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UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 1 पर्यावरण व पारिस्थितिकी

UK Board 9th Class Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 1 पर्यावरण व पारिस्थितिकी

UK Board Solutions for Class 9th Science – हम और हमारा पर्यावरण – Chapter 1 पर्यावरण व पारिस्थितिकी

• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1- पर्यावरण क्या है? व्याख्या कीजिए ।
अथवा पर्यावरण से क्या तात्पर्य है? मानव के लिए इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर- पर्यावरण का अर्थ
‘पर्यावरण’ दो शब्दों के मेल से बना है—’ परि’ + ‘आवरण’। ‘परि’ शब्द का अर्थ होता है ‘चारों ओर से’ तथा ‘आवरण’ शब्द का अर्थ होता है ‘ढके हुए’ या ‘घेरे हुए’ (Encircled ) । अत: ‘पर्यावरण’ का अर्थ है ‘जो हमसे अलग होते हुए भी हमें चारों ओर (All around) से घेरे या ढके हुए है।’ नि:सन्देह ‘पर्यावरण’ से तात्पर्य किसी वस्तु के पास-पड़ोस से है; उदाहरण के लिए — पेड़-पौधों का पर्यावरण वे भौगोलिक परिस्थितियाँ हैं जो उनकी वृद्धि एवं विकास में सहायक होती हैं। पर्यावरणीय परिस्थितियाँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर तथा एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में परिवर्तित होती रहती हैं। पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश की पर्यावरणीय परिस्थितियाँ गेहूँ की कृषि के लिए उपयुक्त हैं, जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु तथा उड़ीसा की पर्यावरणीय परिस्थितियाँ चावल (धान) उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्त हैं। अतः स्पष्ट है कि पर्यावरणीय परिस्थितियाँ सर्वत्र एकसमान नहीं पाई जाती हैं।
पर्यावरण जीवों की क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करने वाली समस्त भौतिक अथवा अजैविक (Physical or Abiotic) तथा जैविक (Biotic) परिस्थितियों का योग है। दूसरे शब्दों में, पर्यावरण को जीवमण्डल (Biosphere) कहा जा सकता है जो स्थलमण्डल (Lithosphere), जलमण्डल (Hydrosphere) तथा वायुमण्डल (Atmosphere) के जीवनयुक्त भागों का योग होता है। पर्यावरण का अर्थ है उस भौतिक परिवेश से है जो पृथ्वी के जैव जगत को आवृत्त किए हुए तथा जिसके प्रभाव से जीवन स्पन्दित होता है। यह भौतिक एवं जैविक घटकों की विभाज्य रचना है। जिनकी पारस्परिक अन्तःप्रक्रियाओं से भूतल पर जीवन का विकास सम्भव हुआ है। अतः समस्त जैव जगत को प्रभावित करने वाली परिस्थितियों के योग को पर्यावरण कहते हैं।
वास्तव में, प्रकृति के अन्तर्गत जो कुछ भी हमें दिखाई देता है, वह पर्यावरण का एक अंग है अर्थात् वायु, जल, मृदा, पर्वत, पठार, मैदान मरुस्थल, समुद्र, पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु आदि सभी सम्मिलित रूप से पर्यावरण की रचना करते हैं।
पर्यावरण की परिभाषाएँ
पी० जिस्बर्ट (P. Gisbert) ने पर्यावरण को परिभाषित करते हुए लिखा है, “पर्यावरण उस सबको कहते हैं, जो किसी वस्तु को निकट से घेरे हुए है और उसे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। “
जर्मन विद्वान् ए० फिटिंग (A. Fitting ) के अनुसार, “एक जीवधारी के पारिस्थितिक कारकों का योग ही पर्यावरण है। “
ई० जे० रॉस (E.J. Ross) के अनुसार, “पर्यावरण एक बाह्य शक्ति है, जो हमें प्रभावित करती है। “
सन् 1935 में ए० जी० ताँसले (A.G. Tansley) नामक ” समस्त पादप-पारिस्थितिकीवेत्ता (Plant Ecologist) ने उन प्रभावकारी दशाओं का सम्पूर्ण योग जिसमें कि जीव रहते हैं”, को पर्यावरण माना है।
मानव के लिए पर्यावरण का महत्त्व
जैव समुदाय की वृद्धि, विकास और अस्तित्व के लिए पर्यावरण का है। मानव के सभी क्रियाकलाप पर्यावरण से सम्बन्धित होते हैं तथा उसी से महत्त्वपूर्ण स्थान है। अतः पर्यावरण का सन्तुलित होना नितान्त आवश्यक ही निर्धारित होते हैं। मानव का आवास इसी पृथ्वी तल पर है। वह भूतल पर उत्पन्न होने वाली वनस्पति तथा जीव-जन्तुओं से अलग नहीं रह सकता, क्योंकि अपने भोजन और आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए वह वनस्पति और जीव-जन्तुओं पर ही आश्रित है। अतः मानव के लिए इनकी सुरक्षा करना अति आवश्यक हो जाता है।
इस प्रकार समस्त सजीव विश्व का आधार ‘पर्यावरण’ ही है। पर्यावरण ही वह मूलभूत आवश्यकता है, जिससे पृथ्वी पर जीवन सम्भव हुआ है। पृथ्वी का पर्यावरण जीवन के लिए अनुकूल है; अतः यहाँ जीवन सम्भव हुआ है, वहीं दूसरी ओर चन्द्रमा पर पर्यावरण नहीं है, इसलिए वहाँ जीवन के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते।
अतः यह स्पष्ट है कि पर्यावरण भौतिक तत्त्वों, दशाओं एवं प्रभावों का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष संयोग या सम्मिश्रण है, जो जीवधारियों को आवृत्त कर उनकी क्रियाओं को प्रभावित करता है और स्वयं भी उनसे प्रभावित होता रहता है।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – पारिस्थितिक तन्त्र के अन्तर्गत क्या अध्ययन किया जाता है?
उत्तर- पारिस्थितिक तन्त्र के अन्तर्गत अजैव तथा जैव घटकों का अध्ययन किया जाता है। अजैव एवं जैव घटकों में निम्नलिखित तत्त्व सम्मिलित होते हैं—
(1) अजैव घटक – मृदा, जल और वायुमण्डल में विद्यमान अनेक रासायनिक पदार्थ अजैव घटक कहलाते हैं। इन रासायनिक पदार्थों में जल, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइ ऑक्साइड, कैल्सियम, फॉस्फोरस तथा अन्य अनेक रासायनिक पदार्थ सम्मिलित किए जाते हैं। भौतिक पर्यावरण के अजैव घटक किसी क्षेत्र में निवास करने वाले जीव-जन्तुओं तथा वनस्पति की विभिन्न प्रजातियों को प्रभावित करते हैं। अजैव घटकों में जलवायु का महत्त्वपूर्ण स्थान है, जो सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करती है तथा उसमें अनेक परिवर्तन लाती है।
(2) जैव घटक – स्थल, जल और वायुमण्डल में निवास करने वाले सभी प्रकार के जीव-जन्तु, जीवाणु, कीटाणु आदि तथा सभी प्रजातियों के पेड़-पौधे (वनस्पति) जैव घटक के अन्तर्गत सम्मिलित किए जाते हैं।
प्रश्न 2 – उपभोक्ता किसे कहते हैं?
उत्तर – जीवमण्डल में दो प्रकार के प्राणी वास करते हैं—
(i) उत्पादक—उत्पादक वे जीव हैं, जो भौतिक पर्यावरण से अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इन्हें स्वपोषी जीव भी कहते हैं। हरे पेड़-पौधे तथा सभी प्रकार की वनस्पति प्राथमिक उत्पादक हैं। महासागरीय जल में पादप, प्लवक प्राथमिक उत्पादक हैं, क्योंकि वे सौर ऊर्जा का उपयोग कर अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं।
(ii) उपभोक्ता—उपभोक्ता अपने भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं। इन्हें परपोषी भी कहा जाता है। इनकी चार श्रेणियाँ हैं-
(क) शाकाहारी या प्राथमिक उपभोक्ता – हिरन एवं खरगोश ।
(ख) मांसाहारी या गौण उपभोक्ता— शेर एवं चीता ।
(ग) सर्वांहारी या सर्वभक्षी उपभोक्ता – मनुष्य ।
(घ) अपघटक या अपरदभोजी उपभोक्ता – जीवाणु, कवक, दीमक आदि ।
इस प्रकार अपघटक जीवों द्वारा जैव पदार्थों को अजैव पदार्थों में परिणत कर दिया जाता है। इन अजैव पदार्थों को सौर ऊर्जा की सहायता से पेड़-पौधे पुनः अपना भोजन बना लेते हैं। हिरन, खरगोश आदि पेड़-पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं; जबकि शेर एवं चीता, हिरन, खरगोश आदि को खा जाते हैं। मनुष्य अपना भोजन पेड़-पौधों एवं गौण उपभोक्ताओं से प्राप्त करता है। इस प्रकार यह क्रम अवाध गति से चलता रहता है तथा चक्रीय प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।
प्रश्न 3 – पर्यावरण के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर- पर्यावरण के दो प्रकार होते हैं-
(1) प्राकृतिक या भौतिक पर्यावरण तथा (2) सांस्कृतिक या मानवकृत पर्यावरण।
(1) प्राकृतिक या भौतिक पर्यावरण – इस पर्यावरण के अन्तर्गत जैवमण्डल, स्थलमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल आदि प्राकृतिक तत्त्व सम्मिलित होते हैं। ये सभी तत्त्व मानव एवं उसकी क्रियाओं को प्रभावित करते हैं किन्तु ये तत्त्व मानव द्वारा निर्मित नहीं होते बल्कि इनका निर्माण प्रकृति द्वारा होता है।
(2) सांस्कृतिक या मानवकृत पर्यावरण- – मानव द्वारा निर्मित पर्यावरण को सांस्कृतिक पर्यावरण कहते हैं। इस पर्यावरण का निर्माण मानव अपनी शक्तियों व क्रियाओं से प्राकृतिक पर्यावरण में परिवर्तन करके करता है। बीहड़ व बंजर भूमि में सुधार करके मानव | आज इस भू-भाग को कृषि भूमि में परिवर्तित कर दिया है जो सांस्कृतिक पर्यावरण का उदाहरण है।
प्रश्न 4 – जैवमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर – जैवमण्डल पृथ्वी की वह संकीर्ण पेटी है जहाँ जीवों का जाल परस्पर सम्बद्ध है। जैवमण्डल का क्षेत्र समुद्र तल से ऊपर 8 किमी तथा समुद्रतल से नीचे 5 किमी तक विस्तृत है। जीवों का अस्तित्व इसी 13 किमी की पेटी में पाया जाता है। जीवमण्डल मुख्यतः जलमण्डल, वायुमण्डल और स्थलमण्डल में विभक्त है तथा पारस्परिक रूप से सम्बद्ध है। इन तीनों क्षेत्रों के सहयोग से ही जीवों का उद्भव एवं विकास होता है। जहाँ इन तीनों की सीमाएँ परस्पर टूट जाती हैं जीवों की विलुप्तता शुरू हो जाती है। यही तीनों क्षेत्र अनेक जैव-अजैव तत्त्वों के साथ अन्तःक्रिया करके पारिस्थितिक तन्त्र का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 5- पर्यावरण शिक्षा का आशय क्या है?
उत्तर – पर्यावरण शिक्षा वह शिक्षा है, जिसमें पर्यावरण के विभिन्न अंगों या संसाधनों की क्रियाओं, उनके सन्तुलन, सदुपयोग, दुरुपयोग, प्रदूषण तथा संरक्षण का ज्ञान कराया जाता है। वर्तमान समय में प्राकृतिक संणधनों के ह्रास, पर्यावरण असन्तुलन, प्रदूषण आदि समस्याएँ अत्यन्त जटिल रूप में विद्यमान हैं। प्राकृतिक संसाधन मानवीय विकास का आधार हैं किन्तु इनका ह्रास या विनाश समस्त मानवीय प्रगति को अवरुद्ध कर देता है। पर्यावरण शिक्षा के द्वारा संसाधनों का सन्तुलित उपयोग तथा संरक्षण सिखाकर संसाधनों को युगों-युगों तक मानवीय विकास का स्रोत बनाया जा सकता है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – प्राकृतिक उत्पादक के अन्तर्गत कौन आते हैं?
उत्तर – पारिस्थितिक तन्त्र के सजीव प्राणियों को भोजन उपलब्ध कराने वाले सभी हरे पेड़-पौधे प्राकृतिक उत्पादक के अन्तर्गत सम्मिलित हैं।
प्रश्न 2 – अपघटक किसे कहते हैं?
उत्तर – मिट्टी और वायु में रहने वाले सूक्ष्मजीव, जीवाणु तथा कवक आदि अपघटक कहलाते हैं। ये मृत कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करके पारिस्थितिक तन्त्र के पुनः चक्रण में सहायक होते हैं।
प्रश्न 3 – पर्यावरण के क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर – पर्यावरण का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है इसके अन्तर्गत सम्पूर्ण स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल तथा जैवमण्डल सम्मिलित हैं।
प्रश्न 4 – अजैविक घटक किसे कहते हैं?
उत्तर— पर्यावरण के निर्जीव संघटक अजैविक घटक कहलाते हैं। वायु, जल, मृदा, तापमान, शैल (चट्टान) आदि अजैविक घटकों में सम्मिलित किए जाते हैं। ये सभी तत्त्व पारिस्थितिक तन्त्र की संरचना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 5 – वायुमण्डल किसका घटक है?
उत्तर – वायुमण्डल पर्यावरण का घटक है। इसके सभी तत्त्व – सूर्यातप ( सूर्य का ताप), तापमान, वायुदाब, पवनें, बादल व वर्षा आदि के सहयोग से ही पर्यावरण के जैविक तत्त्वों को सजीवता प्राप्त होती है।
प्रश्न 6 – पर्यावरण से क्या आशय है?
उत्तर- ‘पर्यावरण’ दो शब्दों के मेल से बना है— ‘परि’ + ‘आवरण’। ‘परि’ शब्द का अर्थ है ‘चारों ओर से’ तथा ‘आवरण’ शब्द का अर्थ है ‘ढके हुए’ या ‘घेरे हुए’। अतः ‘पर्यावरण’ का अर्थ है – “जो हमसे अलग होते हुए भी हमें चारों ओर से घेरे या ढके हुए है।” इस प्रकार पर्यावरण से तात्पर्य किसी वस्तु के पास-पड़ोस से है; उदाहरण के लिए – पेड़-पौधों का पर्यावरण वे भौगोलिक परिस्थितियाँ हैं, जो उनकी वृद्धि एवं विकास में सहायक होती हैं।
प्रश्न 7 – भौतिक पर्यावरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – प्राकृतिक रूप से जो पर्यावरण हमें उपलब्ध है, भौतिक पर्यावरण कहलाता है। स्थल- मण्डल, जलमण्डल और वायुमण्डल मिलकर भौतिक पर्यावरण की रचना करते हैं।
प्रश्न 8 – जैवमण्डल का क्या अर्थ है?
उत्तर – स्थलमण्डल, वायुमण्डल एवं जलमण्डल से प्रभावित वह संकीर्ण पेटी, जिसमें विभिन्न प्रजातियों के पादप एवं जीव-जन्तु पाए जातेहैं, जैवमण्डल कहलाता है। दूसरे शब्दों में, भौतिक पर्यावरण की मिट्टी, वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं की विस्तृत एवं संकीर्ण पेटी जैवमण्डल कहलाती है।
प्रश्न 9 – वायुमंण्डल का क्या अर्थ है ?
उत्तर – विभिन्न गैसों और धूलकणों का विशाल आवरण, जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है, वायुमण्डल कहलाता है। गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही वायुमण्डल पृथ्वी के चारों ओर परिवेष्टित है।
प्रश्न 10 – वायुमण्डल पृथ्वी से क्यों जुड़ा है?
उत्तर – पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसके कारण वायुमण्डल पृथ्वी से जुड़ा है।
प्रश्न 11 – पारिस्थितिकी (Ecology) का क्या अर्थ है ?
उत्तर – पारिस्थितिकी; विज्ञान की वह शाखा है, जो विभिन्न प्रकार के जीवों तथा उनके भौतिक पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करती है।
प्रश्न 12 – प्राकृतिक पर्यावरण किसे कहते हैं?
उत्तर – वे सभी प्राकृतिक तत्त्व जो मानव व उसकी क्रियाओं पर प्रभाव तो डालते हैं, किन्तु मानव द्वारा निर्मित नहीं होते प्राकृतिक पर्यावरण का अंग कहलाते हैं। इन्हीं तत्त्वों के सम्मिलन को प्राकृतिक पर्यावरण कहते हैं।

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