मध्यकालीन भारत

अलबरूनी कौन था | Who was Alberuni

अलबरूनी कौन था | Who was Alberuni

 

अलबरूनी का पूरा नाम अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल – बदरूनी था। अलबरूनी का जन्म 973 ई. में ख्वारिज्म में हुआ था। ख्वारिज्म वर्तमान में उज्बेकिस्तान में है।

यह एक फारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ था। अलबरूनी महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। इसे भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता है।

अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल-बयरुनी (फ़ारसी-अरबी : ابوریحان محمد بن احمد بیرونی यानि अबू रयहान, पिता का नाम अहमद अल-बरुनी) या अल बेरुनी (973-1048) एक फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक था।अल बेरुनी की रचनाएँ अरबी भाषा में हैं पर उसे अपनी मातृभाषा फ़ारसी के अलावा तीन और भाषाओं का ज्ञान था – सीरियाई, संस्कृत, यूनानी। वो भारत और श्रीलंका की यात्रा पर 1017-20 के मध्य आया था। ग़ज़नी के महमूद, जिसने भारत पर कई बार आक्रमण किये, के कई अभियानों में वो सुल्तान के साथ था। अलबरुनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता था।प्रारम्भ में अलबरूनी ख़्वारिज्म के ममुनि शासक का मंत्री था क्योंकि शासक उसकी विद्वता से प्रभावित था।।

अब्बासी शासन के पतनोन्मुख दिनों में उसका जन्म ख्वारज़्म में सन् 973 में हुआ था। यह स्थान वर्तमान उज़्बेकिस्तान में है। उसने गणित और खगोलविज्ञान अबू नस्र मंसूर से सीखी। वे अवेसिन्ना के साथी थे। अफ़ग़ानिस्तान और दक्षिण एशिया की यात्रा पर वो महमूद गज़नवी के साथ उसके काफ़िले में गया। भारत में रहते हुए उसने भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया और 1030 में किताब-अल-हिन्द (भारत के दिन) नामक किताब लिखी। उसकी मृत्यु ग़ज़नी, अफ़गानिस्तान (समकालीन इसे अफ़गानिस्तान नहीं कहा जाता था बल्कि फ़ारस का हिस्सा कहते थे) में हुई।

अलबरूनी भारत कब आया?

वह 1017 ई० से 1020 ई० के मध्य के महमूद गजनवी के भारत आक्रमणों के साथ भारत आया। उस समय भारत विभिन्न भागों में बंटा हुआ था। चूंकि अलबरूनी महमूद के साथ भारत आया था।

महमूद के आक्रमण के समय मुल्तान और सिंध में 2 मुसलमानी राज्य थे।चिनाब से हिन्दुकुश तक के क्षेत्र(हिन्दूशाही राज्य) में जयपाल का शासन था, कश्मीर में ब्राह्मण, कन्नौज में प्रतिहार व बंगाल में पाल वंश का शासन था।

भारत मे रहते हुए उसने संस्कृत भाषा, भारतीय संस्कृति, भारतीय दर्शन व अन्य धर्मशास्त्रों के विषय मे गहनता से अध्ययन क़िया।

अलबरूनी की रचनाएं:-

इन्ही अध्ययनों के फलस्वरूप उसने लगभग 146 पुस्तकों (हालांकि यह संख्या निश्चित नहीं है) की रचना की जो कि खगोलशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, गणित, साहित्य व अन्य विषयों पर आधारित थीं।

उसकी प्रमुख रचनाएँ निम्न हैं―

ख़िताब-उल-तफ़ीम

अल कानून अल-मसूद

कानून अल मसूदी अल हैयत

अल नजूम

किताब-उल-हिन्द/तहक़ीक़-ए-हिन्द (मुख्य ग्रन्थ)

भारत के विषय में अलबरूनी:-

उसने अपने विभिन्न ग्रन्थों में भारत के विषय में में  लिखा जिनमें तहक़ीक़-ए-हिन्द के विवरण सबसे प्रामाणिक हैं।

किताब-उल-हिन्द अथवा तहक़ीक़-ए-हिन्द:

यह 80 अध्यायों वाला एक विस्तृत ग्रंथ है जोकि अरबी भाषा में लिखी गयी। इसमें अलबरूनी ने भारत की जलवायु, प्राकृतिक स्थिति, भाषा, रीति-रिवाज, सामाजिक परम्पराएँ, धर्म, भारतीयों के कर्म-सिद्धान्त, जीव के आवागमन के सिद्धान्त, मोक्ष-सिद्धान्त आदि के सम्बन्ध में लिखा। उसने भारतीयों के भोजन, वेश-भूषा, मेलों, धार्मिक उत्सवों, मनोरंजन के साधनों आदि के विषय में भी लिखा। उसने अपने विवरण में भगवद्-गीता, वेदों, उपनिषदों, पतंजलि के योग-शास्त्र आदि के विषय में भी लिखा। इस प्रकार, अलबरुनी ने भारतीय जीवन के प्रायः सभी पक्षों के बारे में लिखा।

इस प्रकार, तहकीक-ए-हिन्द में 11 वीं शताब्दी के भारतीय जीवन के सभी क्षेत्रों का विवरण दिया गया है और उसे तत्कालीन भारत के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन के बारे में जानने का एक उपयोगी स्रोत-ग्रन्थ माना गया है।

अन्तिम समय:-

जीवन के अंतिम समय में उसे महमूद गजनवी के उत्तराधिकारी मसूद का संरक्षण भी प्राप्त था। उसकी मृत्यु 13 दिसम्बर 1048 ई० को गजनी साम्राज्य, अफगानिस्तान(उस समय यह फारस के अंतर्गत आता था।) में हुई थी।

भारतीयों के प्रति अलबरूनी के विचार:-

★ उसने लिखा कि भारतीय शासकों में कोई पारस्परिक एकता नहीं है और विदेशी आक्रमण के अवसर पर वे कभी भी मिलकर एक नहीं हुए।

★ उसने लिखा कि जाति-प्रथा इतनी कठोर है कि यदि एक बार एक व्यक्ति को जाति से बहिष्कृत कर दिया जाये तो उसे पुनः जाति में सम्मिलित नहीं किया जा सकता।

★ उसके अनुसार भारतीय ब्राह्मण विद्वान तो थे किंतु वे कूप मंडूक थे। उनका विदेशों से संबंध नहीं था।

★ उसके अनुसार भारतीय अभिमानी थे। वे अपनी भाषा, संस्कृति, देश आदि सभी को सर्वश्रेष्ठ मानते थे ।

★ अलबरूनी के अनुसार भारतीय हिन्दू इतिहासकार नहीं थे।

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