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Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार

HBSE 10th Class Economics उपभोक्ता अधिकार Textbook Questions and Answers

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

1. उपभोक्ता – जो व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा का उपभोग करने के लिए मूल्य चुकाता है।
2. विज्ञापन – विभिन्न उत्पादक और सेवा क्षेत्र रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्रों आदि के माध्यम से विज्ञापन देकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं ।
3. उपभोक्ता जागरूकता – उपभोक्ता का संरक्षण करना व उसे उसके अधिकारों के बारे में जानकारी देना।
4. उपभोक्ता शोषण – उपभोक्ता द्वारा चुकाए गए मूल्य के बदले उसे घटिया, मिलावटी या कम वजन या कम गुणवत्ता वाली चीज का दिया जाना ।
5. उपभोक्ता शोषण के तरीके – (1) कम तोलना, (2) अधिक मूल्य वसूल करना, (3) घटिया व मिलावटी सामान बेचना।
6. उपभोक्ता शोषण के कारण- (1) उपभोक्ता शिक्षा की कमी, (2) सीमित सूचना का होना, (3) सीमित प्रतिस्पर्धा का होना, (4) सीमित आपूर्ति का होना ।
7. उपभोक्ता आंदोलन – 1960 के दशक में ‘सामाजिक बल’ पर उपभोक्ता आंदोलन का आरंभ हुआ जिसने उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण की आवाज उठाई।
8. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986- सरकार ने उपभोक्ताओं को कानूनी संरक्षण देने के लिए तथा जिला, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर उनके हितों की रक्षा करने के लिए अधिनियम बनाया ।
9. उपभोक्ता अदालत – उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर विशेष अदालतों का गठन किया गया है जिन्हें उपभोक्ता अदालतें कहते हैं ।
10. उपभोक्ता अधिकार – 1986 के उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम (COPRA) के तहत उपभोक्ता को प्राप्त छः अधिकार हैं – (1) चयन का अधिकार, (2) सूचना का अधिकार, (3) निवारण का अधिकार, (4) प्रतिनिधित्व का अधिकार, (5) सुरक्षा का अधिकार, (6) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार ।
11. उपभोक्ता इंटरनेशनल – 15 मार्च, 1985 को संयुक्त राष्ट्र ने उपभोक्ता सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों को अपनाया । हर साल पूरे विश्व में 15 मार्च विश्व उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
12. MRP – अधिकतम खुदरा मूल्य (Maximum Retail Price ) वह मूल्य होता है जिससे अधिक कीमत पर उस वस्तु को बेचा नहीं जा सकता है। उपभोक्ता विक्रेता से MRP से कम दाम पर वस्तु देने के लिए मोल भाव कर सकता है।
13. RTI Act-2005- राइट टू इन्फॉरमेशन एक्ट, 2005 के अंतर्गत नागरिक सरकार या किसी भी संस्था से कोई भी सूचना प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं।
14. ISI- भारत में औद्योगिक उत्पादों की प्रामाणिकता की जाँच करने वाली संस्था |
15. एगमार्क – कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाली संस्था |
16. हॉलमार्क – आभूषणों की गुणवत्ता पर प्रामाणिकता की मोहर लगाने वाली संस्था |
17. ISO – यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था है जिसका कार्य उन अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से जुड़ा हुआ है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के रूप में प्रकाशित किया जाता है ।
18. भारत का राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस – भारतीय संसद ने 24 दिसंबर, 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (COPRA) को पास किया था । अतः हर वर्ष 24 दिसंबर का दिन राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
HBSE 10th Class Economics उपभोक्ता अधिकार Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1. बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती हैं? कुछ उदाहरणों द्वारा समझाएँ।
उत्तर-
बाजार में सुरक्षा निम्नलिखित कारणों से जरूरी हैं
(क) बाजार में उपभोक्ता का कई तरीके से शोषण होता है। जैसे-व्यापारियों द्वारा उपभोक्ता को उचित तौल से कत वस्तु उपलब्ध कराना।
(ख) कुल मूल्य में उन शुल्कों को जोड़ दिया जाता है जिनका वर्णन पहले न किया गया हों।
(ग) कई बार व्यापारी मिलावटी अथवा दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचते हैं।
(घ) जब उत्पादक शक्तिशाली होते हैं। और उपभोक्ता कम खरीददारी करते है।। तथा बिखरे होते हैं, तो बाजार उचित तरीके से काम नहीं करता है। कई बार बड़ी-बड़ी कंपनियाँ उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मीडिया तथा अन्य स्रोतों से गलत सूचना देती हैं। जैसे-एक कंपनी ने शिशुओं के लिए दूध पाउडर के अपने उत्पादन को माता के दूध से बेहतर बताकर कई वर्षों तक खूब बेचा। कई वर्षों के संघर्ष के बाद इस कंपनी ने यह स्वीकार किया कि वह झेठे दावे करती आ रही है।

प्रश्न-2. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई। इसके विकास के बारे में पता लगाएँ।
उत्तर-
(क) भारत में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित वसायिक कार्यो से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने तथा प्रोत्साहित करने के लिए हुआ।
(ख) हमारे देश में 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आंदोलन का उदय खाद्यान्न की कमी, जमाखोरी, कालाबाजरी, खाद्य पदार्थो एवं खाद्य तेल में मिलावट के कारण हुआ।
(ग) 1970 के दशक में उपभोक्ता संस्थाओं न वृहत् सतर पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन तथा प्रदर्शनी लगाना शुरू किया। – (घ) उन्होंने सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़-भाड तथा राशन दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाया। हाल के वर्षों में इन उपभोक्ता दलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

प्रश्न-3. दो उदारहण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वणग्न करें।
उत्तर-
(क) उपभोक्ता जागरूकता अत्यन्त आवश्यक है जिससे कि व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण न कर सकें।
(ख) जागरूक उपभोक्ता; उपभोक्ता संरक्षण कार्यक्रमों तथा उपभोक्ता अदालतों का लाभ उठा सकते हैं।

प्रश्न-4. कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता हैं?
उत्तर-
व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं के शोष्क्षण के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाया जाता है।

  • कम तौलकर-यह उपभोक्ताओं के शोषण का एक अति सामान्य तरीका है। जिसमें व्यापारी उपभोक्ता का उचित तौल से कम वस्तु उपलब्ध कराता है।
  • कम माप-मापी जाने वाली वस्तुओं मे कम माप देकर व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता है।
  • अधिक कीमत-निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य वसूल करना व्यापारियों की एक प्रचलित प्रवृति है। उपभोक्ता भी उचित मूल्य की जानकारी के अभाव में व्यवसायियों द्वारा ठग लिए जाते हैं।
  • घटिया सामान-उपभोक्ताओं को मानकर स्तर से निम्न स्तर की सामग्री बेचा जाना भी शोषण का एक तरीका है।
  • नकली माल-असली पुर्जा के स्थान पर नकली पुर्जा और माल का बेचा जाना भी शोष्क्षण का एक सामान्य तरीका
  • मिलावटी व अशुद्ध माल-अनुचित लाभ के लिए व्यवसायियों द्वारा महँगे पदार्थो में सस्ते व अशुद्ध पदार्थो को मिलाना इस प्रकार के शोषण का उदारहण है।
  • सुरक्षा उपायों की अपर्याप्तता-विद्युत तंत्र आदि को मानक स्तर से कम स्तर का बेचना जिससे कि सुरक्षा संबंधी खतरा बना रहता है। इससे उपभोक्ताओं के साथ दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती हैं।
  • कृत्रिम अभाव-व्यापारियों द्वारा जमाखेरी, कालाबाजारी आदि के माध्यम से कई बार आवश्यक वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया जाता है। जिससे वे उन वस्तुओं को ऊँची कीमत पर बंच सकें। यह उपभोक्ता शोषण का एक बहुत ही प्रचलित लेकिन निंदनीय स्वरूप है।
  • अपूर्ण या मिथ्या आनकारी-कई बार उत्पादकों द्वारा उपभोक्ताओं को जानकारी को इस प्रकार तोड़ मरोड़कर या आधे अधूरे ढंग से प्रस्तुत किया जाता है कि उपभोक्ता के सामने वास्तविक स्थिति नहीं आ पाती और उपभोक्ता वस्तु की कमियों से रू-ब-रू नहीं हो पाता।
  • विक्रय के पश्चात् सेवा का प्रदान न किया जाना-यह भी उपभोक्ता शोषण का एक बहुप्रचलित रूप हैं, इसमें एक बार वसतु को बेच देने के बाद उत्पादक उपभोक्ता को यह सेवा प्रदान करने से या तो मना कर देता है या टालमटोल ओर आनाकानी करता है, जो उसे उपभोक्ता को उपलब्ध कराना चाहिए।

प्रश्न-5. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर-
(क) विक्रेताओं के कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होने के कारण उपभोक्तओं में असंतोष फैल गया था।
(ख) बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थीं।
(ग) 1960 के दशक में भारत में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ और अपने प्रयासों से यह आंदोलन उपभोक्ता हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली में सुधार के लिये व्यापारिक कंपनियों व सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।
(घ) परिणामस्वरूप भारत सरकार ने 1986 ई. में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम बनाया।

प्रश्न-6. अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कछ कर्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
अधिकार और कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। अधिकारों को ग्रहण करते समय यह दायित्व अपने _ आप उत्पन्न हो जाता है। कि कर्तव्यों का पालन किया जाए।
उपभोक्ताओं को जहाँ अधिकार मिले हुए हैं वहीं उनके कुछ दायित्व हैं जो निम्नलिखित हैं-

  1. किसी भी वस्तु को क्रय करते समय उपभोक्ताओं को सामान की गुणवत्ता का ख्याल रखना चाहिए।
  2. वस्तु क्रय करते समय उपभोक्ताओं को गांरटी कार्ड अवश्य लेना चाहिए।
  3. उपभोक्ता उन्हीं वस्तुओं को क्रय करें जिन पर आई. एस.आई. एगमार्क जैसे मानक चिन्ह दिये हुए हों।
  4. उपभोक्ता सामान या सेवा को खरीदने समय उसकी . रसीद अवश्य प्राप्त करें।
  5. उपभोक्ताओं का यह कर्त्तव्य बनता है कि वं ‘उपभोक्ता जागरूकता संगठन’ का गठन करें; साथ ही इस संगठन को सरकार तथा अन्य संस्थाओं द्वारा उपभोक्ताओं की समस्याओं के लिए स्थापित विभिन्न कमेटियों में प्रतिनिधित्व भी प्रदान करवायें।
  6. उपभोक्ता किसी वस्तु या सेवा में आने वाली समस्या के लिए शिकायत अवश्य दर्ज करायें चाहे वह समस्या छोटी हो या बड़ी।
  7. उपभोक्ता किसी सामग्री से सम्बन्धित शिकायत दर्ज कराने से यह सोचकर न रुकें कि वह वस्तु बहुत ही कम मूल्य वाली हैं।
  8. प्रत्येक उपभोक्ता का यह परम कर्तव्य है कि वह अपने लिए सुरक्षित अधिकारों के विषय में सम्पूर्ण जानकारी रखे और अपने अधिकारों का प्रयोग करें। साथ ही दूसरे उपभोक्ताओं को भी इनके बारे मे जानकारी दे, और उन्हें भी अपने अधिकारों के प्रयोग के लिए प्रेरित करें।

प्रश्न-7. मान लीजिए, आप शहद का बोतल और एक बिस्किट का पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन सा लोगों या चिन्ह देखेंग और क्यों?
उत्तर-
(क) शहद का बोतल या बिस्किट का पैकेट खरीदते समय हमें एगमार्क चिनहे देखना चाहिए।
(ख) क्योंकि कृषि उतपादों तथा खाद पदार्थो की गुणवत्ता मानकीकरण के आधकार पर जो उत्पाद मानकों को पूरा करते हैं उन्हें एगमार्क का चिन्ह प्रदान किया जाता है।

प्रश्न-8. भारत में उपभोक्जाओं को समर्थ अनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मानदंडों को लागू करना चाहिए?
उत्तर-
उपभोक्ताओं के अधिकारों तथा हितों की रक्षा के लिए मुख्यतः तीन प्रकार के उपाय अपनाये गये हैं

  1. कानूनी उपाय-इसके अंतर्गत उपभोक्ताओं के हितों के लिए कानून व अधिनियम आदि बनाना शमिल है।
  2. प्रशसनिक उपाय-उपभोक्ता के हितों की रक्षा के लिए जो सार्वजनिक वितरण व्यवस्था आरम्भ की गई है। वह प्रशासनिक उपाय का ही उदाहरण हैं
  3. तकनीकीउ उपाय-इसके अंतर्गत वस्तुओं का मनकीकरण किया जाना शामिल है। इन उपायों को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है :

(क) उपभोक्ता हित सम्बन्धी कानून-उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए सरकार ने 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया। इसके द्वारा उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए तथा उनके झगड़ों के निपटारे के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता हितों की समितियाँ बनायी गई। इनके माध्यम से उपभोक्ताओं के हितों को तो संरक्षण दिया ही जाता है; साथ ही उनकी शिकायतों को सरल रूप से, तीव्रता से और कम खर्च में दूर किया जाता है। उपभोक्ता अदालतों को इस सम्बंध में यह आदेश दिया गया है कि वे शिकायतों का निपटारा तीन महीने के अन्दर-अन्दर कर दें।

(ख) सार्वजनिक वितरण प्रणाली-आय की दृष्टि से कमजोर वर्ग वाले लोगों को अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु सरकार ने सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का आरम्भ किया है ताकि इस वर्ग के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके और उन्हें आवश्यक वस्तुओं को प्राप्त करने में किसी प्राकर से शोषण का सामना न करना पड़े।
इस व्यवस्था के द्वारा जमाखोरी, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी आदि पर अंकुश लगाना भी संभव हो सका है।

(ग) वस्तुओं का मानकीकरण-उपभोक्ता हितों को संरक्षण देने के लिए सरकार ने कुछ ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया है जो वस्तुओं के मानक स्तर का निर्धारण करती है और जांच के माध्यम से यह सुनिश्चित भी करती हैं कि वस्तुएँ मानक स्तर के अनुरूप हैं कि नहीं। इसके बाद ये वस्तुओं को अपना चिन्ह प्रदान करती हैं जिसके चलते उपभोक्ताओं को यह जानकारी प्राप्त हो जाती है। कि वस्तु विश्वसनीय स्तर पर मानकीकृत है। मानकीकरण संस्थाएँ जिन वस्तुओं को अपना चिह्न प्रदान करती हैं उनकी किसी भी समय आकस्मिक रूप से जांच भी कर लेती हैं ताकि उन वस्तुओं की गुणवत्ता कम होने की कोई आशंका न हों।
इस प्रकार यह स्पष्ट हैं कि सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण के लिए पर्याप्त उपाय किये हुए हैं। आवश्यकता बस इस बात की है कि उपभोक्ता स्वयं के अधिकारों के विषय में जागरूक हों।

प्रश्न-9. उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें। .
उत्तर-
उपभोक्ताओं के निम्नलिखित अधिकारों को उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यापारी वर्ग की भी ध्यान में रखना चाहिए।

  1. सुरक्षा का अधिकार-व्यापारी वर्ग को चाहिए कि ऐसी वस्तुओं का उत्पादन न करें जो उपभोक्ताओं को समुचित सुरक्षा प्रदान न करें। उत्पादकों को केवल मानकीकृत और स्तरीय वस्तुओं का ही उत्पादन करना चाहिए। व्यापारी वर्ग ऐसी किसी भी वस्तु की बिक्री से अपने को बचाये रखें जो कि उपभोक्ताओं के जीवन तथा सम्पत्ति के लिए किसी भी रूप में खतरनाक हों।
  2. सूचना का अधिकार-व्यावसायिकों को चाहिए कि वे अपने उत्पादों पर गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धात स्तर व मूल्य सम्बन्धी सम्पूर्ण सूचनाएँ प्रदान करें।
  3. चुनाव का अधिकार-उत्पादक वस्तुओं की इतनी विविध मात्र उलपब्ध करायें कि उपभोक्ताओं को चुनाव का सम्पूर्ण अवसर प्राप्त हो सके।
  4. सुनवाई का अधिकार-व्यापारी वर्ग को चाहिए कि उपभोक्ता हितों से जुड़ी संस्थाओं व संगठनों की कार्यवाहियों पर समुचित ध्यान व समय दें, साथ ही उनके निर्देशानुसार स्वयं के उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि करते चलें।
  5. शिकायतों के निपटारे का अधिकार-व्यापारी वर्ग का यह नैतिक दायित्व बनता है कि उपभोक्ताओं के शोषण व अनुचित व्यापारिक क्रियाओं के विरुद्ध शिकायतों को पूरी तत्परता से निपटायें।
  6. उपभोक्ता शिक्षा-उपभोक्ताओं को तो स्वयं के अधि कारों के बारे में जानना ही हैं, साथ ही व्यापारी वर्ग को भी उपभोक्ताओं के हितों और अधिकारों की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, जिससे कि वे उन कार्यो को न करें जिनसे
    उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन होता हों।

प्रश्न-10. उपभोक्ता अपनी एक जुटला का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-
(क) उपभोक्ता एकता के लिए उपभोक्ता जागरूकता अत्यन्त जरूरी है। उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
(ख) उपभोक्ताओं को वस्तुओं तथा सेवाओं के क्रय-विक्रय के व्यावसायिक पक्षों की जानकारी तो होनी ही चाहिए, साथ __ ही पदार्थों की गुणवत्ता की भी पूरी जानकारी होनी चाहिये।
(ग) उपभोक्ता जागरूकता से उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत बनाया जा सकता है। उपभोक्ता मिलकर अपने अधि कारों की माँग कर सकते हैं तथा उपभोक्ता शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं।

प्रश्न-11. भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा (आलोचनात्मक मुल्यांकन) करें।
उत्तर-
(क) उपभोक्ता आंदोलन उपभोक्ताओं के असतोष का परिणाम था, क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवसायों में शामिल होते थे। उपभोक्ता को बाजार में शोषण से रक्षा के लिए कोई कानून व्यवस्था मौजूद नहीं थी।
(ख) भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म अनुचित एवं अनैतिक व्यावसायिक कार्यो से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से हुआ।
(ग) 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहत् स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन तथा प्रदर्शनी का आयोजन करने लगी थीं।
(घ) सड़क यात्री परिचहन में अत्यधिक भीड़-भाड़ तथा सरकारी राशन दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ता दलों का निर्माण किया गया। धीरे-धरे हमारे देश में इन उपभोक्ता दलों की संस्था में काफी वृद्धि
(ङ) अपने सक्रिय प्रयासों से उपभोक्ता आंदोलन, उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ और अनुचित व्यवसाय शैली में सुधार के लिए व्यापारिक कंपनियों एवं सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ।
(च) भारत में उपभोक्ता आंदोलन को सबसे बड़ी सफलता 1986 ई. में मिली, जब भारत सरकार ने ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम’ पारित किया।

प्रश्न-12. निम्नलिखित का मिलान करें-
1. एक उत्पाद के घटकों का विवरण — (क) सुरक्षा का अधिकार
2. एगमार्क — (ख) उपभोक्ता मामलों में संबंध
3. स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना — (ग) अनाजों और खाद्य तेल का प्रमाण पत्र
4. जिला उपभोक्ता विकसित विकसित करने वाली एजेंसी — (घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अंतराष्ट्रीय संस्था
5. उपभोक्ता इंटरनेशनल — (ड) सूचना का अधिकार
6. भारतीय मानक विभाग — (च) वस्तुओं औश्र सेवाओं के लिए मानक
उत्तर-
1-ड, 2-ग, 3-क, 4-ख, 5-3, 6-च।

प्रश्न-13. सही/गलत बताएँ।

(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है।
उत्तर-
गलत।

(ख) भारत, विश्व के उन देशें में से एक है जिसके पास उपभोक्ताओं की सामयाओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालते हैं।
उत्तर-
सही।

(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ हैं, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से मुकद्दमा मायर करना चाहिए।
उत्तर-
सही।

(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो सिर्फ, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभाद होता है।
उत्तर-
गलत।

(ङ) हालमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाए रखने वाला प्रमाण है।
उत्तर-
सही

(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यंय सरल और शीघ्र होती है।
उत्तर-
गलत

(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करता है।
उत्तर-
सही।

परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न [Long- Answer Type Questions]
प्रश्न 1. उपभोक्ता सुरक्षा कानून, 1986 में दिए गए उपभोक्ताओं के अधिकारों का वर्णन कीजिए । 
उत्तर–सन् 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया । इस कानून के द्वारा जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने तथा उनके झगड़ों को निपटाने के लिए कुछ समितियाँ बनाई जा सकती हैं । इनके माध्यम से उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षण और उनकी शिकायतों को सरल, तीव्र और कम खर्च में दूर किया जाता है। इन एजेंसियों को आदेश है कि वे शिकायतों को तीन महीने में निपटा दें। इस कानून के अंतर्गत राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर उपभोक्ता के मामलों के लिए पृथक् विभाग खोल दिए गए हैं जो केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों पर ही ध्यान देंगे।
उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करवाने के लिए किसी कानूनी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती। यदि आप उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करवाना चाहते हैं तो आप एक सादे कागज पर सारी बातें लिखकर संबंधित कागज; जैसे गारंटी कार्ड, सामान की रसीद साथ में नत्थी करके उसे जिला अदालत में जमा कर दें। कानूनी सहायता के लिए आपको किसी वकील के पास जाने की जरूरत नहीं है । उपभोक्ता अदालत में आप अपने मामले की पैरवी खुद कर सकते हैं ।
यदि क्षतिपूर्ति की राशि एक लाख रुपए से कम है तो शिकायत ‘जिला उपभोक्ता मंच’ में करवानी पड़ती है। एक लाख से लेकर दस लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की शिकायत ‘राज्य उपभोक्ता आयोग’ में और दस लाख रुपए से अधिक की क्षतिपूर्ति की शिकायत ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में करवानी पड़ती है।
प्रश्न 2. वस्तुओं के मानकीकरण की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – वस्तु की गुणवत्ता सरकार द्वारा उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है। वस्तु निर्माण के मापदंडों पर सही है या नहीं, इस बात की परख करने के लिए भारत में तीन संगठन कार्य कर रहे हैं –
1. BIS (भारतीय मानक ब्यूरो)- पहले इस संगठन को ISI (भारतीय मानक संस्थान) के नाम से जाना जाता था। यह संस्थान भारतीय उद्योगों में निर्मित वस्तुओं की वैज्ञानिक ढंग से गुणवत्ता की परख करके उन्हें गुणवत्ता के लिए प्रमाण पत्र देता है।
2. एगमार्क – एगमार्क खेती के उत्पादन कानून (1987), जिसे 1986 में संशोधित किया गया है, के अंतर्गत कार्य करता है यह योजना भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन मार्केटिंग एवं इंटेलिजेंस निदेशालय (डी०एम० आई०) द्वारा संचालित होती है।
3. आई०एस०ओ० (ISO) – जिस तरह भारत में उत्पादों के मानकीकरण की व्यवस्था है, उसी प्रकार मानकीकरण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था ISO जेनेवा में है। यह संस्था सरकारी नहीं है । इसकी स्थापना 1947 में हुई थी । ISO का कार्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के रूप में प्रकाशित किया जाता है। यदि आपको कुछ कंपनियाँ, माल या संस्थाएँ ऐसी मिलें जिन पर ISO 6000, ISO 14000 जैसे निशान लगे हों तो उनका अर्थ होता है कि विशेष उद्योग या उत्पाद समूह या संस्थाएँ विशिष्ट स्तर के मानकों के आधार पर हैं ।
प्रश्न 3. उपभोक्ता शोषण किसे कहते हैं? उन तरीकों का संक्षिप्त वर्णन करें जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है ? 
अथवा
उपभोक्ता के शोषण के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन कारकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
उत्तर – जब कोई दुकानदार या सेवा प्रदाता उपभोक्ता को वस्तु या सेवा देते समय घटिया वस्तु दे देता है और वास्तविक कीमत से ज्यादा कीमत वसूल करता है तो इसे उपभोक्ता शोषण कहते हैं ।
उपभोक्ता शोषण के निम्नलिखित तरीके हैं –
1. कम तोलना एवं कम मापना- बाजार में बेचा गया सामान कभी-कभी सही ढंग से तोला अथवा मापा नहीं जाता।
2. घटिया सामान – बेचा गया सामान कभी-कभी निम्न स्तर का या घटिया होता है। अंतिम तिथि निकल जाने के पश्चात् भी दवाओं का बेचा जाना, खराब घरेलू उपकरणों को बेचना, उपभोक्ताओं द्वारा की जाने वाली सामान्य शिकायतें हैं ।
3. अधिक कीमतें– प्रायः दुकानदार निर्धारित खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य ले लेते हैं।
4. नकली माल – असली वस्तुओं व पुर्जों के स्थान पर नकली माल बेच दिया जाता है।
5. मिलावट व अशुद्धता – अधिक लाभ कमाने के लोभ में महँगे खाद्य पदार्थों; जैसे घी, तेल और मसालों में मिलावट की जाती है। इससे उपभोक्ताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ता है । पैसे की हानि के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है ।
लघुत्तरात्मक प्रश्न [Short – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. उपभोक्ता शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – वह शिक्षा जो उपभोक्ता को दी जानी चाहिए जिससे वह सीमित आय से अधिक संतुष्टि प्राप्त कर सके और में फैली बुराइयों से अपने-आपको बचा सके । उपभोक्ता शिक्षा से वह वस्तु के गुण-दोष जाँचने के बाद उचित वस्तुएँ खरीद सकेगा और फिर भी यदि उपभोक्ता को इस बात का पता चलता है कि उसके साथ धोखा हुआ है तो वह उपभोक्ता अदालत में जा सकेगा।
प्रश्न 2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के उद्देश्य बताइए।
उत्तर – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
(1) लोगों के जीवन व संपत्ति को हानि पहुँचाने वाली वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के अधिकार की रक्षा करना ।
(2) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार ।
(3) अनुचित व्यापार व्यवहार से उपभोक्ता की रक्षा करना ।
(4) उपभोक्ता को प्रतियोगी कीमत पर वस्तुएँ प्राप्त करने के अधिकार की रक्षा करना ।
प्रश्न 3. उपभोक्ता जागरूकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – उपभोक्ता को उसके अधिकारों और कर्त्तव्यों के बारे में जानकारी देना उपभोक्ता जागरूकता या उपभोक्ता शिक्षा कहलाता है।
यह शिक्षा उपभोक्ता को दी जानी चाहिए जिससे वह सीमित आय से अधिक संतुष्टि प्राप्त कर सके और बाज़ार में फैली बुराइयों से अपने-आपको बचा सके। उपभोक्ता जागरूकता से वह वस्तु के गुण-दोष जाँचने के बाद उचित वस्तुएँ खरीद सकेगा और फिर भी यदि उपभोक्ता को इस बात का पता चलता है कि उसके साथ धोखा हुआ है तो वह उपभोक्ता अदालत में जा सकेगा।
प्रश्न 4. उपभोक्ता शोषण के लिए उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिए । 
उत्तर – उपभोक्ता शोषण के लिए उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं-
(1) सीमित सूचना का होना,
(2) सीमित आपूर्ति का होना,
(3) सीमित प्रतिस्पर्धा का होना,
(4) साक्षरता कम होना ।
प्रश्न 5. अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन (ISO) पर संक्षिप्त नोट लिखें ।
उत्तर – जिस तरह भारत में उत्पादों के मानकीकरण की व्यवस्था है, उसी प्रकार मानकीकरण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था ISO जेनेवा में है । यह संस्था सरकारी नहीं है। इसकी स्थापना 1947 में हुई थी । ISO का कार्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के रूप में प्रकाशित किया जाता है। यदि आपको कुछ कंपनियाँ, माल या संस्थाएँ ऐसी मिलें जिन पर ISO 6000, ISO 14000 जैसे निशान लगे हों तो उनका अर्थ होता है कि विशेष उद्योग या उत्पाद समूह या संस्थाएँ विशिष्ट स्तर के मानकों के आधार पर हैं ।
प्रश्न 6. उपभोक्ताओं के विभिन्न कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – उपभोक्ताओं के विभिन्न कर्त्तव्यों का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है –
(1) उपभोक्ताओं का यह कर्त्तव्य है कि वह BIS (ISI) मार्क या एगमार्क वाली वस्तुएँ ही खरीदें तथा वस्तु की खरीद के -समय बिल और गारंटी कार्ड अवश्य प्राप्त करें ।
(2) जहाँ भी संभव हो खरीदे गए सामान व सेवा की रसीद अवश्य लेनी चाहिए ।
(3) उपभोक्ताओं को ‘उपभोक्ता जागरूकता संगठन’ बनाना चाहिए । इस संगठन को सरकार तथा अन्य संस्थाओं द्वारा उपभोक्ताओं की समस्याओं के लिए स्थापित विभिन्न कमेटियों में प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान है।
(4) उपभोक्ता को अपनी वास्तविक समस्या की शिकायत अवश्य करनी चाहिए चाहे वस्तु का मूल्य कितना ही क्यों न हो ।
(5) उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी अवश्य प्राप्त करनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर उन अधिकारों का प्रयोग भी करना चाहिए ।
प्रश्न 7. भारत में उपभोक्ता आंदोलन के उदय पर एक नोट लिखें ।
उत्तर – भारत में ‘सामाजिक बल’ के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के साथ हुआ। अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट के कारण 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ। 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहत् स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन और प्रदर्शनी के आयोजन का कार्य करने लगी थीं। उन्होंने सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़-भाड़ और राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नज़र रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाया। हाल भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
प्रश्न 8. उपभोक्ता अधिकार के रूप में ‘चयन के अधिकार’ की व्याख्या करें।
उत्तर- चयन के अधिकार का अर्थ है कि उपभोक्ताओं को उचित मूल्यों पर वस्तुओं और सेवाओं को प्राप्त करने का अधिकार है। यदि मूल्य का भुगतान करने के पश्चात् भी क्रेता (उपभोक्ता) वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं होता है तो वह मूल्य वापसी की माँग कर सकता है। चयन का अधिकार उपभोक्ताओं को अपनी पसंद और संतुष्टि के अनुसार वस्तुएँ और सेवाएँ प्राप्त करने का अधिकार देता है ।
प्रश्न 9. उपभोक्ता अधिकार के रूप में ‘क्षतिपूर्ति के अधिकार’ का वर्णन करें।
उत्तर–यदि किसी वस्तु अथवा सेवा के उपभोग से उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचती है तो उसे क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार प्राप्त है। कई बार उत्पादक उपभोक्ता को घटिया किस्म का सामान बेच देते हैं जिससे उपभोक्ता को आर्थिक और शारीरिक क्षति पहुँच सकती है। यह अधिकार उपभोक्ताओं के हितों के रक्षक के रूप में काम करता है ।
प्रश्न 10. बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियमों की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर–बाजार में भी उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियम एवं विनियमों की आवश्यकता होती है, क्योंकि अकेला उपभोक्ता प्रायः स्वयं को कमजोर स्थिति में पाता है। खरीदी गई वस्तु या सेवा के बारे में जब भी कोई शिकायत होती है, तो विक्रेता सारा उत्तरदायित्व क्रेता पर डालने का प्रयास करता है। एक बार वस्तु बिक जाने के बाद विक्रेता ऐसा व्यवहार करता है जैसे कि उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं रह जाती है । इसलिए बाज़ार में उपभोक्ता के हितों की रक्षा के लिए नियमों की आवश्यकता होती है ।
अति लघुत्तरात्मक प्रश्न [Very Short – Answer Type Questions] 
प्रश्न 1. उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर–जो व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा का उपयोग करने के बदले मूल्य का भुगतान करता है, उसे उपभोक्ता कहते हैं।
प्रश्न 2. उपभोक्ता शोषण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- जब कोई दुकानदार उपभोक्ता को वस्तु या सेवा देते समय घटिया वस्तु दे देता है और वास्तविक कीमत से अधिक कीमत वसूल करता है तो इसे उपभोक्ता शोषण कहते हैं।
प्रश्न 3. मिलावट का क्या अर्थ होता है ?
उत्तर–जब अधिक लाभ कमाने के लिए बढ़िया वस्तु में उससे मेल खाने वाली घटिया वस्तु को मिलाकर बेचा जाता है तो उसे मिलावट कहते हैं ।
प्रश्न 4. ‘उपभोक्ता सुरक्षा कानून’ 1986 क्यों बनाया गया ?
उत्तर – उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए, उनकी शिकायतों को सरल, शीघ्र और कम खर्च में दूर करने के लिए ‘उपभोक्ता सुरक्षा कानून’ 1986 बनाया गया ।
प्रश्न 5. उपभोक्ताओं के शोषण के दो तरीके लिखिए ।
उत्तर – ( 1 ) कम तोलना या मापना, ( 2 ) घटिया या नकली सामान देना ।
प्रश्न 6. भारत में उपभोक्ताओं के शोषण के दो कारण लिखिए।
उत्तर- (1) अनपढ़ता और अज्ञानता, ( 2 ) सीमित सूचना का उपलब्ध होना ।
प्रश्न 7. भारत में उपभोक्ताओं की प्रकृति कैसी है?
उत्तर भारत में उपभोक्ता अनपढ़, असंगठित और अपने अधिकारों के प्रति अनभिज्ञ हैं ।
प्रश्न 8. उपभोक्ता जागरूकता से क्या अभिप्राय है? 
अथवा
उपभोक्ता शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – उपभोक्ता को उसके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी देना उपभोक्ता जागरूकता (शिक्षा) कहलाता है ।
प्रश्न 9. उपभोक्ताओं का मुख्य कर्तव्य लिखिए।
उत्तर – कोई भी वस्तु या सेवा खरीदते समय बिल अथवा रसीद अवश्य प्राप्त कर लें।
प्रश्न 10. जिला और राज्य उपभोक्ता आयोग की स्थापना कौन करता है?
उत्तर – जिला और राज्य उपभोक्ता आयोग की स्थापना राज्य सरकार करती है ।
प्रश्न 11. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग की स्थापना कौन करता है?
उत्तर- राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग की स्थापना केंद्रीय सरकार करती है ।
प्रश्न 12. एगमार्क का क्या कार्य है?
उत्तर – एगमार्क कृषि उत्पादों पर गुणवत्ता (मानकता) की मुहर लगाती है ।
प्रश्न 13. जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जो उपभोक्ता न्यायालय हैं, उनके नाम लिखिए । 
उत्तर- राष्ट्रीय स्तर पर इसे ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग’, राज्य स्तर पर इसे ‘राज्य उपभोक्ता आयोग’ और जिला स्तर पर इसे ‘जिला मंच’ कहते हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न [ Objective Type Questions]
I. एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर- ‘विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ प्रति वर्ष 15 मार्च को पूरे विश्व में मनाया जाता है ।
प्रश्न 2. कुछ संस्थाओं के नाम बताइए जो भारत में मानकीकरण का प्रमाण-पत्र देती हैं । 
उत्तर- ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) और एगमार्क ।
प्रश्न 3. संयुक्त राष्ट्र संघ ने उपभोक्ता संरक्षण के उपायों को कब मान्यता प्रदान की ? 
उत्तर – 15 मार्च, 1985 में ।
प्रश्न 4. भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब बना?
उत्तर- सन् 1986 में ।
प्रश्न 5. ISI का क्या अर्थ है?
उत्तर – ISI का अर्थ है – Indian Standard Institute (भारतीय मानक संस्थान ) ।
प्रश्न 6. भारत में उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर – 24 दिसंबर को ।
प्रश्न 7. ISO का क्या अर्थ है?
उत्तर – ISO का अर्थ है – International Standards Organisation (अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन ) ।
प्रश्न 8. COPRA का क्या अर्थ है ? 
उत्तर – COPRA का अर्थ है- Consumer Protection Act ( उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ) |
प्रश्न 9. MRP का क्या अर्थ है ?
उत्तर – MRP का अर्थ है- Maximum Retail Price (अधिकतम खुदरा मूल्य ) ।
प्रश्न 10. RTI Act का क्या अर्थ है ?
उत्तर – RTI Act का अर्थ है- Right To Information Act ( राइट टू इन्फॉरमेशन एक्ट ) |
II. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
1. बाजार में हमारी भागीदारी किस रूप में होती है?
(A) उत्पादक के रूप में
(B) उपभोक्ता के रूप में
(C) निगरानी रखने वाली एजेन्सी के रूप में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
2. बाजार में शोषण का रूप है –
(A) अधिक कीमत वसूलना
(B) कम तोलना
(C) मिलावटी माल बेचना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
3. उपभोक्ता आंदोलन का आरंभ हुआ-
(A) उत्पादकों के असंतोष के कारण
(B) उपभोक्ताओं के असंतोष के कारण
(C) सरकार के असंतोष के कारण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(B)
4. किस दशक में भारत में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ ?
(A) 1940 का दशक
(B) 1950 का दशक
(C) 1960 का दशक
(D) 1970 का दशक
उत्तर-(C)
5. संयुक्त राष्ट्र ने उपभोक्ता सुरक्षा के दिशा-निर्देशों को कब अपनाया ?
(A) 1985 में
(B) 1986 में.
(C) 1987 में
(D) 1988 में
उत्तर-(A)
6. भारत ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब बनाया ?
(A) 1985 में
(B) 1986 में.
(C) 1987 में
(D) 1988 में
उत्तर-(B)
7. COPRA (कोपरा ) क्या है ?
(A) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
(B) उत्पादक संरक्षण अधिनियम
(C) मूल्य नियंत्रण अधिनियम
(D) राष्ट्रीय संरक्षण अधिनियम
उत्तर-(A)
8. निम्नलिखित में से कौन-सी चीज उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आती है?
(A) विवाह पंडाल
(B)’ चिकित्सक
(C) खाद्य तेल
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
9. उपभोक्ता को निम्नलिखित में से कौन-सा अधिकार प्राप्त है ?
(A) सुरक्षा का
(B) जानकारी का
(C) चुनने का
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
10. जन सूचना अधिकार (RTI) एक्ट कब पास किया गया ?
(A) 2005 में
(B) 2006 में
(C) 2007 में
(D) 2008 में
उत्तर – (A)
11. भारत में निम्नलिखित में से कौन-सा उपभोक्ता न्यायालय कार्यरत है?
(A) राष्ट्रीय उपभोक्ता न्यायालय
(B) राज्य उपभोक्ता न्यायालय
(C) जिला उपभोक्ता फोरम
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
12. सामान खरीदते समय उपभोक्ता का मुख्य कर्त्तव्य है
(A) सामान की रसीद लेना
(B) दुकानदार के घर का पता लेना
(C) दुकानदार के साथ मोल-भाव करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (A)
13. भारत में किस दिन को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है?.
(A) 24 अक्तूबर
(B) 24 नवंबर
(C) 24 दिसंबर
(D) 24 जनवरी
उत्तर-(C)
14. भारत में इस समय कितने उपभोक्ता संगठन कार्यरत हैं ?
(A) 600 से अधिक
(B) 700 से अधिक
(C) 800 से अधिक
(D) 1000 से अधिक
उत्तर – (A)
15. खाद्य सामग्री के मानक निर्धारण करने वाली संस्था कौन-सी है?
(A) आई.एस.आई.
(B) एगमार्क
(C) हॉलमार्क
(D) आई.एस.ओ.
उत्तर-(B)
16. आभूषणों के मानक निर्धारण करने वाली संस्था है –
(A) ISO
(B) ISI
(C) हॉलमार्क
(D) एगमार्क
उत्तर-(C)
17. प्रत्येक उत्पाद पर MRP मूल्य लिखा होता है, इसका अर्थ है –
(A) Minimum Retail Price
(B) Maximum Retail Price
(C)Market Reserve Price
(D) Money Reserve Price
उत्तर-(B)
18. जिला उपभोक्ता अदालत कितनी राशि तक की शिकायतों के मामले सुनती है ?
(A) 20 लाख रुपए से कम के
(B) 20 लाख से 50 लाख रुपए तक के
(C) 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक के
(D) 1 करोड़ रुपए से अधिक के
उत्तर-(A)
19. राज्य उपभोक्ता आयोग कितनी राशि तक की शिकायतों का निपटारा करता है?
(A) 20 लाख रुपए तक
(B) 20 लाख से 1 करोड़ रुपए तक
(C) 1 करोड़ रुपए से अधिक तक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (B)
20. राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत किन शिकायतों का निपटारा करती है ?
(A) 20 लाख रुपए तक
(B) 20 लाख से 1 करोड़ रुपए तक
(C) 1 करोड़ रुपए से अधिक तक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (C)
III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. भारतीय संसद ने ……………. को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पास किया था ।
2. ISI : Indian Standard ………………. .
3. बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियम एवं ……………. की आवश्यकता होती है ।
4. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग की स्थापना ……………… करती है ।
5. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस प्रति वर्ष …………….. को पूरे विश्व में मनाया जाता है ।
उत्तर – 1. 24 दिसंबर, 1986, 2. Institute 3. विनियमों, 4. केंद्रीय सरकार, 5. 15 मार्च ।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हाँ / नहीं में दीजिए
1. एगमार्क कृषि उत्पादों पर गुणवत्ता की मुहर लगाती है।
2. अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन की स्थापना 1948 में हुई थी ।
3. MRP-Maximum Retail Price को प्रदर्शित करता है ।
4. बाजार में हमारी भागीदारी उत्पादक और निवेशक दोनों रूपों में होती है।
5. जन सूचना अधिकार एक्ट 1905 में पास किया गया ।
उत्तर- 1. हाँ, 2. हाँ, 3. हाँ, 4. नहीं, 5. हाँ ।

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार

उपभोक्ता अधिकार Notes HBSE 10th Class

→ कोई भी व्यक्ति जब किसी वस्तु अथवा सेवा की प्राप्ति के लिए धन प्रदान करना है तो उसे उपभोक्ता कहा जाता है।

→ जिनके द्वरा वस्तुओं का उत्पादन होता है वे उत्पादक कहलाते है। वस्तुओं को उत्पादक से उपभोक्ता तक व्यापारियों द्वारा पहुँचाया जाता है।

→ उत्पादकों व व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं को उनका संपूर्ण अधिकार प्रदान न किया जाना उपभोक्ता शोषण कहलाता है। उपभोक्ता से अधिक मूल्य वसूलना, उचित माप से कम वस्तु तौलना, निम्न गुणवत्ता की वस्तु देना सभी कुछ उपभोक्ता शोष्क्षण के ही रूप हैं।

→ उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए 1960 के दशक में भारत में व्यवस्थत रूप से उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ।

→ रैल्फ नाडर को आधुनिक उपभोक्ता हितों के संरक्षण का जनक माना जाता है। यद्यपि इस आंदोलन की शुरुआत इंग्लैंड से हुई तथापि इसकी प्रथम घोषणा का श्रेय अमेरिका को जाता है।

उपभोक्ता अधिकार Class 10 Notes HBSE

→ भारत में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिये विभिन्न स्तरों पर 500 से अधिक उपभोक्ता अदालतों की स्थापना की गई है इनकी प्रक्रिया इतनी सहज है कि उपभोक्ता बिना किसी कानूनी सहायता के अपने मामले की पैरवी स्वयं कर सकता है।

→ उपभोक्ता उदालमों को सभी मामलों को तीन महीने के अदंर निपटारा करने का निर्देश दिया गया है।

→ उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने 1986 ई. में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम बनाया था, जो COPRA के नाम से प्रसिद्ध है।

→ इसके अलावा सार्वजनिक वितरण व्यवस्था की शुरुआत हुई है जिससे आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता व कीमतों की एकरूपता सुनिश्चित किया जा सके।

→ उपभोक्ता आंदोलन का आरंभ : द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, इंग्लैंड में।

→ उपभोक्ता अधिकारों की पहली घोषणा : 1962 ई. में, अमेरिका में।

→ उपभोक्ता के चार मूल अधिकार : चुनाव, सूचना, सुरक्षा एवं सुनवाई।

→ उपभोक्ता आंदोलन का जन्मदाता : रैल्फ नाडर।

→ विश्व उपभोक्ता दिवस : 15 मार्च।

→ संयुक्त राष्ट्र संघ ने उपभोक्ताओं के सरंक्षण : 1985 ई में। हेतु दिशा-निर्देश स्वीकार किये

→ भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया गया : 1986 ई. में

→ कानून के तहत सर्वोच्च उपभोक्ता अदालत : राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग।

→ द्वितीय स्तर पर उपभोकता अदालत : राज्य उपभोक्ता आयो।

Class 10 Social Science Economics Chapter 5 Notes HBSE

→ तृतीय स्तर पर उपभोक्ता अदालत : जिला उपभोक्ता अदालत।

→ आई. एस. आई. : भारतीय मानक संस्थान।

→ एगमार्क का संशोधन : 1986 ई.।

→ आई. एस. ओ. : अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संस्था।

→ आई. एस. ओ. मुख्यालय : जेनेवा

→ कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन की स्थापना : 1963 ई. में एफ. ए. ओ. और डब्ल्यू. एच. ओ. द्वारा की गई।

→ आई. एस. ओ. की स्थापना : 1945 ई.।

→ कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन : यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सामग्री के मानक निर्धारण का कार्य करती है।

→ उपभोक्ता इंटरनेशनल : उपभोक्ता आंदोलन से संबंधित अन्तर्राष्ट्रीय संस्था। 100 से भी अधिक देशों के 240 संस्थाओं का सरंक्षक।

→ उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए तीन उपाय-

  • कानूनी
  • प्रशासनिक
  • तकनीकी।

→ एगमार्क भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन मार्केटिंग एवं इंटेलिजेंस निदेशालय, डी, एम. आई. द्वारा संचालित होता है।

→ वर्तमान समय में भारत में 500 जिला उपभोक्ता अदालतें हैं।

→ 1986 ई. में बने उपभोक्ता कानूनों में पहले 1991 ई. फिर 1993 ई. में संशोध न कर उन्हें और कड़ा बनाया गया।

→ शहद, मसाले आदि उत्पादों को गुणवत्ता के लिए एगमार्क चिन्ह प्रदान किया जाता है।

→ कोडेक्स एलीमेंटोरियस कमीशन का मुख्यालय रोम में हैं।

→ भारत में उपभोक्ता अदालतों द्वारा अब तक 77% मामलों का निपटारा, किया जा चुका है।

→ औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बी.एस. आई. का चिन्ह दिया जाता है।

→ संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 ई. में बच्चों के कल्याण तथा जीवन विकास के लिए चार्टर ऑफ राइट्स बनाया।

→ 1960 ई. के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आंदोलन का. उदय हुआ।

→ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्रेता को विक्रेता के शोषण से सुरक्षा प्रदान करता हैं।

→ उपभोक्ता अदालतों में अपने मामने की पैरवी स्वयं की जा सकती है।

→ उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 COPRA के नाम से प्रसिद्ध है।

→ भारत सरकार ने अक्टूबर, 2005 में राइट टू इनफारमेशन एक्ट पारित किया।

→ उपभोक्ता-वह व्यक्ति, संस्था या व्यक्तियों का समूह जो किसी वस्तु या सेवा का क्रय करता है।

→ उत्पादक-जिसके द्वारा वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।

→ उत्पाद-वह प्रक्रिया जो उपभोग के बिंदु तक चलती है।

→ मानकीकरण-उत्पादों की गुणवत्ता की परख के लिए उपयुक्त मानक निर्धारित करना।

→ उपभोग-आवश्यकता की पूर्ति के लिए वस्तुओं या सेवाओं का उपयोग करना।

→ कृत्रिम अभाव-अधिक लाभ कमाने के लालच मे व्यापारियों द्वारा जान-बूझकर उत्पन्न किया गया अभाव!

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