिस, बिहार में अहार तथा पाइन, हिमाचल प्रदेश में कुल्ह, जम्मू में तालाब, तमिलनाडू में एरिस, केरल में सुरंगम, कर्नाटक में कट्टा आदि प्राचीन जल संग्रहण संरचनाएँ आज भी उपयोग में लाई जाती हैं। स्थानीय निवासियों की सहभागिता से जल संग्रहण का कुशल प्रबन्धन किया जा सकता है।
प्रश्न 8. इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर : पर्वतीय क्षेत्रों में जल व्यवस्था मैदानी क्षेत्रों से भिन्न होती है। जैसे हिमाचल प्रदेश की जल वितरण प्रणाली को कुल्ह कहा जाता है। पहाड़ी नदियों में बहने वाले जल को मानव-निर्मित छोटी-छोटी नालियों से पहाड़ी पर स्थित निचले गाँवों तक ले जाया जाता है। कुल्हों में बहने वाले पानी का प्रबन्धन गाँवों के निवासियों की आपसी सहमति से किया जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कृषि के मौसम में जल सबसे दूरस्थ गाँव को दिया जाता था फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते थे। कुल्हों से जल का रिसाव मृदा में होता रहता है। यह जल विभिन्न स्थानों पर झरने के रूप में प्राप्त होता रहता है।
प्रश्न 9. अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्त्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर : पर्वतीय क्षेत्रों में जल का स्त्रोत पहाड़ी नदियाँ हैं। पहाड़ी नदियों पर बाँध बनाकर जल संग्रहण किया जाता है। इस जल को समीपवर्ती आबादी क्षेत्र में पम्प कर दिया जाता है। जल स्रोत पहाड़ियों के मध्य स्थित छोटे-बड़े जलाशय भी होते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में जलं की समान उपलब्धता सम्भव प्रतीत नहीं होती। पहाड़ी क्षेत्रों में व्यक्ति निकटवर्ती पहाड़ी झरने के जल पर निर्भर रहते हैं।
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. अपने घर को पर्यावरण मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
उत्तर : पर्यावरण – मित्र बनने के लिए 3 ‘R’ तकनीक का उपयोग श्रेष्ठ है। इसके अन्तर्गत पदार्थों को Reduce, Recycle and Reuse (कम उपयोग, पुन:चक्रण तथा पुनः उपयोग) करके स्वयं को पर्यावरण मित्र बना सकते हैं। 3’R’ तकनीक का उपयोग करके, पर्यावरण को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखा जा सकता है।
कम उपयोग (Reduce) से तात्पर्य है कम-से-कम वस्तुओं का उपयोग करना । जैसे आवश्यकता न होने पर पंखे एवं बल्ब के स्विच बन्द करके विद्युत बचा सकते हैं। खाद्य सामग्री को बेकार नहीं करना चाहिए। जल को व्यर्थ नहीं करना चाहिए आदि ।
पुन: चक्रण (Recycling) द्वारा प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु आदि पदार्थों का पुनःचक्रण करके उनका बार-बार उपयोग किया जा सकता है। पुनः चक्रण योग्य पदार्थों को कचरे से पृथक् किया जाना चाहिए। इसके पश्चात् शेष कचरे से कार्बनिक कचरे को पृथक् करके खाद (ह्यूमस) तैयार करके इसके पोषक तत्वों का पुनः उपयोग किया जा सकता है। अकार्बनिक कचरे का उपयोग भराव आदि के लिए किया जा सकता है।
पुन: उपयोग ( Reuse) यह पुन: चक्रण से सुगम साधन है, क्योंकि इसमें ऊर्जा व्यय नहीं होती। जैसे काँच एवं प्लास्टिक के डिब्बों, बोतल आदि का बार-बार उपयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 2. क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके? 
उत्तर : अभ्यास प्रश्न 1 के अन्तर्गत सुझाए गए 3R तकनीक का क्रियान्वयन विद्यालय में करके विद्यालय को पर्यानुकूलित बनाया जा सकता है।
कम उपयोग तकनीक का उपयोग करके हम जल और विद्युत को बचा सकते हैं। पुन: चक्रण (Recycling) के अन्तर्गत कागज का पुनः चक्रण किया जा सकता है। अपशिष्ट कागज ( waste paper) को एकत्र करके उसे पुनःचक्रण के लिए पेपर मिल भेजा सकता है। पुन: उपयोग के अन्तर्गत विभिन्न वस्तुओं को एकत्र करके उनसे आकर्षक एवं उपयोगी वस्तुएँ तैयार की जा सकती हैं। कार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों से खाद तैयार करके विद्यालय के बगीचे में उपयोग की जा सकती है।
प्रश्न 3. इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य किसे वन उत्पाद प्रबन्धन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर : वन्य सम्पदा ( वन्य पौधे एवं वन्य प्राणी) के संरक्षण हेतु सामने आने वाले चार मुख्य दावेदार निम्नलिखित हैं-
(1) वन के समीपवर्ती एवं वन क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय व्यक्ति ।
(2) सरकार द्वारा स्थापित वन विभाग एवं सम्बन्धित अधिकारीगण ।
(3) वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमी व्यक्तियों द्वारा संचालित सामाजिक सेवा संस्थान।
(4) उद्योगपति ।
इन चारों दावेदारों में सबसे सशक्त दावेदारी वन क्षेत्र में एवं समीपवर्ती क्षेत्र के स्थानीय व्यक्तियों की प्रकट होती है, क्योंकि इसके फलस्वरूप वनों की प्रबन्धन दक्षता में वृद्धि होती है। यह बात “चिपको आन्दोलन” से भी स्पष्ट होती है कि स्थानीय व्यक्ति वनों की सुरक्षा हेतु अपनी जान भी दे सकते हैं। स्थानीय व्यक्ति ईंधन उपयोग के लिए वृक्षों की शाखाओं को ही काटते हैं जबकि उद्योगपति पूरे वृक्ष को ही काट देता है। स्थानीय निवासियों को वनों की देखभाल का दायित्व दिया जाए तो उन्हें रोजगार मिलता है। इसी के साथ अगर स्थानीय निवासियों को 20-25% वन उत्पाद कम लागत पर उपलब्ध करा दिया जाए तो इनकी सक्रिय सहभागिता के कारण वन क्षेत्रों को समृद्ध किया जा सकता है। जैसे कि 1972 में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के अराबाड़ी वन क्षेत्र में स्थानीय निवासियों के योगदान से यह वन क्षेत्र 1983 तक समृद्ध हो गया जो कि पहले बेकार हो चुका था।
वास्तव में वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे पर्यावरण संरक्षण एवं विकास कार्य दोनों ही हो सकें। वन सम्पदा का दोहन नियन्त्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि वन सम्पदा का प्रभाव मृदा की गुणवत्ता एवं जल स्रोतों पर भी होता है।
प्रश्न 4. अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबन्धन में क्या योगदान दे सकते हैं-
(a) वन एवं वन्य जन्तु
(b) जल संसाधन
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम ?
उत्तर : (a) वन एवं वन्य जन्तु (Wild Plants and Wild Animals)—व्यक्तिगत रूप से वन एवं वन्य जन्तु प्रबन्धन में मैं स्थानीय नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहूँगा। इसी के साथ मैं यह प्रयत्न करूँगा कि वन सम्पदा की अनावश्यक क्षति न हो, वन संसाधनों का दुरुपयोग न हो। मैं स्वयं एक स्वयंसेवक के रूप में स्थानीय नागरिकों को वन सम्पदा की उपयोगिता एवं इसके संरक्षण की जानकारी देने का प्रयास करूँगा । वनों को अग्नि से बचाने के हर सम्भव उपायों की जानकारी स्थानीय नागरिकों को दूँगा और जैव विविधता को बचाने का हर सम्भव प्रयत्न करूँगा । स्थानीय नागरिकों की सहमति एवं सक्रिय भागीदारी से वन सम्पदा को समृद्ध करने का प्रयत्न करना मेरा ध्येय रहेगा।
(b) जल संसाधन (Water Resources) – जल जीवन की मूल आवश्यकता है। हम प्रतिदिन जाने-अनजाने जल की बहुत अधिक मात्रा का अपव्यय कर देते हैं। हम अपनी दैनिक आवश्यकता से बहुत अधिक जल व्यय करते हैं। नलों से जल टपकता रहता है, पाइपलाइन के फट जाने से जल का अपव्यय होता है। इसे बचाने के लिए मैं स्वयं प्रयत्न करूँगा । इसी के साथ जल संग्रहण हेतु विभिन्न तकनीकों का उपयोग करने का प्रयत्न करूँगा। जल संसाधन का उपयोग करते समय अन्य व्यक्तियों के हितों का भी ध्यान रखूँगा।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम (Coal and Petroleum ) – ये ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् हमारी ऊर्जा खपत की आवश्यकताएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। ऊर्जा का प्रयोग हम दैनिक ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति तथा जीवनोपयोगी पदार्थों के उत्पादन हेतु करते हैं। ऊर्जा की आपूर्ति प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप में हमें कोयला तथा पेट्रोलियम से होती है। ऊर्जा की बचत के लिए मैं निम्नलिखित युक्तियों का प्रयोग करने का प्रयत्न करूँगा—
(1) अनावश्यक बल्ब और पंखों के स्विच बन्द करके ।
(2) बल्ब के स्थान पर ट्यूबलाइट तथा सी०एफ०एल० का प्रयोग करके।
(3) सौर उपकरणों; जैसे- सोलर कुकर, सोलर वाटर हीटर, सोलर लालटेन आदि का प्रयोग करके ।
(4) लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का उपयोग करके ।
(5) छोटी-छोटी दूरियों के लिए साइकिल का उपयोग करके ।
(6) व्यक्तिगत वाहन के स्थान पर सामुदायिक वाहनों; जैसे बस, ट्रेन का उपयोग करके। चौराहों पर रेड लाइट होने पर कार के इंजन को बन्द करके तथा वाहन के टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव बनाए रखकर । कम वायुदाब होने पर ईंधन की खपत अधिक होती है।
(7) सर्दी के मौसम में ठण्ड होने पर अतिरिक्त स्वेटर पहनकर और हीटर या सिगड़ी का प्रयोग न करके ।
प्रश्न 5. अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर : विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत को कम करने के लिए हम निम्नलिखित युक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं-
(1) हमें खाद्य-पदार्थों का अपव्यय नहीं करना चाहिए। घर में प्रतिदिन उतना ही भोजन तैयार किया जाना चाहिए जिसका उपयोग किया जा सके। इस प्रकार हम भोज्य पदार्थों की बचत कर सकते हैं।
(2) पाइपलाइन और टपकने वाले नलों की मरम्मत कराकर हम जल की बचत कर सकते हैं।
(3) अनावश्यक बल्ब तथा पंखों के स्विच बन्द करके विद्युत की बचत की जा सकती है।
(4) बल्ब के स्थान पर ट्यूबलाइट या सी०एफ०एल० का उपयोग करके विद्युत की बचत जा सकती हैं।
(5) छोटी-छोटी दूरियाँ तय करने के लिए स्वचालित वाहनों के स्थान पर पैदल चलकर या साइकिल का उपयोग करके पेट्रोल की बचत कर सकते हैं।
(6) स्वचालित वाहनों को रेडलाइट होने पर बन्द कर देना चाहिए। | इंजन को समय-समय पर ट्यून कराते रहना चाहिए। स्वचालित वाहन के टायरों में हवा का दवाब उपयुक्त रहना चाहिए। इससे पेट्रोल, डीजल की बचत की जा सकती है।
(7) लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का उपयोग करके बिजली की बचत की जा सकती है।
(8) सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े पहनकर हीटर या सिगड़ी का उपयोग न करके ऊर्जा की बचत कर सकते हैं।
(9) सोलर उपकरणों; जैसे- सोलर कुकर, सोलर वाटर हीटर, सोलर लालटेन का उपयोग करके ऊर्जा की खपत कम कर सकते हैं।
प्रश्न 6. निम्नलिखित से सम्बन्धित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं-
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण ।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर : (a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण-
(i) टपकने वाले नल की मरम्मत कराकर पानी की बचत की।
(ii) अनावश्यक पंखे और बल्ब के स्विच बन्द करके बिजली की बचत की।
(iii) बल्ब के स्थान पर ट्यूबलाइट एवं सी०एफ०एल० का उपयोग करके विद्युत की बचत की।
(iv) सोलर कुकर का प्रयोग भोजन पकाने के लिए करके गैस (LPG) की बचत की।
(v) चौराहे पर रेडलाइट होने पर वाहन का इंजन बन्द करके और टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव रखकर पेट्रोल की बचत की।
(b) प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय-
(i) दाढ़ी बनाते समय, मंजन करते समय नल चलता रहा, इससे जल का अपव्यय हुआ।
(ii) टेलीविजन चलता रहा जबकि कमरे में कोई नहीं था। विद्युत का अपव्यय हुआ।
(iii) सीढ़ियों के स्थान पर लिफ्ट का उपयोग किया। विद्युत का अपव्यय हुआ।
(iv) कमरे को गर्म रखने के लिए हीटर का प्रयोग किया। विद्युत का अपव्यय हुआ।
(v) बस में यात्रा करने के स्थान पर स्वयं अकेला व्यक्ति होने पर भी कार का उपयोग किया। पेट्रोल का अपव्यय हुआ।
प्रश्न 7. इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के सम्पोषण को प्रोत्साहन मिल सके ?
उत्तर : संसाधनों के संपोषण हेतु हम ‘3R’ संकल्पना का उपयोग करना चाहेंगे। ‘3R’ संकल्पना का तात्पर्य कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recycle) तथा पुन: उपयोग ( Reuse) से है। इससे समाज का दृष्टिकोण बदलकर पर्यावरणीय परिस्थितियों को सन्तुलित बनाए रखने में सहायता मिलेगी और हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग एवं संरक्षण करते हुए आर्थिक विकास कर सकेंगे।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
  • विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ” गंगा सफाई योजना” का वर्णन कीजिए।
उत्तर : प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, इसके लिए सामाजिक जागरूकता लाना अनिवार्य है। गंगा सफाई योजना इसी दिशा में किया गया एक प्रयत्न है। जीवनदायिनी गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए यह योजना 1985 में * प्रारम्भ की गई। कई करोड़ों की यह योजना गंगाजल की ‘गुणवत्ता’ को बनाए रखने के लिए प्रारम्भ हुई।
गंगा हिमालय में स्थित अपने उद्गम गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी में गंगासागर तक 2500 किमी तक यात्रा करती है। इसके किनारे स्थित उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल के 100 से अधिक नगरों का औद्योगिक कचरा इसमें मिलता जाता है, इसके फलस्वरूप इसका स्वरूप नाले के समान हो गया है। इसके अतिरिक्त इसमें प्रचुर मात्रा में अपमार्जक (detergents), वाहितमल (sewage), मृत शवों का प्रवाह, मृत व्यक्तियों की राख आदि प्रवाहित किए जाते रहते हैं। इसके कारण इसका जल विषाक्त होने लगा है। विषाक्त जल के कारण अत्यधिक संख्या में मछलियाँ तथा अन्य जलीय जीव मर रहे हैं।
कोलिफॉर्म जीवाणु का एक वर्ग है जो मानव की आँत में पाया जाता है। गंगाजल में इसकी उपस्थिति से जल प्रदूषण का स्तर प्रदर्शित होता
गंगा सफाई योजना गंगा नदी और इसके जल को संदूषित होने से बचाने के लिए प्रारम्भ की गई है।
  • लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर : क्योटो प्रोटोकॉल में CO2 के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानकों की चर्चा की गई थी। इस समझौते के अनुसार औद्योगिक राष्ट्रों को अपने CO2 तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन स्तर में 5.2% की कमी लाने के लिए कहा गया था। ऑस्ट्रेलिया एवं आइसलैण्ड के लिए यह मानक क्रमश: 8% तथा 10% निर्धारित किया गया।
क्योटो प्रोटोकॉल समझौता जापान के क्योटो शहर में दिसम्बर 1997 में हुआ था और इसे 16 फरवरी, 2005 को लागू किया गया। दिसम्बर 2006 तक 169 देशों ने इस समझौते का अनुमोदन कर दिया था।
प्रश्न 2. कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन के अन्तर्राष्ट्रीय मानकों को प्राप्त करने के लिए हम किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?
उत्तर : कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं-
(1) स्वचालित वाहन का उपयोग कम करें; यथासम्भव सामुदायिक वाहनों का उपयोग किया जाना चाहिए। चौराहों पर लाल बत्ती होने पर इंजन को बन्द कर दें। इंजन को समय-समय पर ट्यून कराते रहें।
(2) छोटी दूरी तय करने के लिए पैदल चलें या साइकिल का प्रयोग करें।
(3) विद्युत का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि कम-से-कम और आवश्यकता के अनुरूप ही उपकरणों का प्रयोग हो । विद्युत उत्पादन के समय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से CO2 का उत्सर्जन होता है।
(4) वृक्षारोपण के लिए जनसामान्य को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।
प्रश्न 3. पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य प्राप्ति के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर : पर्यावरण को बचाने के लिए 3R तकनीक का उपयोग करके इस समस्या का प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। जल, कोयला, 1. पेट्रोलियम, विद्युत, धातु तथा अन्य अनेक प्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग ( Reduce), पुनः चक्रण (Recyling) तथा पुन: उपयोग (Reuse) करके पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं।
प्रश्न 4. सार्वसूचक (universal indicator) की सहायता से अपने घर में आपूर्त पानी का pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर : सार्वसूचक (universal indicator) एक pH सूचक है, जो pH के विभिन्न मान वाले विलयनों में विभिन्न रंग प्रदर्शित करता है। अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। क्षारकों का स्वाद कडुवा होता है। यह लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। लिटमस एक प्राकृतिक सूचक होता है ।
पानी के नमूनों को अलग-अलग परखनली या बीकर में लेते हैं, इनमें लिटमस कागज डालने पर कागज के रंग में आने वाले परिवर्तनों से पानी के नमूने की प्रकृति ज्ञात की जा सकती है। यदि रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो वह जल का नमूना उदासीन होता है। उदासीन जल का pH मान 7 होता है। pH मान 7 से कम होना अम्लीयता को और अधिक होना क्षारीयता को प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 5. ऐसे क्षेत्रों की पहचान कीजिए जहाँ पर जल की प्रचुरता हैतथा ऐसे क्षेत्रों की जहाँ इसकी बहुत कमी है।
उत्तर : अत्यधिक वर्षा या जल की प्रचुरता वाले क्षेत्र जहाँ प्रतिवर्ष 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र, गोआ, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश एवं असम आदि हैं।
हल्की वर्षा वाले क्षेत्र अर्थात् जहाँ प्रतिवर्ष 50 से 100 सेमी वर्षा होती है ऊपरी गंगा घाटी, पूर्वी राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब के कुछ हिस्से, पश्चिमी राजस्थान, थार, कच्छ, पश्चिमी घाट के वर्षा छाया क्षेत्र आदि हैं।
प्रश्न 6. वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों की क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर : वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों को जलाने के लिए लकड़ी, छाजन एवं आवास के लिए लकड़ी की अधिक आवश्यकता होती है। भोजन के भण्डारण के लिए कृषि उपकरणों, शिकार करने और मछली आदि पकड़ने के लिए औजार लकड़ी से बने होते हैं। स्थानीय निवासी वनों से कन्द, मूल, फल तथा औषधि प्राप्त करते हैं। अपने पालतु पशुओं को वनों में चराते हैं और वनों से ही पशुओं के लिए चारा प्राप्त करते हैं। वन क्षेत्र से ये भोजन हेतु जन्तु और मछली प्राप्त करते हैं। ये अपने दैनिक उपभोग की लगभग सभी वस्तुएँ वन से प्राप्त कर लेते हैं।
  • अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. विभिन्न प्राकृतिक संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर : मृदा, जल, वायु, वन्य-जीव, कोयला, पेट्रोलियम आदि विभिन्न प्राकृतिक संसाधन हैं।
प्रश्न 2. यूरो- I तथा यूरो- II मानक क्या हैं?
उत्तर : यूरो- I में ईंधन से मुक्त CO2 का उत्सर्जन स्तर 2.75 ग्राम / किमी तथा यूरो- II में यह स्तर 2.20 ग्राम/किमी है। इसके फलस्वरूप प्रदूषण स्तर में काफी कमी आ गई है।
प्रश्न 3. कोयला और पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए दो उपाय बताइए ।
उत्तर : (i) कोयला के उपयोग को कम करने के लिए हमें विद्युत की खपत पर नियन्त्रण रखना होगा।
(ii) पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए सामुदायिक वाहनों के प्रयोग के लिए जनसमुदाय को प्रेरित करना चाहिए।
प्रश्न 4. वन संरक्षण हेतु सबसे उपयोगी विधि क्या हो सकती है?
उत्तर : स्थानीय नागरिकों को वन संरक्षण का प्रबन्धन दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये वन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं।
प्रश्न 5. ‘खादिन’ या ‘ढोरा’ पद्धति किससे सम्बन्धित हैं?
उत्तर : खादिन या ढोरा पद्धति खेतों में बहने वाले वर्षा जल के संग्रहण पर आधारित प्रणाली हैं। इस जल का उपयोग फसल उत्पादन के लिए किया जाता है।
प्रश्न 6. किन्हीं दो वन उत्पाद आधारित उद्योगों के नाम बताइए।
उत्तर : (i) प्लाईवुड उद्योग में लकड़ी का उपयोग किया जाता है। (ii) बीड़ी उद्योग में तेंदूपत्ता का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 7. पर्यटक किस प्रकार वन पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं?
उत्तर : पर्यटक कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन, टिन पैक आदि को इधर-उधर फेंककर वन पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। पर्यटकों को वन क्षेत्रों में लाने ले जाने के लिए प्रयोग किए जाने वाहनों से मुक्त विषाक्त गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।
प्रश्न 8. राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराना किस प्रकार हानिकारक है?
उत्तर : राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराने से मिट्टी उखड़ जाती है, घास आदि कुचल जाती है। इससे मृदा अपरदन होने लगता है। इससे राष्ट्रीय उद्यान को क्षति होती है।
प्रश्न 9. वन उत्पादों की एक सूची बनाइए ।
उत्तर : लकड़ी, बाँस, जड़ी-बूटी, औषधि, विभिन्न प्रकार के कन्द-मूल फल, मछली एवं पशुओं का चारा आदि।
प्रश्न 10. क्योटो प्रोटोकॉल समझौता क्या है?
उत्तर : कार्बन डाइऑक्साइड तथा हरित गैस उत्सर्जन स्तर में 1990 की तुलना में 5.2% कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए 1997 में जापान के क्योटो शहर में यह समझौता लागू किया गया था।
प्रश्न 11. अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार क्यों दिया जाता है?
उत्तर : अमृता देवी विश्नोई ने 1731 में ‘खेजरी वृक्षों’ को बचाने के लिए 363 व्यक्तियों के साथ स्वयं को बलिदान कर दिया था। उनकी स्मृति में जीव संरक्षण हेतु यह पुरस्कार दिया जाता है।
  • एक शब्द या एक वाक्य वाले प्रश्न
प्रश्न 1. पर्यावरण एवं प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता फैलाने वाले किसी स्वयंसेवी संगठन का नाम लिखिए।
उत्तर : भारतीय वन्य जीवन ट्रस्ट ।
प्रश्न 2. पर्यावरण संरक्षण हेतु आप किस तकनीक का उपयोग करना चाहेंगे?
उत्तर : 3’R’ तकनीक ( कम उपयोग, पुनः चक्रण तथा पुन: उपयोग ) का ।
प्रश्न 3. pH ज्ञात करने के लिए सामान्य रूप से किसका उपयोग किया जाता है?
उत्तर : लिटमस पेपर का ।
प्रश्न 4. खादिन या ढोरा पद्धति कहाँ प्रचलित है?
उत्तर : राजस्थान में।
प्रश्न 5. स्थानीय नहर सिंचाई व्यवस्था ‘कुल्ह’ किस प्रान्त की विशेषता है?
उत्तर : हिमाचल प्रदेश की ।
प्रश्न 6. चिपको आन्दोलन कहाँ प्रारम्भ हुआ था ?
उत्तर : उत्तराखण्ड के ‘रेनी’ गाँव में 1970 में।
प्रश्न 7. पेट्रोलियम और कोयले के प्राकृतिक संसाधन कितने वर्षों तक उपलब्ध रहेंगे?
उत्तर : पेट्रोलियम लगभग 40 वर्ष और कोयला लगभग 200 वर्षों तक उपलब्ध रहेगा ।
प्रश्न 8. जीवाश्म ईंधन के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर : कोयला तथा पेट्रोलियम ।
प्रश्न 9. भारतवर्ष में मानसून हवाएँ कहाँ से आती हैं?
उत्तर : अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी से ।
प्रश्न 10. पहाड़ों पर पर्यटकों हेतु बनाए गए विश्राम स्थल, सड़क एवं बाँध आदि उनके विकास में सहायक हैं अथवा विनाश में।
उत्तर : विनाश में।
प्रश्न 11. शुद्ध जल का pH मान कितना होता है?
उत्तर : शुद्ध जल का pH मान 7 होता है।

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