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अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के परिणाम

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के परिणाम

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के परिणाम

अमेरिका पर प्रभाव
(i) संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय
(ii) प्रथम जनतंत्र की स्थापना
(iii) औद्योगिक क्रांति का आरंभ
(iv) समाज पर प्रभाव
इंगलैंड पर प्रभाव
(i) औपनिवेशिक नीति में परिवर्तन
(ii) जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन की समाप्ति
(iii) कैबिनेट-प्रणाली का विकास
(iv) वैदेशिक व्यापार एवं अर्थव्यवस्था को क्षति
(v) इंगलैंड में सुधार
• फ्रांस पर प्रभाव
• भारत पर प्रभाव
• अन्य देशों पर प्रभाव
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम विश्व इतिहास की एक विभाजक रेखा मानी जाती है। इसके दूरगामी और निर्णायक परिणाम हुए।
अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव न सिर्फ 13 उपनिवेशों पर पड़ा, बल्कि इसने विश्व के अन्य राष्ट्रों को भी गहरे रूप से
प्रभावित किया। इस संग्राम के निम्नलिखित परिणाम हुए-

अमेरिका पर प्रभाव

(i) संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय – इस युद्ध के परिणामस्वरूप अमेरिका के 13 उपनिवेशों ने आपस में मिलकर संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) की स्थापना की। अब विश्व मानचित्र पर एक नए राष्ट्र का उदय हुआ। नए राष्ट्र के लिए 1787 में नया लिखित संविधान बना। इसे 1789 में लागू किया गया। अमेरिका को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया और नागरिकों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा की व्यवस्था की गई। संविधान में मांटेस्वयू के ‘शक्ति-पृथक्करण सिद्धांत’ को अपनाया गया। महिलाओं को संपत्ति-संबंधी अधिकार मिले, परंतु मताधिकार नहीं। मताधिकार संपत्ति के आधार पर दिया गया।
(ii) प्रथम जनतंत्र की स्थापना- संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का पहला राष्ट्र बना जिसने प्रचलित राजतंत्रात्मक-व्यवस्था के
स्थान पर जनतंत्रात्मक शासन-व्यवस्था को अपनाया। स्वतंत्रता संग्राम के सेनानायक जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिकी गणराज्य के
प्रथम निर्वाचित राष्ट्रपति बने।
(iii) औद्योगिक क्रांति का आरंभ – युद्ध के दौरान अस्त्र-शस्त्रों और अन्य सामानों के निर्माण के लिए अनेक कल-कारखाने
खोले गए। इससे औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया आरंभ हुई। औद्योगिकीकरण ने अमेरिका की आर्थिक संपन्नता बढ़ा दी।
(iv) समाज पर प्रभाव- स्वतंत्रता संग्राम ने अमेरिकी समाज पर भी प्रभाव डाला। नई परिस्थिति में इंगलैंड के राजभक्तों को
अमेरिका छोड़कर पड़ोसी राष्ट्र कनाडा जाने को विवश होना पड़ा। अतः, गणतंत्रात्मक विचारधारा से प्रभावित लोग ही
अमेरिका में रह गए। औद्योगिकीकरण के कारण समाज में पूँजीपतियों का प्रभाव बढ़ने लगा। युद्ध में प्रमुखता से भाग लेने
के कारण स्त्रियों का समाज में सम्मान बढ़ा तथा उनके नागरिक एवं आर्थिक अधिकारों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई।

इंगलैंड पर प्रभाव

(i) औपनिवेशिक नीति में परिवर्तन – युद्ध में पराजित होने के पश्चात इंगलैंड को अपनी औपनिवेशिक नीति में परिवर्तन करने को बाध्य होना पड़ा। उसे अपने तेरह महत्त्वपूर्ण उपनिवेश खोने पड़े। अतः, उसने अब उपनिवेशों के प्रति मित्रवत नीति बनाने का प्रयास किया।
(ii) जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन की समाप्ति-अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने सम्राट जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का
अंत कर दिया। युद्ध में पराजित होने से उसकी प्रतिष्ठा घट गई और उसका पतन हो गया।
(iii) कैविनेट- प्रणाली का विकास- जॉर्ज तृतीय एक स्वेच्छाचारी शासक के समान शासन करता था, परंतु उसके पतन के बाद सत्ता हाउस ऑफ कॉमन्स के द्वारा निर्वाचित प्रधानमंत्री के हाथों में चली गई। लॉर्ड नॉर्थ को बर्खास्त कर छोटा पिट (Pitt the Younger) को प्रधानमंत्री बनाया गया। उसने उदार नीति अपनाई। छोटा पिट ने कैविनेट-प्रणाली (मंत्रिमंडलीय व्यवस्था) के विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया।
(iv) वैदेशिक व्यापार एवं अर्थव्यवस्था को क्षति- स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व इंगलैंड का विदेशी व्यापार बड़े स्तर पर होता था,
परंतु युद्ध के बाद इस स्थिति में परिवर्तन आ गया। अब व्यापारिक प्रतिबंधों के स्थान पर मुक्त व्यापार (लैसेज फेयर) की नीति को बढ़ावा दिया गया। इस नीति का प्रतिपादन प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने किया था। अमेरिका से व्यापार बंद हो जाने से इंगलैड को काफी आर्थिक क्षति हुई। इसी प्रकार, युद्ध में होनेवाले खर्च का भी इंगलैंड की अर्थव्यवस्था पर घातक प्रभाव पड़ा।
(v) इंगलैंड में सुधार- युद्ध के बाद इंगलैंड में अनेक सुधार लागू किए गए। 1782 में आयरलैंड की संसद को स्वतंत्र स्थान
प्रदान किया गया। 1793 में कैथोलिक आयरिशों को मताधिकार दिया गया। 1800 में आयरिश संसद को ब्रिटिश संसद से संबद्ध कर दिया गया। अब इंगलैंड में राजनीतिक स्वतंत्रता का महत्त्व बढ़ गया। राजतंत्र सीमित और नियंत्रित हो गया। संसद का प्रभाव बढ़ गया।

फ्रांस पर प्रभाव

फ्रांस पर अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का व्यापक प्रभाव पड़ा। इस युद्ध में फ्रांस ने अमेरिका को आर्थिक और सैनिक सहायता दी थी। लफायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सैनिकों ने इस युद्ध में भाग लिया था। अनेक फ्रांसीसी स्वयंसेवकों ने भी इस संघर्ष में भाग लिया था। युद्ध के बाद जब वे सैनिक और स्वयंसेवक स्वदेश लौटे तो उन्हें इस बात की अनुभूति हुई कि स्वतंत्रता तथा
समानता के जिन सिद्धांतों के लिए वे संघर्ष कर रहे थे, अपने देश में उन्हीं का अभाव था। अतः, वे भी राजतंत्रविरोधी हो गए।
इसके साथ-साथ अमेरिका की सहायता करने से फ्रांस की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई। सरकार दिवालियापन के कगार पर
पहुँच गई। इन घटनाओं ने 1789 की फ्रांस की क्रांति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत पर प्रभाव

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में इंगलैंड फ्रांस की भूमिका को नहीं भुला सका। वह फ्रांसीसियों को पराजित करने का अवसर
खोजता रहा। भारत में उसे यह अवसर मिला। यहाँ राजनीति और व्यापार पर अधिकार करने के लिए आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष हुए। इसमें अँगरेज विजयी हुए। भारतीय राजनीति और व्यापार पर उनका अधिकार हो गया।

अन्य देशों पर प्रभाव

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ा। अमेरिका से सबक लेकर इंगलैंड ने कनाडा के प्रति उदार नीति अपनाई। कनाडावासियों को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई। कनाडा में फ्रांस के प्रचलित कानूनों को भी मान्यता मिली। आगे चलकर इसी आधार पर कनाडा को औपनिवेशिक स्वराज्य भी मिला। इंगलैंड ने ऑस्ट्रेलिया के विकास पर भी ध्यान दिया। अमेरिका से प्रेरणा लेकर आयरलैंड ने भी इंगलैंड के विरुद्ध संघर्ष आरंभ कर दिया। फलस्वरूप, आयरलैंड में आगे चलकर आयरिश फ्री स्टेट नामक स्वतंत्र राज्य का उदय हुआ।

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