1. ऊर्जा अनेक रूपों में आती है तथा एक प्रकार की ऊर्जा को दूसरे प्रकार की ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सकता है ।
2. भौतिक तथा रासायनिक अभिक्रियाओं में ऊर्जा संरक्षित रहती है ।
3. ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है ।
4. ऊर्जा के विभिन्न प्रकार हैं- माँसपेशीय ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, समुद्रीय तापीय ऊर्जा, आदि।.
5. ऊर्जा का एक उत्तम स्रोत वह है जो आसानी से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो, जो जलने पर अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित करे, जो सस्ता हो तथा धुआँ उत्पन्न न करता हो ।
6. कोयले का ऊर्जा स्रोत के रूप में दोहन होने के कारण औद्योगिक क्रांति संभव हुई है।
7. जीवाश्मी ईंधन जैसे कोयला तथा पेट्रोलियम लाखों वर्ष पूर्व बने थे। उनके भंडार सीमित हैं तथा वे ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं ।
8. जीवाश्मी ईंधनों के दहन से वायु प्रदूषण होता है । जीवाश्मी ईंधनों के दहन से कार्बन, सल्फर, नाइट्रोजन के जो ऑक्साइड वायु में छोड़े जाते हैं, वे अम्लीय ऑक्साइड हैं।
9. अम्लीय ऑक्साइड अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं जो हमारे जल तथा मृदा संसाधनों को हानि पहुँचाते हैं।
10. जीवाश्मी ईंधनों के दहन के परिणामस्वरूप जो गैसें निकलती हैं जैसे CO2 ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करती हैं ।
11. जीवाश्मी ईंधनों के दहन से होने वाले प्रदूषण से उपयुक्त तकनीकों के प्रयोग द्वारा बचा जा सकता है ।
12. तापीय विद्युतै ऊर्जा घर भी जीवाश्मी ईंधनों जैसे कोयला तथा प्राकृतिक गैस का उपयोग करते हैं तथा ऊष्मीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं ।
13. जल विद्युत संयंत्र अधिकतर छोटे-बड़े बाँधों पर निर्भर करते हैं जो बहते हुए पानी की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
14. बड़े बाँधों के निर्माण से पारितंत्र नष्ट होते हैं । मानव आवास स्थल तथा कृषि योग्य भूमि की हानि होती है ।
15. जैव-मात्रा का उपयोग जैव-गैस संयंत्र में ईंधन के रूप में होता है यह ऊर्जा का एक परंपरागत स्रोत हैं ।
16. पवन ऊर्जा के दोहन के लिए, विद्युत उत्पन्न करने के लिए पवन-चक्की की घूर्णन गति का उपयोग विद्युत जनित्र की टरबाइन को घुमाने में किया जाता है।
17. भारत में सबसे बड़ा (बृहद् ) पवन ऊर्जा फार्म तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास स्थापित किया गया है, जिसकी उत्पादन क्षमता 380 MW है |
18. सौर ऊर्जा का दोहन अनेक प्रकार से किया जा सकता है जैसे सौर ऊष्मक, सौर सेल / पेनल आदि ।
19. सौर सेल में कोई भी गतिशील पुर्जा नहीं होता। इसके रख-रखाव पर भी अधिक खर्च नहीं आता है तथा बिना फोकस यंत्र के इनका कार्य संतोषजनक होता है ।
20. कृत्रिम उपग्रह तथा अंतरिक्ष अन्वेषक में सौर सेल मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रयोग किए जाते हैं ।
21. समुद्र से ऊर्जा ( ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, OTE) दोहन की प्रचुर संभावनाएँ हैं लेकिन इनका वाणिज्य स्तर पर दोहन कठिन कार्य है ।
22. पृथ्वी की भू-पर्पटी में अंदर पिघली हुई चट्टानें हैं जिन्हें ऊपर की ओर धकेला जाता है, जो कुछ क्षेत्रों में फंसी हुई होती हैं, उन क्षेत्रों को ( हॉट-स्पॉट) तप्त स्थल कहते हैं ।
23. नाभिकीय ऊर्जा हमारी ऊर्जा की आवश्यकताओं के लिए एक संभावित स्रोत है।
24. नाभिकीय अभिक्रियाओं के समय कुछ द्रव्यमान ऊर्जा में रूपांतरित हो जाता है, जिसे आइंस्टीन समीकरण, E = Δmc2 द्वारा ज्ञात किया जा सकता है ।
25. सूर्य पर ऊर्जा का स्रोत भी नाभिकीय संलयन अभिक्रियाएँ हैं जिन्हें 107 K ताप की आवश्यकता होती है।
26. जीवाश्म ईंधनों के प्रयोग से बहुत सारी पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जैसे ग्रीनहाउस प्रभाव, अम्लीय वर्षा, पर्यावरण प्रदूषण, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ ।
27. यदि हम ऊर्जा संकट से बचना चाहते हैं तो हमें ऐसी तकनीकों का विकास करना चाहिए जो नवीकरण के योग्य स्रोतों का तथा गैर-परंपरागत स्रोतों का दक्षता से उपयोग कर सकें ।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 273)
प्रश्न 1. ऊर्जा का उत्तम स्त्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर- ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह स्रोत है जिसमें निम्नलिखित गुण होते हैं-
- जिसके प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक ऊर्जा प्राप्त हो सके।
- जो सरलता से उपलब्ध हो सके।
- जिसका भण्डारण आसान व परिवहन में आसानी हो।
- सस्ता हो।
प्रश्न 2. उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर- उत्तम ईंधन के निम्नलिखित गुण होते हैं-
- ईंधन के जलाने पर प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक ऊष्मा प्राप्त हो सके।
- जलने पर उससे कम से कम धुआँ उत्पन्न हो। ]
- आसानी से उपलब्ध हो।
प्रश्न 3. यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा-स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?
उत्तर- हम रसोई गैस या माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग करेंगे क्योंकि उपर्युक्त दोनों स्रोत उपयोग में आसान हैं, आर्थिक रूप से सस्ते हैं तथा प्रदूषण भी नहीं फैलाते हैं।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 279)
प्रश्न 1. जीवाश्मी ईधन की क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर- जीवाश्मी ईंधन से निम्नलिखित हानियाँ हैं-
- पृथ्वी पर जीवाश्मी ईंधन का सीमित भण्डार उपलब्ध है अतः इनका संरक्षण आवश्यक है। .
- जीवाश्मी ईंधन, जलाए जाने पर प्रदूषण फैलाते हैं।
- ये अम्ल वर्षा करने में भागीदार होते हैं।
प्रश्न 2. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर- हमारे जीवन के लिए प्रत्येक कार्य में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। खाना पकाने, बिजली उत्पन्न करने, कल कारखानों को चलाने हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसे हम आजकल अधिकतर पेट्रोलियम पदार्थों से पूरा कर रहे हैं। इनका प्रयोग होने पर इन्हें पुनः उत्पन्न नहीं किया जा सकता इस कारण से इनका संरक्षण आवश्यक है। अतः हमें ऐसे नवीकरणीय स्रोतों की ओर ध्यान देना होगा जो कि आसानी से उपलब्ध हैं और जिनका असीमित तथा व्यापक उपयोग किया जा सकता है।
सौर ऊर्जा एक ऐसा स्रोत है जो विभिन्न माध्यमों से ऊर्जा प्रदान करता है। सौर ऊर्जा का सीधा प्रयोग युगों से किया जा रहा है। हमारी आवश्यकताएँ निरंतर बढ़ने के कारण उन्हें पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में वृद्धि करनी चाहिए ताकि भविष्य में हमें ऊर्जा संकट का सामना न करना पड़े। नवीकरणीय ऊर्जा से वातावरण का प्रदूषण भी रोका जा सकता है।
प्रश्न 3. हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार सुधार किए गए हैं ?
उत्तर- प्राचीनकाल में पवन ऊर्जा का उपयोग पालदार नावों को चलाने में एवं पवनचक्की की सहायता से यान्त्रिक कार्य करने के लिए किया जाता था परन्तु अन्य प्रकार की ऊर्जा की तुलना में विद्युत ऊर्जा का उपयोग सबसे अधिक सुविधाजनक है। इसलिए पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाने लगा है। इसके लिए समुद्र तट के समीप के स्थानों में बहुत सी पवन चक्कियाँ एक साथ लगाकर बड़े-बड़े ऊर्जा फार्म स्थापित किये गये हैं जहाँ पर्याप्त विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है। इसी प्रकार जल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने के लिए पहाड़ी ढालों पर बाँध बनाकर जल को एकत्रित किया जाता है। एकत्रित जल को जनित्र की टरबाइन पर डालकर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 285)
प्रश्न 1. सौर कुकर के लिए कौन सा दर्पण अवतल, उत्तल अथवा समतल सर्वाधिक उपयुक्त होता है ? क्यों ?
उत्तर- अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह अपने ऊपर गिरने वाली सम्पूर्ण सौर ऊर्जा को अपने फोकस पर सूक्ष्म बिन्दु के रूप में केन्द्रित कर देता है।
प्रश्न 2. महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं
उत्तर-
- ज्वार-भाटा की ऊर्जा का उपयोग करने के लिए बाँध बनाने योग्य स्थान सीमित हैं|
- तरंग ऊर्जा भी केवल उन्हीं स्थानों पर उपयोग की जा सकती है जहाँ तरंगें पर्याप्त शक्तिशाली हों।
- महासागरीय तापीय ऊर्जा के दोहन की तकनीक बहुत ही कठिन है।
प्रश्न 3. भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर- पृथ्वी के आन्तरिक भाग में स्थित, पिघली हुई चट्टानें भूगर्भीय हलचल के कारण केन्द्रीय भाग से सतह की ओर विस्थापित हो जाती हैं तथा गर्म क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। जब कभी भूगर्भीय जल इस प्रकार के गर्म क्षेत्रों के संपर्क में आता है तो वाष्प में बदल जाता है तथा इस जल वाष्प को पाइपों की सहायता से बाहर लाकर टरबाइन चलाकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। पृथ्वी के गर्भ में स्थित उच्च ताप क्षेत्रों से सम्बद्ध ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 4. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है ?
उत्तर- अन्य परम्परागत ऊर्जा स्रोत सीमित तथा शीघ्र समाप्त हो जाने वाले हैं जबकि नाभिकीय ऊर्जा बहुत लम्बे समय तक हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है। जीवाश्मी ईंधन से प्राप्त ऊर्जा की तुलना में यूरेनियम के विखण्डन से बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 285)
प्रश्न 1. क्या कोई ऊर्जा स्त्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर- नहीं, कोई भी ऊर्जा स्रोत पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता, चाहे ऊर्जा स्रोत कितना ही विकसित क्यों न हो फिर भी वह पर्यावरण को किसी न किसी प्रकार से नुकसान पहुंचाता ही है। सौर सेल को प्रायः प्रदूषण मुक्त कहते हैं परन्तु इस युक्ति के निर्माण में पर्यावरणीय क्षति होती ही है।
प्रश्न 2. राकेट ईधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग न किया जाता रहा है ? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर- हाइड्रोजन CNG से स्वच्छ ईंधन है क्योंकि यह दहन क्रिया में CO2, को उत्पन्न नहीं करती और न ही इसका अपूर्ण दहन होता है। इसके जलने से केवल जल उत्पन्न होता है। CNG के जलने से CO2, उत्पन्न होती है जो कि ग्रीन हाऊस गैस है और पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 286)
प्रश्न 1. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर- वायु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा एवं सागरीय ऊर्जा नवीकरणीय स्रोत हैं क्योंकि इनका प्रयोग तब तक किया जा सकता है जब तक हमारे सौर परिवार की समान परिस्थितियाँ बनी रहेंगी।
प्रश्न 2. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर- कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों ऊर्जा के दो समाप्य स्रोत हैं। कोयला तथा पेट्रोलियम, दोनों के पृथ्वी पर उपलब्ध भण्डार सीमित हैं तथा जल्दी ही समाप्त हो जाने वाले हैं तथा इन्हें कभी भी पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता, अतः ये दोनों ऊर्जा के समाप्य स्रोत हैं।
HBSE 10th Class Science उर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते?
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन।
उत्तर- (b) बादलों वाले दिन।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन जैव-मात्रा ऊर्जा स्त्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला।
उत्तर- (c) नाभिकीय ऊर्जा।
प्रश्न 3. जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं, उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अन्ततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है?
(a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा।
उत्तर- (c) नाभिकीय ऊर्जा।
प्रश्न 4. ऊर्जा स्त्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर- जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना-
जीवाश्मी ईंधन |
सूर्य |
1.यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत हैं। |
यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। |
2. जीवाश्म ईंधन प्रदूषण फैलाते हैं। |
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा में कोई प्रदूषण नहीं होता। |
3. जीवाश्म ईंधन से हमारी सभी ऊर्जाओं की पूर्ति हो सकती है। |
सौर ऊर्जा से हमारी सभी ऊर्जा सम्बन्धी आवश्य कताओं की पूर्ति सम्भव नहीं है। |
4. इससे ऊर्जा प्रत्येक समय, प्रत्येक परिस्थिति में प्राप्त की जा सकती है। |
बादलों से घिरे आकाश वाले दिन तथा रात्रि में सूर्य से ऊर्जा प्राप्त नहीं की जा सकती। |
प्रश्न 5. जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल विद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर- जैव मात्रा तथा जल विद्युत की तुलना-
जैव मात्रा |
जल विद्युत |
1. जैव मात्रा से ऊर्जा प्राप्त करने के प्रक्रम में प्रदूषण फैलता है। |
जल विद्युत ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत है। |
2. जैव मात्रा द्वारा प्राप्त ऊर्जा को सीमित स्थान में ही प्रयोग किया जा सकता है। |
जल विद्युत ऊर्जा को लाइनों द्वारा कहीं भी संचरित किया जा सकता है। |
3. जैव मात्रा केवल सीमित मात्रा में ही ऊर्जा प्रदान कर सकती है। |
जल विद्युत ऊर्जा का एक बड़ा स्रोत है। |
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए
(a) पवनें,
(b) तरंगें,
(c) ज्वार-भाटा।
उत्तर- (a) पवन ऊर्जा की सीमाएँ-
1. पवन ऊर्जा के निष्कर्षण हेतु पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना के लिये बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है।
2. हवा की तेज गति के कारण टूट-फूट और नुकसान की संभावनाएँ अधिक होती हैं।
3. पवन ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए हवा की गति 15 km/h से अधिक होनी चाहिए।
(b) तरंगों से प्राप्त ऊर्जा की सीमाएँ-समुद्र तल पर जल तरंगें तीव्र वेग से चलने वाली समुद्री हवाओं के कारण उत्पन्न होती हैं। केवल कुछ ही स्थानों पर ये तरंगें इतनी शक्तिशाली होती हैं कि उनसे सम्बद्ध ऊर्जा का दोहन किया जा सके।
(c) ज्वार-भाटा ऊर्जा की सीमाएँ-प्रत्येक ज्वार के समय जल का चढ़ाव इतना पर्याप्त नहीं हो पाता है कि उससे विद्युत उत्पन्न की जा सके। इसके अतिरिक्त समुद्र तट का केवल कुछ ही स्थान बाँध बनाने के लिए अच्छा रहता है। इस कारण से ज्वारीय ऊर्जा को विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत के रूप में नहीं मान सकते।
प्रश्न 7. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं ?
उत्तर-
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय स्रोतयदि कोई ऊर्जा स्रोत एक बार अपनी ऊर्जा दे देने के उपरान्त पुनः ऊर्जा देने की स्थिति में आ सकता है तो ऐसे स्रोतों को नवीकरणीय स्रोतों के वर्ग में रखा जाता है उदाहरण के लिए-जल विद्युत, जैव मात्रा। – यदि कोई ऊर्जा स्रोत अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा दे चुकने के पश्चात् पुनर्जीवित नहीं हो सकता तो ऐसे स्रोत को अनवीकरणीय स्रोतों के वर्ग में रखा जाएगा। उदाहरण के लिएजीवाश्मी ईंधन।
(b) समाप्य तथा अक्षय स्रोत-यदि कोई ऊर्जा स्रोत निश्चित समय तक ऊर्जा प्रदान करने के पश्चात् समाप्त हो जाए तथा उसे पुनः प्राप्त न किया जा सके तो उसे समाप्य ऊर्जा स्रोत माना जाएगा। उदाहरण के लिए जीवाश्मी ईंधन।
यदि किसी ऊर्जा स्रोत को प्रयोग करने के पश्चात् बार-बार फिर से प्राप्त किया जा सकता हो तो उसे अक्षय ऊर्जा स्रोत कहते हैं। पवन ऊर्जा अक्षय ऊर्जा स्रोत है। ऊपर दिए गए विवरणों से स्पष्ट है कि (a) तथा (b) विकल्प एक जैसे हैं।
प्रश्न 8. ऊर्जा के आदर्श स्त्रोत में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर-
- पर्याप्त मात्रा में स्त्रोत द्वारा ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
- सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से संपन्न होना चाहिए।
- यह पर्यावरण के लिए हितकारी होना चाहिए।
- ऊर्जा स्रोत ऐसा होना चाहिए जो दीर्घकाल तक नियत दर पर ऊर्जा प्रदान कर सके।
- यह आर्थिक रूप से सस्ता होना चाहिए।
प्रश्न 9. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है ?
उत्तर-
सौर कुकर के लाभ-
1. ईंधन का कोई खर्च नहीं होता तथा इससे प्रदूषण नहीं होता है।
2. इसमें धीमी गति से खाना पकता है इसलिए इसके द्वारा पके भोजन, से पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
3. इसमें निरन्तर देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है।
सौर कुकर से हानियाँ-
1. यह बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता है।
2. यह रात्रि में, बरसात में तथा बादल वाले दिनों में काम नहीं करते।
3. सौर कुकर से खाना धीमी गति से पकता है, अतः खाना पकाने में बहुत अधिक समय लगता है।
4. यह 100°C -140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है। ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों का प्रयोग सीमित अवधि में हो पाता है। जिन क्षेत्रों में आकाश में बादल रहते हैं वहाँ यह ठीक से कार्य नहीं कर पाता है वहाँ इनकी सीमित उपयोगिता है।
प्रश्न 10. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर- ऊर्जा की माँग जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती जाती है। ऊर्जा किसी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जीवाश्मी ईंधनों को जलाने पर ये वायु प्रदूषण फैलाते हैं फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। नाभिकीय रिऐक्टर से निकलने वाले कचरे द्वारा खतरनाक विकिरण उत्सर्जित होते हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेय हैं।
ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय-
1. घरों में विद्युत के उपकरणों को आवश्यकता होने पर ही प्रयोग में लाया जाना चाहिए।
2. जीवाश्मी ईंधन का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। अलग-अलग वाहनों की बजाय सामूहिक वाहन (सार्वजनिक परिवहन प्रणाली) का प्रयोग करना चाहिए।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very short Answer Type Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)
1. बायोगैस में उपस्थित मीथेन गैस का प्रतिशत होता-
(A) 25%
(B) 50%
(C) 75%
(D) 100%.
उत्तर- (C) 75%.
2. सौर सेल बनाने में प्रयुक्त होता है-
(A) कार्बन
(B) सिलिकॉन
(C) सोडियम
(D) कोबाल्ट।
उत्तर- (B) सिलिकॉन।
3. निम्नलिखित में से कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है ?
(A) लकड़ी
(B) गोबर गैस
(C) कोयला
(D) नाभिकीय ऊर्जा।
उत्तर- (D) नाभिकीय ऊर्जा।
4. LPG का कैलोरी मान है –
(A) 46kJ/g
(B) 96kJ/g
(C) 146kJ/g
(D) 196k/g.
उत्तर- (A) 46kJ/g.
5. निम्न में से कौन सा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है ?
(A) पवन ऊर्जा
(B) सौर ऊर्जा
(C) जीवाश्मी ईंधन
(D) जल ऊर्जा ।
उत्तर- (C) जीवाश्मी ईंधन।
6. परमाणु संयंत्रों में प्रयुक्त ईधन है –
(A) जल
(B) प्लूटोनियम
(C) जीवाश्मी ईंधन
(D) बायो गैस।
उत्तर- (B) प्लूटोनियम।
7. डायनेमो किससे विद्युत उत्पादित करता है?
(A) गतिज ऊर्जा
(B) यांत्रिक ऊर्जा
(C) स्थितिज ऊर्जा
(D) उपरोक्त सभी से
उत्तर – (B) यांत्रिक ऊर्जा
8. जीवाश्मी ईंधनों के दहन से प्रदूषक गैस उत्पन्न होती है –
(A) CO
(B) SO2
(C) NO2
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
9. जीवाश्मी ईंधन है –
(A) परंपरागत ऊर्जा स्रोत
(B) ऊर्जा के समाप्य स्रोत
(C) ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
10. अम्लीय वर्षा के लिए उत्तरदायी गैस है –
(A) SO2
(B) NO2
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) (A) तथा (B) दोनों
11. ग्रीनहाउस प्रभाव के लिए जो गैस प्रमुख रूप से उत्तरदायी है –
(A) CO
(B) CO2
(C) CH4
(D) NH3
उत्तर – (B) CO2
12. किसी ताप शक्ति संयंत्र में ऊर्जा रूपांतरण का सही क्रम है-
(A) रासायनिक ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा
(B) रासायनिक ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा
(C) रासायनिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा
(D) विद्युत ऊर्जा → रासायनिक ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा
उत्तर — (B) रासायनिक ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा
13. किसी जलशक्ति संयंत्र में ऊर्जा के रूपांतरण का सही क्रम है –
(A) EE → ME → PE → KE
(B) PE → KE → ME → EE
(C) KE → PE → KE → ME
(D) KE → PE → KE → ME → EE
उत्तर – (D) KE → PE → KE → ME → EE
14. जैव- मात्रा वह पदार्थ है जो होता है –
(A) सभी पौधों में
(B) सभी जंतुओं में
(C) सभी शैवाल में
(D) सभी जीवों में
उत्तर – (D) सभी जीवों में
15. जैव गैस का प्रमुख घटक है –
(A) CH4
(B) CO2
(C) H2S
(D) H2
उत्तर – (A) CH4
16. जैव गैस में मेथैन की मात्रा होती हैं –
(A) 25%
(B) 50%
(C) 75%
(D) 100%
उत्तर – (C) 75%
17. कम में प्रचुर मात्रा में होता है –
(A) नाइट्रोजन
(B) फॉस्फोरस
(C) पोटैशियम
(D) (A) तथा (B) दोनों
उत्तर – (D) (A) तथा (B) दोनों
18. जैव-मात्रा …………. ऊर्जा का स्रोत है।
(A) नवीकरणीय
(B) अनवीकरणीय
(C) असमाप्य
(D) (A) तथा (C) दोनों
उत्तर – (D) (A) तथा (C) दोनों
19. पवन चक्की के क्रियाशील होने के लिए वायु की न्यूनतम गति होनी चाहिए –
(A) 5 km/h
(B) 15 km/h
(C) 25 km/h
(D) 55 km/h
उत्तर -(B) 15 km/h
20. किसी जैव गैस संयंत्र से प्राप्त कर्दम का उपयोग किया जा सकता है –
(A) भूमि भराव के लिए
(B) खाद के रूप में
(C) खुले स्थानों पर व्यर्थ फेंकने के लिए
(D) खुले नाले में फेंकने के लिए
उत्तर – (B) खाद के रूप में
21. यदि भारत अपनी पवन ऊर्जा की क्षमता का पूर्ण दोहन करता है तो वह कितनी विद्युत शक्ति उत्पन्न कर सकता है?
(A) 380 MW
(B) 450 MW
(C) 38,000 MW
(D) 45,000 MW
उत्तर – (D) 45,000 MW
22. तमिलनाडु में कन्याकुमारी के निकट पवन ऊर्जा फार्म उत्पादित करता है –
(A) 380 MW
(B) 3800 MW
(C) 450 MW
(D) 4500 MW
उत्तर – (A) 380 MW
23. 1MW शक्ति का पवन ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए कितने बड़े भू-क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है ?
(A) 1 हेक्टेयर
(B) 10 हेक्टेयर
(C) 2 हेक्टेयर
(D) 20 हेक्टेयर
उत्तर – (C) 2 हेक्टेयर
24. ऊर्जा का एक गैर-परंपरागत स्रोत है –
(A) सौर ऊर्जा
(B) जैव-मात्रा
(C) कोयला
(D) पेट्रोलियम
उत्तर – (A) सौर ऊर्जा
25. सूर्य की आयु कितनी है?
(A) 5 बिलियन वर्ष
(B) 4 बिलियन वर्ष
(C) 3 बिलियन वर्ष
(D) 2 बिलियन वर्ष
उत्तर – (A) 5 बिलियन वर्ष
26. सौर स्थिरांक का मान लगभग कितना है ?
(A) 1.4 kJ/s/m2
(B) 0.4 kJ/s/m2
(C) 1.04 kJ/s/m2
(D) 0.04 kJ/s/m2
उत्तर – (A) 1.4 kJ/s/m2
27. एक सौर सेल पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो वह विभवांतर विकसित करता है –
(A) 0.05 V
(B) 0.5 V
(C) 0.5 V – 1.0 V
(D) 1.0 V – 1.5 V
उत्तर- (C) 0.5 V – 1.0 V
28. सौर सेलों का उपयोग होता है –
(A) कृत्रिम उपग्रह में
(B) अंतरिक्ष अन्वेषण यान में
(C) अंतरिक्ष स्टेशन में
(D) उपरोक्त सभी में
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी में
29. OTE का दोहन किया जा सकता है जब सतही पर्त तथा 2km अंदर तक समुद्र की सतह में तापांतर कम से कम होना चाहिए –
(A) 10°C
(B) 20°C
(C) 30°C
(D) 40°C
उत्तर – (B) 20°C
30. नाभिकीय शक्ति संयंत्र में ईंधन प्रयोग किया जाता है –
(A) यूरेनियम
(B) थोरियम
(C) पोलोनियम
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
31. 1 MeV ऊर्जा बराबर है –
(A) 1 amu
(B) 10 amu
(C) 0.1 amu
(D) 100 amu
उत्तर – (A) 1 amu
32. 1 eV = ………… Joule
(A) 1.602 × 10-19
(B) 1.602 × 1019
(C) 6.023 × 10-23
(D) 6.023 × 1023
उत्तर – (A) 1.602 × 10-19
33. E = Δmc2 समीकरण किस वैज्ञानिक ने दिया?
(A) एनरिको फर्मी
(B) आइंस्टीन
(C) रदरफोर्ड
(D) नील बोहर
उत्तर – (B) आइंस्टीन
34. भारत अपने कुल विद्युत उत्पादन का कितने प्रतिशत भाग नाभिकीय शक्ति के रूप में प्राप्त करता है ?
(A) 30%
(B) 25%
(C) 3%
(D) 5%
उत्तर – (C) 3%
35. औद्योगीकृत देश अपने ऊर्जा उत्पादन का कितने प्रतिशत भाग नाभिकीय शक्ति संयंत्रों से प्राप्त करते हैं ?
(A) 3%
(B) 30%
(C) 50%
(D) 70 %
उत्तर – (B) 30%
36. नाभिकीय संलयन के लिए कितने तापमान की आवश्यकता पड़ती है ?
(A) 103 K
(B) 106 K
(C) 107 K
(D) 105 K
उत्तर – (C) 107 K
37. संलयन अभिक्रिया होने के लिए कितने दाब की आवश्यकता पड़ती है ?
(A) मिलियन पास्कल (106)
(B) बिलियन (109) पास्कल
(C) ट्रिलियन (1012) पास्कल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) मिलियन पास्कल (106)
38. आप निम्न में से किसको स्वच्छ ईंधन मानते हैं?
(A) कोयला
(B) डीज़ल
(C) CNG
(D) पेट्रोल
उत्तर- (C) CNG
39. जीवाश्मी ईंधनों के अधिक प्रयोग से हो सकता है –
(A) अम्लीय वर्षा
(B) ग्रीनहाउस प्रभाव
(C) प्रदूषण
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
40. तारापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र कहाँ पर स्थित है ?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) तमिलनाडु
(C) महाराष्ट्र
(D) गुजरात/कर्नाटक
उत्तर – (C) महाराष्ट्र
41. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत नवीकरणीय है ?
(A) जैव-मात्रा
(B) कोयला
(C) पेट्रोलियम
(D) प्राकृतिक गैस
उत्तर – (A) जैव-मात्रा
42. सूर्य से पृथ्वी तक आने वाली ऊर्जा का कितने प्रतिशत भाग पृथ्वी का धरातल तथा निचला वायुमंडल ग्रहण करता है?
(A) 53%
(B) 47%
(C) 1%
(D) 99%
उत्तर -(B) 47%
43. निम्न में से कौन-सा ऊर्जा का स्रोत अन्य स्रोतों से भिन्न है ?
(A) कोयला
(B) पेट्रोलियम
(C) प्राकृतिक गैस
(D) यूरेनियम
उत्तर – (D) यूरेनियम
44. निम्न में से कौन-सा एक द्वितीयक ईंधन है / अन्य स्रोतों से भिन्न है ?
(A) कोयला
(B) बिटुमन
(C) ऐंथरासाइट
(D) कोक
उत्तर – (D) कोक
45. निम्न में से किस प्रकार की ऊर्जा भू-पर्पटी में उपलब्ध है ?
(A) OTE
(B) GTE
(C) ATP
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (D) इनमें से कोई नहीं
46. ऊष्मा विकिरण (अवरक्त प्रकाश) की तरंगदैर्ध्य होती है –
(A) 100 – 200
(B) 200 – 300
(C) 300 – 400
(D) < 700
उत्तर – (B) 200-300
47. लकड़ी के भंजक आसवन से निम्न में से कौन-सा उत्पाद प्राप्त नहीं होता ?
(A) चारकोल
(B) कोयला
(C) वुड गैस
(D) टार
उत्तर – (C) वुड गैस
48. 1kg लकड़ी के भंजक आसवन से चारकोल की कितनी मात्रा प्राप्त होती है ?
(A) 100g
(B) 200g
(C) 250g
(D) 350g
उत्तर – (C) 250g
49. 1kg यूरेनियम से उत्सर्जित ऊर्जा कितने kg कोयले के समान होती है?
(A) 1,00,000
(B) 2,00,000
(C) 25,00,000
(D) 25,000
उत्तर – (C) 25,00,000
50. यूरेनियम परमाणु के विखंडन से औसतन कितनी ऊर्जा प्राप्त होती है ?
(A) 100 MeV
(B) 200 MeV
(C) 20 MeV
(D) 10 MeV
उत्तर – (B) 200 Mev
51. नाभिकीय रिएक्टर में मंदक के रूप में क्या प्रयुक्त होता है ?
(A) यूरेनियम-235
(B) यूरेनियम-238
(C) द्रवित सोडियम
(D) भारी जल
उत्तर – (D) भारी जल
52. निम्नलिखित में से कौन-सा एक उत्तम नाभिकीय ईंधन है ?
(A) U-235
(B) U-238
(C) U-239
(D) Th-236
उत्तर – (A) U-235
53. निम्नलिखित में से कौन-सा अन्य से भिन्न है ?
(A) सौर ऊर्जा
(B) कोयला
(C) पेट्रोलियम
(D) प्राकृतिक गैस
उत्तर – (A) सौर ऊर्जा
54. LPG में प्रमुख रूप से होती है –
(A) मेथैन
(B) हाइड्रोजन
(C) ब्यूटेन
(D) ऐथेन
उत्तर – (C) ब्यूटेन
55. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है ?
(A) सौर ऊर्जा
(B) जैव-द्र-द्रव्यमान
(C) पवन ऊर्जा
(D) प्राकृतिक गैस
उत्तर – (D) प्राकृतिक गैस
56. जल शक्ति प्रोजैक्ट के स्थान को ध्यान से चुना जाता है क्योंकि –
(A) यह उस क्षेत्र के जीव जंतुओं व पौधों को नष्ट कर देता है
(B) भूकंप ला सकता है
(C) हानिकारक गैसें उत्पन्न करता है
(D) बाढ़ का कारण बन सकता है
उत्तर (A) यह उस क्षेत्र के जीव-जंतुओं व पौधों को नष्ट कर देता है
57. बॉक्सनुमा सौर कुकर में कितना तापमान प्राप्त किया जा सकता है ?
(A) 100°C
(B) 140°C
(C) 100°C–140°C
(D) 180°C-200°C
उत्तर – (C) 100°C-140°C
58. सौर कुकर के विषय में निम्नलिखित में से क्या सही नहीं है ?
(A) आहार के पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं
(B) इससे प्रदूषण नहीं होता है
(C) इसे किसी भी समय खाना पकाने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है
(D) यह ऊर्जा के अन्य स्रोतों को बचाता है
उत्तर – (C) इसे किसी भी समय खाना पकाने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत
एक शब्द/वाक्यांश वाले प्रश्न
प्रश्न 1. ऊर्जा स्रोत क्या होते हैं?
उत्तर – कोई भी स्रोत या तन्त्र जिससे ऊर्जा का दोहन किया जा सकता ऊर्जा स्रोत कहलाता है ।
प्रश्न 2. ऊर्जा संकट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – ऊर्जा संसाधनों की अत्यधिक कमी, जो जीवन को कठिन बना दे, ऊर्जा संकट कहलाती है।
प्रश्न 3. हमें ऊर्जा की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर – जीवित रहने के लिए ।
प्रश्न 4. जब हम LPG को जलाते हैं तो किस प्रकार का ऊर्जा परिवर्तन होता है ?
उत्तर – रासायनिक ऊर्जा ऊष्मा व प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होती है ।
प्रश्न 5. जीवाश्मी ईंधनों के दहन के उत्पाद क्या होते हैं ?
उत्तर – CO2, H2O, प्रकाश ऊर्जा व ऊष्मा ऊर्जा ।
प्रश्न 6. क्या हम पर्यावरण में में लुप्त हुई ऊष्मा को दोबारा प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर – नहीं, हम पर्यावरण में लुप्त हुई ऊष्मा को दोबारा प्राप्त नहीं कर सकते ।
प्रश्न 7. हमारी पहुँच ऊर्जा तक क्यों होनी चाहिए?
उत्तर – कार्य करने के लिए, सुविधापूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए।
प्रश्न 8. ऊर्जा के कौन-से दो प्रकार हैं जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग में लाते हैं (मांसपेशीय ऊर्जा को छोड़कर ) ?
उत्तर – (i) विद्युत ऊर्जा (ii) ईंधनों की रासायनिक ऊर्जा ।
प्रश्न 9. LPG को घरेलू ईंधन के रूप में क्यों प्रयोग में लाया जाता है ?
उत्तर – क्योंकि यह प्रदूषण नहीं करती और इसका ऊष्मीय मान भी अधिक है।
प्रश्न 10. जब हम एक मोमबत्ती जलाते हैं, तो किस प्रकार का ऊर्जा परिवर्तन होता है ?
उत्तर – मोमबत्ती की रासायनिक ऊर्जा प्रकाश व ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है ।
प्रश्न 11. जीवाश्मी ईंधन क्या होते हैं ?
उत्तर – कोयला व पेट्रोलियम जैसे ईंधन जो प्राचीन समय में पौधे व जंतुओं के आंशिक अपघटन से बने हैं। जीवाश्मी ईंधन कहलाते हैं ।
प्रश्न 12. दो जीवाश्मी ईंधनों के नाम लिखिए ।
उत्तर – कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, गैस हाइड्रेट्स ।
प्रश्न 13. घर में उपयोग होने वाले दो ईंधनों के नाम लिखें।
उत्तर – (i) L.P.G., (ii) जैव गैस ।
प्रश्न 14. ईंधन के दहन से उत्पन्न होने वाली दो हानिकारक गैसों के नाम बताएँ ।
उत्तर – सल्फर के ऑक्साइड व नाइट्रोजन के ऑक्साइड ।
प्रश्न 15. अम्लीय वर्षा के लिए उत्तरदायी दो गैसों के नाम दें।
उत्तर – SO2 तथा NO2.
प्रश्न 16. अम्लीय वर्षा क्या है ?
उत्तर – जब SO2 तथा NO2 जैसी गैसें वर्षा के जल में घुलकर पृथ्वी पर पड़ती हैं तो वर्षा का जल अम्लीय हो जाता है, जिसे अम्लीय वर्षा कहते हैं ।
प्रश्न 17. ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है ?
उत्तर – पृथ्वी (वायुमंडल) के तापमान में होने वाली बढ़ोतरी जो वायुमंडलीय गैसों द्वारा सौर विकिरणों को अवशोषित करने के कारण से होती है ।
प्रश्न 18 बहते हुए पानी में किस प्रकार की ऊर्जा निहित होती है?
उत्तर – गतिज ऊर्जा।
प्रश्न 19. भारत में ऊर्जा की आवश्यकता का कितने प्रतिशत जल विद्युत संयंत्रों से प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर – लगभग 25%.
प्रश्न 20. जल विद्युत संयन्त्रों में स्थितिज ऊर्जा का परिवर्तन किस प्रकार की ऊर्जा में होता है ?
उत्तर – विद्युत ऊर्जा में ।
प्रश्न 21. दो बाँध परियोजनाओं के नाम बताएँ जिनका लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध किया गया है?
उत्तर – टिहरी बाँध तथा सरदार सरोवर बाँध परियोजना |
प्रश्न 22. टिहरी बाँध तथा सरदार सरोवर बाँध परियोजनाएँ किन नदियों पर स्थित हैं?
उत्तर – टिहरी बाँध गंगा नदी पर तथा सरदार सरोवर बाँध नर्मदा नदी पर स्थित हैं ।
प्रश्न 23. जैव-मात्रा क्या है?
उत्तर – सजीवों अर्थात् पौधों तथा जीव जंतुओं में विद्यमान जैव पदार्थ की मात्रा, जैव-मात्रा कहलाती है।
प्रश्न 24. जैव गैस को सामान्यतः गोबर गैस क्यों कहते हैं ?
उत्तर – क्योंकि जैव गैस संयंत्र में मुख्यतः गोबर का उपयोग ईंधन के रूप में होता है ।
प्रश्न 25. जैव गैस का प्रमुख घटक क्या है ?
उत्तर – मेथैन (CH4) लगभग 70% – 75%।
प्रश्न 26. अपघटन के मुख्य उत्पाद क्या होते हैं ?
उत्तर – CH4, CO2, H2, H2S गैसें तथा कर्दम ।
प्रश्न 27. कर्दम (Slury) का मुख्य उपयोग क्या है ?
उत्तर – खेतों में खाद के रूप में ।
प्रश्न 28. दो वृहत तत्त्वों के नाम बताओ जो कर्दम में होते हैं ।
उत्तर – नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस ।
प्रश्न 29. जैव द्रव्यमान या जैव व्यर्थ पदार्थों का निपटान या दक्षतापूर्वक उपयोग कैसे कर सकते हैं? एक विधि बताइए ।
उत्तर — जैव गैस संयंत्र में ईंधन के रूप में।
प्रश्न 30. पवन शक्ति या ऊर्जा क्या है ?
उत्तर – बहती हुई वायु की गतिज ऊर्जा को पवन शक्ति कहते हैं ।
प्रश्न 31. एक अकेली पवन-चक्की विद्युत के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए उपयुक्त क्यों नहीं है ?
उत्तर – क्योंकि एक पवन-चक्की के द्वारा उत्पादित ऊर्जा की मात्रा बहुत कम होती है ।
प्रश्न 32. पवन ऊर्जा फार्म क्या होता है ?
उत्तर – एक ऐसा क्षेत्र जहाँ पर बहुत सारी पवन चक्कियों को लगाया गया हो, पवन ऊर्जा फार्म कहलाता है ।
प्रश्न 33. किस देश को हवाओं का देश कहा जाता है ?
उत्तर – डेनमार्क को हवाओं का देश कहा जाता है ।
प्रश्न 34. कौन-सा देश पवन ऊर्जा उत्पादन में सबसे अग्रणी है?
उत्तर – जर्मनी देश पवन ऊर्जा उत्पादन में सबसे अग्रणी है।
प्रश्न 35. डेनमार्क की ऊर्जा आवश्यकता का कितने प्रतिशत पवन ऊर्जा से आता है ?
उत्तर – डेनमार्क की ऊर्जा आवश्यकता का 25 प्रतिशत पवन ऊर्जा से आता है ।
प्रश्न 36. पवन ऊर्जा उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर – पवन ऊर्जा उत्पादन में भारत का विश्व में 5वाँ स्थान है ।
प्रश्न 37. पवन ऊर्जा उत्पादन में भारत की कुल कितनी क्षमताएँ हैं?
उत्तर – 45,000 MW
प्रश्न 38. भारत का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा फार्म कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर – भारत का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा फार्म कन्याकुमारी ( तमिलनाडु) में स्थित है।
प्रश्न 39. कन्याकुमारी में स्थापित पवन ऊर्जा फार्म की क्या क्षमता है ?
उत्तर – कन्याकुमारी में स्थापित पवन ऊर्जा फार्म की क्षमता 380 MW है।
प्रश्न 40 पवन चक्की को क्रियाशील ( उपयोगी) बनाने के लिए पवन की न्यूनतम गति कितनी होनी चाहिए?
उत्तर – पवन चक्की को क्रियाशील ( उपयोगी) बनाने के लिए पवन की न्यूनतम गति 15 km/h होनी चाहिए ।
प्रश्न 41. 1MW शक्ति का पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए कितने बड़े भू-भाग की आवश्यकता पड़ती है ?
उत्तर – 1MW शक्ति का पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए 2 हेक्टेयर भू-भाग की आवश्यकता पड़ती है ।
प्रश्न 42. प्राचीन समय में ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्या था?
उत्तर – लकड़ी।
प्रश्न 43. मनुष्य द्वारा किस ईंधन के उपयोग से औद्योगिक क्रांति संभव हुई है?
उत्तर – कोयला ।
प्रश्न 44. हमारे पेट्रोलियम तथा कोयले के भंडार कितने और वर्षों तक पर्याप्त रहेंगे?
उत्तर – भारत में ज्ञात पेट्रोलियम के भंडार लगभग 20 वर्ष तक तथा कोयले के भंडार लगभग 200-250 वर्ष तक पर्याप्त रहेंगे।
प्रश्न 45. प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर – जीवाश्मी ईंधनों का अत्यधिक उपयोग ।
प्रश्न 46. ऊर्जा संकट का क्या परिणाम निकलेगा ?
उत्तर – जीवन कठिन हो जाएगा क्योंकि नारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध ऊर्जा पर ही निर्भर करती हैं।
प्रश्न 47. डायनेमो में किस प्रकार का ऊर्जा परिवर्तन होता है ?
उत्तर – यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित होती है ।
प्रश्न 48. जीवाश्म ईंधनों को छोड़कर किस प्रकार की ऊर्जा हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर – विद्युत ऊर्जा |
प्रश्न 49. हमारे अधिकतर ताप विद्युत संयंत्र कोयला तथा पेट्रोलियम के भंडारों के पास ही क्यों स्थित होते हैं?
उत्तर – क्योंकि ताप विद्युत ऊर्जा घर ईंधन के रूप में कोयला तथा प्राकृतिक गैस को ही उपयोग में लाते हैं। इससे ईंधन के परिवहन की समस्या कम हो जाती है तथा विद्युत का उत्पादन सस्ता पड़ता है।
प्रश्न 50. विद्युत के उत्पादन के लिए किसी बाँध की कम से कम ऊँचाई कितनी होनी चाहिए?
उत्तर – 10 मीटर
प्रश्न 51. जैव द्रव्यमान को घरेलू ईंधन के रूप में अच्छा क्यों नहीं माना जाता ?
उत्तर – इसका ऊष्मीय मान कम होने के कारण तथा इसके द्वारा होने वाले प्रदूषण के कारण |
प्रश्न 52. चारकोल क्या है ?
उत्तर – चारकोल कार्बन का एक अपरूप है ।
प्रश्न 53. चारकोल को किस प्रकार प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर – इसे लकड़ी के भंजक आसवन द्वारा प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 54. दो विशेष घटनाओं के नाम बताइए जोकि वायु के द्वारा वायुमंडल में गति करती है।
उत्तर – चक्रवात, तूफान ।
प्रश्न 55. वायु क्यों गतिशील रहती है ?
उत्तर – सूर्य द्वारा पृथ्वी के असमान रूप से गर्म होने के कारण ।
प्रश्न 56. किसी पवन-चक्की में किस प्रकार का ऊर्जा रूपान्तरण होता है ?
उत्तर — गतिज ऊर्जा→ यांत्रिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा ।
प्रश्न 57. पवन चक्की किस प्रकार विद्युत का उत्पादन करती है ?
उत्तर – पवन-चक्की की घूर्णन गति के कारण विद्युत जनित्र का आर्मेचर घूमता है, जो विद्युत जनित्र में कुंडली को घुमाकर विद्युत का उत्पादन करता है ।
प्रश्न 58. भारत के दो उच्च पवन ऊर्जा क्षेत्र बताइए ।
उत्तर – गुजरात, राजस्थान का कुछ भाग, दक्षिणी तमिलनाडु, समुद्र तटीय क्षेत्र |
प्रश्न 59. सूर्य कितने वर्षों से ऊर्जा उत्सर्जित करता आ रहा है और यह कितने वर्षों तक ऐसा करता रहेगा?
उत्तर—सूर्य लगभग 5 बिलियन (5 × 109 वर्ष) वर्षों से ऊर्जा उत्सर्जित करता आ रहा है तथा इतने ही वर्षों तक और भी ऐसा करता रहेगा ।
प्रश्न 60. सूर्य की ऊर्जा जो पृथ्वी तक पहुँचती है, उसका क्या होता है ?
उत्तर – इस ऊर्जा का लगभग 47% भाग पृथ्वी द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है तथा 53% भाग पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल द्वारा ही परावर्तित कर दिया जाता है ।
प्रश्न 61. सौर ऊर्जा पृथ्वी पर क्या-क्या परिवर्तन आरंभ करती है? दो के नाम दें।
उत्तर – वायु ( तूफान) वर्षा (मानसून ) ।
प्रश्न 62. सौर ऊर्जा के दोहन के लिए (सौर तापन युक्तियों को छोड़कर) दो उपकरण बताइए।
उत्तर – सौर सेल, सौर जल पंप ।
प्रश्न 63. सौर कुकरों तथा हीटरों को काला पेंट क्यों किया जाता है ?
उत्तर – क्योंकि काला रंग / कृष्ण पृष्ठ ऊष्मा का अच्छा अवशोषक होता है ।
प्रश्न 64. अवतल / समतल दर्पण का बॉक्स प्रकार के सौर कुकर में क्या उपयोग है?
उत्तर – यह सौर विकिरणों को एक बिंदु पर सांद्रित / केंद्रित कर देता है ।
प्रश्न 65. सौर सांद्रक क्या होते हैं ?
उत्तर—वे सौर तापन युक्तियाँ जो सौर ऊर्जा को किसी एक बिंदु या कम क्षेत्र में केंद्रित कर देती हैं, सौर सांद्रक कहलाती हैं।
प्रश्न 66. सौर सांद्रकों का क्या कार्य होता है?
उत्तर – उच्च तापमान प्राप्त करने के लिए उनका उपयोग किया जाता है ।
प्रश्न 67. गोलीय परावर्तक प्रकार के सौर कुकर का एक लाभ बताइए (बॉक्स प्रकार के सौर कुकर की तुलना में)।
उत्तर – इसे चपाती बनाने, सब्जी फ्राई करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि इसमें उच्च तापमान प्राप्त किया जा सकता है ।
प्रश्न 68. सौर शक्ति (ऊर्जा) स्तंभ क्या है ?
उत्तर – यह एक सौर सांद्रक यंत्र है जिसे विद्युत के उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। –
प्रश्न 69. सौर भट्टी ( फ्रांस में माउंट लुइस ) में कितना तापमान प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर – 3000°C
प्रश्न 70. दुनिया का वह कौन-सा देश है जिसने वाणिज्यिक स्तर पर सौर कुकरों का उत्पादन आरंभ किया है, और कब ?
उत्तर – भारत ने, 1962 में ।
प्रश्न 71. भूतकाल में सौर सेल की दक्षता कितनी थी और अब कितनी है?
उत्तर – भूतकाल में यह केवल 0.7% थी जो अब आधुनिक सौर सेल में 25% है।
प्रश्न 72. सौर सेलों की एक सीमा बताएँ ।
उत्तर – यह बहुत महँगे होते हैं ।
प्रश्न 73. सौर सेल इतने महँगे क्यों होते हैं ?
उत्तर – अतिशुद्ध सिलिकॉन जिसका इनके निर्माण में उपयोग किया जाता है, बहुत महँगा है तथा सौर सेलों को पैनल के रूप में जोड़ने में चाँदी का उपयोग किया जाता है, जो और भी महँगी है ।
प्रश्न 74. हम सौर सेल या पैनल द्वारा उत्पादित सौर ऊर्जा को किस प्रकार भंडारित करते हैं ?
उत्तर – संचायक बैटरी का उपयोग करके ।
प्रश्न 75. ज्वार-भाटा क्या होता है?
उत्तर – समुद्र तट पर समुद्री पानी का बहुत ऊँचाई तक चढ़ना और उतरना ज्वार-भाटा कहलाता है ।
प्रश्न 76. संसार में समुद्री तट पर लहरों के टकराने के परिणामस्वरूप कितनी ऊर्जा उत्सर्जित होती है ?
उत्तर – लगभग 2-3 मिलियन MW |
प्रश्न 77. OTEC का मुख्य लाभ क्या है ?
उत्तर – इसे वर्ष भर प्रतिदिन 24 घंटे उपयोग में लाया जा सकता है ।
प्रश्न 78. भारत में दो स्थानों के नाम बताएँ जहाँ पर ज्वारीय ऊर्जा को प्रयोग में लाया जा सकता है?
उत्तर – (i) कच्छ की खाड़ी (गुजरात)
(ii) सुंदरवन ( पश्चिमी बंगाल) ।
प्रश्न 79. भारत में एक ऐसे राज्य का नाम बताएँ जहाँ पर भू-तापीय ऊर्जा का प्रयोग विद्युत के उत्पादन के लिए किया जाता है ।
उत्तर – मध्य प्रदेश ।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer type Questions)
प्रश्न 1. जीवाश्मी ईंधन से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को कैसे घटाया जा सकता है?
उत्तर-
- अधिक पेड़ों को उगाकर।
- दहन प्रक्रिया की दक्षता बढ़ाकर।
- कारखानों में ऊँची चिमनियाँ लगाकर।
- वाहनों में CNG का प्रयोग अधिकता में करके।
- आवासीय बस्तियों से कारखानों और फैक्ट्रियों को दूर स्थापित करके।
प्रश्न 2. जल ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण प्रतिबन्ध बताइए। इसका एक लाभ भी लिखें।
उत्तर- जल ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण प्रतिबन्ध यह है कि पन-चक्की को चलाने के लिए बहता हुआ जल प्रत्येक स्थान पर अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। इसलिए कार्य करने के लिए जल ऊर्जा का उपयोग केवल उन्हीं स्थानों पर हो सकता है जहाँ बहता हुआ जल अधिक मात्रा में उपलब्ध हो। जल ऊर्जा का महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसके उपयोग से पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता।
प्रश्न 3. जल विद्युत संयंत्र में होने वाले ऊर्जारूपान्तरण लिखिए।
उत्तर- जल विद्युत संयंत्र में किसी ऊँचे स्थान पर जल का भंडारण किया जाता है। यह एकत्रित जल ऊँचाई से अत्यन्त वेग द्वारा टरबाइन को घुमाने के लिए छोड़ा जाता है जिसके परिणामस्वरूप टरबाइन जेनरेटर द्वारा विद्युत का उत्पादन करता है। इस प्रकार जल की स्थितिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा और उसके बाद विद्युत में परिवर्तित किया जाता है।
जल विद्युत संयंत्र की सीमाएँ-
- नदी के प्रवाह में परिवर्तन, जिसके कारण बहुत बड़ा क्षेत्र जलमग्न हो जाता है।
- उस प्रदेश का जल तंत्र तथा वन्य जीवन नष्ट हो सकता है।
प्रश्न 4. जल ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बनाए गए बाँधों से सम्बन्धित समस्याएँ लिखिए।
उत्तर-
- जल ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बाँधों का निर्माण कुछ सीमित क्षेत्रों में ही किया जाता है।
- बाँधों के निर्माण से पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है।
- बाँध के जल में डूबने के कारण बड़े-बड़े परिस्थितिक तन्त्र नष्ट हो जाते हैं।
- विस्थापन के कारण लोगों के पुनर्वास और क्षतिपूर्ति की समस्या उत्पन्न होती है।
- जल में डूबे पेड़-पौधों और वनस्पतियों के सड़ने से विघटन के द्वारा विशाल मात्रा में मेथेन गैस उत्पन्न होती है, जो ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण बनती है।
प्रश्न 5. जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के दो कारण लिखिए।
उत्तर-
- गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक , धुआँ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। गोबर गैस प्लांट में जैव गैस बनती है जिससे वायु प्रदूषित नहीं होती।
- गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैस पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर को प्रयुक्त करने से साफ-सुथरा ईंधन प्राप्त होने के पश्चात् अवशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 6. तीन ऐसे कारक बताइए जो पवन को गतिशील करने के लिए उत्तरदायी हैं ?
उत्तर- पवन को गतिशील करने के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं
- पृथ्वी के भूमध्य रेखीय क्षेत्रों तथा ध्रुवीय क्षेत्रों पर आपतित सूर्य की किरणों में तीव्रता में अन्तर का होना,
- गर्म वायु तथा ठण्डी वायु के घनत्व में अन्तर का होना तथा
- पृथ्वी का घूर्णन।
प्रश्न 7. भारत में पवन ऊर्जा के उपयोग हेतु बनाई गई योजनाएँ क्या हैं ?
उत्तर- भारत में पवन ऊर्जा के उपयोग हेतु बनाई गई योजनाएँ-भारत में उपलब्ध पवन ऊर्जा की क्षमता का लाभ उठाने हेतु विस्तृत योजनाएँ बनाई गई हैं। इनमें से कुछ योजनाओं को तो विद्युत उत्पादन हेतु लागू भी किया जा चुका है। भारत में पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन हेतु संयन्त्र गुजरात प्रदेश के ओखा नामक स्थान पर स्थित है। इसकी उत्पादन क्षमता 1 मेगावॉट (1 M W) है। दूसरा पवन ऊर्जा संयन्त्र गुजरात के पोरबन्दर स्थित लांबा नामक स्थान पर है। यह 200 एकड़ से भी अधिक भूमि पर फैला हुआ है। इसमें 50 पवन ऊर्जा चालित टर्बाइन लगी हैं जिनकी क्षमता 200 करोड़ यूनिट विद्युत उत्पन्न करने की है।
प्रश्न 8. (अ) नाभिकीय ऊर्जा प्रदान करने वाले दो तत्वों के नाम बताइए।
(ब) ज्वार-भाटा किसे कहते हैं?
उत्तर-
(अ)
(ब) ज्वार-भाटा-घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चन्द्रमा के गुरुत्वीय खिचाव के कारण सागरों से जल का स्तर चढ़ता व गिरता रहता है। इस घटना को ज्वार-भाटा कहते हैं।
प्रश्न 9. सौर ऊष्मक युक्तियों में काँच की पट्टी का क्या महत्व है?
उत्तर- ऊष्मारोधी बॉक्स में काली पट्टी की ऊपरी सतह को किसी काँच की पट्टी से ढक दिया जाता है। काँच की पट्टी का यह विशेष गुण है कि यह सौर प्रकाश में विद्यमान अवरक्त किरणों को अपने भीतर से गुजरने देती है। काँच की पट्टी के पार गुजरने के बाद उसकी तरंगदैर्ध्य अधिक हो जाती है। काँच की पटटी उन अवरक्त विकिरणों को बाहर नहीं जाने देती जिनकी तरंगदैर्ध्य अधिक हो तथा जिनका उत्सर्जन उन वस्तुओं से हो रहा हो जो तुलनात्मकता रूप से निम्न ताप परे हैं।
प्रश्न 10. सौर ऊर्जा का दैनिक कार्यों में प्रमुख पारम्परिक उपयोग बताओ।
उत्तर- सौर ऊर्जा पारम्परिक रूप में निम्नलिखित दैनिक कार्यों के लिए उपयोग की जा रही है
- कपड़े सुखाने में।
- फसल काटने के बाद अनाज में से नमी की मात्रा कम करने में।
- सब्जियाँ, फल और मछली सुखाने में।
प्रश्न 11. सौर भट्टी किसे कहते हैं? इसकी बनावट तथा लाभ लिखिए।
उत्तर- जिस भट्टी को सौर ऊर्जा द्वारा गर्म किया जाता है, उसे सौर भट्टी कहते हैं। बनावट-सौर भट्टी में छोटे-छोटे हजारों दर्पणों का प्रयोग किया जाता है। उन्हें इस प्रकार लगाया जाता है कि एक बहुत बड़ा अवतल परावर्तक तैयार हो जाए। इसके फोकस पर एक भट्टी रख दी जाती है। सूर्य की किरणें दर्पण से परावर्तित होकर फोकस बिन्दु पर मिल जाती हैं जिस कारण परावर्तन के पश्चात् भट्टी का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। यह तापमान इतना अधिक बढ़ाया जा सकता है कि इससे लोहा भी पिघल जाता है।
लाभ-
- धातुओं को पिघलाकर विभिन्न वस्तुएँ तैयार की जा सकती हैं।
- धातुओं को काटा और जोड़ा जा सकता है।
प्रश्न 12. पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत क्या है ? ऊर्जा के इस स्रोत को व्यापारिक स्तर पर उपयोग करने की आवश्यकता क्यों हुई ?
उत्तर- पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे विशाल स्रोत सूर्य है। सूर्य द्वारा दी गई ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। पृथ्वी पर प्रतिदिन पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश द्वारा दी गई ऊर्जा संसार के सभी देशों द्वारा एक वर्ष में उपयोग की गई कुल ऊर्जा का 50,000 गुना है। व्यापारिक स्तर पर ऊर्जा के इस स्रोत का उपयोग करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी कि जीवाश्म ईंधनों के ज्ञात भण्डार बहुत कम रह गए हैं जो कुछ ही दशकों में समाप्त हो जायेंगे। इस ऊर्जा के संकट को दूर करने के लिए मानव ने ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की खोज की। इनमें से सूर्य की ऊर्जा एक नवीकरणीय स्रोत है।
प्रश्न 13. भारत में सौर ऊर्जा के उपयोग बढ़ाने हेतु क्या-क्या प्रयास किए गए हैं ?
उत्तर- भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ाने हेतु प्रयास-भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ाने हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा रहे-
- भारत में भोजन पकाने के लिए सौर कुकरों के उपयोग को बढ़ाया जा रहा है। भारत सरकार के गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत विभाग (Department of Non-Conventional Energy Sources) अर्थात् DNES द्वारा सोलर कुकरों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- भारत में पानी गर्म करने हेतु सोलर जल ऊष्मकों के उपयोग को बढ़ाया जा रहा है। आजकल बहुत से औद्योगिक प्रतिष्ठानों की छतों पर सोलर जल ऊष्मकों को लगाया जा रहा है।
प्रश्न 14. सौर ऊर्जा तापन युक्तियों के अवगुण बताइए। .
उत्तर- सभी सौर तापन युक्तियों का एक प्रमुख अवगुण यह है कि इनकी दिशा थोड़ी-थोड़ी देर बाद बदलनी पड़ती है जिससे कि इन पर सूर्य का प्रकाश सीधा पड़े। आजकल ऐसी व्यवस्था की गई है कि ये स्वयं धीरे-धीरे घूमती रहें और इन पर सूर्य का प्रकाश पूरे दिन गिरता रहे। रात के समय सौर ऊर्जा उपलब्ध न होने के कारण इन सौर तापन युक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता। दिन में आसमान में बादल छा जाने के कारण इन सौर तापन युक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 15. अर्द्धचालक क्या हैं? इनकी चालकता किस प्रकार बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर- अर्धचालक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें सामान्यतया विद्युत का प्रवाह नहीं हो सकता है। सिलिकॉन, जर्मेनियम आदि अर्धचालकों के उदाहरण हैं। विद्युतरोधियों की तुलना में अर्धचालकों में कुछ सीमा तक विद्युत का चालन सम्भव है। अर्धचालकों में कुछ अपद्रव्य (अशुद्धि) मिला देने पर उनकी चालकता बहुत अधिक बढ़ जाती है।
प्रश्न 16. सामान्यतया प्राकृतिक गैस कहाँ पाई जाती है? इसको साफ-सुथरा ईंधन क्यों कहते हैं?
उत्तर- प्राकृतिक गैस मुख्यतः मीथेन होती है जो कि खनिज तेल के साथ उपस्थित होती है। कई स्थानों पर इनके कूप होते हैं। यह भूमि के नीचे पेट्रोलियम के ऊपर पाई जाती है-
- यह गैस आसानी से जलती है तथा इससे ऊष्मा भी उत्पन्न होती है।
- इसके जलाने से कोई धुआँ उत्पन्न नहीं होता और न ही किसी प्रकार की विषैली गैसें निकलती हैं।
- इसके जलाने पर कुछ भी शेष नहीं रहता।
प्रश्न 17. सौर सेल महँगे क्यों होते हैं? इनका उपयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है?
उत्तर- सौर सेल निर्माण हेतु सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है। प्रकृति में सौर सेलों को बनाने में उपयोग होने वाले विशिष्ट श्रेणी के सिलिकॉन की उपलब्धता सीमित है। सौर सेलों को परस्पर संयोजित करके पैनेल बनाने में चाँदी का उपयोग किया जाता है जिससे इसकी लागत बढ़ जाती है। उच्च लागत तथा कम दक्षता होने पर भी इनका उपयोग बहुत से वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है। मानव निर्मित उपग्रहों में सौर सेलों का उपयोग प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है। रेडियो, संचार तन्त्रों, टी.वी. रिले केन्द्रों आदि में सौर पैनेल उपयोग किए जाते हैं।
प्रश्न 18. एल.पी.जी. को अच्छा इंधन क्यों समझा जाता है?
उत्तर-
- L.PG का कैलोरी मान अधिक (46kJ/g) है।
- यह गैस धुआँ रहित ज्वाला के साथ जलती है क्योंकि इसमें कोई विषैली गैस उत्पन्न नहीं होती है अर्थात् इससे वायु प्रदुषण नहीं होता है।
- यह ऊष्मा उत्पन्न करने का कम खर्च वाला साधन है।
प्रश्न 19. L.P.G के घटक बताओ। इस ईधन को कोयले से अच्छा क्यों समझा जाता है?
उत्तर- यह द्रवित ब्यूटेन तथा आइसो ब्यूटेन का मिश्रण है। इसके रिसाव का पता लगाने के लिए इथाइल मरकेप्टन (C2H5SH) की थोड़ी सी मात्रा इसमें डाली जाती है।
निम्नलिखित गुणों के कारण इसे उत्तम ईंधन माना जाता है।
- इसमें वाष्पशील न होने वाले पदार्थों की बहुत कम मात्रा होती है।
- इसका ऊष्मीय कैलोरी मान अधिक होता है तथा इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत
निबन्धात्मक प्रश्न [Essay Type Questions]
प्रश्न 1. जल विद्युत संयंत्र किस प्रकार विद्युत का उत्पादन करता है? जल विद्युत संयंत्र के दो लाभ लिखो |
उत्तर – – जल विद्युत संयंत्र गिरते पानी की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। जल विद्युत संयंत्र अधिकतर बाँधों से संबंधित हैं । जल विद्युत उत्पादन के लिए नदियों पर बड़े ऊँचे बाँध बनाकर पानी के बहाव को रोका जाता है तथा पानी को झील के रूप में इकट्ठा कर लिया जाता है तथा बहते पानी की गति स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है l
बाँध में एकत्रित पानी को पाइपों के माध्यम से टरबाइन तक ले जाया जाता है जो बाँध की तली में स्थापित होते हैं। क्योंकि झील में पानी को दोबारा भरा जा सकता है, इसलिए जल शक्ति ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है । टरबाइन विद्युत जनित्र के साथ जुड़ा होता है जो गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देते हैं ।
रूपांतरण को निम्नलिखित प्रकार से दिखाया जा सकता है ।
गतिज ऊर्जा → स्थितिज ऊर्जा → गतिज ऊर्जा → यांत्रिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा
(नदी में बहता पानी) ( बाँध में एकत्रित पानी ) (गिरता हुआ पानी) (टरबाइन)
जल विद्युत के लाभ –
(i) यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।
(ii) यह प्रदूषणरहित है।
प्रश्न 2. एक जैव गैस संयंत्र किस प्रकार कार्य करता है? इसे किसानों के लिए एक वरदान क्यों माना जाता है ?
उत्तर – (a) जैव गैस संयंत्र – यह एक ऐसा संयंत्र होता है जिसमें जैव- मात्रा का अपघटन जैव गैस प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
जैव गैस संयंत्र में हम गाय भैंस का गोबर (जंतु अपशिष्ट) तथा पादप उत्पाद जैसे फसल काटने के पश्चात् बचा भूसा, गली-सड़ी फल सब्जियाँ तथा मलमूत्र का उपयोग किया जाता है । जैव द्रव्यमान का अपघटन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव गैस के उत्पादन के लिए किया जाता है ।
जैव गैस संयंत्र एक गुंबदनुमा संरचना होती है जिसे ईंटों से बनाया जाता है । गोबर तथा पानी का मिश्रण टैंक में बनाकर इसे संपाचित्र में डाला जाता है | संपाचित्र को वायुरूद्ध कर देते हैं, ताकि इसमें वायु प्रवेश न कर सके । अवायवीय सूक्ष्मजीव जैव द्रव्यमान में उपस्थित जटिल कार्बनिक पदार्थों का अपघटन कर सरल पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं । जैव-मात्रा के अपघटन तथा गैस के उत्पादन में कुछ दिन लगते हैं। इसमें मेथैन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसें उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार उत्पादित जैव गैस संपाचित्र के ऊपर गैस टैंक में एकत्रित हो जाती है । जहाँ से इसे उपयोग के लिए पाइप के माध्यम से निकाला जाता है ।
(b ) बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए एक वरदान है क्योंकि
(i) उन्हें अपने घरेलू उपयोग के लिए ईंधन प्राप्त होता है ।
(ii) जैव गैस संयंत्र से जो कर्दम प्राप्त होता है, वह एक अच्छा खाद है जो नाइट्रोजन व फॉस्फोरस से प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है।
प्रश्न 3. पवन – चक्कियाँ क्या हैं? उनकी संरचना तथा कार्य बताइए | पवन ऊर्जा के क्या लाभ हैं? पवन ऊर्जा की दो सीमाएँ बताइए ।
उत्तर –(a) पवन-चक्कियाँ वे उपकरण हैं जो वायु की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं ।
(b) पवन-चक्की की संरचना एक बड़े विद्युत पंखे के समान होती है जिसे किसी ऊँचाई पर मज़बूत सहारे के साथ खड़ा किया जाता है । ।
विद्युत के उत्पादन के लिए पवन चक्की की घूर्णन गति का उपयोग विद्युत जनित्र को घुमाने के लिए किया जाता है । वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए बहुत सारी पवन-चक्कियों को बहुत बड़े क्षेत्र में लगाया जाता है, जिसे पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं ।
(c) पवन ऊर्जा के निम्नलिखित लाभ हैं –
(i) पवन ऊर्जा पर्यावरण मित्र है ।
(ii) यह नवीकरणीय ऊर्जा का एक दक्ष स्रोत है।
(iii) इस पर बार-बार खर्च करने की आवश्यकता नहीं ।
(d) पवन ऊर्जा से हानियाँ –
(i) पवन ऊर्जा फार्म केवल वहीं पर स्थापित किए जा सकते हैं जहाँ पर पवन लगभग पूरा साल चलती या बहती रहती है ।
(ii) पवन चक्की के उपयोगी होने के लिए वायु की न्यूनतम गति 15 km/h होनी चाहिए जो सभी स्थानों पर उपलब्ध नहीं है ।
(iii) ऊर्जा को संचित करने के लिए संचायक सेलों की आवश्यकता पड़ती है ।
(iv) पवन ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए बड़े भू-भाग की आवश्यकता पड़ती है।
(v) इसको स्थापित करने की आरंभिक कीमत बहुत अधिक है।
प्रश्न 4. चित्र की सहायता से बॉक्सनुमा सौर कुकर की संरचना व कार्यविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर – सौर कुकर एक ऐसी युक्ति है जिसका प्रयोग सौर ऊर्जा द्वारा भोजन बनाने के लिए किया जाता है।
बनावट-बॉक्सनुमा सौर कुकर धातु या लकड़ी का एक बक्सा होता है। इसको अंदर से काला किया होता है। ऊष्मा के ह्रास को रोकने के लिए दीवारें मोटी बनाई जाती हैं और उन पर किसी कुचालक पदार्थ का अस्तर लगा दिया जाता है। काँच की एक मोटी प्लेट बक्से को ढकती है। एक समतल दर्पण (परावर्तक) को बक्से के साथ जोड़ा होता है जैसाकि चित्र में दिखाया गया है ।
कार्य-विधि- पकाने वाले भोजन को एक डिब्बे में डालकर बक्से में रखा जाता है और बक्से को काँच की प्लेट से ढक दिया जाता है। सौर कुकर को धूप में रख दिया जाता है। परावर्तक को इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि सूर्य के प्रकाश का बिंब इस पर सीधा पड़े | जब सूर्य का किरण- पुंज परावर्तक पर पड़ता है तो परावर्तक इसको परावर्तित करके काँच की प्लेट पर डालता है। ये किरणें प्लेट को पार करके बक्से की भीतरी काली सतह द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं बक्से का तापमान 2 से 3 घंटे में 100°C से 140°C तक हो जाता है । इस ताप के कारण भोजन पक जाता है।
प्रश्न 5. बॉक्सनुमा सौर कुकर व गोलीय परावर्तक प्रकार के सौर कुकर के बीच अंतर बताओ तथा इनके लाभ तथा हानियाँ लिखो ।
उत्तर – (a) बॉक्स प्रकार का सौर कुकर –
(i) इसमें परावर्तक के रूप में समतल दर्पण का प्रयोग किया जाता. है ।
(ii) इसमें 100°C – 140°C तक तापमान प्राप्त किया जा सकता है ।
(iii) इसे चपाती बनाने तथा खाने को फ्राई करने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है ।
गोलीय परावर्तक प्रकार का सौर कुकर –
(i) इसमें परावर्तक के रूप में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है ।
(ii) इसमें 180°C – 200°C तक का तापमान प्राप्त किया जा सकता है ।
(iii) इसे चपाती बनाने तथा खाना फ्राई करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है ।
(b) लाभ –
(i) ये ऊर्जा के नवीकरण के योग्य स्रोत पर आधारित होते हैं जैसे सौर ऊर्जा ।
(ii) ये भोजन का पोषण मान बनाए रखते हैं ।
(iii) इन्हें ऊर्जा के परंपरागत स्रोत की आवश्यकता नहीं होती और ये प्रदूषकरहित होते हैं ।
हानियाँ –
(i) सौर ऊर्जा बादलों वाले दिन तथा रात को उपलब्ध नहीं होती ।
(ii) खाना पकाने की प्रक्रिया धीमी है ।
(iii) सभी प्रकार की खाना बनाने की प्रक्रिया इनके द्वारा संभव नहीं है ।
प्रश्न 6. सौर – सेल की बनावट का वर्णन करें। यह किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
उत्तर- सिद्धांत – अर्द्धचालक के संगम पर जब विकिरण आपतित होती है, तब उसमें प्रकाश का प्रभाव पैदा होता है ।
बनावट- सौर-सेल एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा सौर ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। सैलेनियम जैसे अर्द्धचालक की किसी पतली परत को सौर प्रकाश में रखने पर विद्युत उत्पन्न की जाती है। यह आपतित सौर ऊर्जा का केवल 0.7% ही विद्युत् में परिवर्तित कर सकता है। सैलेनियम से निर्मित सौर-सेल की दक्षता कम होने के कारण आजकल सौर सेल सिलिकन, जरमेनियम तथा गैलियम जैसे अर्द्धचालकों से तैयार किए जाते हैं। इनकी दक्षता अधिक होती है। अर्द्धचालकों की पतली परतें इस प्रकार व्यवस्थित की जाती हैं कि जब इन पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो अर्द्धचालक पदार्थ के दो भागों में विभवांतर उत्पन्न हो जाता है जिससे विद्युत धारा उत्पन्न होती है । एक सौर सेल से कम विद्युत उत्पन्न होती है, इसीलिए कई सौर-सेलों को एक निश्चित क्रम में जोड़कर उच्च शक्ति की विद्युत उत्पन्न की जा सकती है। सेलों के इस समूह को सौर पैनल कहते हैं।
सौर- सेल विद्युत के स्वच्छ, प्रदूषण रहित और पर्यावरण हितैषी स्रोत हैं और एक लाभ यह है कि उनका कहीं भी विद्युत के स्वयं-उत्पादक स्रोत की भांति उपयोग किया जा सकता है। फिर भी, वर्तमान में सौर-सेलों का केवल सीमित उद्देश्यों के लिए उपयोग हो रहा है जिसका मुख्य कारण इन्हें संस्थापित करने के लिए उच्च लागत की आवश्यकता है।
प्रश्न 7. ऊर्जा के उन रूपों के नाम लिखिए जिनमें महासागरों में संचित ऊर्जा स्वयं को प्रकट करती है। इनमें से किसका OTEC प्रणाली में उपयोग होता है ?
उत्तर – पृथ्वी तल का लगभग 70.4 प्रतिशत भाग महासागरों द्वारा घिरा है । महासागर सौर ऊर्जा के विशाल संग्राहक हैं । यह ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के रूप में उपलब्ध हो सकती है । महासागर का अथाह जल न केवल सौर ऊर्जा का विशाल संग्राहक है अपितु इसमें अथाह भंडारण क्षमता भी है । महासागर में ऊर्जा अनेक रूपों में उपलब्ध है –
(i) ज्वारीय ऊर्जा – महासागरों के तट के अनुदिश जल स्तर का प्रतिदिन चढ़ना-उतरना ज्वार-भाटा कहलाता है। प्रत्येक पूर्णमासी व अमावस्या को उच्च ज्वार आता है जिससे जल स्तर कुछ मीटर तक उठ सकता है। ज्वार-भाटे में पानी के चढ़ने व गिरने से अर्जित ऊर्जा को ज्वारीय ऊर्जा कहा जाता है । इस ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।
(ii) तरंग ऊर्जा- महासागरों की सतह पर बहती हुई पवन जल-तरंगों में परिवर्तित हो जाती है। जल-तरंगों के अनुदिश गति करती हुई जल की विशाल मात्रा में उच्च परिमाण में गतिज ऊर्जा निहित होती है। यह महासागरीय ऊर्जा का एक रूप है जिसमें ऊर्जा स्वयं को प्रकट करती है । तरंग – ऊर्जा द्वारा व्यापारिक स्तर पर विद्युत उत्पन्न करने के लिए कई प्रकार की युक्तियों का विकास किया गया है ।
(iii) सागरीय तापीय ऊर्जा – महासागर की सतह के जल तथा गहराई में स्थित जल के ताप में सदैव कुछ अंतर होता है। कई स्थानों पर यह अंतर 20°C तक भी हो सकता है । इस रूप में उपलब्ध ऊर्जा को सागरीय तापीय ऊर्जा कहते हैं । सागरीय तापीय ऊर्जा को विद्युत् जैसे उपयोगी रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
(iv) लवणीय प्रवणता – दो भिन्न समुद्रों का पानी जहाँ परस्पर मिलता है, वहाँ लवण की सांद्रता भिन्न हो जाती है। लवण सांद्रता की इस भिन्नता को लवणीय प्रवणता कहते हैं । इस परिस्थिति का भी ऊर्जा प्राप्त करने में उपयोग किया जाता है।
(v) सागरीय जैव-मात्रा – सागरीय वनस्पतियाँ अथवा जैव द्रव्यमान ऊर्जा का एक अन्य परोक्ष स्रोत है। विशाल मात्रा में उपलब्ध समुद्री शैवाल भविष्य में कभी समाप्त न होने वाला मैथेन ईंधन उपलब्ध करा सकते हैं । सागर ड्यूटीरियम अर्थात् भारी हाइड्रोजन परमाणु का भी स्रोत है । नियंत्रित रूप में ड्यूटीरियम के नाभिक का संलयन करने के प्रयास किए जा रहे हैं । इन प्रयासों में सफलता मिल जाने पर सागर ऊर्जा के एक ऐसे स्रोत में परिवर्तित हो जाएँगे जो करोड़ों वर्षों तक वर्तमान माँग के अनुसार ऊर्जा उपलब्ध करते रहेंगे ।
OTEC प्रणाली में सागरीय तापीय ऊर्जा का उपयोग होता है ।
प्रश्न 8. (a) सौर सेल क्या होते हैं ?
(b) दो तत्त्वों के नाम बताएँ जिनका प्रयोग सौर सेल बनाने में होता है ।
(c) सौर पैनलों का उपयोग कहाँ पर होता है?
(d) इनके लाभ तथा हानियां लिखें, यदि कोई हो तो ।
उत्तर – (a) सौर सेल वे उपकरण होते हैं जो सौर ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं ।
(b) सौर सेल के निर्माण में निम्नलिखित दो तत्त्वों का प्रयोग किया जाता है –
(i) सिलिकॉन,
(ii) सैलेनियम |
(c) सौर पैनल का उपयोग निम्नलिखित में होता है –
(i) कृत्रिम उपग्रह में,
(ii) अंतरिक्ष अन्वेषण यान में,
(iii) अंतरिक्ष (अड्डे) परीक्षण प्रयोगशाला में,
(iv) दूरस्थ स्थानों पर टी०वी० प्रोग्राम रिले केंद्र में,
(v) ट्रैफिक सिग्नल के रूप में,
(vi) सौर लालटेन में ।
(d) सौर सेल / पैनलों के लाभ –
(i) ये ही अकेले उपकरण होते हैं जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं ।
(ii) ये ऊर्जा के असमाप्य स्रोत पर आधारित होते हैं ।
(iii) इनकी दक्षता बहुत अधिक (25% ) होती है ।
सौर सेल / पैनलों के दोष –
(i) उनके उत्पादन की लागत अधिक होती है ।
(ii) हमें ऊर्जा संचित करने के लिए संचायक बैटरियों की आवश्यकता पड़ती है ।
(iii) ये रात के समय या बादलों वाले दिन चार्ज नहीं होते।
प्रश्न 9. नाभिकीय रिएक्टर के मुख्य घटक कौन-से हैं तथा उनके कार्यों का वर्णन करें ।
उत्तर – नाभिकीय रिएक्टर एक संयंत्र / उपकरण होता है जिसमें नाभिकीय विखंडन शृंखला अभिक्रिया को न्यूट्रॉनों की संख्या नियंत्रित करके नियंत्रित किया जा सकता है। इसे परमाणु रिएक्टर भी कहते हैं। इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं –
1. कवच – नाभिकीय विकिरणों को लीक होने से रोकने के लिए नाभिकीय रिएक्टर के चारों ओर कंकरीट की एक दीवार होती है जिसे कवच कहते हैं । यह नाभिकीय रिएक्टर के आसपास कार्य करने वाले लोगों को विकिरणों से बचाती है।
2. ईंधन- वह पदार्थ जिसका विखंडन करवाया जाता है उसे ईंधन कहते हैं । ईंधन के रूप में इसमें 235U या 239Pu का उपयोग किया जाता है। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यूरेनियम में 235U की बहुत कम मात्रा होती है । 235U की मात्रा बढ़ाने की प्रक्रिया को सांद्रण कहते हैं ।
3. मंदक – वे पदार्थ जिनका उपयोग तेज गतिशील न्यूट्रॉनों की गति को कम करने के लिए किया जाता है, उन्हें मंदक कहते हैं। ग्रेफाइट, कैडमियम की छड़ें तथा भारी पानी का उपयोग मंदक के रूप में किया जाता है।
4. नियंत्रक छड़ें – कैडमियम तथा बोरॉन की छड़ों का प्रयोग नाभिकीय अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रक छड़ों के रूप में किया जाता है । ये छड़ें न्यूट्रॉनों को अवशोषित कर लेती हैं। अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए छड़ों को अंदर या बाहर निकाला जाता है ।
5. शीतलक- नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया में ऊर्जा की बहुत अधिक मात्रा निकलती है। इसे अवशोषित करने के लिए एक तरल पदार्थ का उपयोग किया जाता है । इस पदार्थ को शीतलक कहते हैं । तरल सोडियम, पानी या वायु को शीतलक के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
नाभिकीय रिएक्टर से विद्युत ऊर्जा का उत्पादन – ईंधन छड़ों को अंदर डालने के पश्चात्, उन पर धीमी गति के न्यूट्रॉनों की बौछार की जाती है । कैडमियम या बोरोन की छड़ों को धीरे-धीरे बाहर की ओर खींचा जाता है । इस प्रकार अभिक्रिया को नियंत्रित किया जाता है। विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग पानी को भाप में बदलने के लिए किया जाता है। भाप के अधिक दबाव के कारण टरबाइनें चलाई जाती हैं, जो विद्युत का उत्पादन करती हैं ।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 14 उर्जा के स्रोत
महत्त्वपूर्ण प्रायोगिक क्रियाकलाप
प्रयोग 1. प्रातःकाल सोकर उठने से विद्यालय पहुँचने तक आप जिन ऊर्जाओं का उपयोग करते हैं, उनमें से ऊर्जा के किन्हीं चार रूपों की सूची बनाइए ।
प्रतिक्रिया –
(i) विद्युत ऊर्जा : हम विद्युत ऊर्जा जल विद्युत प्रोजैक्ट (भाखड़ा बाँध) से प्राप्त करते हैं ।
(ii) पेशीय ऊर्जा : पेशीय ऊर्जा हम जैव- मात्रा से प्राप्त करते हैं – जो पादप या जंतु उत्पाद हम खाते हैं ।
(iii) रासायनिक ऊर्जा : जीवाश्मी ईंधनों जैसे पेट्रोल से ।
(iv) ऊष्मीय ऊर्जा : सूर्य से तथा रसोई में ईंधन के उपयोग से ।
प्रयोग 2. उन विभिन्न विकल्पों पर विचार कीजिए जो भोजन पकाने के लिए ईंधन का चयन करते समय हमारे पास होते हैं। किसी ईंधन को अच्छे ईंधन की श्रेणी में रखने का प्रयास करते समय आप किन मापदंडों पर विचार करेंगे ?
प्रतिक्रिया : भोजन पकाने के लिए ईंधन का चयन करते समय हम निम्नलिखित विकल्पों पर विचार करेंगे –
(i) इसकी उपलब्धता / प्राप्ति
(ii) ऊष्मीय मान
(iii) इसके दहन के उत्पाद
(iv) इसके दहन की दर
(v) इसके दहन से यदि कोई हानिकारक गैस उत्पन्न होती है या नहीं ।
इस उद्देश्य के लिए LPG उत्तम है । प्राकृतिक गैस भी उद्देश्य की पूर्ति कर सकती है ।
हमारी पसंद भिन्न रही होती यदि हम –
(a) वन – ईंधन लकड़ी
(b) किसी सुदूर पर्वतीय ग्राम अथवा छोटे द्वीप पर – ईंधन लकड़ी
(c) नई दिल्ली में – LPG तथा CNG
(d) पाँच शताब्दियों पहले – लकड़ी या कोयला
प्रत्येक परिस्थिति में यह भिन्न रही होती क्योंकि ईंधन का चयन उसकी उपलब्धता तथा उसके उपयोग की उपलब्ध तकनीक पर निर्भर करता है ।
प्रयोग 3. तापीय विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया को प्रदर्शित कीजिए ।
आवश्यक सामग्री: प्रैशर कुकर, गैस स्टोव, टेनिस गेंद, धातु के ब्लेड, डायनेमो, संपर्क तार, विद्युत बल्ब, आदि ।
विधि –
(i) एक टेनिस गेंद लीजिए तथा इसमें तीन झिरियाँ बनाइए ।
(ii) धातु की चादर से अर्धवृत्ताकार पंखुड़ियाँ काटिए तथा इन्हें बॉल की झिर्रियों में लगाइए ।
(iii) धातु का एक सीधा तार लेकर इसे बॉल के केंद्र से होकर गुजारिए तथा तार को धुरी की भाँति प्रयोग करके बॉल को कीलकित कीजिए | यह सुनिश्चित कीजिए कि बॉल धुरी पर मुक्त रूप से घूर्णन करे ।
(iv) इसके बाद, इसके साथ एक साइकिल डायनेमो जोड़िए ।
(v) डायनेमो के साथ एक टॉर्च- बल्ब संयोजित कीजिए ।
(vi) पंखुड़ियों पर प्रैशर कुकर में उत्पन्न भाप डालिए तथा अवलोकन कीजिए ।
अवलोकन-बल्ब जलने लगता है।
परिणाम / निष्कर्ष-रोटर ब्लेड व्यवस्था द्वारा भाप की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है, फिर जिसे डायनेमों द्वारा विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है । परिणामस्वरूप बल्ब जलने लगता है ।
प्रयोग 4. अपने दादा-दादी अथवा अन्य वयोवृद्धों से यह पता लगाइए कि वे –
(a) अपने विद्यालय में किस प्रकार जाते थे ?
(b) अपने बचपन में दैनिक आवश्यकताओं के लिए जल कैसे प्राप्त करते थे ?
(c) मनोरंजन कैसे करते थे ?
उपर्युक्त की तुलना आज की स्थिति से कीजिए ।
प्रतिक्रिया – (a) वे स्कूल पैदल जाते थे ।
(b) वे पीतल या तांबे के बर्तन में कुएँ से पानी लेकर आते थे ।
(c) केवल रेडियो/ ट्रांजिस्टर ही उपलब्ध थे ।
लेकिन आज हम ऑटो रिक्शा में विद्यालय जाते हैं। हम नगरपालिका या स्वास्थ्य विभाग द्वारा वितरित पानी नल के माध्यम से प्राप्त करते हैं। मनोरंजन के अनेक साधन; जैसे टी०वी०, सिनेमा, इंटरनेट आदि उपलब्ध हैं।
हाँ, वर्तमान स्थितियाँ प्राचीन समय से बहुत ही भिन्न हैं, विशेषकर ऊर्जा के संदर्भ में हम आजकल बहुत अधिक ऊर्जा खर्च करते हैं। जीवन बहुत अधिक ऊर्जा पर आधारित हो गया है।
प्रयोग 5. सिद्ध कीजिए कि काला रंग ऊष्मा का अच्छा अवशोषक होता है।
आवश्यक सामग्री-दो शंक्वाकार फलास्क, सफेद तथा काला कागज।
विधि –
(i) दो शंक्वाकार फ्लास्क लीजिए। इनमें से एक को काला तथा दूसरे को सफेद पेंट कीजिए दोनों को पानी से भर लीजिए ।
(ii) इन शंक्वाकार फ्लास्कों को एक से डेढ़ घंटे तक सीधे धूप में रखिए ।
(iii) दोनों फ्लास्कों को स्पर्श कीजिए। इनमें से कौन-सा अधिक गर्म है, अवलोकन करें ।
(iv) दोनों फ्लास्कों के जल के ताप को तापमापी से मापिए ।
अवलोकन-काले पेंट वाला फ्लास्क अधिक गर्म है ।
अवलोकन-काले फ्लास्क का तापमान सफेद फलास्क की अपेक्षा अधिक है।
निष्कर्ष – काला रंग ऊष्मा का अच्छा अवशोषक है ।
प्रयोग 6. एक सौर कुकर या सौर जल ऊष्मक बनाइए और सोचिए कि आप इसकी दक्षता को किस प्रकार बढ़ा सकते हैं?
विधि –
(i) एक दोहरी भित्ति का धातु का बॉक्स लें ।
(ii) इसे अंदर से काला पेंट करें ।
(iii) इसे काँच की पट्टी से ढक दें ।
(iv) इसके साथ 45° कोण पर एक समतल दर्पण फिट करें ताकि यह सौर विकिरणों को अंदर की ओर परावर्तित कर सके ।
इसकी दक्षता बढ़ाने के उपाय –
(i) बॉक्स को सभी दिशाओं से सील कर दें ।
(ii) समतल दर्पण के स्थान पर, ऊष्मा विकिरणों को एक बिंदु पर केंद्रित करने के लिए अवतल दर्पण का प्रयोग करें।
सौर तापन युक्तियाँ जैसे सौर कुकर, सौर जल ऊष्मक प्रयोग करने के लाभ –
(i) ये ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत पर आधारित हैं ।
(ii) सौर ऊर्जा प्रयोग करने के लिए हमें कुछ खर्च नहीं करना पड़ता ।
(iii) ये सस्ते तथा प्रदूषणरहित उपकरण हैं ।
सौर तापन युक्तियों की हानियाँ –
(i) इन्हें 24 घंटे उपयोग में लाना संभव नहीं है l
(ii) इनकी दक्षता तथा दर बहुत ही कम होती है ।
(iii) इन्हें सभी प्रकार के आहार को पकाने तथा गर्म करने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
प्रयोग 7.
(a) महासागरीय तापीय ऊर्जा, पवनों तथा जैव-मात्रा की ऊर्जाओं का अंतिम स्रोत क्या है?
(b) क्या इस संदर्भ में भूतापीय ऊर्जा तथा नाभिकीय ऊर्जा भिन्न हैं? क्यों ?
(c) आप जल विद्युत ऊर्जा तथा तरंग ऊर्जा को किस श्रेणी में रखेंगे ?
प्रतिक्रिया –
(a) महासागरीय तापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा जैव-मात्रा का अंतिम स्रोत सूर्य है ।
(b) इस संदर्भ में भूतापीय ऊर्जा तथा नाभिकीय ऊर्जा भिन्न हैं। इन दोनों की ऊर्जाएँ रेडियोऐक्टिवता पर निर्भर करती हैं ।
(c) जल विद्युत ऊर्जा तथा तरंग ऊर्जा का स्रोत सूर्य (सौर ऊर्जा) ही है।
प्रयोग 8. प्रत्येक ऊर्जा स्रोत के लाभ तथा हानियों पर वाद-विवाद कीजिए तथा इस आधार पर ऊर्जा का सर्वोत्तम स्रोत चुनिए ।
प्रतिक्रिया –
(i) औद्योगिक ईंधन के रूप में हाइड्रोजन उत्तम ईंधन है।
(ii) LPG उत्तम घरेलू ईंधन है।
(iii) CNG उत्तम परिवहन / यातायात ईंधन है।
प्रयोग 9.
(a) यह कहा जाता है कि अनुमानतः कोयले के भंडार आने वाले दो सो वर्ष के लिए पर्याप्त हैं क्या इस प्रकरण में हमें चिंता करने की आवश्यकता है कि हमारे कोयले के भंडार रिक्त होते जा रहे हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
(b) ऐसा अनुमान है कि सूर्य आगामी 5 बिलियन वर्ष तक जीवित रहेगा। क्या हमें यह चिंता करनी चाहिए कि सौर ऊर्जा समाप्त हो रही है? क्यों और क्यों नहीं ?
(c) वाद-विवाद के आधार पर यह निर्णय लीजिए कि कौन-सा ऊर्जा स्रोत
(i) समाप्य है, (ii) अक्षय है, (iii) नवीकरणीय है, (iv) अनवीकरणीय है ?
प्रतिक्रिया –
(a) हाँ, नहीं तो कोयला शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा ।
(b) नहीं, हमें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 5 बिलियन वर्ष बहुत ही लंबा समय होता है जो हमारी कल्पना से परे है।
(c) (i) समाप्य स्रोत – कोयला
(ii) असमाप्य स्रोत –सौर ऊर्जा/सूर्य
(iii) नवीकरणीय स्रोत – कोयला तथा सूर्य में से कोई भी नहीं
(iv) अनवीकरणीय स्रोत दोनों, कोयला तथा सूर्य ।
Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 14 उर्जा के स्रोत
→ ऊर्जा (Energy)-किसी वस्तु द्वारा कार्य करने की क्षमता को उसकी ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा के विविध रूप होते हैं, ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
→ विद्युत के उपकरणों को चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा तथा शारीरिक कार्यों के लिए पेशीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
→ प्राचीनकाल में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में लकड़ी का प्रयोग होता था, पवन और बहते हुए जल की ऊर्जा का भी थोड़ा बहुत प्रयोग होता था।
→ कोयले के उपयोग के द्वारा औद्योगिक क्रान्ति हुई, ऊर्जा की बढ़ती माँग की पूर्ति जीवाश्मी ईंधन, कोयला और पेट्रोलियम पदार्थों के माध्यम से की जाने लगी।
→ जीवाश्म (Fossils)-जीव जन्तुओं व पेड़ पौधों के अवशेष जो लाखों वर्षों से पृथ्वी के अन्दर दबे हुए हैं जीवाश्म कहलाते हैं। जीवाश्मी ईधन को जलाने से अनेक प्रकार का प्रदूषण होता है। |
→ विद्युत संयंत्रों में विशाल मात्रा में जीवाश्मी ईधन को जलाकर जल को गर्म करके भाप बनाई जाती है जिसके द्वारा टरबाइनों को घुमाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है।
→ हमारी ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए हमें ऊर्जा के उपयोग की दक्षता में सुधार का प्रयास करना चाहिए। साथ ही हमें ऊर्जा के नए वैकल्पिक स्रोतों का परीक्षण तथा उनका प्रयोग करना चाहिये। हमारे पारंपरिक ऊर्जा स्रोत, जैसे-जीवाश्मी ईंधन अत्यन्त सीमित हैं और शीघ्र ही समाप्त हो जाएँगे। जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। जीवाश्मी ईंधन को जलाने से कम ऊष्मा और अधिक धुआँ उत्पन्न होता है। चारकोल अधिक ऊष्मा उत्पन्न कर बिना ज्वाला के जलता है तथा धुआँ भी कम देता है।
→ जैव मात्रा (Bio-mass)-जन्तु एवं पौधों से प्राप्त ऐसे उत्पाद जिनका प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाता है जैव मात्रा कहलाते हैं। बायो गैस (Bio gas)—जैव मात्रा के विघटन से उत्पन्न गैस जैव गैस या बायो गैस कहलाती है। बायोगैस को प्रायः गोबर गैस कहते हैं। इसमें 75% मीथेन गैस होती है। जैव गैस संयंत्र से उप-उत्पाद के रूप में स्लरी निकलती है जो एक उत्तम कोटि की खाद है जिसमें प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस होती है।
→ पवन ऊर्जा का उपयोग पवन चक्कियों द्वारा यांत्रिक कार्यों को करने में होता है। जिस स्थान पर अनेक पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं उस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।
→ सौर ऊर्जा, असीमित ऊर्जा का एक विशाल वैकल्पिक स्रोत है। सौर ऊर्जा का एक बहुत छोटा हिस्सा ही पृथ्वी के वायुमण्डल की बाहरी परत तक पहुँच पाता है। इसका लगभग आधा भाग वायुमण्डल से गुजरते समय अवशोषित हो जाता है तथा शेष भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है। हमारा देश प्रतिवर्ष 5000 ट्रिलियन किलोवॉट घण्टा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है।
→ पृथ्वी के किसी क्षेत्र में प्रतिदिन प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा का औसत परिमाप 4 से 7 kWh/m2, के बीच होता है।। सौर कुकर, सौर जल तापक, सौर सैल, सौर पैनल आदि सभी सूर्य की ऊर्जा पर आधारित यन्त्र हैं। जिनका प्रयोग विद्युत उत्पादन तथा अन्य उपयोगी कार्यों में होता है। सौर सैल बनाने के लिए सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है।।
→ ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, सागरीय तापीय ऊर्जा के पूर्ण व्यापारिक दोहन में कुछ कठिनाइयाँ हैं। महासागरों की ऊर्जा की क्षमता अति विशाल है।
→ महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal energy)-सूर्य के प्रकाश की गर्मी से सागर के जल में तापान्तर से प्राप्त ऊर्जा महासागरीय तापीय ऊर्जा कहलाती है।
→ तप्त स्थल (Hot spots)-भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भू पर्पटी की गहराइयों में तप्त क्षत्रों में पिघली चट्टानें ऊपर धकेल दी जाती हैं जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो जाती हैं। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं।
→ नाभिकीय विखण्डन (Nuclear Fission)-किसी बड़े नाभिक का दो छोटे नाभिकों में विखण्डित होना नाभिकीय विखण्डन कहलाता है। इसमें अपार ऊर्जा मुक्त होती है।
→ हमारे देश में विद्युत उत्पादन क्षमता की केवल 3% आपूर्ति नाभिकीय विद्युत संयंत्रों से होती है। विकसित देश अपनी आवश्यकता की 30% से भी अधिक विद्युत शक्ति की आपूर्ति नाभिकीय विद्युत सयन्त्रों से कर रहे हैं।
→ तारापुर, राणाप्रताप सागर, कलपक्कम, नरौरा, काकरापार तथा कैगा में हमारे देश के नाभिकीय विद्युत संयंत्र स्थापित हैं।
→ प्राकृतिक पर्यावरण में नवीकरणीय ऊर्जा बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। इसके भंडार असीमित हैं तथा भंडार खाली होने की बात व्यावहारिक दृष्टि से नगण्य है।