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UP Board Class 8 Hindi | भक्ति के पद (मंजरी)

UP Board Class 8 Hindi | भक्ति के पद (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 भक्ति के पद (मंजरी)

समस्त पद्यांशों की व्याख्या

‘मीरा बाई’ हरि! तुम हरो ….…………………………………………… जहाँ तहाँ पीर।
संदर्भ- प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य पुस्तक मंजरी के ‘भक्ति के पद’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी रचयिता मीरा बाई हैं।
प्रसंग- प्रस्तुत पद में कवयित्री श्री कृष्ण से लोगों के कष्ट को दूर करने की प्रार्थना कर रही हैं।
व्याख्या-कवयित्री मीराबाई श्री कृष्ण से विनती कर रहीं हैं कि प्रभु जिस प्रकार आपने द्रौपदी की लाज बचाई, जिस प्रकार आपने भक्त की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप धारण किया, जिस प्रकार आपने ग्राह का अंत करके गज की रक्षा की उसी प्रकार आप हम लोगों का कष्ट भी दूर कीजिए।

पग हुँघरू बाँधा…………………………………………………………… की दासी रे।
संदर्भ-पूर्ववत्।
प्रसंग-प्रस्तुत पद में मीराबाई ने श्री कृष्ण के प्रति अपने भक्ति की चर्चा की है।
व्याख्या-कवयित्री मीराबाई कहती है कि मैं तो अब अपने अराध्य श्रीकृष्ण की दासी बन चुकी हूँ। लेकिन उनके इस भक्ति से उनके परिवार के लोग खुश नहीं हैं। उनके पति राजा जी ने उन्हें विष का प्याला भेजा जिसे मीराबाई हँसते-हँसते पी गई। लोग कहते हैं कि मीरा कृष्ण की दीवानी हो गई है, पिता कहते हैं कि मीरा ने कुल का नाश कर दिया, लेकिन इन बातों का मीराबाई पर कोई प्रभाव नहीं है। वे तो अपने अराध्य श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हैं।

‘रसखान के भक्ति पद’

1.बैन वही उनको………………………………………………………….सो है रसखानि।
संदर्भ- प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य पुस्तक मंजरी के ‘भक्ति के पद’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता रसखान जी हैं।
प्रसंग- प्रस्तुत पद में रसखान जी ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अपार श्रद्धा एवं भक्ति की चर्चा की है।
व्याख्या-रसखान कहते हैं कि वाणी की सार्थकता तभी है जब वाणी द्वारा प्रभु के गुण गाया जाय और कान की सार्थकता तब है जब कान द्वारा प्रभु के गुणगान को सुना जाय। रसखान कहते हैं कि  मनुष्य के जीवन की सार्थकता इसी में है कि वह प्रभु के गुण गाता रहे और मन को सार्थकता इसमें है कि सदैव प्रभु का स्मरण रहे। रसखान कहते हैं कि श्रीकृष्ण अपने भक्तों को कभी नाराज नहीं करते और वे उनसे बहुत प्रेम करते हैं। वह तो आनंद की खान हैं। उनसे नाता जोड़ने में सुख ही सुख है।

2.या लकुटी अरु ………………………………………………….…… कुजन ऊपर वारों।
संदर्भ-
पूर्ववत्।
प्रसंग-
पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि रसखान कहते हैं कि तीना लोकों का राज्य भी श्रीकृष्ण के लाठी और कंबल के समक्ष तुच्छ है। बलराम कहते हैं कि आठों सिद्धि और मनों निधि का सुख बाबा नंद के गायों को चराने में है। रसखान कहते हैं कि पता नहीं कब वह अवसर आए जब मैं इन आँखों से ब्रज के बन, बाग और तालाब को देखेंगा। साथ ही वे कहते हैं कि वे ब्रज की काँटेदार झाडियों के लिए स्वर्ग और सोने के सौ महल भी न्यौछावर कर सकते हैं।

प्रश्न-अभ्यास 

कुछ करने को– नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
कविता से-
प्रश्न 1.
मीरा प्रभु से क्या प्रार्थना कर रही है?
उत्तर-
मीरा प्रभु से प्रार्थना कर रही है कि वे उसे अपना दासी बना लें ताकि मीरा प्रभु की सेवा सके और उनके निकट रह सके।

 

प्रश्न 2.
द्रौपदी की सहायता ईश्वर द्वारा किस प्रकार की गई?
उत्तर-
ईश्वर ने (चीर) साड़ी को बढ़ाकर द्रौपदी की सहायता की।

प्रश्न 3.
कवि रसखान ने वाणी की क्या विशेषता बताई है?
उत्तर-
कवि रसखान ने वाणी की विशेषता बताते हुए कहा है कि वाणी के द्वारा ही हम ईश्वर का गुणगान करते हैं।

प्रश्न 4.
कवि रसखान ने तीनों लोकों के राज्य को कृष्ण की किन वस्तुओं से तुच्छ कहा है ?
उत्तर-
कवि रसखान ने तीनों लोकों के राज्य को श्रीकृष्ण की लाठी और कम्बल से तुच्छ कहा है।

प्रश्न 5.
त्यौ रसखानि वही रसखानि जु हैं रसखानि सो है रसखानि पक्ति का आशय है‘‘भगवान श्री कृष्ण ऐसे हैं जो अपने भक्तों को कभी भी नाराज नहीं करते हैं और उनसे बहुत प्रेम करते हैं। वह तो आनन्द की खान हैं, उनसे नाता जोड़ने मे सुख ही सुख है। इसी प्रकार आप निम्नांकित पक्तियों के आशय स्पष्ट कीजिए
(क) कोटिक हौ कलधौत के धााम करील के कुंजन ऊपर वारों।
(ख) जान वही उन प्रान के संग औ मान वही जु करै मनमानी।
उत्तर-
(क) कवि रसखान कहते हैं कि वे ब्रज की काँटेदार झाड़ियों के लिए सोने के सौ महल और स्वर्ग भी निछावर करने को तैयार हैं।
(ख) कवि रसखान कहते हैं कि मनुष्य के जीवन की सार्थकता इसी में है कि वह प्रभु के गुण गाता रहे और मन की सार्थता इसी में है कि वह सदैव ही प्रभु को स्मरण करता रहे।

प्रश्न’6.
नीचे दिए गए भावों से मिलती जुलती पंक्ति लिखिए
(अ) कान वही अच्छे हैं, जो हर पल भगवान श्री कृष्ण की वाणी सुनते हैं।
(ब) भक्त की रक्षा करने के लिए आप (ईश्वर) ने नरसिंह का रूप धारण किया।
उत्तर-
(अ) कान वही उन बैन सों सानी।
(ब) भक्त कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर।

भाषा की बात- 

प्रश्न 1.
वर्गों के ऊपर लगे बिंदु UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 भक्तिके पद (मंजरी) 1 को अनुस्वार तथा चन्द्र बिंदु UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 भक्तिके पद (मंजरी) 2 को अनुनासिक कहते हैं। अनुस्वार का प्रयोग क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, तथा प वर्ग, के पाँचवे वर्ण के स्थान पर किया जाता है।
बिन्दु UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 भक्तिके पद (मंजरी) 3 या चन्द्र बिंदु UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 भक्तिके पद (मंजरी) 4 लगाकर शब्दों को दोबारा लिखिएउत्तर-
आख – आँख                   गाव – गाँव
मुह – मुँह                        पाच – पाँच
गगा – गंगा                      गदा – गंदा
कपन – कंपन।               चचल – चंचल

प्रश्न 2.
पढ़िए समझिए और कुछ अन्य शब्द लिखिए-
(गर्मी) – धर्म
द्र (द्रुम) – क्रूर
टू (ट्रक) – ड्रम

प्रश्न 3.
दिए गए शब्दों के मानक रूप लिखिए- सरीर, लाज, प्रान, आपनो, गुन उत्तर- सरीर – शरीर, लाज – लज्जा, प्रान – प्राण, आपनो – अपना, गुन – गुण

प्रश्न 4.
ब्रजभाषा के शब्द – बैन, सानी, गात, उही, करै, अरू, को खड़ी बोली हिन्दी के रूप में लिखिए।
उत्तर-
बैन-वाणी, सानी-सुनना, गात-शरीर, उही-उनकी, करै-करना, अरू-और

TENSE

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