रूस की क्रांति
रूस की क्रांति
रूस में दो क्रांतियाँ हुई– (i) 1905 में और (ii) 1917 में। 1905 में रूस की जनता ने अत्याचारी जारशाही को समाप्त करने का प्रयास किया, लेकिन यह प्रयास विफल हो गया। जार (रूसी सम्राट) का शासन पूर्ववत चलता रहा। 1917 में रूस में पुनः
क्रांति हुई। इस बार दो क्रांतियाँ हुईं। पहली क्रांति पेट्रोग्राद (सेंट पीटर्सबर्ग, लेनिनग्राद) की क्रांति थी। यह मार्च 1917 में हुई। यह क्रांति फरवरी क्रांति के नाम से विख्यात है। इस क्रांति के परिणामस्वरूप मार्च 1917 में जार निकोलस द्वितीय को राजगद्दी छोड़नी पड़ी और रूस पर सदियों से चला आ रहा रोमोनोव वंश का शासन समाप्त हो गया। पुराने रूसी कैलेंडर (जूलियन कैलेंडर, Julian calendar) के अनुसार, जार ने फरवरी 1917 में गद्दी त्याग दी थी। इसलिए, 1917 की रूस की पहली क्रांति फरवरी क्रांति के नाम से जानी जाती है।
1917 में ही रूस में दूसरी बार क्रांति हुई। यह क्रांति अक्टूबर क्रांति अथवा बोल्शेविक क्रांति के नाम से जानी जाती है। यद्यपि यह क्रांति 7 नवंबर 1917 को हुई थी (ग्रेगोरियन कैलेंडर, Gregorian calendar), परंतु पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार वह दिन 25 अक्टूबर 1917 था। इसलिए, वोल्शेविक क्रांति, अक्टूबर क्रांति भी कहलाती है। यह क्रांति मेन्शेविकों (अल्पमतवाले साम्यवादियों) और बोल्शेविकों (बहुमतवाले साम्यवादियों) के बीच सत्ता-संघर्ष के परिणामस्वरूप हुई। राजतंत्र की समाप्ति के बाद सत्ता मेन्शेविक दल के नेता केरेन्सकी के हाथों में आई, परंतु उसकी सरकार अलोकप्रिय थी। सरकार के विरुद्ध असंतोष बढ़ता जा रहा था। ऐसी स्थिति में स्विट्जरलैंड से वापस लौटकर बोल्शेविक दल के नेता लेनिन ने ट्रॉटस्की की सहायता से केरेन्सकी की सरकार का तख्ता पलट दिया। अब सत्ता बोल्शेविक दल के नेता लेनिन के हाथों में आई। इसके साथ ही रूस के नवनिर्माण का कार्य आरंभ हुआ।
रूसी कैलेंडर
पहले रूस में जूलियन कैलेंडर प्रचलित था। बाद में ग्रेगोरियन कैलेंडर लागू किया गया (फरवरी 1918 में)। दोनों कैलेंडरों में भिन्नता पाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर जूलियन कैलेंडर से 13 दिन आगे चलता है।