WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 नीड़ का निर्माण फिर-फिर
WBBSE 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 नीड़ का निर्माण फिर-फिर
West Bengal Board 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 नीड़ का निर्माण फिर-फिर
West Bengal Board 10th Hindi Solutions
कवि-परिचय
हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद के निकट प्रतापगढ़ जिले के एक गाँव बाबूपट्टी के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था । प्रारंभिक शिक्षा कायस्थ पाठशाला में उर्दू-माध्यम से हुई। इन्होंने आगे चलकर प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम०ए० तथा फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी कवि डब्लू० बी० यीट्स की कविताओं पर शोध-कार्य कर पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की।
पहली पत्नी श्यामा के असमय निधन के बाद सन् 1941 में रंगमंच तथा गायन-क्षेत्र से जुड़ी तेजी सूरी से विवाह किया। यही वह समय है जब उन्होंने ‘नीड़ का निर्माण’ जैसी कविताओं की रचना की। दो पुत्र अमिताभ तथा अजिताभ में से अमिताभ बच्चन फिल्मी दुनिया के प्रसिद्ध अभिनेता हैं।
बच्चन जी ने कुछ समय तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन का भी कार्य किया। ये भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ भी रहे और फिर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य भी रहे । बच्चन छायावाद के लोकप्रिय कवियों में से एक हैं।
बच्चन जी का निधन 18 जनवरी 2003 को मुम्बई में हुआ ।
बच्चन को मस्ती और अल्हड़पन का कवि कहा जाता है। इनकी कविताओं ने हिन्दी कविता का एक नया रूप-संस्कार किया । भाषा सरल, मुहावरेदार के साथ-साथ व्यक्तिगत वेदना से भी युक्त है ।
बच्चन जी के प्रमुख काव्य-संग्रह निम्नांकित हैं-
मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, सतरंगिणी, मिलन-यामिनी, निशा-निमंत्रण, एकान्त संगीत, प्रणय-पत्रिका, बुद्ध का नाचघर, आरती और अंगारे, आकुल अंतर आदि ।
सम्मान –
● काव्य-संग्रह : ‘दो चट्टानें’ के लिए सन् 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार ।
● सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार ।
● एफ्रो एशियाई सम्मेलन में ‘कमल पुरस्कार’ ।
● बिडला फाउण्डेशन द्वारा आत्मकथा के लिए ‘सरस्वती सम्मान’ ।
● सन् 1963 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में अवदान के लिए ‘पद्मभूषण पुरस्कार’ ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न – 2 : ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रश्न – 3 : ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता के माध्यम से कवि ने क्या संदेश देना चाहा है?
अथवा
प्रश्न – 4 : ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता के आधार पर कवि के जीवन-दर्शन को लिखें।
अथवा
प्रश्न – 5 : ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता के उद्देश्य को लिखें।
अथवा
प्रश्न – 6 : ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर : हरिवंश राय बच्चन की सम्पूर्ण कविता की रीढ़ उनकी जीवनी शक्ति है। जीवन के संघर्षों, दु:खों, तथा निराशा को मात देनेवाली है। सर्वथा अजेय, अपराजित तथा अद्भुत होते हुए भी जमीन से जुड़ी हैं, न कि कल्पना से। बच्चन की कविताएँ संघर्षों से जूझते, निराशा के काले बादलों के बीच घिर आए व्यक्ति में प्राण का संचार करती है, उसे जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करती है। यही कारण है कि बच्चन को ‘मस्ती का कवि’ भी कहा जाता है।
कवि प्रकृति के माध्यम से कहते हैं कि एक दिन अचानक आँधी आने से आकाश में अंधेरा छा गया। पूरी धरती धूल से अट गई । दिन में ही रात का आभास होने लगा। फिर काली रात्रि भी आई और ऐसा लगने लगा मानों अब कभी सवेरा न होगा। दरअसल कविता की इन पंक्तियों में कवि ने अपनी पत्नी श्यामा की असमय मृत्यु से जीवन में अचानक घिर आई निराशा का चित्रण किया है।
रात्रि में होने वाले उत्पात की कल्पना करके ही लोग भय से सिहर उठे, प्रकृति का कण-कण डर गया। तभी पूरब से ऊषा की मोहिनी मुस्कान से लोगों का भय दूर हो गया उनके दिल खिल उठे। कवि ने यह अनुभव किया कि जिस प्रकार प्रकृति में हमेशा दिन या रात नहीं होती ठीक वैसे ही हमेशा सुख या दुख नहीं रहता है। इनके आने-जाने का क्रम तो लगा ही रहता है। अगर एक बार नीड़ उजड़ भी गया तो क्या, हमें स्नेह और प्रेम का सहारा लेकर उसका निर्माण फिर से करने में जुट जाना चाहिए।
कवि कहते हैं कि अचानक बहने वाली बयार के तेज झोंके से भीम की तरह शरीर धारण करने वाले विशालकाय पेड़ भी जड़ से उखड़ कर गिर पड़े। जब बड़े-बड़े वृक्षों का यह हाल हुआ तो न जाने तिनके से बने घोंसलों पर क्या न बीती होगी। ईंट और पत्थर के महल भी डगमगाने लगे जब बयार के साथ कंकड़ों की बौछार उन पर होने लगी। कहने का भाव यह है कि जीवन में ऐसे भी क्षण आते हैं जब विभिन्न प्रकार के संघातों, चोटों को सहन करना पड़ता है तथा आशारूपी बड़े-बड़े महल भी हिल जाते हैं। लेकिन हमेशा ये स्थिति रहनेवाली नहीं है और अच्छे दिन भी आएंगे।
जब जीवन में चारों ओर निराशा के बादल छाए हुए थे तब न जाने यह आशारूपी पक्षी कहाँ छिपा हुआ था। यही वह पक्षी है जो आकाश की ऊँचाइयों पर गर्व से अपना सीना ताने इस विषम परिस्थिति में खड़ा रहता है। यह आशारूपी पक्षी ही है जो हमें यह संदेश देता है कि विषम परिस्थितियों से न घबड़ा कर हमें पुन: जीवन को संवारने में लग जाना चाहिए।
विषम परिस्थितियों में भी वह आशा ही है जो हमें जीने का संदेश देती है। अगर ऐसा नहीं होता तो क्या क्रोधित आकाश के वज्र दाँतों के बीच ऊषा मुस्कुराती ? क्या बादलों के भयंकर गर्जनों के बीच चिड़ियों के कंठ से संगीत फूटके?
इस संसार में जीवन जीने में आशा और आत्मबल की बहुत बड़ी भूमिका है। आशा और आत्मबल के सहारे एक छोटी-सी चिड़िया विनाश के बाद भी चोंच में तिनका दबाकर फिर से नीड़ के निर्माण में लग जाती है। उसके साहस और उसकी आशा के सामने शक्तिशाली पवन भी नहीं ठहर पाता। चिड़िया उसे भी नीचा दिखाती है।
कविता के अंतिम अंश में कवि बच्चन ने हमें यह संदेश देना चाहा है कि नाश में निर्माण के बीज छिपे होते हैं, इसलिए हमें प्रकृति की विनाश-लीला से घबराना नहीं चाहिए। नाश के दुःख से कभी भी निर्माण का काम नहीं रूकता। जब विनाश-लीला से प्रकृति स्तब्ध रह जाती है – कहीं कोई आवाज नहीं सुनाई देती – सब ओर निस्तब्धता छा जाती है तो सृष्टि का संगीत प्रारंभ होता है।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि बच्चन की कविता ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ प्राणदायिनी कविता है जो निराशा में डूबे व्यक्ति के लिए संजीवनी के समान है।
वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर
1. नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आह्वान फिर-फिर
बह उठी आँधी की नभ में
छा गया सहसा अँधेरा
धूलि-धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँति घेरा
रात-सा दिन हो गया, फिर
रात आयी और काली
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा
शब्दार्थ : नीड़ = घोंसला | नेह = प्रेम । आह्वान = पुकार। नभ = आकाश । सहसा = अचानक । धूलि-धूसर = धूल से भरा हुआ । निशा = रात्रि | सवेरा = सुबह ।
प्रश्न – 1 : इस पद्यांश के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : इस पद्यांश के रचनाकार हरिवंश राय बच्चन हैं।
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर : ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ का रचनाकाल वह काल है जब कवि की पत्नी की असामयिक मृत्यु हो चुकी थी । जीवन में चारों ओर निराशा घिर आई थी। ऐसे समय में बच्चन के जीवन में तेजी सूरी का प्रवेश हुआ जो स्वयं भी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। तेजी के आने से कवि को यह स्वीकारना पड़ा कि जीवन में ध्वंश और निर्माण की प्रक्रिया तो चलती ही रहती है। इससे न घबड़ा कर सृजन में लगे रहना चाहिए ।
कवि प्रकृति के माध्यम से कहते हैं कि एक दिन अचानक आँधी आने से आकाश में अंधेरा छा गया। पूरी धरती धूल से अट गई। दिन में ही रात का आभास होने लगा। फिर काली रात्रि भी आई और ऐसा लगने लगा मानों अब कभी सवेरा न होगा। दरअसल कविता की इन पंक्तियों में कवि ने पत्नी श्यामा की असमय मृत्यु से जीवन में अचानक घिर आई निराशा का चित्रण किया है।
विशेष : 1. प्रस्तुत अंश में प्रकृति के माध्यम से कवि ने अपने जीवन में घिर आई निराशा का चित्रण किया है ।
2. आँधी, अँधेरा, धूलि-धूसर बादल और निशा जीवन में घिर आई निराशा के प्रतीक हैं।
3. ‘आँधी अंधेरा’, ‘धूलि-धूसर’ में अनुप्रास अलंकार है ।
4. ‘फिर-फिर’ में छेकानुप्रास अलंकार है ।
5. कविता प्रतीकात्मक है।
6. भाषा सहज-सरल है ।
2. रात के उत्पात- भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण,
किन्तु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर
नीड़ का निर्माण फिर-फिर
नेह का आह्वान फिर-फिर
शब्दार्थ : उत्पात- भय = शैतानी के भय से । भीत = डरे हुए। प्राची = पूरब । उषा = वह समय जब रात्रि तथा प्रातःकाल का मिलन होता है। मोहिनी = मन को मोहने वाली ।
प्रश्न – 1 : प्रस्तुत अंश किस कविता से उद्धृत है ?
उत्तर : प्रस्तुत अंश ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता से उद्धृत है।
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत अंश का भावार्थ लिखें।
उत्तर : कविता के इस अंश में कवि कहते हैं कि रात्रि में होने वाले उत्पात की कल्पना करके ही लोग भय से सिहर उठे, प्रकृति का कण-कण डर गया। तभी पूरब से ऊषा की मोहिनी मुस्कान से लोगों का भय दूर हो गया, उनके दिल खिल उठे। कवि ने यह अनुभव किया कि जिस प्रकार प्रकृति में हमेशा दिन या रात नहीं होती ठीक वैसे ही हमेशा सुख या दुख नहीं रहता है। इनके आने-जाने का क्रम तो लगा ही रहता है। अगर एक बार नीड़ उजड़ भी गया तो क्या, हमें स्नेह और प्रेम का सहारा लेकर उसका निर्माण फिर से करने में जुट जाना चाहिए।
विशेष : 1. प्रस्तुत अंश में प्रकृति के माध्यम से कवि ने अपने जीवन में घिर आई निराशा का चित्रण किया है ।
2. ‘रात’ जीवन के निराशा भरे क्षण को प्रतिबिंबित करती है।
3. ‘ऊषा’ कवि के जीवन में आयी आशा का सूचक है।
4. ‘मोहिनी मुस्कान’ में अनुप्रास तथा ‘फिर-फिर’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
5. कविता प्रतीकात्मक है।
6. भाषा सहज-सरल है।
3. बह चले झोंके कि काँपे
भीम कायावान भूधर,
जड़ समेत उखड़-पुखड़ कर,
गिर पड़े, टूटे विटप वर,
हाय तिनकों से विनिर्मित
घोंसलों पर क्या न बीती,
डगमगाये जबकि कंकड़
ईंट-पत्थर के महल पर
शब्दार्थ : भीम कायावान = भीम की तरह शरीर वाला, सुदृढ़। भूधर = भू (धरती) को धारण करने वाला। विटप = पेड़। विनिर्मित = अच्छी तरह बने हुए।
प्रश्न – 1 : रचना तथा रचनाकर का नाम लिखें।
उत्तर : रचना ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ तथा रचनाकार हरिवंश राय बच्चन हैं।
प्रश्न – 2 : प्रस्तुत अंश का भावार्थ लिखें।
उत्तर : प्रस्तुत अंश में कवि कहते हैं कि अचानक बहने वाली बयार के तेज झोंके से भीम की तरह शरीर धारण करने वाले विशालकाय पेड़ भी जड़ से उखड़ कर गिर पड़े। जब बड़े-बड़े वृक्षों का यह हाल हुआ तो न जाने तिनके से बने घोंसलों पर क्या न बीती होगी। ईंट और पत्थर के महल भी डगमगाने लगे जब बयार के साथ कंकड़ों की बौछार उन पर होने लगी। कहने का भाव यह है कि जीवन में ऐसे भी क्षण आते हैं जब विभिन्न प्रकार के संघातों, चोटों को सहन करना पड़ता है तथा आशारूपी बड़े-बड़े महल भी हिल जाते हैं। लेकिन हमेशा ये स्थिति रहनेवाली नहीं है और अच्छे दिन भी आएंगे। क्योंकि इस संसार में सुख और दुख का आना-जाना तो लगा ही रहता है।
विशेष : 1. प्रस्तुत अंश में प्रकृति के माध्यम से कवि ने अपने जीवन में घिर आई निराशा का चित्रण किया है।
2. प्रकृति की विनाशलीला तथा घोंसले मानव जीवन में आने वाली विपदाओं के प्रतीक हैं।
3. ‘विटप वर’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. कविता प्रतीकात्मक है।
5. भाषा सहज-सरल है।
4. बोल, आशा के विहंगम
किस जगह पर तू छिपा था,
जो गगन पर चढ़ उठाता
गर्व से निज वक्ष फिर-फिर।
शब्दार्थ : डगमगाए = हिल गए। विहंगम = पक्षी। गगन = आकाश। निज = अपना। वक्ष = छाती ।
प्रश्न – 1 : रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर : प्रस्तुत अंश के रचनाकार श्री हरिवंश राय बच्चन हैं।
प्रश्न – 2: पद्यांश का भावार्थ स्पष्ट करें।
उत्तर : कविता के प्रस्तुत अंश में कवि कहते हैं जब जीवन में चारों ओर निराशा के बादल छाए हुए थे तब न जाने यह आशारूपी पक्षी कहाँ छिपा हुआ था। यही वह पक्षी है जो आकाश की ऊँचाइयों पर गर्व से अपना सीना ताने इस विषम परिस्थिति में खड़ा रहता है। यह आशारूपी पक्षी ही है जो हमें यह संदेश देता है कि विषम परिस्थितियों से न घबड़ा कर हमें पुन: जीवन को संवारने में लग जाना चाहिए और इस जीवनरूपी नीड़ का निर्माण केवल और केवल स्नेह के तिनके से ही किया जा सकता है।
विशेष : 1. प्रस्तुत अंश में प्रकृति के माध्यम से कवि ने अपने जीवन में घिर आई निराशा का चित्रण किया है ।
2. आशा को विहंगम बताया गया है अत: रूपक अलंकार है।
3. ‘फिर-फिर’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. वह आशारूपी पक्षी ही है जो जीवन की विषम परिस्थितियों में भी नए उत्साह का संचार करता है।
5. कविता प्रतीकात्मक है
6. भाषा सहज-सरल है ।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
1. चिड़िया चोंच में तिनका लेकर क्या सिद्ध करना चाहती है?
उत्तर : चिड़िया चोंच में तिनका लेकर यह सिद्ध करना चाहती है कि नाश के दुःख को छोड़कर हमें पुनः निर्माण के कार्य में लग जाना चाहिए।
2. ‘नीड़ का निर्माण’ का प्रतीकार्थ अथवा संदेश क्या है?
उत्तर : ‘नीड़ का निर्माण’ का प्रतीकार्थ यह है कि हमें जीवन की आपदाओं से निराश न होकर पुन: जीवन जीने के लिए रचनात्मक कार्य में लग जाना चाहिए।
3. सहसा अँधेरा क्यों छा गया?
उत्तर : तेज आँधी के आ जाने से सहसा अँधेरा छा गया।
4. दिन रात की तरह कैसे हो गया?
उत्तर : धूल भरी आँधी ने पृथ्वी को पूरी तरह ढक लिया, सूर्य का प्रकाश जमीन तक नहीं पहुँच पा रही थी। इसीलिए दिन रात की तरह हो गया।
5. जब दिन में रात की तरह अँधेरा छा गया तब क्या लग रहा था?
उत्तर : दिन में रात की तरह अँधेरा छा जाने से ऐसा लग रहा था मानो अब कभी दिन नहीं होगा।
6. लोग किसके कारण भयभीत हो गए ?
उत्तर : लोगों को लग रहा था कि अब इस निशा का अंत नहीं होने वाला है तथा रात्रि के अंधेरे में बुरी ताकतों का जो उत्पात होगा, उसकी कल्पना करके ही लोग भयभीत हो गए।
7. प्राची (पूरब) से किसकी मोहिनी मुस्कान दिखाई पड़ी?
उत्तर : प्राची से ऊषा की मोहिनी मुस्कान दिखाई पड़ी।
8. कवि किसका आह्वान बार-बार करना चाहते हैं?
उत्तर : कवि नेह का आह्वान बार-बार करना चाहते हैं।
9. भीम के समान कायावान किसे कहा गया है?
उत्तर : भीम के समान कायावान बड़े-बड़े वृक्षों को कहा गया है।
10. ‘भूधर’ किसे कहा गया है?
उत्तर : भूधर बड़े-बड़े वृक्षों को कहा गया है।
11. आशा को किसके समान बताया गया है?
उत्तर : आशा को पक्षी के समान बताया गया है।
12. कौन अपना सीना गर्व से ऊँचा उठाता?
उत्तर : आशारूपी पक्षी अपना सीना गर्व से ऊँचा उठाता।
13. ‘किस जगह पर तू छिपा था’ – तू किसके लिए आया है?
उत्तर : ‘तू’ आशारूपी पक्षी के लिए आया है।
14. ऊषा कहाँ मुस्कुराती है?
उत्तर : क्रुद्ध नभ के वज्रदन्तों के बीच ऊषा मुस्कुराती है।
15. कौन पवन को नीचा दिखाती है?
उत्तर : एक छोटी चिड़िया पवन को नीचा दिखाती है।
16. किसके दुःख से निर्माण का सुख कभी नहीं दबता ?
उत्तर : नाश के दुःख से निर्माण का सुख कभी नहीं दबता ।
17. कवि ने कौन-सा नवगान फिर-फिर गाने को कहा है?
उत्तर : कवि ने सृष्टि का नवगान फिर-फिर गाने को कहा है ।
18. आँधी से किस-किस को नुकसान हुआ ?
उत्तर : आँधी से बड़े-बड़े वृक्षों, इमारतों तथा घोंसलों को नुकसान हुआ।
19. क्रुद्ध नभ के दाँत कैसे बताए गए हैं?
उत्तर : क्रुद्ध नभ के दाँतों को वज्र (बिजली) के समान बताया गया है।
20. हवा के झोंकों से कौन काँपने लगे?
उत्तर : हवा के झोंकों से बड़े-बड़े पेड काँपने लगे।
21. दिन में रात का-सा दृश्य उपस्थित होने पर लोग क्या सोचने लगे?
उत्तर : दिन में रात का-सा दृश्य उपस्थित होने पर लोग यह सोचने लगे कि अब यह रात्रि कभी खत्म नहीं होने वाली है।
22. कवि किससे छिपने की बात पूछते हैं?
उत्तर : कवि आशारूपी विहंगम से छिपने की बात पूछते हैं।
23. किसकी मोहिनी मुस्कान बार-बार नीड़ का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करती है?
उत्तर : ऊषा की मोहिनी मुस्कान बार-बार नीड़ का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
24. चिड़िया की चोंच में दबा तिनका किसका प्रतीक है?
उत्तर : चिड़िया की चोंच में दबा तिनका पुनर्निर्माण का प्रतीक है।
25. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता का संदेश क्या है?
उत्तर : इस कविता का संदेश है कि हमें विनाश से निराश न होकर फिर से जीवन के निर्माण में लग जाना चाहिए।
26. दुःख के समय मनुष्य क्या सोचता है?
उत्तर : दु:ख के समय मनुष्य यह सोचता है कि इस दुःख का उसके जीवन से कभी अंत होने वाला नहीं है।
27. प्रलय की निस्तब्धता में बार-बार किसका संगीत गूंजता है?
उत्तर : प्रलय की निस्तब्धता में बार-बार सृष्टि का संगीत (नवगान) गूंजता है।
28. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता किस काव्य-संकलन से ली गई है?
उत्तर : ‘सतरंगिनी’ नामक काव्य-संकलन से ली गई है।
29. ‘वज्र दन्तों’ किसे कहा गया है?
उत्तर : आकाश में चमकने वाली बिजली को ‘वज्रदन्तों’ कहा गया है।
30. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता का संदेश क्या है?
उत्तर : जीवन से निराशा को दूर कर जीवन को नए सिरे से जीने का प्रयत्न करना ही इस कविता का संदेश है।
31. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ के कवि कौन हैं?
उत्तर : हरिवंश राय बच्चन।
32. चिड़िया चोंच में तिनका लेकर क्या सिद्ध करना चाहती हैं?
उत्तर : चिड़िया चोंच में तिनका लेकर यह सिद्ध करना चाहती है कि नाश के डर से हमें चुप होकर बैठना नहीं चाहिए बल्कि फिर से निर्माण में लग जाना चाहिए।
33. ‘पवन उनचास’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर : आँधी।
34. ‘भीम कायावान धूसर’ किसे कहते हैं ?
उत्तर : विशाल वृक्षों को।
35. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर : नाश के भय से निर्माण का कार्य नहीं रोकना चाहिए।
36. कवि किसका आह्वान बार-बार करना चाहते हैं ?
उत्तर : कवि नेह (प्यास) का आह्वान बार-बार करना चाहते हैं।
37. चिड़िया की चोंच में दबा तिनका किसका प्रतीक है?
उत्तर : चिड़िया की चोंच में दबा तिनका साहस तथा निर्माण का प्रतीक है।
38. संघर्ष और निर्माण की क्रियाओं की उपमा कवि ने किससे दी है ?
उत्तर : नीड़ के निर्माण से उपमा दी है।
39. नाश के दुःख से किस प्रकार का सुख नहीं दबता है ?
उत्तर : नाश के दुःख से निर्माण का सुख नहीं दबता है।
40. तूफान आने से बड़े-बड़े महलों की क्या दशा हो गई थी ?
उत्तर : तूफान से बड़े-बड़े महल धराशायी हो गये थे।
41. ‘वज्र दंतों’ किसे कहा गया है ?
उत्तर : आकाश मे चमकनेवाली बिजली को ‘वज्र दंतों’ कहा गया है।
42. बादलों के घिरने का भूमि पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर : बादलों के घिरने पर भूमि पर दिन में ही रात की तरह अँधेरा छा गया।
43. ‘सृष्टि का नवगाान फिर-फिर’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : विनाश के बाद सृष्टि अर्थात् निर्माण के कार्य में लग जाना ही जीवन है।
44. ‘भूधर’ किसे कहा गया है ?
उत्तर : पेड़ों को भूधर कहा गया है।
45. प्राची से किसकी मोहिनी मुस्कान दिखायी पड़ी ?
उत्तर : प्राची (पूरब) से उषा की मोहिनी मुस्कान दिखायी पड़ी।
46. क्रुद्ध नभ के वज्र-दंतों में कौन मुस्काराती है ?
उत्तर : उषा मुस्कराती है।
47. कौन पवन को नीचा दिखाती है ?
उत्तर : चोंच में तिनका दबाए चिड़िया पवन को नीचा दिखाती है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. बच्चन जी का जन्म कब हुआ था?
(क) 26 नवम्बर 1906
(ख) 27 नवम्बर 1907
(ग) 28 नवम्बर 1908
(घ) 29 नवम्बर 1909
उत्तर : (ख) 27 नवम्बर 1907 ।
2. बच्चन जी का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) इलाहाबाद
(ख) बनारस
(ग) छत्तीसगढ
(घ) उत्तराखंड
उत्तर : (क) इलाहाबाद।
3. बच्चन जी के पिता का नाम क्या था?
(क) प्रतापचन्द्र
(ख) प्रताप बच्चन
(ग) प्रताप नारायण श्रीवास्तव
(घ) बच्चन श्रीवास्तव
उत्तर : (ग) प्रताप नारायण श्रीवास्तव।
4. बाल्यकाल में बच्चन जी को किस नाम से पुकारा जाता था?
(क) संतान
(ख) बच्चन
(ग) श्रीवास्तव
(घ) बच्चा
उत्तर : (ख) बच्चन।
5. बच्चन जी भारत सरकार के किस विभाग में हिन्दी विशेषज्ञ थे?
(क) कला एवं संस्कृति विभाग
(ख) राजभाषा विभाग
(ग) विदेश मंत्रालय
(घ) निर्वाचन विभाग
उत्तर : (ग) विदेश मंत्रालय ।
6. बच्चन जी का देहांत कब हुआ?
(क) 18 जनवरी 2003
(ख) 19 जनवरी 2004
(ग) 20 जनवरी 2005
(घ) 21 जनवरी 2006
उत्तर : (क) 18 जनवरी 2003 |
7. बच्चन जी को ‘दो चट्टानें’ कृति पर कौन-सा पुरस्कार मिला?
(क) नोबेल पुरस्कार
(ख) मंगला प्रसाद पारितोषिक
(ग) सरस्वती पुरस्कार
(घ) साहित्य अकादमी पुरस्कार
उत्तर : (घ) साहित्य अकादमी पुरस्कार ।
8. ‘नीड़ का पुननिर्माण’ किसकी रचना है?
(क) राजेश जोशी
(ख) हरिवंश राय बच्चन
(ग) अनामिका
(घ) ऋतुराज
उत्तर : (ख) हरिवंश राय बच्चन ।
9. ‘सोवियत लैंड पुरस्कार किस साहित्यकार को मिला हैं?
(क) दिनकर
(ख) बच्चन
(ग) कीर्ति चौधरी
(घ) रघुवीर सहाय
उत्तर : (ख) बच्चन।
10. निम्न में से कौन ‘प्रेम और मस्ती का काव्य’ की काव्यधारा का कवि नहीं है ?
(क) प्रसाद
(ख) बच्चन
(ग) अंचल
(घ) नेरन्द्र शर्मा
उत्तर : (क) प्रसाद।
11. किस कवि को हिन्दी का ‘बायरन’ माना जाता है?
(क) रघुवीर सहाय
(ख) पंत
(ग) बच्चन
(घ) कैलाश गौतम
उत्तर : (ग) बच्चन।
12. ‘मधुशाला’ के रचनाकार कौन हैं?
(क) बच्चन
(ख) रामनरेश त्रिपाठी
(ग) कीर्ति चौधरी
(घ) अनामिका
उत्तर : (क) बच्चन।
13. ‘मधुशाला’ का प्रकाशन-वर्ष क्या है?
(क) 1932 ई०
(ख) 1935 ई०
(ग) 1930 ई०
(घ) 1945 ई०
उत्तर : (ख) 1935 ई० ।
14. ‘मधुशाला’ किस विधा की रचना है?
(क) काव्य
(ख) कहानी
(ग) नाटक
(घ) उपन्यास
उत्तर : (क) काव्य ।
15. ‘मिलनयामिनी’ किसकी रचना है?
(क) अंचल
(ख) शकुंतला माथुर
(ग) बच्चन
(घ) दिनकर
उत्तर : (ग) बच्चन।
16. ‘निशा-निमंत्रण’ के रचनाकार कौन हैं?
(क) बच्चन
(ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ग) कीर्ति चौधरी
(घ) कन्हैयालाल नंदन
उत्तर : (क) बच्चन ।
17. ‘गर्जनमय’ में कौन-सा समास है?
(क) तत्पुरुष
(ख) कर्मधारय
(ग) बहुब्रीहि
(घ) द्विगु
उत्तर : (क) तत्पुरुष ।
18. ‘मधुकलश’ के रचनाकार कौन हैं?
(क) अनामिका
(ख) ऋतुराज
(ग) बच्चन
(घ) कीर्ति चौधरी
उत्तर : (ग) बच्चन ।
19. ‘एकांत संगीत’ किसकी रचना है?
(क) रघुवीर सहाय
(ख) राजेश जोशी
(ग) दिनकर
(घ) बच्चन
उत्तर : (घ) बच्चन।
20. ‘सतरंगिनी’ के रचनाकार कौन हैं?
(क) यतीन्द्र मिश्र
(ख) दिनकर
(ग) बच्चन
(घ) राम कुमार वर्मा
उत्तर : (ग) बच्चन।
21. ‘आरती और अंगारे’ के कवि कौन हैं?
(क) बच्चन
(ख) दिनकर
(ग) अनामिका
(घ) कीर्ति चौधरी
उत्तर : (ग) बच्चन।
22. ‘नीड़’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
(क) पानी
(ख) मकान
(ग) छोटा
(घ) घोंसला
उत्तर : (घ) घोंसला ।
23. ‘प्राची’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
(क) उत्तर
(ख) दक्षिण
(ग) पूरब
(घ) पश्चिम
उत्तर : (ग) पूरब ।
24. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कब रची गई थी?
(क) सुख के दिनों में
(ख) दुःख के दिनों में
(ग) पहली पत्नी श्यामा की मृत्यु के पहले
(घ) तेजी सूरी से विवाह के पश्चात्
उत्तर : (घ) तेजी सूरी से विवाह के पश्चात्
25. बच्चन बार-बार किसका आह्वान करते हैं?
(क) नीड का
(ख) रात्रि का
(ग) भीत जन का
(घ) नेह का
उत्तर : (घ) नेह का।
26. गर्व से निज वक्ष बार-बार कौन उठाता है?
(क) कवि
(ख) घोंसला
(ग) आशारूपी पक्षी
(घ) दुःख
उत्तर : (ग) आशारूपी पक्षी।
27. किसके कारण प्रकृति में निस्तब्धता छा गई?
(क) कवि के कारण
(ख) रात्रि के कारण
(ग) क्रुद्ध नभ के कारण
(घ) प्रलय के कारण
उत्तर : (घ) प्रलय के कारण।
28. किसके कंठ में चिड़िया गाती है?
(क) कवि के
(ख) महल के
(ग) गगन के
(घ) सृष्टि के
उत्तर : (ग) गगन के।
29. भूमि को किसने घेरा ?
(क) काल
(ख) दुःख
(ग) रात्रि
(घ) धूलि-धूसर बादल
उत्तर : (घ) धूलि-धूसर बादल।
30. दिन किसके समान हो गया ?
(क) रात
(ख) पहाड़
(ग) राई
(घ) नेह
उत्तर : (क) रात ।
31. ‘प्राची’ का अर्थ है ?
(क) पुराना
(ख) प्राचीन
(ग) पूरब
(घ) पश्चिम
उत्तर : (ग) पूरब ।
32. किसका अह्वान कवि बार-बार करते हैं ?
(क) ईश्वर
(ख) नेह
(ग) सुख
(घ) निराशा
उत्तर : (ख) नेह।
33. आशा को किसके समान बताया गया है ?
(क) विहंगम
(ख) पर्वत
(ग) रात्रि
(घ) गगन
उत्तर : (क) विहंगम ।
34. खग पंक्ति कहाँ गाती है ?
(क) वज्र दन्तों के बीच
(ख) गगन के बीच
(ग) गगन के कंठ में
(घ) नीड़ में
उत्तर : (ग) गगन के कंठ में।
35. गर्व से निज वक्ष बार-बार कौन उठाता है?
(क) कवि
(ख) घोंसला
(ग) आशारूपी पक्षी
(घ) दुःख
उत्तर : (ग) आशारूपी पक्षी ।
36. नाश के दुःख से क्या नहीं दबता ?
(क) निर्माण का सुख
(ख) अपराधियों का मनोबल
(ग) कवि के बोल
(घ) धरती
उत्तर : (क) निर्माण का सुख ।
37. चोंच में तिनका लिए जा रही चिड़िया किसे नीचा दिखाती है ?
(क) पवन उनतालीस को
(ख) पवन उनसठ को
(ग) पवन उन्नीस को
(घ) पवन उनचास को
उत्तर : (घ) पवन उनचास को।
38. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ किस प्रकार की कविता है ?
(क) आशावादी
(ख) निराशावादी
(ग) भाग्यवादी
(घ) भक्ति
उत्तर : (क) आशावादी ।
39. पवन उनचास को कौन नीचा दिखा रहा है ?
(क) वायु
(ख) मनुष्य
(ग) चिड़िया
(घ) तिनका
उत्तर : (ग) चिड़िया।
40. निम्न में से कौन-सा शब्द ‘मही’ का अर्थ नहीं है ?
(क) धरती
(ख) पृथ्वी
(ग) पर्वत
(घ) भू
उत्तर : (ग) पर्वत ।
41. ‘नीड़ के निर्माण फिर-फिर’ कविता के कवि क्या हैं ?
(क) निराशावादी
(ख) आशावादी
(ग) भाग्यवादी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) आशावादी ।
42. ‘नीड़’ शब्द का अर्थ है ?
(क) मकान
(ख) झाड़ी
(ग) घोंसला
(घ) झोपड़ी
उत्तर : (ग) घोंसला।
43. किसके कंठ में चिड़िया गाती है ?
(क) गगन के
(ख) कवि के
(ग) महल के
(घ) पेड़ के
उत्तर : (क) गगन के ।
44. ‘फिर-फिर’ में कौन-सा समास है?
(क) द्वन्द्व
(ख) अव्ययी भाव
(ग) कर्मधारय
(घ) द्विगु
उत्तर : (क़) द्वन्द्व ।
45. ‘नीड़ का निर्माण फिर-फिर’ कविता किस संग्रह से ली गई हैं ?
(क) पंच रंगिनी
(ख) मधुशाला
(ग) सतरंगिनी
(घ) नीड़ का पुर्ननिर्माण
उत्तर : (घ) नीड़ का पुर्ननिर्माण।
46. ‘उखड़-पुखड़’ सामासिक पद में कौन-सा समास है?
(क) अव्ययी भाव
(ख) कर्मधारय
(ग) बहुब्रीहि
(घ) द्वन्द
उत्तर : (घ) द्वन्द ।
47. -‘धूलि-धूसर’ में कौन-सा समास है?
(क) तत्पुरूष
(ख) कर्मधारय
(ग) द्विगु
(घ) द्वंद
उत्तर : (क) तत्पुरुष ।
48. ‘भूधर’ में कौन-सा समास है?
(क) द्वंद
(ख) द्विगु
(ग) तत्पुरूष
(घ) कर्मधारय
उत्तर : (ग) तत्पुरुष ।
49. ‘ईंट-पत्थर’ में कौन-सा समास है?
(क) द्विगु
(ख) द्वंद
(ग) तत्पुरूष
(घ) बहुब्रीहि
उत्तर : (ख) द्वंद ।
50. ‘नवगान’ में कौन-सा समास है?
(क) तत्पुरुष
(ख) कर्मधारय
(ग) द्विगु
(घ) द्वंद
उत्तर : (ख) कर्मधारय ।