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धातुएं किसे कहते हैं | धातु के उपयोग | धातु के नाम और संकेत

धातुएं किसे कहते हैं | धातु के उपयोग | धातु के नाम और संकेत

◆ ऐसे तत्त्व (हाइड्रोजन के अतिरिक्त) जो इलेक्ट्रॉन को त्याग कर धनायन प्रदान करते है, पास कहलाते है। धातुएँ सामान्यत: चमकदार, अधातवध्य तथा तन्य होती है।
◆ प्रकृति में पारे को छोड़कर लगभग सभी धातुएँ ठोस अवस्था में पायी जाती है। पारा ही एक ऐसी धातु है जो कि द्रव अवस्था में पायी जाती है।
◆ धातुएँ ऊष्मा एवं विद्युत की सुचालक (Good Conductor) होती है। चाँदी विद्युत का सर्वश्रेष्ठ सुचालक है
◆ धातुओं में विद्युत चालकता घटते क्रम में होती है-
चाँदी > ताँबा > एल्युमिनियम
◆ सीसा की ऊष्मीय एवं विद्युत चालकता सबसे कम होती है।
◆ धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है।
◆ धातुएँ अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस विस्थापित करती है।
◆ धातुओं की प्राप्ति का मुख्य स्रोत पृथ्वी की भू पर्पटी है। भू पर्पटी में मिलने वाली धातुओं में एल्युमिनियम (7%), लोहा (4%) एवं कैल्सियम (3%) का क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान है।
◆ खनिज (Minerals) : भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले तत्त्वों या यौगिक को खनिज कहते हैं।
◆ अयस्क (Ores) : वे खनिज जिनसे धातुओं को सुगमतापूर्वक तथा लाभकारी रूप में निष्कर्षित किया जा सकता है, अयस्क कहलाते हैं।
◆ धातुकर्म (Metallurgy) : अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण तथा परिष्करण में सम्मिलित विभिन्न प्रक्रमों को धातुकर्म कहते हैं।
◆ गैंग (Gangue) : अयस्क में मिले अशुद्ध पदार्थ को गैंग कहते हैं।
◆ फ्लक्स (Flux) : अयस्क में मिले गैंग (अशुद्ध पदार्थ) को हटाने के लिए बाहर से मिलाये गये पदार्थ को फ्लक्स कहते हैं।
◆ धातुमल (Slag) : गैंग एवं धातु पलक्स के मिलने से बने पदार्थ धातुमल कहलाते हैं।
◆ निस्तापन (Calcination) : इस प्रक्रिया में धातु के अयस्क को उसके द्रवणांक (Melting Point) से नीचे के ताप पर गर्म करते हैं, ताकि अयस्क में मिले वाष्पशील अशुद्धियाँ दूर हो जायें।
◆ भर्जन (Roasting) : इस प्रक्रिया में धातु के अयस्क को गर्म हवा की उपस्थिति में उसके द्रवणांक से नीचे के ताप पर गर्म करते हैं ताकि इसमें मिली अशुद्धि ऑक्सीकृत (Oxidise) हो जाये।
◆ एसमेल्टिंग (Smelting) : इस प्रक्रिया में धातु कोक एवं फ्लक्स की उपस्थिति में उसके द्रवणांक से ऊपर के ताप पर गर्म करते हैं, जिससे शुद्ध धातु प्राप्त होती है।
◆ सक्रियता सूची : सक्रियता श्रेणी वह सूची है जिसमें रान धातुओं की क्रियाशीलता को अवरोही क्रम (Decending Order) में व्यवस्थित किया जाता है।
◆ कार्बोनेट अयस्क को निस्तापन (Calcination) द्वारा धातु ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है और सल्फाइड अयस्क को भर्जन (RODHINI) द्वारा भात ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
◆ धातु ऑक्साइडों को कार्बन, एल्युमिनियम अथवा विद्युत अपघटनी अपपणन द्वारा धातु में अपचयित किया जाता है।
◆ सोडियम, पोटैशियम तथा कैल्शियम धातुओं को उनके गलित क्लोराइडों के विद्युत अपघटन द्व शनिष्कर्षित किया जाता है जबकि एल्युमिनियम धातु को उसके गलित ऑक्साइड के विद्युत अपघटन द्वारा निष्कर्षित किया जाता है।
◆ गलित लवणों के विद्युत अपघटन के दौरान शुद्ध धातु कैथोड पर निक्षेपित होती है।
◆ संक्षारण (Corrosion) : धातुओं का उनकी सतह पर वायु एवं आर्द्रता के प्रभाव द्वारा नष्ट होना संक्षारण कहलाता है। लोहे में जंग लगना, ताँबा की सतह पर हरे रंग की परत चढ़ना एवं चाँदी की वस्तुओं का काला हो जाना संक्षारण के उदाहरण है।
◆ लोहे में जंग लगना रासायनिक परिवर्तन का उदाहरण है। जंग लगने से लोहे का भार बढ़ जाता है। लोहे में जंग लगने में बना पदार्थ फेरिसोफेरिक ऑक्साइड Fe2O3 xH2O है। (जल के अणुओं की संख्या : बदलती रहती है।)
◆ पेंट करके, तेल लगाकर, ग्रीज लगाकर, यशदलेपन, क्रोमियम लेपन, ऐनोडीकरण या मिश्रधातु बनाकर लोहे को जंग से बचाया जा सकता है।
◆ यशदलेपन (Glabnization) : लोहे एवं इस्पात को जंग से सुरक्षित रखने के लिए उन पर जस्ते की पतली परत चढ़ाने की विधि को यशदलेपन कहते हैं।
◆ ताँबा वायु में उपस्थित आर्द्र कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है जिससे इसकी सतह से भूरे रंग की चमक धीरे-धीरे खत्म हो जाती है तथा इस पर हरे रंग की परत चढ़ जाती है। यह हरा पदार्थ कॉपर कार्बोनेट होता है।
◆ खुली हवा में कुछ दिन छोड़ देने पर चाँदी (Silver) की वस्तुएँ काली हो जाती है। ऐसा चाँदी का वायु में उपस्थित सल्फर के साथ अभिक्रिया कर सिल्वर सल्फाइड की परत बनाने के कारण ऐसा होता है।
प्रमुख धातु, अयस्क तथा रासायनिक सूत्र
धातुओं के नाम अयस्क रासायनिक सूत्र
एल्युमिनियम (AI) बॉक्साइट, कोरंडम, क्रायोलाइट

Al2O3.2H2O

AI2O

NaAIF

लोहा (Fe) हेमेटाइट, मैग्नेटाइट

Fe2O

Fe3O

ताँबा (Cu) कॉपर ग्लांस, कॉपर पाइराइट्स

Cu2S

CuFeS

जस्ता (Zn) जिंकब्लेंड, केलामाइन या जिंक स्पार

ZnS

ZnCO3

सोडियम (Na) रॉक साल्ट, सोडियम कार्बोनेट

NaCl

Na2CO

पोटैशियम (K) कार्नेलाइट, शोरा

KCI MgCl2.6H2O

KNO

सीसा (Pb) गैलेना

PbS

टिन (Sn) टिन पाइराइट्स, कैसिटेराइट

Cu2FeSnS

SnO

चाँदी (Ag) सिल्वर ग्लास

Ag2S

सोना (Au) कैल्वेराइट, पेटसाइट

AuTe

Ag(Au)2Te

पारा (Hg) सिनेबार, कैलोमल

HgS

Hg2Cl

मैग्नीशियम (Mg) डोलोमाइट, कोर्नेलाइट

MgCO3.CaCO

KCl.MgCl2.6H2O

कैल्शियम (Ca) लाइम स्टोन, डोलोमाइट

CaCO

MgCO3CaCO

फॉस्फोरस (P) फॉस्फोराइट, फ्लोरएपेटाइट

Ca3(PO4)

3Ca3(PO4)CaF

अबरख (Mica)

K2O3Al2O6SiO2.2H2O

धातुओं से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य
◆ टंगस्टन का संकेत W होता है। इसका गलनांक लगभग 3500°C होता है।
◆ भारत में टंगस्टन का उत्पादन राजस्थान स्थित देगाना (Degana) खान से होता है।
◆ टंगस्टन तंतु के उपचयन को रोकने के लिए बिजली के बल्ब से हवा निकाल दी जाती है।
◆ जिरकोनियम धातु ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन दोनों में जलते हैं।
◆ बेडीलेआइट जिरकोनियम का अयस्क है।
◆ न्यूट्रॉनों को अवशोषित करने के गुणों के कारण जिरकोनियम, कैडमियम एवं बोरॉग्न का उपयोग नाभिकीय रिएक्टर में किया जाता है।
◆ बेराइल (Bary1) बेरीलियम धातु का मुख्य अयस्क है।
◆ फ्रांसियम एक रेडियोसक्रिय द्रव धातु है।
◆ स्टेनस सल्फाइड (SnS,) को मोसाइक गोल्ड (Mosaic Gold) कहते हैं, इसका प्रयोग पेंट के रूप में किया जाता है।
◆ टिन अपरूपता प्रदर्शित करता है।
◆ सबसे भारी धातु ओसमियम (Os) है, और प्लेटिनम सबसे कठोर धातु है।
◆ बेरियम हाइड्रॉक्साइड को बैराइटा वाटर कहते हैं।
◆ बेरियम सल्फेट (Barium Sulphate) का उपयोग बेरियम मील के रूप में उदर के x-ray में होता है।
◆ आतिशबाजी के दौरान हरा रंग बेरियम (Ba) की उपस्थिति के कारण होता है।
◆ आतिशबाजी के दौरान लाल चटक रंग (Crimson Red Colour) स्ट्रॉन्शियम (Sr) की उपस्थिति के कारण उत्पन्न होता है।
◆ लिथियम सबसे हल्का धात्विक तत्त्व है। यह सबसे प्रबल अपचायक होता है।
◆ चाँदी (Ag), सोना (Au), ताँबा (Cu), प्लेटिनम (Pt) तथा बिस्मथ (Bi) अपने कम अभिक्रियाशीलता के कारण स्वतंत्र अवस्था में पाये जाते हैं।
◆ गोल्ड, प्लेटिनम, सिल्वर तथा मरकरी उत्कृष्ट धातुएँ हैं।
◆ धातुओं में सबसे अधिक आघातवर्ध्य सोना (Au) व चाँदी (Ag) होते हैं।
◆ पारा व लोहा विद्युत धारा के प्रवाह में अपेक्षाकृत अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं।
◆ चाँदी एवं ताँबा विद्युत धारा का सर्वोत्तम चालक है।
◆ एल्युमिनियम का सर्वप्रथम पृथक्करण 1827 ई. में हुआ था।
◆ प्याज व लहसून में गंध का कारण पोटैशियम (K) की उपस्थिति है।
◆ कार्नोटाइट का रासायनिक ना पोटैशियम यूरेनिल वेन्डेट होता है।
◆ कैंसर रोग के इलाज में कोबाल्ट के समस्थानिक का उपयोग होता है।
◆ स्मेल्टाइट (Smeltite) निकेल धातु का अयस्क है।
◆ सोडियम परऑक्साइज्ञ का उपयोग पनडुब्बी जहाजों तथा अस्पताल आदि की बंद हवा को शुद्ध करने में होता है।
◆ ग्रीनोकाइट कैडमियम का अयस्क है।
◆ कैडमियम का प्रयोग नाभिकीय रिएक्टरों में न्यूट्रॉन मंदक के रूप में, संग्राहक बैटरियों में तथा
निम्न गलनांक की मिश्रधातु बनाने में होता है।
◆ एक्टिनाइड (Actinides) रेडियोसक्रिय तत्त्वों का समूह होता है।
◆ विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर का आधार स्टील व सीमेण्ट का बना है।
◆ थूलियम का संकेत Tm होता है।
◆ रेडियम का निष्कर्षण पिचब्लैंड से किया जाता है। मैडम क्यूरी ने पिचव्लैंड से ही रेडियम का निष्कर्षण किया था।
◆ वायुयान के निर्माण में पेलेडियम धातु प्रयुक्त होती है।
◆ गैलियम धातु कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है।
◆ सेलीनियम धातु का उपयोग फोटो इलेक्ट्रिक सेल में होता है।
◆ साइट्रोक्रोम (Cytochrome) में लोहा उपस्थित होता है।
◆ जिओलाइट (Zcolite) का प्रयोग जल को मृदु बनाने में किया जाता है।
◆ टिन अपरूपता प्रदर्शित करता है।
◆ अधिकांश संक्रमण धातु (Transition Elements) और उनके यौगिक रंगीन होते हैं।
◆ पोटैशियम कार्बोनेट (K2CO3) को पर्ल एश (Pearl Ash) कहते हैं।
◆ नाइक्रोम (Nichrome) निकिल, क्रोमियम ट्राइऑक्साइड है।
◆ ब्रिटेनिया धातु (Britannia Metal) एण्टिमनी (Sb), ताँबा व टिन (Sn) की मिश्रधातु है।
◆ बारूद 75% पोटैशियम नाइट्रेट, 10% गंधक व 15% चारकोल एवं अन्य पदार्थों का मिश्रण होता है।
◆बैबिट धातु (Babbitt Metal) में 89% टिन, 9% एण्टिमनी व 2% ताँबा होता है।
◆ समूह-I के तत्त्व क्षार धातुएँ (Alkali Metals) कहलाते हैं एवं इसके हाइड्रॉक्साइड क्षारीय होते हैं। जबकि समूह-II के तत्त्व क्षारीय मृदा धातुएँ (Alkaline Earth Metals) कहलाते हैं।
◆ टाइटेनियम को रणनीतिक धातु (Strategic Metal) कहते हैं, क्यों इसका उपयोग रक्षा उत्पादन में होता है। यह इस्पात के बराबर मजबूत लेकिन भार में उसका आधा गुना होता है। वायुयान का फ्रेम तथा इंजन बनाने में, नाभिकीय रिऐक्टरों में इसका उपयोग होता है।
◆ फ्लैश बल्बों में नाइट्रोजन गैस के वायुमंडल में मैग्नीशियम का तार रखा रहता है।
◆  एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग कपड़ों को अदाह्य बनाने तथा जलरोधी कपड़े तैयार करने में किया जाता है।
◆ कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड को हाइड्रोलिथ कहते हैं।
◆ पिटवाँ लोहा (Wrought Iron) में कार्बन की मात्रा सबसे कम (0.12-0.25%) रहती है। अतः यह अपेक्षाकृत शुद्ध होता है।
◆ आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3 ) के साथ ऐल्युमिनियम की अभिक्रिया का उपयोग रेल की पटरी एवं मशीनी पुर्जी की दरारों को जोड़ने के लिए किया जाता है। इस अभिक्रिया को थर्मिट अभिक्रिया कहते हैं।
◆ शरीर में लोहे की कमी से एनीमिया तथा अधिकता से लौहमयता (Siderosis) रोग होता है। अफ्रीका के बाँटू आदिवासियों में लौहमयता रोग पाया जाता है। ऐसा उनमें लोहे के बर्तन में बीयर सेवन के कारण होता है।
◆ मानव शरीर में ताँबा की मात्रा में वृद्धि होने पर विल्सन रोग हो जाता है।
◆ टिन की अधिक मात्रा युक्त कांसा को श्वेत कांसा कहते हैं।
◆ जिंक फॉस्फाइड का उपयोग चूहा विष के रूप में होता है।
◆ लकड़ी की वस्तुओं को कीड़ों से बचाने के लिए उस पर जिंक क्लोराइड का लेपन किया जाता है।
◆ जिंक ऑक्साइड को जस्ते का फूल कहते हैं। इसका ह्वाइट अथवा चाइनीज ह्वाइट के नाम से पेंटों में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग मरहम तथा चेहरे के क्रीम बनाने में किया जाता है।
◆ सिल्वर क्लोराइड को हॉर्न सिल्वर कहा जाता है। इसका उपयोग फोटोक्रोमेटिक काँच में होता है।
◆ सिल्वर आयोडाइड का उपयोग कृत्रिम वर्षा में होता है।
◆ सिल्वर नाइट्रेट का प्रयोग निशान लगाने वाली स्याही बनाने में किया जाता है। मतदान के समय मतदाओं की अँगुलियों पर इसी का निशान लगाया जाता है। सूर्य की प्रकाश में अपघटित हो जाने कारण इसे रंगीन बोतलों में रखा जाता है।
◆ चाँदी के चम्मच से अण्डा खाना वर्जित रहता है, क्योंकि चाँदी अण्डे में उपस्थित गंधक से प्रतिक्रिया कर काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाती है, जिससे चम्मच नष्ट हो जाती है।
◆ सोना को कठोर बनाने के लिए उसमें ताँबा या चाँदी मिलाया जाता है। शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है। आभूषण बनाने के लिए 22 कैरेट सोने का उपयोग होता है।
◆ आयरन पायराइट्स (FeS2) को झूठा सोना या बेवकूफों का सोना कहते हैं।
◆ प्लैटिनम को सफेद सोना कहा जाता है।
◆ सर्प विषरोधी इंजेक्शन बनाने में ऑरिक क्लोराइड का उपयोग किया जाता है।
◆ स्वर्ण लेपन में पोटैशियम ओरिसायनाइड का प्रयोग विद्युत अपघट के रूप में होता है।
◆ पारा को क्विक सिल्वर के नाम से भी जाना जाता है। इसका निष्कर्षण मुख्यत: सिनेवार से होता है।
◆ पारा को लौह पात्र में रखा जाता है, क्योंकि यह लोहे के साथ अमलगम नहीं बनाता है।
◆ ट्यूब लाइट में सामान्यतः पारा का वाष्प और ऑर्गन गैस भरी रहती है।
◆ सीसा सबसे अधिक स्थायी तत्त्व है। इसका उपयोग कागज पर लिखने में होता है।
◆ लेड आर्सेनिक नामक मिश्रधातु का उपयोग गोली बनाने में होता है। कार्बन सीसा का उपयोग कृत्रिम अंगों के निर्माण में होता है।
◆ लेड ऑक्साइड को लीथार्ज कहा जाता है, जो एक उभयधर्मी ऑक्साइड है। इसका उपयोग रबर उद्योग में, स्टोरेज बैटरी के निर्माण में तथा फ्लिण्ट काँच बनाने में होता है।
◆ बेसिक लेड कार्बोनेट को ह्वाइट लेड कहा जाता है। इसे सफेदा के नाम से भी जाना जाता है।
◆ लेड टेट्राइथाइल का उपयोग अपस्फोटन रोकने में किया जाता है।
◆ लेड पाइप पीने के जल को ले जाने के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं, क्योंकि ये वायु मिश्रित जल के साथ घुलकर विषैले लेड हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करते हैं।
◆ विद्युत उपकरणों में प्रयुक्त होने वाला फ्यूज तार तांबा, लेड और टिन से बना मिश्रधातु होता है।
◆ यूरेनियम को आशा धातु कहा जाता है। भारत में यूरेनियम का सर्वाधिक उत्पादन झारखंड में होता है। यूरेनियम का समस्थानिक 92U238 रेडियो सक्रियता प्रदर्शित नहीं करता है।
◆ यूरेनियम कार्बाइड का उपयोग हैबर विधि में अमोनिया के उत्पादन में उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है। यूरेनियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में होता है।
◆ यूरेनियम के नाइट्रेट एवं एसीटेट का उपयोग फोटोग्राफी में होता है।
◆ यूरेनियम धातु का निष्कर्षण मुख्यतः उसके अयस्क पिंचब्लैंड से किया जाता है।
◆ प्लूटोनियम एक भारी रेडियोसक्रिय धातु है। यह एक्टीनाइड श्रेणी का सदस्य है। इसका उपयोग परमाणु बम बनाने में होता है। हिरोशिमा एवं नागासाकी पर गिराये गये परमाणु बम इसी से बने हुए थे।

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