UK 9th Science

UK Board 9th Class Science – Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

UK Board 9th Class Science – Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

UK Board Solutions for Class 9th Science – विज्ञान – Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

अध्याय के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. किसी वस्तु पर 7 न्यूटन का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 मीटर है (चित्र-1)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगा रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
हल : दिया है : बल F = 7 न्यूटन, विस्थापन s = 8 मीटर
∴ बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य
W = F × s
     = 7 न्यूटन × 8 मीटर = 56 जूल |
प्रश्न 2. हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है?
उत्तर : जब हम किसी वस्तु पर बल लगाकर उसे विस्थापित करते हैं तो यह कहा जाता है कि वस्तु पर कार्य किया गया है।
प्रश्न 3. जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर : माना कि वस्तु पर लगाया गया बल = F
तथा तब बल की दिशा में विस्थापन = s
तब किया गया कार्य W = F × s
प्रश्न 4. 1 जूल कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : यदि किसी वस्तु पर 1 न्यूटन का बल लगाकर वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर विस्थापित किया जाता है तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य 1 जूल के बराबर होता है।
प्रश्न 5. बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 न्यूटन बल लगाती है। जोता गया खेत 15 मीटर लम्बा है। खेत की लम्बाई को जोतने में कितना कार्य किया गया?
हल : दिया है : बल F = 140 न्यूटन, विस्थापन s = 15 मीटर
∴ किया गया कार्य W = F × s
= 140 न्यूटन × 15 मीटर
= 2100 जूल।
प्रश्न 6. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर : गतिज ऊर्जा – किसी वस्तु में उसकी गति के कारण जो ऊर्जा निहित होती है, उसे वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं। किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा, उसे विरामावस्था से वर्तमान गति की अवस्था तक लाने में वस्तु पर किए गए कार्य के बराबर होती है।
प्रश्न 7. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर : यदि m द्रव्यमान की कोई वस्तु वेग से गतिमान है तो
वस्तु की गतिज ऊर्जा Ek = ½ mv2 होगी।
प्रश्न 8. 5 मीटर प्रति सेकण्ड के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 जूल है। यदि इसके वेग को दोगुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी?
हल : दिया है : वेग v1 = 5 मीटर/सेकण्ड, द्रव्यमान =m,
गतिज ऊर्जा Ek = 25 जूल
प्रश्न 9. शक्ति क्या है?
उत्तर : शक्ति – किसी कर्त्ता के कार्य करने की समय दर को उसकी शक्ति कहते हैं तथा इसे P से प्रदर्शित करते हैं। यदि किसी कर्त्ता द्वारा t समय में W कार्य किया जाता है तो
कर्त्ता की शक्ति P = W/t
शक्ति का S. I. मात्रकं वाट है।
प्रश्न 10. 1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर : यदि कोई कर्त्ता 1 जूल/सेकण्ड की दर से कार्य करता है तो उसकी शक्ति 1 वाट के बराबर होती है।
प्रश्न 11. एक लैम्प 1000 जूल ऊर्जा 10 सेकण्ड में व्यय करता है । इसकी शक्ति कितनी है?
प्रश्न 12. औसत शक्ति को पारेभाषित कीजिए ।
उत्तर : औसत शक्ति – यदि कोई कर्त्ता बदलती हुई दर से ऊर्जा खर्च करता है तो इस कर्त्ता की औसत शक्ति ज्ञात करना अधिक उपयोगी होता है। किसी कर्त्ता द्वारा किसी समयान्तराल में व्यय की गई कुल ऊर्जा या किए गए कुल कार्य तथा समयान्तराल के अनुपात को उस कर्त्ता की औसत शक्ति कहते हैं।
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए । अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
(1) सूमा एक तालाब में तैर रही है।
(2) एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
(3) एक पवन चक्की (विण्ड मिल ) कुएँ से पानी उठा रही है।
(4) एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
(5) एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
(6) अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
(7) एक पाल नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर :
(1) चूँकि सूमा बल लगाकर तैरते हुए आगे बढ़ रही है (बल तथा विस्थापन दोनों अशून्य हैं); अतः कार्य हो रहा है।
(2) चूँकि गधा एक स्थान पर बोझा उठाए खड़ा है अर्थात् विस्थापन शून्य है; अतः कोई कार्य नहीं हो रहा है।
(3) चूँकि पवन चक्की बल लगाकर पानी को ऊपर खींच रही है; अतः कार्य हो रहा है।
(4) चूँकि इस दशा में न तो कोई बल लगा है और न ही कोई विस्थापन हुआ है; अतः कार्य भी नहीं हो रहा है।
(5) चूँकि इंजन बल लगाकर ट्रेन को विस्थापित कर रहा है; अत: कार्य हो रहा है।
(6) न तो बल ही लगा है और न ही विस्थापन हुआ है; अतः कोई कार्य नहीं हो रहा है।
(7) एक पाल नाव, पवन के द्वारा लगाए बल के कारण बल की दिशा में विस्थापित हो रही है; अतः कार्य किया जा रहा है।
प्रश्न 2. एक पिण्ड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिण्ड के पथ के प्रारम्भिक तथा अन्तिम बिन्दु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया?
हल : ·.· प्रारम्भिक तथा अन्तिम बिन्दु एक ही क्षैतिज रेखा पर हैं।
∴ पिण्ड का ऊर्ध्वाधर विस्थापन h = 0
∴ गुरुत्वीय बल (mg) द्वारा कृत कार्य W = m g × h = 0
प्रश्न 3. एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : बैटरी में रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदलती है। यह विद्युत ऊर्जा बल्ब के तन्तु को गर्म करती है, जिससे विद्युत ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा तथा प्रकाशीय ऊर्जा में बदल जाती है।
प्रश्न 4. 20 किग्रा द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल उसके वेग को 5 मीटर/सेकण्ड से 2 मीटर/सेकण्ड में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
प्रश्न 5. 10 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड मेज पर A बिन्दु पर रखा है। इसे B बिन्दु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिण्ड पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : चूँकि प्रारम्भिक बिन्दु A तथा अन्तिम बिन्दु B एक ही क्षैतिज रेखा में हैं; अतः पिण्ड का ऊर्ध्वाधर दिशा (गुरुत्वीय बल mg की दिशा) में विस्थापन शून्य होगा। इस प्रकार गुरुत्वीय बल द्वारा पिण्ड पर किया गया कार्य भी शून्य होगा ।
प्रश्न 6. मुक्त रूप से गिरते हुए एक पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण के नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।
हल: यद्यपि मुक्त रूप से गिरते पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है, परन्तु साथ ही उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है। किसी समयान्तराल में स्थितिज ऊर्जा में जितनी कमी होती है, गतिज ऊर्जा में उतनी ही वृद्धि हो जाती है जिससे दोनों ऊर्जाओं का योग नियत बना रहता है। इस प्रकार उपर्युक्त उदाहरण में ऊर्जा संरक्षण के नियम का उल्लंघन नहीं होता, केवल ऊर्जा का रूपान्तरण होता है।
प्रश्न 7. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं?
उत्तर : साइकिल चलाते समय शरीर की पेशीय ऊर्जा, साइकिल की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। साइकिल की गतिज ऊर्जा घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में व्यय हो जाती है।
प्रश्न 8. जब आप अपनी सारी शक्ति को लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का रूपान्तरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है?
उत्तर : जब हम सारी शक्ति लगाकर भी एक बड़ी चट्टान को धकेलने में असफल हो जाते हैं तो विस्थापन न होने के कारण हमारे द्वारा कोई कार्य नहीं किया जाता, परन्तु ऊर्जा का रूपान्तरण तब भी होता है। इस दशा में शरीर की पेशीय ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है जो शरीर से पसीना निकालने तथा उसे वाष्पित करने में व्यय हो जाती है।
प्रश्न 9. किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिट व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी?
हल : व्यय ऊर्जा = 250 यूनिट
= 250 किलोवाट घण्टा
= (250 × 1000 वाट ) × (60 × 60 सेकण्ड )
= (25 × 104 जूल/सेकण्ड ) × (36 × 102 सेकण्ड)
= 25 × 36 × 106 जूल
= 900 × 106 जूल = 9 × 108 जुल |
प्रश्न 10. 40 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड धरती से 5 मीटर की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है? यदि पिण्ड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर है, उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 मीटर / सेकण्ड2 )
अत: जब पिण्ड आधे रास्ते पर है, तब उसकी स्थितिज ऊर्जा = 1000 जूल ।
प्रश्न 11. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्वीय बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए। 
उत्तर : उपग्रह, पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगाता है। किसी भी क्षण उपग्रह पर गुरुत्वीय बल पृथ्वी की ओर (वृत्तीय कक्षा के केन्द्र की ओर) लगा रहता है, जबकि उपग्रह का विस्थापन सदैव स्पर्श रेखा की दिशा में (गुरुत्वीय बल के लम्ब दिशा में) होता है। इस प्रकार उपग्रह का बल की दिशा में विस्थापन शून्य होता है, इसलिए उपग्रह पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा ।
प्रश्न 12. क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर : यदि कोई पिण्ड पहले से ही समवेग से गतिमान है तो बल की अनुपस्थिति में वह उसी वेग से सरल रेखा में चलता रहेगा अर्थात् इस स्थिति में बल की अनुपस्थिति में भी विस्थापन सम्भव होगा।
इसके विपरीत यदि पिण्ड पहले से विरामावस्था में हैं तो बल की अनुपस्थिति में वह विराम में ही बना रहेगा अर्थात् विस्थापन असम्भव होगा।
प्रश्न 13. कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए ।
उत्तर : मनुष्य भूसे के गट्ठर को उठाए रखने के लिए उसके भार के बराबर बल लगातार लगाए हुए है, परन्तु भूसे के गट्ठर का विस्थापन शून्य है। विस्थापन के शून्य होने के कारण उसके द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया है।
प्रश्न 14: एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 वाट है। 10 घण्टे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
प्रश्न 15. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अन्ततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है?
उत्तर : सरल लोलक के दोलनों में ऊर्जा का रूपान्तरण
प्रारम्भ में गोलक अपनी माध्य अवस्था में विराम की स्थिति में होता है। इस समय इसकी गतिज ऊर्जा शून्य होती है। इस स्थिति में हम इसकी स्थितिज ऊर्जा को भी शून्य मान लेते हैं।
जब गोलक को माध्य अवस्था से एक ओर को ले जाते हैं तो इसकी ऊँचाई बढ़ने लगती है और इस क्रिया में हमें गुरुत्वीय बल के विरुद्ध कुछ कार्य करना पड़ता है। यह कार्य इसकी स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता जाता है। इस प्रकार माध्य अवस्था से अधिकतम विस्थापन की स्थिति में जब हम गोलक को छोड़ते हैं, तब उस समय गोलक की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम तथा गतिज ऊर्जा शून्य होती है।
छोड़ने पर गोलक धीरे-धीरे माध्य स्थिति की ओर लौटता है; इससे गोलक की स्थितिज ऊर्जा घटने लगती है, परन्तु गतिज ऊर्जा बढ़ने लगती है। चूँकि गोलक वायु में होकर गति करता है; अतः गोलक की ऊर्जा का कुछ भाग वायु के घर्षण के विरुद्ध कार्य करने में व्यय हो जाता है। इससे वायु के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। जब गोलक माध्य अवस्था से गुजरता है तो उसका वेग अधिकतम होता है; अतः गतिज ऊर्जा अधिकतम तथा स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है।
गोलक अपने वेग के कारण माध्य अवस्था में नहीं रुक पाता और दूसरी ओर निकल जाता है। इससे गोलक की ऊँचाई बढ़ने लगती है; अतः उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ने लगती है, परन्तु गतिज ऊर्जा घटने लगती है। ऊर्जा का कुछ भाग वायु के अणुओं को मिल जाता है । अन्त में गोलक विराम में आ जाता है। इस स्थिति में उसकी स्थितिज ऊर्जा अधिक गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है। गोलक यहाँ रुका नहीं रहता, अपितु पुनः माध्य अवस्था की ओर लौटने लगता है। प्रत्येक स्थिति में गोलक की स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा वायु के अणुओं को दी गई ऊर्जा का योग नियत बना रहता है। इस प्रकार सरल लोलक के दोलनों में ‘कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।
गोलक का माध्य अवस्था के एक ओर का महत्तम विस्थापन (आयाम) गोलक की कुल ऊर्जा पर निर्भर करता है। गोलक द्वारा वायु के अणुओं को दी गई ऊर्जा पुनः गोलक को वापस नहीं मिल पाती। इससे गोलक की कुल ऊर्जा लगातार घटती जाती है; अतः गोलक के दोलनों का आयाम भी घटता जाता है। जब गोलक अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा वायु के अणुओं को दे देता है तो उसकी कुल ऊर्जा शून्य हो जाती है और वह सदैव के लिए विराम में आ जाता है।
अन्तत: गोलक की ऊर्जा वायु के अणुओं को चली जाती है।
नहीं, यह ऊर्जा संरक्षण के नियम का उल्लंघन नहीं है।
प्रश्न 16. m द्रव्यमान का एक पिण्ड एक नियत वेग v से गतिशील है। पिण्ड पर कितना कार्य करना चाहिए कि यह विराम अवस्था में आ जाए?
हल : माना कि पिण्ड को विराम में लाने के लिए उसकी गति के विरुद्ध F बल लगाया जाता है जिससे इसकी गति में मन्दन उत्पन्न हो जाता है।
∴ पिण्ड को रोकने के लिए उस पर उसकी प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा के बराबर कार्य करना होगा।
प्रश्न 17. 1500 किग्रा द्रव्यमान की कार को जो 60 किमी / घण्टा के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का. परिकलन कीजिए।
अतः कार को रोकने के लिए 203.33 किलो जूल कार्य करना पड़ेगा।
प्रश्न 18. निम्नांकित में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
उत्तर : प्रथम स्थिति में, बल विस्थापन के लम्बवत् है अर्थात् बल की दिशा में विस्थापन शून्य है; अतः किया गया कार्य भी शून्य होगा ।
द्वितीय स्थिति में, बल तथा विस्थापन दोनों एक ही दिशा में है; अत: किया गया कार्य धनात्मक है।
तृतीय स्थिति में, बल तथा विस्थापन एक-दूसरे के विपरीत है; अतः किया गया कार्य ऋणात्मक है।
प्रश्न 19. सोनी कहती है कि किसी वस्तु का त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं? बताइए क्यों?
उत्तर : हाँ, हम उससे सहमत हैं। चाहे वस्तु पर कई बल लगे रहें, परन्तु यदि वे जल परस्पर सन्तुलित हैं तो वस्तु पर परिणामी बल शून्य होगा। तब समीकरण F = ma के अनुसार वस्तु का त्वरण a = F । m (·.· F = 0) भी शून्य होगा ।
प्रश्न 20. चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 वाट है, 10 घण्टे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा किलोवाट घण्टा में परिकलित कीजिए।
प्रश्न 21. मुक्त रूप से गिरता कोई पिण्ड अन्तत: धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर : पृथ्वी तल से टकराने पर पिण्ड की गतिज ऊर्जा का अन्य ऊर्जाओं में रूपान्तरण हो जाता है। ये ऊर्जाएँ क्रमशः ऊष्मीय ऊर्जा, ध्वनि तरंगों की ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जाएँ हो सकती हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किसी पिण्ड का द्रव्यमान (m) एवं वेग (v) है। सिद्ध कीजिए कि उसकी गतिज ऊर्जा ½mv2 होगी । 
उत्तर : गतिज ऊर्जा
किसी गतिशील वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है, उसे वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं; जैसे—आँधी में टीन . उड़ाने की क्षमता, गतिशील हथौड़े में कील गाड़ने की क्षमता, बहते हुए जल में टरबाइन के ब्लेडों को घुमाने की क्षमता होती है।
गतिज ऊर्जा की माप – किसी वस्तु को विरामावस्था से गतिशील अवस्था में लाने में किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा की माप होती है।
माना, m द्रव्यमान की कोई वस्तु विरामावस्था में है। यदि इस पर एक अचर बल F लगाया जाए तो न्यूटन के द्वितीय नियम (F = ma) के अनुसार, इसमें उत्पन्न त्वरण
प्रश्न 2. स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं? m द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी तल से h मीटर ऊँचाई तक ले जाया गया है, पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन का व्यंजक प्राप्त कीजिए। स्थितिज ऊर्जा का कोई एक उदाहरण देकर समझाइए |
उत्तर : स्थितिज ऊर्जा
किसी वस्तु में उसकी आकृति अथवा स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं; जैसे- तनी हुई कमान में, दबी हुई स्प्रिंग में, ऊँचाई पर स्थित झरने के जल में स्थितिज ऊर्जा होती है।
स्थितिज ऊर्जा की माप-मांना m द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी तल से h ऊँचाई तक ले जाया जाता है। पिण्ड को ऊपर ले जाने की क्रिया में पिण्ड पर लगे गुरुत्व बल F = mg के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यह कार्य ही पिण्ड में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
अतः पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा
Ep = गुरुत्व बल (पिण्ड के भार) के विरुद्ध किया गया कार्य
= पिण्ड का भार × ऊँचाई
= mg × h = m × g × h
इस सूत्र से, पृथ्वी तल पर स्थितिज ऊर्जा शून्य होगी; क्योंकि पृथ्वी तल पर h = 0
यदि पिण्ड पुनः पृथ्वी पर गिरे तो इसकी स्थितिज ऊर्जा से m g h के बराबर कार्य प्राप्त किया जा सकता है।
स्थितिज ऊर्जा का उदाहरण – चित्र – 5 में h ऊँचाई पर जल की एक टंकी रखी है। टंकी की दीवार में एक छेद है, जिससे उसमें से जल बाहर निकलकर नीचे गिरता है। यदि जल किसी चक्र की पंखुड़ियों पर गिरे तो इसकी पंखुड़ियाँ घूमने लगती हैं। पंखुड़ियों पर जल द्वारा किए गए कार्य के कारण चक्र घूमने लगता है। इसमें जल की स्थितिज ऊर्जा पंखुड़ियों की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।
प्रश्न 3. सामर्थ्य किसे कहते हैं? सामर्थ्य का S.I मात्रक लिखिए। कार्य तथा सामर्थ्य में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर : सामर्थ्य अथवा शक्ति – “किसी कारक के कार्य करने की समय की दर को उसकी सामर्थ्य अथवा शक्ति कहते हैं।” इसे ‘P‘ से प्रदर्शित करते हैं।
यदि किसी कारक द्वारा t समय में W कार्य किया जाए तो
सामर्थ्य का मात्रक – M.K.S प्रणाली में सामर्थ्य का मात्रक वाट अथवा जूल/सेकण्ड है।
कार्य तथा सामर्थ्य में सम्बन्ध – यदि कोई कारक t समय में W कार्य करता है तो
किया गया कार्य = कारक की सामर्थ्य × समय
प्रश्न 4. किलोवाट – घण्टा किसका मात्रक है? इसकी परिभाषा दीजिए तथा इसे जूल में व्यक्त कीजिए ।
उत्तर : किलोवाट घण्टा – ऊर्जा का मात्रक ‘जूल’ है तथा सामर्थ्य का मात्रक ‘वाट’ अथवा किलोवाट है। 1 किलोवाट, 1000 जूल/सेकण्ड के बराबर होता है। इस आधार पर ऊर्जा का एक मात्रक बनाया गया, जो कि ऊर्जा के व्यापारिक मानक के रूप में प्रयुक्त होता है। इसे किलोवाट घण्टा कहते हैं; अत: किलोवाट घण्टा ऊर्जा का मात्रक है।
किलोवाट घण्टा की परिभाषा – विद्युत ऊर्जा की वह मात्रा जो 1 किलोवाट विद्युत शक्ति के परिपथ में 1 घण्टे में व्यय होती है, किलोवाट घण्टा अथवा 1 यूनिट कहलाती है।
   1 किलोवाट-घण्टा = 1 किलोवाट × 1 घण्टा
= 1000 वाट × 1 घण्टा
= 1000 वाट × (60 × 60) सेकण्ड
= 3·6 × 106 वाट-सेकण्ड
= (3·6 × 106 जूल/सेकण्ड ) × सेकण्ड
= 3.6 × 106 जूल ।
यही किलोवाट घण्टा तथा ज़ूल में सम्बन्ध है।
प्रश्न 5. ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त क्या है? इसे मुक्त रूप से गिरते हुए किसी पिण्ड के उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त
“ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है अर्थात् जितनी ऊर्जा किसी रूप में लुप्त होती है, ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट हो जाती है अर्थात् केवल ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण हो सकता है।” अतः विश्व की सम्पूर्ण ऊर्जा का परिमाण सदैव स्थिर रहता है। यही ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त है।
यान्त्रिक ऊर्जा का संरक्ष
किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग यान्त्रिक ऊर्जा कहलाता है अर्थात्
यान्त्रिक ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा । . अनेक निकायों की स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में तथा गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित होती रहती है, परन्तु इन दोनों का योग सदैव नियत रहता है। यह यान्त्रिक ऊर्जा का संरक्षण है। यह केवल तभी लागू होता है, जबकि घर्षण बल उपस्थित न हो। ऊर्जा संरक्षण की सत्यता का निम्नलिखित उदाहरण द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-
मुक्त रूप से गिरते पिण्ड का उदाहरण – माना कि m द्रव्यमान का एक पिण्ड, पृथ्वी तल से h ऊँचाई ऊपर स्थित किसी बिन्दु A से विरामावस्था से छोड़ा जाता है।
माना कि कुछ समय पश्चात् पिण्ड x दूरी गिरकर बिन्दु B पर पहुँचता है, जहाँ उसका वेग v हो जाता है।
स्पष्ट है कि यह ऊर्जा पिण्ड की प्रारम्भिक ऊँचाई h के अनुक्रमानुपाती है और बिन्दु B की स्थिति पर निर्भर नहीं करती है।
इससे स्पष्ट होता है कि मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है तथा यह ऊर्जा पिण्ड के भार mg तथा उसकी प्रारम्भिक ऊँचाई h के गुणनफल के बराबर होती है।
इस उदाहरण से ऊर्जा संरक्षण का नियम सिद्ध हो जाता है।
प्रश्न 6. एक घोड़ा, बल F लगाकर एक गाड़ी को सड़क पर नियत वेग v से खींच रहा है। घोड़े की शक्ति के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। U
उत्तर : नियत वेग से किसी वस्तु को खींचने वाले कर्त्ता की शक्ति-
प्रश्न 7. सौर ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है। स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : सौर ऊर्जा
सौर ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है। सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। सूर्य की ऊष्मीय ऊर्जा सूर्य के भीतरी भाग व उसके पृष्ठ पर होने वाली नाभिकीय एवं परमाण्वीय अभिक्रियाओं द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा का ही परिणाम है। इस ऊर्जा का कुछ भाग विकिरण के रूप में 3×108 मीटर/सेकण्ड के वेग से पृथ्वी पर पहुँचता है, जो पृथ्वी व वायु को गर्म करता है। सौर ऊर्जा का कुछ भाग महासागरों व जल के अन्य स्रोतों को गर्म करके जल को जलवाष्प में बदलता है। जलवाष्प संघनित होकर बादल बनाती है और अन्त में बर्फ अथवा वर्षा के रूप में यह पृथ्वी पर पहुँचती है। अधिक ऊँचे क्षेत्रों पर यह बर्फ, जल, विद्युत संयन्त्रों द्वारा विद्युत ऊर्जा के रूप में प्रयुक्त होता है। सौर ऊर्जा के कुछ भाग का उपयोग स्थलीय तथा जलीय पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के लिए भी किया जाता है।
आजकल सौर ऊर्जा के उपयोग पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है; क्योंकि ऊर्जा के अन्य स्रोत समाप्त होते जा रहे हैं। इसके उपयोग के लिए . अनेक उपकरण बनाए गए हैं; जैसे – खाना बनाने के लिए सोलर कुकर (solar cooker), पानी गर्म करने के लिए सोलर हीटर (solar heater) तथा विद्युत उत्पन्न करने के लिए सोलर सेल (solar cell ) व सोलर पैनल (solar panels) आदि ।
• लघु उत्तरीय प्रश्न.
प्रश्न 1. कार्य की परिभाषा बताइए। इसका मात्रक क्या है? अथवा कार्य होने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर : कार्य- जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाकर उसकी स्थिति में परिवर्तन किया जाता है तो कहा जाता है कि बल द्वारा उस वस्तु पर कार्य किया गया; अतः “बल लगाकर किसी वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करने की क्रिया को कार्य कहते हैं।” इस प्रकार कार्य होने के लिए – (i) बल तथा (ii) बल की दिशा में विस्थापन दोनों आवश्यक हैं।
कार्य का मात्रक – S. I. पद्धति में कार्य का मात्रक जूल है।
1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर = 1 न्यूटन-मीटर ।
प्रश्न 2. कार्य की परिभाषा के उत्तर में एक परीक्षार्थी ने लिखा-
कार्य = पिण्ड पर लगने वाला बल × पिण्ड का विस्थापन
यह परिभाषा अपूर्ण है, शुद्ध परिभाषा लिखिए ।
उत्तर : कार्य = पिण्ड पर लगने वाला बल × बल की दिशा में पिण्ड का विस्थापन ।
प्रश्न 3. किसी वृत्तीय कक्षा में घूमते हुए इलेक्ट्रॉन को एक चक्कर लगाने में कितना कार्य करना पड़ता है?
उत्तर : वृत्तीय कक्षा में गति करते समय इलेक्ट्रॉन पर कार्य करने वाला नाभिक का आकर्षण बल गति की दिशा के लम्बवत् होता है अर्थात् बल और विस्थापन के बीच सदैव θ = 90° होता है; अतः कार्य W = F × s cos θ = F × s cos 90° = 0 (शून्य) होगा।
इस प्रकार, वृत्तीय गति में इलेक्ट्रॉन द्वारा एक या एक से अधिक चक्कर लगाने में किया गया कार्य शून्य होता है।
प्रश्न 4. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा से क्या तात्पर्य है? उदाहरण भी दीजिए।
अथवा गतिज ऊर्जा की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर : गतिज ऊर्जा – किसी गतिशील वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है, उसे वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं; जैसे— आँधी में टीन उड़ाने की क्षमता होती है, गतिशील हथौड़े में कील गाड़ने की क्षमता होती है, बन्दूक से छूटी गोली में लक्ष्य को भेदने की क्षमता होती है आदि ।
प्रश्न 5. दो प्रोटॉनों को एकक-दूसरे के समीप लाने पर स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होगी अथवा कमी ?
उत्तर : प्रोटॉनों को एक-दूसरे के समीप लाने पर, प्रतिकर्षण बल बढ़ने से ( क्योंकि दोनों धनावेशित हैं) अधिक कार्य करना पड़ेगा। यह कार्य उनमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होगा, इसीलिए प्रोटॉनों को एक-दूसरे के समीप लाने में स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होगी ।
प्रश्न 6. कार्य तथा सामर्थ्य में क्या अन्तर है?
उत्तर : कार्य तथा सामर्थ्य में अन्तर – किसी पिण्ड पर बल लगाकर उसे बल की दिशा में विस्थापित करने की क्रिया को कार्य कहते हैं। कार्य होने के लिए — (i) बल तथा (ii) बल की दिशा में विस्थापन दोनों आवश्यक हैं। इसका मात्रक जूल है, जबकि कर्त्ता के द्वारा कार्य करने की दर को सामर्थ्य कहते हैं। अतः किसी वस्तु की सामर्थ्य उसके द्वारा प्रति एकांक समयान्तराल में किए गए कार्य के बराबर होती है। सामर्थ्य के लिए – (i) बल, (ii) बल की दिशा में विस्थापन तथा (iii) समय तीनों होने आवश्यक हैं। इसका मात्रक जूल / सेकण्ड है।
प्रश्न 7. किसी वस्तु की सामर्थ्य किन-किन बातों पर तथा किस प्रकार निर्भर करती है?
(i) सामर्थ्य, कार्य के अनुक्रमानुपाती है अर्थात् मशीन अथवा कारक द्वारा अधिक कार्य किए जाने पर, उसकी सामर्थ्य अधिक होगी।
(ii) सामर्थ्य, समय के व्युत्क्रमानुपाती है अर्थात् मशीन अथवा कारक द्वारा किए गए कार्य में जितना अधिक समय लगेगा, उसकी सामर्थ्य उतनी ही कम होगी।
प्रश्न 8. एक व्यक्ति 20 किग्रा का बोझ लेकर जीने से चढ़ता हुआ छत पर 20 सेकण्ड में पहुँच जाता है। दूसरा व्यक्ति उतने ही बोझ को लेकर छत पर 30 सेकण्ड में पहुँचता है। कारण देते हुए बताइए-
(i) क्या दोनों व्यक्तियों ने बराबर कार्य किया है?
(ii) क्या दोनों व्यक्तियों की सामर्थ्य बराबर है ?
(iii) किस व्यक्ति की सामर्थ्य अधिक है?
हल : (i) हाँ, चूँकि दोनों व्यक्तियों के द्वारा ले जाए गए बोझ के द्रव्यमान एवं विस्थापन समान हैं; अतः उनके द्वारा सम्पादित कार्य भी समान होंगे।
(ii) नहीं, पहले व्यक्ति ने कार्य करने में 20 सेकण्ड लिए, परन्तु दूसरे व्यक्ति ने वही कार्य करने में 30 सेकण्ड लिए।
(iii) सूत्र P ∝ 1 / t से पहले व्यक्ति की सामर्थ्य अधिक है।
प्रश्न 9. ऊर्जा संरक्षण के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर : ऊर्जा संरक्षण के उदाहरण-
(1) गुरुत्व के अन्तर्गत मुक्त रूप से गिरता पिण्ड,
(2) सरल लोलक के दोलन,
(3) स्प्रिंग के आधार से लटके पिण्ड को थोड़ा-सा नीचे खींचकर छोड़ देने पर उसमें उत्पन्न कम्पन्न ।
प्रश्न 10. सौर ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
अथवा उस प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए जिसके द्वारा सूर्य ऊर्जा उत्पन्न करता है।
उत्तर : सौर ऊर्जा – सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। इसका मूल स्रोत सूर्य पर चलने वाली नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के चार नाभिक परस्पर क्रिया करके हीलियम का एक नाभिक बनाते हैं। इस क्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं। इस प्रक्रिया में द्रव्यमान की कुछ क्षति हो जाती है और यह द्रव्यमान ऊर्जा में बदल जाता है। संलयन की इस प्रक्रिया में अपार ऊर्जा निकलती है। इस प्रकार सूर्य में उपस्थित हाइड्रोजन लगातार हीलियम में बदल रही है, परन्तु सूर्य में लगभग 99% हाइड्रोजन है; अतः अभी करोड़ों वर्षों तक सूर्य हमें ऊर्जा देता रहेगा।
प्रश्न 11. क्या यह सम्भव है कि किसी वस्तु पर बल लगा हो वस्तु विस्थापित भी होती हो, परन्तु किया गया कार्य शून्य हो? यदि हाँ तो एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : हाँ, सम्भव है।
जब वस्तु पर लगा बल तथा विस्थापन परस्पर लम्बवत् होते हैं तो वस्तु पर बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है ।
W = F × s cos 90° = 0
[·.· θ = 90° व cos 90° = 0]
उदाहरण – जब हम किसी ढेले को डोरी से बाँधकर वृत्ताकार पथ पर घुमाते हैं तो डोरी का तनाव बल ढेले पर वृत्त के केन्द्र की ओर (त्रिज्या के अनुदिश) लगता है। ढेला लगातार विस्थापित भी होता है, परन्तु किसी भी क्षण ढेले का विस्थापन वृत्त पर स्पर्श रेखा की दिशा में (तनाव बल के लम्बवत्) होता है। अत: तनाव बल द्वारा ढेले पर किया गया कार्य शून्य होता है।
• अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किसी वस्तु पर किया गया कार्य कितना होगा, यदि
(i) विस्थापन बल की दिशा में हो?
(ii) विस्थापन बल के लम्बवत् है ?
उत्तर : सूत्र कार्य W = F s cos θ से,
(i) कार्य W = F × s × cos 0°
(·.· बल व विस्थापन एक दिशा में हैं ∴ θ = 0°)
= F × s = बल × विस्थापन होगा।
(ii) जब विस्थापन बल के लम्बवत् है तो θ = 90°
∴ कार्य W = F × s × cos 90°
= F × s × 0 = 0, कार्य शून्य होगा ।
प्रश्न 2. वृत्तीय गति में बल तथा विस्थापन की दिशाएँ क्या होती हैं? एक वस्तु वृत्तीय पथ पर एक चौथाई चक्कर पूरा करती है, उसने कितना कार्य किया होगा?
उत्तर : बल केन्द्र की दिशा में (त्रिज्या के अनुदिश) तथा विस्थापन स्पर्श रेखा की दिशा में होता है। शून्य कार्य किया जाता है।
प्रश्न 3. एक व्यक्ति एक पत्थर को धकेलने के लिए 12 मिनट तक प्रयत्न करता रहा। क्या उसने कोई कार्य किया? यदि नहीं तो उसे थकावट क्यों महसूस होती है?
उत्तर : चूँकि प्रश्न में विस्थापन शून्य है; अतः व्यक्ति ने कोई कार्य नहीं किया; क्योंकि
कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन |
मनुष्य को थकावट पृथ्वी के आकर्षण बल के विरुद्ध व्यय ऊर्जा के कारण होती है।
प्रश्न 4. यान्त्रिक ऊर्जा से क्या तात्पर्य है? यह कितने प्रकार की होती है?
उत्तर : यान्त्रिक ऊर्जा – किसी वस्तु में केवल यान्त्रिक कारणों से कार्य करने की जो क्षमता होती है, उसे वस्तु की यान्त्रिक ऊर्जा कहते हैं। यह गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा के रूप में दो प्रकार की होती है।
अतः यान्त्रिक ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
प्रश्न 5. विद्युत ऊर्जा का ऊष्मीय ऊर्जा में तथा विद्युत ऊर्जा का ध्वनि ऊर्जा में रूपान्तरण का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर : विद्युत हीटर में विद्युत ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है। लाउडस्पीकर में विद्युत ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा में बदलती है।
प्रश्न 6. जब एक कील को तख्ते में ठोका जाता है तो वह गर्म क्यों हो जाती है?
उत्तर : कील से टकराने पर हथौड़े की गतिज ऊर्जा, ऊष्मा के रूप में बदल जाती है जिसका कुछ भाग कील अवशोषित कर लेती है और गर्म हो जाती है।
प्रश्न 7. 1 वाट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : 1 वाट – यदि 1 जूल कार्य 1 सेकण्ड में किया जाए तो कारक की सामर्थ्य 1 वाट होगी।
प्रश्न 8. व्यायाम करते समय कोई बालिका 5 मिनट तक बार-बार उठती बैठती है। समय के साथ उसके शरीर की स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन को दर्शाने के लिए ग्राफ बनाइए।
उत्तर : प्रत्येक बार उठने पर बालिका की स्थितिज ऊर्जा बढ़ेगी तथा प्रत्येक बार बैठने पर स्थितिज ऊर्जा घटेगी। अतः सम्भावित ग्राफ संलग्न चित्र-7 में प्रदर्शित ग्राफ के अनुरूप होगा।
प्रश्न 9. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : ऐसे ऊर्जा स्रोत जो बार – बार प्रयोग किए जा सकते हैं और कभी समाप्त नहीं होते, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं; जैसे – जल-विद्युत ऊर्जा, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि ।
प्रश्न 10. एक मनुष्य की गतिज ऊर्जा 625 जूल है तथा उसका वेग 5 मीटर/सेकण्ड है। मनुष्य का द्रव्यमान बताइए ।
प्रश्न 11. निम्नलिखित में से किस स्थिति में कोई कार्य नहीं होता, जब-
( सही उत्तर पर निशान लगाएँ)
(i) लकड़ी के टुकड़े में कील ठोंकी जाती है,
(ii) किसी बक्से को क्षैतिज पृष्ठ पर खिसकाया जाता है,
(iii) गति की दिशा के लम्बवत् बल का कोई घटक नहीं होता,
(iv) गति की दिशा के समान्तर बल का कोई घटक नहीं होता।
उत्तर : (iv) गति की दिशा के समान्तर बल का कोई घटक नहीं होता।
• एक शब्द अथवा एक वाक्य वाले प्रश्न
प्रश्न 1. कार्य होने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर : कार्य होने के लिए बल तथा बल की दिशा में विस्थापन दोनों आवश्यक हैं।
प्रश्न 2. कार्य कैसी राशि है?
उत्तर : कार्य अदिश राशि है।
प्रश्न 3 : M.K.S. पद्धति में कार्य का मात्रक क्या है?
उत्तर : M.K.S. पद्धति में कार्य का मात्रक जूल अथवा न्यूटन मीटर अथवा किग्रा मीटर/सेकण्ड 2 है।
प्रश्न 4. एक मनुष्य नदी की धारा के विपरीत तैर रहा है। किनारे पर खड़े व्यक्ति को मनुष्य स्थिर दिखाई देता है। समझाइए कि मनुष्य कार्य कर रहा है अथवा नहीं?
उत्तर : चूँकि तैरने वाले मनुष्य का विस्थापन शून्य है; अतः इसके द्वारा किए गए कार्य का मान शून्य होगा ।
प्रश्न 5. एक स्प्रिंग को लम्बाई की दिशा में दबाने पर उसमें किस प्रकार की ऊर्जा संचित होगी?
उत्तर : स्प्रिंग को लम्बाई की दिशा में दबाने पर प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा संचित होगी।
प्रश्न 6. गतिज ऊर्जा का मात्रक बताइए ।
उत्तर : गतिज ऊर्जा का मात्रक जूल है।
प्रश्न 7. पृथ्वी तल से कुछ ऊँचाई पर रखी वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का सूत्र लिखिए।
उत्तर : वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
(Ep ) = m × g × h जूल
जहाँ, m = वस्तु का द्रव्यमान, h = वस्तु की पृथ्वी तल से ऊँचाई तथा g गुरुत्वीय त्वरण है।
प्रश्न 8. इंजीनियरिंग में शक्ति का मात्रक बताइए।
उत्तर : इंजीनियरिंग में शक्ति का मात्रक अश्व शक्ति अथवा अश्व – सामर्थ्य है।
प्रश्न 9. अश्वशक्ति तथा वाट में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर : 1 अश्व-शक्ति = 746 बाट ।
प्रश्न 10. सामान्य व्यक्ति की सामर्थ्य कितनी होती है?
उत्तर : सामान्य व्यक्ति की सामर्थ्य 0.05 से 0.10 अश्व-सामर्थ्य तक होती है।
प्रश्न 11. टार्च का सेल किस प्रकार की ऊर्जा को किस प्रकार की ऊर्जा में बदलता है?
उत्तर : रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में।
प्रश्न 12. m द्रव्यमान का पिण्ड पृथ्वी तल से h ऊँचाई ऊपर से मुक्त छोड़ा जाता है। आधी ऊँचाई पर पिण्ड की कुल ऊर्जा कितनी होगी?
उत्तर : कुल ऊर्जा m g h होगी।
प्रश्न 13. चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगाता है। यह एक चक्कर में कितनी ऊर्जा खर्च करता है?
उत्तर : शून्य ऊर्जा खर्च करता है।
प्रश्न 14. दोलन करते सरल लोलक की (i) गतिज ऊर्जा; (ii) स्थितिज ऊर्जा किस स्थिति में महत्तम होती है?
उत्तर : (i) माध्य अवस्था में, (ii) माध्य अवस्था के एक और विरामावस्था में।
प्रश्न 15. जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से गिरता है तो हम क्यों कहते हैं कि गुरुत्वीय बल के विरुद्ध किया गया कार्य ऋणात्मक है?
उत्तर : चूँकि बल तथा विस्थापन एक-दूसरे के विपरीत होते हैं।
प्रश्न 16. किसी बल द्वारा वस्तु पर शून्य कार्य करने के लिए बल तथा विस्थापन के बीच कितना कोण होना चाहिए?
उत्तर : 90° का कोण होना चाहिए।
प्रश्न 17. एकसमान वृत्तीय गति में बल द्वारा कितना कार्य किया जाता है?
उत्तर : शून्य कार्य किया जाता है।
प्रश्न 18. सौर ऊर्जा से प्राप्त होने वाली दो ऊर्जाओं के नाम लिखिए।
उत्तर : (i) जल-विद्युत ऊर्जा तथा (ii) पवन ऊर्जा ।
• आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1. किसी कण पर 2 न्यूटन का बल लगाने से कण बल की दिशा में 1.5 मीटर विस्थापित होता है। कण पर बल द्वारा किया गया कार्य तथा उसकी ऊर्जा में वृद्धि ज्ञात कीजिए ।
हल: दिया है : कण पर बल = 2 न्यूटन, बल की दिशा में विस्थापन = 1.5 मीटर, W = ?
कण पर लगाए बल द्वारा किया गया कार्य
W = बल × बल की दिशा में विस्थापन
= 2 न्यूटन × 1.5 मीटर = 3.0 जूल ।
·.· विस्थापन बल की दिशा में हुआ है; अतः किया गया कार्य कण की गतिज ऊर्जा में वृद्धि करेगा।
अतः कण की ऊर्जा वृद्धि = कंण पर किया गया कार्य
        = 3.0 जूल।
प्रश्न 2. एक पिण्ड पर 8 न्यूटन का बल लगाने से वह बल से 60° का कोण बनाते हुए 4 मीटर विस्थापित हो जाता है। बल द्वारा किए गए कार्य की गणना कीजिए ।
प्रश्न 3. कोई लड़का किसी खिलौने को एक डोरी द्वारा 50 न्यूटन बल लगाकर 1 मीटर क्षैतिज दूरी पर खींचता है, जबकि डोरी क्षैतिज से 30° का कोण बनाती है। बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? यदि डोरी क्षैतिज से 45° का कोण बनाती हो तो इसी खिलौने को 1 मीटर दूरी पर खींचने में उसी बल द्वारा कितना कार्य करना पड़ेगा ?
प्रश्न 4. एक कुली 15 किग्रा का बोझ धरती से 1.5 मीटर ऊपर उठाकर अपने सिर पर रखता है। उसके द्वारा बोझे पर किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
प्रश्न 5. मान लीजिए एक कार कुछ अन्तरालों के पश्चात् 18 किमी / घण्टा, 36 किमी / घण्टा, 54 किमी / घण्टा तथा 72 किमी/घण्टा के एकसमान वेग से चलती है। इन वेगों पर कार में बैठे 40 किग्रा द्रव्यमान के बच्चे को गतिज ऊर्जाओं का परिकलन कीजिए। गतिज ऊर्जा व वेग के बीच ग्राफ खींचिए। इस वक्र की प्रकृति कैसी है?
6. दो वस्तुओं के प्रश्न द्रव्यमानों में 5 : 6 का अनुपात है। यदि उनके वेग परस्पर बराबर हों तो उनकी गतिज ऊर्जाओं का अनुपात क्या होगा ?
प्रश्न 7. 500 किग्रा द्रव्यमान की मोटरकार की चाल 20 मीटर / सेकण्ड से बढ़ाकर 40 मीटर/सेकण्ड करने में इंजन को कितना कार्य करना पड़ेगा?
प्रश्न 8. एक गतिमान पिण्ड की गतिज ऊर्जा 400 जूल है। पिण्ड पर उसकी गति के विरुद्ध 25 न्यूटन का औसत बल लगाने से पिण्ड कितनी दूर जाकर रुक जाएगा?
प्रश्न 9. 10 किग्रा द्रव्यमान की एक वस्तु को धरती से 6 मीटर की ऊँचाई तक उठाया गया है। इस वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का परिकलन कीजिए। g का मान 9.8 मीटर/सेकण्ड2 है।
प्रश्न 10. यदि भूमि पर किसी पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा शून्य मान जाए तो 20 मीटर गहरे कुएँ की तली पर 2.0 किग्रा द्रव्यमान पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा कितनी होगी? ( g = 10 मीटर / सेकण्ड2 ) ।
प्रश्न 11. आधे घण्टे (30 मिनट) तक तैरने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए आपको लगभग कितने किग्रा उबले हुए आलू खाने होंगे? मान लीजिए कि आपका शरीर कुल उपलब्ध ऊर्जा का केवल 20% ही प्रयुक्त करने में सक्षम है। ( दिया है : आलू द्वारा दी गई ऊर्जा = 3.7 × 106 जूल/किग्रा तथा तैरने के लिए आवश्यक ऊर्जा = 25.6 किलो- जूल / मिनट )।
प्रश्न 12. 0.05 किलोग्राम द्रव्यमान वाला कोई पिण्ड जमीन से 1000 मीटर ऊँचाई से गुरुत्वीय त्वरण के अन्तर्गत स्वतन्त्रतापूर्वक नीचे गिरता है। इसका जमीन पर पहुँचने पर वेंग एवं कुल ऊर्जा ज्ञात कीजिए । (g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2 )

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