GJN 10th Hindi

Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran वाक्य-विचार (1st Language)

Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran वाक्य-विचार (1st Language)

GSEB Std 10 Hindi Vyakaran वाक्य-विचार (1st Language)

वाक्य के बारे में आप सीख चुके हैं कि वाक्य निश्चित क्रम में रखे गए सार्थक पदों का एक ऐसा समूह है जिसमें एक निश्चित पूर्ण अर्थ देने की क्षमता होती है। अर्थात्

  • वाक्य पदों का समूह है। ये पद एक या एकाधिक हो सकते है।
  • वाक्य में पद सार्थक होते हैं।
  • वाक्य में पदक्रम निश्चित रहता है।
  • इन पदों में अन्विति (मेल) होता है।
  • इन पदों को एक निश्चित अर्थ देने की क्षमता होता है।
  • भाषा वैज्ञानिक वाक्य के लिए योग्यता, आकांक्षा, अन्विति को आवश्यक मानते हैं।

योग्यता के अंतर्गत शब्द की आर्थी योग्यता सार्थकता तथा व्याकरणिक योग्यता का समावेश है। जैसे –

1. रेहाना रोटी पीती है। – इस वाक्य में ‘पीती है’ क्रिया रूप व्याकरणिक दृष्टि से योग्य है, पर वाक्य को सार्थकता प्रदान नहीं करता क्योंकि रोटी खायी जाती है, पी नहीं जाती। शुद्ध वाक्य होगा – रेहाना रोटी खाती है या रेहाना दूध पीती है।

आकांक्षा का अर्थ है इच्छा। वाक्य में आकांक्षा या इच्छा शेष नहीं होनी चाहिए। जैसे

  • झाडू लगाता है।
  • किताब पढ़ती है।
  • हँसता है।

इन तीनों वाक्यों में आकांक्षा हैं –

  • कौन झाडू लगाता है ?
  • कौन पढ़ती है ?
  • कौन हँसता है ?

ये वाक्य पूर्ण तब होंगे.जब इनकी आकांक्षा पूर्ण होगी।

  • (xyz) झाडू लगाता है।
  • xyz किताब पढ़ती है।
  • xyz हँसता है।

अन्विति – लिखते या बोलते समय प्रयोग होनेवाले शब्दों में परस्पर निकटता होना जरूरी है ताकि उनसे एक निश्चित अर्थ की प्रतीति हो सके। यानी पदक्रम तथा संन्निधि का समावेश अन्विति में हो जाता है।

कुछ विद्वान इन तीनों के स्थान पर सार्थकता, योग्यता, आकांक्षा, पदक्रम, आसत्ति या संन्निधि और अन्वय (अन्विति) को वाक्य की आवश्यकता या गुण मानते हैं।

वाक्य के प्रकार : वाक्य की संरचना तथा उसके अर्थ के आधार पर उसके अलग-अलग भेद किये जाते हैं।

रचना के आधार पर वाक्य के भेद –

  1. सरल वाक्य
  2. संयुक्त (संसृष्ठ) वाक्य
  3. मिश्र वाक्य

सरल (साधारण वाक्य) में एक क्रिया तथा एक विधेय तथा एक उद्देश्य होता है।

जैसे –

  • दीपिका पढ़ रही है।
  • वर्षा हो रही है।

2. अनेक स्वतंत्र उपवाक्यों का समूह जो अर्थ के लिए एकदूसरे पर आश्रित नहीं होते यौगिक या संयुक्त अथवा संसृष्ट (Compound) वाक्य कहलाता है; जैसे – मैं अत्यंत गुस्से में था, मन हुआ कि इसे पीट दूँ और पुलिस के हवाले कर दूँ। इसमें चार स्वतंत्र वाक्यांश हैं –

  • मैं अत्यंत गुस्से में था
  • मन हुआ कि
  • इसे पीट दूं
  • और पुलिस के हवाले कर दूँ।

3. मिश्रित वाक्य (Complex Sentence):
मिश्रित वाक्य में एक प्रधान वाक्य तथा एक या अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं। इसे जटिल वाक्य भी कहा जाता है; जैसे – उसने कहा कि मैंने जब इच्छा की, अपना काम किया।

यहाँ – उसने कहा…. प्रधान उपवाक्य

कि अपना काम किया… संज्ञा उपवाक्य (प्रधान उपवाक्य की क्रिया कहा का कर्म)
जब इच्छा की …. क्रियाविशेषण उपवाक्य (दूसरे वाक्य की क्रिया की विशेषता बताता है।)

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद –
(1) विधिवाचक वाक्य – इससे किसी बात के करने या होने का बोध होता है, जैसे – रमण लिखता है। सूर्य अस्त हो रहा है। इसे साधारार्णक या विधानवाचक वाक्य भी कहा जाता है।

(2) निषेधवाचक वाक्य – इससे किसी बात के न होने का बोध होता है; जैसे रोबिना नहीं आई। पीटर को बैंक से कर्ज नहीं मिला। इसे नकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है।

(3) प्रश्नवाचक वाक्य – जिस वाक्य से प्रश्न पूछे जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे –

  • बबीता किस कक्षा में पढ़ती है ?
  • मजदूर क्या कर रहा है ? इसे प्रश्नार्थ वाक्य में कहते हैं।

(4) आज्ञावाचक वाक्य – जिस वाक्य में किसी तरह की आज्ञा या अनुमति का बोध हो, उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; जैसे

  • अपना घरकाम पूरा करो।
  • विद्यार्थीगण, ईमानदारी से पढ़ाई करें। इसे आज्ञार्थ या विधिवाचक वाक्य भी कहते हैं।

(5) इच्छावाचक वाक्य – इसमें किसी प्रकार की इच्छा या शुभकामना का बोध होता है; जैसे –

  • परीक्षा में आपको सफलता मिले।
  • शतायु हो।

(6) संदेहवाचक वाक्य – यहाँ वाक्य में किसी कार्य, कर्ता या कर्म को लेकर संदेह हो वहाँ संदेहवाचक वाक्य होता है; जैसे

  • क्या पता नहीं, रमेश पढ़ता है या नहीं। शायद रमेश पढ़ता होगा।

(7) संकेतवाचक वाक्य – इसमें एक कार्य या बात का होना किसी दूसरी बात या कार्य के होने या न होने पर निर्भर होता है; जैसे –

  • यदि पानी बरसेगा तो फसल अच्छी होगी।
  • अगर तुम मेहनत करोगे तो अच्छे अंक प्राप्त होंगे।

(8) विस्मयादिबोधक वाक्य – जिस वाक्य में विस्मय, भय, हर्ष, शोक, घृणा आदि का भाव प्रकट होता है, उसे विस्मयादिबोधक या उद्गारवाचक वाक्य कहते हैं;

जैसे –

  • वाह ! क्या सुंदर छक्का मारा।
  • अहा ! कितना सुंदर दृश्य है !

इस तरह के वाक्य में अहा, आह, ओह, वाह, शाबाश, अरे, छिः शब्द उद्गार चिह्न के साथ आते हैं। इसे मनोवेगात्मक वाक्य भी कहते हैं।

वाक्यांतरण
एक प्रकार के वाक्य का दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तन करना वाक्यांतरण कहलाता है। इसे वाक्य रचनांतरण या रूपांतरण भी कहा जाता है। वाक्यांतर के कुछ उदाहरण देखिए :

(क) सरल (साधारण) वाक्य का संयुक्त वाक्य में रूपांतरण :

  1. सरल वाक्य – वह पढ़ने के लिए स्कूल गया।
    संयुक्त वाक्य – उसे पढ़ना था, इसलिए वह स्कूल गया।
  2. सरल वाक्य – गंगा गंगोत्री से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
    संयुक्त वाक्य – गंगा गंगोत्री से निकलती हैं और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  3. सरल वाक्य – वह पढ़कर सो गया।
    संयुक्त वाक्य – उसने पढ़ाई की और सो गया। या उसने पढ़ा और सो गया।

(ख) सरल वाक्य से मिश्रवाक्य बनाना

  1. सरल वाक्य – अध्यापक के कक्षा में प्रवेश करते ही छात्र खड़े हो गए।
    मिश्रवाक्य – जैसे ही अध्यापक ने कक्षा में प्रवेश किया, छात्र खड़े हो गए।
  2. सरल वाक्य – विपत्ति में साथ देनेवाला सच्चा मित्र हैं।
    मिश्रवाक्य – जो विपत्ति में साथ देता है, वही सच्चा मित्र है।
  3. सरल वाक्य – परिश्रमी व्यक्ति सफलता प्राप्त करते हैं।
    मिश्रवाक्य – जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं, वे सफलता प्राप्त करते हैं।

(ग) संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य बनाना :

  1. संयुक्त वाक्य – दिन भर धूप रही और लू चलती रही।
    सरल वाक्य – दिनभर धूप के साथ लू चलती रही।
  2. संयुक्त वाक्य. – सवेरा हो गया फिर भी सूरज नहीं दिखा।
    सरल वाक्य – सवेरा हो जाने पर भी सूरज नहीं दिखाई दिया।
  3. संयुक्त वाक्य – जादूगर ने खेल दिखाया, तब पैसे मागे।
    सरल वाक्य – जादूगर ने खेल दिखाने के बाद पैसे मागे।

(घ) मिश्र वाक्य से सरल वाक्य बनाना :

  1. मिश्र वाक्य – ज्यों ही घंटी बजी, छात्र कक्षा में चले गए।
    सरल वाक्य – घंटी बजते ही छात्र कक्षा में चले गए।
  2. मिश्र वाक्य – जैसे ही पटाखा फूटा, पक्षी उड़ गए।
    सरल वाक्य – पटाखा फूटते ही पक्षी उड़ गए।
  3. मिश्र वाक्य – जो बुरा कर्म करता है, उसका फल भी उसे ही भोगना पड़ता है।
    सरल वाक्य – बुरा कर्म करनेवाले को उसका फल भी भोगना पड़ता है।

(ङ) मिश्र वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलना :

  1. मिश्र वाक्य – जैसे ही बाढ़ आई वैसे ही खेतों में पानी भर गया।
    संयुक्त वाक्य – बाढ़ आते ही खेतों में पानी भर गया।
  2. मिश्र वाक्य – जैसे ही पुलिस दिखाई दी, वैसे ही चोर भाग गया।
    संयुक्त वाक्य – पुलिस दिखाई दी और चोर भाग गया।
  3. मिश्र वाक्य – जैसे ही परीक्षा समाप्त होगी वैसे ही मैं अपने ननिहाल चला जाऊँगा।
    संयुक्त वाक्य – परीक्षा समाप्त होगी और मैं अपने ननिहाल चला जाऊँगा।

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