UK Board 9th Class Social Science – (अर्थशास्त्र) – Chapter 3 निर्धनता:एक चुनौती
UK Board 9th Class Social Science – (अर्थशास्त्र) – Chapter 3 निर्धनता:एक चुनौती
UK Board Solutions for Class 9th Social Science – सामाजिक विज्ञान – (अर्थशास्त्र) – Chapter 3 निर्धनता:एक चुनौती
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1- भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर- भारत में निर्धनता रेखा का आकलन दो स्तरों पर किया जाता है— (i) आय स्तर, (ii) उपभोग स्तर ।
आय स्तर – आय स्तर के आधार पर वर्ष 2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रु० प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में 1000 रु० प्रतिमाह किया गया था।
उपभोग स्तर — उपभोग स्तर के आधार पर भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2,400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन और नगरीय क्षेत्रों में 2,100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।
प्रश्न 2 – क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
उत्तर— विभिन्न देशों में निर्धनता आकलन के तरीके भिन्न हैं। प्रत्येक देश एक काल्पनिक रेखा का प्रयोग करता है जिसे विकास एवं उसके स्वीकृत न्यूनतम सामाजिक मानदण्डों के वर्तमान स्तर के अनुरूप माना जाता है।
उदाहरण के लिए, अमेरिका में उस आदमी को निर्धन माना जाता है जिसके पास कार नहीं है जबकि भारत में यह उपयोग स्तर पर आधारित है। निर्धनता आकलन का यह तरीका सही है।
प्रश्न 3 – भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर— भारत में निर्धनता अनुपात 1973 में लगभग 55 प्रतिशत था जो 1993 में घटकर 36 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा के नीचे के निर्धनों का अनुपात 22 प्रतिशत पर आ गया। इसमें नगरों में निर्धनता अनुपात ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता अनुपात से कम बना रहा।
प्रश्न 4 – भारत में निर्धनता के अन्तर – राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर – देश के प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है । आँकड़े बताते हैं कि 20 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। दूसरी ओर निर्धनता अब भी ओडिशा, बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में एक गम्भीर समस्या है। ओडिशा और बिहार में क्रमशः 47 और 43 प्रतिशत निर्धनता औसत के साथ दो सर्वाधिक निर्धन राज्य बने हुए हैं। ओडिशा, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में ग्रामीण निर्धनता के साथ नगरीय निर्धनता भी अधिक है। इसके अतिरिक्त गोवा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, केरल आदि में निर्धनता का प्रतिशत औसत से भी काफी कम है।
प्रश्न 5 – उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं?
उत्तर — निर्धनता अनुपात भारत के सभी सामाजिक समूहों और आर्थिक वर्गों में एक समान नहीं है। जो सामाजिक समूह निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं, वे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवार हैं। इसी प्रकार आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह, ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियमित श्रमिक परिवार हैं। भारत में अनुसूचित जनजातियों में 43 प्रतिशत नगरीय क्षेत्र के अनियमित मजदूरों में 34 प्रतिशत, भूमिहीन कृषि श्रमिकों में 50 प्रतिशत तथा अनुसूचित जातियों में 29 प्रतिशत निर्धन हैं। ‘
प्रश्न 6- भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तर- भारत में प्रत्येक राज्य में निर्धनता अनुपात में भिन्नता पायी जाती है। कुछ राज्य अति निर्धन बने हुए हैं तो कुछ राज्यों की निर्धनता अनुपात में उल्लेखनीय गिरावट दिखाई देती है। जहाँ ओडिशा, बिहार, असम व त्रिपुरा आदि में निर्धनता अधिक है; वहीं, गोवा, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में निर्धनता में काफी कमी आयी है; इससे अन्तर्राज्यीय असमानताएँ बढ़ी हैं। इसके मुख्य कारण हैं— (i) पंजाब व हरियाणा जैसे राज्यों में कृषि विकास दर काफी ऊँची रही है, (ii) केरल ने मानव संसाधन के विकास पर काफी बल दिया है, (iii) पश्चिम बंगाल भू-सुधार कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन में सफलता प्राप्त की है तथा (iv) आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना व तमिलनाडु में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सफल रही हैं।
प्रश्न 7 – वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर – विकासशील देशों में अत्यधिक आर्थिक निर्धनता में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 में 28 प्रतिशत था जो 2001 में गिरकर 21 प्रतिशत हो गया। वैश्विक स्तर पर भी क्षेत्रीय भिन्नताएँ पायी जाती हैं। तीव्र आर्थिक विकास और मानव संसाधन विकास के वृहत् निवेश के कारण चीन और दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों में विशेष कमी आई है। चीन निर्धनों की संख्या 1981 के 60.6 करोड़ से घटकर 2001 में 21.2 करोड़ हो गई है। दक्षिणी एशिया के देशों में निर्धनों की संख्या में धीमी गति से कमी आई है जो 1981 में 47.5 करोड़ घटकर 2001 में 42.8 करोड़ रह गई है। इसके विपरीत सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता बढ़ी है जो 1981 के 41 प्रतिशत से बढ़कर 2001 में 46 प्रतिशत हो गई है। लैटिन अमेरिका और कैरीबियन में निर्धनता अनुपात वही रहा है।
प्रश्न 8 – निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।
उत्तर – निर्धनता उन्मूलन भारत की विकास रणनीति का प्रमुख उद्देश्य रहा है। सरकार की वर्तमान रणनीति मुख्यतः दो घटकों पर आधारित है—
(1) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन तथा ( 2 ) लक्षित निर्धनता विरोधी कार्यक्रम |
1. आर्थिक संवृद्धि – 1950 से 1980 तक देश में प्रति व्यक्ति आय बहुत धीमी गति से बढ़ी (3.5 प्रतिशत) । किन्तु 1980-90 के दशक में यह 6 प्रतिशत तक पहुँच गई। दसवीं योजना में विकास लक्ष्य 8 प्रतिशत रखा गया । 11वीं पंचवर्षीय योजना 2007-12 में औसतन 9 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। आर्थिक संवृद्धि की ऊँची दर ने निर्धनता को कम करने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
2. लक्षित निर्धनता विरोधी कार्यक्रम – इनमें मुख्य कार्यक्रम निम्नलिखित प्रकार हैं-
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005; राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम, 2004; प्रधानमन्त्री रोजगार योजना, 1993; ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम 1995; स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना, 1999; प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना, 2000; अन्त्योदय अन्न योजना |
हाल के वर्षों में इन कार्यक्रमों के उचित पर्यवेक्षण पर बल दिया गया है।
प्रश्न 9 – निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दीजिए-
(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन हैं?
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर—
(क) मानव निर्धनता से अभिप्राय मनुष्य का जीवन, स्वास्थ्य और कुशलता के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं की आपूर्ति न कर पाना है। परन्तु आधुनिक समय में निर्धनता को निरक्षरता स्तर – कुपोषण के कारण रोग-प्रतिरोधी की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक न पहुँच पाने के सन्दर्भ में जाना जाता है।
(ख) निर्धनों में सबसे निर्धन अनुसूचित जनजातियाँ, नगरीय अनियमित मजदूरी, ग्रामीण खेतिहर मजदूर तथा अनुसूचित जातियाँ आदि हैं।
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) यह अधिनियम प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार का प्रावधान करता है।
(ii) वर्ष 2010 तक देश के सभी जिलों में यह कार्यक्रम लागू हो जाएगा।
(iii) प्रस्तावित रोजगारों का एक-तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।
(iv) यदि आवेदक को 15 दिन के अन्दर रोजगार नहीं दिया जा सका तो वह दैनिक रोजगार भत्ते का हकदार होगा।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
• विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – भारत में निर्धनता के क्या कारण हैं? निर्धनता दूर करने के उपाय बताइए ।
उत्तर- भारत में निर्धनता के कारण
भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था है। अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की भाँति भारतीय अर्थव्यवस्था भी गरीबी के में फँसी है। भारत में निर्धनता के मुख्य कारण दुश्चक्र निम्नलिखित हैं-
- राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर – भारत का कुल राष्ट्रीय उत्पादन जनसंख्या की तुलना में कम है। अतः प्रति व्यक्ति आय भी कम ही है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार भारत निर्धन देशों की श्रेणी में आता है।
- विकास की धीमी दर – भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में विकास की दर धीमी रही है। विकास की धीमी दर के कारण प्रति व्यक्ति आय का स्तर भी निम्न रहा है।
- जनसंख्या में तीव्र वृद्धि – भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इस वृद्धि का मुख्य कारण गत वर्षों में मृत्यु दर में तेजी से कमी और जन्म- दर का लगभग स्थिर बना रहना है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक ओर उत्पादन में होने वाली वृद्धि को निष्प्रभावी कर देती है तो दूसरी ओर निर्धनता दर को बढ़ा देती है। फलस्वरूप निर्धनता की समस्या और भयंकर जाती है।
- मूल्यों में वृद्धि – भारत में कीमतों में निरन्तर वृद्धि हो रही है। यह वृद्धि विशेष रूप से कृषि जन्य पदार्थों में हुई है। निर्धन लोग कीमतों में वृद्धि से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। वे और अधिक निर्धन होते चले जाते हैं।
- बेरोजगारी की व्यापकता – बेरोजगारी निर्धनता का मुख्य कारण है और भारत में अदृश्य व शिक्षित बेराजगारी व्यापक रूप में पाई जाती है। अब तो बेरोजगारी एक स्थायी समस्या बन गई है।
- पूँजी एवं उद्यमीय क्षमता की कमी – भारत में पूँजी की कमी है, पूँजी संचय की दर निम्न है और उद्यमीय क्षमता का अभाव है; अतः उत्पादन क्षमता भी कम है। फलस्वरूप निर्धनता कर स्तर उच्च है।
- आधारिक संरचना का अभाव – भारत में ऊर्जा, परिवहन व संचार, शिक्षा, चिकित्सा व आवास सुविधाएँ बुरी दशा में हैं जबकि आधारिक संरचना ही विकास का आधार होती है। इनके अभाव में विकास की गति धीमी रह गई है।
- सामाजिक संस्थाएँ, रीति-रिवाज एवं रूढ़ियाँ – भारत की पुरातन सामाजिक संस्थाओं (जाति प्रथा, संयुक्त परिवार प्रथा एवं उत्तराधिकारी के नियमों), रूढ़ियों एवं परम्पराओं ने भारत के तीव्र | आर्थिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न की हैं जिसका परिणाम निर्धनता है।
- भारत की असमानता — भारत में आय और धन का वितरण असमान है। आय का असमान वितरण निर्धनता की व्यापकता एवं गहनता को बढ़ाता है।
निर्धनता दूर करने के उपाय
भारत में निर्धनता दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-
- विकास की गति को तेज किया जाए। इससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे और निर्धनता में कमी आएगी।
- आय एवं धन के वितरण की असमानताओं को कम किया जाए।
- जनसंख्या की वृद्धि को नियन्त्रित करने के प्रयास किए जाएँ। इस सम्बन्ध में परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए भरसक प्रयास किए जाएँ।
- कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए यथासम्भव प्रयास किए जाएँ।
- कीमत स्थिरता के लिए उत्पादन एवं वितरण व्यवस्था में सुधार किए जाएँ।
- बेराजगारी (अर्द्ध-बेरोजगारी, अदृश्य बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी व शिक्षित बेरोजगारी) को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ।
- उत्पादन तकनीक में आवश्यक परिवर्तन किए जाएँ ।
- ‘न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम’ को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएँ।
- देश के पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए।
- ‘स्वरोजगार’ के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
• लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – निर्धनता के विभिन्न आयामों को बताइए ।
उत्तर — निर्धनता के अनेक आयाम निम्नलिखित हैं,
(अ) आर्थिक आयाम – (i) भुखमरी, (ii) आश्रय का न होना(iii) नियमित रोजगार की कमी।
(ब) सामाजिक आयाम – (i) निरक्षरता स्तर, (ii) कुपोषण के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता में कमी, (iii) स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, (iv) सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुँच में कमी।
प्रश्न 2 – भारत में निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित समूहों की विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर— भारत में असुरक्षित समूहों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के परिवार, ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार नगरीय अनियमित मजदूर परिवार निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं।
- इनमें निर्धनता के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों का प्रतिशत भारत में सभी समूहों के लिए औसत प्रतिशत (26) से अधिक है। यह अनुसूचित जनजातियों में 51, नगरीय अनियमित मजदूरों में 50, भूमिहीनों व कृषि श्रमिकों में 50 तथा अनुसूचित जातियों में 43 प्रतिशत है।
- ये समूह आर्थिक व सामाजिक सुविधाओं से वंचित हैं।
- अनुसूचित जनजाति परिवारों को छोड़कर अन्य सभी तीनों समूहों में 1990 के दशक में कमी आई है।
• अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – निर्धनता से क्या आशय है?
उत्तर – निर्धनता वह स्थिति है जिसमें समाज का एक भाग अपने जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करने में असमर्थ रहता है।
प्रश्न 2 – निर्धनता की परिभाषा का मूल आधार क्या है?
उत्तर – निर्धनता की परिभाषा का मूल आधार न्यूनतम या अच्छे जीवन-स्तर की कल्पना है।
प्रश्न 3 – नगरीय क्षेत्र में निर्धनता की माप का आधार क्या है?
उत्तर – नगरीय क्षेत्र में वह व्यक्ति निर्धन माना जाता है जिसे प्रतिदिन 2,100 कैलोरी प्राप्त नहीं हो पाती।
प्रश्न 4 – ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता की माप का आधार क्या है?
उत्तर – ग्रामीण क्षेत्र में वह व्यक्ति निर्धन माना जाता है जिसे प्रतिदिन 2,400 कैलोरी प्राप्त नहीं हो पाती।
प्रश्न 5 – भारत में निर्धनता का प्रतिशत क्या है?
उत्तर – भारत में निर्धनता का प्रतिशत 26.1 है। इस प्रकार भारत का हर चौथा व्यक्ति निर्धन है।
प्रश्न 6 – निरक्षरता से क्या आशय है?
उत्तर— निरक्षरता से आशय बच्चों के स्कूल न जाने के कारण साक्षर न होना है।
प्रश्न 7 – खराब स्वास्थ्य/कुपोषण क्या होता है?
उत्तर – स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं/पोषण का अभाव खराब स्वास्थ्य/कुपोषण कहलाता है।
प्रश्न 8 – वर्तमान में भारत सरकार की निर्धनता विरोधी रणनीति किन दो कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर- (i) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन तथा
(ii) लक्षित निर्धनता विरोधी कार्यक्रम |
• बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 – भारत में निर्धनों की श्रेणी में आते हैं-
(a) गाँव के भूमिहीन श्रमिक
(b) बैंक के पदाधिकारी
(c) माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर – (a) गाँव के भूमिहीन श्रमिक
प्रश्न 2 – गाँव में कितने लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं-
(a) 30 प्रतिशत
(b) 26 प्रतिशत
(c ) 24 प्रतिशत
(d) 20 प्रतिशत |
उत्तर – (b) 26 प्रतिशत
प्रश्न 3 – भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी की आवश्यकता कितनी है—
(a) 2,000 कैलोरी
(b) 2,200 कैलोरी
(c) 2,400 कैलोरी
(d) 2,600 कैलोरी ।
उत्तर – (c) 2,400 कैलोरी
प्रश्न 4 – भारत में शहरी क्षेत्रों में स्वीकृति प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी की आवश्यकता कितनी है-
(a) 2,000 कैलोरी
(b) 2,100 कैलोरी
(c) 2,200 कैलोरी
(d) 2,300 कैलोरी ।
उत्तर – (b) 2,100 कैलोरी
प्रश्न 5 – निर्धनता का क्या अर्थ है-
(a) भुखमरी
(b) आश्रय का न होना
(c) स्वच्छ जल व सफाई सुविधाओं का अभाव
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी।