Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
HBSE 10th Class Science नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Questions and Answers
अध्याय संबंधी महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ/शब्दावली ||
HBSE 10th Class Science नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अन्तर है ?
उत्तर- प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच अन्तर-
प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action) | टहलना (Walking) |
1. वे क्रियाएँ जिन्हें हम अपनी इच्छानुसार नहीं कर सकते प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहलाती हैं। | वे क्रियाएँ जिन्हें हम अपनी इच्छानुसार कर सकते हैं ऐच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं अतः टहलना एक ऐच्छिक क्रिया है। |
2. यह क्रिया मेरुरज्जु द्वारा नियन्त्रित होती हैं। | यह मस्तिष्क द्वारा नियन्त्रित होता है। |
प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्गंथन (सिनेप्स) में क्या होता है ?
उत्तर- तंत्रिका तंत्र में तंत्रिका कोशिकाएँ आपस में जुड़कर शृंखलाएँ बनाकर सूचनाओं का प्रेषण करती हैं। दो र तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) पर न्यूरॉन के तंत्रिकाक्ष (axon) का घुण्डीनुमा अन्तिम छोर । दूसरी न्यूरॉन के डेन्ड्राइट के साथ सन्धि बनाता है।
“निकटवर्ती तंत्रिका कोशिकाओं की जोड़ी के बीच अति सूक्ष्म रिक्त स्थान जिसके पार तंत्रिका आवेगों को जब एक तंत्रिका कोशिका से अगली तंत्रिका कोशिका को जाने पर, आगे बढ़ाया जाता है, अंतर्ग्रथन कहलाता है।” अंतर्ग्रथन वास्तव में एकलमार्ग वाल्वों की तरह कार्य करते हैं। कारण यह है कि सन्धि स्थल पर रासायनिक पदार्थ केवल एक तरफ उपस्थित होता है। इसके कारण न्यूरॉन के एक विशिष्ट सेट के द्वारा तंत्रिका आवेग केवल एक तरफ से ही पार जा सकते हैं।
प्रश्न 3. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा सन्तुलन का अनुरक्षण करता है ?
उत्तर- पश्च मस्तिष्क (Hind brain) का अनुमस्तिष्क (Cerebellum) भाग हमारे शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है।
प्रश्न 4. हम एक अगरबत्ती की गन्ध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर- हम अगरबत्ती की गंध का पता नासिका में स्थित घ्राण संवेदांगों (Olfactory receptors) द्वारा लगाते हैं। गंध ज्ञान का केन्द्र हमारे मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क भाग में स्थित होता है।
प्रश्न 5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका
उत्तर- सामान्यतः दैहिक प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियन्त्रित की जाती हैं तथापि मध्य मस्तिष्क सिर, गर्दन एवं धड़ की प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियन्त्रण करता है। यह नेत्र पेशियों (eye muscles); आइरिस पेशियों के संकुचन व शिथिलन, नेत्र लेंस की फोकस दूरियों में परिवर्तन आदि क्रियाओं को भी नियन्त्रित करता है। पश्च मस्तिष्क का मस्तिष्क पुच्छ (Medulla oblongata) हृदय स्पंदन, श्वास दर, खाँसना, छींकना, लार स्रवण, रुधिर दाब, वमन, पसीना आना आदि क्रियाओं का नियमन करता है।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 136)
प्रश्न 1. पादप हॉर्मोन्स क्या हैं ?
उत्तर- पौधों में उत्पन्न विशेष प्रकार के कार्बनिक पदार्थ जो पौधों की वृद्धि, विकास एवं अनुक्रियाओं का नियमन करते हैं, पादप हॉर्मोन्स (Phyto hormones) कहलाते हैं। इन्हें वृद्धि नियामक (Growth regulators) भी कहते हैं। पौधों में पाँच प्रकार के पादप हॉर्मोन्स पाए जाते हैं- ऑक्सिन्स, जिब्रेलिन्स, साइटोकाइनिन्स, एब्सीसिक अम्ल तथा इथाइलीन ।
प्रश्न 2. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर- छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति एक अनुकुंचन (Nastic) गति है। इसे स्पर्शानुकुंचन (Thigmonasty) कहते हैं और यह उद्दीपन की दिशा से प्रभावित नहीं होती है।
इसके विपरीत प्रकाश की ओर प्ररोह की गति अनुवर्तन (Tropic) गति है। इसे प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) कहते हैं और इस पर उद्दीपन की दिशा का प्रभाव होता है।
प्रश्न 3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर- ऑक्सिन (Auxin)।
प्रश्न 4. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर- प्रतान (Tendril) स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism) गति प्रदर्शित करता है अर्थात् यह स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है। प्रतान जैसे ही किसी आधार के सम्पर्क में आता है इसमें स्थित ऑक्सिन स्पर्श के दूसरी ओर विसरित हो जाता है जिससे दूसरी ओर की कोशिकाएँ अधिक विवर्धन करने लगती हैं और प्रतान विपरीत दिशा में मुड़ता है। इस प्रकार वह सहारे के चारों ओर लिपट जाता है।
प्रश्न 5. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर- जलानुवर्तन का प्रदर्शन (Demonstration of Hydrotropism)- नमी के कारण होने वाली पादप गति को जलानुवर्तन कहते हैं। इस प्रकार की गति उच्च श्रेणी के पौधों की जड़ों, ब्रायोफाइट्स के मूलाभास, कवकों के हाइफा आदि में देखने को मिलती है। प्रयोग के लिए एक हम काँच की दो द्रोणिकाएँ A और B लेते हैं और प्रत्येक में 3-4 सेमी मोटी मृदा की सतह बिछाते हैं। दोनों द्रोणिकाओं में समान किस्म का एक-एक बीज बोते हैं और बीज उगने तक बराबर पानी छिड़कते हैं। अब द्रोणी A में एक समान जल देते हैं जबकि द्रोणी B में जल से भरा सछिद्र बर्तन चित्रानुसार रखते हैं।
हम देखते हैं कि द्रोणी A के पौधे की जड़ सीधी रहती है, जबकि द्रोणी B के पौधे की जड़ पानी से भरे बर्तन की ओर मुड़ जाती है। इससे स्पष्ट है कि जड़ें जलानुवर्तन गति प्रदर्शित करती हैं।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 139)
प्रश्न 1. जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर- जन्तुओं में रासायनिक समन्वय (Chemical Coordination) अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स द्वारा होता है। ये हार्मोन्स विशिष्ट ग्रन्थियों से स्रावित होकर रासायनिक संदेशवाहकों के रूप में लक्ष्य कोशिकाओं में पहुँचकर उनके कार्यों पर नियन्त्रण एवं समन्वयन करते हैं। हॉर्मोन्स द्वारा क्रियाओं का मंद गति से नियमन होता है।
प्रश्न 2. आयोडीन युक्त नमक खाने की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर- अवटुग्रन्थि अथवा थायरॉइड ग्रन्थि द्वारा थायरॉक्सिन के निर्माण के लिए आयोडीन आवश्यक है। थायरॉक्सिन हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का नियन्त्रण करता है जिससे वृद्धि के लिए उत्कृष्ट सन्तुलन उपलब्ध कराया जा सके। यदि भोजन में आयोडीन की कमी हो जाती है तो थायरॉक्सिन के निर्माण में कमी आ जाती है। इसके कारण थायरॉइड ग्रन्थि फूल जाती है जिसे घेघा (goiter) रोग कहते हैं। इस बीमारी का एक लक्षण फूली हुई गर्दन है।
प्रश्न 3. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर- एड्रीनलीन (adrenaline) को “आपातकालीन हॉर्मोन’ भी कहते हैं क्योंकि भय, क्रोध अथवा संकट की अवस्था में यह हॉर्मोन ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए शरीर को तुरन्त तैयार करता है। ऐसी स्थिति में एड्रीनल ग्रन्थि में काफी मात्रा में एड्रीनलीन का स्रावण होता है।
इससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि शरीर की पेशियों को अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध हो सके। पाचन तंत्र एवं त्वचा में रुधिर आपूर्ति कम हो जाती है। रुधिर की दिशा कंकाल पेशियों की ओर हो जाती है। पसलियों तथा डायफ्राम की पेशियों में तीव्र गति होने लगती है जिससे श्वास दर बढ़ जाती है। ये सभी क्रियाएँ मिलकर जन्तु शरीर को संकट की स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।
प्रश्न 4. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इन्सुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर- इन्सुलिन हॉर्मोन अग्न्याशय में स्थित लैंगरहँस की B कोशिकाओं से स्रावित होता है। यह रुधिर में शर्करा की मात्रा का नियमन करता है। यदि इन्सुलिन का स्रावण उचित मात्रा में नहीं होता है तो रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है इससे शरीर पर हानिकारक प्रभाव होने लगते हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए मधुमेह रोगी को इन्सुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं।
HBSE 10th Class Science नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन सा पादप हॉर्मोन है –
(a) इन्सुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) सायटोकाइनिन।
उत्तर- (d) सायटोकाइनिन।
प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य खाली स्थान को कहते हैं –
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्सॉन
(d) आवेग।
उत्तर- (b) सिनेप्स।
प्रश्न 3. मस्तिष्क उत्तरदायी है –
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का सन्तुलन बनाने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों, क्या समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं ?
उत्तर- शरीर में स्थित संवेदांग (Sensory receptors) शरीर के भीतरी एवं बाहरी वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का अनुभव करके संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को पहुँचा देते हैं। ये संवेदांग ग्राही कहलाते हैं। गन्ध का ज्ञान घ्राणग्राही द्वारा, स्वाद का ज्ञान स्वादग्राही द्वारा, स्पर्श का ज्ञान त्वक्ग्राही द्वारा, ध्वनि तथा सन्तुलन का ज्ञान श्रवणोसन्तुलनग्राही द्वारा होता है। जब ग्राही अपना कार्य सामान्य रूप से नहीं करते हैं तो उपर्युक्त संवेदनाओं को ग्रहण नहीं किया जा सकता जिससे कभी-कभी विकराल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
जैसे-गर्म वस्तु पर हाथ पड़ने पर यदि ताप की पीड़ा का उद्दीपन संवेदी तंत्रिका द्वारा केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में प्रेषित नहीं होगा तो व्यक्ति जलकर घायल हो जाएगा। सामान्य स्थिति में प्रतिवर्ती क्रिया के फलस्वरूप गर्म वस्तु पर हाथ पड़ने पर ताप का उद्दीपन संवेदी तंत्रिका द्वारा मेरुरज्जु में पहुँचता है और चालक तंत्रिका द्वारा सम्बन्धित कंकाल पेशी को पहुँचा दिया जाता है। कंकाल पेशी में संकुचन के फलस्वरूप हाथ गर्म वस्तु से हट जाता है।
प्रश्न 5. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- तंत्रिका कोशिका की संरचना (Structure of Neuron) –
(1) केन्द्रक (Nucleus) केन्द्रक तंत्रिका कोशिका का केन्द्र होता है। यह तंत्रिका कोशिका को कार्य करने के निर्देश देता है एवं सभी प्रकार के संदेशों का वहन इसकी सहायता से ही होता है।
(2) कोशिकाकाय (Cell Body)-यह केन्द्र के चारों ओर बना होता है। इसका कार्य केन्द्रक की सुरक्षा करना होता है।
(3) दुमिका (Dendrite)-दूमिका, तंत्रिका कोशिका के सिरे पर बनी होती है, इसका कार्य तंत्रिका से जुड़ने का होता है।
(4) तंत्रिकाक्ष (Axon)-इसका कार्य पिछली तंत्रिका के अन्तिम सिरे से प्राप्त संदेश को उसके केन्द्रक तक पहुँचाना होता है।
तंत्रिका कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती है
(i) संवेदी तंत्रिकोशिका-संवेदनाओं को शरीर के विभिन्न भागों से मस्तिष्क की ओर ले जाती है।
(ii) प्रेरक तंत्रिकोशिका-यह मस्तिष्क से आदेशों को पेशियों तक ले जाती हैं।
(iii) बहुध्रुवी तंत्रिकोशिका-यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की ओर तथा मस्तिष्क से पेशियों की ओर ले जाती है।
तंत्रिका कोशिका के कार्य-
- तंत्रिका कोशिका आपस में मिलकर श्रृंखलाएँ बनाती हैं। ये उद्दीपन और प्रेरणाओं को विद्युत् आवेश के रूप में द्रुत गति से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाती हैं जिससे क्रियाएँ तुरन्त सम्पन्न हो जाती हैं। .
- तंत्रिका कोशिका का अन्य कार्य अवचेतन मस्तिष्क से जुड़े रहना भी है गौरतलब है कि अवचेतन मस्तिष्क मनुष्य के जीवन से जुड़ी सभी यादों को सुरक्षित एवं संग्रहित करके रखता है। इस कारण तंत्रिका कोशिका का कार्य अनेकों क्षणों की प्रतिमा पहुँचाना भी है।
प्रश्न 6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर- पादप प्ररोह का प्रकाश की ओर मुड़ना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। प्ररोह में एक पादप हॉर्मोन ऑक्सिन का स्रावण होता है। जब प्ररोह को एक दिशीय प्रकाश मिलता है तो ऑक्सिन प्रकाश की विपरीत दिशा की ओर विसरित हो जाता है। ऑक्सिन के कारण प्रकाश के विपरीत दिशा वाली प्ररोह कोशिकाएँ तीव्र विभाजन करती हैं जिससे पादप प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़ जाता है।
प्रश्न 7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों को आने में व्यवधान होगा?
उत्तर- मेरुरज्जु आघात में प्रतिवर्ती क्रियाएँ तथा अनैच्छिक ‘क्रियाओं के लिए आने वाले संकेतों में व्यवधान होगा।
प्रश्न 8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर- पादप में रासायनिक समन्वय हॉर्मोन्स द्वारा होता है। पादपों में उद्दीपित कोशिकाएँ विभिन्न हॉर्मोन्स का स्रावण करती हैं। विभिन्न हॉर्मोन्स पौधों की वृद्धि, विकास एवं पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वयन में सहायता करते हैं। हॉर्मोन्स का संश्लेषण प्रायः क्रिया क्षेत्र से दूर होता है और इनका स्थानान्तरण विसरण द्वारा होता है।
उदाहरण के लिए, वृद्धि हॉर्मोन पादप प्ररोह के शीर्ष भाग में संश्लेषित होकर विभिन्न भागों में पहुँचता है जो कि कोशिका प्रवर्धन, शीर्ष प्रभावन, जड़ों की वृद्धि में कमी उत्पन्न करता है। इसी प्रकार साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन को उत्प्रेरित करता है। एब्सीसिक अम्ल पतझड़ के मौसम में पर्णविलगन को बढ़ाता है। एथिलीन हॉर्मोन फलों के पकने में सहायता प्रदान करते हैं।
प्रश्न 9. एक जीव में नियन्त्रण एवं समन्वयन के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर- किसी भी जीव को अपने पर्यावरण में स्वयं के अस्तित्व के लिए नियन्त्रण एवं समन्वय की आवश्यकता होती है। सभी पादपों एवं प्राणियों में नियन्त्रण एवं समन्वय की क्षमता पायी जाती है। जीव में नियन्त्रण एवं समन्वय तंत्र की आवश्यकता निम्न दो प्रमुख प्रकार्यों के लिए होती है
1. इससे शरीर के विभिन्न अंग एवं अंगतंत्र एक सुनिश्चित तथा व्यवस्थित तरीके से कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, जब हम भोजन करते हैं तो इस समय हमारे हाथ भोजन लेकर मुँह की ओर आते हैं, घ्राण अंग भोजन की गन्ध लेते हैं, चक्षु भोजन को देखते हैं, दाँत भोजन को चबाते हैं, उसी समय लार स्रावित होती है इत्यादि। ये सभी अंग एवं अंगतंत्र एक नियन्त्रित तरीके से कार्य करते हैं।
2. बहुत सी क्रियाएँ आदतन हो जाती हैं, जैसे-गर्म वस्तु को छूने पर हाथ का दूर छिटकना, काँटा चुभने पर अंग को वापस खींचना आदि। ये क्रियाएँ हमारे मस्तिष्क में विचार आने से पहले ही घट जाती हैं। पौधों में भी ऐसी अनेक क्रियाएँ होती हैं, जैसे प्रतानों का आधार के सहारे लिपटना आदि।
प्रश्न 10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर- अनैच्छिक एवं प्रतिवर्ती क्रियाओं में भिन्नता-
प्रतिवर्ती क्रियाएँ (Reflex Action) | अनैच्छिक क्रियाएँ (Involuntary Action) |
हमारे शरीर में अनेक क्रियाएँ ऐसी होती हैं जो शीघ्र घटित होती हैं और उनका नियन्त्रण मस्तिष्क द्वारा न होकर मेरुरज्जु द्वारा हो जाता है। ऐसी क्रियाओं को प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहते हैं। उदाहरण के लिए, किसी गर्म वस्तु से हाथ छू जाने पर हाथ का पीछे खींचा जाना। | हमारे शरीर में अनेक ऐसी क्रियाएँ भी होती हैं जिनका नियन्त्रण मस्तिष्क द्वारा होता है। ऐसी क्रियाएँ अनैच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं। जैसे, भोजन को देखकर मुँह में लार आना, उल्टी होना आदि। इन क्रियाओं का नियन्त्रण केन्द्र पश्च- मस्तिष्क का मेडुला भाग होता है। |
प्रश्न 11. जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वयन के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (Contrast) कीजिए।
उत्तर- जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वयन दो तंत्रों के द्वारा होता है-
(i) तंत्रिका तंत्र (Nervous System),
(ii) हॉर्मोनी तंत्र या अन्तःस्रावी तंत्र (Endocrine System)।
तन्त्रिकीय नियन्त्रण | हॉर्मोनिक क्रियाविधि |
1. यह तंत्रिकाओं द्वारा होता है तथा तंत्रिकाएँ शरीर में जाल बनाती हैं। | यह हॉर्मोन्स द्वारा होता है। हॉर्मोन्स का स्रावण अन्तः ग्रन्थियों द्वारा होता है। |
2. यह एक तीव्रगामी क्रिया है। तंत्रिकाओं द्वारा तुरन्त आवश्यक क्रियाओं का नियन्त्रण होता है। | यह एक मन्द गति से होने वाली क्रिया है। |
3. इससे तंत्रिका कोशिकाएँ संवेदांगों से उद्दीपन प्राप्त करके इन्हें मस्तिष्क या मेरुरज्जु तक पहुँचाती हैं। ये उद्दीपन, प्रेरणाओं के रूप में मस्तिष्क द्वारा कार्यकारी अंगों तक विद्युत् आवेश के रूप में प्रेषित किये जाते हैं। | हॉर्मोन्स अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होकर लक्ष्य कोशिकाओं में पहुँचकर उनकी उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। |
4. इसके कार्यकर अंग प्रायः पेशियाँ या ग्रंथिंया होती है। यह अंग प्रतिक्रिया को प्रदर्शित करते हैं। | हॉर्मोन प्रायः पाचन, वृद्धि जनन, स्त्रावण, उपापचय आदि क्रियाओं का नियन्त्रण और नियमन करते हैं। |
प्रश्न 12. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँगों में होने वाली गति के तरीके में क्या अन्तर है ?
उत्तर- छुई-मुई पादप में गति-छुई-मुई पादप में गति स्पर्श उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया के फलस्वरूप होती है। ऐसी गति को स्पर्शानुकुंचन (Thigmonasty) कहते हैं। जब पत्ती को छूते हैं तब उद्दीपन पत्ती में आधार तक संचरित हो जाता है और पत्तियाँ नीचे की ओर झुक जाती हैं। यह आधार कोशिकाओं में परासरणीय दाब में कमी होने के कारण होता है।
हमारे पैरों (टाँगों) की गति-हमारे पैरों की हड्डियों से कंकाल पेशियाँ जुड़ी होती हैं और पेशियों का सम्बन्ध तंत्रिकाओं से होता है। इन तंत्रिकाओं का संचालन मस्तिष्क द्वारा न होकर मेरुरज्जु द्वारा क्रियाएँ कहलाती हैं। जैसे, हो जाता है। ऐसी क्रियाओं भोजन को देखकर मुँह में लार को प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहते आना, उल्टी होना आदि। इन हैं। उदाहरण के लिए, क्रियाओं का नियन्त्रण केन्द्र किसी गर्म वस्तु से हाथ छु पश्च- मस्तिष्क का मेडुला जाने पर हाथ का पीछे खींचा भाग होता है। जाना।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective type Qusetions)
1. निम्न में से कौन-सी ग्रन्थि मास्टर ग्रन्थि कहलाती है-
(A) थायरॉइड ग्रन्थि
(B) पीयूष ग्रन्थि
(C) अग्न्याशय
(D) एड्रीनल ग्रन्थि।
उत्तर- (B) पीयूष ग्रन्थि।
2. अग्न्याशय से स्त्रावित हॉर्मोन है
(A) वृद्धि हॉर्मोन
(B) थायरॉक्सिन
(C) प्रोलैक्टिन
(D) इन्सुलिन।
उत्तर- (D) इन्सुलिन।
3. इन्सुलिन हॉर्मोन के अल्प सावण से किस रोग के होने की सम्भावना होती है –
(A) पीलिया
(B) घेंघा
(C) मधुमेह
(D) तपेदिक।
उत्तर- (C) मधुमेह।
4. किस हॉर्मोन की कमी से घेघा (goiter) रोग होता है-
(A) ऑक्सीटोसिन
(B) थायरॉक्सिन
(C) पिट्यूसिन
(D) प्रोलैक्टिन।
उत्तर- (B) थायरॉक्सिन।
5. थायरॉक्सिन के निर्माण के लिए किस तत्व की आवश्यकता होती है-
(A) आयोडीन
(B) आयरन
(C) कैल्सियम
(D) सल्फर।
उत्तर- (A) आयोडीन।
6. तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक एवं संरचनात्मक इकाई है
(A) मस्तिष्क
(B) मेरुरज्जु
(C) केशिका
(D) तंत्रिका।
उत्तर- (D) तंत्रिका।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
एक शब्द / वाक्यांश प्रश्न
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. अभिग्राहक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- अभिग्राहक प्राणियों में विशेष प्रकार की संरचना वाले तंत्रिका अंग हैं, जो प्रकाश, ध्वनि एवं गन्ध द्वारा बाह्य सूचनाओं का ज्ञान कराते हैं। इन्हें क्रमशः प्रकाशग्राही (photoreceptor), ध्वनिग्राही (Audio receptor) एवं गंधग्राही (olfactory receptor) कहते हैं। अभिग्राही सम्बन्धित क्रियाओं से उद्दीपन प्राप्त करके मस्तिष्क को प्रेषित करते हैं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित का एक-एक कार्य लिखिए(a) डेन्ड्राइट (b) एक्सॉन (c) सिनेप्स।
उत्तर-
(a) डेन्ड्राइट शरीर की ग्राहियों में स्थित होते हैं। और संवेदनाओं को ग्रहण करते हैं।
(b) एक्सॉन डेन्ड्राइट द्वारा ग्रहण की गई सूचनाओं को न्यूरॉन के अन्तिम छोरों तक पहुँचाते हैं।
(c) सिनेप्स एक न्यूरॉन से सूचनाओं को दूसरे न्यूरॉन पर स्थानान्तरित करते हैं।
प्रश्न 3. नीचे दिए गए आरेख के (a) से (e) तक के भागों के नाम लिखिए।
(b) 11-(e)
आरेख में दर्शायी गयी घटनाओं के क्रम का नाम लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) ग्राही,
(b) संवेदी तंत्रिका कोशिका,
(c) मेरुरज्जु,
(d) प्रतिसारण तंत्रिका कोशिका,
(e) प्रेरक तंत्रिका कोशिका।
आरेख में दर्शायी गयी घटनाओं का क्रम :
- ग्राही अंग द्वारा ऊष्मीय उद्दीपन को प्राप्त करना।
- संवेदी तंत्रिका द्वारा उस उद्दीपन को विद्युत लहर के रूप में मेरुरज्जु तक ले जाना।
- मेरुरज्जु की प्रतिसारण तंत्रिका द्वारा उसका विश्लेषण।
- भुजा की पेशियों द्वारा उद्दीपन के प्रति कार्य करना।
प्रश्न 4. अन्तर्मुखी क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर- अन्तर्मुखी क्रिया सामान्यतः स्वतः होने वाली अनुक्रिया है। यह तंत्रिका प्रणाली युक्त जन्तुओं में पाया जाने वाला सामान्य व्यवहार का रूप है। उदाहरणार्थ, किसी व्यक्ति का हाथ गर्म वस्तु पर पड़ने पर वह तुरन्त हाथ हटा लेता है। वास्तव में इस प्रक्रिया का संदेश तंत्रिकाओं के माध्यम से रीढ़ की हड्डी से हाथ की माँसपेशियाँ तक पहुँचने वाली तंत्रिकाओं को सचेत कर देना है, जिसका – तात्कालिक परिणाम यह होता है कि माँसपेशियों में सिकुड़न होती है तथा हाथ खींच लिया जाता है।
प्रश्न 5. प्रतिवर्ती चाप को रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर-
प्रश्न 6. मानव मस्तिष्क का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
प्रश्न 7. मानव प्रमस्तिष्क के विभिन्न भागों को चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर-
प्रश्न 8. मस्तिष्क के विभिन्न भाग विशिष्ट कार्यों से संबद्ध हैं। मानव मस्तिष्क के उस भाग का नाम लिंखिए जो निम्नलिखित कार्य करता है:
(a) पेट पूरा भरा होने की संवेदना
(b) वमन (उल्टी आना)
(c) किसी पेंसिल को उठाना
(d) साइकिल चलाना
उत्तर-
(a) पेट पूरा भरा होने की संवेदना-अग्र-मस्तिष्क।
(b) वमन (उल्टी आना)-पश्चमस्तिष्क का मेडुला भाग।
(c) किसी पेंसिल को उठाना-अनुमस्तिष्क ।
(d) साइकिल चलाना-अनुमस्तिष्क।
प्रश्न 9. कानों को सन्तुलन अंग क्यों कहते हैं ?
उत्तर- कान सुनने के अलावा सन्तुलन का कार्य भी करते हैं। अंतः कर्ण की अर्द्धचन्द्राकार नलिकाओं की तुम्बिका नलियाँ, सैक्युलस तथा यूट्रिकुलस शरीर का सन्तुलन बनाने का कार्य करती हैं। यूट्रिकुलस तथा सैक्युलस के मैकुला तथा अर्द्धचन्द्राकार नलिकाओं के तुम्बिका (ampulla) में स्थित संवेदी कूटों द्वारा गतिक सन्तुलन नियन्त्रित होता है। जब शरीर एक ओर झुक जाता है तो तुम्बिकाओं में स्थित ऑटोकोनिया उसी ओर जाकर संवेदी कूटों को उद्दीपन प्रदान करते हैं। इससे तंत्रिका आवेग उत्पन्न होता है और मस्तिष्क में शरीर के झुकने की सूचना पहुँच जाती है। मस्तिष्क प्रेरक तंत्रिकाओं द्वारा सम्बन्धित पेशियों को सूचना भेजकर शरीर का सन्तुलन बनाता है।
प्रश्न 10. निम्नलिखित अंगों पर अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र का क्या प्रभाव पड़ता है-
(i) हृदय,
(ii) रक्त वाहिनियाँ,
(iii) नेत्र
(iv) ट्रेकिया,
(v) लार ग्रन्थियाँ,
(vi) अधिवृक्क ग्रन्थि,
(vii) मूत्राशय,
(viii) स्वेद ग्रन्थियाँ।
उत्तर
(i) हृदय-स्पंदन दर बढ़ जाती है।
(ii) रक्त वाहिनियाँ-संकुचित होने से, रुधिर दाब बढ़ जाता है।
(iii) नेत्र-उपतारा फैल जाता है।
(iv) ट्रेकिया-ट्रेकिया फैलने से, अधिक वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।
(v) लार ग्रन्थियाँ-लार का स्रावण कम होता है।
(vi) अधिवृक्क ग्रन्थि-एड्रीनलीन हॉर्मोन का स्रावण प्रेरित करता है।
(vii) मूत्राशय-संकुचन कर, मूत्र त्याग को प्रेरित करता है।
(viii) स्वेद ग्रन्थियाँ-पसीना स्रावण को प्रेरित करता है।
प्रश्न 11. शरीर में मस्तिष्क किस प्रकार सुरक्षित रहता है।
उत्तर- मस्तिष्क शरीर का अत्यन्त कोमल अंग है। इसमें अरबों की संख्या में तंत्रिकाएँ (Neurons) उपस्थित होती हैं। इसको सुरक्षित रखने के लिए इसके ऊपर तीन आवरण या तंत्रिकाएँ (Menings) होती हैं।
ये निम्न हैं-
- सबसे बाहर की ओर दृढ़तानिका या ड्यूरामेटर,
- बीच वाली परतं जाल तानिका या एरेकोइड, तथा
- सबसे अन्दर की ओर मृदुतानिका या पियामेटर होती है।
इन आवरणों के बीच-बीच में एक तरल भरा होता है जो मस्तिष्क की आघातों से सुरक्षा करता है।
प्रश्न 12. तंत्रिका तंत्र कैसे कार्य करता है? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर- तंत्रिका कोशिकाओं के दूमिका सिरे ग्राही अंगों से सूचनाएँ ग्रहण करके इन्हें मेरुरज्जु में पहुँचाते हैं। यहाँ पर ये सूचनाएँ संसाधित होती हैं। इसके पश्चात् इनका स्थानान्तरण आवेग के रूप में कार्यकारी पेशियों को कर दिया जाता है जिससे वांछित क्रिया सम्पन्न होती है।
प्रश्न 13. वृद्धि गति तथा स्फीति गति के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- वृद्धि गति तथा स्फीति गति में अन्तर-
वद्धि गति | स्फीति गति |
1. यह एक दिशा से हो रहे उद्दीपन के प्रति अनु- क्रिया करती है। | इसमें उद्दीपन की दिशा का कोई प्रभाव नहीं होता है। |
2. यह कोशिकाओं की असमान वृद्धि के कारण होती है। | स्फीति गति कोशिकाओं की स्फीति गति में परि वर्तन आने के कारण होती है। |
3. वृद्धि गति अनुत्क्रमणीय होती है। | स्फीति गति उत्क्रमणीय होती है। |
प्रश्न 14. अनुवर्तनी गति तथा अनुचलन गति में अन्तर कीजिए।
उत्तर- अनुवर्तनी गति तथा अनुचलन गति में अन्तर
अनुवर्तनी गति(Tropic Movement) | अनुचलन गति (Tactic Movement) |
1. इसमें उद्दीपन गति की दिशा का निर्धारण करता है। | इसमें उद्दीपन गति की दिशा का निर्धारण नहीं करता है। |
2. यह स्थिर पौधों द्वारा प्रदर्शित वक्रता गति होती है। अतः यह अनुवर्तन गति होती है। | इसमें सम्पूर्ण पादप या उसके किसी भाग में स्थान परिवर्तन होता है, अत: यह अनुचलन गति है। |
3. उद्दीपन के आधार पर अनुवर्तनी गति अनेक प्रकार की हो सकती है। जैसे-प्रकाशानुवर्तन, गुरुत्वानुवर्तन, रसायना नुवर्तन आदि। | उद्दीपन के आधार पर अनुचलन गति भी अनेक प्रकार की होती है। जैसे-प्रकाशानुचलन, ताप अनुचलन आदि। |
प्रश्न 15. बीजांकुरण में जड़ें सदैव भूमि की ओर तथा प्ररोह ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं। क्यों ? प्रयोग द्वारा समझाइए।
उत्तर- बीजांकुरण में जड़ों का भूमि की ओर जाना धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन तथा प्ररोह का ऊपर की ओर वृद्धि करना धनात्मक प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। प्रयोग-बुरादे या रेत में कुछ बीजों को अंकुरित कराते हैं। इनमें प्ररोह ऊपर की ओर तथा जड़ें नीचे की ओर वृद्धि करती हैं। यदि गमले को क्षैतिज लिटा दिया जाए तो भी जड़ें नीचे की ओर तथा प्ररोह ऊपर की ओर मुड़ जाता है।
प्रश्न 16. शीर्ष प्रमुखता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- शीर्ष प्रमुखता (Apical Dominance)-यह ऑक्सिन नामक पादप हॉर्मोन्स का एक प्रमुख गुण है। ऑक्सिन प्ररोह शीर्ष में स्रावित होता है। इसके प्रभाव से प्ररोह पर स्थित कक्षस्थ कलिकाओं की वृद्धि रुक जाती है और पौधों में शीर्ष वृद्धि अधिक होती है। यदि पौधे के शीर्ष भाग को काट दिया जाए तो इनमें उपस्थित ऑक्सिन हट जाता है और पार्श्व कलिकाएँ वृद्धि करने लगती हैं। इसे शीर्ष प्रमुखता कहते हैं। इसीलिए माली हेज लगाने के लिए शीर्ष कलिकाओं को काट देते हैं।
प्रश्न 17. अनिषेक फलन क्या है ? इसमें ऑक्सिन का क्या महत्त्व है?
उत्तर- अनिषेक फलन (Parynenocarpy)-बीज रहित फलों का निर्माण होना अनिषेक फलन कहलाता है। अनिषेक फलन ऑक्सिन द्वारा कृत्रिम रूप से प्रेरित किया जा सकता है। यदि अनिषेचित वर्तिकान पर निश्चित सान्द्रता वाले ऑक्सिन घोल का लेपन करके इसे परागण होने से रोक दिया जाता है तो ऐसा करने से फल का निर्माण तो होता है लेकिन इनमें बीजों का निर्माण नहीं होता है।
प्रश्न 18. अपृतनाशन में ऑक्सिन की भूमिका लिखिए।
उत्तर- फसल से अवांछनीय पौधों का उन्मूलन करना अपृतनाशन कहलाता है। कुछ ऑक्सिन्स जैसे-2-4-D, 2-4, 5T आदि का छिड़काव करने से कुछ द्विबीजपत्री पौधे (चौड़ी पत्ती । वाले) नष्ट हो जाते हैं। इनके छिड़कने से एकबीजपत्री पौधे,जैसे-गेहूँ, जौ, आदि पर कोई खास प्रभाव नहीं होता है।
प्रश्न 19. हमारे शरीर में हॉर्मोन्स का महत्त्व बताइए।
उत्तर- हॉर्मोन्स हमारे शरीर में वृद्धि, परिवर्धन, परिपक्वन एवं जनन की बहुत-सी क्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं। ये विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं की दर तथा उनकी लयात्मक विविधताओं का एवं ऊर्जा व्यय का नियमन भी करते हैं। हॉर्मोन्स तंत्रिका तंत्र की क्रियाविधि का भी नियमन करते हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और उसका आचरण मुख्यतः अन्तःस्रावी ग्रन्थियों पर ही निर्भर होता है।
प्रश्न 20. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
(i) सरल गलगंड,
(ii) अवटुवामनता,
(iii) मिक्सिडिया।
उत्तर-
(i) सरल गलगंड-यह आहार में आयोडीन की कमी के कारण होता है। इसकी कमी से थायरॉक्सिन के निर्माण में कमी हो जाती है, जिससे थायरॉइड ग्रन्थि फूल जाती है और गर्दन सूजी हुई दिखाई देती है।
(ii) अवटुवामनता-इसमें बालकों में वृद्धि कम होती है। बालक बौना तथा मन्द बुद्धि रह जाता है। यह थायरॉक्सिन के अल्प स्त्रावण से होता है।
(iii) मिक्सिडिया-थायरॉक्सिन के अल्प स्रावण से यह रोग वयस्कों में होता है। इससे हाथ-पैरों में सूजन हो जाती है।
प्रश्न 21. पीयूष ग्रन्थि से स्रावित होने वाले चार हॉर्मोन्स के नाम लिखिए।
उत्तर-
- वृद्धि हॉर्मोन (Growth hormone),
- थायरॉइड उद्दीपक हॉर्मोन (Thyroid stimulating hormone),
- एड्रीनो कोर्टिकोट्रोपिक हॉर्मोन (Adreno cortico tropic hormone),
- गोनेडो उद्दीपक हॉर्मोन (Gonado stimulating hormone)।
प्रश्न 22. कोई गिलहरी आतंक की परिस्थिति में है। वह अपने शरीर को लड़ने के लिए अथवा वहाँ से भागने के लिए तैयार करती है। उसके शरीर में तत्काल होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए जिससे कि वह गिलहरी लड़ अथवा भाग सके।
उत्तर- ऐसे समय में गिलहरी की अधिवृक्क ग्रन्थि द्वारा एड्रीनलीन हॉर्मोन सीधा रुधिर में स्रावित हो जाता है और फिर शरीर के सभी भागों में पहुँच जाता है। इसके परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन और श्वसन दर बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर, गिलहरी के शरीर को इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।
अथवा
बहुकोशिकीय जीवों की कोशिकाओं के बीच संचार के साधन के रूप में विद्युत आवेग की तुलना में रासायनिक संचरण बेहतर क्यों होता है?
उत्तर-
विद्युत आवेग तंत्रिकाओं द्वारा अंगों तक जाता है इसलिए जीव के किसी अंग की सभी कोशिकाओं तक जल्दी से इसका संचार नहीं हो पाता, जबकि रासायनिक संचरण में हॉर्मोन का प्रवाह, रक्त परिवहन द्वारा होता है। ये हॉर्मोन किसी अंग की कोशिकाओं को कार्य करने के लिए जल्दी से प्रेरित करते हैं तथा रक्त परिसंचरण द्वारा उस अंग तक पहुँच भी जल्दी जाते हैं। इसलिए विद्युत आवेग की तुलना में रासायनिक संचरण बेहतर माना जाता है।
प्रश्न 23. पादप हॉर्मोन क्या होते हैं? निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन के नाम लिखिए।
(i) तने की वृद्धि में सहायक
(ii) कोशिका विभाजन को प्रेरित करना
(iii) वृद्धि का संदमन
(iv) कोशिका की लम्बाई में वृद्धि में सहायक
उत्तर-
पादप हॉर्मोन-यह एक प्रकार के रसायन होते हैं जो पौधे के विकास एवं वृद्धि की क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
(i) तने की वृद्धि में सहायक-जिबरेलिन हॉर्मोन।
(ii) कोशिका विभाजन को प्रेरित करनासाइटोकाइनिन हॉर्मोन।
(iii) वृद्धि का संदमन-एब्सिसिक अम्ल (ABA) हॉर्मोन।
(iv) कोशिका की लम्बाई में वृद्धि में सहायक- ऑक्सि हॉर्मोन।
प्रश्न 24. अग्नाशय ग्रन्थि से स्रावित होने वाले हॉर्मोन का नाम तथा कार्य लिखिए। इसकी कमी से होने वाले रोग का नाम लिखिए।
उत्तर- अग्नाशय ग्रंथि से स्रावित होने वाले हॉर्मोनइन्सुलिन का कार्य रक्त में शर्करा का स्तर कम रखना होता है। इसकी कमी से मधुमेह नाम की बीमारी होती है।
प्रश्न 25. अण्डाशय तथा वृषण से स्रावित हॉर्मोन्स के नाम तथा कार्य लिखिए।
उत्तर-
- अण्डाशय से स्रावित हार्मोन-एस्ट्रोजन्स (Estrogens)। कार्य-ये जननांगों (गर्भाशय, योनि, स्तन आदि) के विकास को प्रेरित करते हैं। इनके कारण द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है। यह रजोधर्म को प्रारम्भ करता है।
- वृषण से स्रावित हॉर्मोन-एण्ड्रोजन्स (Androgens)। कार्य-ये लैंगिक परिपक्वता, जननांगों के विकास, द्वितीयक लैंगिक लक्षण आदि के विकास में सहायक हैं। पुरुषों की भारी आवाज, अधिक मजबूत शरीर, दाढ़ी, मूंछ आदि इसी के प्रभाव से विकसित होते हैं।
प्रश्न 26. एड्रीनलीन तथा नॉर-एड्रीनलीन का स्त्रावण किस ग्रन्थि से होता है ? इसके कार्य लिखिए।
उत्तर- एड्रीनलीन तथा नॉर-एड्रीनलीन हॉर्मोन्स अधिवृक्क ग्रन्थि के मैडुला भाग से स्रावित होते हैं।
- एडीनलीन या एपीनेफ्रीन प्रमुख हॉर्मोन है। यह ग्लाइकोजेनोलाइसिस तथा वसा के विघटन को प्रेरित करता है। यह हृदय स्पंदन दर, श्वास दर, ग्लूकोज की खपत एवं उपापचय दर को बढ़ाता है। यह संकट की अवस्था में शरीर को उग्र प्रतिक्रिया के लिए तैयार करता है।
- नॉर-एड्रीनलीन या नॉर-एपीनेफ्रीन अल्प मात्रा में स्रावित होता है। यह रुधिर दाब बढ़ाता है तथा हृदय की संकुचनशीलता को नियन्त्रित करता है।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
अंग | अनुकंपी तंत्रिका तंत्र | परानुकंपी तंत्रिका तंत्र |
(i) हृदय | यह हृदय के कुंचन तथा उद्दीपन को बढ़ाता है । | यह हृदय के कुंचन तथा उद्दीपन को कम करता है । |
(ii) आँखें | यह पुतली को विसरित करता है । ( फैलाता है) | यह पुतली को सिकोड़ता है। |
(iii) पाचक एंजाइम | यह लार के स्रावण को कम करता है । | यह लार के स्रावण को बढ़ाता है । |
(iv) मूत्राशय | यह मूत्राशय को विसरित करता है । | यह मूत्राशय को सिकोड़ता है। |
(v) श्वास नली | यह श्वास नली को फैलाता है । | यह श्वास नली को तंग कर देता है । |
(vi) जनन अंग | यह उनमें उत्तेजना को रोकता है । | यह उनमें उत्तेजना उत्पन्न करता है । |
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
→ नियन्त्रण (Control)-पर्यावरण की अनुक्रिया के प्रति उत्पन्न गति को विशिष्टीकृत तंत्रिका तंत्र द्वारा नियन्त्रित करने की प्रक्रिया नियन्त्रण कहलाती है।
→ समन्वयन (Co-ordination)-उद्दीपक के प्रति उचित प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए किसी जीव के विभिन्न अंगों का परस्पर सुसंगठित ढंग से कार्य करना, समन्वयन कहलाता है।
→ उद्दीपक (Stimulent)-वातावरण में परिवर्तन जिनके प्रति जीव प्रतिक्रिया दिखाते हैं और सक्रिय रहते हैं, उद्दीपक कहलाते हैं। उद्दीपक के प्रति जीवों की अनुक्रिया (Response) प्रायः उनके शरीर-अंग की किसी गति के रूप में होती है।
→ तंत्रिका तंत्र (Nervous System)-जन्तुओं के शरीर में तंत्रिकाओं का एक सघन जाल बिछा रहता है जो उद्दीपकों । को ग्रहण करने तथा उनके प्रति अनुक्रिया करने की क्रियाओं का संचालन करता है, यह तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
→ तंत्रिका कोशिका (Neuron) तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई (unit) को तंत्रिका कोशिका अथवा न्यूरॉन कहते हैं।
→ तंत्रिका कोशिका के तीन भाग होते हैं-कोशिका काय (Cell body), दुमिकाएँ (Dendrites) तथा एक्सॉन (Axon) |
→ कशेरुकी (मानव सहित) जैसे उच्चतर प्राणियों में नियन्त्रण तथा समन्वयन तंत्रिका तंत्र के साथ-साथ अन्तःस्रावी तंत्र नामक हॉर्मोनी तंत्र के द्वारा होता है।
→ हमारे शरीर में पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं-आँख, कान, नाक, जीभ तथा त्वचा। इनके द्वारा हम अपने चारों ओर के वातावरण से विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त करते हैं।
→ संवेदनग्राही (Effectors) शरीर का एक अंग होता है जो तंत्रिका तंत्र से भेजी गयी सूचनाओं के अनुसार उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया दर्शाता है। संवेदनग्राही मुख्यतः हमारे शरीर की पेशियाँ और ग्रन्थियाँ होती हैं
→ शरीर के किसी भाग से सूचना एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृतिक (dendroite) सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है।
→ तंत्रिका कोशिकाएँ निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं।
- संवेदी तंत्रि कोशिकाएँ (Sensory Neurons)-ये आवेगों को संवेदी कोशिकाओं से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की ओर प्रेषित करती हैं।
- प्रेरक तंत्रि कोशिकाएँ (Motor Neurons)-ये आवेगों को केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से पेशी कोशिकाओं की ओर प्रेषित करती हैं।
- प्रसारण तंत्रि कोशिकाएँ (Relay Neurons)-ये केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में पायी जाती हैं और दूसरी तंत्रि कोशिकाओं के बीच कड़ी का कार्य करती हैं।
→ तंत्रिका आवेग (Nerve Impulse)-तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा रासायनिक या विद्युत् संकेतों का प्रसारण तंत्रिका आवेग कहलाता है।
→ युग्मानुबन्धन (Synaps)-वह सम्पर्क बिन्दु जो एक न्यूरॉन के एक्सॉन की अन्य शाखाओं एवं दूसरे न्यूरॉन के डेंड्राइटों के बीच बनता है, युग्मानुबन्धन कहलाता है।
→ प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action)-तंत्रिका तंत्र में अनुक्रिया या प्रतिक्रिया का सबसे सरल रूप प्रतिवर्ती क्रिया है, और यह वह क्रिया है जिसे हम यन्त्रवत् करते हैं। गर्म प्लेट छू जाने पर हमारे हाथ का दूर हटना प्रतिवर्ती क्रिया का एक उदाहरण है।
→ तंत्रिका तंत्र के मुख्यतः दो भाग होते हैं। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तथा परिधीय तंत्रिका तंत्र।
- केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System)-मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु से बना तंत्रिका तंत्र केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
- परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System)-मस्तिष्क से निकलने वाली कपाल तंत्रिकाओं न तथा मेरुरज्जु से निकलने वाली मेरु तंत्रिकाओं से बना तंत्रिका तंत्र परिधीय तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
→ परिधीय तंत्रिका तंत्र को पुनः दो भागों में बाँटा जा सकता है-स्वायत्त तंत्रिका तंत्र तथा ऐच्छिक तंत्रिका तंत्र।
- स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System)-स्वतः संचालित होने वाले तंत्रिका तंत्र को स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कहते हैं।
- ऐच्छिक तंत्रिका तंत्र (Voluntary Nervous System)- ऐच्छिक क्रियाएँ जो मस्तिष्क के सचेतन द्वारा नियन्त्रण में होती हैं, के संचालन को ऐच्छिक तंत्रिका तंत्र कहते हैं।
→ मस्तिष्क (Brain)-शरीर में मस्तिष्क सर्वश्रेष्ठ समन्वयकारी केन्द्र है। मस्तिष्क कपाल गुहा (Cranial cavity) में बन्द होता है। मस्तिष्क तीन झिल्लियों से घिरा होता है जिन्हें मस्तिष्कावरण (Meninges) कहते हैं।
→ मस्तिष्क मुख्यतः तीन भागों में विभाजित होता है-
- अग्र मस्तिष्क (Fore brain)- यह प्रमस्तिष्क (Cerebrum) का बना होता है।
- मध्य मस्तिष्क (Mid brain)-इसमें कोई विभाजन नहीं होता है।
- पश्च मस्तिष्क (Hind brain)-यह पॉन्स (Pons), अनुमस्तिष्क (Cerebellum) तथा मेड्यूला (Medulla) नामक तीन केन्द्रों का बना होता है
→ शरीर की सभी ऐच्छिक क्रियाएँ प्रमस्तिष्क द्वारा सम्पादित की जाती हैं।
→ मध्य मस्तिष्क दृष्टि एवं श्रवण उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया करते हैं।
→ पॉन्स (Pons) श्वसन को नियन्त्रित करते हैं।
→ अनुमस्तिष्क (Cerebellum) शरीर के आसन को स्थिर बनाये रखता है।
→ मेड्यूला (Medulla) विभिन्न अनैच्छिक क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
→ पादप गति (Plant Movement)-पौधे या इसके किसी भाग में किसी उद्दीपन के प्रति होने वाली गति पादप गति कहलाती है।
→ अनुवर्तन (Tropism)-किसी बाहरी उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया में पौधे के किसी भाग की गति जिसमें उद्दीपन की दिशा अनुक्रिया की दिशा को निर्धारित करती है, अनुवर्तन कहलाता है।
→ गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism)-पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण पौधों की जड़ों का पृथ्वी की ओर बढ़ना गुरुत्वानुवर्तन कहलाता है।
→ प्रकाशानुवर्तन (Phototropism)-पौधों की प्रकाश की दिशा में गति को प्रकाशानुवर्तन कहते हैं।
→ अनुकुंचन (Nastics)-किसी बाहरी उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया में पौधे के अंग की गति जिसमें उद्दीपक की दिशा द्वारा अनुक्रिया की दिशा निर्धारित नहीं होती, अनुकुंचनी गति कहलाती है और इस घटना को अनुकुंचन कहते ।
→ स्पर्शानुकुंचन (Thigmonasty)-किसी वस्तु के स्पर्श के प्रति अनुक्रिया में पौधे के भाग की गति स्पर्शानुकुंचन कहलाती है।
→ प्रकाशानुकुंचन (Photonasty)-प्रकाश की अनुक्रिया में पौधे के अंग की अदिशात्मक गति प्रकाशानुकुंचन कहलाती है।
→ पौधे हॉर्मोन्स के द्वारा वातावरण के परिवर्तनों के प्रति अपने व्यवहार को समन्वित करते हैं।
→ पादप हॉर्मोन (Plant Hormones)-ये विशेष प्रकार के कार्बनिक पदार्थ हैं, जो पौधों के विभिन्न भागों से स्रावित होकर उनकी विभिन्न क्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
पादप हॉर्मोन प्रमुखतः पाँच प्रकार के होते हैं-
- ऑक्सिन्स (Auxins)-यह पौधों में कोशिका विवर्धन तथा कोशिका विभेदन को प्रोत्साहित करते हैं।
- जिबरेलिन्स (Gibberellins)-यह ऑक्सिन की उपस्थिति में कोशिका विवर्धन और कोशिका विभेदन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ बीजों तथा नलिकाओं में प्रसुप्ति विच्छेद में सहायता करता है।
- सायटोकायनिन्स (Cytokinins)-यह कोशिका विभाजन को उत्प्रेरित तथा काल प्रभावन को रोकता है।
- एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid)- यह बीजों तथा कलियों में प्रसुप्ति बढ़ाता है। यह रन्ध्रों को बन्द करने में भी सहायक होता है।
→ इथाइलीन (Ethyline)-यह फलों के पकाने में सहायक गैसीय हॉर्मोन है।
→ फाइटोक्रोम (Phytochrome)-पादपों के वे विशेष वर्णक जो दीप्तिकाल उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया करते हैं, उन्हें फाइटोक्रोम कहते हैं।
→ बसन्तीकरण (Venelization)-पौधों के पुष्पन पर शीत के प्रभाव का अध्ययन बसन्तीकरण कहलाता है।
→ दीप्तिकालिता (Photoperiodism)-प्रतिदिन पौधे पर पड़ने वाले प्रकाश की अवधि के प्रति उसकी वृद्धि तथा पुष्पन में होने वाले प्रभावों को दीप्तिकालिता कहते हैं।
→ जन्तु हार्मोन (Animal hormones)-ये रासायनिक कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होकर – शरीर की विभिन्न क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं।
→ अन्तःस्रावी तंत्र (Endocrine System)-अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का एक समूह जो विभिन्न हॉर्मोनों को उत्पन्न करता है, अन्तःस्रावी तंत्र कहलाता है।
→ मानव शरीर में उपस्थित विभिन्न अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ निम्न प्रकार हैं –
- पीयूष ग्रन्थि,
- थायरॉइड ग्रन्थि,
- थाइमस ग्रन्थि,
- पैराथायरॉइड ग्रन्थि,
- अग्न्याशय,
- अण्डाशय,
- वृषण तथा
- एड्रीनल ग्रन्थिा
→ पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland) को मास्टर ग्रन्थि कहत हैं। इससे स्रावित हॉर्मोन विभिन्न ग्रन्थियों को अन्य हॉर्मोन्स के स्रावण की प्रेरणा देते हैं।
→ एड्रीनल ग्रन्थि से स्रावित हॉर्मोन को आपातकालीन हॉर्मोन कहते हैं। यह हॉर्मोन एड्रीनल है जो संकट, क्रोध, आवेश इत्यादि आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान हमें अत्यधिक कार्यकुशलता से कार्य करने के लिए तैयार करता है।
→ थायरॉक्सिन हॉर्मोन की कमी से फेंघा (goitre) नामक रोग उत्पन्न होता है। थायरॉइड ग्रन्थि से थायरॉक्सिन के स्त्राव को बनाये रखने के लिए भोजन में आयोडीन की आवश्यकता होती है।
→ विभिन्न ग्रन्थियों द्वारा निर्मुक्त हॉर्मोनों के सम” और मात्रा को पुनर्निवेशन प्रक्रिया (Feedback mechanism) द्वारा नियन्त्रित किया जाता है जो हमारे शरीर में अन्त:रचित होती हैं।