1. विनिर्माण उद्योग मशीनों द्वारा बड़ी संख्या या मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योगों को विनिर्माण उद्योग कहते हैं; जैसे कागज उद्योग, चीनी उद्योग और वस्त्र उद्योग |
2. विनिर्माण उद्योगों का महत्त्व – विनिर्माण उद्योग किसी देश की आर्थिक शक्ति का आधार होते हैं। इन उद्योगों से लोगों को रोजगार मिलता है और इन उद्योगों से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है ।
3. उद्योगों की स्थापना में सहायक कारक – (i) मानवीय कारक, (ii) भौतिक कारक ।
4. मानवीय कारक श्रमिक, बाजार, परिवहन, पूँजी व बैंक सुविधाएँ ।
5. भौतिक कारक कच्चा माल, शक्ति के साधन, जल की सुलभता तथा अनुकूल जलवायु ।
6. उद्योगों का वर्गीकरण –
(ii) स्वामित्व के आधार पर निजी क्षेत्र के उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग, संयुक्त क्षेत्र के उद्योग तथा सहकारी क्षेत्र के उद्योग |
7. सूती वस्त्र उद्योग – भारत में पहली सूती मिल की स्थापना 1854 ई० में मुंबई में हुई थी । यह भारत का सबसे बड़ा उद्योग है। वर्ष 2012 के आँकड़ों के अनुसार देश में लगभग 2708 सूती कपड़े की मिलें थीं। भारत में सूती वस्त्र उद्योग अधिकतर महाराष्ट्र और गुजरात में विकसित हुआ है ।
8. जूट वस्त्र उद्योग – सूती वस्त्र उद्योग के बाद यह भारत का दूसरा महत्त्वपूर्ण उद्योग है। भारत में जूट की लगभग 70 मिलें हैं। इनमें से अधिकतर मिलें पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के किनारे स्थित हैं।
9. ऊनी वस्त्र उद्योग–भारत में ऊनी वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र – पंजाब में अमृतसर और लुधियाना, महाराष्ट्र में मुंबई, गुजरात में अहमदाबाद और जामनगर तथा उत्तर प्रदेश में कानपुर, आगरा और मिर्जापुर में हैं ।
10. रेशमी वस्त्र उद्योग – भारत में रेशमी वस्त्र उद्योग की लगभग 90 मिलें हैं जिनमें प्रतिवर्ष 8.5 लाख किलोग्राम रेशम का धागा तैयार किया जाता है। भारत में 90 प्रतिशत से अधिक रेशम का उत्पादन कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल तथा जम्मू और कश्मीर में किया जाता है ।
11. कृत्रिम वस्त्र उद्योग – कृत्रिम वस्त्र उद्योग मानव निर्मित रेशों की रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से लुगदी, कोयला और पेट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, दिल्ली, अमृतसर, ग्वालियर और कोलकाता कृत्रिम वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं।
12. लोहा और इस्पात उद्योग-भारत में लोहा और इस्पात का पहला कारखाना 1830 ई० में तमिलनाडु में पोर्टोनोवा नामक स्थान पर लगा था । लेकिन कुछ कारणों से इसे बंद करना पड़ा। भारत में आधुनिक लोहा और इस्पात उद्योग का वास्तविक प्रारंभ 1864 ई० में कुल्टी नामक स्थान पर स्थापित होने के साथ हुआ।
13. उर्वरक उद्योग – भारत में पहला उर्वरक संयंत्र 1906 ई० में तमिलनाडु में रानीपेट नामक स्थान पर स्थापित हुआ। परंतु इस उद्योग का वास्तविक विकास 1951 ई० में भारतीय उद्योग द्वारा सिंदरी में संयंत्र स्थापित करने के बाद हुआ।
14. सीमेंट उद्योग – भारत में सीमेंट का पहला कारखाना 1904 ई० में चेन्नई में स्थापित हुआ। भारत देश में लगभग 128 बड़े तथा लगभग 332 छोटे सीमेंट संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं ।
15. मोटरगाड़ी उद्योग – भारत में मोटरगाड़ी उद्योग की 15 इकाइयाँ यात्री कार तथा बहु-उपयोगी वाहन बनाती हैं । 9 इकाइयाँ व्यापारिक वाहन तथा 14 इकाइयाँ दोपहिया तथा तिपहिया वाहन बनाती हैं ।
16. सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रोनिक उद्योग – इस उद्योग के अंतर्गत आने वाले उत्पादों में टेलीविजन, कंप्यूटर, टेलीफोन, सेल्यूलर टेलिकॉम, पेजर, राडार आदि आते हैं । बंगलुरु ( बंगलौर) शहर भारत की इलेक्ट्रोनिक राजधानी के रूप में उभरा है।
17. औद्योगिक प्रदूषण उद्योग चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं- (1) वायु (2) जल (3) भूमि ( 4 ) ध्वनि ।
18. तापीय प्रदूषण – जब कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठंडा किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है तो जल में तापीय प्रदूषण होता है ।
19. पर्यावरण निम्नीकरण की रोकथाम – विभिन्न उपायों के द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किए जाने वाले प्रयास ।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न [Long- Answer Type Questions]
प्रश्न 1. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या करें ।
उत्तर–उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं –
1. कच्चे माल की निकट उपलब्धि – उद्योग-धंधों के विकास के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। अतः कारखाने उन्हीं स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं, जहाँ कच्चा माल विपुल मात्रा में निकट से ही उपलब्ध हो जाता है; जैसे पश्चिमी बंगाल में पटसन उद्योग स्थापित है, क्योंकि वहाँ पटसन बहुत पैदा होता है ।
2. शक्ति के साधनों की निकटता – उद्योग-धंधों के विकास के लिए शक्ति के साधनों का मिलना एक महत्त्वपूर्ण कारक है। कोयला शक्ति का एक प्रमुख साधन है। इसलिए कारखाने मुख्यतः कोयले की खानों के निकट स्थापित किए जाते हैं; जैसे लोहा तथा पटसन उद्योग पश्चिमी बंगाल तथा बिहार में स्थापित हैं, क्योंकि कोयला रानीगंज और झरिया की खानों से मिल जाता है।
3. परिवहन एवं यातायात की सुविधाएँ – कच्चे माल को कारखाने तक पहुँचाने तथा तैयार माल को मंडियों तथा खपत के स्थानों पर पहुँचाने के लिए परिवहन के साधन विकसित एवं सस्ते होने चाहिएँ ।
4. सरकारी नीतियाँ – जिन क्षेत्रों में सरकार उद्योग की स्थापना को प्रोत्साहन देगी, वहाँ उद्योग-धंधों का तेजी से विकास होगा।
5. मंडियों की निकटता – जिन क्षेत्रों में तैयार माल की खपत के लिए विकसित बाजार तथा मंडियाँ होती हैं, वहाँ उद्योग-धंधे केंद्रित हो जाते हैं ।
6. पूँजी की उपलब्धि – बड़े पैमाने के उद्योगों की स्थापना के लिए विपुल मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है। उद्योग उन स्थानों पर केंद्रित हो जाते हैं, जहाँ लोगों के पास अधिक पूँजी हो और बैंकिंग प्रणाली का विकास हो चुका हो । यही कारण है कि मुम्बई तथा कोलकाता आदि शहरों में उद्योगों की स्थापना हो गई है।
7. अनुकूल जलवायु– उद्योग-धंधों की स्थापना के लिए अनुकूल जलवायु एक अन्य प्रमुख कारक है। उदाहरण के लिए, गुजरात तथा महाराष्ट्र की गर्म-आर्द्र जलवायु सूती वस्त्र उद्योग की उन्नति में सहायक है, क्योंकि इस जलवायु में धागा नहीं टूटता ।
8. बाजार या मंडी की निकटता-जिन क्षेत्रों में तैयार माल की खपत के लिए बाजार या मंडी पास में ही होती है, वहाँ उद्योग-धंधे केंद्रित हो जाते हैं। उदाहरणार्थ, कानपुर में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना स्थानीय माँग की पूर्ति के लिए ही हुई है।
9. उद्योगों का प्रारंभ- यदि कोई उद्योग किसी स्थान पर सबसे पहले स्थापित हो जाता है, तो वहाँ उस उद्योग की स्थापना हो जाती है, क्योंकि वह स्थान प्रसिद्धि प्राप्त कर लेता है। फर्नीचर उद्योग का करतारपुर (जालंधर) में स्थापित होना, इसका एक विशिष्ट उदाहरण है। इसी प्रकार कश्मीर में शालों, बनारस में साड़ियों तथा मुर्शिदाबाद में बर्तन उद्योगों की स्थापना इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।
प्रश्न 2. भारत में पाए जाने वाले उद्योगों का वर्गीकरण किन-किन आधारों पर किया जा सकता है?
उत्तर- उद्योगों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार इस प्रकार से हैं-
1. प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर –
(क) कृषि आधारित – इन उद्योगों को चलाने के लिए कच्चा माल कृषि क्षेत्र से प्राप्त होता है। इनमें सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशमी वस्त्र, रबर, चीनी, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग आदि शामिल हैं।
(ख) खनिज आधारित – इन उद्योगों को चलाने के लिए कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है | लोहा तथा इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम, मशीन, औजार तथा पेट्रो-रसायन उद्योग इसके उदाहरण हैं।
2. प्रमुख भूमिका के आधार पर –
(क) आधारभूत उद्योग – ये वे उद्योग होते हैं जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर हैं, जैसे लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन व एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग ।
(ख) उपभोक्ता उद्योग – ये वे उद्योग होते हैं जो अपना उत्पादन उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु करते हैं; जैसे चीनी, दंतमंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि ।
3. श्रम एवं पूँजी निवेश के आधार पर-
( क ) श्रम – प्रधान उद्योग – (i) जिन उद्योगों में मजदूरों की एक बहुत बड़ी संख्या काम करती है और पूँजी का कम महत्त्व होता है, उन्हें श्रम प्रधान उद्योग कहते हैं ।
(ii) इन उद्योगों में अधिक मजदूर काम करते हैं और मशीनों का कम प्रयोग होता है ।
(iii) पटसन उद्योग, रेल, डाक और वस्त्र उद्योग श्रम-प्रधान उद्योग हैं।
(ख) पूँजी-प्रधान उद्योग–(i) जिन उद्योगों की स्थापना और विकास में बड़े पैमाने पर पूँजी की जरूरत होती है और श्रम का इतना अधिक महत्त्व नहीं होता, उन्हें पूँजी – प्रधान उद्योग कहते हैं ।
(ii) इन उद्योगों में अधिकतर काम मशीनों द्वारा किया जाता है ।
(iii) लोहा-इस्पात उद्योग, जलयान निर्माण उद्योग, तेल परिष्करणशाला उद्योग पूँजी-प्रधान उद्योग हैं।
4. स्वामित्व के आधार पर –
(क) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार के किसी संगठन के पास होता है, उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे भारतीय रेल उद्योग, भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला के इस्पात उद्योग ।
(ख) निजी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व किसी एक या कुछ व्यक्तियों या कंपनियों के पास होता है, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे-जमशेदपुर में टाटा लौह-इस्पात उद्योग ।
(ग) सम्मिलित / संयुक्त क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य कुछ लोगों या निजी फर्मों के पास सम्मिलित रूप से होता है, उन्हें सम्मिलित क्षेत्र के उद्योग कहते हैं, जैसे इंडियन ऑयल कम्पनी लिमिटेड।
(घ) सहकारी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व और प्रबंध एक वर्ग के लोगों के हाथ में होता है और यह वर्ग उस उद्योग के लिए कच्चे माल का उत्पादक भी होता है, उन्हें सहकारी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं, जैसे महाराष्ट्र के चीनी उद्योग ।
5. कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर –
(क) भारी उद्योग – (i) ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही भारी होते हैं तथा अधिकांश कार्य मशीनों की सहायता से किया जाता है।
(ii) लोहा-इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि भारी उद्योगों के उदाहरण हैं ।
(iii) इनमें तैयार माल और कच्चे माल का परिवहन खर्च अधिक होता है ।
(ख) हल्के उद्योग – (i) ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही हल्के होते हैं तथा इनमें महिला श्रमिक भी काम करती हैं।
(ii) बिजली के पंखे, सिलाई मशीनें, रेडियो आदि बनाने वाले उद्योग हल्के उद्योगों की श्रेणी में आते हैं ।
(iii) इनमें परिवहन खर्च कम आता है ।
प्रश्न 3. भारत में कृषि पर आधारित उद्योग कौन से हैं? इनका क्या महत्त्व है? किसी एक उद्योग का विस्तार से वर्णन कीजिए ।
उत्तर – भारत में कृषि अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल की पूर्ति का स्रोत है। भारत में कृषि आधारित उद्योग निम्नलिखित हैं
(i) वस्त्र उद्योग, (ii) चीनी उद्योग, (iii) वनस्पति तेल उद्योग, (iv) पटसन उद्योग, (v) कागज उद्योग, (vi) रबड़ उद्योग, (vii) डेयरी उद्योग आदि ।
महत्त्व – (i) कृषि पर आधारित उद्योग लोगों के दैनिक जीवन की आवश्यकता की वस्तुओं का निर्माण करते हैं। (ii) कृषि पर आधारित उद्योग एक बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। अकेले सूती वस्त्र उद्योग में 1.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है ।
(iii) कृषि पर आधारित उद्योग राष्ट्रीय आय का प्रमुख स्रोत हैं। ये उद्योग कच्चे माल को उपयोगी माल में बदलकर उसे कई गुना अधिक मूल्यवान बना देते हैं, जैसे गन्ने से चीनी तैयार करना ।
(iv) कृषि पर आधारित उद्योगों के निर्मित माल का भारत निर्यात करता है; जैसे सूती वस्त्र उद्योग का एक-चौथाई भाग निर्यात किया जाता है। पटसन उद्योग से भी भारत काफी विदेशी मुद्रा कमाता है ।
(v) कृषि पर आधारित उद्योगों का राष्ट्रीय पूँजी के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है।
चीनी उद्योग–भारत संसार में गन्ने का ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। गुड़ और खांडसारी के उत्पादन में भी भारत का महत्त्वपूर्ण स्थान है । गन्ना शीघ्र नष्ट होने वाला एक पदार्थ है । चीनी का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है। 1997-98 में गन्ने की भरपूर फसल हुई, जिससे चीनी का कुल उत्पादन 128.3 लाख टन हुआ । भारत में सबसे अधिक चीनी मिलें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा और तमिलनाडु राज्यों में हैं। वर्ष 2011-12 में चीनी का उत्पाद 177 लाख टन हो गया । दक्षिणी भारत में चीनी उद्योग का विस्तार अधिक तेजी से हो रहा है । इसके निम्नलिखित कारण हैं –
(i) दक्षिणी भारत के गन्ने में रस की मात्रा अधिक है।
(ii) दक्षिणी भारत में अच्छी किस्म के गन्ने के उत्पादन के लिए उपयुक्त मिट्टी तथा जलवायु पाई जाती है ।
(iii) मौसमी उद्योग होने के कारण सहकारी क्षेत्र में चीनी उद्योग का भविष्य अधिक उज्ज्वल है ।
(iv) दक्षिणी भारत में चीनी के निर्यात के लिए समुद्री तटीय सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
प्रश्न 4. भारत के सूती वस्त्र उद्योग पर एक भौगोलिक निबंध लिखिए।
उत्तर–भारत का सूती वस्त्र उद्योग बहुत पुराना है। एक समय था जब भारत में बने सूती वस्त्रों की यूरोप तथा मध्य पूर्व में भारी माँग थी। उस समय हमारा सूती वस्त्र उद्योग केवल एक ग्रामीण अथवा कुटीर उद्योग था । चरखा इसकी एकमात्र मशीन थी।
आधुनिक सूती वस्त्र उद्योग का आरंभ – कोलकाता के निकट फोर्ट गोलास्टर में पहली सूती मिल 1818 ई० में लगाई गई, किन्तु इस उद्योग का वास्तविक आरंभ 1854 ई० में मुम्बई में स्थापित सूती मिल से हुआ । इस मिल की स्थापना भारतीय पूँजी से की गई। मार्च, 1986 में देश में कुल 1014 सूती मिलें थीं। इनमें से 282 मिश्रित मिलें थीं । इन मिलों में सूत कातने तथा कपड़ा बुनने के दोनों ही काम होते थे । इनके अतिरिक्त 732 ऐसी मिलें थीं जिनमें केवल सूत की कताई की जाती थी ।
खादी एवं मिलों में बने वस्त्र – भारतीय सूती वस्त्र उद्योग के दो क्षेत्र हैं। एक ओर तो कातने और बुनने का काम हाथों से किया जाता है। दूसरी ओर, भारी पूँजी से लगी मिलें हैं, जिनमें तेज गति से बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा काम किया जाता है ।
उत्पादन एवं वितरण (Production and Distribution ) – देश की अर्थव्यवस्था में सूती वस्त्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वर्ष 2012 में 2708 सूती वस्त्र निर्माण मिलें थीं। इनमें से 192 मिलें सार्वजनिक क्षेत्र में, 153 मिलें निगम अथवा सहकारी क्षेत्र में तथा अन्य 2,363 मिलें निजी क्षेत्र में थीं। 1951 में संगठित सेक्टर का उत्पादन 81% था । देश में उत्पादित सूती वस्त्र का 83.1% विकेन्द्रित सेक्टर में पावरलूम द्वारा व 12.2% हैंडलूम द्वारा व 1.4% अन्य द्वारा उत्पादित किया जाता है। हमारे देश में असंगठित क्षेत्र में सूती वस्त्र बनाने के 3,500 से अधिक छोटे-छोटे कारखाने हैं जहाँ लगभग एक करोड़ श्रमिक काम करते हैं। 2016-17 में देश में सूती वस्त्र का उत्पादन लगभग 33.09 मिलियन टन हुआं । 2017-18 में यह उत्पादन घटकर लगभग 32.27 मिलियन टन हो गया ।
सूती वस्त्र उद्योग के केंद्र – सूती वस्त्र उद्योग में महाराष्ट्र तथा गुजरात अग्रणी राज्य हैं । इस उद्योग के दो प्रमुख केंद्र मुंबई तथा अहमदाबाद हैं। महाराष्ट्र में नागपुर, पश्चिमी बंगाल में कोलकाता, तमिलनाडु में कोयंबटूर, उत्तर प्रदेश में कानपुर, मध्य प्रदेश में इंदौर और देवास आधुनिक वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं।
सिले- सिलाए सूती वस्त्रों का उद्योग-गत कुछ वर्षों में इस उद्योग का बड़ी तेजी से विकास हुआ है। इस प्रकार के वस्त्र विदेशी माँग की पूर्ति हेतु बनाए जाते हैं । इस उद्योग से भारत बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करता है, किन्तु हमारे सूती वस्त्र उद्योग को नई तकनीक की बड़ी आवश्यकता है। धीरे-धीरे इस उद्योग में नई तकनीक का प्रयोग बढ़ता जा रहा है।
अन्य केंद्र-सूती वस्त्रों के अन्य केंद्र निम्नलिखित हैं –
पंजाब में – अमृतसर और फगवाड़ा ।
राजस्थान में – गंगानगर और कोटा ।
प्रश्न 5. लोहा और इस्पात उद्योग पर एक भौगोलिक निबंध लिखिए।
अथवा
लोहा एवं इस्पात उद्योग केवल प्रायद्वीपीय भारत में ही क्यों स्थित है?
उत्तर- लोहा और इस्पात उद्योग की स्थापना – भारत में लोहा और इस्पात का पहला कारखाना सन् 1880 में पोर्टोनोवा नामक स्थान पर तमिलनाडु में स्थापित किया गया था। परंतु कुछ कारणों से इसे बंद करना पड़ा । आधुनिक लोहा और इस्पात उद्योग का वास्तविक प्रारंभ सन् 1864 में पश्चिम बंगाल में कुल्टी नामक स्थान पर स्थापित होने के साथ हुआ। लोहा और इस्पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन सन् 1907 में जमशेदपुर ( अब झारखंड), में कारखाने की स्थापना के साथ हुआ।
लोहा और इस्पात उद्योग का विकास-पश्चिम बंगाल में बर्नपुर तथा कर्नाटक में भद्रावती में इस्पात के कारखानें लगाए गए। स्वतंत्रता के बाद विदेशी सहयोग से लोहा – इस्पात के कई कारखानें स्थापित किए गए। इस समय देश में 10 संकलित लोहा तथा इस्पात संयंत्र हैं। इनके अतिरिक्त देश में लगभग 200 विकेंद्रित द्वितीयक इकाइयाँ हैं, जिन्हें लघु या छोटे इस्पात संयंत्र कहते हैं ।
लोहा और इस्पात उद्योग का केंद्रीयकरण – लोहा और इस्पात एक भारी उद्योग है। इसमें भारी तथा अधिक स्थान घेरने वाले कच्चे माल का उपयोग होता है। इनमें लौह अयस्क, कोकिंग कोयला, चूना पत्थर और मैंगनीज़ अयस्क उल्लेखनीय हैं। यही कारण है कि लोहा और इस्पात उद्योगों की स्थिति कच्चे माल के उत्पादक क्षेत्रों से नियंत्रित है। इनका उत्पादित माल भी भारी होता है। अतः इनके वितरण के लिए उत्तम परिवहन तंत्र का होना अति आवश्यक है। इन्हीं कारणों से इस उद्योग का केंद्रीयकरण पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में फैले हुए छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में हुआ है।
प्रश्न 6. भारत के रसायन उद्योग पर नोट लिखिए |
उत्तर – भारत में रसायन उद्योग काफी तेजी से विकसित हो रहा है तथा फैल भी रहा है । इसकी भागीदारी सकल घरेलू उत्पाद है में लगभग 3 प्रतिशत है। भारत का रसायन उद्योग एशिया का तीसरा बड़ा उद्योग है तथा आकार की दृष्टि से विश्व में 12वें स्थान पर है। इसमें लघु तथा बड़ी दोनों प्रकार की विनिर्माण इकाइयाँ सम्मिलित हैं। अकार्बनिक और कार्बनिक दोनों क्षेत्रों में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है ।
अकार्बनिक रसायनों में सलफ्यूरिक अम्ल (उर्वरक, कृत्रिम वस्त्र, प्लास्टिक, गोंद, रंग-रोगन, डाई आदि के निर्माण में प्रयुक्त), नाइट्रिक अम्ल, क्षार, सोडा ऐश (Soda Ash), (काँच, साबुन, शोधक या अपमार्जक, कागज़ में प्रयुक्त होने वाले रसायन) तथा कास्टिक सोडा आदि शामिल हैं। इन उद्योगों का देश में विस्तृत फैलाव है ।
कार्बनिक रसायनों में पेट्रोरसायन शामिल हैं जो कृत्रिम वस्त्र, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक, रंजक पदार्थ, दवाइयाँ, औषध रसायनों को बनाने में प्रयोग किए जाते हैं। ये उद्योग तेल शोधन शालाओं या पेट्रोरसायन संयंत्रों के समीप स्थापित हैं।
रसायन उद्योग अपने आप में एक बड़ा उपभोक्ता भी है । आधारभूत रसायन एक प्रक्रिया द्वारा अन्य रसायन उत्पन्न करते हैं जिनका उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोग, कृषि अथवा उपभोक्ता बाज़ारों के लिए किया जाता है ।
प्रश्न 7. भारत के पटसन या जूट उद्योग की विस्तृत समीक्षा कीजिए ।
उत्तर – पटसन उद्योग एक कृषि आधारित उद्योग है। भारत में पहला पटसन उद्योग कोलकाता के निकट रिशरा में सन् 1859 में लगाया गया था। सन् 1947 में देश के विभाजन के पश्चात् अधिकांश पटसन मिलें तो भारत में ही रह गईं लेकिन तीन-चौथाई जूट उत्पादक क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान अर्थात् बांग्लादेश में चला गया ।
भारत पटसन व पटसन निर्मित सामान का सबसे बड़ा उत्पादक देश है तथा बांग्लादेश के बाद दूसरा बड़ा निर्यातक देश भी है। भारत में लगभग 70 पटसन उद्योग हैं, जिनमें से अधिकांश पश्चिमी बंगाल में हुगली नदी के तट पर 98 कि०मी० लंबी तथा 3 कि०मी० चौड़ी एक संकरी पट्टी में स्थित हैं। हुगली नदी के तट पर इनके स्थित होने के निम्नलिखित कारण हैं-
(i) यहाँ जूट उत्पादक क्षेत्र मिलों के निकट स्थित हैं।
(ii) माल की ढुलाई के लिए सस्ता जल परिवहन उपलब्ध है।
(iii) जूट को साफ करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है ।
(iv) यहाँ बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं ।
(v) यहाँ बैंक और बीमा की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं ।
(vi) यहाँ के बंदरगाहों से जूट के सामान का आसानी से निर्यात किया जा सकता है ।
भारत में पटसन उद्योग प्रत्यक्ष रूप से 2.61 लाख श्रमिकों तथा अन्य 40 लाख छोटे श्रमिकों और कृषकों को रोजगार उपलब्ध करवाता है।
लघुत्तरात्मक प्रश्न [Short – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. स्पष्ट कीजिए कि कृषि और उद्योग किस प्रकार साथ-साथ बढ़ रहे हैं ?
उत्तर – भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और उद्योग का घनिष्ठ संबंध है। ये दोनों एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। दोनों का विकास साथ-साथ हो रहा है ।
कृषि ने उद्योगों को सुदृढ़ आधारशिला प्रदान की है। कृषि अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल की पूर्ति का स्रोत है। गन्ना, तिलहन, कच्चा पटसन और कच्चा कपास ऐसे प्रमुख कृषि उत्पाद हैं जो खाद्य तेल उद्योग, चीनी उद्योग, पटसन उद्योग और कपड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल का काम करते हैं ।
उद्योगों के विकास के कारण ही कृषि का विकास भी संभव हो पाया है। कृषि के लिए ट्रैक्टर, कम्बाइन, हार्वेस्टर, ट्रॉली, जलपम्प और स्प्रिंग कलर इत्यादि उद्योगों से ही प्राप्त होते हैं । उर्वरक, कीटनाशक दवाइयाँ, पेट्रोल, डीजल और बिजली आदि का कृषि में उपयोग उद्योगों पर आधारित है।
स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग दोनों का विकास एक-दूसरे के विकास पर निर्भर करता है ।
प्रश्न 2. उद्योगों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है ?
उत्तर- पिछले दो दशकों से सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण उद्योग का योगदान 27 प्रतिशत में से 17 प्रतिशत ही रह गया है क्योंकि 10 प्रतिशत भाग खनिज खनन, गैस तथा विद्युत ऊर्जा का योगदान है।
भारत की तुलना में अन्य पूर्वी एशियाई देशों में विनिर्माण का योगदान सकल घरेलू उत्पाद का 25 से 35 प्रतिशत है। पिछले एक दशक से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि हुई है । वृद्धि की यह दर अगले दशक में 12 प्रतिशत अपेक्षित है। वर्ष 2003 से विनिर्माण क्षेत्र का विकास 9 से 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से हुआ है । उपयुक्त सरकारी नीतियों तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की नई कोशिशों से अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि विनिर्माण उद्योग अगले एक दशक में अपना लक्ष्य पूरा कर सकता है।
प्रश्न 3. लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- लोहा- इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योग माना जाता है । इसे समस्त उद्योगों की कुंजी कहा जाता है क्योंकि इस पर अन्य सभी उद्योग आधारित हैं। इसलिए लोहा – इस्पात उद्योग भारत के तीव्र औद्योगिकीकरण की आधारशिला है ।
कारण – लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहने के निम्नलिखित कारण हैं –
(i) लगभग सभी उद्योगों के लिए मशीनें और उपकरण लोहा – इस्पात से ही बनाए जाते हैं ।
(ii) सभी प्रकार के हल्के, मध्यम, कुटीर एवं भारी उद्योग लोहा – इस्पात पर आधारित हैं ।
(iii) संचार एवं परिवहन भी लोहा – इस्पात पर आधारित हैं ।
(iv) भवन निर्माण में भी लोहा – इस्पात का प्रयोग किया जाता है |
(v) कृषि के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्र एवं उपकरण; जैसे ट्रैक्टर, पम्प – सेट, हल, खुरपा और दराँती आदि सभी लोहा- इस्पात से ही बनाए जाते हैं ।
प्रश्न 4. छोटा नागपुर पठारी क्षेत्र में सर्वाधिक लोहा-इस्पात कारखानों के केंद्रीयकरण के क्या कारण हैं?
उत्तर – छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में लोहा – इस्पात कारखानों के केंद्रीयकरण होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
(i) लइस्पात कारखानों में सबसे अधिक उपयोग में आने वाली वस्तु लौह-अयस्क इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में प्राप्त है ।
(ii) इस उद्योग के विकास के लिए मैंगनीज़ तथा चूने के पत्थर की भी बड़ी आवश्यकता होती है। ये दोनों खनिज भी छोटा नागपुर पठार में मिलते हैं ।
(iii) इस उद्योग के लिए सस्ते श्रमिक भी इस क्षेत्र में मिल जाते हैं ।
(iv) इस उद्योग में पानी व बिजली की भारी खपत होती है। इस क्षेत्र में इन दोनों चीजों के भी अपार स्रोत हैं।
प्रश्न 5. कृत्रिम वस्त्र उद्योग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर – भारत में रेयान, नाइलॉन, टैरीन और डैकरीन का उत्पादन होता है । ये सभी मानव निर्मित कृत्रिम रेशे हैं। इन्हें रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा लकड़ी की लुगदी, कोयला और पेट्रोलियम से बनाया जाता है।
इन कृत्रिम रेशों को सूती, रेशमी और ऊनी धागों के साथ मिलाकर अच्छे वस्त्र बनाए जाते हैं । ये वस्त्र काफी सुंदर होते हैं। ये न केवल टिकाऊ और आकर्षक होते हैं, बल्कि इनका रख-रखाव भी बहुत आसान होता है। आजकल ये वस्त्र काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, सूरत, कोलकाता, अमृतसर तथा ग्वालियर में कृत्रिम रेशों से वस्त्र बनाने के प्रमुख केंद्र हैं।
प्रश्न 6. भारत में ऊनी वस्त्र उद्योग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर – भारत में ऊनी वस्त्रों की 50 से अधिक मिलें हैं। इनमें से अधिकतर पंजाब राज्य में हैं। अमृतसर, धारीवाल और लुधियाना इनके प्रमुख केंद्र हैं। मुम्बई, बंगलुरु ( बंगलौर) जामनगर, कानपुर तथा श्रीनगर इस उद्योग के अन्य केंद्र हैं। ऊन का घरेलू उत्पादन 4.1 करोड़ कि०ग्रा० था । अतः ऊनी उद्योग की माँग को पूरा करने के लिए 1.6 करोड़ कि०ग्रा० से लेकर 1.8 करोड़ कि०ग्रा० ऊन विदेशों से आयात की गई । वर्ष 1950-51 में ऊनी वस्त्र का उत्पादन 60 लाख मीटर था जो बढ़कर वर्ष 1977-78 में 2.2 करोड़ मीटर हो गया । वर्तमान में इस उद्योग का उत्पादन निरंतर बढ़ रहा है ।
प्रश्न 7. श्रमिकों की संख्या के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए ।
उत्तर- श्रमिकों की संख्या के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है –
1. कुटीर उद्योग – कुटीर उद्योगों से अभिप्राय उन उद्योगों से है जो एक व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों की सहायता से बहुत कम पूँजी के द्वारा चलाता है; जैसे टोकरियाँ बनाना, खिलौने बनाना, रस्सी और गत्ते के डिब्बे बनाना ।
2. छोटे पैमाने के उद्योग – छोटे पैमाने के उद्योगों से अभिप्राय उन उद्योगों से है जिनमें मजदूरों की बहुत कम संख्या काम करती है; जैसे अंबाला में विज्ञान का सामान बनाने के कारखाने, पानीपत में दरियाँ तथा चादरें बनाने के कारखाने और लुधियाना में हौज़री के कारखाने ।
3. बड़े पैमाने के उद्योग – जिन उद्योगों में बहुत अधिक संख्या में मज़दूर काम करते हैं, उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग कहते हैं। इनमें 20 लाख से अधिक पूँजी लगी होती है; जैसे चीनी उद्योग, पटसन उद्योग और सूती वस्त्र उद्योग ।
प्रश्न 8. उत्पादों के आधार पर उद्योगों का उदाहरण सहित वर्गीकरण कीजिए ।
उत्तर- उत्पादों के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है –
1. प्राथमिक उद्योग – प्रकृति द्वारा दी गई वस्तुओं को इकट्ठा करने से संबंधित उद्योगों को प्राथमिक उद्योग कहते हैं; जैसे मछली पकड़ना, लकड़ी काटना, खेती करना और खान खोदना आदि ।
2. द्वितीयक उद्योग – जिन उद्योगों में कच्चे माल को संशोधित करके ऐसे मूल्यवान पदार्थों में बदला जाता है जो मानव के लिए उपयोगी होते हैं, उन्हें द्वितीयक उद्योग कहते हैं। इन्हें गौण उद्योग भी कहते हैं; जैसे चीनी उद्योग, वस्त्र उद्योग, लोहा-इस्पात उद्योग और घड़ी उद्योग द्वितीयक उद्योगों में गिने जाते हैं ।
3. तृतीयक उद्योग – जिन उद्योगों की मानव-क्रियाएँ प्राथमिक और गौण उद्योगों को सफल बनाने के लिए अत्यंत जरूरी हैं, उन्हें तृतीयक उद्योग कहते हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, यातायात, संचार, बैंकिंग और व्यापार ।
प्रश्न 9. श्रम एवं पूँजी के महत्त्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए ।
उत्तर – श्रम एवं पूँजी के महत्त्व के आधार पर उद्योगों को दो भागों में बाँटा जा सकता है –
( क ) श्रम – प्रधान उद्योग, (ख) पूँजी – प्रधान उद्योग
(क) श्रम – प्रधान उद्योग – (i) जिन उद्योगों में मजदूरों की एक बहुत बड़ी संख्या काम करती है और पूँजी का कम महत्त्व होता है, उन्हें श्रम- प्रधान उद्योग कहते हैं ।
(ii) इन उद्योगों में अधिक मज़दूर काम करते हैं और मशीनों का कम प्रयोग होता है
(iii) पटसन उद्योग, रेल, डाक और वस्त्र उद्योग श्रम – प्रधान उद्योग हैं ।
(ख) पूँजी – प्रधान उद्योग – (i) जिन उद्योगों की स्थापना और विकास में बड़े पैमाने पर पूँजी की जरूरत होती है और श्रम का .इतना अधिक महत्त्व नहीं होता, उन्हें पूँजी – प्रधान उद्योग कहते हैं ।
(ii) इन उद्योगों में अधिकतर काम मशीनों द्वारा किया जाता है ।
(iii) इलोहा-इस्पात उद्योग, जलयान – निर्माण उद्योग, तेल परिष्करणशाला उद्योग पूँजी – प्रधान उद्योग हैं।
प्रश्न 10. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए ।
उत्तर – स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है –
1. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार के किसी संगठन के पास होता है, उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे भारतीय रेल उद्योग, भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला के इस्पात उद्योग ।
2. निजी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व किसी एक या कुछ व्यक्तियों या कंपनियों के पास होता है, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे जमशेदपुर में टाटा लौहा- इस्पात उद्योग ।
3. सम्मिलित / संयुक्त क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य एवं कुछ लोगों या निजी फर्मों के पास सम्मिलित रूप से होता है, उन्हें सम्मिलित क्षेत्र के उद्योग कहते हैं, जैसे इंडियन ऑयल कंपनी लिमिटेड ।
4. सहकारी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व और प्रबंध एक वर्ग के लोगों के हाथ में होता है और यह वर्ग उस उद्योग के लिए कच्चे माल का उत्पादक भी होता है, उन्हें सहकारी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें ।
प्रश्न 11. भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-उद्योगों में प्रयोग होने वाले कच्चे माल और तैयार माल की प्रकृति के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जा सकता है –
(क) भारी उद्योग – (i) ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही भारी होते हैं तथा अधिकांश कार्य मशीनों की सहायता से किया जाता है ।
(ii) लोहा-इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि भारी उद्योग के उदाहरण हैं ।
(iii) इनमें तैयार माल और कच्चे माल का परिवहन खर्च अधिक होता है ।
(ख) हल्के उद्योग–(i) ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही हल्के होते हैं तथा इनमें महिला श्रमिक भी काम करती हैं ।
(ii) बिजली के पंखे, सिलाई की मशीनें, रेडियो आदि बनाने वाले उद्योग हल्के उद्योगों की श्रेणी में आते हैं।
(iii) इनमें परिवहन खर्च कम आता हैं ।
प्रश्न 12. महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के कारणों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के निम्नलिखित कारण हैं-
(i) इन राज्यों की काली मिट्टी कपास की उपज के लिए अति उत्तम है । इसीलिए यहाँ अधिक कपास पैदा होती है।
(ii) अधिक जनसंख्या के कारण यहाँ मजदूर और कारीगर सस्ते व आसानी से मिल जाते हैं।
(iii) इन राज्यों में बैंकिंग प्रणाली विकसित है । यहाँ बहुत से पूंजीपति रहते हैं । इसलिए इस उद्योग के विकास के लिए पूँजी प्राप्त हो जाती है।
(iv) यहाँ यातायात एवं संचार के साधन विकसित हैं।
(v) यहाँ श्रम और बिजली दोनों ही आसानी से तथा सस्ती दर पर मिल जाती हैं ।
(vi) मुम्बई इस क्षेत्र का एक बहुत बड़ा प्राकृतिक पत्तन है । यहाँ मिश्र और संयुक्त राष्ट्र से लंबे रेशे की कपास मँगवाई जाती है। देश की मिलों में तैयार सूती कपड़ा विदेशों में भेजा जाता है ।
प्रश्न 13. भारत के सीमेंट उद्योग का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
उत्तर – सीमेंट भवनों, फैक्टरियों, सड़कों तथा बाँधों के निर्माण के लिए आवश्यक है । सीमेंट निर्माण उद्योग के लिए भारी कच्चा माल; जैसे चूना पत्थर, सिलिका, एल्यूमिना और जिप्सम की आवश्यकता है । अतः यह उद्योग कच्चे माल के निकट स्थापित किया जाता है। कोयला और विद्युत इसके लिए अन्य आवश्यकताएँ हैं । पहला सीमेंट संयंत्र सन् 1904 में चेन्नई में स्थापित किया गया था। इस उद्योग का विस्तार मुख्यतः स्वतंत्रता के बाद ही हुआ । भारत देश में लगभग 128 बड़े तथा लगभग 332 से अधिक छोटे सीमेंट संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। इनकी कुल उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 13.1 करोड़ टन है। भारत में विभिन्न प्रकार का सीमेंट तैयार किया जाता है। भारतीय सीमेंट की गुणवत्ता उत्तम है । अतः दक्षिण और पूर्वी एशिया के देशों में इसकी बहुत माँग है। इस समय देश में प्रतिवर्ष 10 करोड़ टन सीमेंट का उत्पादन किया जा रहा है ।
प्रश्न 14. भारत में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
उत्तर- इलेक्ट्रॉनिक उद्योग इलेक्ट्रॉनिक्स की विभिन्न प्रकार की वस्तुओं; जैसे टी०वी०, रेडियो, टेलिफोन, सेल्यूलर फोन, कंप्यूटर, रक्षा, रेल, वायुयान, अंतरिक्ष उड़ान तथा मौसम विभागों में प्रयुक्त होने वाले यंत्रों का निर्माण करता है। भारतीय इलेक्ट्रॉनिक उद्योग ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास में भी विशेष योगदान दिया है । बंगलुरु ( बंगलौर) इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की राजधानी के रूप में विकसित हो गया है । हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, कानपुर, लखनऊ तथा कोयंबटूर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के अन्य महत्त्वपूर्ण उत्पादक केंद्र हैं। भारत में 18 सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क विकसित किए जा चुके हैं।
प्रश्न 15. क्या औद्योगीकरण से गरीबी दूर हो सकती है?
उत्तर- किसी देश की गरीबी को कम करने में वहाँ के उद्योगों का प्रमुख हाथ होता है। गरीबी को दूर करने में उद्योग हमारी इस प्रकार से सहायता कर सकते हैं –
(i) उद्योगों में बहुत बड़ी संख्या में मजदूर काम करते हैं जो प्रायः निर्धन वर्ग से ही होते हैं। इससे लोगों को रोजी-रोटी मिलती है ।
(ii) उद्योगों में बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के कारण उपभोक्ताओं को दैनिक जीवन की जरूरी वस्तुएँ कम दामों पर मिलने लगती हैं। अधिक उत्पादन से हमेशा कीमतों में कमी आती है।
(iii) ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या के दबाव को भी औद्योगीकरण द्वारा कम किया जा सकता है।
(iv) औद्योगिक विकास से विदेशी व्यापार बढ़ता है। इससे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, जिसे जन-हित कार्यों में लगाया जा सकता है।
प्रश्न 16. भारत की अधिकांश जूट मिलें पश्चिम बंगाल में क्यों स्थित हैं?
उत्तर–पश्चिम बंगाल में जूट मिलों की अधिकता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
(i) यहाँ जूट उत्पादक क्षेत्र मिलों के निकट स्थित हैं।
(ii) माल की ढुलाई के लिए सस्ता जल परिवहन उपलब्ध है।
(iii) जूट को साफ करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है ।
(iv) यहाँ बड़ी संख्या में सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं ।
(v) यहाँ बैंक और बीमा की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
(vi) यहाँ के बंदरगाहों से जूट के सामान का आसानी से निर्यात किया जा सकता है ।
प्रश्न 17. भारत में उर्वरक उद्योग के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – उर्वरकों का महत्त्व – भारत की मिट्टियों में प्राकृतिक उर्वरता का काफी अभाव है और इनमें केवल 8.1 करोड़ टन खाद्यान्न पैदा करने की क्षमता है। वर्ष 1988-89 में देश में 17 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था। वर्तमान जनसंख्या की वृद्धि को देखते हुए सन् 2050 तक हमें लगभग 40 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता पड़ेगी । अतः खाद्यान्नों में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने के लिए हमें उर्वरकों का उत्पादन भी बढ़ाना होगा ।
भारत में उर्वरक उद्योगों की स्थापना – भारत में पहला उर्वरक संयंत्र सन् 1906 में रानीपेट, तमिलनाडु में स्थापित किया गया, परंतु इस उद्योग का वास्तविक विकास सन् 1951 में भारतीय उर्वरक निगम द्वारा सिंदरी में संयंत्र स्थापित करने के साथ हुआ। हरित क्रांति के कारण उर्वरकों की माँग बढ़ी है, जिसने भारत के विभिन्न भागों में उर्वरक संयंत्र स्थापित करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल राज्य कुल उत्पादन के 50 प्रतिशत से अधिक उर्वरकों का उत्पादन करते हैं। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, गोवा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली, अन्य महत्त्वपूर्ण उर्वरक उत्पादक राज्य हैं । प्राकृतिक गैस की सहज सुलभता के कारण देश के विभिन्न भागों में उर्वरक संयंत्र स्थापित किए जा सकें हैं ।
अति लघुत्तरात्मक प्रश्न [Very Short – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. कृषि आधारित उद्योग किसे कहते हैं ?
उत्तर – वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, पटसन उद्योग, रेशम उद्योग, वनस्पति तेल उद्योग तथा कागज उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग हैं। इन उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है । अतः इन्हें कृषि पर आधारित उद्योग कहा जाता है। हमारी अर्थव्यवस्था इन्हीं उद्योगों पर निर्भर करती है और राष्ट्रीय आय का एक बड़ा भाग इनसे ही प्राप्त होता है । अतः इन उद्योगों का हमारी अर्थव्यवस्था में भारी महत्त्व है ।
प्रश्न 2. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर – ऐसे उद्योग जिनके आर्थिक क्रियाकलापों, उत्पादन तथा वितरण पर सरकार या उनकी प्रतिनिधि संस्था का नियंत्रण होता है, उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे रेल कोच फैक्टरी, कपूरथला ।
प्रश्न 3. भारत में जर्मनी तथा ब्रिटेन के सहयोग से स्थापित एक-एक लोहा इस्पात उद्योग का नाम बताइए।
उत्तर – (i) जर्मनी के सहयोग से – राउरकेला स्टील प्लांट, ओडिशा ।
(ii) ब्रिटेन के सहयोग से दुर्गापुर स्टील प्लांट, पश्चिम बंगाल |
प्रश्न 4. भारत के वस्त्र उद्योग की दो विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर – (i) देश के औद्योगिक उत्पादन में इसका लगभग 14 प्रतिशत योगदान है।
(ii) यह लगभग 350 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है ।
प्रश्न 5. आई.टी. (इलेक्ट्रोनिक उद्योग) के महत्त्व के दो बिंदु लिखें ।
उत्तर—(i) इस उद्योग का मुख्य प्रभाव रोज़गार पैदा करने में हुआ है।
(ii) पिछले कुछ वर्षों से यह उद्योग विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है, जिसका कारण तेज़ी से बढ़ती हुई व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण (BPO) है।
प्रश्न 6. चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश में ही क्यों स्थित है ? कोई दो कारण बताओ।
उत्तर- चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश में ही स्थित है क्योंकि –
(i) मिलों को चलाने के लिए विद्युत् अपार मात्रा में उपलब्ध है।
(ii) सस्ते श्रमिक और कच्चा माल आसानी से उपलब्ध है ।
प्रश्न 7. पटसन और प्लास्टिक के उत्पादनों में से आप किसे चुनेंगे ? कम-से-कम दो कारण बताओ।
उत्तर–पटसन उत्पादन का चयन करेंगे; क्योंकि इसके दो कारण निम्नलिखित हैं –
(i) पटसन के उत्पाद जैवनिम्नीकरणीय हैं, जबकि प्लास्टिक के पदार्थ अजैवनिम्नीकरणीय हैं ।
(ii) पटसन के उत्पाद पर्यावरण अनुकूलन हैं।
प्रश्न 8. सीमेंट उद्योग का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – (i) यह लोगों को रोज़गार उपलब्ध करवाता है ।
(ii) इससे निर्यात द्वारा विदेशी मुद्रा कमाई जाती है।
प्रश्न 9. बड़े पैमाने के उद्योग तथा लघु उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर–बड़े पैमाने के उद्योग तथा लघु उद्योग में अंतर निम्नलिखित हैं-
बड़े पैमाने के उद्योग |
लघु उद्योग |
(i) इनमें सात करोड़ से अधिक राशि का निवेश किया जाता है। |
(i) इनमें पाँच करोड़ से कम राशि का निवेश होता है। |
(ii) इनमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है । |
(ii) इनमें कम पूँजी की आवश्यकता होती है। |
(iii) ये पूँजी गहन उद्योग हैं। |
(iii) ये श्रम गहन उद्योग हैं। |
प्रश्न 10. सहकारी और निजी क्षेत्र उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- सहकारी और निजी क्षेत्र उद्योग में अंतर निम्नलिखित हैं –
सहकारी क्षेत्र उद्योग |
निजी क्षेत्र उद्यो |
(i) सहकारी क्षेत्र उद्योग लोगों के समूह के सहयोग से चलाए जाते हैं। |
(i) निजी क्षेत्र उद्योग एक व्यक्ति द्वारा या एक फर्म द्वारा चलाए जाते हैं। |
(ii) उदाहरण – गुजरात में आनंद डेरी फार्म (Anand Dairy Farm in Gujarat), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और महाराष्ट्र (Maharashtra) का चीनी उद्योग । |
(ii) उदाहरण – टाटा लोहा – इस्पात उद्योग (Tata Iron and Steel Co.,), सूती वस्त्र उद्योग (Cotton Textile Mills) आदि । |
प्रश्न 11. छोटे पैमाने के उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर – वे उद्योग जो व्यक्ति विशेष के स्वामित्व एवं संचालन में छोटी संख्या में श्रमिकों की सहायता से चलाए जाते हैं, उन्हें छोटे पैमाने के उद्योग कहते हैं; जैसे गुड़ और खांडसारी उद्योग ।
प्रश्न 12. भारत के पेट्रो-रसायन उद्योग का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
उत्तर-पेट्रो-रसायन उद्योग देश में एक नया उद्योग है। खनिज तेल और प्राकृतिक गैस इस उद्योग के लिए कच्चा माल हैं। इस उद्योग से मुख्यतः प्लास्टिक, कृत्रिम रबड़, कृत्रिम रेशा, रंग-रोगन और ग्रीस आदि पदार्थ प्राप्त होते हैं। इनकी संख्या लगभग 200 है। अपने गुणों के कारण पेट्रो-रसायन उत्पादन परंपरागत कच्चे माल; जैसे लकड़ी, शीशा और धातु का स्थान ले रहे हैं । यह उद्योग नवीन होते हुए भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण बन गया है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न [ Objective Type Questions]
I. एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. ‘कच्चे पदार्थ को मूल्यवान पदार्थ में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को,’ क्या कहा जाता है ?
उत्तर-विनिर्माण उद्योग ।
प्रश्न 2. विनिर्माण उद्योगों का क्या महत्त्व है?
उत्तर – विनिर्माण उद्योग देश की अर्थव्यवस्था का आधार होते हैं और अधिकतर लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं ।
प्रश्न 3. भारत में उद्योगों का योजनाबद्ध विकास कब से आरंभ हुआ ?
उत्तर – भारत में उद्योगों का योजनाबद्ध विकास 1951 ई० से आरंभ हुआ।
प्रश्न 4. आधुनिक उद्योगों के प्रमुख अवयव क्या हैं ?
उत्तर-आधुनिक उद्योगों के प्रमुख अवयव कच्चा माल, पूँजी, प्रशिक्षित श्रमिक, ऊर्जा और यातायात की सुविधाएँ हैं ।
प्रश्न 5. आधारभूत या मूल उद्योग किसे कहते हैं ?
उत्तर–जिन उद्योगों पर कई अन्य उद्योग निर्भर होते हैं, उन्हें आधारभूत या मूल उद्योग कहते हैं ।
प्रश्न 6. बड़े पैमाने के उद्योग किन्हें कहते हैं ?
उत्तर–जिन उद्योगों में बहुत बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार मिला होता है उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग कहते हैं; जैसे सूती वस्त्र उद्योग ।
प्रश्न 7. भारी उद्योग किसे कहते हैं ?
उत्तर – ऐसे उद्योग जिनका कच्चा और तैयार माल भारी और अधिक परिमाण वाला होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं ।
प्रश्न 8. निजी क्षेत्र के उद्योग किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिन उद्योगों पर किसी व्यक्ति विशेष या संस्था का नियंत्रण होता है, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे टाटा स्टील ।
प्रश्न 9. भारत में कागज बनाने में कौन-सा कच्चा माल प्रयोग किया जाता है?
उत्तर – भारत में कागज बनाने में गन्ने की खोई कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 10. कृषि आधारित उद्योग किसे कहते हैं ?
उत्तर – जो उद्योग अपने उत्पादन लिए पूर्ण रूप से कृषि उत्पादों से प्राप्त कच्चे माल पर निर्भर होते हैं, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं; जैसे वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग और वनस्पति तेल उद्योग ।
प्रश्न 11. भारत में सूती वस्त्र बनाने का पहला कारखाना कब और कहाँ लगा?
उत्तर – भारत में सूती वस्त्र बनाने का पहला कारखाना 1854 ई० में मुंबई में लगाया गया ।
प्रश्न 12. देश के औद्योगिक उत्पादन में वस्त्र उद्योग का हिस्सा कितना है?
उत्तर- देश के औद्योगिक उत्पादन में वस्त्र उद्योग का हिस्सा लगभग 14 प्रतिशत है।
प्रश्न 13. बस्त्र उद्योग देश के कितने लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है?
उत्तर – वस्त्र उद्योग देश के लगभग 350 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है ।
प्रश्न 14. भारत की इलेक्ट्रोनिक राजधानी के रूप में किस शहर को जाना जाता है?
उत्तर – भारत की इलेक्ट्रोनिक राजधानी के रूप में बंगलुरु ( बंगलौर) को माना जाता है।
प्रश्न 15. भारत में पटसन उद्योग का पहला कारखाना कब और किस स्थान पर लगा ?
उत्तर – भारत में पटसन उद्योग का पहला कारखाना 1859 ई० में कोलकाता के निकट रिशरा नामक स्थान पर लगा ।
प्रश्न 16. भारत के अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग किस स्थान पर संकेंद्रित हैं ?
उत्तर – भारत के अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में संकेंद्रित हैं ।
प्रश्न 17. भारत का पहला उर्वरक संयंत्र कब और कहाँ स्थापित किया गया ?
उत्तर – भारत का पहला उर्वरक संयंत्र 1906 ई० में तमिलनाडु में रानीपेट नामक स्थान पर स्थापित किया गया ।
प्रश्न 18. भारत में रूस के सहयोग से स्थापित दो लोहा इस्पात कारखानों के नाम बताइए।
उत्तर – भिलाई स्टील प्लांट, छत्तीसगढ़, बोकारो स्टील प्लांट, झारखंड |
प्रश्न 19. भारत में वायुयान निर्माण के चार प्रमुख केंद्रों के नाम लिखिए ।
उत्तर – भारत में वायुयान निर्माण के चार प्रमुख केंद्र हैं- बंगलुरु ( बंगलौर), नासिक, हैदराबाद और कानपुर ।
प्रश्न 20. भारत में पहला सीमेंट उद्योग कब और किस स्थान पर स्थापित किया गया ?
उत्तर – भारत में पहला सीमेंट उद्योग सन् 1904 में चेन्नई में लगाया गया ।
प्रश्न 21. उद्योग किन चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं ?
उत्तर – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण ।
प्रश्न 22. कौन-सी दो गैसें वायु को प्रदूषित करती हैं ?
उत्तर- सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड ।
प्रश्न 23. ध्वनि प्रदूषण के कारण उत्पन्न होने वाले दो रोगों के नाम लिखिए ।
उत्तर- श्रवण अक्षमता, उच्च रक्तचाप ।
प्रश्न 24. हल्के उद्योग किन्हें कहते हैं ?
उत्तर–हल्के उद्योग वे होते हैं जो कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग करके हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं; जैसे विद्युत उद्योग ।
प्रश्न 25. उपभोक्ता उद्योग किन्हें कहते हैं ?
उत्तर – वें उद्योग जिनका उत्पादन उपभोक्ताओं के द्वारा सीधे रूप से कर लिया जाता है, उन्हें उपभोक्ता उद्योग कहते हैं; जैसे चीनी, दंतमंजन, पंखे, सिलाई मशीन उद्योग इत्यादि ।
प्रश्न 26. खनिज आधारित उद्योग किन्हें कहते हैं ?
उत्तर – वे उद्योग जो खनिज पदार्थों को अपने कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, उन्हें खनिज आधारित उद्योग कहते है; जैसे लोहा एवं इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम उद्योग इत्यादि ।
प्रश्न 27. महाराष्ट्र के चार महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर – मुम्बई, पूणे, सतारा व कोल्हापुर ।
प्रश्न 28. चीनी उद्योग में प्रयुक्त कच्चे पदार्थ का नाम लिखें ।
उत्तर- गन्ना ।
प्रश्न 29. सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों के नाम बताइए ।
उत्तर – (i) भारत हैवी इलैक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL), (ii) स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)।
प्रश्न 30. भारत के अधिकांश पटसन उद्योग किस राज्य में स्थित हैं?
उत्तर – पश्चिमी बंगाल में ।
प्रश्न 31. सूरत सूती वस्त्र उद्योग किस राज्य में है?
उत्तर- गुजरात में ।
प्रश्न 32. मोहाली आई०टी० पार्क किस राज्य में स्थित है?
उत्तर- पंजाब में ।
प्रश्न 33. बंगलुरु आई०टी० पार्क किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर-कर्नाटक में ।
प्रश्न 34. इन्दौर आई०टी० पार्क किस राज्य में स्थित है?
उत्तर – मध्य प्रदेश में ।
प्रश्न 35. भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामान के चार उत्पादक केन्द्रों के नाम बताइए ।
उत्तर – मुम्बई, बंगलुरु, लखनऊ व हैदराबाद ।
II. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए
1. किस क्षेत्रक के उत्पादक कच्चे माल को परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं?
(A) प्राथमिक क्षेत्रक
(B) द्वितीयक क्षेत्रक
(C) तृतीयक क्षेत्रक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(B)
2. SAIL का क्या अर्थ है ?
(A) स्टील अर्थारिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड
(B) स्टील एसोसिएशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड
(C) स्टील एंड एग्रीकल्चर इण्डस्ट्री ऑफ इण्डिया लिमिटेड
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A)
3. भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का कितना योगदान है ?
(A) लगभग 10 प्रतिशत
(B) लगभग 14 प्रतिशत
(C) लगभग 17 प्रतिशत
(D) लगभग 20 प्रतिशत
उत्तर – (C)
4. निम्नलिखित में से कौन-सा उत्पादन का घटक है?
(A) पूँजी
(B) श्रम
(C) भूमि
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
5. कृषि आधारित उद्योग का उदाहरण है –
(A) सूती वस्त्र
(B) पटसन
(C) चीनी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
6. उपभोक्ता उद्योग का उदाहरण है –
(A) दंतमंजन
(B) चीनी
(C) कांगज
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
7. चीनी उत्पादन में भारत का कौन-सा स्थान है ?
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) तीसरा
(D) चौथा
उत्तर-(B)
8. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण ………. और ………. है।
(A) कृषि आधारित, खनिज आधारित, लघु उद्योग, निजी उद्योग
(B) सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, संयुक्त क्षेत्र, सहकारी क्षेत्र
(C) सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, उपभोक्ता उद्योग, खनिज आधारित उद्योग
(D) सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, संयुक्त क्षेत्र, लघु उद्योग
उत्तर-(B)
9. नियमित ऊर्जा की पूर्ति तथा कम लागत पर कच्चे माल की सुनिश्चित उपलब्धता इनमें से किस उद्योग की स्थापना की दो महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ हैं?
(A) लोहा और इस्पात
(B) ऑटो मोबाइल
(C) एल्युमिनियम प्रगलन
(D) इलैक्ट्रोनिक्स
उत्तर-(C)
10. इस्पात को बनाने के लिए लौह-अयस्क, कोकिंग कोल तथा चूना पत्थर का क्या अनुपात होता है ?
(A) 4 : 2 : 1
(B) 4 : 1 : 2
(C) 4 : 3 : 1
(D) 4 : 3 : 2
उत्तर-(A)
11. बिहार-झारखंड की कोडरमा-गया-हजारीबाग पैटी इनमें से किस खनिज के उत्पादन में अग्रणी है ?
(A) बॉक्साइट
(B) अभ्रक
(C) लौह अयस्क
(D) तांबा
उत्तर-(B)
12. निजी क्षेत्र का उद्योग नहीं है –
(A) टिस्को (TISCO)
(B) भेल (BHEL)
(C) बजाज उद्योग
(D) डाबर उद्योग
उत्तर-(B)
13. संयुक्त क्षेत्र के उद्योग का उदाहरण है –
(A) भेल (BHEL)
(B) सेल (SAIL)
(C) ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL)
(D) टिस्को (TISCO)
उत्तर-(C)
14. सहकारी क्षेत्र के उद्योग का उदाहरण है –
(A) महाराष्ट्र की चीनी मिलें
(B) बजाज उद्योग
(C) केरल का नारियल उद्योग
(D) (A) और (C) दोनों
उत्तर-(D)
15. भारत का सूती वस्त्र उद्योग कितने लोगों को रोजगार प्रदान करता है?
(A) लगभग 250 लाख
(B) लगभग 350 लाख
(C) लगभग 450 लाख
(D) लगभग 550 लाख
उत्तर-(B)
16. सकल घरेलू उत्पाद में सूती वस्त्र उद्योग का योगदान कितना है?
(A) 2 प्रतिशत
(B) 4 प्रतिशत
(C) 6 प्रतिशत
(D) 8 प्रतिशत
उत्तर-(B)
17. भारत के अधिकतर पटसन उद्योग किस राज्य में स्थित हैं?
(A) पश्चिम बंगाल
(B) बिहार
(C) ओडिशा
(D) महाराष्ट्र
उत्तर-(A)
18. कोलकाता के निकट रिशरा में पटसन उद्योग का पहला कारखाना कब लगाया गया ?
(A) सन् 1857 में
(B) सन् 1858 में
(C) सन् 1859 में
(D) सन् 1860 में
उत्तर-(C)
19. भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष इस्पात की कितनी खपत है?
(A) 32 कि०ग्रा०
(B) 42 कि०ग्रा०
(C) 52 कि०ग्रा०
(D) 62 कि०ग्रा०
उत्तर-(A)
20. सीमेंट उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है –
(A) चूना पत्थर