UK 9th Science

UK Board 9th Class Science – Chapter 4 परमाणु की संरचना

UK Board 9th Class Science – Chapter 4 परमाणु की संरचना

UK Board Solutions for Class 9th Science – विज्ञान – Chapter 4 परमाणु की संरचना

अध्याय के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. कैनाल किरणें क्या हैं?
उत्तर : गोल्डस्टीन ने विसर्जन नली प्रयोग में सामान्य कैथोड के स्थान पर छिद्रयुक्त कैथोड का प्रयोग करके देखा कि कुछ ऐनोड किरणें छिद्रयुक्त कैथोड के पीछे निकलकर पर्दे पर दीप्ति उत्पन्न करती हैं। उन्होंने इन किरणों को कैनाल किरणें कहा क्योंकि ये किरणें कैथोड के छिद्रों में से निकलकर दूसरी ओर जाती हैं। इस प्रकार कैनाल किरणें, विसर्जन नलिका के ऐनोड से चलने वाली धनावेशित कणों की धारा है।
प्रश्न 2. यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन है तो इसमें कोई आवेश होगा या नहीं?
उत्तर : नहीं, इसमें कोई आवेश नहीं होगा अर्थात् परमाणु विद्युत उदासीन होगा।
प्रश्न 3. परमाणु उदासीन है, इस तथ्य को थॉमसन के मॉडल के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : थॉमसन के मॉडल के आधार पर –
(i) परमाणु धन आवेशित गोले का बना होता है और इलेक्ट्रॉन उसमें धँसे होते हैं।
(ii) ऋणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं। इसलिए परमाणु विद्युतीय रूप से उदासीन होते हैं।
प्रश्न 4. रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार, परमाणु के नाभिक में कौन-सा अवपरमाणुक कण विद्यमान है ?
उत्तर : रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार, परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन विद्यमान हैं जो α-कण प्रकीर्णन प्रयोग में α- कणों को विक्षेपित कर देते हैं; क्योंकि α-कण प्रोटॉनों से बहुत अधिक भारी हैं। अतः रदरफोर्ड ने α- कणों के कम विक्षेपण की ही आशा की थी।
प्रश्न 5. तीन कक्षाओं वाले बोर के परमाणु मॉडल का चित्र बनाइए । 
उत्तर : तीन कक्षाओं वाले बोर के परमाणु मॉडल का चित्र निम्नांकित है-
प्रश्न 6. क्या ऐल्फा कणों का प्रकीर्णन प्रयोग सोने के अतिरिक्त दूसरी धातु की पन्नी से सम्भव होगा?
उत्तर : सोने की अत्यन्त महीन पन्नी ( लगभग 1000 परमाणुओं के बराबर मोटी ) प्राप्त करना सम्भव होता है, जो प्रकीर्णन प्रयोग के लिए आवश्यक है। किसी अन्य धातु की इतनी महीन पन्नी प्राप्त करना सम्भव नहीं है। अतः प्रकीर्णन प्रयोग में सोने के अतिरिक्त किसी अन्य धातु की पन्नी का प्रयोग सम्भव नहीं है।
प्रश्न 7. परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम लिखिए।
उत्तर : परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन हैं।
प्रश्न 8. हीलियम परमाणु का परमाणु द्रव्यमान 4u है और उसके नाभिक में दो प्रोटॉन होते हैं। इसमें कितने न्यूट्रॉन होंगे?
उत्तर : न्यूट्रॉनों की संख्या = परमाणु द्रव्यमान – प्रोटॉनों की संख्या
= 4 – 2 = 2
प्रश्न 9. कार्बन तथा सोडियम के परमाणुओं के लिए इलेक्ट्रॉन वितरण लिखिए।
उत्तर : कार्बन का परमाणु क्रमांक = 6
इलेक्ट्रॉन वितरण = 2, 4
सोडियम का परमाणु क्रमांक = 11
इलेक्ट्रॉन वितरण = 2, 8, 1
प्रश्न 10. अगर किसी परमाणु का K और L कोश भरा है तो उस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या होगी ?
उत्तर : K कोश (n = 1 ) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 (1)2 = 2
L कोश (n = 2) में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 (2)2 = 8
अत: परमाणु में 2 + 8 = 10 इलेक्ट्रॉन होंगे।
प्रश्न 11. क्लोरीन, सल्फर और मैग्नीशियम की परमाणु संख्या से आप इनकी संयोजकता कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर : क्लोरीन (Z = 17 ) — इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है। स्पष्ट है कि क्लोरीन परमाणु को अपना अष्टक अर्थात् बाह्यतम कोश को पूर्ण भरने के लिए केवल एक इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है; अतः इसकी संयोजकता 1 है।
सल्फर (Z = 16 ) — इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 6 है। स्पष्ट है कि सल्फर परमाणु को अपना बाह्यतम कोश पूर्ण करने के लिए 2 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है; अतः इसकी संयोजकता 2 है।
मैग्नीशियम (Z = 12 ) – इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है। स्पष्ट है कि मैग्नीशियम परमाणु के बाह्यतम कोश में 2 इलेक्ट्रॉन हैं तथा स्थायी विन्यास प्राप्त करने के लिए यह इन इलेक्ट्रॉनों को त्याग सकता है। अतः इसकी संयोजकता 2 है।
प्रश्न 12. यदि किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 है और प्रोटॉनों की संख्या भी 8 है तब,
(a) परमाणु की परमाणुक संख्या क्या है?
(b) परमाणु का क्या आवेश है?
उत्तर : (a) परमाणु की परमाणुक संख्या
= परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या = 8
(b) चूँकि परमाणु में इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्या समान है; अतः इस पर कोई आवेश नहीं होगा अर्थात् परमाणु विद्युत उदासीन होगा।
प्रश्न 13. सारणी 4.1 की सहायता से ऑक्सीजन और सल्फर परमाणु की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर : सारणी 4.1 के अनुसार,
ऑक्सीजन परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या = 8
तथा ऑक्सीजन परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या = 8
अब द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
अत: द्रव्यमान संख्या = 8 + 8 = 16
सल्फर परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या = 16
तथा सल्फर परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या = 16
अत: द्रव्यमान संख्या = 16 + 16 = 32
प्रश्न 14. चिह्न H, D और T के लिए प्रत्येक में पाए जाने वाले तीन अवपरमाणुक कणों को सारणीबद्ध कीजिए ।
उत्तर :
समस्थानिक तीन अवपरमाणुक कण
इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन
H
D
T
1
1
1
1
1
1
0
1
2
प्रश्न 15. समस्थानिक और समभारिक के किसी एक युग्म का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए ।
उत्तर : समस्थानिक- 6C12 तथा 6C14
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 4
समभारिक – 20C40 तथा 18Ar40
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, 20Ca40 : 2, 8, 8, 2
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 18Ar40 : 2, 8, 8
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना कीजिए ।
उत्तर : इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन
के गुणों की तुलना 
प्रश्न 2. जे०जे० थॉमसन के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर : जे०जे० थॉमसन के परमाणु मॉडल का प्रायोगिक सत्यापन सम्भव नहीं है। इसके अतिरिक्त यह मॉडल, सन् 1911 में रदरफोर्ड द्वारा किए गए ऐल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग की व्याख्या करने में असमर्थ रहा। थॉमसन के अनुसार ऐल्फा कणों का प्रकीर्णन नहीं होना चाहिए, जब इनकी बमबारी सोने की पन्नी पर की जाती है।
प्रश्न 3. रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर : रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सीमाएँ
रदरफोर्ड की परमाणु संरचना में निम्नलिखित कमियाँ अथवा दोष पाए गए-
(1) विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त (क्लार्क मैक्सवेल द्वारा) के अनुसार ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों में गति के कारण लगातार ऊर्जा की क्षति होनी चाहिए, जिससे उनकी कक्षा की त्रिज्या लगातार कम होती जाएगी और अन्त में वे नाभिक में गिर जाएँगे (परन्तु ऐसा नहीं होता)। इसका अर्थ होगा परमाणु एक स्थायी निकाय है; अतः रदरफोर्ड मॉडल परमाणु निकाय के स्थायित्व की व्याख्या करने में असफल रहा है।
(2) रदरफोर्ड के a– कणों के प्रकीर्णन के प्रयोग से परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्याओं के बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है।
(3) इस सिद्धान्त के द्वारा यह स्पष्ट नहीं होता कि इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कहाँ और कैसे स्थित रहता है।
(4) रदरफोर्ड की परमाणु संरचना के अनुसार परमाणु स्पेक्ट्रम सतत (continuous) होना चाहिए। दूसरे शब्दों में स्पेक्ट्रम में निश्चित आवृत्ति की रेखाएँ नहीं होनी चाहिए, परन्तु वास्तव में परमाणु का स्पेक्ट्रम सतत नहीं होता। इसके स्पेक्ट्रम में निश्चित आवृत्ति की कई रेखाएँ होती हैं। अतः रदरफोर्ड मॉडल परमाणुओं के रैखिक स्पेक्ट्रम (linear spectrum) को समझाने में असफल रहा।
प्रश्न 4. बोर के परमाणु मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : बोर का परमाणु मॉडल
परमाणु के स्थायित्व को स्पष्ट करने के लिए, नील्स बोर (1913) ने परमाणु का एक सरल मॉडल प्रस्तुत किया। उसने माना कि इलेक्ट्रॉन, नाभिक के चारों ओर निश्चित कक्षाओं में (स्थिर ऊर्जा वाली) चक्कर लगाते हैं। उसने प्रतिपादित किया कि चूँकि इलेक्ट्रॉन निश्चित कक्षाओं में घूमते हैं; अतः ये विकिरण द्वारा ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करते तथा नाभिक में नहीं गिरते । परिणामत: परमाणु स्थायी होते हैं। बोर अवधारणा के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं-
(i) परमाणु तीन कणों-इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉनों से मिलकर बना है – इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित, प्रोटॉन धनावेशित तथा न्यूट्रॉन विद्युत उदासीन होते हैं। चूँकि परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या, इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है, परमाणु विद्युत उदासीन होता है।
(ii) परमाणु दो भागों में होता है – (क) नाभिक – नाभिक केन्द्रीय भाग होता है, जिसमें प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन होते हैं। यह आकार तथा घनत्व में अत्यन्त छोटा होता है। प्रोटॉनों की उपस्थिति के कारण नाभिक धनावेशित होता है।
(ख) अतिरिक्त – नाभिकीय भाग- नाभिक के चारों ओर का भाग अतिरिक्त नाभिकीय भाग कहलाता है। यह इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण ऋणावेशित होता है।
(iii) इलेक्ट्रॉन, नाभिक के चारों ओर, निश्चित वृत्ताकार पथों में तेजी से चक्कर लगाते हैं, इन वृत्तीय पथों को कक्षा या ऊर्जा स्तर या ऊर्जा को कहा जाता है— इन ऊर्जा कोशों को संख्याओं, 1, 2, 3, 4, 5 तथा 6 द्वारा अथवा अक्षरों K, L, M, N, O, P द्वारा नाभिक से बाहर की ओर निरूपित किया जाता है।
(iv) प्रत्येक ऊर्जा स्तर, ऊर्जा की एक निश्चित मात्रा से सम्बद्ध होता है – नाभिक के समीपस्थ ऊर्जा स्तर की ऊर्जा न्यूनतम तथा दूरस्थ ऊर्जास्तर की ऊर्जा अधिकतम होती है। दूसरे शब्दों में, नाभिक से दूर जाने पर कोशों की ऊर्जा बढ़ती है।
(v) इलेक्ट्रॉन अपने सम्बन्धित कोशों में, बिना ऊर्जा-परिवर्तन के चक्कर लगाते हैं, अर्थात् एक ही ऊर्जा-स्तर में चक्कर लगाने पर इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता।
(vi) ऊर्जा परिवर्तन केवल तब होता है, जबकि कोई इलेक्ट्रॉन एक ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर में कूदता है— जब इलेक्ट्रॉन ऊर्जा प्राप्त करता है (बाहर से), तब यह भिन्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर पर कूद जाता है। इसके अतिरिक्त जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर पर कूदता है तो यह ऊर्जा उत्सर्जित करता है।
प्रश्न 5. इस अध्याय में दिए गए सभी परमाणु मॉडलों की तुलना कीजिए।
उत्तर : थॉमसन परमाणु मॉडल – थॉमसन ने तरबूज के समान परमाणु मॉडल प्रस्तावित किया, जिसमें परमाणु का धनावेश, तरबूज के खाने वाले लाल भाग की भाँति, फैला हुआ है, जबकि इलेक्ट्रॉन (ऋणावेश) धनावेशित गोले में तरबूज के बीज की भाँति धँसे हैं। ऋणावे ‘तथा धनावेश परिमाण में समान होते हैं। इसलिए परमाणु विद्युतीय उदासीन होता है।
रदरफोर्ड परमाणु मॉडल – इसके अनुसार, परमाणु में धनावेशित केन्द्र, जिसे नाभिक कहते हैं, होता है, जहाँ परमाणु का सम्पूर्ण द्रव्यमान सान्द्रित रहता है। इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर स्थित रिक्त स्थान में चक्कर लगाते हैं। नाभिक का आकार, परमाणु के आकार की तुलना में अत्यन्त कम या उपेक्षणीय होता है।
बोर परमाणु मॉडल – बोर परमाणु मॉडल के अनुसार, इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉनों की विविक्त कक्षा कहते हैं। जब इलेक्ट्रॉन इन विविक्त कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं तो उनकी ऊर्जा का विकिरण नहीं होता ।
प्रश्न 6. पहले अठारह तत्वों के विभिन्न कक्षों में इलेक्ट्रॉन वितरण के नियम को लिखिए।
उत्तर : पहले अठारह तत्वों के विभिन्न कक्षों में इलेक्ट्रॉन वितरण ‘बोर – बरी योजना’ के अनुसार होता है। इस योजना के नियम निम्नलिखित हैं –
(i) परमाणु के किसी ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 2n2 हो सकती है, जहाँ n ऊर्जा स्तर की संख्या व्यक्त करता है। इस प्रकार,
(ii) बाह्यतम ऊर्जा स्तर में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं हो सकते।
(iii) बाह्यतम से पूर्व ऊर्जा स्तर में 18 इलेक्ट्रॉनों से अधिक नहीं हो सकते।
(iv) बाह्यतम से दूसरे ऊर्जा स्तर के पूर्ण होने के बाद भी अन्तिम कक्षा में दो से अधिक इलेक्ट्रॉन तभी होते हैं जबकि अन्तिम से पूर्व ऊर्जा -स्तर में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 18 हो जाती है।
(v) सबसे बाहरी ऊर्जा-स्तर से पूर्व वाले ऊर्जा-स्तर में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 18 से अधिक नहीं हो सकती, ऊर्जा-स्तर संख्या चाहे कुछ भी हो।
प्रश्न 7. सिलिकॉन और ऑक्सीजन का उदाहरण लेते हुए संयोजकता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर : परमाणु के अन्तिम कोश ( बाह्यतम कोश) में विद्यमान इलेक्ट्रॉन, संयोजी इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं। किसी परमाणु द्वारा स्थायित्व (अष्टक) प्राप्त करने के लिए त्यागे गए या प्राप्त या साझे किए गए इलेक्ट्रॉनों की संख्या, उसकी संयोजकता कहलाती है। तात्पर्य यह है कि परमाणु द्वारा अष्टक पूर्ण करने की क्रिया में संयोजी इलेक्ट्रॉनों का ही स्थानान्तरण या साझा होता है अर्थात् संयोजी इलेक्ट्रॉन ही परमाणु की संयोजकता निर्धारित करते हैं। उदाहरणार्थ – सिलिकॉन का परमाणु क्रमांक 14 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 4 होगा। इसमें 4 संयोजी इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं अर्थात् इसकी संयोजकता 4 है।
ऑक्सीजन का परमाणु क्रमांक 8 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 6 होगा। इसमें 6 संयोजी इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं। ऑक्सीजन परमाणु की प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अष्टक प्राप्त करने की होती है। अतः इसकी संयोजकता 2 है ।
प्रश्न 8. उदाहरण के साथ व्याख्या कीजिए— परमाणु संख्या, द्रव्यमान संख्या, समस्थानिक और समभारिक । समस्थानिकों के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर : परमाणु संख्या- किसी तत्व के एक परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या, उस तत्व की परमाणु संख्या कहलाती है। उदासीन परमाणु की स्थिति में इलेक्ट्रॉनों की संख्या को भी परमाणु संख्या माना जा सकता है। इस प्रकार
परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या
उदाहरणार्थ- हाइड्रोजन परमाणु में 1 प्रोटॉन उपस्थित होता है; अतः इसकी परमाणु संख्या 1 होगी 1
द्रव्यमान संख्या- किसी तत्व के एक परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्याओं का योग, उस तत्व की द्रव्यमान संख्या कहलाता है। इस प्रकार,
द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
उदाहरणार्थ- हीलियम परमाणु में दो प्रोटॉन तथा दो न्यूट्रॉन होते हैं; अतः इसकी द्रव्यमान संख्या 4 (2 + 2) होगी।
समस्थानिक—एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान, परन्तु द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ – क्लोरीन के दो समस्थानिक 17Cl35 तथा 17Cl37 हैं।
समभारिक — भिन्न-भिन्न परमाणु संख्या वाले तत्वों को जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है, समभारिक कहा जाता है।
उदाहरणार्थ, 36Kr86 समस्थानिकों के उपयोग तथा 38Sr86 समभारिक हैं।
समस्थानिकों के उपयोग
(1) कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक Co-60 का प्रयोग किया जाता है।
(2) घेंघा रोग के उपचार में I-131 समस्थानिक का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 9. Na+ के पूरी तरह से भरे हुए K व L कोश होते हैं- व्याख्या कीजिए ।
उत्तर : सोडियम (Na) का परमाणु क्रमांक 11 है; अतः इसका ‘इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है। M- कोश के इलेक्ट्रॉन निकल जाने के उपरान्त सोडियम आयन (Na+) प्राप्त होता है जिसके K कोश में 2 तथा L कौश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं तथा M-कोश विलुप्त हो जाता है। शेष दोनों कोशों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, इन कोशों में होने वाली इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या के बराबर है अर्थात् K तथा L कोश पूर्णतः भरे हुए हैं।
प्रश्न 10. अगर ब्रोमीन परमाणु दो समस्थानिकों [35Br79 (49.7%) तथा 35Br81 (50.3%)] के रूप में है तो ब्रोमीन परमाणु के औसत परमाणु द्रव्यमान की गणना कीजिए ।
हल : ब्रोमीन परमाणु का औसत परमाणु द्रव्यमान
प्रश्न 11. एक तत्व का परमाणु द्रव्यमान 16.2 u है तो इसके किसी एक नमूने में समस्थानिक 8X16 और 8X18 का प्रतिशत क्या होगा?
अतः नमूने में, 8X16 की प्रतिशतता 90% तथा 8X16 की प्रतिशतता 10% होगी।
प्रश्न 12. यदि तत्व का Z = 3 हो तो तत्व की संयोजकता क्या होगी ? तत्व का नाम भी लिखिए।
उत्तर : Z = 3 वाले तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 1 होगा अर्थात् स्थायी विन्यास प्राप्त करने के लिए यह अपने बाह्यतम कोश में स्थित एक इलेक्ट्रॉन को त्याग सकता है। अतः इसकी संयोजकता 1 होगी। तत्व का नाम लीथियम (Li) है।
प्रश्न 13. दो परमाणु स्पीशीज के केन्द्रकों का संघटन नीचे दिया गया है-
 X               Y
प्रोटॉन 6               6
न्यूट्रॉन 6               8
X और Y की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए। इन दोनों स्पीशीज में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर : द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
X की द्रव्यमान संख्या = 6 + 6 = 12
Y की द्रव्यमान संख्या = 6 + 8 = 14
X का परमाणु क्रमांक = 6 = Y का परमाणु क्रमांक
चूँकि दोनों परमाणु स्पीशीज की परमाणु संख्या समान तथा द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न हैं; अतः ये समस्थानिक होंगे। X तथा Y दोनों कार्बन के समस्थानिक 6C12 तथा 6C16 हैं।
प्रश्न 14. निम्नलिखित वक्तव्यों में गलत के लिए F और सही के लिए T लिखिए ।
(a) जे०जे० थॉमसन ने यह प्रस्तावित किया था कि परमाणु के केन्द्रक में केवल न्यूक्लिऑन्स होते हैं।
(b) एक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर न्यूट्रॉन का निर्माण करते हैं, इसलिए यह अनावेशित होता है।
(c) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से लगभग 1/2000 गुना होता है।
(d) आयोडीन के समस्थानिक का इस्तेमाल टिंक्चर आयोडीन बनाने में होता है। इसका उपयोग दवा के रूप में होता है।
उत्तर : (a) F, (b) F, (c) T, (d) F
प्रश्न संख्या 15, 16, 17 और 18 में सही के सामने (√) का चिह्न और गलत के सामने (×) का चिह्न लगाइए।
प्रश्न 15. रदरफोर्ड का अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग किसकी खोज के लिए उत्तरदायी था-
(a) परमाणु केन्द्रक (√)
(b) इलेक्ट्रॉन (×)
(c) प्रोटॉन (×)
(d) न्यूट्रॉन (×)
प्रश्न 16. एक तत्व के समस्थानिक में होते हैं-
(a) समान भौतिक गुण (×)
(b) भिन्न रासायनिक गुण (×)
(c) न्यूट्रॉनों की अलग-अलग संख्या (√)
(d) भिन्न परमाणु संख्या (×)
प्रश्न 17. Cl आयन में संयोजकता- इलेक्ट्रॉनों की संख्या है—
(a) 16 (×)
(b) 8 (√)
(c) 17 (×)
(d) 18 (×)
प्रश्न 18. सोडियम का सही इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित में कौन-सा है—
(a) 2, 8 (×)
(b) 8, 2, 1 (×)
(c) 2, 1, 8 (×)
(d) 2, 8, 1 (√)
प्रश्न 19. निम्नलिखित सारणी को पूरा कीजिए –
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कैथोड किरणों की खोज किस प्रकार हुई ? कैथोड किरणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : कैथोड किरणों की खोज
सन् 1879 में विलियम क्रुक्स ने अल्प- दाब पर गैसों में विद्युत चालन का अध्ययन किया। उसने विसर्जन नलिका में एक प्रयोग किया । यह विसर्जन नलिका कठोर काँच की बनी एक बेलनाकार नली होती है जिसकी लम्बाई 60 सेमी है। इसके दोनों सिरे बन्द होते हैं तथा इसमें धातु के दो पतले टुकड़े (जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते हैं) लगाए हुए होते हैं (चित्र-4)। इलेक्ट्रोडों को उच्च-वोल्टता के स्रोत से जोड़ दिया जाता है, जबकि नलिका को एक निर्वात पम्प से जोड़ा जाता है जिसके द्वारा नलिका में दाब कम किया जा सकता है। विसर्जन नली में अल्प दाब पर गैस भरकर उच्च विभव पर निम्नलिखित प्रेक्षण प्राप्त किए जाते हैं-
(i) जब नलिका में दाब घटाकर 10–2 वायुमण्डल कर दिया जाता है तो गैस प्रकाश उत्सर्जित करने लगती है। प्रकाश का रंग गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है।
(ii) जब दाब घटाकर 10–4 वायुमण्डल कर दिया जाता है तो प्रकाश का उत्सर्जन रुक जाता है, परन्तु विसर्जन नली में कैथोड के विपरीत दिशा में स्थित दीवार पर चमक उत्पन्न हो जाती है, इसे प्रतिदीप्ति (fluorescence) कहते हैं।
उपर्युक्त नलिका में ऋणात्मक इलेक्ट्रोड (कैथोड) से धनात्मक इलेक्ट्रोड (ऐनोड) की ओर प्रवाहित अदृश्य किरणों (विद्युत) को कैथोड किरणें अथवा कैथोड किरण कण कहा गया।
कैथोड किरणों के गुण
गैसों में विद्युत के चालन से सम्बन्धित विभिन्न प्रयोगों से, जिन्हें मुख्यत: थॉमसन ने किया था, कैथोड किरणों की कण- प्रकृति का आभास मिला। कैथोड किरणों के महत्त्वपूर्ण गुणों का अध्ययन जे०जे० थॉमसन तथा उनके सहयोगियों द्वारा कुछ विशेष प्रयोगों आधार पर किया गया। ये महत्त्वपूर्ण गुण निम्नवत् हैं-
  1. कैथोड किरणें कैथोड से आरम्भ होकर सीधी रेखाओं में चलती हैं और अपने मार्ग में रखी हुई अपारदर्शी वस्तुओं की छाया उत्पन्न करती हैं।
  2. कैथोड किरणें अपने मार्ग में रखे हुए पैडल से जुड़े एक छोटे-से पहिये में यान्त्रिक गति उत्पन्न कर देती हैं जिससे सिद्ध होता है कि वे द्रव्यात्मक कणों से मिलकर बनी हैं।
  3. कैथोड किरणें विसर्जन नलिका की दीवारों से टकराने पर प्रतिदीप्ति (fluorescence) उत्पन्न करती हैं।
  4. कैथोड किरणें धातु की पतली पन्नी में तापदीप्ति उत्पन्न करती हैं। इस प्रकार कैथोड किरणों के पथ पर रखी धातु की पतली पन्नी गर्म हो जाती है। इसका कारण यह है कि कैथोड किरणों की गतिज ऊर्जा, ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है।
  5. कैथोड किरणें उच्च गलनांक की किसी धातु से टकराकर एक्स-किरणें (X-rays) उत्पन्न करती हैं।
  6. कैथोड किरणें अपने ऋजु पथ से विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों द्वारा विक्षेपित हो जाती हैं। विद्युत क्षेत्र में, ये धन- आवेशित प्लेट की ओर मुड़ती हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि ये अत्यन्त सूक्ष्म, ऋणावेशित कणों की धारा हैं।
  7. कैथोड किरणों पर स्थित ऋण आवेश का निर्धारण करने पर ज्ञात हुआ कि ये विद्युत आवेश का सूक्ष्मतम ज्ञात परिमाण हैं। अत: कैथोड किरणों के एकल-कण को इलेक्ट्रॉन नाम दिया गया। मिलिकन (Milikan) ने सन् 1909 में निर्धारित किया कि इलेक्ट्रॉन पर विद्यमान विशिष्ट ऋण आवेश का मान 4.803 × 10–10 स्थिरं विद्युत यूनिट (esu) या 1.602 × 10–19 कूलॉम है।
  8. कैथोड किरणें ऋणावेशित कणों से मिलकर बनी होती हैं। इन ऋणावेशित कणों को इलेक्ट्रॉन कहते हैं। इलेक्ट्रॉन का भार हाइड्रोजन के परमाणु के भार का लगभग 1/1837 वाँ अंश होता है। इसका द्रव्यमान ग्राम स्केल पर 9.1095 × 10–28 ग्राम तथा परमाणु द्रव्यमान स्केल (amu) पर 0.000548 amu होता है।
  9. कैथोड से उत्सर्जित कणों के आवेश, द्रव्यमान एवं उनकी संख्या पर, प्रयुक्त इलेक्ट्रोड के पदार्थ तथा प्रयुक्त गैस की प्रकृति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथापि, अनुप्रयुक्त क्षेत्र की तीव्रता बढ़ाने से कैथोड किरणों के कणों का वेग बढ़ जाता है।
प्रश्न 2. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के प्रमुख गुणों का उल्लेख करते हुए प्रत्येक की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर : इलेक्ट्रॉन के प्रमुख गुण
इलेक्ट्रॉन के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(1) इलेक्ट्रॉन परमाणु का सबसे हल्का मौलिक कण है। इसे e या –1e0 से प्रदर्शित करते हैं।
(2) इलेक्ट्रॉन अत्यन्त सूक्ष्म कण होते हैं, जिनकी त्रिज्या 1.8 × 10–13 सेमी होती है।
(3) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान (m) तथा विद्युत आवेश (e) का अनुपात सदैव स्थिर रहता है।
(4) विद्युत आवेशित द्रव्यकण होने के कारण इलेक्ट्रॉन में द्रव्यमान तथा आवेश होता है।
प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात हुआ है कि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 × 10–28 ग्राम है जो कि हाइड्रोजन के एक परमाणु के द्रव्यमान का 1/1837 वाँ भाग है। इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश का परिमाण –1.602 × 10–19 कूलॉम या – 4.808 × 10–10 esu होता है।
(5) द्रव्यों में विद्युत प्रवाह इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है।
(6) तत्वों के गुण एवं रासायनिक संयोग सामान्यतः परमाणुओं के बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रॉनों पर निर्भर करते हैं।

अतः इलेक्ट्रॉन सभी परमाणुओं में उपस्थित सूक्ष्मतम मौलिक कण है जिस पर इकाई ऋण विद्युत आवेश होता है तथा जिसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग 1/1837 वाँ भाग होता है।

प्रोटॉन के प्रमुख गुण
प्रोटॉन के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(1) प्रोटॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन के एक परमाणु के द्रव्यमान के बराबर होता है। (द्रव्यमान = 1.672 × 10–24 ग्राम ) । परमाणु द्रव्यमान इकाई (amu) में प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.0072 amu होता है।
(2) प्रोटॉन पर आवेश, इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर अर्थात् + 1.602 × 10–19 कूलॉम (या + 4.808 × 1010 esu), परन्तु विपरीत होता है।
(3) प्रोटॉन प्रत्येक परमाणु के नाभिक का धनावेशित मौलिक कण हैइस पर इकाई धन आवेश होता है।
(4) इसे 1H1 अथवा 1p1 से प्रदर्शित किया जाता है।
(5) प्रोटॉन की त्रिज्या लगभग 10–13 सेमी होती है।
(6) विभिन्न गैसों से प्राप्त धन किरणों में हाइड्रोजन गैस से प्राप्त धन किरणों के लिए आवेश व द्रव्यमान का अनुपात (e/m) सर्वाधिक होता है। प्रयोगों से ज्ञात हाइड्रोजन गैस की धन किरणों के धनावेशित कण (H+) के लिए e/m = 9.58 × 107 कूलॉम/किग्रा है।
अत: प्रोटॉन, परमाणु का वह सूक्ष्मतम कण है जिस पर इकाई धन विद्युत आवेश होता है और जिसका द्रव्यमान हाइड्रोजन के परमाणु द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।
न्यूट्रॉन के प्रमुख गुण
न्यूट्रॉन के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(1) न्यूट्रॉन उदासीन अथवा विद्युत आवेशरहित कण है। इसे 0n1 संकेत से प्रदर्शित करते हैं।
(2) न्यूट्रॉन की त्रिज्या 10–13 सेमी होती है।
(3) न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.6748 × 10–27 किग्रा या परमाणु द्रव्यमान इकाई में 1.00893 amu होता है जो प्रोटॉन से कुछ अधिक होता है।
(4) नाभिकीय अभिक्रियाओं से ज्ञात हुआ है कि सभी तत्वों के परमाणुओं में (हाइड्रोजन को छोड़कर) न्यूट्रॉन होते हैं।
(5) न्यूट्रॉन की वेधन क्षमता भी अत्यधिक है, परन्तु कॉस्मिक किरणों से कम है।
(6) स्वतन्त्र न्यूट्रॉन का क्षय प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन में होता है तथा ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
अत: न्यूट्रॉन परमाणु का वह सूक्ष्म एवं उदासीन मूल कण है जिसका द्रव्यमान, प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।
प्रश्न 3. रदरफोर्ड द्वारा प्रस्तावित नाभिकीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए। यह सिद्धान्त थॉमसन के परमाणु मॉडल से किस प्रकार भिन्न था?
अथवा रदरफोर्ड के नाभिकीय मॉडल की विवेचना कीजिए।
उत्तर : रदरफोर्ड का नाभिकीय सिद्धान्त
विभिन्न तत्वों के परमाणुओं पर तीव्रगामी a-कणों की बमबारी के प्रयोग से प्राप्त प्रेक्षणों के आधार पर रदरफोर्ड ने निम्नलिखित सिद्धान्त दिया, जिसे परमाणु संरचना का नाभिकीय सिद्धान्त कहते हैं—
(1) परमाणु अति सूक्ष्म, गोलाकार, विद्युत – उदासीन कण है। यह धनावेशित नाभिक के चारों ओर विशाल त्रिविम आकाश में गतिशील इलेक्ट्रॉनों का एक समूह होता है ।
(2) परमाणु का केन्द्रीय भाग; जिसमें परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान निहित होता है, नाभिक कहलाता है।
(3) नाभिक पर कुल केन्द्रित धनावेश, इलेक्ट्रॉनों के कुल ऋणावेश के बराबर होता है, जिससे परमाणु में विद्युत आवेशों का सन्तुलन बना रहता है तथा वह उदासीन रहता है।
(4) नाभिक की त्रिज्या 10–12 सेमी और परमाणु की त्रिज्या 10–8 सेमी होती है। स्पष्ट है कि परमाणु की त्रिज्या नाभिक की त्रिज्या से लगभग 10,000 गुना अधिक होती है।
(5) परमाणु के ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन इसके धनावेशित नाभिक के बीच चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं।
(6) परमाणु के नाभिक में स्थित धनावेशित कणों की संख्या उसके । ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है; अत: परमाणु विद्युत – उदासीन होता है।
(7) नाभिक तथा उसके चारों ओर भ्रमण कर रहे इलेक्ट्रॉन के बीच परस्पर स्थिर विद्युत आकर्षण होने के बाद भी इलेक्ट्रॉन तीव्र गति से भ्रमण करते रहते हैं और नाभिक में नहीं गिरते; क्योंकि इन इलेक्ट्रॉनों के परिक्रमण से उत्पन्न अपकेन्द्री बल नाभिक के स्थिर – विद्युत आकर्षण बल को सन्तुलित कर देता है।
रदरफोर्ड के उपर्युक्त मॉडल को परमाणु का नाभिकीय मॉडल (nuclear model) कहा गया। इस मॉडल को सौर (solar) या ग्रहीय (planetary) मॉडल भी कहते हैं; क्योंकि इस मॉडल में यह कल्पना की ई है कि जिस प्रकार सूर्य के चारों ओर ग्रह परिक्रमा करते हैं, उसी प्रकार नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते रहते हैं।
जे०जे० थॉमसन के परमाणु मॉडल से भिन्नता
जे०जे० थॉमसन के द्वारा प्रस्तावित मॉडल में इलेक्ट्रॉन को समान रूप से सम्पूर्ण क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया है। परमाणु का आकार 10–10 मीटर या 1Â बताया गया है।
प्रश्न 4. रदरफोर्ड के नाभिकीय सिद्धान्त की कमियाँ लिखिए । नील्स बोर ने इस सिद्धान्त की कमियों को कैसे दूर किया? 
उत्तर : रदरफोर्ड के नाभिकीय
सिद्धान्त की कमियाँ
रदरफोर्ड के नाभिकीय सिद्धान्त की प्रमुख कमियों का विवरण निम्नवत् है—
(1) विद्युत – गतिकी के नियमानुसार, नाभिक के चारों ओर जब कोई आवेशित कण एक वृत्ताकार मार्ग पर गति करता है तो वह ऊर्जा उत्सर्जित करता है; अतः वृत्ताकार कक्ष में गतिमान इलेक्ट्रॉन विद्युत-चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित करेगा। इस कारण इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा कम होती जाएगी, जिसके कारण इलेक्ट्रॉन कक्षा की त्रिज्या भी धीरे-धीरे छोटी होती जाएगी। अन्त में ऐसी स्थिति आ जाएगी कि इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिर जाएगा। इस प्रकार रदरफोर्ड का परमाण्वीय मॉडल, परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका।
(2) रदरफोर्ड के परमाणु प्रतिमान में नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन की स्थिति तथा संख्या निश्चित नहीं थी ।
बोर का परमाणु मॉडल
डेनिश वैज्ञानिक नील्स बोर ने सन् 1913 में रदरफोर्ड द्वारा प्रस्तुत नाभिकीय मॉडल की कमियों को दूर किया। उन्होंने रदरफोर्ड के नाभिकीय सिद्धान्त पर यह दोष लगाया कि ऊर्जा उत्सर्जन के कारण इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा छोटी करती जाएँगे तथा अन्त में नाभिक में पहुँचकर अपना अस्तित्व नष्ट कर देंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि-
(1) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर स्थिर (fixed) या अचर (stationary ) कक्षाओं मैं घूमते हैं।
(2) प्रत्येक कक्षा की ऊर्जा की मात्रा निश्चित होती है, इसलिए इसको अचर अवस्था (stationary state) या ऊर्जा स्तर ( energy level) अथवा स्थायी कक्षा (stable orbit) कहते हैं।
स्थायी कक्षाओं को क्रम से n = 1, 2, 3, 4, …. आदि पूर्ण संख्याओं द्वारा या K, L, M, N आदि अक्षरों द्वारा प्रदर्शित करते हैं। नाभिक के निकटतम जो स्थायी कक्षा होती है, उसके लिए n = 1 होता है, इस कक्षा को K कक्षा या K कोश भी कहते हैं।
(3) एक इलेक्ट्रॉन, जो किसी निश्चित कक्षा या ऊर्जा स्तर में घूमता है, वह बिना ऊर्जा खोए उसी कक्षा में घूम सकता है, परन्तु जब वह एक ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर पर कूदता है, तो ऊर्जा विकिरित होती है।
प्रश्न 5. संयोजकता को परिभाषित कीजिए। यह परमाणु संरचना से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर : संयोजकता
किसी तत्व की अन्य तत्वों के साथ संयुक्त होने की क्षमता उसकी संयोजकता कहलाती है।
विभिन्न तत्वों के हाइड्रोजन के साथ बने यौगिकों के विश्लेषण से पता चलता है कि हाइड्रोजन के एक परमाणु के साथ किसी भी तत्व का एक-से-अधिक परमाणु संयोग नहीं करता है; अतः हाइड्रोजन की संयोजन क्षमता अथवा संयोजकता को इकाई माना गया है। इस प्रकार किसी तत्व का एक परमाणु हाइड्रोजन के जितने परमाणुओं से संयोग करता है, वह उस तत्व की संयोजकता कहलाती है।
किसी परमाणु के बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों को संयोजकता इलेक्ट्रॉन कहते हैं। संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या परमाणु की संयोजकता को निर्धारित करती है। जैसे—H, Li, Na तथा K की संयोजकता 1 है; क्योंकि इनके बाह्यतम कक्ष में 1 इलेक्ट्रॉन है।
परमाणु संरचना तथा संयोजकता में सम्बन्ध-संयोजकता किसी परमाणु की संरचना को प्रकट करती है; जैसे – सोडियम (Na) की परमाणु संख्या 11 है। इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2, 8, 1) में सबसे बाहरी कक्ष में 1 इलेक्ट्रॉन है, इसीलिए उसकी संयोजकता 1 है।
किसी भी तत्व के रासायनिक गुण उसके बाह्यतम कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर ही निर्भर करते हैं। यदि किसी परमाणु का बाह्यतम कक्ष पूर्ण रूप से भरा हुआ हो तो उस तत्व की संयोजकता शून्य होती है और वह निष्क्रिय होता है।
प्रश्न 6. समस्थानिकों के मुख्य अनुप्रयोग क्या-क्या हैं?
उत्तर : समस्थानिकों के प्रमुख अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-
  1. किसी तत्व में समस्थानिकों की आपेक्षिक सान्द्रता (relative concentration) स्थिर होती है। पुरातत्ववेत्ता किसी पदार्थ के समस्थानिकों के आपेक्षिक बाहुल्य ( relative abundance) के निर्धारण द्वारा प्राचीन समय के पौधों अथवा उत्खनन (excavation) से प्राप्त जानवरों और मानवों के कंकालों के काल निर्धारण करते हैं।
  2. यूरेनियम के समस्थानिकों का प्रयोग परमाणु विखण्डन में किया जाता है जिससे अपार मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
  3. समस्थानिकों का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है।
  4. समस्थानिकों से विभिन्न प्रकार के विस्फोटक तैयार किए जाते हैं।
  5. समस्थानिकों से चट्टानों की आयु का पता लगाया जा सकता है।
  6. कैंसर जैसी घातक बीमारी के चिकित्सीय इलाज में मुख्य रूप से रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों का प्रयोग किया जाता है। इसमें मुख्यतः कोबाल्ट समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 60 ) का उपयोग किया जाता है। यह समस्थानिक गामा किरणें उत्सर्जित करता है, जो कैंसर से पीड़ित रोगी की दुर्दम कोशिकाओं को नष्ट कर रोगी को स्वस्थ बनाने में सहायता करती हैं।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कैथोड किरणों और कैनाल किरणों की मुख्य विभिन्नताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर :    कैथोड किरणों और
कैनाल किरणों में अन्तर
क्र०सं० कैथोड किरणें कैनाल किरणें
1. कैथोड किरणें कैथोड से उत्पन्न होती हैं। कैनाल किरणें ऐनोड से उत्पन्न होती हैं।
2. इन पर ऋण आवेश होता है। इन पर धन आवेश होता है।
3. ये सूत्र (β) बीटा के द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं। ये सूत्र (α) के द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं।
4. इनका द्रव्यमान शून्य होता है। इनका द्रव्यमान 4 amu होता है।
5. इनकी वेधन-शक्ति अधिक होती है। इनकी वेधन-शक्ति कम होती है।
6. इनका e/m अनुपात प्रयुक्त गैस पर निर्भर नहीं करता । इनका e/m अनुपात प्रयुक्त गैस पर निर्भर करता है।
7. इनकी आयनीकरण क्षमता कम होती है। इनकी आयनीकरण क्षमता अधिक होती है।
8. इनका वेग 1% से 90% तक प्रकाश के वेग के समान होता है। इनका वेग प्रकाश के वेग का 1.4 × 109 से 1.7 × 109 सेमी होता है।
प्रश्न 2. न्यूट्रॉन की खोज ने परमाणु संरचना की कौन-सी समस्या का समाधान किया?
उत्तर : न्यूट्रॉन की खोज से निष्कर्ष निकला कि परमाणु का नाभिक न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों से मिलकर बनता है। इससे नाभिक के आवेश तथा द्रव्यमान को स्पष्ट समझने में सहायता मिली।
न्यूट्रॉन की खोज से आवर्त सारणी में समस्थानिकों की समस्या का भी समाधान हो गया।
प्रश्न 3. न्यूट्रॉन के अस्तित्व को किसने प्रस्तावित किया? इस पूर्वधारणा का क्या आधार था ?
उत्तर : रदरफोर्ड ने सबसे पहले न्यूट्रॉन के अस्तित्व का विचार प्रकट किया था। सन् 1920 ई० में रदरफोर्ड ने प्रस्तावित किया कि नाभिक के अन्दर इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन उच्च स्थिर विद्युत आकर्षण के कारण इतने निकट होते हैं कि दोनों को मिलाकर एक कंण के रूप में ही माना जा सकता है। इस कण पर कुल आवेश शून्य होगा । उसने इस कण को न्यूट्रॉन का नाम दिया। इसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के समान अपेक्षित था। इसी संकल्पना ने आधुनिक विज्ञान की अनेक महत्त्वपूर्ण समस्याओं को हल कर दिया।
प्रश्न 4. न्यूट्रॉन के महत्त्वपूर्ण गुणधर्म क्या हैं? 
उत्तर : न्यूट्रॉन के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(1) न्यूट्रॉन उदासीन अथवा विद्युत आवेश रहित कण है। इसे 0n1 संकेत से प्रदर्शित करते हैं।
(2) न्यूट्रॉन की त्रिज्या 10–13 सेमी होती है।
(3) न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.6748 × 10–27 किग्रा या परमाणु द्रव्यमान इकाई में 1.00893 amu होता है जो प्रोटॉन से कुछ अधिक होता है।
(4) नाभिकीय अभिक्रियाओं से ज्ञात हुआ है कि सभी तत्वों के परमाणुओं में (हाइड्रोजन को छोड़कर) न्यूट्रॉन होते हैं।
(5) न्यूट्रॉन की वेधन क्षमता भी अत्यधिक है, परन्तु कॉस्मिक किरणों से कम है।
(6) स्वतन्त्र न्यूट्रॉन का क्षय प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन में होता है तथा ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
प्रश्न 5. थॉमसन के परमाणु मॉडल के क्या अभिलाक्षणिक गुणधर्म हैं?
उत्तर : थॉमसन के परमाणु मॉडल के मुख्य अभिलाक्षणिक गुण निम्नलिखित है-
(i) परमाणु के पूरे आयतन इलेक्ट्रॉन समान रूप से फैले हुए हैं।
(ii) परमाणु का द्रव्यमान समान रूप से पूरे क्षेत्र में फैला हुआ है।
(iii) परमाणु का आकार स्वतन्त्र रूप से 10-10 मीटर या 1Å के ‘बराबर होता है।
प्रश्न 6. परमाणु के नाभिक की खोज किसने व कैसे की ?
उत्तर : परमाणु के नाभिक की खोज सन् 1911 में रदरफोर्ड ने की। इसके लिए उसने एक प्रयोग किया जो रदरफोर्ड का प्रकीर्णन प्रयोग कहलाता है।
रदरफोर्ड का प्रकीर्णन प्रयोग – रदरफोर्ड ( 1911 ई०) ने परमाणु की आन्तरिक संरचना की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने हेतु स्वर्ण धातु की पतली पन्नी (0.0004 सेमी मोटी ) पर ऐल्फा- कणों की बमबारी का प्रयोग किया। इस प्रयोग में रदरफोर्ड ने स्वर्ण धातु की पन्नी को रेडियोऐक्टिव तत्व पोलोनियम से निकलने वाले x (ऐल्फा) कणों एवं जिंक सल्फाइड के प्रतिदीप्तिशील पर्दे के बीच में रखा तथा एक माइक्रोस्कोप के द्वारा ऐल्फा कणों के पर्दे पर गिरने से विभिन्न स्थानों पर उत्पन्न चमक की जाँच की। इस प्रयोग से उन्होंने निम्नलिखित प्रेक्षण प्राप्त किए-
(i) परमाणु के अन्दर अधिकांश स्थान रिक्त है – अधिकतर a – कण धातु की पन्नी से पार होकर सीधी रेखा में चले गए। इससे यह सिद्ध होता है कि परमाणु में अधिकांश स्थान खाली या रिक्त है।
(ii) परमाणु में धनावेशित भाग है— कुछ ऐल्फा किरणें धातु की पन्नी से टकराकर विक्षेपित हो जाती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि परमाणु के केन्द्र में एक धनावेशित भाग है, जो कि अति सूक्ष्म स्थान घेरे हुए है। परमाणु के इस केन्द्रीय भाग को, जिसमें परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान संकेन्द्रित होता है, नाभिक (nucleus) कहते हैं।
प्रश्न 7. परमाणु नाभिक के आवश्यक गुणधर्म की व्याख्या कीजिए। इन गुणधर्मों की इलेक्ट्रॉन के गुणधर्मों से तुलना कीजिए ।
उत्तर : परमाणु नाभिक के गुणधर्म
(1) परमाणु नाभिक धनावेश युक्त होता है।
(2) परमाणु का सम्पूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में ही स्थित होता है।
(3) परमाणु नाभिक की त्रिज्या 10-13 से 10-12 सेमी होती है, जबकि सम्पूर्ण परमाणु की त्रिज्या लगभग 10-8 सेमी होती है; अतः परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है।
परमाणु नाभिक के गुणधर्मों की इलेक्ट्रॉनों के गुणधर्मों से तुलना
(1) इलेक्ट्रॉनों पर ऋणावेश होता है, जबकि परमाणु नाभिक पर धनावेश होता है।
(2) इलेक्ट्रॉन केन्द्रक के चारों ओर घूमते रहते हैं, जबकि नाभिक परमाणु के केन्द्रीय भाग में स्थित होता है।
(3) नाभिक का द्रव्यमान हीलियम परमाणु के बराबर होता है, जबकि इलेक्ट्रॉन हाइड्रोजन परमाणु के 1/1837 भाग के बराबर होता है।
प्रश्न 8. परमाणु के विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या सीमित होती है या असीमित ? कृपया उदाहरण सहित विस्तार से समझाइए |
उत्तर : परमाणु के विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या सीमित ( निश्चित) होती है। विभिन्न कक्षों में विभिन्न स्तरों पर इलेक्ट्रॉनों का वितरण क्वाण्टम समीकरण के आधार पर किया जाता है जो 2n2 से निर्दिष्ट होता है। इसमें n मुख्य क्वाण्टम संख्या है; जैसे—
इलेक्ट्रॉनों का उपर्युक्त विन्यास बोर – बरी योजना के द्वारा दिया गया था। इसके अनुसार परमाणु के बाह्यतम कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं रह सकते और बाह्यतम कोश से पहले कोश में 18 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं रह सकते।
प्रश्न 9. बोर का परमाणु संरचना सम्बन्धी विचार क्या था ?
उत्तर : बोर का परमाणु संरचना सम्बन्धी विचार निम्नलिखित है-
(1) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर स्थिर या अचर कक्षाओं में घूमते हैं।
(2) प्रत्येक कक्षा की ऊर्जा की मात्रा निश्चित होती है, इसलिए इसको अचर अवस्था या ऊर्जा स्तर अथवा स्थायी कक्षा (stable orbit) कहते हैं।
स्थायी कक्षाओं को क्रम से n = 1, 2, 3, 4 ……. आदि पूर्ण संख्याओं द्वारा या K, L, M, N आदि अक्षरों द्वारा प्रदर्शित करते हैं। नाभिक के निकटतम जो स्थायी कक्षा होती है, उसके लिए n = 1 होता है, इस कक्षा को K – कक्षा या K-कोश भी कहते हैं।
(3) एक इलेक्ट्रॉन, जो किसी निश्चित कक्षा या ऊर्जा स्तर में घूमता है, वह बिना ऊर्जा खोए उसी कक्षा में घूम सकता है, परन्तु जब वह एक ऊर्जा स्तर से दूसरे पर कूदता है तो ऊर्जा उत्सर्जन केवल क्वाण्टा में होता है।
बोर के विचार का समर्थन प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त द्वारा किया गया। इस सिद्धान्त के अनुसार, ऊर्जा क्वाण्टम में चलती है।
प्रश्न 10. निम्नलिखित परमाणुओं की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में क्या-क्या समानताएँ हैं?
लीथियम, सोडियम, पोटैशियम; हीलियम,
निऑन, आर्गन; बेरिलियम, मैग्नीशियम और कैल्सियम ।
उत्तर : उपर्युक्त परमाणुओं की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ इनमें इलेक्ट्रॉनों के वितरण के आधार पर ज्ञात की जा सकती हैं-
लीथियम, सोडियम, पोटैशियम की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ
तत्व                 परमाणु संख्या       इलेक्ट्रॉनों का वितरण
K L M .N
लीथियम (Li)              3                          2, 1
सोडियम (Na)            11                         2, 8, 1
पोटैशियम (K)             19                       2, 8, 8, 1
इन सभी तत्वों के परमाणु के बाह्यतम कक्ष में 1 इलेक्ट्रॉन है, इसीलिए इनकी संयोजकता भी 1 है।
हीलियम, निऑन, आर्गन की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ
तत्व                 परमाणु संख्या       इलेक्ट्रॉनों का वितरण
K L M .N
हीलियम (He)             2                         2
निऑन (Ne)               10                        2, 8
आर्गन (Ar)                 18                        2, 8, 8
इन सभी तत्वों के परमाणु के बाह्यतम कक्ष पूर्ण हैं, इसीलिए इनकी संयोजकता शून्य है अर्थात् ये तत्व निष्क्रिय हैं।
बेरिलियम, मैग्नीशियम, कैल्सियम की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं में समानताएँ
तत्व                 परमाणु संख्या       इलेक्ट्रॉनों का वितरण
K L M .N
बेरिलियम (Be)           4                         2, 2
मैग्नीशियम (Mg)         12                       2, 8, 2
कैल्सियम (Ca)            20                      2, 8, 8, 2
इन सभी तत्वों के बाह्यतम कक्ष में 2 इलेक्ट्रॉन हैं, इसीलिए इनकी संयोजकता 2 है।
प्रश्न 11. निम्नलिखित परमाणुओं के विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉनों के वितरण का वर्णन कीजिए-
लीथियम, नाइट्रोजन, निऑन, मैग्नीशियम और सिलिकन ।
उत्तर :
प्रश्न 12. द्रव्यमान संख्या को परिभाषित कीजिए। द्रव्यमान संख्या परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर : द्रव्यमान संख्या- परमाणु के नाभिक में उपस्थित कुल प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या उसकी द्रव्यमान संख्या कहलाती है अर्थात् किसी तत्व की द्रव्यमान संख्या उसमें उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या के योग के बराबर होती है।
अतः द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या।
प्रश्न 13. एक छात्र का वजन 30 किलोग्राम है। मान लो उसका पूरा शरीर इलेक्ट्रॉनों द्वारा बना है तो उसके शरीर में कितने इलेक्ट्रॉन होंगे? इस इलेक्ट्रॉन की संख्या की भारत की जनसंख्या से तुलना कीजिए।
प्रश्न 14. मैग्नीशियम की द्रव्यमान संख्या 24 तथा परमाणु क्रमांक 12 है, इसके नाभिक में न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल : प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु क्रमांक = 12
न्यूटॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या – प्रोटॉनों की संख्या = 24 – 12 = 12
प्रश्न 15. क्लोरीन का परमाणु क्रमांक 17 तथा द्रव्यमान संख्या 35 है। क्लोरीन के एक परमाणु में प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल : प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु क्रमांक = 17
न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या प्रोटॉनों की संख्या = 35 – 17 = 18
प्रश्न 16. सोडियम के परमाणु के अन्दर पाए जाने वाले न्यूट्रॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए।
हल: सोडियम का परमाणु क्रमांक 11 तथा द्रव्यमान संख्या 23 है।
अत: सोडियम में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = परमाणु क्रमांक = 11 सोडियम में न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या – प्रोटॉनों की संख्या = 23 – 11 = 12
प्रश्न 17. एक परमाणु द्रव्यमान के नाभिक में 10 प्रोटॉन तथा 10 न्यूट्रॉन हैं। इस परमाणु में कुल कितने इलेक्ट्रॉन हैं?
हल: परमाणु में कुल इलेक्ट्रॉन = प्रोटॉनों की संख्या = 10
प्रश्न 18. एक तत्व का परमाणु क्रमांक 19 तथा द्रव्यमान संख्या 39 है। इसके नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए ।
हल : तत्व का परमाणु क्रमांक = प्रोटॉनों की संख्या = 19,
तत्व की द्रव्यमान संख्या = 39
न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या प्रोटॉनों की संख्या = 39 – 19 = 20
प्रश्न 19. एक तत्व का परमाणु द्रव्यमान 27 है। इस तत्व के नाभिक में 14 न्यूट्रॉन हैं। तत्व की संयोजकता क्या है?
चूँकि किसी परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या द्वारा उस तत्व की संयोजकता निर्धारित होती है; अतः इस तत्व की संयोजकता 3 होगी ।
प्रश्न 20. एक तत्व X के परमाणु में जिसकी परमाणु संख्या 17 है, कितने संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं? इस परमाणु के संयोजी कोश का नाम लिखिए।
हल : तत्व X की परमाणु संख्या = 17
17X का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 7
17X में संयोजी इलेक्ट्रॉन = 7
इस परमाणु के संयोजी कोश का नाम M है।
• अति लघु ‘उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कैथोड किरणें क्या हैं?
उत्तर : विसर्जन नलिका में अल्प दाब तथा उच्च वोल्टता पर कैथोड से उत्पन्न होने वाली किरणें ‘कैथोड किरणें’ कहलाती हैं। ये ऋणावेशित कणों (इलेक्ट्रॉनों) से मिलकर बनी होती हैं।
प्रश्न 2. इलेक्ट्रॉनों के लिए आवेश / द्रव्यमान अनुपात की गणना किसने की थी?
उत्तर : जे०जे० थॉमसन ने ।
प्रश्न 3. इलेक्ट्रॉन के गुण क्या हैं?
उत्तर : इलेक्ट्रॉन के गुण हैं— (i) इन पर ऋण आवेश का परिमाण 1.6 × 10-19 कूलॉम होता है तथा (ii) इनका द्रव्यमान 9.1 × 10-31 किग्रा होता है।
प्रश्न 4. प्रोटॉन का निरपेक्ष द्रव्यमान तथा आवेश बताइए।
उत्तर : प्रोटॉन का निरपेक्ष द्रव्यमान 1.6 × 10-24 ग्राम तथा घन आवेश 1.6 × 10-19 कूलॉम है।
प्रश्न 5. रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को किसने संशोधित किया? 
उत्तर : नील्स बोर ने रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में संशोधन किया।
प्रश्न 6. एक रासायनिक अभिक्रिया के दौरान किसी तत्व का परमाणु क्रमांक क्यों नहीं बदलता?
उत्तर : तत्व के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या, उसका परमाणु क्रमांक होता है। चूँकि केवल इलेक्ट्रॉन ही रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है तथा प्रोटॉन इसमें सम्मिलित नहीं होते; अतएव इनकी संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् तत्व का परमाणु क्रमांक रासायनिक अभिक्रिया के दौरान अपरिवर्तित रहता है।
प्रश्न 7. समस्थानिकों के दो अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर : (i) कैंसर की चिकित्सा में कोबाल्ट- 60 का प्रयोग किया जाता है।
(ii) घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन – 131 का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 8. संयोजकता कोश क्या है?
उत्तर : किसी परमाणु का बाह्यतम इलेक्ट्रॉन कोश ‘संयोजकता – कोश’ कहलाता है।
प्रश्न 9. संयोजी इलेक्ट्रॉन क्या हैं?
उत्तर : किसी परमाणु के बाह्यतम इलेक्ट्रॉन कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन ‘संयोजी इलेक्ट्रॉन’ कहलाते हैं।
प्रश्न 10. एक परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की उपयोगिता बताइए |
उत्तर : संयोजी इलेक्ट्रॉन ही परमाणु की रासायनिक प्रकृति का निर्धारण करते हैं। ये इलेक्ट्रॉन परमाण्वीय स्पेक्ट्रा प्राप्त होने के लिए उत्तरदायी होते हैं।
प्रश्न 11. उन तत्वों का सामान्य नाम बताइए जिनके परमाणुओं के संयोजकता कोश 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
उत्तर : अक्रिय गैसें ( हीलियम को छोड़कर जिसके संयोजी कोश में 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं)।
प्रश्न 12. परमाणु उदासीन क्यों होता है यद्यपि इसके भीतर आवेशित कण विद्यमान हैं?
उत्तर : यद्यपि परमाणु में प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन, आवेशित कण उपस्थित होते हैं परन्तु संख्या में समान होने ‘कारण ये परस्पर आवेश प्रभाव को समाप्त कर देते हैं, इसी कारण परमाणु उदासीन रहता है।
प्रश्न 13. किसी परमाणु के प्रथम ऊर्जा स्तर में अधिकतम कितने इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं?
उत्तर : प्रथम ऊर्जा स्तर में केवल 2 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं।
प्रश्न 14. परमाणु संख्या तथा द्रव्यमान संख्या को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या, उसका परमाणु क्रमांक या परमाणु संख्या कहलाती है। परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या का योग, उसकी द्रव्यमान संख्या कहलाती है।
प्रश्न 15. रदरफोर्ड के प्रयोग में कुछ ऐल्फा- -कण वापस आ जाते हैं, क्यों?
उत्तर : ऐसा इसलिए होता है क्योंकि परमाणु का केन्द्र, जिसे नाभिक कहते हैं, भारी तथा धनावेशित होता है, इसलिए कुछ ऐल्फा कण इससे प्रतिकर्षित होकर वापस लौट आते हैं।
प्रश्न 16. निम्नलिखित के मध्य एक समानता तथा एक असमानता लिखिए-
(क) इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन (ख) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन
उत्तर : (क) समानता – इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन पर आवेश का परिमाण समान होता है।
असमानता – इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन आवेश के चिह्न तथा द्रव्यमान में भिन्न होते हैं।
(ख) समानता – प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के द्रव्यमान लगभग समान होते हैं।
असमानता – प्रोटॉन पर धनावेश होता है, जबकि न्यूट्रॉन विद्युत उदासीन होता है।
• एक शब्द या एक वाक्य वाले प्रश्न
प्रश्न 1. परमाणु किन-किन मूल कणों से मिलकर बना है?
उत्तर : परमाणु मूलतः इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से मिलकर बना है।
प्रश्न 2. सभी परमाणुओं का सार्वभौमिक अवयव कौन-सा है?
उत्तर : सभी परमाणुओं का सार्वभौमिक अवयव प्रोटॉन है।
प्रश्न 3. धनात्मक किरणों को क्या कहा जाता है?
उत्तर : कैनाल किरणें ।
प्रश्न 4. कैथोड किरणें किनसे बनती हैं?
उत्तर : इलेक्ट्रॉनों से।
प्रश्न 5. ऐनोड किरणें किनसे बनती हैं?
उत्तर : धनावेशित कणों (प्रोटॉनों) से।
प्रश्न 6. सोडियम (Z = 11 ) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर : सोडियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – 2, 8, 1
प्रश्न 7. एक परमाणु का द्रव्यमान निर्धारित करने वाले कणों के नाम लिखिए।
उत्तर : प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन ।
प्रश्न 8. कौन-सा प्रयोग यह प्रदर्शित करता है कि परमाणु का सम्पूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में निहित होता है?
उत्तर : रदरफोर्ड का ऐल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग |
प्रश्न 9. कार्बन – 13 के 100 परमाणुओं की परमाणु द्रव्यमान इकाई का भार क्या होगा?
उत्तर : 13 amu × 100 = 1300 amu.
प्रश्न 10. सोडियम आयन पर ……… आवेश होता है जबकि सोडियम परमाणु पर ……… आवेश होता है। 
उत्तर : धन, शून्य ।
प्रश्न 11. कार्बन (Z = 6), फॉस्फोरस (Z = 15), गन्धक (Z = 16) परमाणुओं में कितने संयोजी इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं ?
उत्तर : कार्बन में 4, फॉस्फोरस में 5 तथा गन्धक में 6 संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं।
प्रश्न 12. एक उपयुक्त उदाहरण देकर समस्थानिक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर : एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान तथा द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं; जैसे— हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक प्रोटियम, ड्यूटीरियम तथा ट्राइटियम होते हैं।
प्रश्न 13. 17A35, 20B40, 17C37, 18D40 में से समस्थानिकों की पहचान कीजिए।
उत्तर : 17A35 तथा 17C37
प्रश्न 14. समस्थानिकों में …….. की संख्या समान होती है।
उत्तर : प्रोटॉनों।
प्रश्न 15. दो रेडियोधर्मी समस्थानिकों के नाम बताइए ।
उत्तर : यूरेनियम-235 तथा कोबाल्ट-60.
प्रश्न 16. किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों के व्यवस्थापन को क्या कहा जाता है?
उत्तर : इलेक्ट्रॉनिक विन्यास।
प्रश्न 17. कार्बन – 14 क्या है?
उत्तर : कार्बन का समस्थानिक ।
प्रश्न 18. एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान …….. होता है। 
उत्तर : 9.1 × 10-28 g.
प्रश्न 19. ……… तथा ……… परमाणु के मूल कण हैं।
उत्तर : इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन ।
प्रश्न 20. कैनाल किरणें ……….. आवेशित कणों से मिलकर बनती हैं।
उत्तर : धन।
प्रश्न 21. इलेक्ट्रॉन का आवेश/द्रव्यमान अनुपात …….. होता है।
उत्तर : 1. 76 × 1011 कूलॉम / किग्रा ।
प्रश्न 22. परमाणु के नाभिक का आकार, इसके आकार की तुलना में, ……… गुना होता है।
उत्तर : 1/100000
प्रश्न 23. एक उदासीन परमाणु में ………. की संख्या ……… की संख्या के बराबर होती है। 
उत्तर : इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉनों ।
प्रश्न 24. एक तत्व की द्रव्यमान संख्या 23 है। इसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या 11 है तो न्यूट्रॉनों की संख्या …… होगी।
उत्तर : 12
प्रश्न 25, Ca (Z = 20 ) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर : 20Ca = 2, 8, 8, 2

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