HR 10 SST

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 4 कृषि

HBSE 10th Class Geography कृषि Textbook Questions and Answers

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

1. कृषि भूमि को जोतने, फसलें उगाने, पशुओं को पालने, मछली पकड़ने तथा वानिकी की कला और विज्ञान को कृषि कहते हैं ।
2. कृषि के प्रकार – प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि, गहन जीविका कृषि, वाणिज्यिक कृषि, झूम कृषि, रोपण कृषि l
3. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि-प्रारंभिक जीवन निर्वाह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ों पर आदिम कृषि औजारों; जैसे लकड़ी के हल, डाओ और खुदाई करने वाली छड़ी के साथ परिवार के सदस्यों के द्वारा की जाती है।
4. झूम (कर्तन दहन कृषि ) – इस प्रकार की कृषि में किसान जमीन के टुकड़े साफ करके उन पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अनाज व अन्य खाद्य फसलें उगाता है ।
5. गहन जीविका कृषि – इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ भूमि पर जनसंख्या का अधिक दबाव हो।
6. वाणिज्यिक कृषि – इस प्रकार की कृषि मुख्य रूप से आधुनिक निवेशों; जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करके की जाती है।
7. रोपण कृषि – यह कृषि भी वाणिज्यिक कृषि का एक रूप है । इस प्रकार की कृषि में लंबे-चौड़े क्षेत्र पर एक ही फसल बोई जाती है ।
8. कृषि का महत्त्व – भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है।
9. शस्य प्रारूप- भारत में तीन शस्य ऋतुएँ हैं- रबी, खरीफ़ और जायद ।
10. रबी फसलें–ये फसलें अक्तूबर से दिसंबर के मध्य तक बोई जाती हैं और इन्हें अप्रैल से जून के मध्य तक काटा जाता है; जैसे गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों।
11. खरीफ फसलें ये फसलें मानसून के आगमन के साथ बोई जाती हैं और सितंबर-अक्तूबर में काट ली जाती हैं, जैसे चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूँग, उड़द, कपास, जूट आदि ।
12. ज़ायद- ये फसलें रबी और खरीफ़ फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसलें हैं; जैसे तरबूज, खरबूजे, खीरे, सब्जियाँ और चारे की फसलें ।
13. मुख्य खाद्यान्न – चावल, गेहूँ और मक्का ।
14. मोटे अनाज- ज्वार, बाजरा और रागी ।
15. दालें – उड़द, मूँग, अरहर, मसूर, मटर और चना ।
16. तिलहन-मूँगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, बिनौला, अलसी और सूरजमुखी।
17. पेय फसलें – चाय और कॉफी (कहवा) ।
18. रेशेदार फसलें – कपास, जूट, सन और प्राकृतिक रेशम ।
19. प्रौद्योगिकीय और संस्थागत सुधार – नए कृषि यंत्रों और उर्वरकों का प्रयोग, चकबंदी, सहकारिता, पंचवर्षीय योजनाएँ और ज़मींदारी उन्मूलन ।
20. वैश्वीकरण का कृषि पर प्रभाव – वैश्वीकरण ने भारतीय कृषि के सामने प्रतियोगिता के रूप में नई चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं । वैश्वीकरण के कारण भारतीय कृषि का स्वरूप बदलता जा रहा है ।
21. कार्बनिक कृषि – उर्वरकों तथा कीटनाशकों; जैसे रासायनिक खादों, खरपतवारनाशकों के प्रयोग के बिना की जाने वाली कृषि को कार्बनिक कृषि कहते हैं ।

अध्याय 4 कृषि Class 10 Question Answer Geography

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है?
(क) स्थानांतरी कृषि
(ख) रोपण कृषि
(ग) बागवानी
(घ) गहन कृषि
उत्तर-
(ख)रोपण कृषि

(ii) इनमें से कौन-सी रबी फसल है?
(क) चावल
(ख) मोटे अनाज
(ग) चना
(घ) कपास
उत्तर-
(ग) चना

(iii) इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है?
(क) दालें
(ख) मोटे अनाज
(ग) ज्वार तिल
(घ) तिल
उत्तर-
(ख) दालें

(iv) सरकार निम्नलिखित में से कौन-सी घोषणा फसलों को सहायता देने के लिए करती है?
(क) अधिकतम सहायता मूल्य
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य
(ग) मध्यम सहायता मूल्य
(घ) प्रभावी सहायता मूल्य
उत्तर-
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य

कृषि Chapter 4 HBSE 10th Class Geography

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनकल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर-

  1. चाय एक पेय पदार्थ की फसल है। यह पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहन मृदा तथा सुगम जल निकास वाले ढलवां क्षेत्रों उगाया जाता है। वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की आवश्यकता होती है।
  2. चाय की झाड़ियों को उगाने के लिए वर्ष भर कोष्ण नम और पालरहित जलवायु की आवश्यकता होती है।?
  3. वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारे इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती है।
  4. चाय एक श्रम-सघन उद्योग है। इसके लिए प्रचुर मात्रा में सस्ता और कुशल श्रम चाहिए।

(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर-
भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान्न चावल है। यह उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जाल और नलकूपों की अधिकता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना सम्भव हो सका है।

(iii) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।
उत्तर-
सरकार द्वारा कृषकों के हित में किये गये संस्थागत सुधार कार्यक्रम निम्नलिखित है-

  • जीवों की चकबन्दी, सहकारिता तथा जमींदारी आदि समाप्त करने की प्राथमिकता दी गई
  • पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रान्ति तथा श्वेत क्रान्ति जैसी रणनीतिया आरम्भ की गई
  • 1980 तथा 1990 के दशकों में विस्तृत भूमि विकास कार्यक्रम का आरम्भ
  • फसल बीमा प्रावधान तथा कृषकों को कम दर पर ऋण
  • किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना
  • आकाशवाणी और दूरदर्शन पर कृषि दर्शन

(iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते
उत्तर-
(क) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम होने से निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं-

  • देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि के अन्तर्गत भूमि कम होने से देश में सभी लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा।
  • उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना पड़ेगा जिससे भूमि की उर्वरा-शक्ति कम हो जाएगी।
  • कम उत्पादन के कारण मंहगाई बढ़ेगी।
  • कृषि में छुपी बेरोजगारी भी बढ़ जाएगी।
  • खाद्यान्न उत्पादन में कमी होने पर विदेशों से खाद्यान्न का आयात करना पड़ेगा जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ सकती है।

HBSE 10th Class Geography Chapter 4 कृषि

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।
उत्तर-
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है कृषि के महत्त्व को समझते हुए कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने हेतु सरकार द्वारा किये गये उपाय निम्नलिखित है-

  • सरकार द्वारा खेतों की चकबन्दी की गई ताकि भूमि पुश्तेंगी अधिकार के कारण भूमि टुकड़ों में न बँटती रहे।
  • कृषकों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने हेतु ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना की गई।
  • भारतीय कृषि में सुधार हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ और प्रजनन केन्द्र की स्थापना, बागवानी विकास, मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को वरीयता दी गई।
  • सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया गया जिससे कृषि हेतु सिंचाई का उचित प्रबन्ध हो सके।

(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-

  • भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव-वैश्वीकरण से तात्पर्य किसी उत्पादन का विश्व के देशों के समक्ष प्रदर्शन करना ताकि विश्व बाजार में यह प्रतिस्पर्धा हो सके।
  • ब्रिटिश काल में अंग्रेज व्यापारी भारत के पास को वस्त्र उद्योग हेतु आयात करते थे। मैनचेस्टर ओर लिवरपुल में सूती वस्त्र उद्योग भारत में पैदा होने वाली उत्तम किस्म की उपलब्धता पर फलीफूली।
  • 1917 में बिहार में चम्पारन आन्दोलन की शुरूआत इसलिये कि इस क्षेत्र में कृषकों पर नील की कृषि करने हेतु दवाब डाला गया था। नील ब्रिटेन के सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चा माल था। इसके फलस्वरूप किसान भड़के क्योंकि उन्हें अपने उपभोग हेतु अनाज उगाने से मना कर दिया गया था।
  • 1990 के पश्चात्, वैश्वीकरण के दौरान भारतीय कृषकों को कई नई समस्याओं का सामना करने के लिये विवश होना पड़ा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट और मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों में स्पर्धा करने में असमर्थ है क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्यधिक सहायिकी दी जाती है।

(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर-
चावल उत्पादन हेतु भौगोलिक परिस्थितियाँ-भारत चीन के दूसरा बड़ा चावल उत्पादक देश है।

  • यह खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है।
  • चावल उत्पादन के लिए जलोढ़ मृदा सबसे उपयुक्त होती है।
  • चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है।
  • चावल का उत्पादन पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, आन्द्रप्रदेश तथा बिहार में अधिक होता है।

नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ वर्षा होने वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना सम्भव हो सका है।

परियोजना कार्य

1. किसानों की साक्षरता विषय पर एक सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करें।
उत्तर-
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से सामूहिक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते हैं।

2. भारत के मानचित्र में गेहूँ उत्पादन क्षेत्र दर्शाइए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Social Science Solutions Chapter 4 कृषि 4

क्रियाकलाप

ऊपर-नीचे और दायें-बायें चलते हुए वर्ग पहेली को . सुलझाएँ और छिपे उत्तर ढूँढ़ें।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Chapter 4 कृषि 1

(i) भारत की दो खाद्य फसलें।
उत्तर-
गेहूँ, (Wheat), चावल (Rice),

(ii) यह भारत की ग्रीष्म फसल ऋतु है।
उत्तर-
खरीफ (Kharif)।

(iii)अरहर, मूंग, चना, उड़द जैसी दालों से… मिलता
उत्तर-
प्रोटीन (Protein)।

(vi) यह एक मोटा अनाज है।
उत्तर-
ज्वार (Jowar)|

(v) भारत की दो महत्त्वपूर्ण पेय फसल हैं
उत्तर-
चाय, (Tea) कॉफी (Coffee)।

(vi) काली मिट्टी पर उगाई जाने वाली चार रेशेदार फसलों में से एक I
उत्तर-
कपास (Cotton)।

परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न [Long – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. भारत की खाद्य सुरक्षा नीति की विस्तृत व्याख्या करें ।
उत्तर-भोजन मनुष्य की एक आधारभूत आवश्यकता है। देश के प्रत्येक नागरिक को ऐसा भोजन मिलना चाहिए जो उसे न्यूनतम पोषण-स्तर प्रदान करे । हमारे देश के कुछ भागों में सभी लोगों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध नहीं है। देश के सभी लोगों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने दो घटकों की रचना की है।
1. बफर स्टॉक- सरकार का मुख्य लक्ष्य देश के प्रत्येक व्यक्ति को खाद्यान्न प्रदान करना है। इससे निर्धन लोग भोजन प्राप्त कर सकेंगे। सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थित मूल्य (MSP) पर खाद्यान्न खरीदती है और उनको भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदामों में भण्डारित करती है। केंद्र सरकार बफर स्टॉक के रूप में प्रत्येक फसल के सुरक्षित भण्डारण की व्यवस्था करती है । बफर स्टॉक लोगों को खाद्य सुरक्षा की गारन्टी प्रदान करता है ।
2. सार्वजनिक वितरण प्रणाली – भारत सरकार द्वारा लोगों तक उचित कीमतों पर अनाज पहुँचाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अपनाया गया है। इसमें सरकार सस्ते मूल्य की दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को खाद्यान्न उपलब्ध कराती है । इसके लिए सरकार ने लोगों को दो श्रेणियों (गरीबी रेखा से नीचे BPL-Below Poverty Line तथा गरीबी रेखा से ऊपर APL-Above Poverty Line) में विभाजित किया हुआ है। प्रत्येक वर्ग के लिए चीजों की कीमतें अलग-अलग हैं। भारत सरकार ने लोगों को भोजन का अधिकार प्रदान किया है जिसके अन्तर्गत BPL परिवारों को मोटा अनाज, गेहूँ, चावल और दालें प्रदान की जाती हैं और इसी प्रकार से चीनी तथा मिट्टी का तेल भी सस्ते मूल्यों पर दिया जाता है ।
प्रश्न 2. भारत में मक्का के विकास के लिए किस प्रकार की भौगोलिक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है? इसके उत्पादक राज्य भी बताएँ ।
उत्तर – मक्का एक खाद्य तथा चारा फसल है जो निम्न कोटि मिट्टी व अर्ध-शुष्क जलवायवी परिस्थितियों में उगाई जाती है । इसके लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं-
1. तापमान – मक्का की फसल के लिए 25° 30° सेल्सियस तक तापमान की आवश्यकता होती है। अधिक तापमान और अधिक सर्दी मक्का की फसल के लिए हानिकारक है ।
2. वर्षा – भारत में मक्का खरीफ़ की फसल के रूप में उगाया जाता है। इसके लिए 50-75 सें०मी० वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है ।
3. मिट्टी – इसकी फसल के लिए हल्की दोमट या बलुई मिट्टी की आवश्यकता होती है । जिस मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। वह मिट्टी इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है।
प्रमुख उत्पादक राज्य – मक्का उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़कर देश के लगभग सभी भागों में उगाया जाता है परन्तु उत्तर व मध्य भारत में देश का 80% मक्का उगाया जाता है । इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं
1. महाराष्ट्र – देश का सबसे अधिक मक्का महाराष्ट्र में होता है। परन्तु प्रत्येक वर्ष इसके उत्पादन में उतार-चढ़ाव होता रहता है ।
2. आंध्र प्रदेश – आंध्र प्रदेश का मक्का उत्पादन में देश में महत्त्वपूर्ण स्थान है। यहाँ देश का लगभग 21% मक्का पैदा होता है ।
3. कर्नाटक- कर्नाटक में देश का लगभग 19% मक्का की पैदावार होती है ।
4. अन्य राज्य – मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि हैं ।
प्रश्न 3. भारत में चावल की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों/दशाओं का वर्णन करते हुए इसके उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए ।
अथवा
चावल की खेती की व्याख्या करें ।
अथवा
भारत में चावल की खेती के वितरण का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – चावल एक उष्ण आर्द्र कटिबंधीय फसल है । यह भारत की मुख्य खाद्य फसल है। विश्व में इसके उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। यह देश के कुल बोए क्षेत्र के एक-चौथाई भाग पर बोया जाता है। दक्षिणी और पूर्वी भागों के अधिकांश निवासियों का मुख्य भोजन चावल है ।
भौगोलिक दशाएँ -इसकी उपज के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएँ अनुकूल हैं –
1. तापमान – चावल की बुआई के समय 20° – 21° सें०ग्रे०, बढ़ने के समय 22° 25° सें०ग्रे० और पकते समय 27° सें०ग्रे० तापमान की आवश्यकता होती है। यही मौसम पौधे के विकास के लिए उपयुक्त है।
2. जल व वर्षा – चावल एक अंकुरित पौधा होने के कारण इसके बोते समय खेत में लगभग 20-30 सें०मी० गहरा जल भरा होना चाहिए। इसकी फसल के समय 100-200 सें०मी० वर्षा होनी चाहिए । जहाँ पर वर्षा कम होती है वहाँ पानी की पूर्ति सिंचाई द्वारा की जाती है ।
3. मिट्टी-चावल की कृषि के लिए चिकनी, दोमट मृदा बहुत अच्छी होती है क्योंकि इसमें अधिक समय तक नमी धारण करने की शक्ति होती है और क्षारयुक्त मृदाओं को भी सहन कर सकता है। भारत के डेल्टाई व तटवर्ती भाग इसकी खेती के लिए बहुत उत्तम हैं ।
4. भूमि या धरातल – चावल की कृषि के लिए भूमि समतल या हल्के ढाल वाली होनी चाहिए । समतल भूमि में पानी रोकने के लिए मेढ़बंदी करनी पड़ती है । पहाड़ी इलाकों में सीढ़ीदार खेत बनाए जाते हैं ।
5. श्रम – चावल की कृषि में मशीनी शक्ति की बजाय मानवीय शक्ति की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए श्रम सस्ता होना चाहिए । इसमें ज्यादातर काम हाथों से किया जाता है ।
वितरण-भारत में बोई गई भूमि के अंतर्गत सबसे अधिक क्षेत्रफल चावल का है। भारत के ऊंचे भागों को छोड़कर समस्त भारत में यदि जल उपलब्ध हो तो कृषि की जा सकती है। भारत के मुख्य उत्पादक क्षेत्र उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश आदि हैं। कई भागों में चावल वर्ष में दो बार उगाया जाता है। गंगा-सतलुज मैदान इसका प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है।
1. पश्चिम बंगाल – पश्चिम बंगाल में चावल का उत्पादन सबसे अधिक होता है । इस राज्य की तीन-चौथाई कृषि भूमि पर देश का 14% से अधिक चावल पैदा होता है । उत्पादन की दृष्टि से इसका भारत में प्रथम स्थान है। जलपाईगुड़ी, बाँकुड़ा, मिदनापुर, पश्चिमी दीनाजपुर, बर्दमान, दार्जिलिंग आदि में चावल का उत्पादन होता है ।
2. उत्तर प्रदेश – देश में चावल के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का दूसरा स्थान है। यहाँ देश का लगभग 12% चावल उत्पन्न होता है। प्रमुख उत्पादक जिलों में सहारनपुर, देवरिया, लखनऊ, गोंडा, बलिया, पीलीभीत, गोरखपुर आदि हैं। हर वर्ष इसके कुल उत्पादन में उतार-चढ़ाव होता रहता है ।
3. आंध्र प्रदेश – यह राज्य भारत का लगभग 11% चावल पैदा करता है। यहाँ कृष्णा और गोदावरी नदियों के डेल्टाई और निकटवर्ती तटीय मैदानी क्षेत्रों में चावल की पैदावार अच्छी होती है ।
4. पंजाब- पंजाब में पिछले कुछ सालों में गेहूँ की तुलना में चावल का उत्पादन बढ़ा है। हरित क्रांति के बाद चावल उत्पादन में देश में सबसे ज्यादा वृद्धि यही दर्ज की गई । होशियारपुर, गुरदासपुर, अमृतसर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना आदि पंजाब के प्रमुख चावल उत्पादक जिले हैं।
5. बिहार – बिहार में वर्ष में चावल की दो फसलें बोई जाती हैं। यहाँ लगभग 40% सिंचित कृषि पर चावल की पैदावार होती हैं। यहाँ के प्रमुख उत्पादक जिले हैं— सारन, चम्पारन, गया, दरभंगा, मुंगेर, पूर्णिया आदि ।
6. तमिलनाडु – चिंगलेपुर, दक्षिणी अर्काट, नीलगिरि, रामनाथपुरम्, तंजावूर, कोयम्बटूर, सेलम आदि जिलों में चावल पैदा किया जाता है। कावेरी नदी का डेल्टा इसका प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। राज्य का 25% चावल अकेला तंजावूर जिला पैदा करता है ।
7. ओडिशा – इस राज्य में भारत का लगभग 6-7% चावल पैदा किया जाता है । कटक, पुरी, सम्बलपुर, बालासोर, मयूरभंज आदि जिलों में इसका उत्पादन होता है। कटक में तो भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान स्थित है।
8. मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ रायपुर, जबलपुर, बस्तर, दुर्ग, गोदिया, देवास आदि जनपदों में चावल की कृषि की जाती है। यहाँ भारत का लगभग 5-7% चावल पैदा होता है। नर्मदा नदी, ताप्ती नदी की घाटियाँ और छत्तीसगढ़ का मैदान चावल की कृषि के लिए बहुत उपयोगी है।
9. अन्य राज्य – अन्य उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, हरियाणा, राजस्थान, गोवा, मणिपुर तथा केरल प्रमुख हैं। हरियाणा में अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, जींद मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं ।
प्रश्न 4. गेहूँ की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें। भारत में इसके वितरण की व्याख्या करें ।
अथवा
गेहूँ की कृषि के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में गेहूँ की खेती के वितरण का वर्णन कीजिए । 
उत्तर – भारत में गेहूँ चावल के बाद अन्य प्रमुख खाद्यान्न फसल है। इसकी देश की कुल 14% भाग पर खेती की जाती है । यह मुख्यतः शीतोष्ण कटिबंधीय फसल है इसे शरद् अर्थात् खरीफ़ ऋतु में बोया जाता है । इस फसल का 85% क्षेत्र भारत के उत्तरी मध्य भाग तक केंद्रित है।
भौगोलिक दशाएँ-गेहूँ की भौगोलिक दशाएँ या परिस्थितियाँ निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती हैं –
1. तापमान – गेहूँ की कृषि के लिए अधिक तापमान एवं वर्षा की आवश्यकता नहीं होती। इसको बोते समय औसत तापमान 10° सेंटीग्रेड और बढ़ते व पकते समय 15° – 25° सेंटीग्रेड तक होना चाहिए ।
2. वर्षा – इसकी खेती के लिए वार्षिक वर्षा 50-75 सें०मी० तक होनी चाहिए। अधिक वर्षा इसकी खेती के लिए नुकसानदायक है। लेकिन पौधों की वृद्धि के लिए मृदा में पर्याप्त नमी होनी चाहिए ।
3. मिट्टी – इसको उगाने के लिए जलोढ़, दोमट व चिकनी मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसे काली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है ।
4. भूमि या धरातल – इसकी खेती के लिए समतल तथा लगातार उतार-चढ़ाव वाले मैदानी भाग उपयुक्त ।
5. श्रम – विभिन्न कार्यों हेतु सस्ते श्रम की आवश्यकता होती है, लेकिन गेहूँ की कृषि यांत्रिक होने के कारण अब अधिक श्रम की आवश्यकता नहीं है ।
वितरण – भारत में सबसे ज्यादा गेहूँ की कृषि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा मध्य प्रदेश में की जाती है। यहाँ देश का तीन-चौथाई भाग गेहूँ उत्पन्न होता है । इनके अलावा राजस्थान, बिहार एवं उनके निकटवर्ती क्षेत्रों में गेहूँ की अच्छी कृषि की जाती है।
1. उत्तर प्रदेश- गेहूँ के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। गंगा, घाघरा, दोआब यहाँ के महत्त्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र हैं। इस राज्य के मुख्य उत्पादक जिले मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, रामपुर, बुलंदशहर, इटावा, कानपुर आदि हैं। उत्तर प्रदेश में गंगा-यमुना दोआब तथा गंगा-घाघरा दोआब गेहूँ की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं।
2. पंजाब-हरित क्रांति के पश्चात् से पंजाब में गेहूँ की कृषि में बहुत उन्नति हो रही है। गेहूँ के उत्पादन में इस राज्य का भारत में दूसरा स्थान है। यहाँ कुल कृषि भूमि के 30% भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है। इसके मुख्य उत्पादक जिले अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, संगरूर, जालंधर, भटिण्डा, फिरोजपुर आदि हैं ।
3. मध्य प्रदेश गेहूँ उत्पादन में मध्य प्रदेश का देश में तीसरा स्थान है। राज्य के मालवा क्षेत्र में उपजाऊ मिट्टी और नर्मदा घाटी की गहरी कछारी मिट्टी होने के कारण गेहूँ की अच्छी कृषि की जाती है। ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, जबलपुर आदि जिले प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं l
4. हरियाणा सिंचाई सुविधाओं के कारण यहाँ भी पंजाब की तरह प्रति हैक्टेयर उपज अधिक है। इस राज्य के मुख्य उत्पादक जिले रोहतक, हिसार, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी आदि हैं। देश के कुल उत्पादन में इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
5. राजस्थान – राजस्थान की कुल भूमि के लगभग 18% भाग पर गेहूँ की खेती की जाती है । इन्दिरा गाँधी नहर बनने के बाद यहाँ गेहूँ की उपज में वृद्धि हुई है। श्रीगंगानगर, अलवर, भरतपुर, कोटा, जयपुर, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर आदि यहाँ के प्रमुख गेहूँ उत्पादक जिले हैं।
6. बिहार – बिहार के उत्तरी मैदानी भागों में गेहूँ उत्पादन किया जाता है । इस राज्य की कृषीय भूमि के 14% भाग पर गेहूँ की खेती होती है। यहाँ के प्रमुख गेहूँ उत्पादक जिले चम्पारन, दरभंगा, पटना, गया, मुजफ्फरपुर व शाहबाद इत्यादि हैं।
7. अन्य राज्य-भारत के अन्य गेहूँ उत्पादक राज्यों में छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक आदि हैं। इन राज्यों में समतल उपजाऊ भू-भागों में गेहूँ की कृषि की जाती है ।
प्रश्न 5. गन्ने की कृषि के लिए कौन-कौन-सी भौगोलिक परिस्थितियाँ अनुकूल रहती हैं ? भारत में इसके उत्पादक राज्यों का वर्णन कीजिए। 
अथवा 
भारत में गन्ने की खेती के वितरण का वर्णन करें ।
उत्तर – गन्ने के उत्पादन में भारत का संसार में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। हमारा देश संसार के कुल उत्पादन का लगभग एक-चौथाई भाग पैदा करता है । गन्ना एक उष्ण कटिबंधीय फसल है और यह देश की सबसे महत्त्वपूर्ण नकदी फसल है। इस फसल की बुआई का समय फरवरी से मई तथा कटाई का समय नवम्बर से मार्च तक का है । कच्चे माल के रूप में कई उद्योगों में इसका प्रयोग होता है; जैसे चीनी उद्योग, गत्ता उद्योग आदि ।
भौगोलिक दशाएँ–गन्ने की कृषि के लिए जरूरी भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं –
1. तापमान गन्ने का वर्धनकाल लगभग 1 वर्ष होता है । इसके लिए 20° से 30° सेल्सियस तापमान की आवश्यकता रहती है । 40° सेंटीग्रेड से अधिक और 15° सेंटीग्रेड से कम तापमान पर गन्ना पैदा नहीं होता । अत्यधिक सर्दी, पाला इसके लिए हानिकारक होता है ।
2. वर्षा गन्ना 100 से 150 सें०मी० वर्षा वाले क्षेत्रों में खूब उगाया जाता है । कम वर्षा वाले क्षेत्रों में यह सिंचाई की सहायता से उगाया जाता है। इसकी कटाई के समय शुष्क मौसम होना चाहिए ।
3. मिट्टी – गहरी दोमट और लावायुक्त काली मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है। मिट्टी में चूने की मात्रा होनी चाहिए । बाढ़ के मैदानों तथा डेल्टाई प्रदेशों में यह खूब पैदा होता है । इसके लिए बड़ी मात्रा में खाद की जरूरत रहती है, क्योंकि यह मिट्टी के पोषक तत्त्वों को अधिक समाप्त करता है।
4. भूमि गन्ने की खेती के लिए मैदानी भाग उपयुक्त होते हैं, क्योंकि यहाँ परिवहन के सस्ते साधन सुलभ होते हैं तथा मशीनों का भी इसकी कटाई में प्रयोग हो सकता है ।
5. श्रम गन्ने की खेती का अधिकांश काम हाथों से होता है। अतः सस्ते श्रम की जरूरत पड़ती है।
वितरण – भारत का लगभग 75% गन्ना उत्तरी मैदानों में पैदा होता है। भारत में प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्र हैं-1. उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश भारत का लगभग 40% गन्ना पैदा करता है । इसके मुख्य उत्पादक जिले सहारनपुर, मुरादाबाद, मेरठ, फैजाबाद, बुलंदशहर, शाहजहाँपुर, बलिया, आजमगढ़ और गोरखपुर आदि हैं। यहाँ के तराई क्षेत्र और दोआब क्षेत्र में गन्ने की अच्छी पैदावार होती है ।
2. महाराष्ट्र महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है । यहाँ उच्च कोटि का गन्ना पैदा होता है और मुख्य उत्पादक जिले नासिक, पुणे, शोलापुर, रत्नागिरि तथा अहमदनगर, सतारा आदि हैं।
3. कर्नाटक – यहाँ गन्ने की कृषि नदी-घाटियों में की जाती है । यह राज्य भारत का लगभग 13% गन्ना पैदा करता है । यहाँ के महत्त्वपूर्ण जिले मैसूर, कोलार, रायचूर, बेलारी, तुमकुर तथा बेलगाँव आदि हैं।
4. तमिलनाडु – तमिलनाडु कुल उत्पादन और प्रति हैक्टेयर उत्पादन की दृष्टि से देश में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ देश का लगभग 10% गन्ना पैदा होता है। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले कोयम्बटूर, मदुरई, उत्तरी अर्काट, दक्षिणी अर्काट तथा चेन्नई आदि हैं ।
5. आंध्र प्रदेश – यहाँ गन्ने की कृषि गोदावरी तथा कृष्णा नदियों के डेल्टाई क्षेत्रों में की जाती है। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले पश्चिमी गोदावरी, श्री काकुलम, निजामाबाद, विशाखापट्टनम तथा चित्तूर आदि हैं।
6. पंजाब – पंजाब की मिट्टी उपजाऊ है । यह राज्य देश का लगभग 2% गन्ना पैदा करता है। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले जालंधर, अमृतसर, फिरोजपुर तथा गुरदासपुर आदि हैं।
7. हरियाणा-पंजाब की तरह हरियाणा में भी उपजाऊ मृदा और सिंचाई साधनों की सुविधाओं के कारण गन्ना क्षेत्र, उत्पादन और प्रति हैक्टेयर में निरंतर वृद्धि हो रही है। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले अम्बाला, करनाल, रोहतक, सोनीपत, पानीपत और यमुनानगर आदि हैं ।
8. गुजरात—सूरत, जामनगर, जूनागढ़, राजकोट तथा भावनगर गुजरात के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले हैं ।
9. बिहार – निम्न गंगा के मैदान में स्थित होने के कारण बिहार में गन्ने की खेती के लिए सभी अनुकूल दशाएँ विद्यमान हैं। गोपालगंज, सिवान, बक्सर, रोहतास, गया, औरंगाबाद, सारन व वैशाली बिहार के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले हैं।
प्रश्न 6. कपास की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें। भारत में कपास के वितरण की व्याख्या करें ।
अथवा
भारत में कपास की कृषि का वर्णन कीजिए ।
अथवा
कपास की उपज के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ और भारत में इसके वितरण का भी उल्लेख कीजिए |
उत्तर – कपास के पौधे का मूल स्थान भारत है । यहाँ प्राचीनकाल से लोग सूती कपड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं । ऋग्वेद में भी कई जगहों पर कपास के बारे में वर्णन मिलता है । कपास एक उष्ण कटिबंधीय फसल है जो देश के अर्ध-शुष्क भागों में खरीफ़ ऋतु में बोई जाती है ।
भौगोलिक दशाएँ–कपास की कृषि के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएँ आवश्यक हैं –
1. तापमान – कपास के लिए ऊँचे तापमान की आवश्यकता रहती है । इसके लिए 20° से 25° सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। पाला इसके लिए हानिकारक होता है ।
2. वर्षा – कपास की खेती के लिए 50 से 80 सें०मी० तक वर्षा अधिक उपयोगी रहती है । कपास पर फूल आने के समय आकाश बादल रहित होना चाहिए । इसके पकते समय शुष्क मौसम होना चाहिए । कम वर्षा वाले क्षेत्र में सिंचाई की सहायता से इसे उगाया जाता है ।
3. मिट्टी – जल को अधिक सोख लेने वाली दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है। मिट्टी में चूने के अंश होने चाहिएँ । इसकी उपज के लिए लावा से बनी मिट्टी सर्वोत्तम होती है । कपास की खेती के लिए गहरी एवं मध्यम काली मिट्टी आदर्श मानी जाती है। देश में इसकी उपज गंगा मैदान की काँप मिट्टी और लाल या लेटराइट मिट्टी में भी की जाती है ।
4. श्रम – कपास की खेती के लिए सस्ते तथा कुशल श्रम की आवश्यकता होती है । कपास डोंडियों से इसको चुनने का काम हाथों से ही किया जाता है ।
वितरण – भारत में कपास उत्पादक राज्य / क्षेत्र निम्नलिखित हैं
1. महाराष्ट्र – महाराष्ट्र में देश की लगभग 21% कपास की पैदावार होती है। यहाँ लम्बे रेशे वाली कपास भी उगाई जाती है। यहाँ लावा निर्मित मिट्टी कपास की कृषि के लिए बहुत उपयुक्त है। यहाँ के मुख्य कपास उत्पादक जिले नागपुर, अमरावती, अंकोला, जलगाँव, वर्धा, शोलापुर और नांदेड़ आदि हैं।
2. गुजरात – यह राज्य देश की लगभग 35% कपास का उत्पादन करता है । यहाँ के महत्त्वपूर्ण जिले अहमदाबाद, सूरत, साबरमती, भावनगर, राजकोट, पंचमहल, भड़ौंच तथा सुरेंद्रनगर आदि हैं ।
3. पंजाब – पंजाब में दोमट तथा उपजाऊ मिट्टी पाई जाती है तथा सिंचाई की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। यहाँ के महत्त्वपूर्ण उत्पादक जिले फिरोजपुर, भटिण्डा, लुधियाना, अमृतसर तथा संगरूर आदि हैं।
4. हरियाणा – पश्चिमी हरियाणा में बलुई मिट्टी में सिंचाई की व्यवस्था हो जाने से यहाँ कपास की कृषि में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हिसार और सिरसा हरियाणा की लगभग 80 प्रतिशत कपास पैदा करते हैं । जींद, फतेहाबाद और भिवानी कपास के अन्य उत्पादक जिले हैं ।
5. कर्नाटक- यहाँ भारत की लगभग 4% कपास पैदा होती है। यहाँ भी काली मिट्टी और लाल मिट्टी का कुछ क्षेत्र है जो कपास के लिए उपयुक्त है। महत्त्वपूर्ण उत्पादक जिले धारवाड़, बेलगाँव, बीजापुर तथा बेलारी आदि हैं।
6. राजस्थान- सिंचाई की सहायता से यहाँ कपास पैदा की जाती है। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले भीलवाड़ा, अलवर, बूँदी, टोंक, कोटा और झालावाड़ आदि हैं ।
7. आंध्र प्रदेश – सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि तथा सरकार की अनुकूल नीतियों के कारण आंध्र प्रदेश में कपास के उत्पादन में इस वर्ष अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यहाँ छोटे तथा लम्बे दोनों प्रकार के रेशों वाली कपास उगती है। यहाँ के प्रमुख कपास उत्पादक जिले गुंटूर, कृष्णा, पश्चिमी गोदावरी व कर्नूल आदि हैं ।
8. मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश के पश्चिमी और दक्षिणी भाग कपास की खेती के लिए उपयुक्त हैं। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले हैं— देवास, छिदवाड़ा, खलाम, पश्चिमी नीमाड़ और धार आदि ।
9. अन्य उत्पादक क्षेत्र – अन्य उत्पादक राज्य तमिलनाडु, केरल, बिहार, ओडिशा, असम आदि हैं जो सभी मिलकर देश की 4% से अधिक कपास पैदा करते हैं ।
प्रश्न 7. हरित क्रांति के भारतीय समाज पर पड़े सामाजिक और आर्थिक प्रभावों की व्याख्या कीजिए । 
उत्तर- कृषि क्षेत्र में नई कृषि नीति और तकनीकी परिवर्तनों के कारण उत्पादन में होने वाली वृद्धि को ‘हरित क्रांति’ कहते हैं। यह भारतीय कृषि में उन्नति का प्रतीक है । हरित क्रांति के भारतीय समाज पर निम्नलिखित सामाजिक व आर्थिक प्रभाव पड़े हैं –
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि – हरित क्रांति के फलस्वरूप कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई है । हरित क्रांति के कारण ही देश खाद्यान्नों के उत्पादन में आत्म-निर्भर बन सका है।
2. कृषि का मशीनीकरण – हरित क्रांति के परिणामस्वरूप ही भारतीय कृषि का मशीनीकरण हो रहा है । जुताई से लेकर गहाई तक के लगभग सारे कार्यों का पूरी तरह मशीनीकरण हो चुका है ।
3. सुनिश्चित सिंचाई विद्युत् चालित नलकूपों द्वारा सिंचाई को सुनिश्चित कर लिया गया है। अब पूरा साल किसानों को केवल वर्षा की ओर नहीं देखना पड़ता । इन नलकूपों द्वारा कुल सिंचित क्षेत्र में भी अत्यधिक मात्रा में वृद्धि हुई है ।
4. ग्रामीण आय में वृद्धि हरित क्रांति के फलस्वरूप कृषि उत्पादन में वृद्धि से ग्रामीण लोगों की आय में अधिक मात्रा में वृद्धि हुई है।
5. ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार – हरित क्रांति के कारण लोगों की आय में काफी वृद्धि हुई है, जिससे ग्रामीण जीवन में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है। वे अब पक्के, अच्छे, साफ-सुथरे मकानों में रहते हैं। उनमें साक्षरता भी बढ़ी है।
6. कृषि का व्यवसायीकरण – भारतीय कृषि अब निर्वाह कृषि का रूप त्यागकर व्यापारिक कृषि बन गई है। किसानों की व्यापारिक फसलों के उत्पादन में काफी रुचि बढ़ी है। उनका उत्पादन सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा खरीद लिया जाता है।
7. किसानों के दृष्टिकोण में परिवर्तन – हरित क्रांति के कारण किसानों के दृष्टिकोण में महान परिवर्तन आया है। अब किसान कृषि की नई तकनीक अपनाने लगे हैं। अच्छी उपज देने वाले बीजों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग होने लगा है। किसानों ने फसलों के वैज्ञानिक हेर-फेर को अपना लिया है ।
8. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि – हरित क्रांति के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय में काफी वृद्धि हुई है।
9. कीटनाशकों का प्रयोग – हरित क्रांति के कारण कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग में काफी वृद्धि हुई है।
प्रश्न 8. “भारतीय कृषि निर्वाह का स्वरूप त्यागकर व्यापारिक कृषि बन गई है ” – इस कथन को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- पहले किसानों की निर्धनता, साधारण खादों और बीजों की पुरानी किस्मों का उपयोग, सिंचाई की सुविधाओं का अभाव और जोतों के छोटे आकार के कारण उत्पादन बहुत कम होता था, जो उत्पादन होता था, वह उसके परिवार में ही खप जाता था। परंतु जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण अब कृषि उत्पादों की माँग बढ़ रही है। इसलिए कृषि अपने निर्वाह स्वरूप को त्यागकर व्यापारिक कृषि बन रही है । इसके बारे में अनेक संकेत मिल रहे हैं ।
1. जोतों के आकार में परिवर्तन – चकबंदी ने छोटी जोतों को बड़ी जोतों में बदल दिया है। छोटी जोतों में भारी कमी हुई है। बड़ी जोतें व्यापारिक कृषि के लिए उपयुक्त होती हैं ।
2. भूमि संबंधी अधिकार सरकार ने जमींदारी प्रथा का उन्मूलन करके किसानों को भूमि संबंधी अधिकार दे दिए। इससे कृषि में उनकी रुचि बढ़ गई और अधिक उत्पादन होने लगा ।
3. कृषि का मशीनीकरण – कृषि कार्यों में पशुओं का स्थान मशीनों ने ले लिया । जुताई, बुआई, कटाई, सिंचाई आदि का मशीनीकरण हो गया है। कृषि के आधुनिक उपकरणों, ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, ट्रैक्टर-ट्रॉली, जलपंप और स्प्रिंकलर आदि ने न केवल उपज में वृद्धि की है बल्कि समय की भी बहुत बचत की है।
4. नए बीजों और उर्वरकों का उपयोग – अब अधिक उपज देने वाले नए-नए बीजों का प्रयोग किया जा रहा है। अब उर्वरकों के उपयोग में वृद्धि के कारण अधिक उपज होने लगी ।
5. कृषि में वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग-व्यापारिक कृषि के लिए वैज्ञानिक तकनीक की जानकारी और उसका प्रयोग जरूरी होता है। इस तकनीक के प्रयोग में काफी वृद्धि हुई है। यही व्यापारिक कृषि का संकेत है । कृषि के नए-नए ढंगों ने उपज में काफी ज्यादा वृद्धि की है ।
6. कीटनाशकों का प्रयोग फसलों को खरपतवार, फफूँदी और अनेक प्रकार के कीड़ों से बचाने के लिए आजकल कीटनाशक आदि दवाइयों का प्रयोग किया जा रहा है ।
7. सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद- अब मंडियों में कृषि उत्पादन की खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा की जाती है। इससे किसानों को अपनी उपज के ठीक दाम मिलते हैं । यह कदम कृषि के व्यापारिक स्वरूप की ओर संकेत है।
प्रश्न 9. भारतीय कृषि की समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – भारतीय कृषि निम्नलिखित समस्याओं से ग्रस्त है –
1. अनियमित व अनिश्चित मानसून पर निर्भरता – भारतीय कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर है। भारत में कृषि क्षेत्र का केवल एक-तिहाई भाग ही सिंचित है । शेष क्षेत्र मानसूनी वर्षा पर निर्भर है। दक्षिणी-पश्चिमी मानसून अनिश्चित व अनियमित होने से नहरों में जल की आपूर्ति प्रभावित होती है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति व कम वर्षा वाले स्थानों में सूखा एक सामान्य परिघटना है।
2. निम्न उत्पादकता – भारत में फसलों की उत्पादकता कम है। भारत में अधिकतर फसलें; जैसे चावल, गेहूँ, कपास व तिलहन की प्रति हैक्टेयर उपज अमेरिका, रूस, जापान से कम है। देश के विस्तृत वर्षा पर निर्भर शुष्क क्षेत्रों में अधिकतर मोटे अनाज, दालें, तिलहन की खेती की जाती है। इनकी उत्पादकता बहुत कम है ।
3. छोटी जोतें – भारत में छोटे किसानों की संख्या अधिक है। बढ़ती जनसंख्या के कारण खेतों का आकार और भी सिकुड़ रहा है। कुछ राज्यों में तो चकबंदी भी नहीं हुई है । विखंडित व छोटी जोतें आर्थिक दृष्टि से लाभकारी नहीं हैं ।
4. भूमि सुधारों की कमी – भूमि के असमान वितरण के कारण भारतीय किसान लंबे समय से शोषण का शिकार रहे हैं । स्वतन्त्रता से पूर्व किसानों का बहुत शोषण हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भूमि सुधारों को प्राथमिकता दी गई, लेकिन ये सुधार पूरी तरह से फलीभूत नहीं हुए। भूमि सुधारों के लागू न होने के कारण कृषि योग्य भूमि का असमान वितरण जारी रहा जिससे कृषि विकास में बाधा रही है ।
5. कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण निम्नीकरण एक गंभीर समस्या है, क्योंकि इससे मृदा का उपजाऊपन कम होता है। सिंचित क्षेत्रों में यह समस्या और भी अधिक भयंकर है। कृषि भूमि का एक बड़ा भाग लवणता और मृदा क्षारता के कारण बंजर हो चुका है। कीटनाशक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से भी मृदा का उपजाऊपन नष्ट होता है ।
6. वाणिज्यीकरण का अभाव – भारतीय किसान अपनी जीविका के लिए फसलें उगाते हैं, क्योंकि इन किसानों के पास अपनी जरूरत से अधिक फसल उत्पादन के लिए पर्याप्त भू-संसाधन नहीं है इसलिए अधिकतर किसान खाद्यान्नों की कृषि करते हैं ताकि वे अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकें। वर्तमान समय में सिंचित क्षेत्रों का कृषि का आधुनिकीकरण तथा वाणिज्यीकरण हो रहा है ।
प्रश्न 10. भारत में चाय की कृषि का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में चाय की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। भारत में इसका विवरण का उल्लेख करें।
अथवा
भारत में चाय की खेती के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर – भारत संसार की कुल उत्पादित चाय का लगभग एक-तिहाई भाग का उत्पादन करता है। संसार की उत्पादित होने वाली चाय का लगभग 21.1% भाग भारत उत्पादन करता है। चाय का पौधा झाड़ीदार होता है जिसकी कृषि बागानी कृषि कहलाती है। इसके पत्तों में थीन (Theine) नामक तत्त्व होता है जिसके इस्तेमाल से हमारे शरीर में स्फूर्ति आ जाती है। भारत में चाय के पौधे को चीन से लाया गया हैं। इसके पौधे को शुरू में किसी स्थान पर अंकुरित करके पर्वतीय ढलानों में प्रत्यारोपित किया जाता है। इसे डेढ़ मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। कभी-कभी इस पौधे की ऊंचाई 2 मीटर से भी ऊँची हो जाती है। समय-समय पर इसकी पत्तियों की कटाई-छटाई होती रहती है। समय पर कटाई-छटाई करने से इसका पौधा अधिक पत्तियाँ प्रदान करता है ।
भौगोलिक दशाएँ – चाय की कृषि के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं –
1. तापमान चाय उष्ण एवं आर्द्र जलवायु का पौधा है । इस पौधे के लिए औसत 25° से 30° सें०ग्रे० तापमान उपयुक्त रहता है। चाय के पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल व शुष्क हवा प्रतिकूल रहती है ।
2. वर्षा चाय के पौधे के लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है। सामान्यतः इसके लिए 200 से 250 सें०मी० वर्षा उपयुक्त रहती है। बौछारों वाली वर्षा में पौधों में निरंतर नई कोपलें फूटती रहती हैं ।
3. भूमि – चाय के पौधे की कृषि के लिए भूमि ढलवाँ होनी चाहिए ताकि पानी इसकी जड़ों में न ठहर सके । पहाड़ी प्रदेश इसकी कृषि के लिए उपयुक्त होते हैं। इसके लिए ऐसी उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसमें लोहे का अंश पर्याप्त मात्रा में हो और पानी सोखने की क्षमता अधिक हो ।
4. श्रम – इसके लिए अधिक श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि अधिकतर कार्य हाथों से करना पड़ता है ।
वितरण – भारत में चाय की खेती अनेक राज्यों में की जाती है। इनमें से प्रमुख उत्पादक राज्य  हैं –
1. असम – यह चाय के उत्पादन में देश का सबसे बड़ा राज्य है । यहाँ देश की लगभग 53.2% चाय का उत्पादन होता है। यहाँ देश के कुल चाय-क्षेत्र का 50% भाग पाया जाता है । इस राज्य के मुख्य उत्पादक जिले शिवसागर, लखीमपुर, दरांग, नौगाँव, कामरूप, गोलपाड़ा तथा सिलचर आदि हैं। असम में कृषि पर आधारित उद्योग में चाय का प्रमुख स्थान है ।
2. पश्चिम बंगाल यहाँ भारत की लगभग 22% चाय पैदा होती है तथा मुख्य उत्पादक जिले दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी तथा कूच बिहार आदि हैं । यहाँ बढ़िया किस्म की चाय पैदा की जाती है तथा देश में इसकी माँग अधिक है ।
3. तमिलनाडु – यह राज्य भारत की लगभग 15% चाय का उत्पादन करता है । यहाँ नीलगिरि तथा अन्नामलाई की पहाड़ियों में चाय के बागान लगे हुए हैं। यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले नीलगिरि, अन्नामलाई, मदुरई, कोयम्बटूर तथा कन्याकुमारी आदि हैं। नीलगिरि की चाय सर्वोत्तम मानी जाती है। इसकी माँग यूरोप में बहुत अधिक है।
4. केरल – इस राज्य में देश की लगभग 8% चाय का उत्पादन होता है। यहाँ प्रमुख उत्पादक जिले पालघाट, मालापुरम, त्रिवेंद्रम, वायनाड और मालाबार आदि हैं।
5. अन्य राज्य – हिमांचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, कर्नाटक, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में चाय का उत्पादन लगभग 1.04% होता है ।
लघुत्तरात्मक प्रश्न [Short – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. गहन कृषि और झूम कृषि में क्या अंतर हैं?
उत्तर – गहन कृषि और झूम कृषि में निम्नलिखित अंतर हैं-
गहन कृषि झूम कृषि
1. कृषि करने का ऐसा ढंग जिसमें किसान भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों पर अधिक परिश्रम करके और अच्छे कृषि-साधनों का प्रयोग करके अधिक-से-अधिक उत्पादन करता है, उसे गहन कृषि कहते हैं। 1. कृषि करने का ऐसा ढंग जिसमें किसान भूमि के नए-नए तथा विस्तृत क्षेत्रों को हल के नीचे लाकर अधिक उत्पादन करता है, उसे झूम कृषि कहते हैं।
2. गहन कृषि उन भू-भागों में की जाती है, जो घने आबाद हों और कृषि कार्य के लिए जहां नई भूमियाँ उपलब्ध न हों । 2. झूम कृषि उन भू-भागों में की जाती है जहाँ जनसंख्या कम हो और कृषि करने के लिए नई भूमि उपलब्ध हो ।
3. इस प्रकार की कृषि में जोतों का आकार छोटा होता है। 3. इस प्रकार की कृषि में जोतों का आकार बड़ा होता है।
प्रश्न 2. शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अंतर है?
उत्तर- शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में निम्नलिखित अंतर हैं –
शुष्क कृषि आर्द्र कृषि
1. यह भारत के पश्चिमी भागों- राजस्थान, गुजरात तथा दक्षिणी हरियाणा में होती है । 1. यह भारत के पूर्वी भागों तथा पश्चिमी तटीय भागों में पाई जाती है।
2. सामान्यतः 75 से०मी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में शुष्क कृषि की जाती है । 2. सामान्यतः 75 से०मी० से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में आर्द्र कृषि की जाती है ।
3. इसमें जल संसाधनों का अधिक प्रयोग किया जाता है । 3. इसमें जल संसाधनों का कम या न्यूनतम प्रयोग किया जाता है ।
4. इस कृषि की मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, बाजरा, चना आदि हैं। 4. इस कृषि की मुख्य फसलें – चावल, चाय, रबड़ आदि हैं ।
प्रश्न 3. खरीफ़ तथा रबी की फसलों में क्या अंतर है?
उत्तर- खरीफ़ तथा रबी की फसलों में निम्नलिखित अंतर –
खरीफ़ की फसलें रबी की फसलें
1. खरीफ़ की फसलें वर्षा ऋतु के प्रारंभ में ग्रीष्म काल में बोई जाती हैं । 1. रबी की फसलें वर्षा ऋतु के पश्चात् शीत ऋतु में बोई जाती हैं। ।
2. ये फसलें शीत ऋतु से पहले पक जाती हैं । 2. ये फसलें ग्रीष्म ऋतु में पक जाती हैं ।
3. ये फसलें उष्ण जलवायु प्रदेशों की महत्त्वपूर्ण फसलें हैं । 3. ये फ़सलें शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों की महत्त्वपूर्ण फसलें हैं।
4. इनके प्रमुख उदाहरण चावल, मक्का, कपास, तिलहन आदि हैं ।  4. इनके प्रमुख उदाहरण गेहूँ, जौ, चना आदि हैं ।
प्रश्न 4. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का निम्नलिखित महत्त्व है –
(i) कृषि का भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है, यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
(ii) भारत की 2/3 जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है।
(iii) कृषि का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 26 प्रतिशत योगदान है।
(iv) कृषि देश के लोगों के लिए खाद्य सामग्री उपलब्ध कराती है।
(v) कृषि उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराती है ।
प्रश्न 5. ” भारत एक कृषि प्रधान देश है।” इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर – निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है –
(i) हमारी जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है।
(ii) कृषि का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 26 प्रतिशत योगदान है।
(iii) कृषि से लगभग 45 प्रतिशत राष्ट्रीय आय प्राप्त होती है ।
प्रश्न 6. भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के क्या कारण हैं?
उत्तर – भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के निम्नलिखित कारण हैं –
(i) भूमि पर लगातार एक ही कृषि के परिणामस्वरूप मिट्टियों की उर्वरा शक्ति कम हो गई है
(ii) वनों की अंधाधुंध कटाई के परिणामस्वरूप मिट्टियों का कटाव हुआ है ।
(iii) खेतों का आकार अधिक छोटा है जिससे वे आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं रहीं ।
(iv) खेती के ढंग एवं उपकरण पुराने हैं जिसके कारण प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम है ।
प्रश्न 7. भारत की प्रमुख कृषि ऋतुओं के नाम लिखें ।
उत्तर भारत में तीन प्रमुख कृषि ऋतुएँ हैं जिनका वर्णन इस प्रकार से है –
1. रबी फसलें – ये फसलें अक्तूबर से दिसंबर के मध्य तक बोई जाती हैं और इन्हें अप्रैल से जून के मध्य तक काटा जाता है; जैसे गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों ।
2. खरीफ फसलें – ये फसलें मानसून के आगमन के साथ बोई जाती हैं और सितंबर-अक्तूबर काट ली जाती हैं; जैसे चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूँग, उड़द, कपास, जूट आदि ।
3. जायद – रबी और खरीफ़ फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल; जैसे तरबूज, खरबूजे, खीरे, सब्जियाँ और चारे की फसलें आदि ।
प्रश्न 8. भारत में उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। कारण स्पष्ट करें । 
उत्तर भारत में गन्ने का लगभग 40 प्रतिशत उत्पादन अकेले उत्तर प्रदेश में होता है । इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
(i) गन्ने की अच्छी फसल के लिए उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी सबसे उपयोगी होती है। उत्तर प्रदेश की मिट्टी ऐसी ही है।
(ii) गन्ने के पौधे के विकास के लिए 20° से 40° सेंटीग्रेड तक उच्च तापमान और 100 से 150 सेंटीमीटर तक वार्षिक वर्षा की जरूरत होती है। पाला इसका शत्रु है। उत्तर प्रदेश राज्य में ये सभी भौगोलिक दशाएँ पाई जाती हैं ।
(iii) उत्तर प्रदेश की भूमि समतल है, यहाँ मजदूरी सस्ती है और गन्ने से तैयार चीनी, खांड, शक्कर, गुड़ की खपत काफी है।
प्रश्न 9. “हरित क्रांति का प्रभाव भारत के सभी भागों में एक जैसा नहीं पड़ा।” व्याख्या कीजिए । 
अथवा 
हरित क्रांति की योजना भारत में हर जगह क्यों नहीं लागू की जा सकती ? 
उत्तर – हरित क्रांति की योजना के भारत में हर जगह न लागू किए जाने के निम्नलिखित कारण हैं
(i) यह योजना सिंचित क्षेत्रों तक ही सीमित है और बहुत से भारत के लोगों में सिंचाई के साधन कम हैं
(ii) उर्वरकों का उत्पादन, मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
(iii) नए कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है, अतः यह योजना केवल बड़े जमींदारों तक ही सीमित रही है। छोटे किसान इससे अप्रभावित हैं ।
(iv) जहां जल-सिंचाई के पर्याप्त साधन थे, वहीं पर यह योजना सफल रही है ।
(v) भारत में अधिकतर खेत बहुत छोटे आकार के हैं। इन पर कृषि यंत्रों का प्रयोग सफल नहीं हो सकता ।
(vi) अधिक उपज प्रदान करने वाली विधियाँ केवल कुछ ही फसलों के लिए प्रयोग में लाई गई हैं। इसलिए यह योजना भारत में हर जगह नहीं लागू की जा सकती।
प्रश्न 10. हरित क्रांति के कोई चार सकारात्मक परिणाम बताइए। 
अथवा
हरित क्रांति की मुख्य उपलब्धियाँ लिखें । 
उत्तर- हरित क्रांति के चार सकारात्मक परिणाम निम्नलिखित हैं –
(i) देश के सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) में वृद्धि हुई है।
(ii) हरित क्रान्ति से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला, रोज़गार उत्पन्न हुआ और ग्रामवासियों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन हुआ ।
(iii) भारत की साख विश्व बैंक एवं अन्य कर्ज देने वाली संस्थाओं की नज़रों में बढ़ी क्योंकि भारत ने कर्ज को समय रहते चुका दिया था ।
(iv) भारत खाद्यान्न निर्यात करने वाले देश के रूप में उभरा, जिससे विश्व में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ी |
प्रश्न 11. हरित क्रांति के कोई चार नकारात्मक परिणाम बताइए ।
उत्तर- हरित क्रान्ति के चार नकारात्मक परिणाम निम्नलिखित हैं –
(i) हरित क्रान्ति से किसानों और भू-स्वामियों के बीच का अन्तर मुखर हो उठा।
(ii) हरित क्रान्ति से किसानों और कृषि मजदूरों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुँचा।
(iii) हरित क्रान्ति से कुछ राज्यों को अधिक आर्थिक लाभ पहुँचा जिससे क्षेत्रीय असन्तुलन की समस्या उत्पन्न हो गई।
(iv) इससे देश के विभिन्न हिस्सों में वामपंथी संगठनों के लिए किसानों को लाभबन्द करने की दृष्टि से अनुकूल स्थिति पैदा हुई ।
प्रश्न 12. क्या कारण है कि असम में चाय के बागान अधिक पाए जाते हैं ?
उत्तर-चाय के पौधे के विकास के लिए पर्याप्त वर्षा, अच्छे जल निकास वाली ढलवां भूमि की आवश्यकता होती है ताकि पानी उसकी जड़ों में खड़ा न हो सके। जड़ों में पानी खड़ा होने से इसके पौधे की जड़ें गल जाती हैं । पर्वतीय क्षेत्रों में चाय के पौधे के विकास के लिए उपर्युक्त सभी अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ मिलती हैं । यही कारण है कि चाय पहाड़ी ढलानों पर अधिक उगती है। असम एक अधिक वर्षा वाला पहाड़ी प्रदेश है, इसलिए यहाँ चाय के बागान अधिक पाए जाते हैं ।
प्रश्न 13. “पंजाब भारत की ‘रोटी की टोकरी’ बन गया है ।” स्पष्ट करें ।
उत्तर – यह कहना पूर्णतः सही है कि पंजाब भारत की ‘रोटी की टोकरी’ है । रोटी की टोकरी से तात्पर्य है-विशाल मात्रा में गेहूँ का उत्पादन और उसकी आपूर्ति । गेहूँ, रोटी बनाने का प्रमुख खाद्यान्न है। पिछले 15 वर्षों में गेहूँ के उत्पादन में काफी सुधार हुआ है । हरित क्रांति का सबसे अधिक सफलतम क्रियान्वयन पंजाब राज्य में ही हुआ है ।
हरित क्रांति के प्रयासों के कारण गेहूँ के उत्पादन में बहुत ही सुधार हुआ है। सरकार द्वारा गेहूँ की खरीद पंजाब राज्य से सबसे अधिक होती है। देश के अन्य भागों में गेहूँ की आपूर्ति के लिए पंजाब का विशेष योगदान है।
प्रश्न 14. श्वेत क्रांति के महत्त्व पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर भारत में दूध और दूध से बनी वस्तुओं के उत्पादन में लाई गई क्रांति को श्वेत क्रांति कहते हैं । श्वेत क्रांति का मुख्य उद्देश्य दूध के उत्पादन को बढ़ाना है।
महत्त्व–(i) श्वेत क्रांति के कारण दुग्ध व्यवसाय का काफी विकास हुआ है। यह ग्रामीण जीवन के विकास के लिए बहुत जरूरी है,
(ii) श्वेत क्रांति से छोटे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकती है और अनेक निर्धन परिवार गरीबी की रेखा से ऊपर उठ सकते हैं,
(iii) श्वेत क्रांति के परिणामस्वरूप दुग्ध सरकारी समितियों से ग्रामीण क्षेत्र के विकास को बहुत बल मिला है। इनका मुख्य कार्य दूध का संग्रह और विपणन करना है,
(iv) इससे खाद और बायो गैस प्राप्त की जा सकती है ।
प्रश्न 15 तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जाने चाहिएँ? 
उत्तर – तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए भारतीय कृषि में निम्नलिखित सुधार किए जाने चाहिएँ–
(i) भारतीय कृषि को निर्वाह कृषि का रूप त्यागकर व्यापारिक कृषि का रूप अपनाना चाहिए,
(ii) कृषकों को वैज्ञानिक तरीकों से खेती करनी चाहिए ताकि कम-से-कम भूमि से अधिक-से-अधिक उपज प्राप्त की जा सके,
(iii) खाद्यान्नों का भंडारण भी वैज्ञानिक ढंग से करना चाहिए ताकि खाद्यान्नों की बर्बादी न हो ।
प्रश्न 16. भारत में फलों की खेती पर एक नोट लिखें।
उत्तर – भारत संसार में सबसे अधिक फलों और सब्जियों का उत्पादन करता है। भारत उष्ण और शीतोष्ण कटिबंधीय दोनों ही प्रकार के फलों का उत्पादन करता है। भारतीय फलों जिनमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के आम, नागपुर और चेरापूँजी के संतरे, केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के केले, उत्तर प्रदेश और बिहार की लीची, मेघालय के अनानास, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के अंगूर तथा हिमाचल प्रदेश और जम्मू व कश्मीर के सेब, नाशपाती, खूबानी और अखरोट की सारे संसार में बहुत माँग है ।
प्रश्न 17. भारत में तिलहन उत्पादन पर एक नोट लिखें ।
उत्तर – भारत संसार में सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है। देश में कुल बोए गए क्षेत्र के 12 प्रतिशत भाग पर तिलहन की कई फसलें उगाई जाती हैं। मूँगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, बिनौला, अलसी और सूरजमुखी भारत में उगाई जाने वाली मुख्य तिलहन फसलें हैं। इनमें से ज्यादातर खाद्य हैं और खाना बनाने में प्रयोग में लाए जाते हैं, किंतु इनमें से कुछ बीज के तेलों को साबुन, शृंगार का सामान और ज्यादातर उबटन उद्योग में कच्चे माल के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।
प्रश्न 18. चाय और क़हवे की खेती में अन्तर बताइए । 
उत्तर – चाय और कहवे की खेती में निम्नलिखित अंतर –
चाय कहवा
1. चाय भारत का एक प्रमुख पेय पदार्थ है । 1. कहवा भारत का दूसरे नम्बर का प्रमुख पेय पदार्थ है।
2. इसके लिए 20° से 30° से० तापमान तथा 300 सें०मी० से अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है । 2. इसके लिए 15° से 30° सें० मी० तापमान और 200 सें० मी० वर्षा की आवश्यकता होती है ।
 3. चाय असम और पश्चिमी बंगाल में उगाई जाती है । 3. कहवा का उत्पादन कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में होता है।
प्रश्न 19. भारत में पशुपालन का क्या महत्त्व है?
उत्तर भारत में पशुपालन का महत्त्व इस प्रकार है-
(i) पशुओं का प्रयोग कृषि कार्यों में; जैसे हल चलाना, रहट चलाना और बोझा ढोने के लिए किया जाता है,
(ii) पशु हमारे भोजन का प्रमुख स्रोत हैं। पशुओं के दूध से अनेक खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं,
(iii) पशु हमारे लिए अतिरिक्त आय का स्रोत होते हैं । पशुओं की ऊन, बाल या दूध की बिक्री से बहुत सा धन कमाया जा सकता है ।
प्रश्न 20. कृषि पर आधारित उद्योगों से आप क्या समझते हैं ? इनके कोई दो उदाहरण दीजिए । 
उत्तर – जिन उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, उन्हें कृषि पर आधारित उद्योग कहा जाता है। हमारी अर्थव्यवस्था इन्हीं उद्योगों पर निर्भर करती है और राष्ट्रीय आय का एक बड़ा भाग इनसे ही प्राप्त होता है । अतः इन उद्योगों का हमारी अर्थव्यवस्था में भारी महत्त्व है । जैसे- वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, पटसन उद्योग, रेशम उद्योग, वनस्पति तेल उद्योग तथा कागज़ उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग हैं l
प्रश्न 21. कपास, रबड़ और पटसन के वितरण पर संक्षिप्त नोट लिखिए ।
उत्तर – 1. कपास – कपास की फसल उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों में उगाई जाती है । यह खरीफ़ की फसल है । कपास की फसल को तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं। इसके लिए काली और जलोढ़ मिट्टी उपयुक्त होती है। भारत में गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हरियाणा प्रमुख उत्पादक राज्य हैं ।
2. रबड़ विभिन्न जातियों के पेड़ों की क्षीर से रबड़ पैदा किया जाता है । इसका उपयोग विभिन्न औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है। इनमें टायर और ट्यूब भी शामिल हैं। रबड़ वृक्ष के लिए गरम और आर्द्र जलवायु आवश्यक है । इसके लिए 200 सें० मी० से अधिक वर्षा उपयुक्त है। भारत संसार का पाँचवाँ बड़ा रबड़ उत्पादक देश है। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम और त्रिपुरा प्रमुख रबड़ उत्पादक राज्य हैं। देश का लगभग 97 प्रतिशत प्राकृतिक रबड़ की माँग घरेलू उत्पादन से पूरी हो जाती है।
3. पटसन ( जूट) जूट उष्ण और आर्द्र जलवायु की फसल है। जूट फसल को तैयार होने में 8 से 10 महीनों तक का समय लगता है। जूट के पौधे से रेशा प्राप्त किया जाता है। देश का लगभग सारा जूट पाँच राज्यों- पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा और मेघालय में उगाया जाता है
प्रश्न 22. कृषि का अर्थ एवं परिभाषा बताएँ । 
अथवा 
कृषि को परिभाषित कीजिए।
उत्तर – कृषि (Agriculture ) शब्द अंग्रेजी के Ager + Culture, दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘Ager’ का अर्थ है-मिट्टी या खेत और ‘Culture’ का अर्थ है- देखभाल या जोतना अर्थात् मिट्टी को जोतना तथा उसमें फसलें उगाना कृषि है, लेकिन यह इसका संकुचित अर्थ है। विस्तृत अर्थ में कृषि के अंतर्गत फसलें उगाना, पशुपालन, फलों की खेती करना आदि सभी क्रियाएँ सम्मिलित हैं। दूसरे शब्दों में, कृषि वह कला तथा विज्ञान है, जिसमें मनुष्य भूमि से भोज्य पदार्थ प्राप्त करने के लिए उसका उपयोग करता है। प्रो० जिम्मरमैन के अनुसार, “कृषि में वे मानवीय प्रयास सम्मिलित हैं, जिनके द्वारा मानव भूमि पर निवास करता है तथा यदि सम्भव हुआ तो पौधों तथा पशुओं की प्राकृतिक रूप से हो रही वृद्धि को नियन्त्रित करता है, जिससे इन उत्पादों और मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके ।”
अति-लघुत्तरात्मक प्रश्न [Very Short – Answer Type Questions] 
प्रश्न 1. झूम या कर्तन दहन कृषि प्रणाली किसे कहते हैं? 
उत्तर – जब किसान जमीन के टुकड़े साफ करके उन पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अनाज उत्पन्न करता है, उसे झूम या कर्तन दहन कृषि प्रणाली कहते हैं ।
प्रश्न 2. गहन कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब किसान रासायनिक निवेशों और सिंचाई का प्रयोग करके भूमि के एक टुकड़े में से अधिक-से-अधिक उत्पादन प्राप्त करता है उसे गहन कृषि कहते हैं ।
प्रश्न 3. शुष्क कृषि किसे कहते हैं?
उत्तर – जिस कृषि को करने के लिए अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता नहीं होती, उसे शुष्क कृषि कहते हैं । ज्वार तथा बाजरा इस प्रकार की कृषि उपज के प्रमुख उदाहरण हैं ।
प्रश्न 4. आर्द्र कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर—जिस कृषि को करने के लिए अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है उसे आर्द्र कृषि कहते हैं । चावल तथा गन्ना इस प्रकार की कृषि उपज के प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रश्न 5. रबी फसलें किन्हें कहते हैं?
उत्तर – रबी फसलों को शीत ऋतु में अक्तूबर से दिसम्बर के मध्य बोया जाता है और ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काट लिया जाता है। गेहूँ, जौ, मटर, चना तथा सरसों रबी की मुख्य फसलें हैं ।
प्रश्न 6. खरीफ़ फसलें किन्हें कहते हैं?
उत्तर-खरीफ़ फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून आगमन के साथ जून-जुलाई में बोई जाती हैं और सितम्बर-अक्तूबर में काट ली जाती हैं। चावल, मक्का, कपास, ज्वार तथा बाजरा खरीफ़ की मुख्य फसलें हैं ।
प्रश्न 7. किस फसल को ‘सुनहरी रेशा’ कहा जाता है ? इसका क्या उपयोग है? 
उत्तर–पटसन अथवा जूट को सुनहरी रेशा कहा जाता है। इसका उपयोग बोरी, दरी, टाट, रस्सी, तंबू, तिरपाल, कागज तथा निम्नकोटि का कपड़ा बनाने में किया जाता है ।
प्रश्न 8. रोपण कृषि किसे कहते हैं? कुछ उदाहरण दीजिए ।
उत्तर- रोपण कृषि एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है। इस प्रकार की कृषि में लंबे-चौड़े क्षेत्र में एक ही फसल बोई जाती है। चाय, कॉफी, रबड़ इस प्रकार की कृषि की प्रमुख उपजें हैं ।
प्रश्न 9. श्वेत क्रांति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – पशुओं में नस्ल सुधार करके और उत्तम चारा देने वाली फसलें पैदा करके दूध के उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि करने को श्वेत क्रांति कहा जाता है।
प्रश्न 10. हरित क्रांति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग और उन्नत कृषि यंत्रों और उर्वरकों की सहायता से कृषि उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि करने को हरित क्रांति कहा जाता है ।
प्रश्न 11. वाणिज्यिक अथवा व्यापारिक कृषि क्या होती है ? 
उत्तर – जो कृषि व्यापार करने के उद्देश्य से की जाती है, वाणिज्यिक कृषि (Commerical Agriculture) कहलाती है।
प्रश्न 12. वैश्वीकरण का क्या अर्थ है ? 
उत्तर – वैश्वीकरण का अर्थ है- विश्व के विभिन्न राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाओं को आपस में जोड़ना ।
प्रश्न 13. वैश्वीकरण के कारण भारतीय कृषि के समक्ष क्या प्रमुख चुनौती है ? 
उत्तर–वैश्वीकरण के कारण भारतीय कृषि के समक्ष प्रमुख चुनौती यह है कि भारत अपनी विशाल कृषि क्षमता का सही और योजनाबद्ध तरीकों से उपयोग करे ।
प्रश्न 14. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ों पर आदिम कृषि औजारों; जैसे लकड़ी के हल, डाओ और खुदाई करने वाली छड़ी के साथ परिवार के सदस्यों के द्वारा की जाती है ।
प्रश्न 15. भारतीय कृषि के तीन लक्षणों के नाम लिखिए । 
उत्तर – (i) भारतीय कृषि निर्वाह कृषि है ।
(ii) हमारे देश में जोतों का आकार छोटा है ।
(iii) भारतीय कृषि मानसून वर्षा पर निर्भर करती है ।
प्रश्न 16. खाद्य सुरक्षा का क्या अर्थ है ?
उत्तर – भोजन मनुष्य की आधारभूत आवश्यकता है। देश के प्रत्येक नागरिक को ऐसा भोजन मिलना जो उसे न्यूनतम पोषण स्तर प्रदान करे, खाद्य सुरक्षा कहलाता है। भारत में सभी वर्गों के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतं सरकार ने स्कूलों में मिड-डे-मील योजना चला रखी है।
प्रश्न 17. भारत में कौन-कौन-सी दालें उगाई जाती हैं ?
उत्तर – भारत विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है । शाकाहारी खाने में दालें सबसे अधिक प्रोटीनदायक होती हैं। अरहर, उड़द, मूँग, मसूर, मटर और चना भारत की मुख्य दलहनी फसलें हैं। भारत में मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक दाल के मुख्य उत्पादक राज्य हैं ।
प्रश्न 18. भारतीय किसान को किन दो मुख्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है ? 
उत्तर – (i) भारत में वर्षा बड़ी अनिश्चित तथा अनियमित है। सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध न होने के कारण किसानों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।
(ii) अधिकतर भारतीय किसान गरीब हैं। ये आधुनिक कृषि उपकरण, उर्वरक तथा अच्छे बीज नहीं खरीद पाते। अधिकतर किसानों के खेत आकार में बहुत छोटे हैं। ये छोटे खेत आर्थिक दृष्टि से लाभकारी नहीं होते।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]
I. एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. कृषिगत कच्चे माल पर आधारित दो उद्योगों के नाम बताइए । 
उत्तर – (i) कपड़ा उद्योग, (ii) चीनी उद्योग |
प्रश्न 2. कृषि के किन्हीं दो प्रकार के नाम लिखिए । 
उत्तर – (i) गहन जीविका कृषि, (ii) वाणिज्यिक कृषि |
प्रश्न 3. दो फलीदार फसलों के नाम बताएँ । 
उत्तर – ग्वार, दालें ।
प्रश्न 4. रोपण कृषि की चार फसलों के नाम लिखें।
उत्तर – चाय, कॉफी, रबड़ और केला रोपण कृषि की फसलें हैं ।
प्रश्न 5. भारत के मसाला उत्पादक दो राज्यों के नाम लिखिए। 
उत्तर- कर्नाटक और केरल ।
प्रश्न 6. कृषि पर आधारित दो उद्योगों के नाम बताएँ l
उत्तर – (i) चीनी उद्योग, (ii) कपड़ा उद्योग ।
प्रश्न 7. ज़ायद फसलों के चार उदाहरण दीजिए। 
उत्तर – तरबूज, खरबूजा, खीरा और सब्जियाँ जायद फसलों के उदाहरण हैं ।
प्रश्न 8. अरेबिका, रोबस्ता व लिबेरिका किस फसल की किस्में हैं? 
उत्तर – अरेबिका, रोबस्ता व लिबेरिका कॉफी की किस्में हैं।
प्रश्न 9. सोयाबीन उत्पादक किन्हीं दो राज्यों के नाम लिखें ।
उत्तर – (i) मध्य प्रदेश, (ii) महाराष्ट्र ।
प्रश्न 10. रबी की फसल के कोई दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर-(i) गेहूँ, (ii) जौ ।
प्रश्न 11. खरीफ़ की फसल के कोई दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर-(i) चावल, (ii) कपास ।
प्रश्न 12. हरित क्रांति का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर- नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग को ।
प्रश्न 13. भारत में मानसून का जुआ किसे कहा जाता है? 
उत्तर – भारतीय कृषि को ।
प्रश्न 14. भारत की दो मुख्य खाद्य फसलों के नाम लिखें। 
उत्तर – चावल और गेहूँ भारत की दो मुख्य खाद्य फसलें हैं ।
प्रश्न 15. चावल उत्पादन में भारत का संसार में कौन-सा स्थान है?
उत्तर- चावल उत्पादन में भारत का संसार में दूसरा स्थान है ।
प्रश्न 16. भारत के तम्बाकू उत्पादक दो राज्यों के नाम लिखिए । 
उत्तर – (i) उत्तरप्रदेश, (ii) गुजरात |
प्रश्न 17. भारत में चावल उत्पादक चार प्रमुख राज्यों के नाम लिखें । 
उत्तर-पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु ।
प्रश्न 18. भारत में गेहूँ उत्पादक चार प्रमुख राज्यों के नाम लिखें । 
उत्तर – (i) पंजाब, (ii) उत्तर प्रदेश ।
प्रश्न 19. भारत में कौन-कौन से मोटे अनाज उगाए जाते हैं? 
उत्तर भारत में ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाज उगाए जाते हैं ।
प्रश्न 20. भारत में कपास उत्पादक चार राज्यों के नाम लिखिए। 
उत्तर- महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा ।
प्रश्न 21. भारत में बाजरा उत्पादक चार राज्यों के नाम लिखिए। 
उत्तर – राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा ।
प्रश्न 22. भारत में रागी उत्पादक दो प्रमुख राज्यों के नाम लिखिए। 
उत्तर – (i) कर्नाटक, (ii) तमिलनाडु ।
प्रश्न 23. भारत में दाल उत्पादक प्रमुख राज्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र ।
प्रश्न 24. तिलहन की चार फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर – मूँगफली, सरसों, नारियल, तिल ।
प्रश्न 25. कौन-सी फसल उत्तरी भारत में खरीफ़ और दक्षिण भारत में रबी की फसल है ? 
उत्तर- तिल ।
प्रश्न 26. भारत के आम उत्पादक चार प्रमुख राज्य कौन से हैं ? 
उत्तर- महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल |
प्रश्न 27. भारत में किन दो स्थानों के संतरे बहुत प्रसिद्ध हैं ? 
उत्तर – नागपुर (महाराष्ट्र) और चेरापूँजी (मेघालय) ।
प्रश्न 28. भारत के केला उत्पादक चार राज्यों के नाम लिखें । 
उत्तर – केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र, तमिलनाडु ।
प्रश्न 29. भारत में लीची पादक दो राज्यों के नाम लिखिए । 
उत्तर – (i) उत्तर प्रदेश, (ii) बिहार ।
प्रश्न 30. सेब, नाशपाती, खूबानी और अखरोट उत्पादक किसी एक राज्य का नाम लिखिए |
उत्तर – हिमाचल प्रदेश ।
प्रश्न 31. भारत में रबड़ उत्पादक दो राज्यों के नाम लिखिए । 
उत्तर – केरल, कर्नाटक ।
प्रश्न 32. किन्हीं चार अखाद्य फसलों के नाम लिखिए ।
उत्तर – रबड़, कपास, जूट, रेशम ।
प्रश्न 33. पी०डी०एस० (P.D.S.) का क्या अर्थ है ?
उत्तर – पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (सार्वजनिक वितरण प्रणाली ) ।
प्रश्न 34. देश के गन्ना उत्पादक तीन राज्यों के नाम लिखिए । 
उत्तर – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब |
II. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए –
1. किसानों के लाभ के लिए भारत सरकार ने क्या कदम उठाए हैं ? 
(A) किसान क्रेडिट कार्ड
(B) व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना  सभी
(C) न्यूनतम सहायता मूल्य
(D) उपर्युक्त
उत्तर-(D)
2. निम्नलिखित में से कौन-सा कृषि सुधार के लिए संस्थागत सुधार किया गया ? 
(A) ज़मींदारी उन्मूलन
(B) जोतों की चकबंदी
(C) सहकारिता
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)

3. भारत में खेती करने की विधियाँ निम्नलिखित में से किस तत्त्व से प्रभावित होती हैं ?

(A) भौतिक पर्यावरण
(B) प्रौद्योगिकी
(C) सामाजिक-सांस्कृतिक व रीति-रिवाज
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
4. ‘काटो व जलाओ’ और ‘झाड़-झंकार परत’ वाली खेती के रूप में निम्नलिखित में से किसे जाना जाता है?
(A) स्थानांतरी कृषि
(B) आत्म-निर्वाह कृषि
(C) रोपण कृषि
(D) गहन जीविका कृषि
उत्तर-(A)
5. गहन कृषि की विशेषता है –
(A) भूमि पर जनसंख्या का अधिक दबाव
(B) रासायनिक निवेश
(C) सिंचाई का प्रयोग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
6. भारत में कौन-से क्षेत्र में गेहूँ का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है ?
(A) मध्य भारत
(B) पश्चिमी घाट
(C) गंगा- सतलुज का मैदान
(D) पूर्वी घाट
उत्तर-(C)
7. निम्नलिखित में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
(A) चाय
(B) गेहूँ
(C) कॉफी
(D) रबड़
उत्तर-(B)
8. भारत में कौन-सी फसल शस्य ऋतु में पाई जाती है?
(A) रबी
(B) खरीफ़
(C) ज़ायद
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
9. रबी की फसलें कब बोई जाती हैं?
(A) अक्तूबर से मध्य दिसंबर
(B) नवंबर से मध्य जनवरी
(C) दिसंबर से मध्य फरवरी
(D) अप्रैल से मई
उत्तर-(A)
10. खीरा व तरबूज की कृषि उदाहरण है –
(A) रबी
(B) खरीफ़
(C) जायद
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(C)
11. निम्नलिखित में से कौन-सी रबी की फसल है?
(A) गेहूँ
(B) जौ
(C) चना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
12. खरीफ़ की फसलें कब बोई जाती हैं ?
(A) जून-जुलाई में
(B) अगस्त-सितंबर में
(C) मार्च-अप्रैल में
(D) अप्रैल-मई में
उत्तर – (A)
13. निम्नलिखित में से कौन-सी खरीफ की फसल नहीं है?
(A) मक्का
(B) ज्वार-बाजरा
(C) सरसों
(D) अरहऱ
उत्तर – (C)
14. किस राज्य में धान (चावल) की तीन फसलें बोई जाती हैं?
(A) असम में
(B) पश्चिम बंगाल में
(C) ओडिशा में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
15. भारत के किस राज्य में सबसे अधिक गेहूँ पैदा किया जाता है ?
(A) पंजाब में
(B) हरियाणा में
(C) हिमाचल प्रदेश में
(D) राजस्थान में
उत्तर – (A)
16. निम्नलिखित फसलों में से ऐसी फसल पहचानें जो तैयार होने में लगभग एक वर्ष का समय लेती है।
(A) गेहूँ
(B) कपास
(C) चावल
(D) गन्ना
उत्तर-(D)
17. भारत के किस राज्य में सबसे अधिक बाजरा उगाया जाता है ?
(A) हरियाणा में
(B) मध्य प्रदेश में
(C) राजस्थान में
(D) महाराष्ट्र में
उत्तर-(C)
18. सरकार ने खाद्य सुरक्षा के लिए कौन-सा कदम उठाया है ?
(A) बफर स्टॉक
(B) सार्वजनिक वितरण प्रणाली
(C) गरीबी रेखा से नीचे परिवार के लिए अलग कीमत

(D) उपर्युक्त सभी

उत्तर-(D)
19. भारत की प्रमुख खाद्य फसल निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(A) गेहूँ

(B) चावल

(C) बाजरा
(D) जौ
उत्तर-(B)
20. निम्नलिखित में से व्यावसायिक फसल कौन-सी है?
(A) चाय
(B)गेहूँ
(C) चावल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A)
21. भारत की दूसरी मुख्य खाद्य फसल निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(A) गेहूँ
(B) चावल
(C) जौ
(D) बाजरा
उत्तर- (A)
22. भारत निम्नलिखित में से विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक एवं उपभोक्ता है –
(A) गेहूँ का
(B) चावल का
(C) दालों का
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(C)
23. भारत में रागी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है ?
(A) कर्नाटक
(B) तमिलनाडु
(C) आंध्र प्रदेश
(D) केरल
उत्तर – (A)
24. निम्नलिखित में से रोपण कृषि का उदाहरण है –
(A) जूट
(B) गेहूँ
(C) सरसों
(D) चाय
उत्तर-(D)
25. भारत का विश्व में गन्ना उत्पादन में कौन-सा स्थान है?
(A) प्रथम
(B) दूसरा
(C) सातवाँ
(D) आठवाँ
उत्तर-(B)
26. निम्नलिखित में से खरीफ़ की फसल कौन-सी है?
(A) गेहूँ
(B) कपास
(C) सरसों
(D) चना
उत्तर – (B)
27. भारत में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है?
(A) बिहार
(B) उत्तर प्रदेश
(C) पंजाब
(D) हरियाणा
उत्तर-(B)
28. निम्नलिखित में से कौन-सी फसल तिलहन है ?
(A) सरसों
(B) सूरजमुखी
(C) तिल
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
29. भारत का विश्व में मूँगफली उत्पादन में कौन-सा स्थान है ?
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) तीसरा
(D) पाँचवाँ
उत्तर – (A)
30. फलों व सब्जियों की कृषि को कहा जाता है :
(A) फूलों की कृषि
(B) रेशम के कीड़ों का पालन
(C) बागवानी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C)
31. भारत का विश्व में कपास उत्पादन में कौन-सा स्थान है ?
(A) पहला
(B) तीसरा
(C) पाँचवाँ
(D) सातवाँ
उत्तर – (B)
32. ‘कर्तन दहन प्रणाली’ कृषि है –
(A) स्थानांतरण कृषि
(B) गहन जीविका कृषि
(C) वाणिज्यिक कृषि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A)
33. ‘झूम’ या ‘कर्तन दहन प्रणाली ‘ कृषि भारत के जिस राज्य में होती है पहचानें –
(A) उत्तर- पूर्वी राज्य
(B) उत्तर-पश्चिमी राज्य
(C) दक्षिणी- पूर्वी क्षेत्र
(D) दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र
उत्तर – (A)
34. ‘कर्तन दहन प्रणाली’ कृषि को मैक्सिको एवं मध्य अमेरिका में किस नाम से जाना जाता है ?
(A) मिल्पा
(B) कुरूवा
(C) वालरे
(D) पोडु
उत्तर – (A)
35. इनमें से कौन-सी फ़सल जायद कृषि की उदाहरण है ?
(A) चावल
(B) गेहूँ
(C) चाय
(D) खरबूजा
उत्तर – (D)
36. इनमें से कौन-सी कृषि उद्योग और कृषि के बीच एक अंतरापृष्ठ (Interface) है?
(A) रोपण
(B) प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि
(C) गहन जीविका निर्वाह कृषि
(D) झूम कृषि
उत्तर – (A)
37. इनमें से किस रेशेदार फ़सल को ‘सुनहरा रेशा’ कहा जाता है ?
(A) कपास
(B) जूट
(C) सन
(D) प्राकृतिक रेशम
उत्तर – (B)
38. इनमें से कौन-सी फ़सल खाद्यान्न व चारा दोनों के रूप में प्रयोग होती है?
(A) रागी
(B) मक्का
(C) ज्वार
(D) बाजरा
उत्तर – (B)
39. इनमें से कौन-सी ऋतु मुख्यतः तरबूज और खरबूजे की खेती के लिए उत्तम है?
(A) रबी
(B) ज़ायद
(C) खरीफ़
(D) पतझड़
उत्तर-(B)
40. इनमें से किस देश में ‘कर्तन दहन प्रणाली’ कृषि को ‘रोका’ कहा जाता है?
(A) बाज्रील
(B) अमेरिका
(C) वियतनाम
(D) मैक्सिको
उत्तर – (A)
III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. जंगलों को काटकर एवं जलाकर कृषि करना …………….. का एक उदाहरण है।
2. उत्तर पूर्वी राज्यों में प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि को ………… कहा जाता है।
3. मध्य प्रदेश में झूम कृषि को …………… के नाम से जाना जाता है ।
4. आंध्र प्रदेश में झूम कृषि को …………… के नाम से जाना जाता है।
5. गेहूँ एक ……………. की फसल है ।
6. भारत में …………… शस्य ऋतुएँ हैं।
7. ………………… की फसलों को शीत ऋतु में अक्तूबर से दिसंबर के मध्य बोया जाता है ।
8. मक्का एक ……………… की फसल है।
9. चावल और बाजरा ………………. की फसलें हैं ।
10. गेहूँ भारत की ……………. सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है I
11. अरेबिका ……………. की एक किस्म है।
12. ऑस, अमन और बोरो ……………… की फसलें हैं ।
13. ……………….. ऋतु में खीरे और तरबूज की खेती की जाती है ।
14. खरीफ़ की फसलें …………….  में बोई जाती हैं ।
15. भारत में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य ………………… है।
उत्तर- 1. झूम कृषि, 2. झूम, 3. बेबर, 4. पोडु, 5. रबी, 6. तीन, 7. रबी, 8. खरीफ़, 9. खरीफ़, 10. दूसरी, 11. कॉफी, 12. घान, 13. ज़ायद, 14. जून-जुलाई, 15. उत्तर-प्रदेश ।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हाँ / नहीं में दीजिए
1. किसानों के लाभ के लिए भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की ।
2. जूट को सुनहरा रेशा कहा जाता है।
3. बाबा बूदन पहाड़ियाँ रबड़ की कृषि के लिए प्रसिद्ध है।
4. मूँगफली और सरसों तिलहन की फसलों की उदाहरण हैं ।
5. आंध्र प्रदेश में झूम कृषि को पेंडा के नाम से जाना जाता है
6. चाय एक उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय फसल है ।
7. चावल भारत की प्रथम सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है।
8. जौ और सरसों खरीफ की फसलें हैं ।
9. दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में झूम कृषि को वालरे या वाल्टरे के नाम से जाना जाता है।
10. रबी और खरीफ़ फसलों के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल जायद कहलाती है।
उत्तर–1. हाँ, 2. हाँ, 3. नहीं, 4. हाँ, 5. हाँ, 6. नहीं, 7. हाँ, 8. नहीं, 9. हाँ, 10. हाँ।

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 4 कृषि

कृषि Class 10 Notes HBSE Chapter 4

→ भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। भारत के कुल श्रम का लगभग 2/3 हिस्सा कृषि में लगा हुआ है।

→ भारत के सकल घरेलु उत्पाद में कृषि का 26% का हिस्सा है। भारत शुद्ध बोय गये क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान पर है।

→ भारत का 143 लाख हेक्टेयर भाग शुद्ध बोये गये क्षेत्र आता है।

→ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कृषि में त्वरित विकास हुआ और इस विकास के लिए हरित क्रांति अभियान चलाया गया। इस अभियान से जहां भारत खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सका वहीं आज कई उत्पदों का निर्यात भी करने लगा है।

→ चावल और गेहूँ उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। दुग्ध और चाय उत्पादन में पहले स्थान पर फल उत्पादन में भारत का स्थान यद्यपि दूसरा है परंतु आम उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान पर है। काजू निर्यात में भारत प्रथम स्थान पर है।

Class 10 Geography Chapter 4 Notes HBSE

→ भारत में पशुपालन अपनी विकसित अवस्था में हैं। संसार की लगभग 57% भैंसे भारत में पायी जाती है। विश्व के गोध न का 16% भारत में ही पाया जाता है।

→ भारत की कुल गायों का 2/3 हिस्सा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रेदश, बिहार, महाराष्ट्र, उडीसा, कर्नाटक और राजस्थान मेंपाली जाती हैं। भारत में पायी जाने वाली 25% भैसें अकेल उत्तर प्रदेश में है।

→ भेड़ों का 20% राजस्थान में पाया जाता है। भेड़ से ऊन और मांस प्राप्त होता है। 50 प्रतिशत भेड़े, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तरप्रदेश में पाली जाती है।

→ भारत में मुर्गीपालन मुख्यतः घरेलु उद्योग के रूप में प्रचलित हैं अपनी लंबी तटरेखा के कारण मछली पालन के लिए एक अत्यंत विकसित और उपयुक्त स्थल है। मत्स्य पालन भारत में तटीय क्षेत्रों के लोग की आजीविका का मुख्य साधन है।

→ सन् 1950-51 में भारत में 510 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था, वही 1999-2000 में यह बढ़कर 2090 लाख टन हो गया। 2001 में भारत में 4 करोड लाख टन खाद्यान्न का भंडारण किया गया।

→ 1990 ई. के बाद वैश्वीकरण के कारण भारतीय किसानों को कई नई चुने का सामना करना पड़ रहा हैं विकसित देशों द्वारा अपने किसानों को अत्यधिक सहायिकी देने के कारण भारतीय कृषि विश्व के उन देशों के साथ स्पर्धा करने में असमर्थ है।

→ भारतीय कृषि को सक्षम और लाभदायक बनाने के लिए सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारने की जरूरत है। कार्बानिक कृषि पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसका हमारे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक असर नहीं होता है।

Chapter 4 कृषि HBSE 10th Class Geography

→ भारतीय किसानों को खाद्यान्नों के स्थान पर फसलें उगानी चाहिए। इसमें उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और पर्यावरण निम्नीकरण में भी कमी आएगी।

भौगोलिक शब्दावली

→ शद्ध बोया गया क्षेत्र-वह कृषि-भूमि जो वर्षभर में केवल एक बार ही बोयी जाती है।

→ कुल बोया गया क्षेत्र-शुद्ध बोया गया क्षेत्र + एकाधिक बार बोया गया क्षेत्र।

→ आत्मनिर्वाह कृषि-छोटी जोतों पर पारस्परिक प्रकार की कृषि। इस तरह की कृषि में आधुनिक तकनीकी सुविधाओं का प्रयोग न के बराबर होता है।

→ स्थानांतरी कृषि-कृषि का वह प्रकार जिसमें किसान कृषि के लिए हर दो तीन साल बाद भूमि परिवर्तित करता रहता है।

→ रोपण कृषि-इस प्रकार की कृषि के अंतर्गत वृक्ष या फसलों को ही उगाया जाता है।

→ गहन कृषि-वह कृषि का उन्नत प्रकार है तथा उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहां सिंचाई संभव है।

→ शुष्क कृषि-कृषि का वह प्रकार जो कम वर्षावाले क्षेत्र में अपनाया जाता है।

→ आर्द्र कृषि-अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाने वाली कृषि।

→ हरित कृषि-देश का खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने हेतु चलाया गया अभियान।

→ श्वेत क्रान्ति-देश में दुग्ध उत्पादन की बढ़ोत्तरी हेतु चलाया गया अभियान।

→ ऑपरेशन फ्लड-श्वेत क्रांति का तहत चलाया गया अभियान जिससे भारत दुग्ध उत्पादन मे विश्व में प्रथम स्थान पर आ सका।

→ वैश्वीकरण-संपूर्ण विश्व भर में होने वाला व्यपार।

→ ड्रिप सिंचाई-इसमें खेती को पानी से लबालब ने भर कर ऊपर से फुहारों के रूप में सिंचाई की जाती है। इस आधुनिक सिंचाई से कम जल में अधिक से अधिक लाभ
दिया जाता है।

→ जैव खाद-इस प्रकार की खाद में उन कीड़ों का प्रयोग होता है जो मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाते हैं और फसलों को हानि नहीं पहुंचाते।

→ गरीबी रेखा-निर्धारित मानदंडों से नीचे के स्तर पर जीवन यापन करना।

→ रबी फसलें-रबी फसलें शीत ऋतु में अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य बोई जाती है तथा ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काट ली जाती है।

→ खरीब फसलें-ये फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काट ली जाती है।

→ जायद-रबी और ,खरीब फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल को जायद कहा जाता है।

→ वाणिज्यिक कृषि-इस प्रकार की कृषि के मुख्य लक्षण आधुनिक निवेशों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है।

→ रोपण कृषि-इस प्रकार की खेती में लम्बे-चौड़े क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है जिसके लिए अत्यधिक पूंजी प्रवासी श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

कुछ तथ्य, कुछ सत्य

→ कृषि का महत्त्व – भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 26% है।

→ एग्रीकल्चर – भूमि की जुताई।

→ खरीफ – जून-जुलाई से अक्टूबर-नवंबर तक का फसल चक्र।

→ रबी की ऋतु – अक्टूबर-नवम्बर से मार्च-अप्रैल का फसल चक्र।

→ जायद – ग्रीष्मकालीन छोटी फसल ऋतु।

→ मूंगफली – भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण तिलहन।

→ खरीफ की दलहन – मूंग, अरहर, उड़द।

→ रबी का दलहन – मसूर, मटर, चना।

→ अलसी – रबी की फसल

  • उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान
  • सबसे अधिक उत्पादन रूस में होता है।

→ जूट उत्पादक राज्य – पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा, मेघालय।

→ कपास – खरीफ की फसल।

  • उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों की फसल
  • 6-8 महीने में फसल तैयार
  • उत्पादन में भारत का स्थान तीसरा।
  • प्रधम और दूसरे स्थान पर क्रमशः चीन और अमेरिका।

→ गरीबी रेखा से नीचे – 66 करोड़ भारतीय (26 प्रतिशत)

→ 2001-01 में कुल खाद्यान्न – 1990 लाख टन।

→ भारत में – संसार की 57 प्रतिशत भैंसे पायी जाती हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *