भारत में सिंचाई
भारत में सिंचाई
भारत में सिंचाई
भारत में सिंचाई
◆ भारत की जलवायु वर्ष भर कृषि उत्पादकता के अनुकूल है, परंतु यहाँ सभी मौसमों में आर्द्रता आपूर्ति नहीं हो पाती, अतः सिंचाई आवश्यक हो जाता है।
◆ कृषि की गहनता बढ़ाने एवं हरित क्रान्ति लाने में सिंचाई की महती भूमिका रही है।
◆ भारत में सिंचाई के प्रमुख साधनों के अन्तर्गत नहरें, कुएँ, नलकूप, डीजल पंपसेट, तालाब आदि आते हैं।
◆ भारत में सिंचाई परियोजनाओं को तीन वर्गों में बाँटा गया है जो इस प्रकार है –
1. लघु सिंचाई परियोजनाएँ
◆ इनसे 2000 हेक्टेयर से कम क्षेत्र की सिंचाई होती है।
◆ इसके अन्तर्गत कुआँ, नलकूप, डीजल पंपसेट, तालाब, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर, एनीकट आदि शामिल किये जाते हैं ।
◆ भारत की सिंचाई आवश्यकताओं के लगभग 62% सिंचाई की आपूर्ति लघु सिंचाई परियोजनाओं से होती है।
2. मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ
◆ इनसे 2000 से 10,000 हेक्टेयर तक क्षेत्र की सिंचाई होती है।
◆ इसके अन्तर्गत नहरी सिंचाई प्रमुख हैं।
3. वृहत् सिंचाई परियोजनाएँ
◆ इनसे 10,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों की सिंचाई होती है।
◆ इसके लिए बड़े बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती हैं ।
◆ बड़ी व मध्यम सिंचाई परियोजना से देश की 38% सिंचाई आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
◆ विश्व का सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र चीन ( 21% ) में है।
◆ भारत में शुद्ध बोये गये क्षेत्र (1360 लाख हेक्टेयर ) के लगभग 33% भाग पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है।
◆ वर्तमान में कुआँ और नलकूप भारत में सिंचाई का प्रमुख साधन है।
◆ देश में सर्वाधिक नलकूप व पंपसेट तमिलनाडु ( 18%) में पाये जाते हैं। महाराष्ट्र (15.6%) का दूसरा स्थान है। केवल नलकूपों की सर्वाधिक सघनता वाला राज्य उत्तरप्रदेश है।
◆ प्रायद्वीपीय भारत में सिंचाई का प्रमुख साधन तालाब है। तालाब द्वारा सर्वाधिक सिंचाई तमिलनाडु राज्य में की जाती है।