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Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 3 विश्व के प्रमुख दर्शन

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 3 विश्व के प्रमुख दर्शन

HBSE 10th Class History विश्व के प्रमुख दर्शन Textbook Questions and Answers

अध्याय का संक्षिप्त परिचय
◆ धर्म – वैदिक दर्शन में मानव जीवन की आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति के लिए चार पुरुषार्थों अर्थात् धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष का वर्णन है जिनमें ‘धर्म’ पुरुषार्थ सर्वप्रथम है ।
◆ वैदिक दर्शन – भारतीय संस्कृति की आधारशिला। सबसे प्राचीन व पवित्र दर्शन |
◆ वेद – वैदिक दर्शन का मूल आधार, ईश्वर की वाणी । वेद का अर्थ होता है ज्ञान |
◆ उपनिषद – वेदों का सार । उपनिषदों की मूल शिक्षा ब्रह्म, जीव व जगत का ज्ञान होती है ।
◆ महावीर स्वामी – जैन दर्शन के संस्थापक व 24वें तीर्थंकर ।
◆ महात्मा बुद्ध – बौद्ध दर्शन के संस्थापक | सारनाथ में पहला उपदेश ।
◆ जरथुस्त्र – पारसी धर्म के संस्थापक | सबलान पर्वत पर ज्ञान की प्राप्ति ।
◆ पैगम्बर हजरत अब्राहम – यहूदी दर्शन के प्रवर्तक । इस दर्शन में यहूदी अपने ईश्वर को यहोवा कहते हैं। यहूदियों के पूरोहित को रबी तथा पूजा स्थल को ‘सिनागौग’ कहा जाता है।
◆ यरुशलम – यहूदी राज्य का केन्द्र व राजधानी ।
◆ कन्फ्यूशियस– चीन के महान समाज सुधारक ।
अभ्यास के प्रश्न-उत्तर
⇒ फिर से जानें –
प्रश्न 1. वैदिक दर्शन में मनुष्य जीवन को उन्नत बनाने वाले चार पुरुषार्थों के नाम लिखिए । 
उत्तर – (1) धर्म, (2) अर्थ, (3) काम, (4) मोक्ष ।
प्रश्न 2. वैदिक दर्शन के चार महत्त्वपूर्ण स्रोतों के नाम लिखें। 
उत्तर – (1) वेद, (2) उपनिषद्, (3) ब्राह्मण ग्रंथ, (4) आरण्यक ।
प्रश्न 3. जैन दर्शन के पाँच महाव्रतों के नाम लिखें। 
उत्तर- (1) अहिंसा, (2) अमृषा, (3) अस्तेय, (4) अपरिग्रह, (5) ब्रह्मचर्य ।
प्रश्न 4. गौतम बुद्ध के जीवन की चार महत्त्वपूर्ण घटनाओं के नाम बताओ। 
उत्तर – (1) महाभिनिष्क्रमण, (2) संबोधि, (3) धर्म-चक्र प्रवर्तन, (4) महापरिनिर्वाण ।
प्रश्न 5. पारसी दर्शन व यहूदी धर्म के संस्थापकों का उल्लेख करो । 
उत्तर – पारसी दर्शन का संस्थापक – जरथुस्त्र, यहूदी धर्म का संस्थापक- पैगम्बर हजरत अब्राहम।
प्रश्न 6. चीन के महान समाज सुधारक कन्फ्यूशियस का जन्म कब व कहां हुआ था ?
उत्तर – कन्फ्यूशियस का जन्म ईसा मसीह के जन्म से करीब 550 वर्ष पहले चीन के शानदाँग प्रदेश में हुआ था।
प्रश्न 7. सभी दर्शनों का अंतिम लक्ष्य क्या है ?
उत्तर – सभी दर्शनों का अंतिम लक्ष्य मानव-जीवन को अध्यात्मिक एवं श्रेष्ठ बनाना है।
प्रश्न 8. ‘गायत्री महामंत्र’ किस वेद से संबंधित है ?
उत्तर – ‘गायत्री महामंत्र’ ऋग्वेद से संबंधित है।
⇒ आइए विचार करें-
प्रश्न 1. विश्व के चार दर्शनों के नाम लिखो तथा वैदिक दर्शन की विशेषताओं का वर्णन करो ।
उत्तर – (1) वैदिक दर्शन, (2) बौद्ध दर्शन, (3) यहूदी दर्शन, (4) पारसी दर्शन।
वैदिक दर्शन की विशेषताएँ – वैदिक दर्शन विश्व के सबसे प्राचीन दर्शनों में से एक है। यह दर्शन हमारी सनातन संस्कृति का आधार स्तम्भ है। वैदिक दर्शन पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है। वैदिक दर्शन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(1) वैदिक दर्शन में चार पुरुषार्थ हैं । यह दर्शन धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की अवधारणा पर विश्वास रखता है।
(2) वैदिक दर्शन सत्य, नैतिकता, सरल व पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है ।
(3) वैदिक दर्शन त्रिगुण सिद्धांत (सतोगुण, रजोगुण व तमोगुण) की मान्यता में विश्वास रखता है।
(4) सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामय – सभी सुखी हों, सभी स्वस्थ हों, ऐसी भावना पूरे संसार को व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊँचा उठाकर परोपकार तक ले जाती है ।
(5) वैदिक दर्शन कर्म के आधार पर पूर्वजन्म के सिद्धांत को मानता है तथा यह भी मानता है कि मोक्ष ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है।
(6) वैदिक दर्शन विश्व भ्रातृत्व की प्रेरणा देने के साथ-साथ सहिष्णुता एवं धैर्य की प्राप्ति में भी सहायक है।
प्रश्न 2. जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई ? जैन दर्शन व बौद्ध दर्शन में क्या-क्या समानताएं हैं ?
उत्तर – उत्पत्ति – जैन शब्द से अभिप्राय है वे लोग जो ‘जिन’ के अनुयायी हों, जिन शब्द ‘जि’ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है जीतना। इस प्रकार ‘जिन’ शब्द का अर्थ है इंद्रियों को जीतने वाला । तीर्थंकर ऋषभदेव द्वारा सबसे पहले जैन धर्म की स्थापना की गई।
समानताएँ – जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म में अनेक समानताएं है जो निम्नलिखित हैं
(1) दोनों धर्म मनुष्य को मानवता के रास्ते पर चलने की शिक्षा देते हैं ।
(2) दोनों धर्मों के अनुसार मनुष्य की लालसा या तृष्णा ही उसके दुःख का कारण है।
(3) महावीर स्वामी तथा गौतम बुद्ध दोनों ही मनुष्य को सदकर्म करने की प्रेरणा देते हैं ।
(4) जैन धर्म व बौद्ध धर्म दोनों में ही दुःखों से पीड़ित मनुष्य को उपदेशों द्वारा सतत् शान्ति का मार्ग बताया गया है।
(5) जैन व बौद्ध धर्म दोनों ही मनुष्य को त्याग, परोपकार, सत्य, अहिंसा आदि का संदेश देते हैं।
प्रश्न 3. गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्यों का वर्णन करते हुए उनके द्वारा बताए गए अष्टमार्ग का वर्णन करो । 
उत्तर – चार आर्य सत्य – गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्य इस प्रकार हैं-
1. दुःख – संसार में जीवन-मृत्यु, संयोग-वियोग, लाभ-हानि, यश-अपयश सभी दुःख व कष्ट ही हैं।
2. दुःख का कारण – संसार के सभी दुःखों व कष्टों का कारण लालसा, लोभ व तृष्णा है।
3. दुःख का निरोध / निवारण – दुःखों से निवारण का एकमात्र उपाय संयम है।
4. दुःख निरोध मार्ग – दुःखों से मुक्ति का मार्ग अष्टमार्ग है।
अष्टमार्ग- गौतम बुद्ध के अष्टमार्ग के आठ उपाय निम्नलिखित हैं-
1. सम्यक् दृष्टि – सत्य-असत्य, पाप-पुण्य, अच्छाई-बुराई में भेद करने की दृष्टि रखना ।
2. सम्यक् संकल्प – लोभ-लालसा से दूर रहने, मानसिक व नैतिक रूप से विकास का संकल्प करना ।
3. सम्यक् वाणी- मधुर व सच्ची वाणी बोलना।
4. सम्यक् कर्म – सदैव नेक व अच्छे कार्य करना ।
5. सम्यक् जीविका – ईमानदारी से आजीविका कमाना।
6. सम्यक् प्रयास – अपने व पराये का भेद भूलकर सभी के अच्छे के लिए प्रयास करना ।
7. सम्यक् स्मृति – अपने दोष व गलती को सदैव याद रखकर सावधानी पूर्वक कर्म करना ।
8. सम्यक् समाधि – मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान लगाना ।
प्रश्न 4. पारसी व यहूदी दर्शन की शिक्षाओं का उल्लेख करें। 
उत्तर – पारसी दर्शन – पारसी दर्शन की शिक्षाएं निम्नलिखित हैं –
(1) मनुष्य को सदैव अच्छे कर्म करने चाहिएँ ।
(2) सत्य का पालन स्वर्ग व असत्य का पालन नरक का कष्ट देता है।
(3) बुरी बात न करो ।
(4) सन्मार्ग नहीं छोड़ो ।
(5) पाप न करो ।
यहूदी दर्शन – यहूदी दर्शन की शिक्षाएं निम्नलिखित हैं-
(1) अपने माता-पिता का सदैव आदर करो ।
(2) तुम किसी की सम्पत्ति पर बुरी नज़र नहीं रखोगे ।
(3) कभी चोरी या हत्या नहीं करोगे ।
(4) तुम अपने स्वामी व अपने प्रभु का नाम व्यर्थ में ही नहीं लोगे।
(5) तुम अपने पड़ोसी के खिलाफ झूठी गवाही नहीं दोगे ।
प्रश्न 5. वैदिक साहित्य की संक्षिप्त व्याख्या करो ।
उत्तर – वैदिक दर्शन हमारे वैदिक साहित्य का आधार है। वैदिक साहित्य में वेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक और उपनिषद का उल्लेख मिलता है।
1. वेद – वेद शब्द संस्कृत की ‘विद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है जानना। वेद संसार का प्राचीनतम व प्रमाणिक साहित्य है । वेद  शाश्वत हैं। सनातन काल से वेद मनुष्य के जीवन का मार्गदर्शन कर रहे हैं । वेद चार प्रकार के होते हैं—(1) ऋग्वेद, (2) यजुर्वेद (3) सामवेद, (4) अथर्ववेद ।
2. ब्राह्मण ग्रंथ – ब्राह्मण ग्रंथ में गद्य रूप में देवताओं तथा यज्ञ की रहस्यमयी व्याख्या की गई है ।
3. आरण्यक – वानप्रस्थी एवं संन्यासी आत्मतत्त्व तथा ब्रह्मविद्या को जानने के लिए इनका अध्ययन करते हैं।
4. उपनिषद – इसकी मूल शिक्षा ब्रह्म, जीव व जगत का ज्ञान देना है। उपनिषद को वेदों का सार कहा जाता है।
⇒ आओ करके देखें-
प्रश्न 1. विश्व के उन देशों के नाम लिखो जहां पारसी एवं यहूदी दर्शन के समर्थक निवास करते हैं।
उत्तर – 1. पारसी दर्शन के समर्थक – भारत और ईरान में ।
2. यहूदी दर्शन के समर्थक – इज़राइल एवं यरुशलम में ।
प्रश्न 2. विभिन्न दर्शनों के प्रमुख केंद्रों को विश्व के मानचित्र पर अंकित कीजिए। 
उत्तर – विभिन्न दर्शनों के प्रमुख केंद्र इस प्रकार हैं –
(1) वैदिक दर्शन – भारत
(2) जैन दर्शन – भारत
(3) बौद्ध दर्शन – भारत, श्री लंका, चीन, जापान, सिंगापुर
(4) पारसी दर्शन – ईरान, भारत
(5) यहूदी दर्शन – यरुशलम
(6) कन्फ्यूशियस दर्शन – चीन
प्रश्न 3. अपने आस-पड़ोस में रहने वाले भिन्न-भिन्न पंथों, सम्प्रदायों के लोगों से चर्चा करके अपने अनुभव लिखें। 
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें ।
परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न [LONG-ANSWER TYPE QUESTIONS]
प्रश्न 1. महात्मा बुद्ध के जीवन तथा उनके जीवन की चार महत्त्वपूर्ण घटनाओं पर प्रकाश डालें । 
उत्तर – महात्मा बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनकी माता का नाम महादेवी तथा पिता का नाम शुद्धोधन था। जन्म के कुछ ही समय पश्चात् उनकी माता का देहांत हो गया। इसके उपरान्त उनका पालन-पोषण उनकी मौसी गौतमी ने किया। उनके जन्म के समय एक भविष्यवाणी की गई कि यदि सिद्धार्थ राजा बने तो चक्रवर्ती सम्राट की तरह राज्य करेंगे और यदि वैराग्य धारण करेंगे तो संसार को आवागमन के चक्र से दूर करवाने वाले होंगे। एक वृद्ध व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, मृत व्यक्ति तथा संन्यासी को देखकर उनके मन में वैराग्य की भावना जागृत हुई। वे अपनी पत्नी यशोधरा व पुत्र राहुल को सोते हुए छोड़कर ज्ञान की खोज में निकल गए। उनके जीवन की चार महत्त्वपूर्ण घटनाएँ इस प्रकार हैं –
1. महाभिनिष्क्रमण – वृद्ध, संन्यासी, मृत व बीमार व्यक्ति को देखकर महात्मा बुद्ध के मन में ज्ञान की खोज की इच्छा जागृत हुई । इसी इच्छा की पूर्ति के लिए राज सत्ता तथा वैभव सहित घर, पत्नी, पुत्र व पिता के रिश्तों को त्यागकर सिद्धार्थ जंगल की ओर चल पड़े। उनके जीवन की यह घटना महाभिनिष्क्रमण कहलाती है।
2. संबोधि- वर्षों तक ज्ञान की खोज में भटकते हुए सबसे पहले वे आलार कलाम के पास, फिर आचार्य उद्रक व रामपुरा तत्पश्चात् उरुवेला के वन पहुँचे, लेकिन कहीं भी उनकी ज्ञान की जिज्ञासा शांत नहीं हुई। एक दिन वे अपने मार्ग पर दृढ़ता से चलते हुए पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर बैठ गए। वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन उन्हें आत्मबोध हुआ। जहाँ उन्हें आत्मबोध हुआ वह स्थान बौधगया बिहार में है। उनके जीवन की यह घटना संबोधि कहलाती है।
3. धर्म चक्र प्रवर्तन – सारनाथ की भूमि पर महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश अपने पाँच साथियों, दो बंजारों (तपसु तथा मल्लिक) तथा अन्य लोगों को दिया। यह घटना बौद्ध ग्रंथों में धर्म-चक्र प्रवर्तन कहलाती है।
4. महापरिनिर्वाण – 483 ई०पू० गोरखपुर के पास कुशीनगर नामक स्थान पर गौतम बुद्ध ने अपने शरीर का त्याग किया। उस समय महात्मा बुद्ध 80 वर्ष के थे। महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन के लगभग 45 वर्ष उपदेश देने में व्यतीत किए। महात्मा बुद्ध के निर्वाण-प्राप्ति की घटना को ‘महापरिनिर्वाण’ कहते हैं ।
प्रश्न 2. विश्व के प्रमुख दर्शनों का परिचय विस्तार सहित दें ।
उत्तर – 1. वैदिक दर्शन – वैदिक दर्शन विश्व के प्राचीन दर्शनों में से सर्वाधिक प्रसिद्ध दर्शन है। वैदिक दर्शन भारतीय संस्कृति, परम्परा, आदर्श परम्परा एवं मूल्य का आधार स्तम्भ है। वैदिक दर्शन शाश्वत दर्शन है। वैदिक दर्शन हमें श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा देता है। वैदिक दर्शन चार पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष), तीन गुण (सतो, रजो, तमो), कर्म तथा पूर्वजन्म के सिद्धांत, देव ऋण, गुरु ऋण, पितृ ऋण, मातृ ऋण तथा ऋषि ऋण, यज्ञ व अनुष्ठान की मान्यता, आत्मा की अमरता आदि विशेषताओं को धारण किए हुए है।
2. जैन दर्शन – जैन धर्म के संस्थापक व प्रवर्तक ऋषभदेव हैं। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भी यही थे। जैन दर्शन को ‘ श्रमणो’ का दर्शन भी कहा जाता है। 24वें अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी थे । महावीर स्वामी का जन्म 599 ई०पू० में वैशाली में हुआ। जैन उन्हें कहा जाता है जो जिन के अनुयायी हों। जिन अर्थात् इंद्रियों को जीतने वाला। मोक्ष प्राप्ति के लिए महावीर स्वामी ने जो उपाए बताए, वे त्रिरत्न कहलाए जो इस प्रकार हैं-
1. सम्यक् दर्शन
2. सम्यक् ज्ञान
3. सम्यक् आचरण (527 ई० पू० )
महावीर स्वामी के निर्वाण के पश्चात् जैन परम्परा दो वर्गों दिगम्बर तथा श्वेताम्बर में विभाजित हो गई ।
3. बौद्ध दर्शन – महात्मा बुद्ध बौद्ध दर्शन के संस्थापक हैं। महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई०पू० में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी (नेपाल) वन में हुआ था । इनकी पत्नी का नाम यशोधरा तथा पुत्र का नाम राहुल था । इन दोनों को सोते हुए छोड़कर महात्मा बुद्ध ज्ञान की पिपासा को शांत करने के लिए घर से चले गए। वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें आत्मबोध हुआ। इन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया। 80 वर्ष की आयु में 483 ई०पू० इन्होंने निर्वाण को प्राप्त किया। महात्मा बुद्ध ने मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताया एवं संसार को दु:खों को घर कहा है। इन दुःखों का कारण वासना या लोभ है। संयम द्वारा ही हम दुःखों को दूर कर सकते हैं। दुःखों पर विजय पाने के लिए अष्टमार्ग के रास्ते पर चलना अनिवार्य है। गौतम बुद्ध ने 10 नैतिक आचरणों पर चलने की भी शिक्षा दी ।
4. पारसी दर्शन – पारसी दर्शन का उदय फारस (ईरान) में हुआ । ‘जुरथुस्त्र’ इस दर्शन के संस्थापक थे।‘जरथुस्त्र’ का जन्म अजरबेजान में पिता पोमशष्पा व माता दुधधोवा के घर हुआ। 30 वर्ष की आयु में सबलान पर्वत पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। पारसी दर्शन शरीर को नाशवान व आत्मा को अमर मानता है। कर्म के अनुसार, मनुष्य को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है । दैवी शक्ति का प्रतीक ‘अहुरमज्दा’ है तथा दानव शक्ति का प्रतीक ‘अहरिमन’ है। पारसियों के अनुसार, शरीर के दो भाग (1) शरीररिक, (2) आध्यात्मिक हैं। शरीरिक भाग मरने के बाद समाप्त हो जाता है और आध्यात्मिक भाग मृत्यु के बाद भी जीवित रहता है।
5. यहूदी दर्शन – इस दर्शन के संस्थापक पैगम्बर हजरत अब्राहम हैं। यहूदी अपने ईश्वर को यहोवा कहते हैं । यहूदियों के पुरोहित को रबी तथा उपासना स्थल को सिनागौग कहते हैं । यहूदी दर्शन के अनुसार माता-पिता की सम्पत्ति आदि पर बुरी नज़र नहीं रखनी चाहिए, हत्या या चोरी नहीं करनी चाहिए। किसी पड़ोसी के खिलाफ झूठी गवाही नहीं देनी चाहिए ।
6. कन्फ्यूशियस दर्शन – चीन में झोऊ राजवंश की शक्ति कम होने के कारण वहाँ अनेक राज्यों का उदय हो रहा था। इस समय चीन के साधारण-जन कष्टप्रद जीवन व्यतीत कर रहे थे । विकट परिस्थितियों में ईसा मसीह के जन्म से लगभग 550 वर्ष पहले चीन के शानदाँग प्रदेश में कन्फ्यूशियस का जन्म हुआ जिसने चीनवासियों को परोपकारी, चरित्रवान को गुणी व नैतिक बनने की प्रेरणा दी। उनकी समाज सुधारक प्रेरणाओं से चीनी समाज में स्थिरता का समावेश हुआ । इन्होंने ईश्वर के बारे में उपदेश न देकर समाज-सुधार के नियमों व उच्च आदर्शों पर बल दिया।
लघुत्तरात्मक प्रश्न [SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS ]
प्रश्न 1. दर्शन क्या है ? व्याख्या करें ।
उत्तर – दर्शन शब्द ‘दृश’ धातु से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है- देखना, साक्षत्कार करना या जानना। अपने चारों ओर घटित होने वाली घटनाओं या गतिविधियों का बौद्धिक या तार्किक आधार पर चिंतन करना ही दर्शन है। दर्शन सत्य तथा ज्ञान की खोज करके मानव-मन की जिज्ञासा को शांत करना है। सभी दर्शनों की उपासना पद्धति अलग-अलग हो सकती है परन्तु सभी दर्शन मनुष्य को आध्यात्मिक एवं श्रेष्ठ बनाने का लक्ष्य रखते हैं। विश्व में बौद्ध, वैदिक, पारसी, यहूदी, जैन, कन्फ्यूशियस आदि अनेक दर्शन हैं। सभी दर्शन परोपकार, मानवता एवं आदर्शपूर्ण जीवन जीने का संदेश देते हैं।
प्रश्न 2. धर्म के अर्थ व लक्ष्य को स्पष्ट करें।
उत्तर–‘धर्म’ शब्द ‘धृ’ धातु से बना है जिसका अर्थ है- धारण करना । मनुष्य का स्वाभाविक धर्म मानव-कल्याण है। धर्म के महत्त्व को समझते हुए चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष में धर्म को सर्वप्रथम स्थान दिया गया है। यास्क द्वारा रचित निरुक्त में ‘नियम’ को धर्म कहा गया है। शास्त्र धर्म के 10 लक्षण मानते हैं । ये 10 लक्षण इस प्रकार हैं –
(1) धृति, (2) क्षमा, (3) संयम, (4) अस्तेय, (5) शुचिता (पवित्रता), (6) इन्द्रिय निग्रह, (7) धी, (8) विद्या, (9) सत्य, (10) अक्रोध ।
प्रश्न 3. संप्रदाय तथा पंथ में क्या अन्तर हैं ?
उत्तर – ऊपरी तौर पर देखने से संप्रदाय तथा पंथ को एक ही मान लिया जाता है । प्रायः हम संप्रदाय तथा पंथ शब्द का प्रयोग पर्यायवाची के रूप में कर लेते हैं परन्तु संप्रदाय व पंथ में पर्याप्त अंतर हैं। संप्रदाय किसी विशेष संप्रदाय को मानने वाला या अनुयायियों का भला चाहने वाला एक समूह होता है; जैसे वैष्णव संप्रदाय, शैव संप्रदाय, इस्लाम संप्रदाय, ईसाइयत संप्रदाय आदि जबकि किसी व्यक्ति तथा उसके विचारों के आस-पास विकसित पूजा पद्धति व कर्मकांड पद्धति पंथ कहलाती है। इसमें व्यक्ति विशेष को ही प्रमुखता दी जाती हैं तथा उसके विचारों या संदेशों को सत्य मान लिया जाता है।
प्रश्न 4. वेद क्या हैं ? चारों वेदों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर – संसार के सर्वाधिक प्राचीन, प्रामाणिक व पवित्र साहित्य वेद माने जाते हैं । वेदों को ईश्वर की वाणी तथा वैदिक दर्शन का आधार-स्तंभ माना जाता है। भारतीय मान्यता वेदों को सनातन व शाश्वत् मानती है । वेद् शब्द ‘विद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है- जानना । वैदिक दर्शन वेदों को प्रामाणिक मानता रहा है। वेदों की संख्या चार है जो इस प्रकार हैं-
1. ऋग्वेद—यह सबसे प्राचीन वेद ग्रंथ है। गायत्री इस वेद का एक मंत्र है । इसमें 10 मंडल तथा 10552 मंत्र हैं।
2. यजुर्वेद – इसमें 40 अध्याय तथा कुल 1975 मंत्र हैं। इस वेद में कर्म की प्रधानता पर बल दिया गया है।
3. सामवेद— श्रीकृष्ण ने कहा है वेदों में मैं सामवेद हूँ । यह वेद भारतीय संगीत का मूल है। इसमें 1875 मंत्र हैं।
4. अथर्ववेद – यह वेद गणित, विज्ञान, आयुर्वेद, समाजशास्त्र, कृषि विज्ञान, रोगों व चिकित्सा के ज्ञान से संबंधित है। इसमें 5987 मंत्र हैं।
प्रश्न 5. जैन धर्म व बौद्ध धर्म में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर — जैन धर्म व बौद्ध धर्म में निम्नलिखित अंतर है –
(1) जैन धर्म का उद्देश्य है- आत्मा की मुक्ति तथा बौद्ध धर्म का उद्देश्य है – ज्ञान की प्राप्ति ।
(2) जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी हैं तथा बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध हैं ।
(3) जैन धर्म के अनुयायी नाखून तथा बाल नहीं काटते । सूर्यास्त के बाद भोजन व जल ग्रहण नहीं करते । वे हिंसा से बचने के लिए वे नंगे पाँव चलते हैं जबकि बौद्ध धर्म के अनुयायी अहिंसा का पालन इतने नियमों से नहीं करते ।
(4) जैन धर्म के अनुयायी मोक्ष प्राप्ति के लिए तपस्या, व्रत एवं उपवास को आवश्यक मानते हैं जबकि बौद्ध धर्म के अनुयायी व्रत आदि में विश्वास नहीं करते ।
(5) जैन धर्म के अनुसार मोक्ष मृत्यु के बाद प्राप्त होता है जबकि बौद्ध धर्म के अनुसार मोक्ष इसी जीवन में मिलना संभव है।
प्रश्न 6. जैन धर्म में आए दिगम्बर एवं श्वेताम्बर शब्दों से क्या अभिप्राय है? 
उत्तर – महावीर स्वामी के निर्वाण (मोक्ष) के बाद जैन परम्परा दो भागों में विभाजित हो गई जिनमें से एक भाग का नाम दिगम्बर तथा दूसरे भाग का नाम श्वेताम्बर है ।
दिगम्बर – यह शब्द दिक् + अंबर से बना है । दिक् अर्थात् दिशा तथा अंबर अर्थात् वस्त्र । इस प्रकार दसों दिशाओं को ही वस्त्र मानने वाले जैन अनुयायी दिगम्बर कहलाए ।
श्वेताम्बर – यह शब्द श्वेत + अंबर से बना है। श्वेत अर्थात् सफेद एवं अंबर अर्थात् वस्त्र । सफेद वस्त्र पहनने वाले जैन अनुयायी श्वेताम्बर कहलाए।
प्रश्न 7. बौद्ध धर्म व जैन धर्म की शिक्षाएँ क्या थीं ? 
उत्तर – बौद्ध धर्म की शिक्षाएँ –
(1) संसार दुःखों व कष्टों का घर है।
(2) सभी कष्टों का मूल कारण तृष्णा या लोभ है।
(3) दुःखों पर विजय का मार्ग अष्टमार्ग है ।
(4) मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा है ।
जैन धर्म की शिक्षाएँ –
(1) मन, धर्म एवं वचन से हिंसा का भाव न रखना।
(2) सत्य तथा तीर्थंकरों में दृढ़ विश्वास रखना।
(3) इंद्रियों पर संयम रखना ।
(4) जीवन का एकमात्र उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति रखना ।
अति लघुत्तरात्मक प्रश्न [VERY SHORT – ANSWER TYPE QUESTIONSJ
प्रश्न 1. वैदिक दर्शन हमारे सामान्य जीवन जीने में किस प्रकार सहयोग देता है ? 
उत्तर – वर्तमान समय में मनुष्य निराशा या (डिप्रेशन) अवसाद की स्थिति में जी रहा है। ऐसे समय में वैदिक दर्शन हमें लोभ व मोह से दूर रहने की प्रेरणा, अपने कर्त्तव्य का पालन करना, मन, वचन तथा कर्म से गलत कार्य न करने की प्रेरणा देता है। ये सभी बातें हमारे वर्तमान जीवन को अच्छे से जीने की कला सिखाती हैं ।
प्रश्न 2. महावीर स्वामी व महात्मा बुद्ध में क्या समानताएँ थीं ? 
उत्तर – (1) दोनों ने मनुष्य को श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए लोभ, मोह-माया आदि से दूर रहने के विषय में समझाया ।
(2) ज्ञान की खोज के लिए दोनों घर-परिवार छोड़कर जंगल की ओर चल पड़े थे ।
(3) दोनों राजपरिवार से संबंध रखते थे।
प्रश्न 3. महात्मा बुद्ध के अनुयायी किन दो भागों में विभाजित हो गए ? 
उत्तर- महात्मा बुद्ध के अनुयायी भिक्षुक तथा उपासक दो वर्गों में विभाजित हो गए –
1. भिक्षु-ये बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए संन्यासी का जीवन व्यतीत करते थे।
2. उपासक – उपासक गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी बौद्ध धर्म के दिखाए रास्ते पर चलने लगे।
प्रश्न 4. पारसी लोग शव का अंतिम संस्कार कैसे करते थे ? 
उत्तर- पारसी लोग शव को ऊँची मीनार पर खुला रख देते थे जिसे दखमा या टावर ऑफ साइलैंस कहते थे । जब गिद्ध शव खा लेते थे तब अस्थियों को दफना दिया जाता था।
प्रश्न 5. नैतिकता किसे कहते हैं ?
उत्तर – ऐसा आचरण जो समाज के बनाए आदर्श या नियमों के अनुसार किया जाता है वह नैतिकता कहलाता है। ईमानदारी, न्याय, सदाचार तथा पवित्रता नैतिकता के आधार हैं ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (OBJECTIVE TYPE QUESTIONS]
I. एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. वैदिक दर्शन में वर्णित चार पुरुषार्थ कौन-से हैं ? 
उत्तर – धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष ।
प्रश्न 2. ‘धर्म’ शब्द किस धातु से निकला है तथा इसका क्या अर्थ है ? 
उत्तर – धर्म शब्द ‘धृ’ धातु से निकला है जिसका अर्थ है- धारण करना ।
प्रश्न 3. सनातन किसे कहते हैं ?
उत्तर – चिर स्थायी रहने वाला सत्य जिसका न आरम्भ है न अंत ।
प्रश्न 4. वैदिक दर्शन क्या है ?
उत्तर – वैदिक दर्शन वह आचार संहिता है जो हमें श्रेष्ठ जीवन जीने की कला सिखाती है। –
प्रश्न 5. ‘दर्शन’ शब्द किस धातु से बना है तथा इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर – दर्शन शब्द ‘दृश’ धातु से बना है जिसका अर्थ है- देखना, जानना एवं साक्षात्कार करना ।
प्रश्न 6. ईश्वर की वाणी किसे कहा गया है ? 
उत्तर – वेदों को ।
प्रश्न 7. ऋग्वेद में कितने मंडल व मंत्र हैं ?
उत्तर – ऋग्वेद में 10 मंडल व 10552 मंत्र हैं। –
प्रश्न 8. यजुर्वेद में कितने अध्याय व मंत्र हैं ? 
उत्तर – यजुर्वेद में 40 अध्याय व कुल 1975 मंत्र हैं।
प्रश्न 9. अथर्ववेद किसका संकलन है ?
उत्तर—यह वेद जन-साधारण से जुड़ी समस्या व उसके समाधान तथा समाज व जीवन के नियमों का संकलन है।
प्रश्न 10. सबसे प्राचीन व बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर – ऋग्वेद ।
प्रश्न 11. सबसे पहले व अंतिम तीर्थंकर कौन थे ? 
उत्तर – सबसे पहले तीर्थंकर ऋषभदेव तथा अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी थे ।
प्रश्न 12. महावीर स्वामी का जन्म कब व कहाँ हुआ ?
उत्तर–महावीर स्वामी का जन्म 599 ई०पू० वैशाली गणतंत्र (बिहार) के कुण्डग्राम में हुआ।
प्रश्न 13. महावीर के बचपन का क्या नाम था ?
उत्तर – वर्द्धमान ।
प्रश्न 14. जैन दर्शन के त्रिरत्न क्या हैं ?
उत्तर–सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् आचरण ।
प्रश्न 15. जैन धर्म के पाँच महाव्रत कौन-से हैं ?
उत्तर – अहिंसा, अमृषा, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य । –
प्रश्न 16. महात्मा बुद्ध का जन्म कब व कहाँ हुआ ?
उत्तर – 563 ई०पू० में शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी (नेपाल) में हुआ था।
प्रश्न 17. महाभिनिष्क्रमण क्या है ?
उत्तर – महात्मा बुद्ध द्वारा अपना घर छोड़ने की घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है।
प्रश्न 18. महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहाँ व किसे दिया ? 
उत्तर – महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में अपने पाँच साथियों सहित तपसु व मल्लिक नाम के दो बंजारों को तथा अन्य लोगों को दिया।
प्रश्न 19. बुद्ध ने अपना शरीर कब व कहाँ त्यागा ?
उत्तर- महात्मा बुद्ध ने अपना शरीर 483 ई०पू० गोरखपुर के निकट कुशीनगर नामक स्थान पर त्यागा।
प्रश्न 20. बौद्ध धर्म किन दो भागों में विभाजित हुआ ?
उत्तर – (1) हीनयान, (2) महायान ।
प्रश्न 21. पारसी दर्शन का जन्म कहाँ हुआ? इसके संस्थापक कौन माने जाते हैं ? 
उत्तर – पारसी दर्शन का जन्म फारस (ईरान) में हुआ। इसके संस्थापक जरथुस्त्र माने जाते हैं ।
प्रश्न 22. जरथुस्त्र को ज्ञान कितने वर्ष की आयु में तथा कहाँ प्राप्त हुआ ? 
उत्तर – जरथुस्त्र को ज्ञान 30 वर्ष की आयु में एवं सबलान पर्वत पर प्राप्त हुआ।
प्रश्न 23. कन्फ्यूशियस कौन थे ?
उत्तर – कन्फ्यूशियस चीन के महान् समाज-सुधारक थे ।
प्रश्न 24. सभी दर्शनों का अंतिम लक्ष्य क्या है ?
उत्तर – मानव जीवन को आध्यात्मिक व श्रेष्ठ बनाना ।
प्रश्न 25. कौन-सी भावनाएँ सभी विश्व दर्शनों से मिलती हैं ? 
उत्तर – परोपकार, अहिंसा, प्रेम एवं मानवता आदि भावनाएँ सभी दर्शनों से मिलती हैं।
II. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए –
1. चार पुरुषार्थों में मुख्य पुरुषार्थ कौन-सा है ?
(A) धर्म
(B) काम
(C) अर्थ
(D) मोक्ष
उत्तर – (A)
2. शास्त्रों में धर्म के कितने लक्षण बताए गए हैं ?
(A) 15
(B) 10
(C) 18
(D) 20
उत्तर – (B)
3. गायत्री मंत्र किस वेद से लिया गया है ?
(A) सामवेद
(B) यजुर्वेद
(C) ऋग्वेद
(D) अथर्ववेद
उत्तर – (C)
4. गणित, विज्ञान, आयुर्वेद, कृषि विज्ञान व रोगों से संबंधित वेद कौन-सा है ?
(A) सामवेद
(B) यजुर्वेद
(C) ऋग्वेद
(D) अथर्ववेद
उत्तर-(D)
5. गुरु के पास बैठकर ज्ञान प्राप्त करना क्या कहलाता है ?
(A) वेद
(B) उपनिषद
(C) मीमांसा
(D) संहिता
उत्तर – (B)
6. महावीर स्वामी किस दर्शन से संबंधित हैं ?
(A) बौद्ध
(B) जैन
(C) पारसी
(D) यहूदी
उत्तर – (B)
7. महावीर स्वामी को ज्ञान किस वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ ?
(A) पीपल
(B) नीम
(C) अशोक
(D) साल
उत्तर – (D)
8. महावीर स्वामी को निर्वाण की प्राप्ति कहाँ हुई ? 
(A) पंजाब में
(B) उत्तर प्रदेश में
(C) बिहार में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C)
9. महात्मा बुद्ध किस दर्शन के संस्थापक थे ?
(A) जैन
(B) यहूदी
(C) बौद्ध
(D) पारसी
उत्तर – (C)
10. महात्मा बुद्ध के पिता का क्या नाम था ?
(A) सिद्धार्थ
(B) शुद्धोधन
(C) राहुल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B)
11. महात्मा बुद्ध ने किस नदी के तट पर कठोर तप किया ?
(A) गंगा
(B) यमुना
(C) निरंजना
(D) सरयू
उत्तर – (C)
12. महात्मा बुद्ध की मृत्यु कितने वर्ष की आयु में हुई ?
(A) 70 वर्ष
(B) 88 वर्ष
(C) 80 वर्ष
(D) 90 वर्ष
उत्तर – (C)
13. महात्मा बुद्ध को ‘आत्मबोध’ किस महीने की पूर्णिमा को हुआ ?
(A) चैत्र
(B) वैशाख
(C) आषाढ़
(D) कार्तिक
उत्तर – (B)
14. बौद्ध धर्म किन-किन देशों में फैला हुआ है ?
(A) चीन
(B) जापान
(C) एशिया
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (D)
15. पारसी दर्शन का जन्म कहाँ हुआ ?
(A) फारस (ईरान) में
(B) चीन में
(C) भारत में
(D) नेपाल में
उत्तर – (A)
16. पारसी दर्शन के संस्थापक कौन थे ?
(A) कन्फ्यूशियस
(B) गौतम बुद्ध
(C) जरथुस्त्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C)
17. भारत की राजनीति व व्यवसाय में किनका योगदान है जो पारसी धर्म से संबंधित है ?
(A) दादाभाई नौरोजी
(B) फिरोजशाह मेहता
(C) जमशेदजी टाटा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (D)
18. यहूदी दर्शन का आरंभ किससे माना जाता है ?
(A) मूसा
(B) पैगम्बर हजरत अब्राहम
(C) इस्माइल
(D) इसहाक
उत्तर – (B)
19. यहूदियों के पुरोहित को क्या कहते हैं ?
(A) रबी
(B) सिनागौग
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A)
20. यहूदी ग्रंथ किस भाषा में लिखे गए ?
(A) फारसी
(B) तनख इब्रानी (हिब्रू)
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B)
21. यहूदी अपने ईश्वर को क्या कहते थे ?
(A) जीजस
(B) यहोवा
(C) रबी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B)
22. यहूदियों का पवित्र सुलेमानी मंदिर कहाँ हुआ करता था ?
(A) फारस में
(B) यरुशलम में
(C) चीन में
(D) भारत में
उत्तर – (B)
23. चीन में किस राजवंश की शक्ति कम हो रही थी ?
(A) माऊ राजवंश
(B) झोऊ राजवंश
(C) शुंग राजवंश
(D) इनमें से कोई नही
उत्तर – (B)
24. कन्फ्यूशियस ने चीनवासियों को किसका पाठ पढ़ाया ?
(A) सामाजिकता का
(B) नैतिकता का
(C) भौतिकता का
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (B)
25. मानव-सेवा, परोपकार, अहिंसा आदि भावनाएँ किस दर्शन में मिलती हैं ?
(A) जैन दर्शन
(B) बौद्ध दर्शन
(C) यहूदी दर्शन
(D) सभी दर्शनों में
उत्तर – (D)
26. कन्फ्यूशियस का जन्म कहाँ हुआ ?
(A) चीन में
(B) नेपाल में
(C) ईरान में
(D) भारत में
उत्तर – (A)
III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. निरुक्त में ………………… को धर्म कहा गया है।
2. सामवेद में ……………….. मंत्र हैं ।
3. दिगंबर साधु ……………. को वस्त्र मानते थे ।
4. महात्मा बुद्ध ने पहला उपदेश सारनाथ में पाँच साथियों सहित तपसु व मल्लिक नामक …………….. को तथा अन्य लोगों को दिया ।
5. दानवी शक्तियों का प्रतीक ………………… है।
उत्तर – 1. नियम, 2. 1875, 3. दस दिशाओं, 4. दो बंजारों, 5. अहिरमन ।
IV. सही या गलत की पहचान करें
1. सभ्यता के आरंभ से ही दर्शन विद्वानों की अभिरुचि का विषय था ।
2. धर्म वह अनुष्ठान है जिससे चेतना का अशुद्धिकरण होता है ।
3. इंद्रिय निग्रह का अर्थ है – इंद्रियों को वश में करना ।
4. “वसुधैव कुटंबकम्” का अर्थ है- सभी स्वस्थ रहें।
5. अपरिग्रह का अर्थ है – आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना ।
6. बुद्ध के घर छोड़ने की घटना को बौद्ध साहित्य में संबोधि कहा गया।
7. महात्मा बुद्ध ने एक वृद्ध, एक बीमार, एक मृत व एक संन्यासी को देखा ।
8. बौद्ध दर्शन का विकास छठी शताब्दी में हुआ ।
9. पारसी दर्शन में चन्द्रमा सबसे बड़ा देवता माना जाता है।
10. श्रवौन दर्शन बाद में पारसी दर्शन बना।
उत्तर – 1. सही, 2. गलत, 3. सही, 4. गलत, 5 सही, 6 गलत, 7. सही, 8 सही, 9 गलत, 10. सही।
V. उचित मिलान करें
1. महात्मा बुद्ध                             (क) अजरबेजान
2. महावीर स्वामी                          (ख) यरुशलम
3. जरथुस्त्र                                   (ग) नेपाल
4. कन्फ्यूशियस                            (घ) बिहार
5. सुलेमानी मंदिर                         (ङ) चीन
उत्तर – 1. (ग), 2. (घ), 3. (क), 4. (ङ), 5. (ख) ।

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