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Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

मुहावरे

जब कोई वाक्यांश अपने प्रचलित अर्थ को त्यागकर किसी विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो जाता है, तो उसे मुहावरा कहते हैं; जैसे – ‘आँख दिखाना’ । जब कोई व्यक्ति डॉक्टर को आँख दिखाने के लिए जाता है तब इसका साधारण अर्थ लिया जाता है अर्थात डॉक्टर से आँख की जाँच करवाना चाहता है कि उसे नेत्र रोग है या नहीं। किंतु जब यह कहा जाता है कि उसने मुझे ‘आँख दिखाई’ तो इसका अर्थ होगा कि उसने मेरे प्रति क्रोध व्यक्त किया। अतः ‘आँख दिखाना’ मुहावरा कहा जाएगा। अतः मुहावरा एक विशेष अर्थ को व्यक्त करने वाला वाक्यांश है।

मुहावरे

(अ – आ)

1. अंगारे बरसना – बहुत अधिक गर्मी पड़ना।
हरियाणा में जून के मास में तो अंगारे बरसते हैं।

2. अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि नष्ट होना।
मेरी अक्ल पर तो पत्थर पड़ गए थे कि मैं मोहन जैसे धोखेबाज की बातों में आ गया।

3. अंगूठा दिखाना – साफ इंकार करना।
सरला ने अपनी सहेली समझकर मोहिनी से सहायता माँगी थी, किंतु उसने तो अंगूठा दिखा दिया।

4. अंधे की लाठी – एकमात्र सहारा।
बेचारे रामलाल का इकलौता पुत्र क्या मरा, अंधे की लाठी ही छिन गई।

5. अक्ल के घोड़े दौड़ाना – बहुत सोच – विचार करना।
कश्मीर की समस्या पर सभी नेता अक्ल के घोड़े दौड़ा चुके हैं, किंतु कोई समाधान नहीं निकला।

6. अपना – सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना।
मोहन बड़ी – बड़ी बातें करता था, परीक्षा में असफल होने पर वह अपना – सा मुँह लेकर रह गया।

7. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – अपनी हानि स्वयं करना।
तुम अपने अध्यापक की बात न मानकर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहे हो।

8. अपने मुँह मियाँ मिटू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
अपने मुँह मियाँ मिटू तो कोई भी बन सकता है, असली प्रशंसा तो वह है जो दूसरे करें।

9. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना ।
कृष्णचन्द्र तुम दूसरों के साथ मिलकर काम किया करो, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होगा।

10. अरण्य – रोदन – निष्फल प्रयत्न।
आज के भ्रष्ट नेताओं के पास शिकायत लेकर जाना तो अरण्य – रोदन के समान है।

11. अंधे के आगे रोना – निर्दय को अपना दुःख सुनाना।
आज के भ्रष्ट अधिकारियों के आगे गिड़गिड़ाना तो अंधे के आगे रोने के समान है।

12.अंग – अंग ढीला होना – बहुत थक जाना।
दिवाली की सफाई करते करते मेरा अंग – अंग ढीला हो गया है।

13. अंत पाना – रहस्य जानना।
ईश्वर का अंत पाना आसान काम नहीं है।

14. आँखों का तारा – बहुत प्यारा।
राम दशरथ की आँखों का तारा था।

15. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।
चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया।

16. आँख का काँटा – खटकने वाला व्यक्ति।
मजदूरों का नेता मिल मालिक की आँख का काँटा बन गया।

17. आँखें खुलना – सावधान होना।
मुरारीदीन के हाथों धोखा खाकर सुधीर की आँखें खुल गईं।

18. आँखें दिखाना – इशारे से धमकाना।
पिता जी के आँखें दिखाने पर राजेश पुस्तकें लेकर पढ़ने चला गया।

19. आँख रखना – ध्यान रखना।
नौकर पर जरा आँख रखना, नहीं तो घर का सामान साफ कर जाएगा।

20. आँखें फेरना – साथ न देना।
विपत्ति में आँख न फेरना ही सच्चे मित्र की पहचान है।

21. आँखों पर परदा पड़ना – भले – बुरे की पहचान न होना।
तुम्हारी आँखों पर तो परदा पड़ा हुआ है कि तुम्हें अपने बच्चों के भले की बात भी बुरी लगती है।

22. आँखें चुराना – सामने आने से कतराना।
बुरा समय आने पर मित्र भी आँख चुरा कर जाने लगे।

23. आँखें बिछाना – प्रेम सहित स्वागत करना।
हमारे प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, लोग उनके स्वागत में आँखें बिछाते हैं।

24. आँखों में खून उतरना – बहुत गुस्सा आना।
शत्रु को सामने देखते उसकी आँखों में खून उतर आया।

25. आँच न आने देना – जरा भी कष्ट न होने देना।
तुम निर्भय होकर काम करो मैं तुम पर कभी आँच न आने दूंगा।

26. आँचल पसारना – भीख माँगना।
स्वाभिमानी व्यक्ति कभी किसी के सामने भीख नहीं माँगते।

27. आँसू पोंछना – धीरज बँधाना।
आज के युग में दीन – दुखियों के आँसू पोंछने वाला कोई बिरला ही होता है।

28. आकाश – पाताल एक करना बहुत अधिक प्रयत्न करना।
बलवीर ने अपने खोए हुए पुत्र को ढूँढने के लिए आकाश – पाताल एक कर दिया।

29. आकाश से बातें करना – बहुत ऊँचा होना।
हिमालय की चोटियाँ आकाश से बातें करती हैं।

30. आस्तीन का साँप – विश्वासघाती।
तुम राजेश को अपना मित्र मत समझो वह तो आस्तीन का साँप है कभी – न – कभी धोखा अवश्य देगा।

31. आग बबूला होना – अत्यंत क्रोधित होना।
भरी सभा में अपमानजनक शब्द सुनते ही सेठ कृपाराम आग – बबूला हो उठा।

32. आकाश – पाताल का अंतर – बहुत अधिक अंतर।
मोहन और सोहन यद्यपि सगे भाई हैं, किंतु उनके स्वभाव में आकाश – पाताल का अंतर है।

33. आकाश कुसुम – असंभव कल्पना।
महात्मा गाँधी ने जिस राम राज्य की कल्पना की थी, आज वह आकाश कुसुम – सा प्रतीत होता है।

34. आग में कूदना – जान – बूझकर विपत्ति में पड़ना।
अपने घर में बैठे रहने में ही भला है दूसरों की आग में कूदने से क्या लाभ ?

35. आटे में नमक – बहुत कम संख्या या मात्रा में होना।
पाकिस्तान में सिक्खों की संख्या आटे में नमक के समान है।

36. आटे दाल का भाव मालूम होना – कष्ट और वास्तविकता का अनुभव होना।
तुम अभी अविवाहित हो, जब तुम्हारा परिवार बढ़ेगा तभी तुम्हें आटे दाल का भाव मालूम पड़ेगा।

37. आपे से बाहर होना – क्रोध में आना।
भीम की खरी – खरी बातें सुनकर दुर्योधन आपे से बाहर हो गया था।

(इ – ई)

38. इतिश्री करना – समाप्त करना।
परीक्षा की इतिश्री होने पर विद्यार्थी सुख की नींद सोते हैं।

39. ईद का चाँद होना बहुत कम दिखाई देना।
मित्र क्या बात है आजकल तुम ईद के चाँद बने हुए हो।

40. ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्टता का जवाब दुगुनी दुष्टता से देना।
अगर फिर पाकिस्तान ने हमारे देश पर आक्रमण किया तो हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे।

41. ईंट से ईंट बजाना – नष्ट – भ्रष्ट करना।
वानरों की सेना ने लंका की ईंट से ईंट बजा दी थी।

(उ – ऊ)

42. उँगली उठाना – दोष निकालना।
मनुष्य को अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए ताकि उस पर कोई उँगली न उठा सके।

43. उँगली उठना – निंदित होना।
दुराचारी लोगों पर शीघ्र ही उँगली उठने लगती है।

44. उगल देना – भेद प्रकट कर देना।
पुलिस की मार पड़ने पर चोर ने सब कुछ उगल दिया।

45. उड़ती चिड़िया पहचानना – दूसरे की वास्तविकता को जान लेना।
तुम उसे धोखा नहीं दे सकते। वह तो शीघ्र ही उड़ती चिड़िया पहचान लेता है।

46. उठ जाना – मर जाना।
इस संसार से एक न एक दिन सबको उठ जाना है।

47. उलटी गंगा बहाना – उलटा कार्य करना।
गीता के प्रकाण्ड पंडित को कर्म – योग का पाठ पढ़ाना उलटी गंगा बहाना है।

48. उन्नीस – बीस का अन्तर – बहुत कम अंतर।
दोनों भाइयों के स्वभाव में बस उन्नीस – बीस का अंतर है।

49. उधेड़बुन में पड़ना – सोच – विचार करना।
अरे! व्यर्थ की उधेड़बुन छोड़कर परिश्रम करो और परीक्षा में बैठ जाओ।

50. ऊँट के मुँह में जीरा – आवश्यकता से बहुत कम वस्तु।
उस पहलवान के लिए तो आधा किलो दूध ऊँट के मुँह में जीरे के समान है।

(ए – ऐ)

51. एक आँख से देखना – एक समान समझना।
कानून सबको एक आँख से देखता है।

52. एक ही लकड़ी से हाँकना – एक – सा कठोर व्यवहार करना।
इस जिले का जिलाधीश सबको एक ही लकड़ी से हाँकता है।

53. एड़ी – चोटी का जोर लगा देना – बहुत प्रयत्न करना।
भारतीय हॉकी टीम ने मैच जीतने के लिये एड़ी – चोटी का जोर लगा दिया।

(क)

54. कमर कसना – दृढ़ता से तैयार होना।
हमारे जवानों ने शत्रु का मुकाबला करने के लिए कमर कस ली।

55. कमर टूटना – हिम्मत हार जाना।
व्यापार में बहुत बड़ा घाटा आने पर कर्मचंद की तो मानो कमर टूट गई।

56. कलम तोड़ना – बहुत सुंदर लिखना।।
‘गीतांजलि’ लिखने में महाकवि रवींद्र नाथ टैगोर ने कलम तोड़ दी है।

57. कन्नी काटना – पास न आना।
विनोद का स्वार्थ पूरा हो गया तो वह मुझसे कन्नी काटने लगा।

58. कदम चूमना – खुशामद करना।
मेरा काम बने या न बने मुझसे किसी के कंदम नहीं चूमे जाते।

59. कलेजा मुँह को आना – अत्यधिक दुखी होना
स्वर्गवासी पति की याद आते ही सरला का कलेजा मुँह को आ जाता है।

60. कलेजा निकालकर रख देना सब कुछ अर्पित कर देना।
सच्चे देश – भक्त अपने देश के लिए कलेजा निकालकर रख देने में देर नहीं लगाते।

61. कलेजा छलनी होना बहुत दुखी होना।
सास की जली – कटी बातें सुनकर बहू का कलेजा छलनी हो गया।

62. कलेजे पर साँप लोटना – ईर्ष्या से जलना।
रवि को प्रथम आया देखकर मोहन के कलेजे पर साँप लोट गया।

63. कलेजा ठंडा होना बहुत खुश होना।
अपने पुत्र के पूरे स्कूल में प्रथम आने पर माँ का कलेजा ठंडा हो गया।

64. काँटे बिछाना – रुकावट पैदा करना।
भले लोगों के रास्ते में काँटे बिछाने के अतिरिक्त तुमने अपने जीवन में और किया ही क्या है?

65. किस खेत की मूली होना – प्रभावहीन होना।
अरे! सुशील ने तो बड़े – बड़े पहलवानों को हरा दिया; फिर तुम किस खेत की मूली हो।

66. कुआँ खोदना – हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
जो दूसरों के लिए कुआँ खोदते हैं, वे एक दिन स्वयं उसमें गिरते हैं।

67. कान खोलना – सावधान करना।
माता जी ने नरेश का दोष बतलाकर सब बहन – भाइयों के कान खोल दिए।

68. कान खड़े होना – सावधान होना।।
मालिक के घर में आहट होते ही कुत्ते के कान खड़े हो गए।

69. कान का कच्चा – जो हर एक के कहने में आ जाए।
घनश्याम तो कानों का कच्चा है।

70. कान कतरना – बहुत चालाक होना।
वाह ! अनिल तो बड़े – बड़ों के कान कतरता है।

71. कागज़ी घोड़े दौड़ाना – बेकार की लिखा – पढ़ी करना।
देश की उन्नति के लिए अधिकारियों को कागजी घोड़े न दौड़ाकर कुछ ठोस कदम उठाने चाहिएँ।

72. कुछ पल का मेहमान – मृत्यु के समीप होना।
श्याम के पिता जी अब कुछ ही पलों के मेहमान हैं।

73. कोल्हू का बैल – बहुत अधिक परिश्रम करने वाला।
कोल्हू के बैल की तरह रात – दिन कठोर परिश्रम करने के बाद भी गरीब किसान अपना पेट नहीं भर पाता।

74. कौड़ी को न पूछना – कुछ भी कद्र न होना।
दुराचारी एवं अयोग्य व्यक्ति को कोई कौड़ी भी नहीं पूछता।

75. कान पर जूं तक न रेंगना – कुछ असर न होना।
बिजली बोर्ड के रिश्वतखोर अधिकारियों के आगे बिजली की नियमितता हेतु लाख प्रार्थनाएँ करने पर भी उनके कान पर जूं तक न रेंगी।

76. काम आना – युद्ध में मारा जाना, लाभदायक सिद्ध होना।
(क) सुरेंद्र युद्ध में वीरों की तरह लड़ते – लड़ते अपने देश के लिए काम आया।
(ख) पैसों को बचाकर रखना चाहिए ताकि दुःख के समय में वे काम आ सकें।

77. काफूर होना – दूर होना।
दवाई खाते ही उसका सारा दर्द काफूर हो गया।

(ख)

78. खतरा मोल लेना – संकट में पड़ना।
प्रशांत से तू – तू मैं – मैं कर तुमने व्यर्थ ही खतरा मोल लिया है।

79. खटाई में पड़ना – किसी काम का बीच में रुक जाना या अधूरा रह जाना।
घरेलू नौकरानी रखने का ममता का इरादा उसके पति के स्थानांतरण के कारण एक बार फिर से खटाई में पड़ गया है।

80. खाक छानना – बेकार फिरना।
बेकारी के इस युग में अनेक योग्य युवक खाक छानते फिरते हैं।

81. खाला जी का घर – आसान काम।
दसवीं की परीक्षा में जिले में प्रथम आना कोई खाला जी का घर नहीं है।

82. खेत रहना – युद्ध में मारा जाना।
भारत – चीन युद्ध में अनेक सैनिक खेत रहे।

83. खून का प्यासा – जानी दुश्मन।
कंस भगवान् श्रीकृष्ण के खून का प्यासा था।

84. खून – पसीना एक करना अत्यंत परिश्रम करना।
जब तक तुम खून – पसीना एक नहीं करोगे तब तक परीक्षा में प्रथम नहीं आ सकते।

(ग)

85. गर्दन पर सवार होना – अपनी बात मनवाने के लिए बुरी तरह पीछे पड़ना।
यदि विभा से काम करवाना है तो तुम्हें उसकी गर्दन पर सवार होना पड़ेगा।

86. गर्दन उठाना – विरोध में उठना।।
राष्ट्र के खिलाफ गर्दन उठाने वाले को मृत्यु दण्ड देना चाहिए।

87. गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें फिर से दोहराना।
व्यर्थ ही गड़े मुर्दे उखाड़ने से कोई लाभ नहीं।

88. गले में ढोल होना – पीछा न छोड़ने वाली बात होना।
इस संस्था का प्रबंध करना मेरे लिए गले का ढोल बन गया है।

89. गले का हार होना – प्रिय होना।
कुसुम तो अपनी सभी बहनों के गले का हार है।

90. गाँठ का पूरा होना – मालदार।
व्यापारी तो ऐसे ग्राहकों की आव – भगत करने में लगे रहते हैं जो गाँठ के पूरे हों।

91. गाँठ बाँधना – अच्छी तरह याद रखना।
सत्य और ईमानदारी के उपदेशों को तो गाँठ बाँध लेना चाहिए।

92. गाँठ का पक्का – धन संभालकर रखने वाला।
धनी बनने हेतु गाँठ का पक्का होना आवश्यक है।

93.गागर में सागर भरना – थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना।
कविवर रहीम के दोहों में गागर में सागर भरा होता है।

94. गाल बजाना – डींग मारना, घमंड से बोलना।
सविता को गाल बजाने की आदत है।

95. गिरगिट की तरह रंग बदलना – किसी बात पर स्थिर न रहना।
अगर कोमल तुम्हारी यह बात मान जाए तो कहना, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलती है।

96. गुड़ गोबर कर देना – बना बनाया काम बिगाड़ देना।
उससे काम करवाओगे तो सब गड गोबर कर देगा।

97. गुदड़ी का लाल – छिपा हुआ गुणवान् व्यक्ति।
श्री लाल बहादुर शास्त्री तो गरीबी में पल रहे गुदड़ी के लाल थे।

98. गूलर का फूल – अप्राप्य वस्तु।
गरीबों के लिए दो वक्त की रोटी भी गूलर का फूल बन गई है।

99. गोबर गणेश – सीधा – साधा होना।
सुनीता का भाई तो बिल्कुल गोबर गणेश है जो सबका काम मुफ्त में करता फिरता है।

(घ)

100. घोड़े बेचकर सोना – निश्चित होकर सोना।
परीक्षा के बाद विद्यार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं।

101. घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और अधिक दुखी करना।
क्यों बेचारे के घावों पर नमक छिड़कते हो, वह तो पहले से ही दुखों में डूबा हुआ है।

102. घात में रहना – किसी को हानि पहुँचाने की ताक में रहना।
पाकिस्तान हमेशा भारत की शांति को भंग करने के लिए घात में रहता है।

103. घाट – घाट का पानी पीना – अनुभवी होना।
हमारे प्राचार्य जी घाट – घाट का पानी पीने के पश्चात ही जीवन में इतने सफल हुए हैं।

104. घर में गंगा बहना – घर में अथवा सहज में ही योग्य व्यक्ति का मिल जाना।
ऋजु के भाई हिन्दी के विद्वान हैं, अतः उसके तो घर में ही गंगा बहती है।

105. घड़ियाँ गिनना – उत्सुकता से प्रतीक्षा करना।
मथुरावासी कंस के अत्याचार से तंग होकर अपने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा में घड़ियाँ गिनते थे।

106. घाव हरा होना – भूला हुआ दुःख ताजा होना।
मृत पति की स्मृति ने उर्मिला के घाव को हरा कर दिया।

107. घास खोदना – व्यर्थ में समय नष्ट करना।
व्यर्थ ही घास खोदने से अच्छा है थोड़ा पढ़ – लिख लो अन्यथा फेल हो जाओगे।

108. घी के दीये जलाना – बहुत प्रसन्न होना।
भारत के स्वतंत्र होने पर भारतवासियों ने घी के दीये जलाए।

109. घुन लगना – चिंता के कारण मनुष्य का दुबला हो जाना।
जोधा सिंह पहले बहुत स्वस्थ था, किंतु बच्चे की आकस्मिक मृत्यु के कारण उसे भीतर ही भीतर घुन लग गया है।

(च)

110. चकमा देना – धोखा देना।
मोहन ने व्यापार में अपने मित्र को चकमा देकर उसे बरबाद कर दिया है।

111. चाँदी का जूता – रिश्वत देना।
आजकल चाँदी के जूते के बिना कोई काम नहीं करवाया जा सकता।

112. चंपत हो जाना – भाग जाना।
रामेश्वर का नौकर उसके घर का काफी सामान लेकर चंपत हो गया।

113. चाँदी होना – बहुत लाभ होना।
जब से प्रीतम सिंह ने व्यापार आरम्भ किया तब से उसकी तो चाँदी हो गई है।

114. चार चाँद लगाना – शोभा और प्रतिष्ठा बढ़ाना।
आपने हमारे स्कूल में पधार कर उत्सव को चार चाँद लगा दिए।

115. चाँद पर थूकना – बड़े व्यक्तियों की व्यर्थ निंदा करना।
महात्मा गाँधी और पंडित नेहरू जैसे महान नेताओं की निंदा करना तो चाँद पर थूकना है।

116. चादर तानकर सोना – निश्चिंत हो जाना।
परीक्षा के दिनों में जो विद्यार्थी चादर तानकर सोते हैं, वे प्रायः असफल रहते हैं।

117. चादर से बाहर पाँव पसारना – आमदनी से अधिक खर्च करना।
झूठी शान दिखाने के लिए मनुष्य को कभी चादर से बाहर पाँव नहीं पसारने चाहिएँ।

118. चार सौ बीस होना – धोखेबाज होना।
राजेश की बातों में मत आना वह तो पूरा चार सौ बीस है।

119. चिकना घड़ा – जिस पर कोई प्रभाव न पड़ना।
पवन तो चिकना घड़ा है उस पर तुम्हारे उपदेशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

120. चारों खाने चित्त होना – पराजित होना।
जग्गा पहलवान बड़ी – बड़ी डींगें हाँकता रहता था, किंतु गामा पहलवान ने उसे अखाड़े में पहली बारी में ही चारों खाने चित्त कर दिया।

121. चिराग लेकर ढूँढना – कठिनाई से मिलना।
शीला जैसी बहू तो चिराग लेकर ढूँढने से भी नहीं मिलेगी।

122. च्यूटी के पर निकलना – छोटे व्यक्ति का घमंड करना।
देखो तो सही, कल के छोकरे हमें धमकी दे रहे हैं। वाह! च्यूटी के भी पर निकल आए हैं।

123. चिकनी – चुपड़ी बातें करना – खुशामद करना।।
धोखेबाज व्यक्ति चिकनी – चुपड़ी बातें करके अपना काम निकलवा लेते हैं।

124. चूड़ियाँ पहनना – कायरता दिखाना।
आक्रमण के समय तुम्हें रणभूमि में जाना चाहिए। घर में चूड़ियाँ पहनकर बैठना तुम्हें शोभा नहीं देता।

125. चुल्लू भर पानी में डूब मरना – अत्यंत लज्जा की बात।
तुम्हारे जीते – जी तुम्हारी माँ – बहनों का कोई अपमान करे ? तुम्हें चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।

126. चौकड़ी भूल जाना – अहंकार दूर होना।
कल तक बाबू सोहनलाल किसी की बात न सुनते थे। अब नौकरी से छुट्टी होते ही वह सारी चौकड़ी भूल गए।

127. चोली दामन का साथ – घनिष्ठ संबंध।
विद्या और परिश्रम में तो चोली दामन का साथ है।

(छ)

128. छक्के छुड़ाना – बुरी तरह हराना।
भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान की हॉकी टीम के छक्के छुड़ा दिए।

129. छठी का दूध याद आना – भारी संकट का सामना करना।
शिवाजी से टक्कर लेते ही औरंगजेब को छठी का दूध याद आ गया था।

130. छिपा रुस्तम – छिपा हुआ गुणी व्यक्ति।
हम रोशन लाल को साधारण आदमी समझ रहे थे। उसने आई० ए० एस० की परीक्षा में प्रथम स्थान ग्रहण करके सिद्ध कर दिया कि वह छिपा रुस्तम है।

131. छीछा लेदर करना – दुर्दशा करना।
हमारे अध्यापक ने पाखंडी साधुओं को खरी – खरी सुनाकर उनकी छीछा लेदर कर दिया।

132. छप्पर फाड़कर देना – बिना प्रयत्न के धन की प्राप्ति।
ईश्वर जब देने पर आता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

133. छाती पर मूंग दलना – सामने रहकर बुरी तरह सताना।
देखो तो सही, मेरा पुराना मित्र मेरे विरोधियों की सहायता करके आज मेरी छाती पर मूंग दल रहा है।

134. छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या से जलना।
भारत की प्रगति देखकर चीन और पाकिस्तान की छाती पर साँप लोटने लगते हैं।

135. छीटें कसना – निंदा करना।
मित्रता टूटने पर विकास हमेशा राजेश पर छींटे कसता रहता है।

(ज)

136. जले पर नमक छिड़कना – दुखी दिल को और दुखाना।
वह बेचारा परीक्षा में फेल होने के कारण पहले से ही दुखी है, तुम उसे डाँट कर क्यों जले पर नमक छिड़क रहे हो।

137. जंगल में मंगल – निर्जन स्थान में भी आनंद।
साधुओं की संगति तो जंगल में भी मंगल कर देती है।

138. जहर का यूंट पीना – अपमान को चुपचाप सहना।।
पिताजी ने सबके सामने जब हरीश को फटकारा तो वह बेचारा जहर का यूंट पीकर रह गया।

139. जली कटी सुनाना – सच्ची, किंतु कड़वी बातें कहना।
जब मोहन ने अपने घरेलू झगड़े का नाम लिया तो मैंने भी उसे खूब जली – कटी सुनाई।

140. जान हथेली पर रखना – बलिदान के लिए तैयार रहना।
सरदार भगत सिंह ने जान हथेली पर रखकर ही अंग्रेज़ों से टक्कर ली थी।

141. जमीन पर पाँव न रखना – फूला न समाना।
राजेश जब से परीक्षा में प्रथम आया है तब से जमीन पर पाँव नहीं रखता।

142. जहर उगलना – ईया के कारण निंदा करना।
प्रवीण मेरी उन्नति सहन नहीं कर सकता इसलिए जब देखो वह मेरे विरुद्ध जहर उगलता रहता है।

143. जान के लाले पड़ना – जान खतरे में पड़ना।।
पाकिस्तानी आतंकवादियों के कारण कश्मीर के लोगों को जान के लाले पड़े हुए हैं।

144. जूतियाँ चटकाना – मारा – मारा फिरना।
आजकल लाखों शिक्षित युवक नौकरी के लिए जूतियाँ चटकाते फिरते हैं।

145. जी भर आना – दया से द्रवित होना।
भूकंप से पीड़ित व्यक्तियों की दुर्दशा देखकर मेरा जी भर आया।

146. जी चुराना – बचने का यत्न करना।
यदि तुम पढ़ाई से जी चुराओगे तो बड़े आदमी कैसे बनोगे ?

(झ)

147. झंडा गाड़ना – अधिकार जमा लेना।
इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सफल होकर शासन पर झंडे गाड़ दिए।

148. झख मारना – व्यर्थ समय नष्ट करना।
छुट्टियों में घर बैठकर झख मारने से तो अच्छा है कि हम किसी ऐतिहासिक स्थान की सैर कर लें।

149. झांसा देना – धोखा देना।
चोर पुलिस को झांसा देकर भाग गया।

(ट – ठ)

150. टस – से – मस न होना – अपने निश्चय पर अडिग रहना।
मैंने उसे लाख समझाया कि बुरे लड़कों की संगत न करो, किन्तु वह टस – से – मस न हुआ।

151. टट्टी की ओट में शिकार खेलना – गुप्त रूप से षड्यंत्र रचना।
कायर लोग ही सदा टट्टी की ओट में शिकार खेला करते हैं।

152. टाँग अड़ाना – हस्तक्षेप करना।
तुम्हें मुझसे क्या दुश्मनी है जो मेरे हर काम में टाँग अड़ा देते हो।

153. टीका – टिप्पणी करना – आलोचना करना।
राम अपने अध्यापकों पर भी टीका – टिप्पणी करता रहता है।

154. टॉय – टॉय फिस होना – सारी शान बिखर जाना।
अमृत की शादी बड़े धूम – धाम से हो रही थी, किंतु अधिक दहेज माँगने पर जब लड़की वालों ने इंकार किया तो उनकी सारी शानो – शौकत टाँय – टाँय फिस हो गई।

155. टेढ़ी खीर – अति कठिन।
आजकल हर बेकार शिक्षित के लिए सरकारी नौकरी पाना टेढ़ी खीर है।

156. टेढ़ी उँगली से घी निकालना – चालाकी से काम निकालना।
लाला घनश्यामंदास बड़ा कंजूस है, उससे पैसे लेना आसान काम नहीं है, बिना टेढ़ी उँगली किए घी नहीं निकलेगा।

157. ठिकाने लगाना – मार डालना।
करम सिंह के दुश्मनों ने उसे निर्जन स्थान पर ले जाकर ठिकाने लगा दिया।

158. ठन – ठन गोपाल – निर्धन व्यक्ति।
कन्हैया लाल से पैसों की आशा मत करो वह तो ठन – ठन गोपाल है।

(ड – ढ)

159. डंके की चोट – घोषणा के साथ।
मैं डंके की चोट पर कहता हूँ कि चुनाव में मेरी जीत निश्चित है।

160. डूबते को तिनके का सहारा – थोड़ी – सी सहायता।
मुझे यदि आप छोटी – सी नौकरी भी दे दें तो डूबते को तिनके का सहारा मिल जाएगा।

161. डेढ़ ईंट की मस्जिद बनाना – अलग रहना।
तुम डेढ़ ईंट की मस्जिद अलग क्यों बनाते हो, आओ मिलकर हरियाणा राज्य के विकास में जुट जाएँ।

162. ढोल पीटना – प्रचार करना।
बाबू धर्मचंद जन – सेवा का ढोल तो बहुत पीटते हैं, किन्तु जब कोई काम कराना हो तो सीधे मुँह बात भी नहीं करते।

(त)

163. तलवे चाटना – खुशामद करना।
मेरी नौकरी जाए या रहे मुझे परवाह नहीं है, किन्तु मैं किसी के तलवे नहीं चादूँगा।

164. तारे गिनना – प्रतीक्षा करना।
कमल शर्मा अपनी प्रेमिका की याद में तारे गिनता रहता है।

165. तिल का ताड़ करना – छोटी बात को बड़ा करके बताना।
कुछ लोगों की आदत है कि अपनी बात को तिल का ताड़ बनाकर बताते हैं।

166. तीन – तेरह करना – बिखेर देना।
कल मेरे कमरे में घुसकर मुन्नू ने मेरी सारी पुस्तकों को तीन – तेरह कर दिया।

167. तीन – पाँच करना – बहाना करना, टालमटोल करना।
पहले तो राजू ने सहायता का वचन दिया, लेकिन जब समय आया तो वह तीन – पाँच करने लगा।

168. तिलांजलि देना – छोड़ देना।
गीता ने अपनी बुरी आदतों को तिलांजलि दे दी है।

169. तूती बोलना – प्रभाव बढ़ना।
आजकल तो कॉलेज में शीला की तूती बोलती है, क्योंकि उसके चाचा जी प्रिंसिपल बनकर आ गए हैं।

(थ)

170. थाली का बैंगन – अस्थिर विचारों का व्यक्ति।
उमेश तो थाली का बैंगन है जिधर लाभ देखेगा उधर ही दौड़ा चला जाएगा।

171. थूक कर चाटना – वचन से फिर जाना।
कुसुम ने पुष्पा को.अपनी परिचित संगीत अध्यापिका से पढ़वाने का वचन दिया था, परंतु अपनी चचेरी बहन के आग्रह पर उसने पुष्पा को साफ मना कर दिया। इसे कहते हैं थूक कर चाटना।

172. थूक से सत्तू सानना – छोटे साधन से बड़ा कार्य करने की आशा करना।
केवल एक कमरा लेकर तुम अपना व्यापार कैसे चलाओगे थूक से भी कभी सत्तू सना है।

(द)

173. दाँत कटी रोटी होना – गहरी मित्रता होना।
उन दोनों सहेलियों में दाँत कटी रोटी है।

174. दाँत खट्टे करना – हराना।
भारतीय सेना ने युद्ध में पाकिस्तान की सेना के दाँत खट्टे कर दिए थे।

175. दाँत दिखाना – दीन बनना।
अमीर आदमी को देखकर भिखारी भिक्षा लेने के लिए दाँत दिखाने लगा।

176. दिन फिरना – स्थिति में अच्छा परिवर्तन आना।
दुखी से दुखी मनुष्य के दिन फिरते भी देर नहीं लगती।

177. दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना।
उस नन्हें बालक का साहस देखकर सभी ने दाँतों तले उँगली दबा ली।

178. दाहिना हाथ होना बहुत बड़ा सहायक होना।
शंकर तो अपने स्वामी का दाहिना हाथ है।

179. दाल – भात में मूसलचंद – व्यर्थ में दखल देने वाला।
राम की तो बेकार में दूसरों की समस्याओं में दखल देने की आदत है। इसे कहते हैं दाल – भात में मूसलचंद।

180. दिन – दूनी रात – चौगुनी उन्नति करना – अधिकाधिक उन्नति करना।
माँ ने अपने पुत्र को दिन – दूनी रात – चौगुनी उन्नति करने की आशीष दी।

181. दुम दबाकर भागना – डरकर भाग जाना।
बिल्ली को देखते ही चूहा दुम दबाकर भाग गया।

182. दूध का दूध, पानी का पानी – ठीक – ठीक न्याय होना।
जज साहब ने अपना न्यायोचित फैसला सुनाकर दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।

183. दम भरना – दावा करना।
सोमेश दिन – रात मेरी मित्रता का दम तो भरता है, मगर समय पर काम नहीं आता।

184. दम लेना – विश्राम करना।
मुझे जरा दम तो ले लेने दो, फिर मैं तुम्हारा भी काम कर देता हूँ।

185. दम सूखना – भयभीत होना।
जंगल में शेर की दहाड़ सुनकर, मेरा तो दम ही सूख गया।

186. दंग रह जाना – आश्चर्यचकित होना।
छोटी – सी बालिका का शौर्य देखकर हमारी माता जी दंग रह गईं।

187. दाल न गलना – सफल न होना।
तुम चाहे कितनी भी कोशिश कर लो, यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलेगी।

188. दूर की हाँकना – गप्प मारना।
अरे! कमला की तो दूर की हाँकने की आदत है, तुम उसकी बातों पर मत जाना।

189. दूध की मक्खी – खटकने वाला।
श्याम ने अपना काम निकल जाने पर सुनील को दूध की मक्खी की तरह निकाल बाहर फेंक दिया।

190. दो टूक बात करना – साफ – साफ बात करना।
हमारे पिताजी दो टूक बात करने में विश्वास करते हैं।

191. दूज का चाँद – कभी – कभी दिखाई देना।।
अरे मोहित! तुम तो आजकल दिखाई ही नहीं देते। वाह यार ! बिल्कुल दूज का चाँद हो गए हो।

192. दूध के दाँत न टूटना – अनुभवहीन होना।
लाल सिंह मेरा क्या मुकाबला करेगा, अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे।

193. दो नावों पर पाँव रखना – अस्थिर विचार वाला।
जो व्यक्ति दो नावों पर पैर रखता है, उसे अपने काम में सफलता नहीं मिलती।

194. द्रौपदी का चीर – जिसका अन्त न हो।
आजकल भारत की जनसंख्या की समस्या द्रौपदी के चीर की तरह बढ़ती जा रही है।

(ध)

195. धता बताना – चालाकी से टाल देना।
अरे! मोहन की क्या बात करते हो, उसने तो अपने भाई की सम्पत्ति का भाग लेकर उसे धता बता दिया है।

196. धज्जियाँ उड़ाना – टुकड़े – टुकड़े करना।
पाकिस्तान के साथ युद्ध में हमारे जवानों ने पैटन टैंकों की धज्जियाँ उड़ा दी थीं।

197. धाक जमाना – प्रभाव डालना।
नेहरू जी ने जोरदार भाषण देकर संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी धाक जमा दी।

198. धूप में बाल सफेद करना – अधिक उम्र में अनुभवहीन होना।
मैं इस दुनिया की रग – रग से परिचित हूँ। मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं कर रखे हैं।

(न)

199. नमक – मिर्च लगाना – बात को बढ़ा – चढ़ा कर कहना।
शीला की बात पर विश्वास न करना वह हर बात को नमक – मिर्च लगाकर बताती है।

200. नाक काटना – मान नष्ट करना।
बेटे ने बुरे काम करके पिता की नाक काट दी।

201. नाक में दम करना – बहुत तंग करना।
छात्रों ने नए अध्यापक के नाक में दम कर दिया।

202. नाक का बाल – बहुत समीप रहने वाला व्यक्ति।
आजकल रामचंद्र से बड़ा डर लगता है, क्योंकि वह अफसर की नाक का बाल बना हुआ है।

203. नाक रगड़ना – गिड़गिड़ाना।
अरे! रामनाथ ने नाक रगड़कर जब क्षमा माँगी, तभी वह वहाँ से छूटा।

204. नाक पर मक्खी न बैठने देना – अपने को बहुत बड़ा समझना।
जब से पुरुषोतम ने आई०ए०एस० की परीक्षा पास की है, वह नाक पर मक्खी भी नहीं बैठने देता।

205. नाक भौंह चढ़ाना – असंतोष प्रकट करना।
मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, जो तुम मेरी हर बात पर नाक – भौंह चढ़ाते हो।

206. नाकों चने चबवाना – बुरी तरह हराना।
सन् 1965 की लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को नाकों चने चबवा दिए थे।

207. नानी याद आना – कष्ट का अनुभव होना।
जब जेल पहुँचकर चक्की पीसनी पड़ेगी तब तुम्हें नानी याद आएगी।

208. नौ – दो ग्यारह होना – भाग जाना।
डाकू पुलिस को देखते ही नौ – दो ग्यारह हो गए।

(प)

209. पगड़ी उछालना – अपमान करना।
बिना बात के किसी की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं है।

210. पगड़ी सम्भालना – मान – मर्यादा की रक्षा के लिए तैयार होना।
वीर पुरुष सदा अपनी पगड़ी संभालने के लिए तैयार रहते हैं।

211. पाँचों उँगलियाँ घी में होना – बहुत लाभ होना।
जब से गेहूँ के भाव बढ़े हैं तबसे आटे के व्यापारियों की तो पाँचों उँगलियाँ घी में हो गई हैं।

212. पानी – पानी होना – बहुत लज्जित होना।
अपनी चोरी का रहस्य खुलते ही रमेश पानी – पानी हो गया।

213. पापड़ बेलना – कष्ठ उठाना।
राम ने अनेक पापड़ बेले, किन्तु कहीं सफलता नहीं मिली।

214. पत्थर का कलेजा होना – कठोर हृदय होना।।
तुम्हारा तो पत्थर का कलेजा है, जो इतनी बड़ी हानि उठाने पर भी तुमने आह तक नहीं भरी।

215. पत्थर की लकीर – अटल बात।
मेरा सिद्धांत पत्थर की लकीर है। उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो सकता।

216. पट्टी पढ़ाना – बहकाना।
कैकेयी ने दशरथ को ऐसी पट्टी पढ़ाई है कि वह भगवान् रामचन्द्र को 14 वर्ष का वनवास देने पर मजबूर हो गए।

217. पते की बात कहना – महत्त्वपूर्ण बात कहना।
मैं एक पते की बात कहता हूँ कि यदि तुम वर्ष के आरंभ से परिश्रम करो तो परीक्षा में तुम्हारी सफलता निश्चित है।

218. पर्दा – फाश करना – भेद खोलना।
गवाह ने सच्ची बात बताकर सारे षड्यंत्र का पर्दाफाश कर दिया।

219. पलकों पर बिठाना – बहुत आदर करना।
जनता ने पंडित नेहरू के आने पर उन्हें अपनी पलकों पर बिठा लिया।

220. पहाड़ टूट पड़ना – भारी विपत्ति आना।
विभाजन के समय देश के लाखों निर्दोष लोगों पर मानो पहाड़ – सा टूट पड़ा।

(फ – ब)

221. फूला न समाना – बहुत आनंदित होना।
अपनी पोती को दुलहिन बना देखकर दादा – दादी फूले न समाए।

222. फूंक – फूंक कर पाँव रखना – सावधान होकर कार्य करना।
वह एक बार व्यापार में घाटा उठा चुका है, इसलिए अब हर काम में फूंक – फूंक कर पाँव रखता है।

223. बंगुला भगत – कपटी व्यक्ति।
बगुला भगत अध्यापक देश के भविष्य को नष्ट कर देते हैं।

224. बगलें झाँकना – बेबसी में लज्जित होना।
देखो, तुम बिल्कुल नहीं पढ़ते। कल जब परीक्षा होगी तो बगलें झाँकोंगे।

225. बड़े घर की हवा खाना – जेल जाना।
राजेंद्र तो कई बार बड़े घर की हवा खा चुका है।

226. बरस पड़ना – क्रोधित होना।
दफ्तर में देर से पहुंचने पर शीला के बॉस उस पर बरस पड़े।

227. बट्टा लगाना – कलंकित करना।
आखिर उसने अपने घरवालों के माथे पर बट्टा लगा ही दिया।

228. बछिया का ताऊ – सीधा – सादा या मूर्ख व्यक्ति।
हमारे गाँव का बुधिया तो बछिया का ताऊ है, उसे शहरी जीवन के बारे में क्या पता ?

229. बल्लियों उछलना – अत्यंत प्रसन्न होना।
परीक्षा में प्रथम आने पर कमला का मन बल्लियों उछलने लगा।

230. बंदर घुड़की – बनावटी धमकी।
पाकिस्तान की बंदर घुड़की से कुछ न बनेगा, हम कश्मीर लेकर रहेंगे।

(भ)

231. भनक पड़ना – उड़ती खबर मिलना।
उनके कानों में ज्यों ही चुनाव परिणाम की भनक पड़ी, वह फिर बेहोश हो गया।

232. भगीरथ प्रयत्न कठिन, किंतु प्रशंसनीय प्रयत्न।
भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गाँधी जी ने भगीरथ प्रयत्न किया।

233. भंडा फोड़ना – भेद खोल देना।
मन – मुटाव होने पर अपने मित्रों का भंडा फोड़ना मूों का काम है।

(म)

234. मीठी छुरी – ऊपर से मीठा बोलकर हानि पहुँचाना।
अरे! मोहित की बातों में मत आना वह तो मीठी छुरी है।

235. माथे पर बल न पड़ना – जरा – सा भी क्रोध न आना।
बड़ी – से – बड़ी विपत्ति में भी मैंने आज तक स्वामी जी के माथे पर बल नहीं देखे।

236. मिट्टी का माधो – मूर्ख।
विमला का पति तो बिल्कुल मिट्टी का माधो है।

237. मुँह की खाना – बुरी तरह पराजित होना।
भाग्य से लड़ोगे तो मुँह की खाओगे।

238. मुँह ताकना – सहायता की आशा करना।
उसके पास अपनी कठिनाइयों के लिए दूसरों का मुँह ताकने के सिवाय और काम ही क्या है ?

239. मुँह पर हवाइयाँ उड़ना – डर जाना।।
पुलिस को देखकर चोर के मुँह पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

240. मुँह लगाना – छूट या ढील दे देना।
नौकरों को अधिक मुँह लगाने से वे बिगड़ जाते हैं।

241. मुँह में पानी भर आना – खाने को मन ललचाना।
लोमड़ी ने जब बाग में पके अँगूर देखे तो उसके मुँह में पानी भर आया।

242. मुट्ठी गरम करना – रिश्वत देना।
सुना है, कमल ने अफसरों की मुट्ठी गर्म करके नौकरी ली है।

243. मुट्ठी में करना – काबू में करना।
देवदत्त ने अपनी सेवा से सभी को अपनी मुट्ठी में कर रखा है।

244. मैदान मारना – विजय प्राप्त करना।
तुम आज कौन – सा मैदान मार लाए हो, जो इतने खुश हो रहे हो।

(र)

245. रंग में भंग – आनंद में बाधा पड़ना।
मोहन और उसके मित्रों के गाने के कार्यक्रम के समय उसके पिता जी के आने से उनके रंग में भंग पड़ गया।

246. रंगा सियार होना – धोखेबाज या कपटी होना।
मोहन की संगति से बचकर रहना वह तो रंगा सियार है।

247. रोंगटे खड़े होना – भयभीत होना।
अपने सामने अचानक काले नाग को देखकर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए थे।

(ल)

248. लंगोटिया यार – बचपन का साथी।
राकेश तो मेरा लंगोटिया यार है उस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।

249. लहू के चूंट पीकर रह जाना – क्रोध को मन में दबा लेना।।
द्रौपदी का अपने सामने अपमान होते देखकर पांडव लहू का यूंट पीकर रह गए।

250. लोहा लेना – टक्कर लेना।
पाकिस्तान में अब इतना दम नहीं कि वह भारत से लोहा ले सके।

251. लोहे के चने चबाना – बहुत कठिन काम करना।
आई०ए०एस० की परीक्षा पास करना लोहे के चने चबाना है।

252. लट्ट होना – मोहित होना।
वह तो सुनीता की योग्यता देखकर उस पर लट्टू हो गया।

253. लाल – पीला होना – बहुत क्रोधित होना।
छात्रों की शरारत देखकर अध्यापक लाल – पीला हो गया।

254. लाले पड़ जाना – तरस जाना।
बाढ़ के आ जाने से सारी फसल नष्ट हो गई है और किसान को जीने के लाले पड़ गए हैं।

255. लुटिया डुबोना – काम बिगाड़ना।
हमारी योजना बड़ी सफलता के साथ पूरी हो रही थी कि साहूकार ने सहायता बंद करके लुटिया डुबो दी।

256. लेने के देने पड़ जाना – लाभ की जगह हानि होना।
इसी तरह यदि व्यापार में घाटा होता रहा तो तुम्हें लेने के देने पड़ जाएँगे।

(श – स)

257. श्रीगणेश करना आरम्भ करना।
मैंने आज ही अपनी नौंवीं कक्षा की पढ़ाई का श्रीगणेश किया है।

258. शैतान की आँत – बहुत लंबा होना।
यह पहाड़ी रास्ता तो शैतान की आँत की भाँति कहीं समाप्त होता नजर नहीं आता।

259. सब्जबाग दिखाना – लोभ देना।
पहले तो उसने मुझे सब्जबाग दिखाए, किंतु जब मुझ पर कोई असर न हुआ तो अफसर को मेरी झूठी शिकायत लगा दी।

260. सिर उठाना – विरोध करना।
डाकू गब्बर सिंह ने अपने साथियों को चेतावनी दे दी कि यदि किसी ने मेरे विरुद्ध सिर उठाया तो उसे कुचल दिया जाएगा।

261. स्वाहा करना नष्ट करना।
भीमसेन ने जुआ खेल – खेलकर अपने पिता की सारी सम्पत्ति स्वाहा कर दी।

262. सात घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना।
आप सब मिलकर भी विश्वनाथ का मुकाबला नहीं कर सकते, क्योंकि उसने सात घाट का पानी पी रखा है।

263. सिर धुनना – पछताना।
समय निकलने के बाद सिर धुनने से कोई लाभ नहीं है।

264. सोने में सुगंध – एक गुण के साथ दूसरा गुण भी होना।
दिवांश पढ़ाई में तो सबसे आगे है ही, पर उसकी भाषण – कला तो सोने में सुगंध के समान है।

(ह)

265. हथेली पर सरसों उगाना – असंभव काम कर दिखाना।
हथेली पर सरसों उगाना तो वीर पुरुषों का ही काम है।

266. हाथ तंग होना – धन की कमी होना।
इस मँहगाई के युग में सबका हाथ तंग रहता है।

267. हाथ – पाँव मारना – पूरा प्रयत्न करना।
आजकल के शिक्षित बेकार युवक नौकरी पाने के लिए दिन – रात हाथ – पाँव मारते रहते हैं।

268. हाथ पीले करना – विवाह करना।
मोहन सिंह को अपनी बेटी के हाथ पीले करने के लिए बहुत अधिक कर्जा लेना पड़ा।

269. हाथों के तोते उड़ जाना – घबरा जाना।
परीक्षा में असफल होने की सूचना सुनकर बिमला के हाथों के तोते उड़ गए।

270. हाथ धोकर पीछे पड़ना – बुरी तरह पीछे लग जाना।
बस, इसी तरह हाथ धोकर पीछे पड़े रहने से ही उससे कुछ पा सकोगे।

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