Gujarat Board Solutions Class 10 Hindi पूरक वाचन Chapter 5 बंटी की उलझन
Gujarat Board Solutions Class 10 Hindi पूरक वाचन Chapter 5 बंटी की उलझन
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Purak Vachan Chapter 5 बंटी की उलझन
विषय-प्रवेश :
पुराने जमाने में विवाह जीवनभर का बंधन होता था। दाम्पत्य जीवन में छोटी-मोटी समस्याएं उत्पन्न होती थीं, तो भी सुलझ जाया करती थीं। आजकल के पढ़े-लिखे नौकरी-पेशा पति-पत्नी दाम्पत्य जीवन की समस्याओं को हल्के-फुल्के ढंग से न लेकर उनका हल तलाक के रूप में देखते हैं। इस प्रक्रिया में सबसे अधिक कष्ट भोगना पड़ता है, तलाक शुदा लोगों के निर्दोष बच्चों को। बंटी इसी तरह की संतान है, जिसे अपने तलाक शुदा पिता और माता दोनों से बहुत ज्यादा प्यार है।
पाठ का सार :
बंटी के मम्मी-पापा : बंटी के मम्मी-पापा का तलाक हो चुका है। मम्मी अलग रहती है और पापा भी अलग रहते हैं। बंटी का लगाव अपनी मम्मी से भी है और अपने पापा से भी है। वह अपनी मां के साथ रहता है, पर जब उसके पापा सूचना देकर उसे बुलाते हैं, तो उसे उनके पास पहुंचा दिया जाता है और बाद में उसे उसकी मम्मी के पास पहुंचाने की व्यवस्था करते हैं।
बंटी को बुलावा : परसों बंटी के पापा ने पत्र भेजकर बंटी को अपने पास बुलाया था। पत्र के लिफाफे पर बंटी की मम्मी का नाम था। उसमें एक पत्र उसकी मम्मी के लिए भी था। मम्मी के नाम आए पत्र से बंटी को लगता है कि उसके पापा-मम्मी शायद दोस्ती करनेवाले हैं।
आज बंटी को जाना है : पत्र में बंटी को आज दस बजे सरकिट हाउस पहुंच जाने के लिए लिखा था। बंटी देखता है कि उसकी मम्मी न हंसती है, न बोलती है। गुमसुम बनी है। बंटी पापा के पास जाने के लिए उत्सुक है। वह मन-ही-मन सोचता है कि पापा के पास जाकर वह खूब घूमेगा, चीजें खरीदेगा। वह जल्दी-जल्दी तैयार हो रहा है।
हीरालाल की बीमारी : बंटी को दस बजे सरकिट हाउस पहुंच जाना है। साढ़े नौ बज गए हैं। बंटी को हीरालाल के साथ जाना है। हीरालाल अभी तक नहीं आया है। इधर उसकी मम्मी पुस्तक पढ़ने में जुटी है, जैसे उसे कोई परवाह ही नहीं है। बंटी को लगता है कि पापा के पास उसका जाना मम्मी को शायद अच्छा नहीं लग रहा है। तभी हीरालाल की बेटी आकर बताती है कि हीरालाल को बुखार है। इसलिए वह आ नहीं सकेगा।
कॉलेज के माली का साथ : बंटी की मम्मी बंटी को कॉलेज के माली के साथ भिजवाने की व्यवस्था करती है। माली के साथ बंटी चल देता है।
बंटी के मन में आनेवाली बातें : रास्ते भर बंटी सोचता जाता है कि, उसे पापा से क्या-क्या पूछना है, जिसे मम्मी से नहीं पूछा जा सकता। एक बात पूछने का वह निश्चय करता है कि क्या तलाकवाली कुट्टी में कभी अब्ब नहीं हो सकती : अगर पापा भी उसके साथ रहने लगें तो कितना मजा आए !
पापा से मिला बंटी : पाषा बंटी को बाहर ही मिल जाते हैं। बंटी उनसे दौड़कर मिलता है और वे उसे उठाकर छाती से लगा लेते हैं। वे उसे प्यार से चूमते रहते है। वे बंटी को तागे में बिठाकर घुमाते हैं, उसे आइसक्रीम और चाट खिलाते हैं और गन्ने का रस पिलाते हैं। पर उन्होंने उसे कोई चीज नहीं दिलाई। इससे बंटी को निराशा होती है।
पापा का रौद्र रूप : घूम-फिरकर जब शाम को वे वापस आते हैं, तो पापा का तागेवाले से किराए को लेकर जोरदार झगड़ा होता है। पापा ने तांगेवाले को चीख-चीखकर बहुत कुछ सुनाया। उनका चेहरा लाल हो गया। यह देखकर बंटी सन्न रह जाता है। उसने पहली बार पापा को गुस्सा होते देखा था। बंटी कॉप गया और उसे मम्मी की याद आने लगी।
बंटी का डर : बंटी सहमा हुआ था। वह सोचता है, अगर पापा कभी उस पर इस तरह गुस्सा हो जाएं, तो! उसके मन में एक अनजान डर फैलता जाता है। उसे पता चलता है कि उसे वापस ले जानेवाला माली यहां आकर चला गया है। अब वह वापस कैसे जाएगा?’ उसे लगता है कि कहीं पापा रात में वहीं सोने को न कह दें। उसका उत्साह एकदम बुझ जाता है। तभी पापा उसे सांत्वना देते हैं कि वे खुद उसे उसकी मां के पास छोड़ने जाएंगे।
पापा और बंटी ताँगे में : पापा तांगा मंगाते हैं और वे तांगे में बैठकर चल पड़ते हैं। बंटी सोचने लगता है कि पापा को देखकर मम्मी एकदम खुश हो जाएगी। वह पापा को खींचकर अंदर ले जाएगा और मम्मी-पापा का हाथ मिला देगा। कुट्टी खत्म हो जाएगी फिर मम्मी और वह, दोनों पापा को जाने ही नहीं देंगे। वह पापा से बात करना चाहता है, पर उसे बात करने का साहस नहीं होता। वह मम्मी-पापा को लेकर सुंदर कल्पनाएं करता है। उसे बहुत गर्व होता है कि वह मां के लिए पापा को ले जा रहा है।
घर पहुंचने पर : तांगा कॉलेज के पास पहुंचता है। बंटी, ताँगे को रुकवाकर पापा का हाथ पकड़कर गेट की तरफ खींचता हुआ ले जाता है। वह चिल्लाता है- ‘मम्मी, पापा आए हैं।’ फाटक खोलकर मम्मी सामने आ जाती है। मम्मी, पापा से कहती है कि उसने बंटी को लाने के लिए आदमी भेजा था, पर वह राह देखकर चला आया। उन्हें बंटी को लेकर आने की तकलीफ उठानी पड़ी। पापा कहते हैं कि ‘कोई बात नहीं।’ बंटी पापा का बदला हुआ स्वर सुनता है। बंटी पापा को भीतर खींच ले जाता है। मम्मी-पापा आमने-सामने कुर्सी पर बैठ जाते हैं। बंटी पुलकित हो जाता है।
शब्दार्थ :
- गुमसुम – चुप और निश्चेष्ट होना।
- थपकना – प्यार से शरीर पर थपकी देना।
- दहशत – डर, भय।
- उदासी – खिन्नता।
- भन्नाना – भुनभुनाना।
- सहमना – डरना।
- मह – बेइज्जती।
- ठीक – उदंड, जरूरत से ज्यादा साहस करनेवाला।
- होश – चेतना।
- कुट्टी – मित्रता टूटना।
- ताप – बुखार।
- सीत – ठंडी।
- गुदड़े – फटे-पुराने कपड़ों से बना बिछौना।
- इत्तिला – सूचना।
- मिजाज – स्वमान।
- बिफरना – नाराज होना।
- बड़बड़ाना – अस्पष्ट शब्दों में कुछ कहना।
- पसरना – बहुत फैलकर बैठना।
- सख्त – कड़ा।
- किस्सू – किस् (चुंबन)।
- चिल्लाहट – शोर।
- रहम – करुणा, दया।
- छलछलाना – आँखों का भर आना।
- बुझाना – (यहाँ) उदास होना।
- निहायत – बहुत ज्यादा।
- अजनबी – अपरिचित।
- बहकाना – भुलावा देना।
- असुबाई – जिन (आंखों) में आंसू हो।
- घुमड़ना – जमा होना।
- अजीब – अनोखा, अद्भुत।
- बेचैनी – बेकली, घबराहट।
- धमना – रुकना।
- मोगरा – बेला।
- रुआंसा – रोने-रोने को होना।
- पुलकित – हर्ष बिहवल।