1st Year

शिक्षण एवं अधिगम में सम्बन्ध एवं अन्तर स्पष्ट कीजिए | Clarify the Relationship and Difference Between Teaching and Learning.

प्रश्न  – शिक्षण एवं अधिगम में सम्बन्ध एवं अन्तर स्पष्ट कीजिए | Clarify the Relationship and Difference Between Teaching and Learning.
या
अधिगम के प्रकारों का उल्लेख कीजिए। describe the types of learning
उत्तर- शिक्षण एवं अधिगम में सम्बन्ध (Relationship between Teaching and Learning) शिक्षण तथा अधिगम में घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। वैसे यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक शिक्षण में अधिगम हो, किन्तु इतना निश्चित है कि प्रत्येक शिक्षण का मूल एवं एकमात्र अन्तिम उद्देश्य अधिगम होता है। उद्देश्य की दृष्टि से देखें तो कह सकते हैं कि शिक्षण साधन है एवं अधिगम साध्य है। शिक्षण एक प्रक्रिया है तो अधिगम उसका परिणाम है। इस प्रकार शिक्षण एवं अधिगम एक दूसरे से सम्बन्धित हैं। कक्षा के छात्रों का जो पूर्व अधिगम होता है, उसी को आधार बनाकर शिक्षक अपने शिक्षण का आयोजन करता है। छात्रों के पूर्व अनुभवों की जैसी स्थिति तथा अवस्था होगी, शिक्षण का स्तर भी उसी के अनुसार ही करना होगा। इतना ही नहीं शिक्षक को उसी के अनुरूप शिक्षण प्रविधियाँ तथा नीतियाँ प्रयोग करनी होगी। शिक्षण सिद्धान्तों का विकास अधिगम सिद्धान्तों के आधार पर होता है। वास्तव में शिक्षण अधिगम परिस्थितियों का व्यवस्थीकरण है। शिक्षण तथा अधिगम का आधार शिक्षा मनोविज्ञान है। शिक्षण तथा अधिगम दोनों ही अपने-अपने सिद्धान्तों का निरूपण मनोविज्ञान के सिद्धान्तों के आधार पर करते हैं। जिस प्रकार खरीदने और बेचने के मध्य चार तत्त्व होते हैं
(1) एक बेचने वाला,
(2) एक खरीदने वाला
(3) बेचने की क्रिया तथा
(4) खरीदने की क्रिया ।
उसी प्रकार शिक्षण और अधिगम होते हैं(सीखनें) के मध्य भी चार तत्त्व होते हैं –
(1) एक शिक्षक,
(2) एक शिष्य,
(3) शिक्षण की क्रिया और
(4) सीखने की क्रिया |

शिक्षण, अध्यापक और छात्र के बीच होने वाली अंतःक्रिया है जिसके द्वारा विद्यार्थी किसी उद्देश्य की ओर उन्मुख होता है । शिक्षक द्वारा निर्मित अधिगम की परिस्थितियों तथा विद्यालय और कक्षा में ऐसे वातावरण का निर्माण करना है, जिसके द्वारा अधिगम को और अधिक प्रभावशाली बनाने में सहायता प्रदान की जा संके । दूसरे शब्दों में अधिगम विद्यार्थी से सम्बन्धित मानसिक प्रक्रिया है और शिक्षण अधिगम में सहायता पहुँचाने वाला बाहरी प्रकम है।

शिक्षण एवं अधिगम में अन्तर (Difference Between Teaching and Learning)
शिक्षण-अधिगम में प्रगाढ़ सम्बंध होते हुए भी इन दोनों में कुछ आधारभूत अन्तर होता है। ये अंतर निम्नलिखित हैं –
  1. अधिगम का क्षेत्र व्यापक है जबकि शिक्षण में इतनी व्यापकता नहीं है
  2. शिक्षण ही अधिगम का एकमात्र साधन नहीं है। प्राणी ‘शिक्षण के अलावा अपने अनुभव, ज्ञानेन्द्रियों, अनुकरण एवं अर्न्तदृष्टि आदि से भी अधिगम करता है
  3. शिक्षण प्राणी के व्यक्तित्व से केवल एक अंश को ही प्रभावित करता है जबकि अधिगम का प्रभाव सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर पड़ता है।
  4. शिक्षण सदैव औपचारिक होता है। जबकि अधिगम औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों ही प्रकार का होता है ।
  5. शिक्षण एक कार्य व्यवस्था है तो अधिगम उसका परिणाम है।
  6. शिक्षण एक सामाजिक कार्य है जबकि अधिगम व्यक्तिगत कार्य है। शिक्षण कार्य पूरक प्रक्रिया है जबकि अधिगम-निष्पत्ति परक प्रक्रिया है।
अधिगम के प्रकार (Types of Learning)
  1. संवेदन गति अधिगम (Sensory Motor Learning ) – इस अधिगम के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के कौशलों के अर्जन से सम्बन्धित ज्ञान आता है। विविध प्रकार के कौशल जैसे-तैरना, साइकिल चलाना आदि इसके अन्तर्गत आते हैं। संवेदन क्रियाओं के अधिगम के अन्तर्गत् बालक दैनिक व्यवहार में सम्मिलित बातों को अनुकरण द्वारा सीखता है।
  2. गामक अधिगम (Motor Learning) – इस अधिगम के अन्तर्गत विकास की प्रारम्भिक अवस्था में बालक शरीर के अंगों की गति पर नियंत्रण करना तथा उचित दिशा में संचालित करना सीखता है।
  3. बौद्धिक अधिगम (Intellectual Learning ) – इसके अन्तर्गत बालक ज्ञानोपार्जन से सम्बन्धित समस्त क्रियाओं को सीखता है जो कि निम्नलिखित हैं-
    1. प्रत्यक्षीकरण अधिगम (Perceptual Learning ) – इसके अन्तर्गत बालक ज्ञानेन्द्रियों की सहायता से सम्पूर्ण परिस्थिति को प्रत्यक्ष रूप में रखकर प्रतिक्रिया करता |
    2. प्रत्यात्मक अधिगम (Conceptual Learning) – इस अधिगम के अन्तर्गत बालक को कल्पना तथा चिन्तन, एवं तर्क का सहारा लेना पड़ता है।
    3. साहचर्यात्मक अधिगम ( Associative Learning ) – यह अधिगम स्मृति के अन्तर्गत आता हैं। प्रत्यात्मक अधिगम इसी अधिगम की सहायता से सम्पन्न होता हैं।
    4. रसानुभूतिपूरक अधिगम (Appreciational Learning) – इस अधिगम के अन्तर्गत बालक में संवेगात्मक तथा भावात्मक वर्णन अथवा घटना से प्रभावित होकर गुण तथा दोषों की विवेचना करने की क्षमता आ जाती है ।

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