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Gujarat Board Solutions Class 10 Hindi पूरक वाचन Chapter 3 सत्साहसी

Gujarat Board Solutions Class 10 Hindi पूरक वाचन Chapter 3 सत्साहसी

GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Purak Vachan Chapter 3 सत्साहसी

विषय-प्रवेश :

साहस के बिना कोई भी कार्य नहीं हो सकता। सत्साहस से कार्य करनेवालों को लोग सम्मानपूर्वक याद करते हैं। प्रस्तुत निबंध में लेखक ने साहस के विभिन्न रूपों की चर्चा करते हुए दुस्साहस एवं सत्साहस पर प्रकाश डाला है।

पाठ का सार :

साहस का महत्त्व : कोई भी और कैसा भी काम हो, बिना साहस के संपन्न नहीं होता। अर्जुन, भीम, भीष्म तथा अभिमन्यु जैसे वीर अपने सत्साहस के कारण हो महान बन सके हैं। ये ऐसे साहसी महापुरुष थे, जो जन-जन के हृदय में बसे हैं।

साहस, साहस में अंतर : साहस भी कई प्रकार का होता है। क्रोध में अंधे होकर अपने स्वार्थ के लिए किए गए साहस को अच्छा नहीं कहा जा सकता। चोर-डाकुओं और निरंकुश राजाओं द्वारा किए गए साहस इसी श्रेणी के होते हैं। ये निम्न श्रेणी के साहस कहलाते हैं।

मध्यम श्रेणी का साहस : इस प्रकार का साहस शूरवीरों में अकसर पाया जाता है। इस प्रकार के साहस से शूरवीरों के उच्च विचार, उनकी निर्भीकता, बेपरवाही और स्वार्थहीनता प्रकट होती है, पर इनमें ज्ञान की कमी पाई जाती है। उदाहरण के लिए दो शूरवीरों द्वारा साहस का प्रदर्शन करते-करते मर मिटना। ऐसा साहस मध्यम श्रेणी का साहस माना जाता है।

सर्वोच्च श्रेणी का साहस : इसके लिए शारीरिक बल और धनमान जरूरी नहीं है। इसके लिए व्यक्ति में पवित्रता, उदारता, चरित्र की दृढता तथा कर्तव्यपरायणता की भावना होनी चाहिए। प्रत्येक साहसी व्यक्ति में कर्तव्य का विचार होना चाहिए। उसके हृदय में यह भाव होना चाहिए कि जो कुछ उसने किया है, उसे केवल अपना कर्तव्य समझ कर किया है।

बुद्धन सिंह का उदाहरण : मारवाड़ के मौरूदा गांव का जमींदार बुद्धन सिंह झगड़े के कारण देश छोड़कर जयपुर बस गया था, पर एक बार मारवाड़ पर मराठों ने आक्रमण कर दिया, तो वह अपनी सेना लेकर शत्रु से मारवाड़ की रक्षा करने आ पहुंचा था। यह बुद्धन सिंह की कर्तव्य परायणता और उसका सत्साहस था।

सत्साहसी व्यक्ति के गुण : सत्साहसी व्यक्ति किसी व्यक्ति को दुःख से बचाने के लिए अपने प्राण देने तक के लिए तैयार हो जाता है, भले ही वह व्यक्ति परिचित हो या अपरिचित।

सत्साहस : देश, काल और कर्तव्य पर विचार करते हुए स्वार्थरहित होकर साहस न छोड़ते हुए कर्तव्यपरायण बनने का प्रयास ही सत्साहस है।

शब्दार्थ :

  • महापुरुष – श्रेष्ठ पुरुष।
  • साहस – हिंमत ।
  • अभीष्ट – उद्देश्य।
  • प्रशंसनीय – प्रशंसा के योग्य।
  • क्रोधांध – क्रोध में अंधा हो जाना, अत्यधिक क्रोध करना।
  • स्वार्थवश – स्वार्थ के कारण।
  • कुत्सित – निंदित।
  • सत्साहस – अच्छे अर्थों में हिंमत दिखाना।
  • शूरवीर – बहादुर।
  • निर्भीकता – निडरता।
  • बेपरवाही – किसी बात की परवाह न होने का भाव।
  • स्वार्थहीनता – स्वार्थ न होने का भाव।
  • ज्ञान – बोध।
  • आभा – चमक-दमक, कांति।
  • निस्तेज – जिसमें तेज न हो, तेजरहित।
  • सर्वोच्च – सबसे ऊँचा।
  • बलिष्ठता – मजबूती।
  • धनमान – संपत्ति-सम्मान।
  • दृढता – अपने विचार आदि पर जमे रहने का भाव।
  • कर्तव्यपरायण – उचित काम करनेवाला।
  • वीरता – बहादुरी।
  • लेशमात्र – जरा भी नहीं।
  • क्लेश – कष्ट।

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