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Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएँ

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएँ

HBSE 10th Class History प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएँ Textbook Questions and Answers

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

◆ सभ्यता – जब व्यक्ति स्थायी व व्यवस्थित जीवन के प्रयास में सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक व्यवस्था का निर्माण करता है तो सभ्यता का आरम्भ होता है ।
◆ मिस्त्र – मिस्र सभ्यता का विकास लगभग 7000 वर्ष पूर्व हो गया था।
◆ पिरामिड युग – मिस्र में पिरामिडों को बनाने का श्रेय ‘इमहोटेप’ को जाता है। मिस्रवासियों ने सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए इनका निर्माण करवाया ।
◆ ममी – फराओ या सामंतों के मरणोपरांत उन्हें ऊँचे-ऊँचे मकबरों में रासायनिक लेप करके कब्र में रख देते थे, इसे ‘ममी’ कहते थे।
◆ मैसोपोटामिया – दो नदियों के बीच का भाग (दजला-फरात नदी ) ।
◆ सिकंदर – सिकंदर ने 336 ई०पू० में अपने पिता का वध कर दिया तथा मकदूनिया का शासक बन गया।
◆ हेरोडोटस — यूरोप के प्रसिद्ध इतिहासकार थे । इन्हें यूनानी शासक पेरिक्लीज का संरक्षण प्राप्त था ।
◆ रोम- मध्य इटली में टाइबर नदी के किनारे सात पहाड़ियों पर बसा हुआ एक छोटा-सा गाँव।
◆ तिएन शिया – प्राचीन समय में चीनी लोग स्वयं की जाति के अतिरिक्त अन्य किसी जाति को सभ्य नहीं मानते थे । वे स्वयं को स्वर्ग के नीचे स्थित राज्य (तिएन शिया) मानते थे ।
◆ कन्फ्यूशियस तथा लाओत्से- चीन के प्रमुख दार्शनिक, जिसे चीनी लोग ‘कुग-जु’ कहा करते थे।
◆ माया सभ्यता – उत्तर अमेरिका महाद्वीप के दक्षिण में 500 ई०पू० से 1000 ई० के बीच फली – फूली सभ्यता ‘माया सभ्यता’ के नाम से जानी जाती है ।
HBSE 10th Class History प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएँ Textbook Questions and Answers
अभ्यास के प्रश्न-उत्तर
⇒ आओ फिर से याद करें –
प्रश्न 1. मिस्त्र के इतिहास को जानने के साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर – मिस्र के इतिहास को जानने के साधन निम्नलिखित हैं-
1. पुरातात्विक साधन – समाधियाँ, मंदिर, रोसेटा अभिलेख, पिरामिड, भित्ति चित्र ।
2. साहित्यिक साधन – हेरोडोटस, मेनेथो, डायोडोस ।
3. आधुनिक साधन – जे. एस. ब्रस्टेड व एडोल्डफ इरमान की पुस्तकें ।
प्रश्न 2. मिस्र के इतिहास को कितने भागों में बांटा जा सकता है ? 
उत्तर – मिस्र के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है –
नाम                                                समय-सीमा
1. प्राचीनकाल (पिरामिड युग)           –    3400 ई०पू० से 2160 ई०पू०
2. मध्यकाल (सामंतवादी युग)           –    2160 ई०पू० से 1580 ई०पू०
3. नवीनकाल ( साम्राज्यवादी युग )     –    1580 ई०पू० से 650 ई०पू०
प्रश्न 3. मिस्र के लोगों की आर्थिक गतिविधियाँ कौन-कौन सी थीं? 
उत्तर- मिस्र के लोगों की आर्थिक गतिविधियाँ निम्नलिखित प्रकार की थीं –
1. उद्योग-धन्धे – मिस्रवासी नाव व जहाज निर्माण, मिट्टी के बर्तन बनाने, पत्थर काटने, गहने व बर्तन बनाने, तांबे तथा काँसे के हथियार बनाने, कपड़ा बुनने तथा लकड़ी का फर्नीचर बनाने में अत्यन्त कुशल थे। उन्हें पेपिरस नामक पौधे से कागज बनाना तथा चिकित्सा सामग्री बनाने का काम भी आता था।
2. कृषि – मिस्रवासी गेहूँ, कपास, जौ, सण, अंजीर, खजूर व अंगूर की खेती करते थे।
3. पशुपालन – मिस्र के लोग गाय, गधा, बंदर, मुर्गी और बछड़ा आदि पालते थे।
4. व्यापार – मिस्र भारत तथा अरब से मसाले, रंग, तेल, पाऊडर और चंदन मंगवाता था। आंतरिक व्यापार नील नदी के द्वारा होता था ।
⇒ विस्तार से विवरण दें –
प्रश्न 1. मिस्र की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – 1. फराओ (राज) – असीम अधिकार प्राप्त होने के कारण फराओ एक स्वेच्छाचारी शासक था। उसे देवता के रूप में माना जाता था।
2. वज़ीर—शासन को संचालित करने, लगान वसूल करने तथा आय-व्यय का पूरा ब्यौरा रखने का कार्य वज़ीर करता था। वज़ीर का पद एक महत्त्वपूर्ण पद था ।
3. परिषद्- फराओ को परामर्श का देने कार्य सारू करते थे । सारू वृद्ध दरबारियों की एक अलग परिषद् थी ।
4. सैन्य व्यवस्था – बारहवें राजवंश में फराओ ने स्थायी व संगठित सेना रखना शुरू कर दिया था। उससे पहले फराओं के पास स्थाई सेना नहीं थी ।
5. प्रान्तीय व्यवस्था – मिस्र काल में प्रत्येक प्रांत को नोम तथा उसके शासक को नोमार्क कहते थे । नोमार्क का चयन फराओ करता था ।
6. स्थानीय व्यवस्था – स्थानीय व्यवस्था सामंत के हाथ में थी जो पुलिस व न्याय संबंधी कार्य करने का अधिकार रखता था। नगर की व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारी करता था ।
7. न्याय व्यवस्था— न्याय के लिखित मुकद्दमे व तीन दिन में फैसले का नियम था । न्याय कठोर था । अंग-भंग करना, देश निकाला आदि दण्ड थे। न्याय फराओ द्वारा किया जाता था जो प्रमुख न्यायाधीश होता था |
प्रश्न 2. मित्र की संसार को क्या देन है? 
उत्तर – 1. कलेंडर – मिस्र ने विश्व को 365 दिन का एक वर्ष तथा कलेंडर प्रदान किया।
2. विविध आविष्कार – जल घड़ी व सूर्य घड़ी आदि विविध आविष्कार किए।
3. औषधियाँ – मृतक शरीर को शताब्दियों तक सुरक्षित रखने का रासायनिक लेप तथा 600 दवाइयों के नामों की सूची भी – मिलती है।
4. एकेश्वरवाद – मिस्र ने एकेश्वरवादी विचारधारा का प्रचलन किया ।
⇒ आओ करके देखें –
प्रश्न 1. मिस्र के प्राचीन एवं आधुनिक नगरों की सूची बनाकर उनकी तुलना करें । 
संकेत : शिक्षक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें ।
प्रश्न 2. मिस्र के मानचित्र पर वहां के व्यापारिक नगर अंकित करें। 
संकेत : शिक्षक की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें ।
⇒ आओ फिर से याद करें –
प्रश्न 1. मेसोपोटामिया का अर्थ क्या है?
उत्तर – मेसोपोटामिया यूनानी भाषा का शब्द है जो दो शब्दों के मेल से बना है- मेसो (मध्य) तथा पोटम (नदी) । इस प्रकार इसका शाब्दिक अर्थ दो नदियों के मध्य का भाग होता है। ये दो नदियाँ दजला व फरात नदियाँ हैं ।
प्रश्न 2. मेसोपोटामिया क्षेत्र में विकसित होने वाली विभिन्न सभ्यता कौन-कौन सी थी ?
उत्तर – 1. सुमेरियन सभ्यता, 2. बेबीलोनिया सभ्यता, 3. असीरिया सभ्यता ।
प्रश्न 3. जिगुरात क्या होते हैं?
उत्तर – सुमेर के नगरों में पिरामिड की आकृति में बनाए जाने वाले ऊँचे मंदिरों को जिगुरात कहते हैं । बेबीलोन का जिगुरात 300 फुट ऊँचा, लम्बा तथा चौड़ा था ।
⇒ विस्तार से विवरण दें-
प्रश्न 1. मेसोपोटामिया सभ्यता के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन का वर्णन करें। 
उत्तर – मेसोपोटामिया के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन का वर्णन निम्नलिखित है –
1. राजनीतिक जीवन – मेसोपोटामिया सभ्यता में शासक निरंकुश व स्वेच्छाचारी होते थे। प्रारम्भ में यहाँ प्रजातांत्रिक व्यवस्था होने के साक्ष्य मिलते हैं, लेकिन बाद में राजतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हो गई । शासन संचालन के लिए साम्राज्य को कई प्रांतों में बाँटा जाता था। प्रांत के गवर्नर का चयन शासक करता था। शांति स्थापित करना, कर वसूलना व युद्ध में सहयोग करना आदि कार्य गवर्नर को करने होते थे।
2. आर्थिक जीवन – यहाँ के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन कृषि था । इसमें जौ, गेहूँ, कपास, जैतून, अंगूर आदि की खेती की जाती थी। सोना, चाँदी तथा तांबे के टुकड़ों से विनिमय किया जाता था । लकड़ी, सोना-चाँदी व कीमती पत्थरों पर नक्काशी भी की जाती थी ।
3. धार्मिक जीवन – मेसोपोटामिया के लोग बहुदेववादी विचारधारा के थे । ये नदी, पहाड़, खेत आदि की पूजा करते थे । प्रत्येक नगर का अपना अलग देवता था । देवता को प्रसन्न करने के लिए मंदिर बनाए गए थे। बलि देने का भी प्रावधान था। अनु (आकाश का देवता), की (पृथ्वी), सिन (चन्द्रमा), ईश्तर (प्रेम की देवी), नरगल (प्लेग का देवता), तम्मुज (कृषि व वनस्पति का देवता) आदि प्रमुख देवताओं की पूजा की जाती थी ।
4. सामाजिक जीवन – मेसोपोटामिया का समाज उच्च, मध्यम तथा निम्न तीन समूहों में विभाजित था। उच्च वर्ग में राजा उच्च पद के अधिकारी तथा पुरोहित आदि का स्थान था। मध्यम समूह में सामंत तथा व्यापारी वर्ग था। निम्न वर्ग में दास तथा किसान आदि शामिल थे। स्त्रियों के लिए नैतिकता का पालन करना अनिवार्य होता था । स्त्रियों की स्थिति सामान्य थी।
⇒ आओ करके देखें-
प्रश्न 1. प्राचीन मेसोपोटामिया के विभिन्न देवी-देवताओं की सूची बनाकर उनकी तुलना मित्र व भारत के देवी-देवताओं से करें।
उत्तर –
मिस्र देवता मेसोपोटामिया के देवता  भारत के देवता
1. रे, रा, होरस एवं एमन (सूर्य देव )

2. ओसिरिस (नील नदी का देवता)

3. नूत (आकाश का देवता)

4. सिन (चंद्रमा)

अनु (आकाश)

की (पृथ्वी)

सिन (चंद्रमा)

तम्मुज (कृषि और वनस्पति)

ईश्तर (प्रेम की देवी)

नरगल (प्लेग का देवता)

भगवान

भ  – भूमि

ग – गगन

अ – अग्नि

व – वायु

न – नीर

शिव,  कृष्ण, राम आदि ।

प्रश्न 2. मेसोपोटामिया के प्राचीन नगरों को विश्व के मानचित्र पर दर्शाएं।
⇒ आओ फिर से याद करें –
प्रश्न 1. यूनान के इतिहास को राजनीतिक दृष्टि से कितने कालों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर – यूनान के इतिहास को राजनीतिक दृष्टि से अग्रलिखित तीन कालों में बांटा जा सकता है –
नाम                                                समय
1. अंधकार युग ( होमर युग )            –    1200 ई०पू० से 800 ई०पू० तक
2. लौह युग ( नगर- राज्य युग )         –     800 ई०पू० से 500 ई०पू० तक
3. हैलेनिस्टिक युग                         –     500 ई०पू० से 200 ई०पू० तक
प्रश्न 2. ब्यूल व एगोरा का अर्थ क्या है ?
उत्तर – ब्यूल – राजा अपनी परिषद् के परामर्श से शासक का संचालन किया करता था । परिषद् के उच्च वर्ग के सम्मानित व्यक्तियों को ‘ब्यूल’ कहा जाता था।
एगोरा – यह जन साधारण की आम सभा थी, जिसे ‘एगोरा’ के नाम से जाना जाता था।
⇒ विस्तार से विवरण दें-
प्रश्न 1. यूनानी सभ्यता के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन की विशेषताएं बताएं। 
उत्तर – यूनानी सभ्यता के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन की विशेषताएं निम्नलिखित प्रकार से हैं— शक्तियों व जानवरों की पूजा करते थे। ये बहुदेववाद में विश्वास करते थे और
1. धार्मिक जीवन – यूनान के लोग प्राकृतिक मूर्ति पूजक भी थे। जियस (आकाश का देवता), अपोलो (सूर्य), हर्मस (व्यापार का देवता) मार्स (युद्ध का देवता), डेमीटर ( अन्न की देवी), पोसीडॉन (समुद्र का देवता) आदि इनके देवी-देवता थे । यूनान के लोग भूत-प्रेत में भी विश्वास रखते थे। यूनानियों द्वारा कई भव्य मंदिरों तथा विशाल व सुन्दर मूर्तियों का निर्माण भी किया गया।
2. सामाजिक जीवन – यूनानी समाज चार वर्गों में विभाजित था । इन वर्गों के नाम व कार्य इस प्रकार हैं-
(i) कुलीन वर्ग – ये भूमि के स्वामी होते थे। ये युद्ध के समय नेतृत्व करते थे। इनके पास बहुत अधिक दास होते थे।
(ii) मध्य वर्ग – इसमें साधारण नागरिक सम्मिलित थे । यह वर्ग व्यापार में अपनी भूमिका निभाता था । इन्हें ‘फ्रीमैन’ या ‘परोआसी’ कहा जाता था।
(iii) स्वतंत्र श्रमिक वर्ग – तीसरा वर्ग स्वतंत्र श्रमिक वर्ग का था । इन्हें ‘थीट्स’ कहा जाता था।
(iv) दास वर्ग – यह वर्ग अत्यंत दयनीय स्थिति में जीवनयापन करता था । इन्हें ‘हलोट’ कहा जाता था ।
3. आर्थिक जीवन – यूनान का व्यापार व्यापक स्तर तक फैला हुआ था । अस्त्र-शस्त्र बनाना, मिट्टी व धातु के बर्तन बनाना, जैतून से तेल बनाना, फर्नीचर बनाना एवं अँगूर से शराब बनाना आदि इनके प्रमुख उद्योग थे । यहाँ के पहाड़ों से सोना, चाँदी व लोहा आदि निकलते थे। यूनान में कृषि पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।
4. राजनीतिक जीवन –
(i) राजा – यूनान में राजा को प्रजा द्वारा ईश्वर के समान माना जाता था । राजा निरंकुश होते थे । कभी-कभी प्रजातांत्रिक भी होते थे।
(ii) ब्यूल — राजा अपने शासन को संचालित करने के लिए अपनी परिषद् से परामर्श किया करता था । इस परिषद् में उच्च वर्ग के सम्मानित व्यक्ति होते थे । परिषद् के ये सदस्य ‘ब्यूल’ कहलाते थे ।
(iii) एगोरा – जन-साधारण की आम सभा को एगोरा कहा जाता था। इस आम सभा में समस्त स्वतंत्र नागरिक भाग लेते थे। विश्व इतिहास में सिकन्दर का समय ‘हेलेनिस्टिक युग’ के नाम से विख्यात है। उसने अपने पिता फिलिप के वध के बाद शासन संभाला तथा विद्रोहों को दबाकर यूनान पर अधिकार प्राप्त कर लिया। उस समय यूनान में नगर- राज्यों की संख्या 150 थी । प्रत्येक राज्य में तीन प्रकार के नागरिक थे – 1. स्वतंत्र, 2. विदेशी, 3. दास । यूनान में स्वतंत्र नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त थे । यही नागरिक जनसभा (एक्सलेशिया) के सदस्यों को चुनते थे ।
⇒ आओ करके देखें –
प्रश्न 1. विश्व के मानचित्र पर यूनानी नगर दर्शाएं ।
उत्तर –
प्रश्न 2. यूनानी देवी-देवताओं की सूची बनाकर उनकी तुलना समकालीन सभ्यताओं के देवी-देवताओं से करें ।
उत्तर –
यूनान के देवता मेसो देवता मिस्त्र देवता
जियस (आकाश का देवता )

अपोलो (सूर्य का देवता)

हर्मस (व्यापार का देवता )

पोसीडॉन (समुद्र का देवता)

मार्स (युद्ध का देवता)

डेमीटर ( अन्न की देवी )

अनु (आकाश का देवता)

 

सिन (चन्द्रमा)

 

की ( पृथ्वी)

 

नूत (आकाश)

 

सिन (चाँद)

 

रा, रे, होरस (सूर्य)

 

⇒ आओ फिर से याद करें –
प्रश्न 1. रोम को सात पहाड़ियों का नगर क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – रोम मध्य इटली में टाइबर नदी के किनारे सात पहाड़ियों पर बसा हुआ छोटा-सा गाँव था । सात पहाड़ियों पर बसे होने के कारण इसे ‘सात पहाड़ियों का नगर’ भी कहा जाता था ।
प्रश्न 2. रोमन सभ्यता को राजनीतिक दृष्टि से कितने कालों में बांटा जा सकता है ? 
उत्तर – रोमन सभ्यता को राजनीतिक दृष्टि से निम्नलिखित कालों में बांटा जा सकता है –
1. राजतंत्र काल – 753 ई०पू० से 509 ई०पू०
2. गणतंत्र काल – 509 ई०पू० से 133 ई०पू०
3. सैनिक अधिनायकों का काल – 133 ई०पू० से 27 ई०पू०
4. साम्राज्यवादी काल – 27 ई०पू० से 476 ई०पू०
प्रश्न 3. रोम की शासन व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर – रोम एक विशाल साम्राज्य बनने से पहले नगर- राज्य था। एट्रस्कन जाति ने रोम की सभ्यता के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रोम सभ्यता में राजा राज्य का सर्वोच्च पदाधिकारी होता था। असीमित अधिकारों ने उसे निरंकुश बना दिया था। यह पैट्रीशियन तथा प्लेबियन नामक दो वर्गों में विभाजित समाज था, जिसमें पैट्रीशियन वर्ग में लैटिन लोग थे जो रोम के स्थायी निवासी थे। जिनमें उच्च, संभ्रांत व कुलीन परिवार आते थे । दूसरे प्लेबियन वर्ग में भूमिहीन, गरीब, श्रमिक आदि आते थे । ये लोग अपने अधिकार के लिए संघर्ष करते रहते थे ।
⇒ विस्तार से विवरण दें –
प्रश्न 1. रोमन सभ्यता के प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन का विवरण दें । 
उत्तर – रोमन सभ्यता के प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन का विवरण निम्नलिखित है-
1. प्रशासनिक व्यवस्था – रोम में गणतंत्रीय शासन प्रणाली प्रचलित थी । जनता द्वारा चुनी सीनेट सदस्यों की संख्या 300 थी । ये सदस्य शासन व्यवस्था का संचालन करते थे। ये पैट्रीशियन वर्ग से संबंधित थे। सीनेट द्वारा नियुक्त दो न्यायाधीश, जिन्हें ‘कौंसल’ कहा जाता था, का कार्यकाल एक वर्ष का होता था। कौंसल की सहायता के लिए एक वित्त अधिकारी होता था, जिसे क्वेस्टर्स कहते थे। प्रांतों का शासन गवर्नर द्वारा संचालित होता था । इनका कार्यकाल एक वर्ष का होता था । इन्हें वेतन नहीं मिलता था। जिस कारण ये जनता से जबरदस्ती अधिक कर वसूलते थे। सीनेट सर्वोपरि होती थी। इसके द्वारा पारित कानून को असेम्बली अस्वीकार नहीं कर सकती थी ।
2. आर्थिक व्यवस्था – रोमन लोगों की प्रमुख आजीविका कृषि तथा पशुपालन से चलती थी । यहाँ गेहूँ, बाजरा, जौ, अंगूर, जैतून, सेब आदि प्रमुख फसलों की पैदावार होती थी । भूमि पर धनी पुरुषों का स्वामित्व था । यहाँ बर्तन, सोने-चाँदी के आभूषण आदि का कार्य किया जाता था। नमक का उत्पादन व खानों से भी आय होती थी। रोमनवासी चीन से रेशम, यूनान से लोहे, अफ्रीका से धातु तथा भारत से मलमल का आयात किया करते थे ।
3. सामाजिक व्यवस्था – रोम में संयुक्त परिवार व्यवस्था का प्रचलन था । परिवार के सदस्यों के लिए मुखिया की आज्ञा सर्वोपरि होती थी। रोम के निवासियों के सामाजिक जीवन की मूल आधारशिला परिवार ही होता था।
4. धार्मिक व्यवस्था – रोम की शासन व्यवस्था का केन्द्र धार्मिक विचार थे । रोमवासी प्रकृति के देवताओं की बजाय आत्माओं की पूजा में ज्यादा विश्वास रखते थे। इनके देवता इस प्रकार थे –
(i) जुपिटर – शांति का देवता
(ii) मार्स – युद्ध का देवता
(iii) वीनस – प्रेम की देवी
(iv) वेस्टा – अग्नि का देवता
(v) अपोलो – संगीत व कला का देवता
⇒ आओ करके देखें – 
प्रश्न 1. विश्व के मानचित्र पर रोमन साम्राज्य से जुड़े देशों को दर्शाएं |
उत्तर —
प्रश्न 2. रोमन सभ्यता के सामाजिक वर्गों की सूची बनाएं। 
उत्तर – रोमन सभ्यता में राजतंत्रकालीन समाज दो वर्गों में विभाजित था – प्रथम वर्ग पैट्रीशियन तथा दूसरा वर्ग प्लेबियन ।
पैट्रीशियन वर्ग – इस वर्ग में लैटिन लोग शामिल थे, जो रोम के वास्तविक निवासी थे । इस वर्ग में रोम के संभ्रांत, उच्च व कुलीन परिवार के व्यक्ति सम्मिलित होते थे।
प्लेबियन वर्ग – इस वर्ग के लोगों को राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे । इस वर्ग में स्वतंत्र दास, भूमिहीन तथा गरीब व्यक्ति आते थे। यह वर्ग अपने अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष करता रहता था ।
प्रश्न 3. यूनानी देवी-देवताओं की सूची बनाकर उनकी तुलना समकालीन सभ्यताओं के देवी-देवताओं से करें।
उत्तर –
यूनानी देवता मेसो देवता मिस्त्र के देवता रोमन सभ्यता के देवता चीनी देवता
अपोलो (सूर्य)

जियस (आकाश)

मार्क (युद्ध)

सिन (चन्द्रमा)

अनु (आकाश)

की (पृथ्वी)

रा, रे, होरस (सूर्य)

सिन (चन्द्रमा)

नूत (आकाश)

वेस्टा (अग्नि)

मार्स (युद्ध)

जुपिटर (शांति)

अपोलो (संगीत व कला)

यंग (आकाश)

चीन (पृथ्वी – वायु)

⇒ विस्तार से विवरण दें-
प्रश्न 1. चीनी सभ्यता के राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक जीवन की विशेषताओं का विवरण दीजिए। 
उत्तर – चीनी सभ्यता के राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक जीवन की विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार से हैं –
1. राजनीतिक जीवन – चीन में राजा निरंकुश व स्वेच्छाचारी होता था । वह न्यायाधीश तथा पुरोहित होता था । राजा को ‘वांग’ कहा जाता था। जनता उसे ईश्वर पुत्र मानकर पूजा करती थी तथा उसे अपना पिता मानती थी । शासन कार्य के लिए मंत्री परिषद् के अधीन चार मंत्री राजा को परामर्श देने का कार्य करते थे । कार्यकारिणी परिषद् के छह सदस्य होते थे । योग्य व्यक्तियों को ही सरकारी पदों पर नियुक्त किए जाने का प्रावधान था ।
2. सामाजिक जीवन – चीनी समाज में भी रोमन समाज की तरह संयुक्त परिवार प्रणाली थी। सभी निर्णय परिवार का मुखिया लेता था। समाज में शिष्टाचार व नैतिकता पूर्ण कार्य किए जाने का प्रचलन था। चीनीयों के अनुसार, संसार निर्माता ने समाज के चार वर्ग बनाए– प्रथम वर्ग मदारिन का था। इसमें विद्वान, अध्यापक तथा उच्च शिक्षित व्यक्ति आते थे । दूसरा वर्ग किसानों का, तीसरा वर्ग कारीगरों तथा चौथा वर्ग व्यापारियों का होता था।
3. धार्मिक जीवन – चीन के साधारण लोग बहुदेववादी तथा विद्वान एकेश्वरवादी थे । यहाँ प्रकृति को ही पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता था। यंग (आकाश का देवता), चीन (वायु तथा पृथ्वी का देवता) इनके प्रमुख देवता थे । चीनी भूत-प्रेत, जादू-टोने तथा अपशगुन में विश्वास रखते थे। चीन में छठी शताब्दी ई०पू० में भारत से यहाँ बौद्ध धर्म का बहुत प्रसार हुआ।
4. आर्थिक जीवन – चीनी लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि, पशुपालन व रेशम उद्योग तथा मछली पकड़ना था। चीनी लोग बाजरा, गेहूँ, चावल तथा फलों की खेती करते थे । जहाँ पर भूमि अधिक उपजाऊ होती, वहाँ नौ परिवार मिलकर सामूहिक रूप से खेती करते थे। ये प्रणाली चिंगतियेन प्रणाली के नाम से जानी जाती थी । चीन में उद्योग-धंधों का विकास तीव्र गति से हो रहा था। चीन में व्यवसाय वंशानुगत होता था । यह व्यवसाय बदलना पाप समझा जाता था।
⇒ आओ फिर से याद करें
प्रश्न 1. चीनी सभ्यता के आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक इतिहास की विशेषताएं क्या थीं? 
उत्तर – चीनी सभ्यता के आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक इतिहास की विशेषताएं निम्नलिखित थीं –
1. आर्थिक इतिहास – चीन के लोग आर्थिक रूप से सम्पन्न थे। ये लोग पशुपालन, कृषि, रेशम उद्योग, वस्त्र उद्योग, मछली पकड़ना आदि कार्य करते थे। चीनी इतिहास को पढ़ने पर पता चलता है कि ये लोग वंशानुगत व्यवसाय करते थे। इसे पैतृक व्यवसाय भी कहा जाता है। इसे बदलना पाप माना जाता था ।
2. सामाजिक इतिहास – चीनी समाज में संयुक्त परिवार व्यवस्था थी । परिवार के सदस्य मुखिया के अधीन रहकर सारे कार्य करते थे। पैतृक व्यवसाय ही आजीविका का आधार होता था। समाज में विद्वान, अध्यापक, शिक्षित लोग, किसान, कारीगर, व्यापारी आदि सभी वर्गों के लोग रहते थे ।
3. धार्मिक इतिहास – चीन के लोग प्रकृति की पूजा करते थे। यंग (आकाश), चीन (पृथ्वी – वायु) मुख्य माने जाते थे। ये अंधविश्वास, जादू-टोने, भूत-प्रेत में विश्वास करते थे। चीन में कन्फ्यूशियस व लाओत्से प्रमुख दार्शनिक मत थे, जिसे चीन के लोग ‘कुश – जु’ के नाम से पुकारते थे ।
प्रश्न 2. चीनी सभ्यता की प्रान्तीय शासन व्यवस्था कैसी थी? 
उत्तर – दो या तीन गाँवों के समूह (हीन) को मिलाकर एक ‘फू’ बनता था । ‘फू’ को एक प्रांत के समान माना जाता था। प्रांतों को ‘सैंग’ भी कहा जाता था। छोटे-छोटे गाँव और नगर की शासन-व्यवस्था एक न्यायाधीश तथा राज्यपाल चलाते थे। इनकी नियुक्ति वांग (सम्राट) द्वारा की जाती थी ।
⇒ आओ करके देखें –
प्रश्न 1. चीन की सभ्यता के उदय में भूमिका अदा करने वाली प्रमुख नदियों की सूची बनाएं एवं मानचित्र पर दर्शाएं । 
उत्तर – चीन की सभ्यता के उदय में भूमिका अदा करने वाली प्रमुख नदियाँ सिक्यांग, ह्वांग ह्वो या वांग ह्वो हैं ।
प्रश्न 2. कन्फ्यूशियस एवं बौद्ध धर्म की प्रमुख विशेषताओं की तुलना करें । 
उत्तर – कन्फ्यूशियस – कन्फ्यूशियस एक दार्शनिक व समाज सुधारक थे । उन्होंने ईश्वर के बारे में उपदेश न देकर समाज सुधार के कार्य किए। शासक का अधिकार आज्ञा देना तथा शासित का कर्त्तव्य उस आज्ञा का पालन करना है। परंतु यह आवश्यक है कि आदेश देने वाले का शासन नीति, न्याय व औचित्य पर आधारित हो ।
बौद्ध धर्म – हमेशा सच्चे व अच्छे कर्म करना । मीठी वाणी बोलना | तृष्णा व लोभ से दूर रहना । अपनी गलतियों को याद रखकर भविष्य के कार्य सचेत होकर करना । मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान करना । उपरोक्त दोनों दर्शनों की शिक्षाओं को जानने के बाद यह कह सकते हैं कि दोनों दर्शन व्यक्ति व समाज के सुधार व श्रेष्ठ जीवन जीने की कला सिखाते हैं।
⇒ आओ फिर से याद करें –
प्रश्न 1. माया सभ्यता किन क्षेत्रों में फैली हुई थी ?
उत्तर – माया सभ्यता दक्षिणी-पूर्व मैक्सिको, बेलिजे, आधुनिक ग्वाटेमाला, होंडुरास तथा अल सलवेडोर के पश्चिमी क्षेत्रों तक फैली हुई थी ।
प्रश्न 2. माया सभ्यता का श्रेष्ठ युग किसे माना जाता है ?
उत्तर – क्लासिक अवधि जोकि ई०पू० 250 के आसपास शुरु हुई थी, माया सभ्यता का श्रेष्ठ युग माना जाता है ।
⇒ आओ विचार करें –
प्रश्न 1. माया सभ्यता के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की विशेषताओं का विवरण दीजिए। 
उत्तर—माया सभ्यता के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की विशेषताओं का विवरण निम्नलिखित है –
1. राजनीतिक जीवन – उत्तर अमेरिका महाद्वीप के दक्षिण में स्थित माया सभ्यता में राज्यों का मुखिया ‘हेलेक यूनिक’ या ‘असली पुरुष’ के नाम से जाना जाता था। वह राज्य का लौकिक व अलौकिक प्रतिनिधि माना जाता था। मुखिया का पद आनुवांशिक होता था। शहरों के विभिन्न मण्डलों के सरदार इनके अधीन होते थे, जिनको ‘बाताबोब’ कहते थे । ये बाताबोब शहर के शासन की देख-रेख करते थे। विभिन्न उपमंडलों के सरदारों के सदस्यों से बनी एक नगर परिषद् भी होती थी । आवश्यकता पड़ने पर ये बाताबोब सेना का नेतृत्व भी करते थे।
2. आर्थिक जीवन – माया सभ्यता के लोग गेहूँ, चना, जौ, गन्ना, नारियल आदि फसलें उगाते थे। पशुपालन में गाय व बकरी इनके विशेष पशु होते थे। माया सभ्यता में सूती वस्त्र, ताँबे की घंटियाँ, नाव, तलवार व आभूषण बनाना इनके प्रमुख कार्य थे । वे लकड़ी के नक्काशीदार घर भी बनाते थे ।
3. धार्मिक जीवन – माया सभ्यता के लोग किसी कार्य को करने से पहले देवता को प्रसन्न करने के लिए बलि दिया करते थे। प्रत्येक नगर तथा राज्य के अपने-अपने देवता होते थे । देवताओं के चित्र पचकारी मुखौटों से बनाए जाते थे। इन देवताओं की पूजा  चबूतरों पर बने मंदिरों में होती थी।
4. सामाजिक जीवन – माया सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन साधारण था। यह सभ्यता अपने आप में कोई साम्राज्य नहीं बल्कि छोटे-छोटे गाँवों व शहरों की एक सांस्कृतिक इकाई थी। इस सभ्यता में घरों की दीवारें लकड़ी की होती थीं। घरों की छतों को ताड़ के पत्तों से बनाया जाता था। इस सभ्यता में स्थित नगरों की खुदाई से मिले मिट्टी के बर्तन, नक्काशी व कलात्मक वस्तुएं इनके जीवन के विषय में जानकारी देती हैं। इस सभ्यता के लोग कच्चे घरों में रहते थे तथा हेलेक यूनिक व अन्य धनी वर्ग के लोगों के लिए नक्काशीदार लकड़ी का प्रयोग करके घर बनाए जाते थे । अमीर वर्ग के घर सुन्दर व मजबूत होते थे । कच्चे घरों को ‘ना’ कहा जाता था। चौड़ी सड़कों को ‘स्केब’ कहा जाता था।
⇒ आओ करके देखें –
प्रश्न 1. अमेरिका के मानचित्र पर माया सभ्यता से जुड़े स्थान अंकित करें।
उत्तर –
प्रश्न 2. माया सभ्यता के पंचांग की सुमेरियन सभ्यता के पंचांग से तुलना करके देखें । 
उत्तर – माया सभ्यता का पंचांग-माया सभ्यता का पंचांग 3114 ई०पू० शुरू किया गया था। इस कलेंडर में हर 394 वर्ष के बाद बाकतुन नामक एक काल का अंत माना जाता था ।
सुमेरियन सभ्यता का पंचांग – यह हिन्दू संस्कृति पर आधारित सभ्यता के पंचांग जैसा है। सुमेरिया वालों का 12 महीनों का साल ही है। उनकी मास गणना हिंदू पंचांग की तरह चंद्रमा की गतियों पर आधारित थी।
परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न [LONG-ANSWER TYPE QUESTIONS]
प्रश्न 1. किन पुरानी कहानियों से हमें मेसोपोटामिया की सभ्यता की झलक मिलती है ?
उत्तर-यूनानी भाषा के शब्द मेसोपोटामिया का जन्म यूनानी भाषा के मेसोस तथा पोटैमोस नामक दो शब्दों के मेल से हुआ । इसका अर्थ है दो नदियों के बीच का क्षेत्र । फरात और दजला नामक नदियों के बीच स्थित वर्तमान में इराक गणराज्य का एक अभिन्न अंग है। मेसोपोटामिया सभ्यता तीन सभ्यताओं सुमेरिया, बेबीलोनिया तथा असीरिया सभ्यता का संयुक्त रूप है । उस समय मेसोपोटामिया समाज तीन वर्गों में बंटा हुआ था – (i) उच्च वर्ग, (ii) मध्यम वर्ग, (iii) निम्न वर्ग | इसे निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है –
1. सामाजिक विशेषताएँ- निम्न वर्ग की तुलना में उच्च तथा मध्यम वर्ग के लोगों को समाज में कई विशेष सुविधाएँ प्राप्त थीं। उच्च तथा मध्यम वर्ग के लोग पक्के मकानों में रहते थे जबकि निम्न वर्ग के लोग झोंपड़ियों में रहते थे तथा दासों का जीवन व्यतीत करते थे। उनके वस्त्र उच्च तथा मध्यम वर्ग के लोगों के वस्त्रों की तुलना में निम्न कोटि के होते थे। उस काल में स्त्रियों को कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं था। उन्हें समाज में निम्न दृष्टि से देखा जाता था ।
2. धार्मिक विशेषताएँ– मेसोपोटामिया सभ्यता के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के थे । वहाँ अनेक प्रकार के देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती थी। प्रत्येक स्थान के लोगों का अपना अलग संरक्षक देवता होता था । इंसान रक्षकों की मूर्तियाँ मंदिरों में देवताओं की मूर्तियों के साथ लगाई जाती थीं। सुमेरिया सभ्यता के अंतर्गत ऊँची पहाड़ी पर ईंटों से पवित्र स्थल बनाए जाते थे जिन्हें जिगुरात कहा जाता था। उस समय हजारों की संख्या में देवी-देवता पूजनीय थे। उनके प्रमुख देवताओं में सूर्य देव, चंद्रदेव, आकाश देव तथा वायु देव शामिल थे। उस समय समाज में मंदिर के पुजारियों का विशेष स्थान हुआ करता था ।
3. आर्थिक विशेषताएँ–मेसोपोटामिया सभ्यता के लोग एक समृद्ध आर्थिक जीवन व्यतीत करते थे । उस समय के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था । उन्नत कृषि उत्पादन के लिए उन्होंने नदियों पर बाँध बनाकर सिंचाई की नवीन तकनीक का प्रयोग किया था । इस सभ्यता के लोग धातुओं; जैसे तांबा, टिन, कांसा आदि के प्रयोग से भली-भांति परिचित थे। ये लोग भवन निर्माण, आभूषण निर्माण, शिल्प कार्य तथा कपड़े की बुनाई के कार्यों में निपुण थे । मेसोपोटामिया सभ्यता के लोग व्यापार के माध्यम से अन्य सभ्यताओं के संपर्क में थे।
बाइबल से प्राप्त विवरण के अनुसार बाढ़ पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्रकार के जीवन के विनाश के लिए थी। उस समय ईश्वर ने नूह नामक एक व्यक्ति को इसलिए चुना था ताकि वह पता लगा सके कि क्या भयंकर बाढ़ के पश्चात् भी पृथ्वी पर जीवन बचा रह सकता है या नहीं। नूह ने इसके लिए एक विशाल नाव का निर्माण किया। उसने इस नाव पर सभी प्रकार के पशु-पक्षियों की एक-एक जोड़ी सुरक्षित कर ली । ये सभी प्राणी बाढ़ से सुरक्षित बच गए। इस प्रकार पृथ्वी पर फिर से नए जीवन की शुरुआत हुई । इससे मिलती-जुलती एक कहानी मेसोपोटामिया सभ्यता में भी पाई जाती है, जिसके मुख्य पात्र को जीसुद्र या उत्तानपिथिम कहा जाता है।
प्रश्न 2. लेखन पद्धति के विकास का वर्णन करते हुए, मैसोपोटामिया सभ्यता की लेखन पद्धति पर प्रकाश डालें । 
अथवा 
लेखन पद्धति के विकास के विभिन्न चरणों का वर्णन करें ।
उत्तर–मानव ने मौखिक भाषा/बोली का विकास काफी पहले कर लिया था। इसका अर्थ था विभिन्न प्रकार की संकेत-ध्वनियाँ विशेष अर्थों के साथ निकाली जाने लगी थीं अर्थात् ध्वनि किसी भाव (विचार) या वस्तु की पहचान प्रकट करती थी । जब इन भावों अथवा वस्तुओं का बोध करवाने वाले लिखित संकेत विकसित कर लिए गए तब से भाषा का लिखित रूप अर्थात् लेखन (Writing) शुरू हुआ।
1. लेखन की शुरुआत – किसी वस्तु या जानवर का ज्ञान करवाने के लिए लिखित संकेत पहले-पहल चित्रों और रेखाचित्रों के रूप में शुरू हुए। कुछ विद्वान तो उन कलाकृतियों को भी भाषा का प्रारंभिक रूप मानते हैं, जो आदिमानव ने चट्टान -गुफाओं में बनाई थीं।
सबसे पहले लेखन का विकास सुमेर में हुआ । यहाँ से एक प्रारंभिक नगर उरुक से करीब 3200 ईसा पूर्व के आस-पास की 5000 पट्टिकाएँ (Tablets) प्राप्त हुई हैं। यह आग में पकाई हुई चिकनी मिट्टी की पट्टिकाएँ हैं। इन पर अनाज, मछली, बैल, नाव, पक्षी तथा कई तरह की संख्याओं का बोध कराने वाले निशान खुदे हुए हैं। संभवतः यह शहर में आने वाले और वहाँ से जाने वाले सामान की सूची रही होगी।
2. प्रारंभिक लेखन की विधि – प्रारंभिक लेखन पेड़ों के पत्तों व छाल तथा पशुओं की खाल इत्यादि पर किया गया। उदाहरण के लिए, मिस्र में लगभग 3000 ई०पू० में पेपिरस नाम के पेड़ के पत्तों पर सरकंडे की कलम से लिखा जाता था । इसी से अंग्रेज़ी भाषा में पेपर शब्द बना जिसका अर्थ कागज है। मैसोपोटामिया (सुमेर) में विकसित लेखन का तरीका अन्यों के मुकाबले में अधिक चिरस्थायी सिद्ध हुआ। वे चिकनी मिट्टी को गूँथ – थाप कर छोटे आकार की सुंदर पट्टिकाएँ बनाते।
फिर उस गीली पट्टियों के चिकने धरातल पर एक नोकीली सरकंडे की कलम से विभिन्न प्रकार के चिह्न (अक्षर) खोदते ।
बाद में इन पट्टियों को धूप में सुखाकर आग में ईंटों की तरह पका लिया जाता था। इसीलिए उनमें से हजारों हमारे काल तक भी बची रह गई हैं ।
3. कीलाकार लिपि – गीली पट्टियों पर दबाकर या खोदकर निशान की यह कला बाद में कीलाकार (क्यूनीफार्म) लिंपि के तौर पर विकसित हुई। क्यूनीफार्म लैटिन भाषा में ‘क्यूनियस’ शब्द फन्नी (खूँटी) के लिए प्रयोग किया जाता है और ‘फार्म’ का अर्थ आकार है। उल्लेखनीय है कि लेखक ज्यों-ज्यों लेखनी को गीली पट्टियों पर गहरा गढ़ाता था, त्यों-त्यों वह निशान चौड़ा और समोसे के तिकोने कटाव जैसा फन्नी की आकृति बनता जाता था ।
कलाकार लिपि का प्रारंभ चित्रों, चित्र लेखों एवं चिह्नों से हुआ था । ये चित्र अथवा चिह्न किसी वस्तु के नाम का बोध करवाते थे, जो वस्तुओं के साधारण लेन-देन में सहायक थे। लेकिन विचारों को व्यक्त करने में चित्र-लिपि पर्याप्त नहीं थी । इस कठिनाई का समाधान 2600 ई० पू० के आस-पास सुमेरवासियों ने विशेष चिह्नों (वर्णों) को विकसित करके किया, जिनसे विचार और भाव भी प्रकट हो सकते थे। इस प्रकार चित्र लेखन के रूप में शुरू हुई कीलाकार लिपि धीरे-धीरे ध्वनि – लेखन के रूप में विकसित हुई । इस लिपि में स्वर (जैसे हिंदी में अ, आ, इ, ई, आदि) और व्यंजन (जैसे क, ख, ग आदि) नहीं थे । यह केवल अक्षरों (Syllables) पर जैसे अनाज, अन्दर-बाहर आदि पर आधारित थी । मैसोपोटामिया के एक विद्यार्थी को तीन सौ या चार सौ अक्षरों का अच्छी तरह अभ्यास करना पड़ता था । ये अक्षर दाएँ से बाएँ पढ़े जाते थे । ।
लघुत्तरात्मक प्रश्न [SHORT-ANSWER TYPE QUESTIONS]
प्रश्न 1. मैसोपोटामिया सभ्यता की कीलाकार लिपि पर नोट लिखें ।
उत्तर–मैसोपोटामिया सभ्यता में गीली पट्टियों पर दबाकर या खोदकर निशान की यह कला बाद में कीलाकार (क्यूनीफार्म) लिपि के तौर पर विकसित हुई। क्यूनीफार्म लैटिन भाषा में ‘क्यूनियस’ शब्द फन्नी (खूँटी) के लिए प्रयोग किया जाता है और ‘फार्म’ का अर्थ आकार है । कलाकार लिपि का प्रारंभ चित्रों, चित्र लेखों एवं चिह्नों से हुआ था । ये चित्र अथवा चिह्न किसी वस्तु के नाम का बोध करवाते थे, जो वस्तुओं के साधारण लेन-देन में सहायक थे ।
प्रश्न 2. मैसोपोटामिया सभ्यता पर नोट लिखें ।
उत्तर–‘मैसोपोटामिया’ यूनानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है दोआब अर्थात् ‘दो नदियों के बीच का क्षेत्र’ । इस प्रसंग में यह फरात (Euphrates) और दज़ला (Tigris) नदियों के बीच का क्षेत्र था, जो वर्तमान में ईराक के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ एक के बाद एक कई प्राचीन सभ्यताओं का विकास हुआ। इनमें सबसे पुरानी मैसोपोटामिया के पूर्वी भाग में विकसित सुमेर की सभ्यता ( 3500 ई० पू० से 2600 ई० पू० ) थी । यहीं पर सबसे पहले शहरों का उदय हुआ। इनमें सबसे प्रसिद्ध नगर एरिडू उरुक, लगाश तथा उर थे। ये नगर-राज्य (City-State) कहलाते थे, जिनका शासन पुरोहित-राजाओं के हाथ में था । इन पुरोहित राजाओं को पेट्सी कहते थे ।
2000 ई०पू० के बाद बेबीलोन नगर महत्त्वपूर्ण बन गया। नए सामी विजेताओं ने इस नगर को अपनी राजधानी बनाकर बेबीलोनिया सभ्यता की नींव रखी। बेबीलोनिया का अर्थ है ‘देव द्वार’ (Gate of God) । यह मैसोपोटामिया की एक दूसरी महान् सभ्यता थी। लेकिन इसमें बहुत सारी बातें सुमेर व अक्काद सभ्यताओं की शामिल थी । बेबीलोनिया का सबसे प्रमुख शासक हम्मुराबी हुआ। बेबीलोनिया तीन शताब्दियों (लगभग 1700 ईसा पूर्व तक) संगठित रहा । फिर यह राज्य भी नष्ट हो गया ।
प्रश्न 3. मैसोपोटामिया सभ्यता की जानकारी कैसे प्राप्त हुई ?
उत्तर- हजारों वर्ष पहले मैसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता समय की गर्त में दब गई थी। समय बीतने के साथ लोग इनके वैभव को भूल गए। लगभग एक शताब्दी पहले तक भी वर्तमान ईराक क्षेत्र में उभरे ये टीले रहस्य मात्र ही थे । बाईबल (The Old Testament) की कुछ कहानियों को अवश्य इस क्षेत्र से जोड़कर ईसाई इसे अपने पूर्वजों की भूमि समझते थे । इससे यूरोपीय पुरातत्वविदों का मैसोपोटामिया में आकर्षण बढ़ गया और यहाँ के टीलों की खुदाई शुरू की गई । उल्लेखनीय है कि बाईबल की कहानियाँ तो अक्षरतः सिद्ध नहीं हुईं परंतु पुरातत्वविदों को यहाँ बड़े-बड़े मंदिर व राजमहल ही नहीं मिले बल्कि घरों के खंडहर, गोदाम, गलियाँ, सड़कें, जल निकासी की नालियाँ व नहरों के अवशेष मिले। उन्हें शहरी जीवन की पूरी संरचना मिली। असल में मैसोपोटामिया के शहरों का रहस्य तब उजागर हुआ जब इस लिखावट को समझ लिया गया।
प्रश्न 4. मिस्र के पिरामिडों पर संक्षिप्त नोट लिखें ।
उत्तर—मिस्र में पिरामिड बनाने का श्रेय इमहोटेप को जाता है। मिस्र की राजधानी काहिरा में आज भी 70 के लगभग पिरामिड मौजूद हैं। मिस्र के शासकों ने अपने इष्ट देव (सूर्य देवता) को प्रसन्न करने के लिए पिरामिड का निर्माण करवाया। अपनी संस्कृति को दीर्घायु करने के लिए भी पिरामिड बनाए गए। मिस्र के पिरामिड पूरे विश्व में अपनी विशेष पहचान रखते हैं ।
प्रश्न 5 कन्फ्यूशियस कौन थे?
उत्तर – कन्फ्यूशियस का जन्म चीन के शानदाँग प्रदेश में हुआ था। उस समय चीन में झोऊ राजवंश था। कन्फ्यूशियस ने सरकारी नौकरी को छोड़कर घर पर ही विद्यालय खोलकर विद्यार्थियों की नीति शास्त्र, इतिहास व काव्य की शिक्षा दी । वे अपने शिष्यों को चरित्रवान बनने के लिए प्रेरित करते थे। भूचिंग व भीचिंग इनके प्रसिद्ध काव्य संग्रह हैं। एक समाज सुधारक के रूप में इतिहास इनको सदैव याद रखेगा।
प्रश्न 6. मैसोपोटामिया सभ्यता में उच्च वर्ग की स्थिति कैसी थी?
उत्तर–उच्च वर्ग में सबसे ऊपरी स्थान राजा का था, जिसे लोग देवों का प्रतिनिधि मानते थे । दूसरा स्थान पुरोहितों का था। प्रारंभ में पुरोहित ही राजा बने थे । पुरोहितों के बाद लिपिक और अधिकारी उच्च वर्ग में मुख्य स्थान रखते थे । ‘उर’ नगर की खुदाई में इसके स्पष्ट प्रमाण सामने आए हैं। यहाँ राजाओं और रानियों की कब्रों में सोने के आभूषण, पात्र, खंजर तथा लाजवर्द जड़े हुए लकड़ी के वाद्य यंत्र मिले हैं ।
अति- -लघुत्तरात्मक प्रश्न [VERY SHORT-ANSWER TYPE QUESTIONS]
प्रश्न 1. मैसोपोटामिया सभ्यता में मध्यम वर्ग की स्थिति पर प्रकाश डालें ।
उत्तर–मध्यम वर्ग में दुकानदार, व्यापारी, कारीगर व जमींदार आदि आते थे । इनका भी शहरी जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान था। मैसोपोटामिया के नगरों में व्यापार व दस्तकारी ने उल्लेखनीय विकास कर लिया था । यहाँ की समृद्धि मुख्यतः विदेशी व्यापार पर निर्भर थी। पत्थर, इमारती लकड़ी, सोना, चाँदी तथा अन्य धातुएँ विदेशों से मँगवाई जाती थीं। कारीगर इनसे वस्तुएँ बनाते और दुकानदार तथा व्यापारी इन वस्तुओं को देश-विदेश में बेचते थे।
प्रश्न 2. मैसोपोटामिया सभ्यता में सामान्य या निम्न वर्ग की स्थिति पर अपने विचार दें ।
उत्तर–निम्न वर्ग में कामगार, कृषक आदि थे। समाज में सबसे निचला स्थान निश्चय ही गुलामों (Slaves) का था। कानून सबके लिए बराबर नहीं था । उच्च वर्ग के किसी व्यक्ति द्वारा यदि निर्धन वर्ग के साथ अपराध किया जाता तो उसे अधिक कठोर दंड नहीं मिलता था । लेकिन यदि निम्न वर्ग के किसी व्यक्ति द्वारा उच्च वर्ग के प्रति अपराध किया जाता तो उसके लिए कठोर दंड का प्रावधान था ।
प्रश्न 3. सभ्यता का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर- जब व्यक्तियों का एक समूह या समुदाय स्थायी रूप से रहना प्रारम्भ करता है तथा व्यवस्थित जीवन जीने के प्रयास में उसके चारों ओर सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक तथा आर्थिक व्यवस्था निर्मित हो जाती है । इसी व्यवस्था में सभ्यता का आरंभ होता है ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न [OBJECTIVE TYPE QUESTIONS]
I. एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. मिस्र की सभ्यता का विकास कब हुआ था? 
उत्तर- लगभग 7000 वर्ष पूर्व ।
प्रश्न 2. उत्तर मिस्त्र की राजधानी का क्या नाम था ? 
उत्तर-बूटो ।
प्रश्न 3. दक्षिण मित्र की राजधानी का क्या नाम था ? 
उत्तर – तैखेबे ।
प्रश्न 4. किस राजा ने उत्तर मिस्र और दक्षिण मिस्र को मिलाकर संपूर्ण मिस्र को अपने अधीन किया था? 
उत्तर- राजा मिनिस या मेना ने ।
प्रश्न 5. फराओ को किसका प्रतिनिधि माना जाता था?
उत्तर- न्याय एवं ईश्वर का ।
प्रश्न 6. पिरामिड युग में कितने राजवंशों ने शासन किया? 
उत्तर-छ: राजवंशों ने।
प्रश्न 7. मिस्र की आधुनिक राजधानी का नाम बताएँ । उत्तर – काहिरा ।
प्रश्न 8. मिस्त्र में पिरामिडों का निर्माण करने का श्रेय किस शासक को जाता है?
उत्तर-इमहोटेप ।
प्रश्न 9. मिस्र के लोग किस देवता को अपना इष्ट देवता मानते थे?
उत्तर- सूर्य देवता को ।
प्रश्न 10. मिस्र के राजनीतिक इतिहास के साम्राज्यवादी युग के किन्हीं दो शासकों के नाम बताएँ ।
उत्तर- (1) अमेनहोटेप द्वितीय, (2) थूटमोस प्रथम |
प्रश्न 11. मिस्र के राजनीतिक इतिहास के सामन्तवादी युग के किन्हीं दो शासकों के नाम बताएँ ।
उत्तर- (1) अमेनहोटेप- द्वितीय, (2) सेनवो ।
प्रश्न 12. सिंकदर ने कब मिस्र पर अधिकार किया था ?
उत्तर- 332 ई०पू० में ।
प्रश्न 13. प्राचीन मिस्त्र की प्रशासनिक व्यवस्था में वजीर का मुख्य कार्य क्या था?
उत्तर-लगान वसूल करना और आय-व्यय का लेखा-जोखा रखना ।
प्रश्न 14. मेसोपोटामिया के लोग नरगल किसे कहते थे?
उत्तर- प्लेग के देवता को ।
प्रश्न 15. मेसोपोटामिया किस भाषा का शब्द है?
उत्तर–यूनानी भाषा का।
प्रश्न 16. मेसोपोटामिया का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर- नदियों के बीच का क्षेत्र ।
प्रश्न 17. सुमेर के नगरों में पिरामिड के आकार में बनाए जाने वाले ऊँचे मंदिरों को क्या कहा जाता है ?
उत्तर – जिगुरात ।
प्रश्न 18. बेबीलोनिया की सभ्यता का विकास किस नदी के किनारे हुआ?
उत्तर-हेमराइट नदी के ।
प्रश्न 19. असीरिया की सभ्यता किस नगर के नाम से प्रसिद्ध हुई ?
उत्तर – अशुर नगर ।
प्रश्न 20. मेसोपोटामिया की सभ्यता के सामाजिक जीवन के मध्य वर्ग में कौन शामिल थे?
उत्तर- सामंत और व्यापारी ।
प्रश्न 21. क्रीट की सभ्यता के बाद माइसिन नगर में किस सभ्यता का उदय हुआ?
उत्तर – माईसिनियन सभ्यता का ।
प्रश्न 22. यूनानी सभ्यता में ‘पोलिस’ किसे कहा जाता था ? 
उत्तर- नगर राज्यों को ।
प्रश्न 23. ‘सात पहाड़ियों का नगर’ किसे कहा जाता है ? 
उत्तर- रोम को ।
प्रश्न 24. पैट्रीशियन वर्ग में किन लोगों को सम्मिलित किया गया था? 
उत्तर- लैटिन लोगों को जोकि रोम के वास्तविक निवासी थे ।
प्रश्न 25. कौन-सा युग रोम का स्वर्ण युग था?
उत्तर – आगस्टस का युग (31 ई०पू० – 41 ई०पू० )
प्रश्न 26. चीन के दूसरे सम्राट का क्या नाम था ? 
उत्तर- शेन – नुंश ।
प्रश्न 27. चीन पर शासन करने वाले किन्हीं दो राजवंशों के नाम लिखें । 
उत्तर- (1) शांग वंश, (2) चिन वंश ।
प्रश्न 28. माया सभ्यता में राज्यों के मुखिया को किस नाम से जाना जाता था ?
उत्तर–असली पुरुष अथवा हेलेक यूनिक |
प्रश्न 29. बाताबोब का क्या कार्य था?
उत्तर- अपने शहर के शासन की व्यवस्था करना ।
प्रश्न 30. मायावासियों ने जो चौड़ी सड़कें बनवाई थीं, वे किस नाम से जानी जाती थीं? 
उत्तर- स्केब या स्केबओब ।
II. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
1. मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ –
(A) 6000 वर्ष पूर्व
(B) 5000 वर्ष पूर्व
(C) 7000 वर्ष पूर्व
(D) 8000 वर्ष पूर्व
उत्तर- (C)
2. नील नदी का वरदान किसे कहा जाता है?
(A) मिस्र
(B) इराक
(C) ईरान
(D) अफगानिस्तान
उत्तर – (A)
3. मिस्र के राजा / शासक को कहा जाता था?
(A) महाराजा
(B) वांग
(C) फराओ
(D) प्रशासक
उत्तर – (C)
4. मिस्र में पिरामिडों को बनाने का श्रेय किसको जाता है ?
(A) नरमेर को
(B) खुफू को
(C) यूसरेकाफ को
(D) इमहोटेप को
उत्तर – (D)
5. प्राचीन मिस्र में सबसे बड़ा पिरामिड किसका बना?
(A) गीजा का
(B) मानव का
(C) पशु का
(D) मंदिर का
उत्तर – (A)
6. मिस्र के शासक किस देवता को अपना इष्ट देवता मानते थे ?
(A) इंद्र देव को
(B) सूर्य देवता को
(C) अन्न के देवता को
(D) शनि देव को
उत्तर – (B)
7. सामन्तवादी युग (2160 ई० पू० से 1580 ई० पू० ) में कितने राजवंशों ने शासन किया?
(A) चार राजवंशों ने
(B) तीन राजवंशों ने
(C) दो राजवंशों ने
(D) पाँच राजवंशों ने
उत्तर – (D)
8. प्राचीन मिस्र की लिपि थी –
(A) चित्र-लिपि
(B) कीलाक्षर लिपि
(C) देवनागरी लिपि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A)
9. मिस्र के लोग किन पशुओं को पालते थे?
(A) गाय व भेड़
(B) गधे व बंदर
(C) मुर्गी व बछड़े
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (D)
10. प्राचीन मिस्र में ‘रे’, ‘रा’, ‘होरस’ व ‘एमन’ किस देवता के नाम थे? 
(A) सूर्य देवता
(B) इंद्र देवता
(C) प्लेग का देवता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A)
11. मेसोपोटामिया में किन सभ्यताओं का विकास हुआ था?
(A) सुमेरिया की सभ्यता का
(B) बेबीलोनिया की सभ्यता का
(C) असीरिया की सभ्यता का
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (D)
12. यूनानी भाषा में मेसोपोटामिया का अर्थ होता है –
(A) पहाड़ों के बीच का क्षेत्र
(B) नदियों के बीच का क्षेत्र
(C) झीलों के बीच का क्षेत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B)
13. मेसोपोटामिया की सभ्यता किन नदियों के किनारे विकसित हुई ? 
(A) नील व अमेजन
(B) नील व फरात
(C) दजला व फरात
(D) अमेजन व दजला
उत्तर – (C)
14. मेसोपोटामिया का आधुनिक नाम क्या है ? 
(A) अफगानिस्तान
(B) ईरान
(C) इराक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C)
15. यूनान में नगर- राज्य को क्या कहते थे? 
(A) पोलिस
(B) पीट्स
(C) ब्यूल
(D) पटेसी
उत्तर – (A)
16. विश्व की सबसे पुरानी / प्राचीन सभ्यता माना जाता है – 
(A) मेसोपोटामिया (सुमेरिया) की सभ्यता को
(B) यूनानी सभ्यता को
(C) रोमन सभ्यता को
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (A)
17. सिंकदर ने अपने पिता फिलिप का वध कब किया?
(A) 336 ई० पू०
(B) 350 ई० पू०
(C) 330 ई० पू०
(D) 380 ई० पू०
उत्तर – (A)
18. मेसोपोटामिया की लिपि कौन-सी थी?
(A) चित्र – लिपि
(B) कीलाक्षर लिपि
(C) नागरी लिपि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B)
19. मेसोपोटामिया की आरंभिक सभ्यता कौन-सी थी ?
(A) सुमेरियन सभ्यता
(B) असीरियन सभ्यता
(C) बेबीलोनियन सभ्यता.
(D) केल्डियन सभ्यता
उत्तर – (A)
20. यूनानी सभ्यता में सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत फ्रीमैन या परोआसी किस वर्ग को कहा जाता था?
(A) प्रथम वर्ग को
(B) मध्य वर्ग को
(C) दूसरे वर्ग को
(D) चौथे वर्ग को
उत्तर – (B)
21. यूनानी सभ्यता में तीसरा वर्ग स्वतंत्र श्रमिकों का था जिन्हें कहा जाता था –
(A) हलोट
(B) परोआसी
(C) थीट्स
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C)
22. रोमन सभ्यता के राजनीतिक इतिहास को कितने भागों में विभक्त किया गया है?
(A) चार
(B) तीन
(C) दो
(D) पाँच
उत्तर – (A)
23. रोमन प्रशासनिक व्यवस्था में कौंसिल का कार्यकाल होता था –
(A) 1 वर्ष
(B) 2 वर्ष
(C) 3 वर्ष
(D) 4 वर्ष
उत्तर – (A)
24. मिस्र के ज्ञान को दुनिया तक ले जाने में फ्रांस के किस शासक की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी ? 
(A) लुई की
(B) नैपोलियन की
(C) मिनिस की
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B)
25. क्रीट की सभ्यता किस सभ्यता की जननी कही जाती है?
(A) रोमन सभ्यता की
(B) चीन की सभ्यता की
(C) मिस्र की सभ्यता की
(D) यूनानी सभ्यता की
उत्तर – (D)
26. यूनानी सभ्यता के राजनीतिक इतिहास को कितने भागों में विभक्त किया जा सकता है ?
(A) 4
(B) 5
(C) 3
(D) 2
उत्तर – (C)
27. रोम का प्रथम सम्राट कौन था ?
(A) मीनांडर
(B) रोमुलस
(C) सिंकदर
(D) नैपोलियन
उत्तर – (B)
28. रोमन के लोगों का मुख्य व्यवसाय था –
(A) कृषि
(B) पशुपालन
(C) (A) व (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C)
29. चीनी इतिहासकारों के अनुसार फू-सी चीन का कौन-सा सम्राट था?
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) तीसरा
(D) चौथा
उत्तर – (A)
30. चीनी की सभ्यता को जानने के साधन थे –
(A) पौराणिक कथाएँ
(B) अस्थि अभिलेख
(C) पुरापाषाणिक अवशेष
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (D)
31. चीन में राजा को क्या कहा जाता था?
(A) महाराज
(B) वांग
(C) फराओ
(D) सैंग
उत्तर – (B)
32. सूर्य घड़ी व जल घड़ी का आविष्कार किस सभ्यता से हुआ?
(A) यूनानी सभ्यता से
(B) माया सभ्यता से
(C) चीनी सभ्यता से
(D) मिस्र की सभ्यता से
उत्तर – (D)
33. उत्तर अमेरिका महाद्वीप के दक्षिण में 500 ई०पू० और 1000 ई०पू० के बीच फली-फूली सभ्यता को किस सभ्यता के नाम से जाना जाता है ?
(A) रोमन सभ्यता
(B) चीन की सभ्यता
(C) माया सभ्यता
(D) मिस्र की सभ्यता
उत्तर – (C)
34. माया सभ्यता में सामान्य लोगों और किसानों के घर कच्चे होते थे जिन्हें कहा जाता था –
(A) ना
(B) पा
(C) भा
(D) मा
उत्तर – (A)
35. हिस्टोरिका किसकी रचना है?
(A) होमर की
(B) हेरोडोटस की
(C) प्लेटो की
(D) अरस्तू की
उत्तर – (B)
36. यूनानी सभ्यता में किस पर ध्यान नहीं दिया जाता था? 
(A) उद्योग पर
(B) कृषि पर
(C) अस्त्र-शस्त्र बनाने पर
(D) बर्तन बनाने पर
उत्तर – (B)
III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. प्राचीन मिस्र में शवों की सुरक्षा के लिए समाधियाँ बनाई जाती थीं जिन्हें वे लोग …………. कहते थे।
2. मिस्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय …………….था।
3. …………….. के शासक को फराओ कहा जाता था ।
4. उत्तर मिस्र की राजधानी ……………. थी।
5. मिस्र में ……………. के निर्माण का उद्देश्य धार्मिक पवित्रता थी ।
6. मिस्र के शासक …………… को अपना इष्ट देवता मानते थे।
7. फराओ का सैन्य संगठन ……………. प्रथा पर आधारित था।
8. पिरामिड काल का प्रथम शासक ……………. था।
9. राजा हम्मूराबी ने ……………. को अपनी राजधानी बनाया ।
10. असीरिया का अंतिम प्रतापी शासक …………… था।
11. मेसोपोटामिया सभ्यता के सामाजिक जीवन के निम्न वर्ग में ………….. शामिल थे।
12. प्राचीन यूनान में जनसाधारण की आम सभा को ……….. कहा जाता था।
13. सिकंदर …………… में मकदूनिया (मेसोडोनिया) का शासक बना था।
14. ………….. को प्रसिद्ध शासक पेरिक्लीज के दरबार में संरक्षण प्राप्त था ।
15. ……………. जाति ने रोम की सभ्यता के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
उत्तर – 1. पिरामिड, 2. कृषि, 3. मिस्र, 4. बूटो, 5. पिरामिडों, 6. सूर्य देवता, 7. सामन्तवादी, 8. मिनिस, 9. बेबीलोन, 10. अशुर बनिपाल, 11. दास और किसान, 12. एगोरा, 13. 336 ई० पू०, 14. हेरोडोटस, 15. एटुस्कन।
IV. सही या गलत की पहचान करें
1. विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता यूनानी सभ्यता थी।
2. प्राचीनकाल में मिस्र बड़े-बड़े राज्यों में बंटा हुआ था।
3. मिस्र के ज्ञान को विश्व के अन्य देशों में पहुँचाने में नेपोलियन बोनापार्ट ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
4. यूसरेकाफ ओर नरमेर सामन्तवादी युग के शासक थे ।
5. मिस्रवासी अनेक प्रकार के उद्योग धन्धों में निपुण थे।
6. सुमेरिया के लोगों ने कीलाक्षर लिपि का आविष्कार किया ।
7. बेबीलोनिया की सभ्यता यूनान से संबंधित थी।
8. अशुर बनिपाल ने अपनी राजधानी निन्वेह में भव्य महलों और मन्दिरों का निर्माण करवाया था।
9. मेसोपोटामिया के लोग एक- ईश्वर में विश्वास करते थे। वे एकदेववादी थे ।
10. यूनानी सभ्यता को अंधकार युग, लौह युग और हैलेनिस्टिक युग में बाँटा जा सकता है।
11. प्राचीन यूनान में राजा ब्यूल नामक एक परिषद् के परामर्श से शासन का संचालन करता था।
12. यूनान में कुलीन वर्ग विशाल भू-संपत्ति का स्वामी होता था ।
13. प्राचीन यूनान में कृषि पर अधिक ध्यान दिया जाता था।
14. यूनान के लोग मूर्ति पूजा और अंधविश्वासों का खंडन करते थे।
15. 500 ई०पू० में रोम के लैटिन आर्यों ने एटुस्कन जाति को परास्त कर यूनान पर अपना अधिकार किया।
16. रोम में सामाजिक व्यवस्था या जीवन का मूल आधार परिवार था ।
17. चीनी के दूसरे सम्राट शेन – नुंग ने महासम्राट की उपाधि धारण की थी ।
18. चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस द्वारा रचित काव्य-संग्रह भूचिंग और भीचिंग हैं।
19. चीन में उपजाऊ भूमि पर नौ परिवार सामूहिक रूप से खेती करते थे।
20. प्राचीन काल में यूनान के लोग अपने अतिरिक्त किसी अन्य जाति को सभ्य नहीं समझते थे।
21. माया सभ्यता अपने आप में कोई साम्राज्य या एकीकृत राजनीति इकाई नहीं थी, बल्कि छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों व शहरों की सांस्कृतिक इकाई थी ।
उत्तर – 1. गलत, 2. गलत, 3. सही, 4. गलत, 5. सही, 6. सही, 7. गलत, 8. सही, 9. गलत, 10. सही, 11. सही, 12. सही, 13. गलत, 14. गलत, 15. गलत, 16. सही, 17. गलत, 18. सही, 19. सही, 20. गलत, 21. सही।
V. उचित मिलान करें
1. पिरामिड युग के प्रमुख शासक                   (क) पेपाइरस का गुच्छा
2. सामन्तवादी युग के प्रमुख शासक                (ख) अहमोज प्रथम, थुटमोस प्रथम, अमेनहोटेप द्वितीय
3. साम्राज्यवादी युग के प्रमुख शासक              (ग) मधुमक्खी
4. उत्तर मिस्र का राजचिह्न                             (घ) नरमेर, जोसर, खुफू व खाफ्रे, इमहोटेप, अट्टा
5. दक्षिण मिस्र का राजचिह्न                           (ङ) अमनहोतेप, सेनवो, मेतुहोतेप, इंटे
उत्तर – 1. (घ), 2. (ङ), 3. (ख), 4. (ग), 5. (क) ।

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