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Haryana Board 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 आरोग्य भोजन सेवा एवं विभिन्न खाद्य पदार्थों का भण्डारण

Haryana Board 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 आरोग्य भोजन सेवा एवं विभिन्न खाद्य पदार्थों का भण्डारण

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 आरोग्य भोजन सेवा एवं विभिन्न खाद्य पदार्थों का भण्डारण

अति लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
आरोग्य भोजन सेवा की क्या परिभाषा है ?
उत्तर :
आरोग्य भोजन सेवा का अर्थ है भोजन का ऐसा रख-रखाव जिससे कि वह अति सूक्ष्म जीवों से मुक्त और सुरक्षित रह सके।

प्रश्न 2.
हम भोजन को आरोग्य कैसे रख सकते हैं ?
उत्तर :
भोजन को आरोग्य रखने के लिए हमें कुछ सामान्य नियमों का ध्यान रखना पड़ेगा। वह हैं –

  1. रसोई में स्वच्छता
  2. साफ़-सफ़ाई के साथ भोजन का रख-रखाव
  3. व्यक्तिगत आरोग्य धर्मिता।

प्रश्न 3.
फ्रिज में रखकर भोजन को खराब होने से बचाना किस सिद्धान्त पर आधारित है ?
उत्तर :
भोजन में एन्जाइम की क्रिया और सूक्ष्म जीवों में वृद्धि तापमान के बढ़ने से बढ़ती है। कम तापमान पर इनकी वृद्धि कम होती है। इसलिए फ्रिज में भोजन को ठण्डा रखा जाता है। इससे भोजन सरक्षित रहता है।

प्रश्न 4.
बन्द डिब्बों और बोतलों में भोजन खराब होने से क्यों बचा रहता है ?
उत्तर :
हवा और नमी का अस्तित्व जीवाणुओं की वृद्धि का कारण बनता है। इसलिए भोजन को सुरक्षित रखने के लिए पहले भोजन को गर्म करके जीवाणु रहित कर लिया जाता है और फिर डिब्बे या बोतलों में बन्द करके हवा रहित बना लिया जाता है। इस तरह भोजन दीर्घकाल तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रश्न 5.
मीट और मछली पर जीवाणुओं के प्रभाव के बारे में लिखो।
उत्तर :
मीट तथा मछली पर जीवाणुओं का प्रभाव बहुत शीघ्र होता है क्योंकि मीट में नमी और प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। इसलिए जीवाणु शीघ्र आक्रमण करते हैं और संख्या में शीघ्रता से बढ़ते हैं।

प्रश्न 6.
डबलरोटी को फफूंदी लगने से उस पर कैसे परिवर्तन आ जाते हैं ?
उत्तर :
फफूंदी प्रत्येक प्रकार के भोजन पर पैदा हो जाती है। परन्तु नमी वाले भोजन पर 20-40 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में यह वृद्धि तेजी से होती है। फफूंदी लगने से डबलरोटी का स्वाद बदल जाता है। ऐसी डबलरोटी खाने से आदमी बीमार हो सकता है।

प्रश्न 7.
भोजन को डिब्बों में बन्द करने से एन्जाइम अपनी क्रिया नहीं कर सकते। बताएं क्यों ?
उत्तर :
एन्जाइम को क्रियाशील होने के लिए हवा का होना बहुत ज़रूरी है। भोजन को डिब्बों और बोतलों में बन्द करते समय हवा रहित कर लिया जाता है ताकि एन्जाइम अपनी क्रिया न कर सकें।

प्रश्न 8.
कुछ बैक्टीरिया लाभदायक परिवर्तन लाते हैं, उदाहरण दो।
उत्तर :
बैक्टीरिया बहुत सूक्ष्म जीव होते हैं जो कम तेजाबी मात्रा वाले भोजनों में पाए जाते हैं। अनुकूल वातावरण में ये बहुत शीघ्रता से बढ़ते हैं और भोजन को खराब कर देते हैं। परन्तु कुछ बैक्टीरिया भोजन में लाभदायक परिवर्तन भी लाते हैं। जैसे दूध से दही और एल्कोहल से सिरका बनाने वाले बैक्टीरिया।

प्रश्न 9.
क्या धातएं भी भोजन को खराब कर सकती हैं ?
उत्तर :
कई धातुओं से मिलकर भी भोजन खराब हो जाता है जैसे तांबे और पीतल के बर्तनों में बनाया भोजन कुछ देर में ही खराब हो जाता है और खाने योग्य नहीं रहता। क्योंकि इन धातुओं से भोजन की रासायनिक क्रिया हो जाती है। इसलिए पीतल के बर्तनों को कलई करवाया जाता है।

प्रश्न 10.
भोजन की मिलावट से आप क्या समझते हो ?
उत्तर :
भोजन में कुछ ऐसी वस्तुओं की मिलावट करनी जो भोजन की कीमत से सस्ती हों या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हों, को भोजन की मिलावट कहा जाता है। जैसे देसी घी में वनस्पति घी मिला देना या अरहर की दाल में हानिकारक केसरी दाल को मिलाना।

प्रश्न 11.
दालों में आम तौर पर किस वस्तु की मिलावट की जाती है ?
उत्तर :
अनाज की तरह दालों में भी कंकर, पत्थरी, मिट्टी, तिनके तथा अन्य कई बीज मिलाए जाते हैं। कई बार दालों की शक्ल अच्छी करने के लिए हानिकारक रंग भी मिलाए जाते हैं। चने और अरहर की दाल में केसरी दाल मिलाई जाती है तथा मांह और मूंगी की दालों में टैल्कम पाऊडर मिलाया जाता है।

प्रश्न 12.
चाय की पत्ती में मिलावट करने के लिए कौन-कौन से मिलावटी पदार्थ प्रयोग किए जाते हैं ?
उत्तर :
लोहे के बारीक टुकड़े चाय की पत्ती की तरह ही लगते हैं। जिस कारण चाय की इनसे मिलावट की जाती है। यह चाय पत्ती से भारी होने के कारण चाय पत्ती का भार बढ़ जाता है। कई बार प्रयोग की गई चाय पत्ती सुखा कर चाय पत्ती में मिलाई जाती है या वैसे ही पुरानी पत्ती बेची जाती है। मांह की दाल के छिलके भी पीस कर चाय पत्ती में मिलावट के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

प्रश्न 13.
भोजन पदार्थों में मिलावट क्यों की जाती है ?
उत्तर :
भोजन में मिलावट व्यापारियों की ओर से अधिक लाभ कमाने के लिए की जाती है। इसलिए व्यापारी घटिया और सस्ती वस्तुएं भोजन में मिला देते हैं। कई बार ये वस्तुएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो जाती हैं।

प्रश्न 14.
सरसों के बीज में किस वस्तु की मिलावट की जाती है ?
उत्तर :
अर्गमोन के बीज तथा एरगट के बीज (Argemone seeds and ergot seeds) देखने में सरसों के बीजों की तरह लगते हैं इसलिए इनकी मिलावट सरसों के बीजों में आसानी से की जा सकती है।

प्रश्न 15.
भोजन पदार्थों में मिलावट करने के क्या नुकसान हैं ? किन्हीं दो के बारे में लिखें।
उत्तर :
1. अधिक लाभ कमाने के लालच में कई व्यापारी और दुकानदार खाने वाली वस्तुओं में भी मिलावट कर देते हैं, जिससे वह वस्तुएं खाने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य का नुकसान होता है। जैसे अरहर की दाल में केसरी दाल मिलाने से खाने वाले को अधरंग हो जाता है।
2. खाने वाली वस्तुओं में वर्जित रंगों के प्रयोग से जिगर खराब हो जाता है और कैंसर भी हो सकता है।

प्रश्न 16.
बनावटी रंग कौन-कौन से भोजन पदार्थों में मिलाए जाते हैं और इनके क्या नुकसान हैं ?
उत्तर :
आइसक्रीम, मिठाइयां, बिस्कुट, शर्बत, सक्वैश आदि वस्तुओं में वर्जित और आवश्यकता से अधिक रंगों के प्रयोग से गुर्दे और जिगर खराब हो जाते हैं, कैंसर भी हो सकता है। गर्भवती औरत के भ्रूण में विकार पैदा हो सकते हैं।

प्रश्न 17.
क्या भोजन में मिलावटी पदार्थ का पता लगाया जा सकता है ?
उत्तर :
हाँ, भोजन में मिलावटी पदार्थ का पता चल सकता है। परन्तु इसके लिए जानकारी की आवश्यकता है। जैसे अनाज में एरगट के बीजों की जाँच करने के लिए अनाज को नमक वाले पानी में डालने से एरगट के बीज ऊपर तैर आते हैं। इस तरह दूध में मैदा या स्टार्च की मिलावट आयोडीन के कुछ तुपके मिलाने से पता चल सकती है। दूध का आयोडीन मिलाने के पश्चात् नीला या काला रंग स्टार्च का अस्तित्व दर्शाता है।

प्रश्न 18.
काली मिर्च में किस चीज़ की मिलावट की जा सकती है ? इसकी पहचान कैसे करोगे ?
उत्तर :
काली मिर्च में पपीते के बीज सुखा कर मिलाए जाते हैं। परन्तु पानी में डालने से पपीते के बीज पानी की स्तह पर तैरने लगते हैं।

प्रश्न 19.
ड्रॉप्सी (Dropsy) नामक बीमारी कौन-से पदार्थ की मिलावट से होती है ?
उत्तर :
सरसों या दूसरे खाने वाले तेलों में यदि अधिक देर तक अर्गमोन की मिलावट वाला तेल प्रयोग किया जाए तो इस से ड्रॉप्सी नाम की बीमारी लग सकती है।

प्रश्न 20.
खराब होने वाले और न खराब होने वाले भोजन में क्या अन्तर है ?
उत्तर :
खराब होने वाले भोजन वे पदार्थ होते हैं जिनको अधिक देर तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता। इन में दध और दध से बने पदार्थ, हरी सब्जियां, मीट, मछली आदि भोजन आते हैं। न खराब होने वाले भोजन वे भोजन हैं, जिनको प्राकृतिक रूप में दीर्घकाल के लिए खराब होने के बिना रखा जा सकता है, जैसे-गेहूँ, चावल, दालें, चीनी, घी आदि।

प्रश्न 21.
मक्खन को कहाँ और कैसे सम्भाला जा सकता है ?
उत्तर :
मक्खन बहुत जल्दी खराब होने वाली वस्तु है। ये सभी वस्तुओं से जल्दी पिघलता है और खराब होकर बदबू मारने लगता है। इस लिए इसको ठण्डे स्थान पर रखना चाहिए। इस को फ्रिज में रखना चाहिए। यदि फ्रिज न हो तो ठण्डे पानी में मक्खन वाला बर्तन रखें और दिन में तीन बार पानी बदलें।

प्रश्न 22.
भोजन की सम्भाल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
भोजन की सम्भाल से अभिप्राय भोजन को दीर्घकाल के लिए हानिकारक जीवाणुओं और रासायनिक तत्त्वों के प्रभाव से खराब होने से बचाना है ताकि भोजन की सुगन्ध, रंग और पौष्टिकता में कोई अन्तर न पड़े।

प्रश्न 23.
खराब भोजन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
भोजन की नमी और रासायनिक तत्त्वों के परिवर्तन से भोजन की रचना, स्वाद और गुणों में अन्तर पड़ जाता है। ऐसे भोजन खाने योग्य नहीं रहते। यदि ऐसे भोजन को खा लिया जाए तो व्यक्ति बीमार हो सकता है।

प्रश्न 24.
पोषण तत्त्वों का संरक्षण करने के चार उपाय बताओ।
उत्तर :
देखें दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1.

प्रश्न 25.
शीघ्र नष्ट होने वाले भोज्य पदार्थों के नाम बताएँ।
अथवा
कोई भी चार शीघ्र नष्ट होने वाले भोज्य पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर :
दूध, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां।

प्रश्न 26.
किन्हीं चार अर्धविकारीय खाद्य पदार्थों के नाम बताएं।
उत्तर :
मक्की का आटा, इमली, चावल का आटा, मक्खन।

प्रश्न 27.
फ्रिज में भोज्य पदार्थों को रखने से उन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 3।

प्रश्न 28.
कोई चार अविकारीय खाद्य पदार्थों के नाम बताएं।
उत्तर :
गेहूँ, दाल, मसाले, तेल।

प्रश्न 29.
डबलरोटी का भण्डारण आप कैसे करेंगे ?
उत्तर :
इसको डबलरोटी रखने वाले डिब्बे में ही रखना चाहिए जिसमें कि हवा न जा सके।

प्रश्न 30.
अण्डों का भण्डारण आप कैसे करोगे ?
उत्तर :
ठण्डे स्थान पर रखकर जैसे फ्रिज में।

प्रश्न 31.
दीर्घकालीन सुरक्षित रहने वाले भोज्य पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर :
गेहूं, दालें, मसाले, तेल, भुनी मुंगफली आदि।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
घरों में प्रयोग किए जाने वाले भोजन पदार्थ कितनी प्रकार के होते हैं ?
अथवा
भोज्य पदार्थों को हम कैसे वर्गीकृत कर सकते हैं ?
उत्तर :
भोजन पदार्थ जल्दी खराब नहीं होते परन्तु नमी युक्त भोजन पदार्थ जैसे-फल, सब्जियां आदि कुछ समय के बाद खराब हो जाते हैं। भोजन पदार्थों की नमी के आधार पर भोजन पदार्थों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है –

  1. शीघ्र खराब होने वाले भोजन पदार्थ (Perishable Foods)-जैसे-दूध, मांस, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि।
  2. कुछ समय के लिए सुरक्षित रहने वाले भोजन (Semiperishable Foods) जैसे-आलू, प्याज, लहसुन, अरबी आदि।
  3. दीर्घकाल तक सुरक्षित रहने वाले भोजन (Non-Perishable Foods)-इन भोजन पदार्थों में नमी नाममात्र ही होती है। यह काफ़ी समय तक सुरक्षित रह सकते हैं जैसे अनाज, दालें, मूंगफली आदि।

प्रश्न 2.
भोजन को सम्भालने से क्या भाव है ?
उत्तर :
पौष्टिक तथा सन्तुलित भोजन को तैयार करने के लिए भोजन पदार्थों की देखभाल करनी बहुत ज़रूरी है। उचित ढंग के साथ सम्भाला भोजन अधिक समय तक चल सकता है। जब कभी किसी विशेष भोजन पदार्थ की कमी महसूस हो तो सम्भाले हुए भोजन पदार्थ को प्रयोग में लाया जा सकता है। भोजन की सम्भाल से अभिप्राय भोजन को दीर्घकाल तक हानिकारक जीवाणुओं तथा रासायनिक तत्त्वों के प्रभावाधीन खराब होने से बचाना है ताकि इसके रंग-रूप, सुगन्ध तथा पौष्टिक तत्त्वों में कोई अन्तर न आए।

प्रश्न 3.
भोजन को सम्भालने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर :
1. भोजन की सम्भाल से भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है।
2. भोजन पर खर्च होने वाला समय तथा धन की बचत की जा सकती है जैसे मौसम में फल तथा सब्जियां सस्ते मिल जाते हैं। इसको आचार, चटनियां, जैम, मुरब्बे तथा शर्बत आदि बनाकर सम्भाला जाता है तथा दूसरे मौसम में जबकि भोजन पदार्थ नहीं मिलते तो प्रयोग में लाया जा सकता है।
3. मौसमी फल तथा सब्जियों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। उनको सम्भालकर रखने से नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
4. भोजन पदार्थों को सम्भालकर रखने से सन्तुलित भोजन तैयार करना सरल हो जाता है। क्योंकि भोजन पदार्थों की सम्भाल करने से पौष्टिक तत्त्वों को भी सम्भाल कर रखा जाता है।
5. भिन्न-भिन्न ढंगों से सम्भालकर रखे भोजन को दीर्घकाल तक प्रयोग किया जा सकता है। जैसे फल तथा सब्जियों के आचार, चटनियां, जैम आदि बनाए जा सकते हैं। जैसे कई सब्जियों को सुखा कर भी लम्बे समय तक प्रयोग किया जा सकता है। जैम-साग, मेथी, मटर आदि।

प्रश्न 4.
गर्मियों की ऋतु में भोजन जल्दी खराब हो जाता है, क्यों ?
उत्तर :
गर्मियों की ऋतु में भोजन जल्दी खराब होने का कारण सूक्ष्मजीव होते हैं। गर्मियों का तापमान सूक्ष्म जीवों के बढ़ने, फूलने और एंजाइमों की क्रिया के लिए ज्यादा अनुकूल होता है। इसलिए सूक्ष्म जीव भोजन में बढ़ते-फूलते हैं और उसको खराब कर देते हैं। गर्मियों में भोजन को इसी कारण ही ठण्डी जगहों जैसे फ्रिज और कोल्ड स्टोरों में रखा जाता है।

प्रश्न 5.
भोजन में मौजूद एंजाइम कैसे परिवर्तन लाते हैं ? उदाहरण दो।
उत्तर :
भोजन में कई तरह के एंजाइम होते हैं जोकि भोजन में कई तरह के परिवर्तन लाते हैं। पहले तो यह भोजन को पकाने का कार्य करते हैं जोकि हमारे हित में होता है परन्तु पकने के बाद यह भोजन को गलाने-सड़ाने के लिए भी ज़िम्मेदार हैं। इनकी क्रिया खास तापमान और हवा पर निर्भर करती है। हवा और तापमान दोनों को घटा कर एंजाइमों की प्रतिक्रिया को कंट्रोल किया जा सकता है। भोजन पदार्थों को हवा रहित डिब्बियों में बन्द कर एंजाइमों से भोजन को कुछ समय के लिए बचाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
किस प्रकार के सूक्ष्म जीवों के कारण भोजन खराब हो सकता है ? नाम बताओ।
उत्तर :
भोजन पदार्थ और सूक्ष्मजीव क्रिया करके इनको खराब कर देते हैं।
1. खमीर-गर्मियों में कई बार गुंथा आटा रात भर फ्रिज से बाहर रह जाए तो यह फूल जाता है इसको खमीर हो जाना कहते हैं। यह सूक्ष्म जीवों के कारण ऐसा होता है।
2. बैक्टीरिया-ये कम तेज़ाब वाले भोजन पदार्थों में होते हैं। अनुकूल वातावरण मिलने से ये जल्दी बढ़ते हैं। कुछ ही दिनों में एक बैक्टीरिया से लाखों करोड़ों बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं।
3. फंगस-फंगस हर तरह के भोजन से पैदा हो सकती है। परन्तु नमी वाले भोजन पदार्थों में जल्दी बढ़ती फूलती है। फंगस लगने से भोजन का स्वाद खराब हो जाता है, सड़ जाता है और खाने से हानि होती है।

प्रश्न 7.
मक्खियां भोजन को कैसे खराब करती हैं ? कीड़े, काकरोच और चूहे भोजन को कैसे खराब करते हैं और खराब होने से कैसे बचाया जा सकता है ?
उत्तर :
मक्खियां – मक्खियां गन्दी जगहों पर बैठती हैं। इनकी टांगों से बीमारी के जर्म चिपके होते हैं। जब ये भोजन पदार्थ पर बैठती हैं तो ये जर्म भोजन के ऊपर छोड़ देती हैं। ऐसा भोजन खाकर कई बार बीमारियां भी लग जाती हैं।

बचाव – मक्खियों से बचाव के लिए भोजन को जालीदार अल्मारियों या डोली में रखा जाता है। कीड़े, काकरोच आदि भी भोजन को खराब करते हैं। ज्यादा कीड़ियों वाला भोजन कड़वा हो जाता है। चूहे भी भोजन को कुतरते हैं और बीमारियों के जर्म छोड़ देते हैं।

बचाव – इनके बचाव के लिए डोली (जाली वाली) के पावे को पानी में रखो। चीजों को बन्द पैकटों, डिब्बों, टीनों आदि में रखो। जहां चींटियों का घर हो वहां कीट-नाशक दवाइयां डाल दो। चूहों से बचाव के लिए आटा, सूखी सेवियों और दालों आदि को बन्द टीनों में रखो। अनाज को ड्रमों में रखकर चूहों से और सुसरियों से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
सूखे पदार्थ जैसे कि अनाज को कैसे और कहां सम्भाल कर रखा जा सकता है ?
उत्तर :
अनाज को आमतौर पर बोरियों में रखा जाता है परन्तु इनको चूहे कुतर देते हैं। आजकल ऐसी बोरियां मिलती हैं जिनको चूहे खराब नहीं कर सकते। अनाज को टीन के बड़े-बड़े ड्रमों में भी रखा जा सकता है। बोरियों को तूड़ी में रखने से इसको सुसरी नहीं लगती। अनाज में नीम के सूखे पत्ते भी मिलाए जा सकते हैं। चावलों को बहुत समय रखना हो तो धान के रूप में रखा जा सकता है। इनमें हल्दी या कुछ नमक मिला कर भी सुरक्षित रखा जाता है। सूखी दालों आदि को बन्द पैकटों या हवा बन्द डिब्बों में रखा जाता है।

प्रश्न 9.
अर्गीमोन के बीज किस में मिलाए जाते हैं और इनका क्या नुकसान है ?
उत्तर :
सरसों या दूसरे खाने वाले तेल में इनकी मिलावट की जाती है।
अर्गीमोन की मिलावट वाले तेल के प्रयोग से जिगर का आकार बढ़ जाता है। आंखों की रोशनी कम हो जाती है। ज्यादा देर तक ऐसा तेल प्रयोग किया जाए तो आदमी अन्धा भी हो सकता है। दिल की बीमारी हो सकती है। ड्रॉप्सी नाम की बीमारी हो सकती है।

प्रश्न 10.
भोजन की मिलावटों से अपने आप को कैसे बचाओगे ?
उत्तर :
भोजन की मिलावटों से अपने आप को निम्नलिखित ढंगों से बचाया जा सकता है –

  1. भोजन भरोसेमन्द दुकानदारों से खरीदो।
  2. ऐग्मार्क, आई० एस० आई० या एफ० पी० ओ० मार्के वाली चीजें ही खरीदनी चाहिएं।
  3. तेल और पत्ती डिब्बा बन्द ही खरीदनी चाहिएं क्योंकि खुले पदार्थों में मिलावट हो सकती है।
  4. शंका होने की स्थिति में पदार्थ का नमूना मिलावट जांच करने वाली संस्थाओं को भेजना चाहिए।

प्रश्न 11.
‘आरोग्य धर्मी भोजन सेवा’ को परिभाषित करें।
उत्तर :
इसका अर्थ है सुरक्षित भोजन परोसना। इस लक्ष्य की प्राप्ति व्यक्तिगत स्वच्छता एवं क्षेत्र की सफाई बरकरार रखकर की जा सकती है।

प्रश्न 12.
खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर :
हम खाद्य पदार्थों को तीन प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं –

1. विकारीय खाद्य पदार्थ जो जल्दी खराब हो जाते हैं जैसे-दूध, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ आदि।
2. अविकारीय खाद्य पदार्थ जो लम्बे समय तक खराब नहीं होते जैसे-गेहूँ, दाल, मसाले, तेल आदि।
3. अधर्विकारीय खाद्य पदार्थ जो अविकारीय खाद्य पदार्थों से जल्दी खराब हो जाते हैं परन्तु विकारीय खाद्य पदार्थों से बाद में खराब होते हैं जैसे-मैदा, सूजी, बेसन, मक्खन आदि।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को विकारीय, अर्धविकारीय एवं अविकारीय वर्गों में बांटिए –
बाजरा, साबूदाना, मक्के का आटा, शिमला मिर्च, बैंगन, छाछ, क्रीम, इमली, पालक, चावल का आटा, भूनी मूंगफली, पुदीना, दही।
उत्तर :

प्रश्न 14.
खाद्य पदार्थों के भण्डारण का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
इसका अर्थ है खाद्य पदार्थों को सम्भाल कर रखना। उचित भण्डारण से खाद्य पदार्थों की रक्षा न केवल चूहों और कीड़ों से बल्कि नमी और कीटाणुओं से भी होती है।

प्रश्न 15.
कुछ अविकारीय खाद्य पदार्थों का उदाहरण देकर बताइए कि आप उनका भण्डारण कैसे करेंगे ?
उत्तर :

प्रश्न 16.
अर्धविकारीय खाद्य पदार्थों का भण्डारण कैसे करेंगे ?
अथवा
अधर्विकारीय खाद्य पदार्थ कौन से हैं ? उनका भण्डारण कैसे करोगे ?
उत्तर :

प्रश्न 17.
गेहूँ, दालों व मसालों का भण्डारण कैसे करोगे ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 15, 16 का उत्तर।

प्रश्न 18.
चावल एवं दाल को बार-बार क्यों नहीं धोना चाहिए ?
उत्तर :
पानी में घुलनशील विटामिन तथा अन्य पोषक तत्त्वों का नाश होता है इसलिए चावल तथा दाल को बार-बार नहीं धोना चाहिए।

प्रश्न 19.
पोषक तत्त्वों का संरक्षण क्या होता है ?
उत्तर :
भोजन पकाते समय पोषक तत्त्वों को नष्ट न होने देना पोषक तत्त्वों का संरक्षण है जैसे तेज़ गर्मी पर विटामिन सी, ए आदि नष्ट हो जाते हैं इसलिए अत्यधिक समय तक गर्म नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार जब सब्जी आदि को छीलते हैं तो इसे बहुत ही पतला निकालना चाहिए क्योंकि इसमें कई पोषक तत्त्व होते हैं। इसी प्रकार दालों आदि को अधिक बार धोने से भी पोषक तत्त्व नष्ट होते हैं।

प्रश्न 20.
सब्जियों को काट कर धोने से क्या क्षति (हानि) होती है ?
उत्तर :
सब्जियों को काट कर धोने से इनमें मौजूद पानी में घुलनशील विटामिन तथा अन्य पोषक तत्त्व पानी के साथ निकल जाते हैं तथा सब्जी के पोषक गुणों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 21.
पोषक तत्त्वों के संरक्षण के कोई दो उपाय बताएं।
उत्तर :

  1. सब्जियों को काट कर नहीं धोना चाहिए।
  2. चावलों को उबालकर पानी को फेंकना नहीं चाहिए।
  3. सब्जियों आदि के छिलके बहुत पतले-पतले निकालने चाहिए।

प्रश्न 22.
खाना बनाते समय मीठे सोडे का प्रयोग करने का क्या नुकसान है ?
उत्तर :
मीठा सोडा कई पोषक तत्त्वों को नष्ट कर देता है जैसे कई प्रकार के विटामिन इससे नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 23.
भोजन खराब होने के कारण बतायें।
उत्तर :
बैक्टीरिया, नमी, फंगस आदि के कारण भोजन खराब हो सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
भोजन को सुरक्षित कैसे रखा जा सकता है ?
उत्तर :
ताज़ा तथा साफ़-सुथरा भोजन तन्दरुस्ती के लिए आवश्यक है। भोजन को साफ़-सुथरा तथा खराब होने से बचाने के लिए भोजन की सुरक्षा के बारे में जानना आवश्यक है। भोजन की सुरक्षा के सिद्धान्त निम्नलिखित हैं –
भोजन की सुरक्षा के सिद्धान्त (Principles of Food Preservation) – उपरोक्त व्याख्या से स्पष्ट होता है कि भोजन पदार्थ कई कारणों द्वारा खराब हो जाते हैं जिनको खाने से स्वास्थ्य को हानि पहंचती है। भोजन को खराब होने से बचाने तथा उसमें पाए जाने वाले हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करना, भोजन के रंग-रूप तथा पौष्टिक तत्त्वों को सुरक्षित रखना ही भोजन की सम्भाल करना है। भोजन की सम्भाल के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित
(क) सूक्ष्म जीवाणुओं से बचाना
(ख) एन्ज़ाइम से बचाना
(ग) कीड़े-मकौड़ों से बचाना।

(क) सूक्ष्म जीवाणुओं से बचाना – सूक्ष्म जीवाणुओं से बचाना तथा उनके विकास को रोकना भोजन सुरक्षा का पहला सिद्धान्त है। आमतौर पर भोजन इन जीवाणुओं द्वारा ही खराब होते हैं। भोजन पदार्थ को निम्नलिखित ढंगों द्वारा सूक्ष्म जीवाणुओं से बचाया जा सकता है –

  • जीवाणुओं को दूर रखकर
  • जीवाणुओं को समाप्त करके
  • जीवाणुओं के विकास को रोककर।

1. जीवाणुओं को दूर रखकर – भोजन की सुरक्षा के सिद्धान्त का पालन करते हुए भोजन पदार्थों को जीवाणुओं से दूर रखने के लिए बढ़िया पैकिंग तथा भोजन भण्डार होने ज़रूरी हैं। पैकिंग के लिए गत्ते के डिब्बे से पोलीथिन, टिन तथा प्लास्टिक के हवा बन्द डिब्बे ठीक रहते हैं। जिन स्थानों पर भोजन अधिक मात्रा में सम्भाला गया हो वहां समय-समय पर कीटाणु नाशक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए ताकि जीवाणु पैदा ही न हो सकें।

2. जीवाणुओं को नष्ट करके – जीवाणुओं को पूरी तरह समाप्त करने के लिए निथारना या छानने की विधि का प्रयोग किया जाता है। इस तरीके से सारे जीवाणु भोजन में से अलग हो जाते हैं। यह तरीका आम तौर पर पानी, फलों का रस, जौ का पानी, शर्बत तथा शराब आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। निथारना या छानने के लिए जिस फिल्टर का प्रयोग किया जाता है उसको भी पहले कीटाणु रहित किया जाता है।

3. जीवाणुओं के विकास को रोकना – जीवाणुओं के विकास को रोकने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं, जिनका वर्णन नीचे दिया गया है –
(i) तापमान को घटाकर या बढ़ाकर (Increasing or Decreasing Temperature) – जब भोजन पदार्थों को बहुत कम तापमान पर रखा जाए तो जीवाणुओं की क्रियाशीलता कम हो जाती है। इसी कारण भोजन पदार्थों को कोल्ड स्टोरों में सम्भाला जाता है। तापमान को बढ़ाकर भोजन सुरक्षित किया जाता है। जैसे अधिक तापमान पर भोजन पकाने से जीवाणु नष्ट हो जाते हैं या फिर भोजन को निश्चित तापमान पर निश्चित समय के लिए गर्म करके (Sterilization) कीटाणुओं को नष्ट किया जाता है। दूसरा तरीका पाश्चुरीकरण (Pasteurization) है। इसमें भोजन को निश्चित तापमान तथा निश्चित समय के लिए गर्म करके फिर एकदम ठण्डा किया जाता है। इस विधि से भोजन को लम्बे समय तक रखा जा सकता है।

(ii) हवा को रोककर – इस विधि में भोजन को ऐसे तरीके के साथ बन्द किया जाता है कि उसमें हवा को रोककर ऑक्सीजन की कमी पैदा की जाती है। इस तरह ऑक्सीजन की कमी से जीवाणुओं का विकास रुक जाता है।

(ii) नमी घटाकर – जीवाणुओं के विकास के लिए नमी भी एक ज़रूरी तत्त्व है। इसलिए भोजन पदार्थों की सम्भाल के लिए उनमें पाई जाने वाली नमी को घटाना या सुखाना बहुत ज़रूरी है। नमी के सूखने से जीवाणुओं का विकास रुक जाता है। यह तरीका फसल, सब्जियों तथा दूध आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।

(iv) रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके – रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से भोजन में पाए जाने वाले जीवाणु खत्म नहीं होते परन्तु भोजन में कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जिनसे जीवाणुओं का विकास नहीं हो सकता। साधारणतः प्रयोग किए जाने वाले कुछ रासायनिक पदार्थ सिरका, सोडियम बैनजोएट (Sodium Benzoate) तथा पोटशियम मैटा बाइसल्फाइट (Potassium Meta Bisulphite) हैं।

प्रश्न 2.
भोजन को सूक्ष्म जीवाणुओं से कैसे बचाया जा सकता है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 1 का उत्तर।

प्रश्न 3.
भोजन संरक्षण के लिए किन-किन रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जा सकता है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 1 का उत्तर।

प्रश्न 4.
जीवाणुओं के विकास को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 1 का उत्तर।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित भोजन पदार्थों को आप कैसे सुरक्षित रख सकते हो –
(i) ताज़ी सब्जियां
(ii) दूध
(iii) मक्खन
(iv) अनाज
(v) अण्डे
(vi) मीट तथा मछली
(vii) फल
(viii) मिर्च मसाले
(ix) डबलरोटी
(x) दालें तथा तरी वाली सब्जियां।
उत्तर :
(i) सब्जियां – सब्जियां ताजी ही खरीदनी चाहिएं। पत्ता गोभी को 1-2 दिन में प्रयोग कर लेना चाहिए। घर के सबसे ठण्डे स्थान पर रखना चाहिए। इस प्रकार गाजरों, मूली तथा पत्ते वाली सब्जियों को सम्भालना ज़रूरी है। मटरों को निकालकर लम्बे समय के लिए रखना ठीक नहीं। सब्जियों को अच्छी तरह साफ़ करके फ्रिज में ही सम्भाला जा सकता है। आल, प्याज को तारों वाली टोकरी आदि में डालकर हवा में लटकाना ठीक रहेगा।

(ii) दूध-दूध को सुरक्षित रखने के लिए निथार कर उबाल लेना चाहिए। इससे टाइफाइड आदि के जीवाणु मर जाते हैं। उबालने के बाद किसी बर्तन में डालकर मलमल के कपड़े या जाली के साथ ढककर ठण्डे तथा हवा वाले स्थान पर या फ्रिज में रख लेना चाहिए। इसको मक्खियों से बचाकर रखना चाहिए।

(ii) मक्खन – मक्खन खट्टा हो जाता है, इसको यदि कुछ देर के लिए गर्म स्थान पर रखा जाए तो दुर्गन्ध आने लगती है। इसलिए इसको किसी चीनी या मिट्टी के बर्तन में डाल दो। अब इस बर्तन को किसी अन्य बड़े बर्तन जिसमें कि पानी हो में रखकर ऊपर मलमल के गीले कपड़े के साथ ढक देना चाहिए। मलमल धीरे-धीरे पानी चूसती जाएगी तथा इस पानी के उड़ने से ठण्डक रहेगी या मक्खन को फ्रिज में रखा जा सकता है।

(iv) अनाज (सूखे पदार्थ) – हमारे देश में अनाज को आम तौर पर बोरियों में रखा जाता है परन्तु चूहे इसको रखने के साथ ही खराब कर देते हैं। परन्तु आजकल ऐसी बोरियां बनाई जा चुकी हैं जिनको चूहे खराब नहीं कर सकते। परन्तु यदि गेहूं, मक्की आदि को ऐसी बोरियों या टिन के बड़े-बड़े ढोलों में रखा जाए, तो इसको चूहों से बचाया जा सकता है। गेहूँ की बोरियां भूसे में रखने से भी उनको सुसरी नहीं लगती तथा ज्यादा समय ठीक रहती हैं। परन्तु अब अनाज को लोहे के ढोलों में डालकर तथा उसमें सल्फास की गोलियां डालकर दीर्घकाल के लिए सम्भाल कर रखा जा सकता है।

चावल को अधिक देर तक सुरक्षित रखने के लिए जीरी (धान) के रूप में रखना चाहिए नहीं तो थोड़ी-सी हल्दी या तेल लगाया जा सकता है। कई बार चावल में नमक या बोरैक्स मिलाकर इनको सुरक्षित रखा जाता है। इनको अन्धेरे वाले तथा नमी वाले स्थानों पर इकट्ठा रखना ठीक नहीं। चावल को तो मिट्टी के बर्तनों में भी नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह नमी चूस सकते हैं।

सूखी दालों को जहाँ तक हो सके बन्द पैकटों में ही रखना चाहिए। इनको नमी वाले स्थानों पर नहीं रखना चाहिए या फिर हवा बन्द डिब्बों में। यदि ज्यादा मात्रा में हैं तो नीम के पत्ते डालकर या फिर पारे की गोलियां डालकर भी सम्भाला जा सकता है। आटा दुकान से देखकर खरीदना चाहिए कि पुराना होने के कारण इसमें सुसरी या कीड़े तो नहीं। आटा नमी वाली हवा में बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।

(v) अण्डे-अण्डों को भी ठण्डे स्थानों पर ही रखना उचित रहता है। इनको फ्रिज के ऊपर के खाने में रखा जा सकता है।

(vi) पशु जन्य पदार्थ – इन पर जीवाणुओं का प्रभाव बहुत जल्दी होता है। इनको अच्छी तरह ढक कर सबसे ठण्डे स्थान पर रखना चाहिए। यदि फ्रिज की सुविधा हो तो इसमें भी सबसे ठण्डे खाने (Freezer) में रखना चाहिए। रखने से पहले गीले कपड़े के साथ साफ़ कर लेना चाहिए। पानी से धोना नहीं चाहिए। फ्रिज में रखते समय प्लास्टिक के बैग आदि में डालकर रखना ठीक रहता है। यदि फ्रिज की सुविधा न हो तो बाज़ार से लाकर तुरन्त पका लेना ठीक रहता है।

(vii) फल-फल हमेशा ताज़े खरीदने चाहिएं तथा ठण्डे स्थानों पर सम्भालने चाहिएं। यदि घर में फ्रिज हो तो यह उनमें रखे जा सकते हैं। परन्तु केले फ्रिज में बिल्कुल नहीं रखने चाहिएं क्योंकि उसमें इनका ऊपरी छिलका काला हो जाता है।

(viii) मिर्च-मसाले – इनको ज्यादा मात्रा में खरीदना नहीं चाहिए क्योंकि ज्यादा देर पड़े रहने से इनकी सुगन्ध खत्म हो जाती है। इनको हमेशा ठण्डे, सूखे तथा अन्धेरे वाले स्थान पर रखना चाहिए यदि हो सके तो बन्द बर्तनों में रखना उचित होगा।

(ix) डबलरोटी – इसको डबलरोटी रखने वाले डिब्बे में ही रखना चाहिए जिसमें कि हवा न जा सके।

(r) दालें तथा तरी वाली सब्जियां – इनको खले बर्तन में डालकर आग पर रखकर कुछ देर के लिए उबालना चाहिए तथा 5-10 मिनट के लिए धीरे-धीरे कम आग पर पकने देना चाहिए। फिर आग से उतारकर ढक्कन से अच्छी तरह बन्द करने के बाद ठण्डे स्थान पर रख देना चाहिए। प्रयोग करने से पहले ढक्कन खोलना नहीं चाहिए। जब यह कमरे के तापमान पर पहुंच जाएं तो फ्रिज में भी रखा जा सकता है।

प्रश्न 6.
भोजन की मिलावट से आप क्या समझते हो ? यह क्यों की जाती है ? आम भोजन पदार्थों में की जाने वाली मिलावटें कौन-सी हैं? भोजन में मिलावट के क्या नुकसान हैं ?
उत्तर :
अधिक लाभ कमाने के लालच में कई घटिया व्यापारी और दकानदार खाने वाली वस्तुओं में मिलावट कर देते हैं। भोजन में सस्ती और हानिकारक वस्तुएं मिलाने को भोजन की मिलावट कहा जाता है, जैसे-देसी घी में वनस्पति घी, दूध में पानी, अरहर की दाल में केसरी दाल, दालों में कंकर, मिट्टी आदि। इस तरह जहां ग्राहक को घटिया वस्तुओं के लिए अधिक पैसे देने पड़ते हैं वहां कई बार मिलावटी भोजन स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। मिलावट का अर्थ-तीन कारणों के कारण भोजन को मिलावटी कहा जाता है।

1. सस्ते और घटिया पदार्थ मिलाकर – सस्ते और घटिया पदार्थ मिलाने से भोजन के स्तर (Quality) को घटाया जा सकता है जैसे कि दूध में पानी मिलाना या देसी घी में वनस्पति घी और बासमती चावल में परमल चावल मिलाना आदि।

2. स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थ मिला कर – कई बार भोजन में इस तरह के पदार्थ भी मिलाए जाते हैं जोकि सस्ते और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं जैसे कि चनों की दाल या अरहर की दाल में केसरी दाल मिलाना। कई बार अचानक भी स्वास्थ्य प्रतिरोधक पदार्थ भोजन में चले जाते हैं जैसे कि बरसात में बाहर पड़े गेहूँ को फफूंदी लग जाती है जोकि गेहूं में जहर पैदा करती है। यह चाहे अचानक ही हुई हो और किसी ने जान कर न भी की हो फिर भी भोजन की मिलावट ही कहलाती है।

3. भोजन में से आवश्यक तत्त्वों को निकालकर – आवश्यक तत्त्वों को निकाल कर भी भोजन के स्तर (Quality) को कम किया जाता है। दूध में से क्रीम निकालकर दूध बेचना। इस प्रकार के दूध को भी मिलावटी कहा जाएगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मिलावट उस को कहा जाता है जब कि भोजन में कोई सस्ता या घटिया पदार्थ मिलाया जाए तो उस में से कुछ निकाला जाए या उस में कोई स्वास्थ्य प्रतिरोधक (Harmful to Health) पदार्थ मिलाया जाए। मिलावट करने के लिए जो पदार्थ प्रयोग किया जाता है उसको मिलावटी पदार्थ (Adultrant) कहते हैं। यह प्रायः वास्तविक भोजन पदार्थ से सस्ता होता है और देखने में मूल पदार्थ की तरह ही दिखाई देता है ताकि मिलावटी पदार्थ को आसानी से पहचाना न जा सके।

प्रायः प्रयोग किए जाने वाले मिलावटी पदार्थ –
लगभग सभी ही खाद्य पदार्थों में मिलावट की जा सकती है। कुछ मिलावटी पदार्थों का विवरण निम्नलिखित दिया गया है –

भोजन की साधारण मिलावटों के नुकसान

कई मिलावटी पदार्थों का स्वास्थ्य पर कोई नुकसान नहीं होता जैसे दूध में साफ पानी मिलाना और खोए में कारन स्टार्च या संघाड़े का आटा मिलाना परन्तु कई मिलावटी पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक भी हो सकते हैं। कई मिलावटों से मौत तक भी हो सकती है। कुछ मिलावटों के नुकसान निम्नलिखित हैं –

प्रश्न 7.
हम रसोई में स्वच्छता कैसे रख सकते हैं ?
अथवा
रसोई घर में पालन किए जाने वाले स्वच्छता सम्बन्धी नियमों का उल्लेख करें।
उत्तर :
रसोई की स्वच्छता का अर्थ है उस क्षेत्र की साफ-सफाई जहाँ भोजन तैयार किया जाता है। इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है यदि निम्न बातों का ध्यान रखा जाए –

  1. रसोई को साफ़ रखें और घर में पनपने वाले जन्तु जैसे-चूहे, मक्खियाँ, तिलचट्टे, मच्छर आदि से रसोई मुक्त रखें।
  2. रसोई में प्रकाश की समुचित व्यवस्था रखें, ताकि आप यह देख सकें कि रसोई में धूल या कीड़े-मकौड़े तो नहीं आ गए।
  3. जहाँ तक संभव हो रसोई का मुख सूर्य की तरफ रखें ताकि धूप रसोई में आए। धूप नमी को दूर करती है और कीटाणु व अन्य जीवाणुओं को मारती है।
  4. नाली व्यवस्था दुरुस्त रखें। नाली का मार्ग हमेशा खुला रहे और पानी जमा न हो।
  5. रसोई में एक ढका हुआ कूड़ेदान रखें। यह निश्चित कर लें कि वह रोज़ खाली कर दिया जाए।
  6. रसोई में प्रयुक्त कपड़े व धूल झाड़ने वाले को समय-समय पर साफ़ करें। उसके लिए गर्म पानी व उपयुक्त डिटर्जेन्ट इस्तेमाल करें।

प्रश्न 8.
रसोईघर की स्वच्छता सम्बन्धी किन्हीं तीन नियमों का उल्लेख करें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 7 का उत्तर।

प्रश्न 9.
भोजन का रख-रखाव कैसे होना चाहिए जिससे कि वह आरोग्य रहे ?
उत्तर :
इसका अर्थ है कि भोजन बनाते समय स्वच्छता रखी जाए ताकि कोई जीवाणु और गन्दगी हमारे भोजन में प्रवेश न कर सके। यह उसी चरण से शुरू हो जाता है जब हम बाजार से भोजन खरीदते हैं। निम्न सुझावों के अनुसरण से भोजन आरोग्य रह सकता है।

  1. खाद्य पदार्थ का चयन पूर्ण परीक्षण करके ही करें । दूषित व खराब खाद्य पदार्थों को नकार दें।
  2. भोजन का भण्डारण सही तरीके से करें। पका हुआ भोजन फ्रिज में ही रखें। कच्चे भोजन को भी सही जगह और सही तरीके से रखें।
  3. रसोई का काम करने से पहले अच्छी तरह हाथ धोएँ।
  4. पके हुए भोजन को बिना ढके हुए कभी न छोड़ें क्योंकि धूल, गंदगी, कीटाणु एवं मच्छर भोजन को बर्बाद कर सकते हैं।
  5. यदि आप बीमार हैं अथवा सर्दी से पीड़ित हैं तो भोजन के सामने खाँसे या छींके नहीं। इससे भोजन संक्रमित हो सकता है और अन्य सदस्य बीमार हो सकते हैं।
  6. ताजे फलों व सब्जियों को भी अच्छी तरह धोकर खाएँ ताकि धूल व गन्दगी दूर हो जाए।
  7. पके हुए भोजन को साफ़ जगह एवं साफ़ बर्तनों में परोसें। बचे हुए भोजन को फ्रिज में रखें।
  8. छिलके आदि को कूड़ेदान में ही डालें।
  9. यदि फर्श पर कुछ गिरा है तो उसे एकदम साफ़ करें अन्यथा मक्खियाँ, तिलचट्टे उसकी ओर आकर्षित होंगे।
  10. प्रयोग के बाद सारे बर्तनों को साफ़ कर लें।

प्रश्न 10.
व्यक्तिगत स्वच्छता एवं आरोग्य धर्मिता से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
भोजन तैयार करते (पकाते) समय आप स्वच्छता सम्बन्धी जिन नियमों का पालन करेंगे, उनका ब्योरा दें।
अथवा
भोजन पकाते समय आप किन-किन चार बातों को ध्यान में रखोगे ?
उत्तर :
इसका अर्थ है सामान्य स्वास्थ्य और रसोई में काम करने के तरीके। यह इस प्रकार से हैं –

  1. भोजन बनाना आरम्भ करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएँ। नाखूनों को सदा कटा हुआ व साफ़ रखें।
  2. बालों को रसोई में हमेशा बाँध कर रखें।
  3. भोजन बनाते समय उसे चखने की प्रवृत्ति से यथा संभव बचें। चखते समय उंगलियों को चाटना और उन्हीं उंगलियों को भोजन बनाने में प्रयोग करना एक बहुत बुरी आदत है।
  4. रसोई में गंदे पैर, गंदी चप्पल या गंदे कपड़ों के साथ न जाएँ। यदि आप ऐसा नहीं करते तो आप अनेक कीटाणु अपने साथ रसोई में ले जाते हैं। इससे आपका भोजन संक्रमित व बर्बाद हो सकता है।
  5. यदि आप बीमार हों तो उस समय भोजन बनाने से बचें। भोजन का रख-रखाव करने वाला व्यक्ति यदि बीमार हो तो वह पूरे परिवार में बीमारी फैला सकता है।

प्रश्न 11.
विकारीय खाद्य पदार्थों का भण्डारण कैसे करेंगे ?
उत्तर :
विकारीय खाद्य पदार्थ –

प्रश्न 12.
भोजन खराब होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर :
भोजन में पाई जाने वाली नमी तथा रासायनिक तत्त्वों के बदलाव से ही भोजन की रचना, स्वाद तथा गुणों में अन्तर पड़ जाता है। यह भोजन पदार्थ देखने, सूंघने तथा स्वाद में भी ताज़े भोजन पदार्थों की अपेक्षा भिन्न होते हैं। ऐसे भोजन पदार्थ खाने योग्य नहीं रहते। यदि खराब भोजन पदार्थ खाया जाए तो यह कई बीमारियां पैदा करता है। भोजन में यह सारी तबदीलियां हानिकारक कीटाणुओं की वृद्धि के कारण होती हैं।

आमतौर पर भोजन दो कारणों से खराब होता है –

  • बाह्य कारण (Extenal Causes)
  • आन्तरिक कारण (Internal Causes

1. बाह्य कारण (External Causes) – बाह्य कारण भोजन के वातावरण के साथ सम्बन्धित हैं जैसे-नमी, गर्मी, प्रकाश, हवा, जीवाणु तथा कीड़े-मकौड़े आदि।
नमी (Moisture) – नमी वाले भोजन पदार्थ जल्दी खराब हो जाते हैं क्योंकि बैक्टीरिया नमी वाले भोजन पदार्थ में अधिक होता है।
गर्मी (Heat) – कई जीवाणुओं को वृद्धि के लिए विशेष तापमान की आवश्यकता होती है। यदि वह तापमान मिल जाए तो इनकी वृद्धि बहुत जल्दी होती है तथा भोजन अल्पकाल में ही खराब हो जाता है। जैसे-दूध का फटना, आटे का फूलना आदि।
प्रकाश (Light) – घी या तेल वाले भोजन पदार्थ प्रकाश में पड़े रहें तो खराब हो जाते हैं क्योंकि उचित प्रकाश मिलने से जीवाणुओं की वृद्धि तेज़ हो जाती है तथा भोजन खाने योग्य नहीं रहता।
हवा (Air) – वायु में पाई जाने वाली नमी भी भोजन पदार्थों को खराब करती है। इसलिए भोजन पदार्थों को हवा रहित डिब्बों में रखना चाहिए।
जीवाणु (Micro Organisms) – जीवाणु बहुत बारीक होते हैं। इनको केवल माइक्रोस्कोप द्वारा ही देखा जा सकता है। यह भोजन की रचना, स्वाद तथा गुणों को प्रभावित करते हैं। भोजन को खराब करने वाले जीवाणु तीन प्रकार के होते हैं –

  • बैक्टीरिया (Bacteria)
  • फफूंदी (Mould)
  • खमीर (Yeat)

(i) बैक्टीरिया (Bacteria) – कुछ बैक्टीरिया नमी के कारण बढ़ने वाले, कुछ नमी तथा ताप के साथ बढ़ने वाले तथा कुछ अन्य केवल ताप के साथ बढ़ने वाले होते हैं। कुछ बैक्टीरिया हवा के बिना जीवित रह सकते हैं। इनको समाप्त करना काफ़ी कठिन होता है। भिन्न-भिन्न प्रकार के बैक्टीरिया को उचित परिस्थितियां मिलने से इनकी वृद्धि बहुत शीघ्र होती है। यह न केवल भोजन को खराब ही करते हैं, बल्कि कई बार ज़हरीला भी बना देते हैं।

(ii) फफूंदी (Mould) – फफूंदी भोजन को खराब करके ऐसी परिस्थिति पैदा करती है कि उसमें बैक्टीरिया की वृद्धि बहुत शीघ्र होती है। फफूंदी लगा भोजन सड़ना शुरू हो जाता है। उसमें से दर्गन्ध आने लगती है। बन्द डिब्बों में भोजन पर फफंदी नहीं लगती।

(iii) खमीर (Yeast) – खमीर की वृद्धि के लिए नमी तथा चीनी की ज़रूरत होती है। जिन भोजनों पर बैक्टीरिया की वृद्धि कम हो उन पर खमीर का प्रभाव बहुत जल्दी होता है। खमीर ज्यादातर फलों के रस, जैम, जैली आदि पर लगती है।

कीड़े-मकौड़े (Insects) – सुसरी, ढोरा, सुंडी तथा मक्खियां आदि भी भोजन को खराब करती हैं। यह भोजन पदार्थों को अन्दर से खाकर खोखला कर देते हैं, जिससे भोजन खाने योग्य नहीं रहता। कीड़े-मकौड़े भोजन पदार्थों पर फफूंदी, बैक्टीरिया तथा हानिकारक कीटाणु छोड़ जाते हैं, जिससे थोड़े समय में ही भोजन खराब होना शुरू हो जाता है।

2. आन्तरिक कारण (Internal Causes) – भोजन में पाए जाने वाले एन्ज़ाइम्स (Enzymes) भी भोजन पदार्थों को खराब करते हैं। भोजन पदार्थों में एन्ज़ाइम्स 37 सेंटीग्रेड

तापमान पर क्रियाशील होते हैं। यह एन्ज़ाइम्स प्रोटीन से बने होते हैं। इसलिए अधिक तापमान से नष्ट हो जाते हैं। इनके द्वारा हुए परिवर्तन के कारण भोजन खाने योग्य नहीं रहता। चार प्रतिशत नमक के घोल में फल तथा सब्जियों को डालने से इनके अन्दर एन्जाइमों की क्रिया कम हो जाती है।

प्रश्न 13.
भोजन को खराब करने वाले आन्तरिक कारण बताएं।
उत्तर :
देखें प्रश्न 12 का उत्तर।

प्रश्न 14.
कौन-से ढंगों का प्रयोग करके भोजन को सुरक्षित रखा जा सकता है ?
अथवा
हम भोजन को किस प्रकार सुरक्षित रख सकते हैं ?
उत्तर :
भोजन की सुरक्षा के ढंग-कई भोजन पदार्थ शीघ्र ही खराब होने वाले होते हैं। यदि उनकी सम्भाल न की जाए तो नष्ट हो जाते हैं। जैसे-माँस, मछली, अण्डे, फल, सब्जियां, दूध तथा दूध से बने पदार्थ आदि। घर में प्रयोग किए जाने वाले भोजन पदार्थों की सम्भाल बहुत ज़रूरी है। इसके लिए निम्नलिखित घरेलु तरीके अपनाए जाते हैं –

  1. सुखाकर
  2. रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके
  3. फ्रिज में रखकर
  4. डिब्बा-बन्द करके
  5. तेल तथा मसालों का प्रयोग करके।

1. सुखाकर – खाने वाली चीजों को सुखाकर रखने का तरीका बहुत पुराना है। यह तरीका उन इलाकों में अपनाया जाता है जहां धूप काफ़ी ज्यादा होती है तथा उस मौसम में वर्षा नहीं होती। तेज़ धूप तथा गर्मी के साथ भोजन पदार्थों का पानी सुखाकर जीवाणुओं की वृद्धि समाप्त हो जाती है। इस विधि के द्वारा सब्जियां जैसे साग, शलगम, मेथी, मटर, फल, पापड़, वड़ीयां, चिप्स तथा मछली आदि को सुखाया जाता है।

2. रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके – साधारणतः प्रयोग किए जाने वाले रासायनिक पदार्थ जैसे सिरका, सोडियम बैंजोएट तथा पोटाशियम मैटाबाइसल्फाइट का स्कवैश, जैम तथा चटनियां, आचार आदि की सुरक्षा के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

3. फ्रिज में रखकर – यदि ताप को ज्यादा कम कर दिया जाए तो जीवाणु क्रियाहीन हो जाते हैं। दूध, फल तथा सब्जियों को इस तरीके से सम्भाला जा सकता है।

4. डिब्बा बन्द करके-डिब्बा बन्दी भी भोजन सम्भालने का एक तरीका है। इस तरीके में बोतलों या डिब्बों को कीटाणु रहित (Sterlize) किया जाता है तथा फिर डिब्बों तथा बोतलों में भोजन डालकर हवा रहित (हवा निकालकर) सील बन्द किया जाता है। इस प्रकार भोजन को लम्बे समय तक रखा जाता है।

5. तेल तथा मसालों का प्रयोग करके – भोजन पदार्थों को तेल, नमक तथा चीनी के प्रयोग द्वारा भी खराब होने से बचाया जाता है। यह चीजें जीवाणुओं को बढ़ने से रोकती हैं। इन पदार्थों का प्रयोग आचार, चटनियां तथा मुरब्बों में किया जाता है।

प्रश्न 15.
किन कारणों करके भोजन को सुरक्षित रखना जरूरी है ?
उत्तर :
भोजन की सम्भाल से अभिप्राय भोजन को लम्बे समय तक हानिकारक जीवाणुओं तथा रासायनिक तत्त्वों के प्रभावशाली खराब होने से बचाना है ताकि इसके रंग-रूप, सुगन्ध तथा पौष्टिक तत्त्वों में कोई अन्तर न आए।

भोजन को सुरक्षित रखने के लाभ –

1. भोजन को सुरक्षित रखने से भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है।
2. भोजन पर खर्च होने वाला समय तथा धन की बचत की जा सकती है जैसे मौसम में फल तथा सब्जियां सस्ते मिल जाते हैं। इसको आचार, चटनियां, जैम, मुरब्बे तथा शर्बत आदि बनाकर सम्भाला जाता है तथा दूसरे मौसम में जबकि भोजन पदार्थ नहीं मिलते तो प्रयोग में लाया जा सकता है।
3. मौसमी फल तथा सब्जियों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। उनको सम्भालकर रखने से नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
4. भोजन पदार्थों को सम्भालकर रखने से सन्तुलित भोजन तैयार करना सरल हो जाता है। क्योंकि भोजन पदार्थों की सम्भाल करने से पौष्टिक तत्त्वों को भी सम्भाल कर रखा जाता है।
5. भिन्न-भिन्न ढंगों से सम्भालकर रखे भोजन को लम्बे समय तक प्रयोग किया जा सकता है। जैसे फल तथा सब्जियों के आचार, चटनियां, जैम आदि बनाए जा सकते हैं। कई सब्जियों को सुखाकर भी लम्बे समय तक प्रयोग किया जा सकता है। जैसे-साग, मेथी, मटर आदि।
6. सुरक्षित और सम्भाल कर रखा भोजन लड़ाई के समय सैनिकों को आसानी से भेजा जा सकता है।
7. सम्भाल कर रखा भोजन एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना आसान है। अमेरिका से बड़ी मात्रा में सूखा दूध दूसरी जगहों पर भेजा जाता है। सूखे भोजन का लाभ भी घट जाता है।
8. ऐसा भोजन बे-मौसम भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
9. लम्बी यात्रा के समय भी सम्भाला और सुरक्षित भोजन काम आ सकता है।

भोजन की सम्भाल करने से पहले यह जानकारी होना ज़रूरी है कि भोजन क्यों तथा किन कारणों द्वारा खराब होते हैं तथा खराब भोजन क्या होता है।

प्रश्न 16.
आहार संरक्षण की घरेलू विधियां बताएं।
उत्तर :
देखें प्रश्न 14 का उत्तर।

प्रश्न 17.
पोषक तत्त्वों के संरक्षण से आप क्या समझते हैं ? यह किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

एक शब्द/एक वाक्य वाले प्रश्न –

(क) निम्न का उत्तर एक शब्द में दें।

प्रश्न 1.
अण्डों का भण्डारण कहां करेंगे ?
उत्तर : फ्रिज में।

प्रश्न 2.
क्या सभी बैक्टीरिया हानिकारक हैं ?
उत्तर :
नहीं।

प्रश्न 3.
अविकारीय भोजन पदार्थ की उदाहरण दें।
उत्तर :
गेहूँ।

प्रश्न 4.
अर्ध विकारीय भोजन पदार्थ की उदाहरण दें।
उत्तर :
इमली।

प्रश्न 5.
सूजी कैसा भोजन पदार्थ है ?
उत्तर :
अर्ध विकारीय।

(ख) रिक्त स्थान भरो –

1. दूध ……… खाद्य पदार्थ है।
2. गर्मी से ……… वाले भोजन पदार्थ जल्दी खराब होते हैं।
3. ……… भोज्य पदार्थ लम्बे समय तक खराब नहीं होते।
4. ……… में रखकर सब्जी, दूध को खराब होने से बचाया जाता है।
उत्तर :
1. विकारीय
2. नमी
3. विकारीय
4. फ्रिज़।

(ग) ठीक/गलत बताएं –

1. मक्खियां तथा जीवाणु भोजन को खराब करते हैं।
2. मैदा अर्ध विकारीय भोजन पदार्थ है।
3. आरोग्य धर्मी भोजन सेवा का अर्थ है सुरक्षित भोजन परोसना।
4. मसालों को हवा बन्द टीन या बोतल में बन्द करें।
5. मीठा सोडा पके भोजन को कोई हानि नहीं पहुंचाता।
उत्तर :
1. (✓) 2. (✓) 3. (✓) 4. (✓) 5. (✗)

बहु-विकल्पीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
भोजन को आरोग्य कैसे रख सकते हैं ?
(A) रसोई में स्वच्छता
(B) साफ़-सफ़ाई के साथ भोजन का रख-रखाव
(C) व्यक्तिगत आरोग्यधर्मिता
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।

प्रश्न 2.
निम्न में गलत है –
(A) दूध अविकारीय खाद्य पदार्थ है
(B) मैदा अर्धविकारीय पदार्थ है
(C) गेहूं अविकारीय खाद्य पदार्थ है।
(D) कम तापमान पर सूक्ष्मजीवों की वृद्धि कम होती है।
उत्तर :
दूध अविकारीय खाद्य पदार्थ है।

प्रश्न 3.
निम्न में ठाकले भोजन जल्दी खराती है।
(A) गर्मी में नमी वाले भोजन जल्दी खराब होते हैं।
(B) भोजन को खराब होने से बचाने से बचत होती है।
(C) फ्रिज में रखकर सब्जियों तथा दूध को खराब होने से बचाया जा सकता है।
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।

प्रश्न 4.
निम्न में विकारीय भोजन पदार्थ है –
(A) मक्की का आटा
(B) क्रीम
(C) इमली
(D) बाजरा।
उत्तर :
क्रीम।

प्रश्न 5.
निम्न में अर्द्धविकारीय भोजन पदार्थ नहीं है –
(A) मक्के का आटा
(B) पालक
(C) बाजरा
(D) चावल का आटा।
उत्तर :
पालक।

प्रश्न 6.
निम्न में ठीक नहीं है –
(A) फंगस हर तरह के भोजन से पैदा हो सकती है
(B) बेसन अर्ध-विकारीय खाद्य पदार्थ है
(C) चूहे भोजन को कोई हानि नहीं पहुंचाते
(D) शिमला मिर्च विकारीय पदार्थ है।
उत्तर :
चूहे भोजन को कोई हानि नहीं पहुंचाते।

प्रश्न 7.
निम्न में अविकारीय पदार्थ नहीं है –
(A) बाजरा
(B) दही
(C) साबूदाना
(D) भूनी मूंगफली।
उत्तर :
दही।

प्रश्न 8.
भोजन को सुरक्षित रखने के लिए रसायन पदार्थ का प्रयोग नहीं कर सकते –
(A) सोडियम बैन्जोएट
(B) पोटाशियम मैटा बाइसल्फाइट
(C) सिरका
(D) सोडियम नाइट्रेट।
उत्तर :
सोडियम नाइट्रेट।

प्रश्न 9.
निम्न में ठीक है –
(A) सब्जियों को काट कर नहीं धोना चाहिए
(B) चावलों को उबालकर पानी नहीं फेंकना चाहिए।
(C) सब्जियों आदि को छिलके पतले-पतले निकाले
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।

प्रश्न 10.
निम्न में गलत है –
(A) सब्जियों को पकाने के लिए मीठे सोडे का प्रयोग करना आवश्यक है।
(B) पानी में घुलनशील विटामिन सब्जी को काट कर धोने से नष्ट हो जाते हैं
(C) चावलों को उबालकर पानी को फेंकना नहीं चाहिए।
(D) तेल अविकारीय खाद्य पदार्थ है।
उत्तर :
सब्जियों को पकाने के लिए मीठे सोडे का प्रयोग करना आवश्यक है।

प्रश्न 11.
जीवाणुओं के विकास को रोकने का ढंग है –
(A) तापमान को घटाना
(B) हवा को रोककर
(C) नमी घटाकर
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।

प्रश्न 12.
मिलावट का अर्थ है –
(A) सस्ते और घटिया पदार्थ मिलाना
(B) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थ मिलाना
(C) भोजन में से आवश्यक तत्त्वों को निकालना
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।

आरोग्य भोजन सेवा एवं विभिन्न खाद्य पदार्थों का भण्डारण HBSE 10th Class Home Science Notes

ध्यानार्थ तथ्य :

→ आरोग्य भोजन वह है जिसका रख-रखाव इस तरीके से किया जाता है कि वह अति सूक्ष्म जीवों से मुक्त व सुरक्षित रह सके।

→ यह इस बात पर निर्भर करता है कि गंदा-जल और गंदगी निकास व्यवस्था को आप कितना दुरुस्त रखते हैं और भोजन बनाते व परोसते समय व्यक्तिगत स्वच्छता का किस हद तक ध्यान रखते हैं।

→ भोजन की आरोग्य धर्मिता को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित सामान्य नियमों का ध्यान रखना पड़ेगा –

  • रसोई में स्वच्छता
  • साफ-सफ़ाई के साथ भोजन का रख-रखाव
  • व्यक्तिगत आरोग्य धर्मिता।

→ विकारीय खाद्य पदार्थ वह हैं जो बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं जैसे-दूध, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि।

→ अविकारीय खाद्य पदार्थ वह हैं जो लम्बे समय तक खराब नहीं होते जैसे गेहूँ, दाल, मसाले, तेल आदि।

→ अर्ध-विकारीय खाद्य पदार्थ वह हैं जो अविकारीय खाद्य पदार्थों से जल्दी खराब हो जाते हैं परन्तु विकारीय खाद्य पदार्थों से देर से खराब होते हैं।
जैसे – मैदा, सूजी, बेसन, मक्खन आदि।

→ भण्डारण का अर्थ है तुरन्त प्रयोग न होने वाले खाद्य पदार्थों को सम्भाल कर रखना।

→ यदि हम खाद्य पदार्थों को उचित तरीके से नहीं रखेंगे, तो उनके आस-पास चूहे, मक्खियां व कीड़े घूमेंगे। वे न केवल उनको खाएँगें अपितु उन्हें गन्दा भी कर देंगे जिससे कि वह हमारे खाने लायक नहीं रहेंगे।

→ उचित भण्डारण से खाद्य पदार्थों की रक्षा केवल चूहों और कीड़ों से नहीं बल्कि नमी और कीटाणुओं से भी होती है। इस प्रकार हम खाद्य पदार्थों को नष्ट होने से बचा लेते हैं। अविकारीय अधर्विकारीय एवं विकारीय खाद्य पदार्थों के भण्डारण के अलग-अलग तरीके हैं

  1. भोजन को खराब होने से बचाना ही भोजन की सम्भाल है।
  2. भोजन को खराब होने से बचाना चाहिए।
  3. नमी वाले भोजन पदार्थ जल्दी खराब होते हैं।
  4. फ्रिज में रखकर सब्जियों और दूध को खराब होने से बचाया जा सकता है।
  5. गर्मी में नमी वाले भोजन जल्दी खराब होते हैं।
  6. भोजन को खराब होने से बचाने से बचत होती है।
  7. मिलावटी भोजन खाने से स्वास्थ्य का नुकसान होता है।
  8. कुछ रसायनों के प्रयोग से भी भोजन सुरक्षित रखा जा सकता है।
  9. मक्खियाँ और जीवाणु भोजन को खराब करते हैं।
  10. बिना नमी वाले भोजन अधिक देर तक सुरक्षित रहते हैं।
  11. प्रत्येक कुशल गृहिणी को मिलावटी भोजन की जाँच करने की जानकारी होनी चाहिए।

ताज़ा और साफ़-सुथरा भोजन तन्दरुस्ती के लिए आवश्यक है। भोजन साफ़ सुथरा रखने के लिए और खराब होने से बचाने के लिए, भोजन की सम्भाल के बारे में प्रत्येक गृहिणी को जानकारी होनी आवश्यक है।

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