Sanskrit 9

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 6 कथा – नाटक कौमुदी

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 6 श्रम एव विजयते (कथा – नाटक कौमुदी)

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 6 कथा – नाटक कौमुदी

परिचय- संस्कृत वाङमय में पंचतन्त्र, हितोपदेश आदि की उपादेय कथाएँ विपुल संख्या में प्राप्त हैं। वेद, पुराणादि की कथाएँ जो भारतीय धर्म-परम्परा की परिचायक हैं, उनसे भी समाज अत्यधिक लाभान्वित हुआ है। आज के परिवर्तनशील परिप्रेक्ष्य में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जो परिवर्तन दृष्टिगोचर  हो रहे हैं, उनके सन्दर्भो में मात्र सिद्धान्तों से काम नहीं चल सकता। इसके लिए हमें देश और समाज की समस्याओं की ओर ध्यान देना ही होगा और उनके समाधान भी ढूढ़ने होंगे।

प्रस्तुत पाठ इसी भावना से लिखा हुआ नाटक है। भारत जैसे विशाल देश में स्थान-विशेष से सम्बद्ध अनेकानेक कठिनाइयाँ और समस्याएँ हैं, जिनका निराकरण श्रम, दृढ़ निश्चय और परोपकार भावना से संगठित होकर ही सरलता से किया जा सकता है। इस पाठ के देवसिंह का चरित्र इसी का ज्वलन्त उदाहरण है।

 

पाठ-सारांश

‘श्रम एव विजयते’ पाठ में स्पष्ट किया गया है कि श्रम, पक्का इरादा और परोपकार की भावना से अनेकानेक कठिनाइयों और समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। पाठ का सारांश निम्नलिखित है

प्रथम दृश्य- प्रस्तुत नाटक में तीन दृश्य हैं। प्रथम दृश्य में शीला अपने ग्राम शिवपुर की समस्याओं की ओर देवसिंह का ध्यान आकृष्ट करती हुई धिक्कारती है कि इस गाँव में पेट भरने योग्य अन्न व पीने के लिए जल भी सुलभ नहीं है। ईंधन प्राप्त करने के लिए वन नहीं है और पशुओं के खाने के लिए घास नहीं है, फिर लोगों को दूध कैसे प्राप्त हो? इस गाँव की स्थिति तो नरक से भी बदतर हो रही है।

इसी समय देवसिंह को अपने उस प्रसिद्ध कुल को ध्यान आता है, जिसकी यशोगाथाएँ अन्य राज्यों में भी फैली हुई थीं और आज उसी के ग्राम की वधुएँ कष्टपूर्ण जीवन बिता रही हैं। यह सोचकर देवसिंह पहले जल की समस्या का समाधान करना चाहता है।

द्वितीय दृश्य- द्वितीय दृश्य में देवसिंह अपने गाँव के निकट स्थित एक पर्वत के शिखर पर चढ़कर चारों ओर देखता है। उसे एक छोटी नदी दिखाई देती है। नदी और गाँव के मध्य वही छोटा-सा पर्वत है, जिस पर देवसिंह चढ़ा हुआ है। वह उसी पर्वत में ग्रामीणों की सहायता से सुरंग बनाकर नदी के जल को अपने गाँव में लाने की सोचता है। उसकी एक सेवक सदानन्द नदी के जल को पर्वत में सुरंग बनाकर गाँव में लाने के प्रयास को आकाश से तारे तोड़कर लाने के समान असम्भव बताता है, परन्तु देवसिंह के मन में अपार उत्साह है।  वह कहता है कि जब एक छोटा-सा चूहा पर्वत को फोड़कर उसमें अपना बिल बना सकता है, तब शरीर से पुष्टं मानव ग्रामीणों की सहायता से पर्वत में सुरंग बनाकर जल को अपने गाँव तक लाने का प्रयत्न क्यों न करे? वह जानता है कि “लक्ष्मी उद्यमी पुरुष के पास स्वयं पहुँच जाती है।”

तृतीय दृश्य- तृतीय दृश्य में ग्रामवासी आपस में बातचीत करते हैं कि देवसिंह के प्रयास से शिवपुर ग्राम निश्चित ही सुखी हो जाएगा। पहले तो सभी ग्रामीण उसकी योजना को सुनकर हँसते थे, परन्तु दृढ़-निश्चयी देवसिंह को अपने परिवार के साथ पर्वत खोदने के काम में लगा देखकर गाँव में आबाल-वृद्ध सभी कुदाल लेकर पर्वत में सुरंग खोदकर नहर बनाने के काम में उसके साथ लग जाते हैं।

इसी बीच एक पुरुष दौड़ता हुआ आकर देवसिंह को सूचना देता है कि उसका इकलौता पुत्र पर्वत की लुढ़कती चट्टान के नीचे दबकर मर गया है। सब रोते हुए वहीं चले जाते हैं जहाँ देवसिंह के पुत्र का शव पड़ा है।

सभी ग्रामवासियों को शोक-सागर में डूबे हुए देखकर देवसिंह उन्हें शोक न करने के लिए समझाता है। वह इसे कर्तव्यनिष्ठा की परीक्षा का समय मानता है। वह कहता है कि जन्म और मृत्यु मनुष्य के अधीन नहीं हैं। उत्तम जन किसी कार्य को प्रारम्भ करके बीच में नहीं छोड़ते; अतः हमें भी दुःख-सुख की परवाह न करके ‘बहुजन हिताय’ शुरू किये गये कार्य में व्यक्तिगत चिन्ता छोड़ देनी चाहिए; अतः हे ग्रामवासियों! कुछ ही महीनों में नहर बनकर तैयार हो जाएगी। गाँव में अपूर्व सुख प्राप्त होगा, कृषि से अन्न उत्पन्न होगा। सभी ग्रामवासी  देवसिंह को ‘धन्य’ कह उठे, जो एकमात्र पुत्र की मृत्यु की परवाह न करके अपने गाँव के विकास के लिए लगा हुआ था। निश्चय ही वह धन्य है। परिश्रमी गाँववासियों के द्वारा सम्पन्न किये गये कार्य से गाँव को अवश्य ही कल्याण होगा।

 

चरित्र – चित्रण

देवसिंह
परिचय-प्रस्तुत एकांकी का प्रमुख पात्रे देवसिंह शिवपुर ग्राम का रहने वाला, उत्साही, कर्तव्यनिष्ठ, परिश्रमी और कर्म पर विश्वास करने वाला प्रगतिशील युवक है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(1) साहसी– देवसिंह साहसी युवक है। वह अपनी भाभी से ग्राम की नारकीय दशा को सुनकर गाँव में पेयजल लाने का साधन ढूंढ़ निकालना चाहता है। वह पर्वत में सुरंग बनाकर नदी का जल गाँव में लाने का साहसिक निर्णय कर लेता है। ग्रामीणों के उपहास करने पर भी वह मात्र अपने परिवार को लेकर ही पर्वत को खोदने में लग जाता है। पुत्र की मृत्यु पर भी वह अपने साहसिक कदम को पीछे नहीं हटाता।

(2) आशावादी–वह आशावादी व्यक्ति है। वह गाँव और नदी के बीच पर्वत को देखकर भी उसे भेदकर गाँव तक जल लाने की आशा करता है। सदानन्द के द्वारा इस कार्य को आकाश के तारे तोड़ने के समान असम्भव कहने पर भी वह निराश नहीं होता है। गाँव वालों के उपहास करने पर भी उसे गाँव तक जल पहुँचने की आशा है।

(3) आत्मविश्वासी एवं दृढनिश्चयी- देवसिंह को अपनी शक्ति और अपने निश्चय के प्रति दृढ़ आस्था है। अपने आत्मविश्वास के आधार पर ही वह पर्वत काटकर नहर निकालने का दृढ़ निश्चय करता है और केवल अपने बल पर ही प्रारम्भ किये गये कार्य में अन्तत: सफलता प्राप्त करता है।

(4) प्रगतिशील विचारक और त्यागी- देवसिंह प्रगतिशील विचारों का व्यक्ति है। वह अपने गाँव को खुशहाल देखना चाहता है। वह ग्रामीणों के श्रम द्वारा नहर निकालने की योजना  बनाता है और उसे क्रियान्वित करने में अग्रणी रहता है। देश की प्रगति के लिए वह सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर है। पुत्र का बलिदान करके भी नहर के कार्य को पूर्ण करना उसके सर्वस्व त्याग का श्रेष्ठ उदाहरण है।

(5) सहनशील– देवसिंह सहनशील व्यक्ति है। वह ग्राम की उन्नति के लिए बड़े-से-बड़े कष्ट को भी सहन करने की क्षमता रखता है। पुत्र की मृत्यु को सहन करके भी वह प्रारम्भ किये गये कार्य को अधूरा नहीं छोड़ता। वह पुत्र की मृत्यु को कर्तव्यनिष्ठा की परीक्षा का समय मानता है।

(6) आदर्श नेता– देवसिंह में आदर्श नेतृत्व के समस्त गुण विद्यमान हैं। उसका सिद्धान्त है कि जो कार्य लोगों के सहयोग से पूर्ण हो सकता हो, उसे पहले स्वयं करने लगो। ऐसा करने से दूसरे लोग स्वयं नेता का अनुगमन करने लगेंगे। निश्चय ही आदर्श नेता परोपदेशक मात्र नहीं होते, वरन् वे दूसरों को भी स्वेच्छा से कार्य करने के लिए प्रेरित करने में सफल होते हैं।निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि देवसिंह एक उत्साही, कर्मठ, साहसी, धीर-वीर और प्रगतिशील युवक है।

लघु-उत्तरीय संस्कृत प्रश्‍नोत्तर

अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए

प्ररन 1
देवसिंहस्य भ्रातृजाया तं किम् उवाच?
उत्तर
देवसिंहस्य भ्रातृजाया स्वग्रामस्य नारकी दशाम् अकथयत्।

प्ररन 2
देवसिंहस्य जनकः केन नाम्ना प्रथते स्म?
उत्तर
देवसिंहस्य.जनक: ‘कालोभण्डारि’ इति नाम्ना प्रथते स्म।

प्ररन 3
शिखरमारुह्य देवसिंहः कम् अपश्यत्? :
उत्तर
पर्वतशिखरमारुह्य देवसिंह: एकां लघ्वी नदीम् अपश्यत्।

प्ररन 4
शिखरोपरि मूषकः किम् अकरोत्?
उत्तर
शिखरोपरि मूषक: विलम् अखनत्।।

प्ररन 5
मूषकं विलं खनन्तं दृष्ट्वा सः किम् अकथयत्?
उत्तर
मूषकं विलं खनन्तं दृष्ट्वा देवसिंहः अकथयत् यत् एषः अल्पप्राणः गिरि भित्वा स्व विलं निर्मातुं प्रयतते, कथं न अयं वपुषा पुष्टः मानवः स्वग्रामीणानां साहाय्येन पर्वते वृहद् विलं निर्माय पानीयं स्वग्रामम् आनेतुम् प्रयतेत्?

प्ररन 6
सदानन्दः देवसिंहं किं प्रत्यवदत्?
उत्तर
सदानन्दः देवसिंहं प्रत्यवदत् यत् मूषकाः प्रकृतिदत्तया शक्त्या विलं खनन्ति, वयं न तादृशाः भवामः।।

प्ररन 7
गिरिखननकाले देवसिंहस्य किम् अनिष्टम् अभवत्।।
उत्तर
गिरिखननकाले देवसिंहस्य पुत्रः पर्वतखण्डस्य अधस्तात् आयातः पिष्टः मृतश्च अभवत्।

प्ररन 8
विषीदतः ग्रामवासिनः देवसिंहः किम् अवदत्?
उत्तर
विषीदतः ग्रामवासिनः देवसिंहः अवदत्-सुख-दुःखम् अविगणय्यैव बहुजनहिताय .. क्रियमाणे कर्माणी स्वार्थचिन्तां जहति।

 

वस्तुनिष्ठ  प्रश्‍नोत्तर

अधोलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक प्रश्न के उत्तर रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। इनमें से एक विकल्प शुद्ध है। शुद्ध विकल्प का चयन कर अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए

1.
‘श्रम एव विजयते’ पाठ किस विधा पर आधारित है?
(क) आख्यायिका
(ख) कथा
(ग) नाटक
घ) जीवनवृत्त

2. ‘श्रम एव विजयते’ पाठ का नायक कौन है?
(क) कालोभण्डारि
(ख) देवसिंह
(ग) वीरसिंह
(घ) सदानन्द

3. शीला और देवसिंह में क्या सम्बन्ध है?
(क) पत्नी-पति का
(ख) भाभी-देवर को
(ग) पुत्री-पिता का
(घ) पुत्रवधु श्वसुर का

4. गाँव की दुर्दशा के विषय में देवसिंह किसके द्वारा धिक्कारा जाता है?
(क) शीला द्वारा।
(ख) ग्रामीण पुरुष द्वारा
(ग) सदानन्द द्वारा।
(घ) वीरसिंह द्वारा 

5. देवसिंह बहुत जल वाले भूभागों को खोजने के लिए किसके साथ निकला?
(क) अपने बड़े भाई के साथ
(ख) अपने छोटे भाई के साथ
(ग) अपने पुत्र के साथ
(घ) अपने सेवक के साथ।

6. देवसिंह पहाड़ी पर ऐसा क्या देखता है, जिससे वह नदी से गाँव तक नहर खोदने का निर्णय लेता है?
(क) छोटी-सी पहाड़ी को
(ख) बिल खोदते हुए चूहे को
(ग) उत्साही गाँववालों को
(घ) ग्राम की दु:खी वधुओं को

7. सदानन्द देवसिंह को क्या कहकर हतोत्साहित करता है?
(क) धिङ मे पौरुषम् 
(ख) इदं कार्यं केवलं बालचापलमिव
(ग) उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः
(घ) अयं ग्राम: नरकायते

8. देवसिंह ने दृढ़ निश्चय किया|
(क) गाँव छोड़ देने का
(ख) पानी के लिए उपाय करने का
(ग) कुएँ खोदने का
(घ) शीला से बदला लेने का

9. नहर खुदाई के मंगल-कार्य में अमंगल किस प्रकार उत्पन्न हुआ?
(क) नहर के कार्य के बन्द होने से ।
(ख) शीला के पत्थर के नीचे आ जाने से
(ग) पहाड़ी के ढहने से।
(घ) देवसिंह के पुत्र की मृत्यु से।

10. देवसिंह के पुत्र की मृत्यु किस कारण से हुई?
(क) वह नदी में डूब गया था ।
(ख) उसे सदानन्द ने मार दिया था।
(ग) वह पत्थर के नीचे दब गया था
(घ) उसे साँप ने काट लिया था

11. देवसिंह ने अपने पुत्र की मृत्यु के बारे में सुनकर गाँव वालों से क्या कहा?
(क) जब तक काम पूरा न हो, तब तक मत रुको
(ख) यह सूचना मेरे घर मत देना
(ग) दुर्भाग्य प्रबल है ।
(घ) काम बन्द कर दो

12. ‘त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत्।’ वाक्यस्य वक्ता कः अस्ति?
(क) देवसिंहः
(ख) वीरसिंहः
(ग) सदानन्दः
(घ) शीला

13. ‘दैवेन देयमिति •••••••••••••••• वदन्ति।’ में रिक्त पद की पूर्ति होगी
(क) ‘सुपुरुषा:’ से
(ख) ‘महापुरुषा:’ से।
(ग) “कापुरुषाः’ से
(घ) “उत्साही पुरुषा:’ से

14. ‘दृढसङ्कल्पेन श्रमेच किं न भवितुं शक्यते।’ वाक्यस्य वक्ता कः अस्ति?
(क) नन्दः
(ख) देवसिंहः
(ग) वीरसिंहः
(घ) देवसिंहस्य पुत्रः

15.’देवसिंहस्य जनकः ‘कालोभण्डारि’ : अवदानगाथाः अतिलछ्य ………..सीमानं, ” प्रसिद्ध्यन्ति स्म।’ वाक्य में रिक्त-पद की पूर्ति होगी
(क) ‘गढवाल’ से
(ख) “कश्मीर से ,
(ग) उत्तरांचल’ से
(घ) उत्तराखण्ड से

16. ‘उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति ………………… श्लोकस्य चरणपूर्तिः पदः अस्ति
(क) शक्तिः
(ख) सरस्वती
(ग) लक्ष्मी :
(घ) दुर्गा :

17. ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे ::•••••••••••निरामयाः।’ श्लोकस्य चरणपूर्ति पदः अस्ति
(क) सन्तु
(ख) स्त
(ग) स्तः
(घ) सन्ति 

18. ‘चोत्तमजनाः प्रारब्धं कार्यमाफलोदयं न त्यजन्ति।’ वाक्यस्य वक्ता कः अस्ति?
(क) सदानन्दः
(ख) देवसिंहः
(ग) ग्रामवासी
(घ) कालोभण्डारि

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