औपनिवेशिक खोज और विस्तार
औपनिवेशिक खोज और विस्तार
औपनिवेशिक खोज और विस्तार
1488 में बार्थोलोमियो डियाज ने अफ्रीका के दक्षिणतम बिंदु उत्तमाशा अंतरीप (Cape of Good Hope) का पता लगाया। इससे भारत पहुँचने का मार्ग सरल हो गया। भौगोलिक खोजों की दिशा में कोलम्बस और वास्कोडिगामा के नाम अग्रणी हैं। इटली का क्रिस्टोफर कोलम्बस (1451-1506) स्पेन के राजा फर्डिनेंड द्वितीय और रानी इसाबेला की सहायता प्राप्त कर अगस्त 1492 में अपनी सामुद्रिक यात्रा पर निकला। उसके साथ 3 जहाज और नाविकों की एक टुकड़ी थी। उसका उद्देश्य पूरब की ओर बढ़ते हुए भारत और चीन पहुँचना था, परंतु मार्ग भटकने के कारण वह पश्चिम दिशा में बढ़ता हुआ 12 अक्टूबर 1492 को एक अन्य स्थान पर पहुँचा। इसे भारत समझकर उसने इस स्थान का नाम इंडीज रखा। यहाँ के निवासियों को उसने रेड इंडियन कहा। यह स्थान अमेरिका के निकट गुआनाहानि द्वीप था। कोलम्बस ने इसे बहामा नाम दिया। कालांतर में यह स्थान सैन सैल्वाडोर और वेस्ट इंडीज के नाम से विख्यात हुआ। स्पेन के इतिहास में कोलम्बस की खोज को
महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया।
इस दिवस को (12 अक्टूबर 1492) स्पेन का राष्ट्रीय अवकाश दिवस घोषित किया गया। कोलम्बस ने 1502 तक अन्य नाविक अभियान भी किए और नए स्थानों की खोज की। कोलम्बस की मृत्यु के पश्चात फ्लोरेंस के नाविक और भूगोलवेत्ता अमेरिगो वेस्पुस्सी ने अमेरिका की यात्रा की तथा अपनी पुस्तक कॉस्मोग्राफिए इंट्रोडक्टियो (Cosmographia Introductio) में इसका विवरण दिया। उसी के नाम पर नई दुनिया का नामकरण अमेरिका हुआ। कोलम्बस के नाम पर दक्षिण अमेरिका के पश्चिमोत्तर भाग का एक छोटा क्षेत्र कोलंबिया कहलाया। अमेरिका या ‘नई दुनिया’ की खोज इटली की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी। अमेरिकी महाद्वीप को ‘नई दुनिया’ इसलिए कहा गया, क्योंकि कोलम्बस की यात्रा के पहले यूरोपवालों को इसका ज्ञान नहीं था। इससे यूरोप और अमेरिका के बीच समुद्री यात्रा को बढ़ावा मिला।
स्पेन के समान पुर्तगाल ने भी समुद्री यात्रा एवं भौगोलिक खोजों में गहरी दिलचस्पी ली। वहाँ का राजकुमार हेनरी-द- नेवीगेटर’ नाविकों को समुद्री यात्रा के लिए प्रोत्साहित करता था। उसने नाविकों के लिए एक स्कूल खोला। कोलम्बस ने भी इस स्कूल में अध्ययन किया था। उसके नाविकों ने अफ्रीका के पश्चिमी किनारे के कुछ क्षेत्रों का पता लगाया। वहाँ से पुर्तगालियों को सोना
और गुलाम मिले। इस प्रकार, दास-व्यापार आरंभ हुआ। पूरब दिशा में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण खोज वास्कोडिगामा (1460-1524) ने की थी। वह एक पुर्तगाली था। उत्तमाशा अंतरीप और हिंद महासागर होते हुए 20 मई 1498 को वह भारत के
मालाबार (केरल) तट पर स्थित कालीकट बंदरगाह पर पहुंचा। दक्षिणी अफ्रीका में एक भारतीय व्यापारी अब्दुल मजीद ने उसे भारत पहुँचने का मार्ग सुझाया था। कालीकट के राजा जमोरीन ने उसका स्वागत करते हुए उसे व्यापारिक सुविधाएँ प्रदान की। वास्कोडिगामा की खोज से भारत और यूरोप का व्यापारिक संबंध बढ़ा। 15वीं एवं 16वीं शताब्दियों में अन्य स्थानों की भी खोज की गई। केबरल नामक एक पुर्तगाली जहाजी ने ब्राजील का पता लगाया। 1519-21 में मैग्लेन ने जहाज से पूरे विश्व की यात्रा की। कैप्टन कुक ने ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड के द्वीपों की खोज की। सर जॉन और सेबास्टियन कैबोट ने न्यूफाउंडलैंड द्वीपों का पता लगाया। इन भौगोलिक खोजों से समस्त विश्व की जानकारी यूरोप को हो गई। इसका लाभ उठाकर यूरोप ने व्यापार-वाणिज्य एवं उपनिवेशवाद का विकास किया।