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धार्मिक असमानता एवं क्षेत्र आधारित विविधता से आपका क्या तात्पर्य है? What do you mean by religious inequality and region diversity ?

प्रश्न – धार्मिक असमानता एवं क्षेत्र आधारित विविधता से आपका क्या तात्पर्य है? What do you mean by religious inequality and region diversity ?
उत्तर- धार्मिक असमानता (Religious Inequality)
भारत के दिन-प्रतिदिन के जीवन में धर्म का बहुत महत्त्व है। भारत को विभिन्न धर्मों की भूमि के नाम से जाना जाता है। विश्व के लगभग सभी धर्म भारत में पाए जाते हैं। विश्व के चार प्रमुख धर्म हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिक्ख धर्म का उदय भारत में ही हुआ था । जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं जैसे- जन्म, विवाह और मृत्यु में धर्म की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। धर्म व्यक्ति के दैनिक कार्यों की प्रकृति को निश्चित करता है। एक तरफ तो विभिन्न धर्मों के कारण हमारी संस्कृति बहुत सुदृढ़ है, परन्तु दूसरी ओर इन्हीं के कारणों से देश की एकता को भंग करती हुई आपसी लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं।
एक तरफ यह अपने अनुयायियों को व्यक्तिगत कार्यों में न डालकर दूसरों की भलाई के कार्यों में लगाते हैं, परन्तु दूसरी ओर उनका दृष्टिकोण संकुचित बन जाता है। इन्हीं के कारण लोग अन्धविश्वासों व रूढ़िवादिताओं में फँसे रहते हैं। राजनीतिज्ञ भी धर्म के आधार पर लोगों का शोषण करते हैं । विभिन्न रूपों से देखी जाने वाली धार्मिक अवधारणा भारत के विभिन्न धर्मों की सामाजिक संरचना को निर्धारित करती है।
  1. धर्म और राजनीति – राजनीति में धर्म की भी अहम् भूमिका होती है। कुछ देशों के राजनेता बहुसंख्यक धार्मिक समुदाय को बढ़ावा देते हैं और ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय का नुकसान होता है। इससे बहुसंख्यक आतंक को बढ़ावा मिलता है। ऐसी स्थिति इस्लामिक देशों में अक्सर देखी जा सकती है। जहाँ अल्पसंख्यक वर्ग को कट्टरपंथी नुकसान पहुँचाते रहते हैं।
  2. साम्प्रदायिकता – जब राजनैतिक वर्ग द्वारा एक धर्म को.. दूसरे धर्म के विरुद्ध प्रयोग किया जाता है तो इसे साम्प्रदायिकता या साम्प्रदायिक राजनीति कहते हैं। राजनीति में साम्प्रदायिकता के कई रूप हो सकते हैं, जैसे –
    1. कई लोगों को लगता है कि उनका धर्म अन्य धर्मों से ऊपर है। ऐसे लोग अक्सर दूसरे धर्म के लोगों पर अपना वर्चस्व स्थापित की कोशिश करते हैं। इसके परिणामस्वरूप अल्पसंख्यक समुदाय के लोग एक अलग राजनैतिक इकाई का गठन कर लेते हैं।
    2. कई बार किसी विशेष समुदाय के लोगों में भय उत्पन्न करने के लिए धार्मिक चिह्नों, धर्मगुरुओं और भावनात्मक अपीलों का सहारा लिया जाता है। ऐसा इस उद्देश्य से किया जाता है ताकि सम्प्रदाय के नाम पर लोगों का ध्रुवीकरण हो जाए।
    3. कई बार साम्प्रदायिकता उग्र रूप ले लेती है और फिर साम्प्रदायिक दंगे और नरसंहार होता है।
  3. धर्मनिरपेक्ष शासन – भारत के संविधान में यह घोषित किया गया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। हमारे कुछ पड़ोसी देशों के विपरीत भारत में कोई धर्म राजकीय • धर्म नहीं माना गया है। हमारा संविधान लोगों को अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को मानने की छूट देता है। संविधान धर्म के नाम पर भेदभाव को रोकता है। लेकिन भारत का संविधान सरकार को धार्मिक मुद्दों में तब हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है जब विभिन्न समुदायों में समानता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक हो जाए।
  4. क्षेत्र आधारित विविधता – उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में राजस्थान तक अनेक भौगोलिक विविधताएँ हैं। कश्मीर में बहुत ठंड है तो दक्षिण भारतीय क्षेत्र बहुत गर्म है। गंगा का मैदान है जो बहुत उपजाऊ है तथा इसी के किनारे कई प्रमुख राज्य, शहर, सभ्यता और उद्योग विकसित हुए । हिमालयी क्षेत्र में अनेक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ तथा गंगा, यमुना, सरयू, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों का उद्गम स्थल है।
    देश के पश्चिम में हिमालय से भी पुरानी अरावली पर्वतमाला है। कहीं रेगिस्तानी भूमि है तो वहीं दक्षिण में पूर्वी और पश्चिमी घाट, नीलगिरी की पहाड़ियाँ भी हैं। यह भौगोलिक विविधता भारत को प्राकृतिक रूप से मिला उपहार है।

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