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Haryana Board 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का योगदान

Haryana Board 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का योगदान

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 4 व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का योगदान

HBSE 9th Class Physical Education व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का योगदान Textbook Questions and Answers

व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का योगदान परिचय

शारीरिक शिक्षा (Physical Education):
शारीरिक शिक्षा द्वारा केवल बुद्धि तथा शरीर का ही विकास नहीं होता, बल्कि इससे व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र एवं आदतों के निर्माण में भी सहायता मिलती है। अत: शारीरिक शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के संपूर्ण (शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक) व्यक्तित्व का विकास होता है। मॉण्टेग्यू (Montague) के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा न तो मस्तिष्क का और न ही शरीर का प्रशिक्षण करती है, बल्कि यह सम्पूर्ण व्यक्ति का प्रशिक्षण करती है।”

समाज (Society):
व्यावहारिक रूप से समाज (Society) शब्द का प्रयोग मानव समूह के लिए किया जाता है परन्तु वास्तविक रूप से समाज मानव समूह के अंतर्गत व्यक्तियों के संबंधों की व्यवस्था का नाम है। समाज स्वयं में एक संघ है जो सामाजिक व औपचारिक संबंधों का जाल है। राइट (Wright) के अनुसार, “समाज व्यक्तियों का एक समूह ही नहीं है, बल्कि यह समूह के व्यक्तियों के बीच पाए जाने वाले संबंधों की व्यवस्था है।”

नेतृत्व (Leadership):
मानव में नेतृत्व की भावना आरंभ से ही होती है। किसी भी समाज की वृद्धि या विकास उसके नेतृत्व की विशेषता पर निर्भर करती है। नेतृत्व व्यक्ति का वह गुण है जिससे वह दूसरे व्यक्तियों के जीवन के विभिन्न पक्षों में मार्गदर्शन करता है। मॉण्टगुमरी (Montgomery) के अनुसार, “किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए व्यक्तियों को इकट्ठा करने की इच्छा व योग्यता को ही नेतृत्व कहा जाता है।”

HBSE 9th Class Physical Education व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का योगदान Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1. व्यक्ति और समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा क्या भूमिका निभाती है? वर्णन करें। अथवा
व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा किस प्रकार से अपना योगदान प्रदान करती है?
                      अथवा
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति एवं समाज के विकास को किस प्रकार से प्रभावित करती है?
                     अथवा
शारीरिक शिक्षा से व्यक्ति में कौन-कौन से गुण विकसित होते हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
आदिकाल से मनुष्य ने खेलों को अपने जीवन का सहारा बनाया है। आदिमानव ने तीरंदाजी तथा नेज़ाबाजी के साथ शिकार करके अपनी भूख की पूर्ति की है अर्थात् अपना पेट भरा है। खेलें न केवल दिल बहलाने का साधन हैं, अपितु आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक हृष्टता-पुष्टता, जोश, जज्बात और शक्ति के दिखावे के लिए खेली गईं। आजकल शारीरिक शिक्षा पर काफी बल दिया जाता है। शारीरिक शिक्षा विभिन्न व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का विकास करती है जिससे व्यक्ति एवं समाज का विकास संभव होता है

1. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline):
आदिकाल की खेलों और आधुनिक खेलों में चाहे अन्तर है, परंतु इन खेलों के पीछे एक भावना है। प्राचीनकाल के व्यक्ति ने इनको दूसरों पर शासन और हुकूमत करने आदि के लिए प्रयोग किया, परन्तु आज के व्यक्ति ने खेलों के नियमों की पालना करते हुए अनुशासन में रहकर इनसे जीवन की खुशी प्राप्त की।

2. अच्छे नागरिक की भावना (Spirit of Good Citizen):
पुरातन समय की क्रियाएँ; जैसे नेज़ा फेंकना, भागना और मुक्केबाजी चाहे लड़ाई की तैयारी के लिए मानी जाती थीं परंतु शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत आधुनिक खेलें व्यक्ति में अनेक अच्छे गुणों का विकास करती हैं जिससे वह देश का अच्छा नागरिक बनकर देश की उन्नति में अपना योगदान देता है।

3. व्यक्तित्व का विकास (Development of Personality):
शारीरिक शिक्षा से व्यक्ति में सहनशीलता और मेल-जोल की रुचि बढ़ती है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है और वह समाज में अपना स्थान बनाता है। इससे दोनों का विकास होता है।

4. शारीरिक विकास (Physical Development):
शारीरिक शिक्षा में विभिन्न खेलों से शारीरिक विकास होता है। इससे . शरीर में ऑक्सीजन की खपत की मात्रा बढ़ती है और शरीर में से व्यर्थ पदार्थ और जहरीले कीटाणु बाहर निकलते हैं। शरीर में पौष्टिक आहार पचाने की शक्ति बढ़ती है। इस प्रकार शरीर नीरोग, स्वस्थ, शक्तिशाली और फुर्तीला रहता है।

5. सहयोग की भावना (Spirit of Co-operation):
शारीरिक शिक्षा प्रत्येक खिलाड़ी को प्रत्येक छोटे-बड़े खिलाड़ी के साथ मिल-जुलकर खेलना सिखाती है। वह अपने विचारों को दूसरों पर ज़बरदस्ती नहीं थोपता, बल्कि विचार-विमर्श द्वारा मैच के दौरान साझी विचारधारा बनाता है। इस प्रकार उसमें सहयोग की भावना पैदा होती है जिससे समाज उन्नति की ओर अग्रसर होता है।

6. चरित्र का विकास (Development of Character):
शारीरिक शिक्षा ऐसी क्रिया है, जिसमें खिलाड़ी अपनी प्रत्येक छोटी-से-छोटी हरकत द्वारा विभिन्न लोगों; जैसे अध्यापक, खेल के समय देखने वाले दर्शक, विरोधी और साथी खिलाड़ियों के मन पर अपना प्रभाव डालता है। इस प्रकार खिलाड़ी का आचरण उभरकर सामने आता है। इस प्रकार शारीरिक शिक्षा व्यक्ति में अनेक चारित्रिक गुणों का विकास करती है।

7.आज्ञा का पालन (Obedience):
शारीरिक शिक्षा के कारण ही खेलों में भाग लेने वाला व्यक्ति प्रत्येक बड़े-छोटे खिलाड़ी की आज्ञा का पालन करता है। खेल एक ऐसी क्रिया है जिसमें रैफ़री की आज्ञा और नियमों का पालन करना बड़ा आवश्यक है। इस प्रकार खिलाड़ी आज्ञा का पालन करने वाला बन जाता है।

8. सहनशीलता (Tolerance):
खेलों में भाग लेने वाला दूसरों के विचारों का आदर करता है और खेल में रोक-टोक नहीं करता, अपितु सहनशीलतापूर्वक दूसरों के विचारों का आदर करता है। वह जीतने पर अपना आपा नहीं गंवाता और हार जाने पर निराश नहीं होता। इस प्रकार इसमें इतनी सहनशीलता आ जाती है कि हार-जीत का उस पर कोई प्रभाव नहीं होता।

9. खाली समय का उचित प्रयोग (Proper Use of Leisure Time):
यदि बेकार समय का प्रयोग सही ढंग से न किया जाए तो मनुष्य दिमागी बुराइयों में फंस जाता है। इसलिए शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत खेलों में भाग लेने वाला व्यक्ति अपने अतिरिक्त समय का प्रयोग खेलों में भाग लेकर करता है। इस प्रकार वह अपने अतिरिक्त समय में बुरी आदतों और विचारों से दूर रहता है। इस प्रकार वह अपने जीवन को सुखमय बनाता है और समाज का जिम्मेदार नागरिक बनता है।

10. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन (Promotion of International Co-operation):
ऐसे समय भी आते हैं, जब खिलाड़ियों को भिन्न-भिन्न देशों और अनेक खिलाड़ियों से मिलने का अवसर मिलता है। इस प्रकार शारीरिक शिक्षा के कारण एक-दूसरे के मेल-जोल से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन मिलता है।

11. जातीय भेदभाव का अंत (End of Racial Difference):
शारीरिक शिक्षा जातीय भेदभाव का अंत करके राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा करती है। खेल एक ऐसी क्रिया है, जिसमें बिना धर्म, मज़हब और श्रेणी के आधार पर भाग लिया जाता है।

12. परिवार एवं समाज का स्वास्थ्य (Family and Social Health):
परिवार एवं समाज के स्वास्थ्य में भी शारीरिक शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान है। शारीरिक शिक्षा मनुष्य को न केवल अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने की कुशलता प्रदान करती है, अपितु यह उसे अपने परिवार एवं समाज के स्वास्थ्य को ठीक रखने में भी सहायता करती है। इस तरह से शारीरिक शिक्षा के द्वारा मनुष्य स्वयं अपने समाज के स्वास्थ्य की देखभाल भली-भाँति कर सकता है।

13. जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक (Helpful in Achieving Aim of Life):
शारीरिक शिक्षा अपने कार्यक्रमों द्वारा मनुष्य को अपने जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति के मौके प्रदान करती है। यदि मनुष्य को अपने लक्ष्य का ज्ञान हो तो शारीरिक शिक्षा उसे ऐसे मौके प्रदान करती है जिनकी मदद से वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकता है।

14. मुकाबले की भावना (Spirit of Competition):
शारीरिक शिक्षा में खेली जाने वाली खेलें व्यक्ति के भीतर मुकाबले की भावना उत्पन्न करती हैं। प्रत्येक खिलाड़ी अपने विरोधी खिलाड़ी से बढ़िया खेलने का प्रयास करता है। मुकाबले की यह भावना खिलाड़ी को हमेशा विकास की मंजिल की ओर ले जाती है और वह निरंतर आगे बढ़ता जाता है। व्यक्ति के आगे बढ़ने से समाज पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

15. आत्म-अभिव्यक्ति (Self-expression):
शारीरिक शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को आत्म-अभिव्यक्ति का अवसर देती है। खेल का मैदान आत्म-अभिव्यक्ति का गुण सिखाने का प्रारम्भिक स्कूल है, क्योंकि खेल का मैदान ही एक ऐसा साधन है, जहाँ खिलाड़ी खुलकर अपने गुणों, कला और निपुणता को दर्शकों के समक्ष उजागर कर सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion): शारीरिक शिक्षा समाजीकरण का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। व्यक्ति किसी भी खेल में खेल के नियमों का पालन करते हुए तथा अपनी टीम के हित को सामने रखते हुए भाग लेता है। वह अपनी टीम को पूरा सहयोग देता है। वह हार-जीत को समान समझता है। उसमें अनेक सामाजिक गुण; जैसे सहनशीलता, धैर्यता, अनुशासन, सहयोग आदि विकसित होते हैं। इस प्रकार. शारीरिक शिक्षा व्यक्ति व समाज के विकास में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रश्न 2. शारीरिक शिक्षा समूचे व्यक्तित्व का विकास करती है स्पष्ट कीजिए।
                          अथवा
शारीरिक शिक्षा पूर्ण व्यक्तित्व के विकास में सबसे आवश्यक है। विस्तारपूर्वक लिखें।
                         अथवा
“शारीरिक शिक्षा संपूर्ण व्यक्त्वि की शिक्षा होती है।” इस कथन पर विचार करें। यह कहाँ तक तर्क-संगत है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास को अपना उद्देश्य बनाती है। शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति में त्याग, निष्पक्षता, मित्रता की भावना, सहयोग, स्व-नियंत्रण, आत्म-विश्वास और आज्ञा की पालना करने जैसे गुणों का विकास होता है। शारीरिक शिक्षा द्वारा सहयोग करने की भावना में वृद्धि होती है। परिणामस्वरूप यह स्वस्थ समाज की स्थापना होती है। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि शारीरिक शिक्षा मनुष्य के संपूर्ण विकास में सहायक होती है। यह बात निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होती है..

1. नेतृत्व का विकास (Development of Leadership):
शारीरिक शिक्षा में नेतृत्व करने के अनेक अवसर प्राप्त होते हैं; जैसे क्रिकेट टीम में टीम का कैप्टन, निष्पक्षता, सूझबूझ और भावपूर्ण ढंग से खेल की रणनीति तैयार करता है। जब किसी खेल के नेता को खेल से पहले शरीर गर्माने के लिए नियुक्त किया जाता है, तब भी नेतृत्व की शिक्षा दी जाती है। कई बार प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन करना भी नेतृत्व के विकास में सहायता करता है।

2. अनुशासन का विकास (Development of Discipline):
शारीरिक शिक्षा हमें अनुशासन का अमूल्य गुण भी सिखाती है। हमें अनुशासन में रहते हुए और खेल के नियमों का पालन करते हुए खेलना पड़ता है। इस प्रकार खेल अनुशासन के महत्त्व में वृद्धि करते हैं। यह भी एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक गुण है। खेल में अयोग्य करार दिए जाने के डर से खिलाड़ी अनुशासन भंग नहीं करते। वे अनुशासन में रहकर ही खेलते हैं।

3. सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार का विकास (Development of Sympathetic Attitude):
खेल के दौरान यदि कोई खिलाड़ी घायल हो जाता है तो दूसरे सभी खिलाड़ी उसके प्रति हमदर्दी की भावना रखते हैं। ऐसा हॉकी अथवा क्रिकेट खेलते समय देखा भी जा सकता है। यह गुण व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

4. राष्ट्रीय एकता का विकास (Development of National Integration):
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जिससे राष्ट्रीय एकता में वृद्धि की जा सकती है। खेलें खिलाड़ियों में सांप्रदायिकता, असमानता, प्रांतवाद और भाषावाद जैसे अवगुणों को दूर करती है। इसमें नागरिकों को ऐसे अनेक अवसर मिलते हैं, जब उनमें सहनशीलता, सामाजिकता, बड़ों का सत्कार, देश-भक्ति और राष्ट्रीय आचरण जैसे गुण विकसित होते हैं । ये गुण व्यक्ति में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हैं और उसके व्यक्तित्व को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

5. व्यक्तित्व का विकास (Development of Personality):
मीड के अनुसार खेलें बच्चों के आत्म-विकास में बहुत सहायता करती हैं। बचपन में बच्चा कम आयु वाले बच्चों के साथ खेलता है परंतु जब वह बड़ा हो जाता है तो क्रिकेट, फुटबॉल अथवा वॉलीबॉल आदि खेलता है। ये खेलें व्यक्तित्व का विकास करती हैं। इनके द्वारा बच्चे के भीतरी गुण बाहर आते हैं । जब बच्चे मिलजुल कर खेलते हैं तो उनमें सहयोग का गुण विकसित हो जाता है।

6. शारीरिक विकास (Physical Development):
शारीरिक शिक्षा संबंधी क्रियाएँ शारीरिक विकास का माध्यम हैं। शारीरिक क्रियाएँ माँसपेशियों को मजबूत, रक्त का बहाव ठीक रखने, पाचन शक्ति में बढ़ोत्तरी और श्वसन क्रिया को ठीक रखने में सहायक हैं। शारीरिक क्रियाएँ न केवल भिन्न-भिन्न प्रणालियों को स्वस्थ और ठीक रखती हैं, बल्कि उनके आकार, शक्ल और कुशलता में भी बढ़ोत्तरी करती हैं।

7. उच्च नैतिकता की शिक्षा (Lesson of High Morality):
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति में खेल भावना (Sportsman Spirit) उत्पन्न करती है। यह इस बात में भी सहायता करती है कि खिलाड़ी का स्तर नैतिक दृष्टि से ऊँचा रहे तथा वह पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ अपने उद्देश्य की ओर अग्रसर होता रहे।

8. भावनात्मक संतुलन (Emotional Balance):
भावनात्मक संतुलन भी व्यक्तित्व के पूर्ण विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शारीरिक शिक्षा अनेक प्रकार से भावनात्मक संतुलन बनाए रखती है। बच्चे को बताया जाता है कि वह विजय प्राप्त करने के बाद आवश्यकता से अधिक प्रसन्न न हो और हार के गम को भी सहज भाव से ले। इस तरह भावनात्मक संतुलन एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए अत्यावश्यक है।
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9. सामाजिक विकास (Social Development):
शारीरिक शिक्षा समूचे व्यक्तित्व का विकास इस दृष्टि से भी करती है कि व्यक्ति में अनेक प्रकार के सामाजिक गुण आ जाते हैं। उदाहरणतया सहयोग, टीम भावना, उत्तरदायित्व की भावना और नेतृत्व जैसे गुण भी बच्चे में खेलों द्वारा ही उत्पन्न होते हैं। ये गुण बड़ा होने पर अधिक विकसित हो जाते हैं। फलस्वरूप बच्चा एक अच्छा नागरिक बनता है।

10. खाली समय का उचित उपयोग (Proper Use of Leisure Time):
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को उसका अतिरिक्त समय . सही ढंग से व्यतीत करना सिखाती है। यह आदत एक बार घर कर जाने से जीवन भर उसके साथ रहती है। यह आदत व्यक्ति को नियमित सामाजिक प्राणी बनाती है।

निष्कर्ष (Conclusion): संक्षेप में हम कह सकते हैं कि शारीरिक शिक्षा बच्चों में न केवल भीतरी गुणों को ही व्यक्त करती है, अपितु यह उनके व्यक्तित्व के विकास में भी सहायक होती है। यह बच्चे में कई प्रकार के सामाजिक गुण पैदा करती है और उसमें भावनात्मक संतुलन बनाए रखती है। यही कारण है कि शारीरिक शिक्षा सामाजिक-वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 3. शारीरिक शिक्षा किस प्रकार व्यक्ति के अंदर छिपे हुए गुणों को बाहर निकालकर उसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करने में सहायता करती है? वर्णन करें।
                                अथवा
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति की आत्म अनुभूति के विकास में किस प्रकार से अपना योगदान देने में सहायक होती है? 
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के अंदर छिपे हुए गुणों (Latent Qualities) को बाहर निकाल कर उसके व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करने में सहायता करती है। यह मनुष्य में आत्म-अनुभूति का गुण उत्पन्न करके उसे आधुनिक युग की जरूरतों के अनुसार ढालने की योग्यता प्रदान करती है। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के अंदर निम्नलिखित गुणों का विकास करती है

1. स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान (Knowledge Related to Health):
शारीरिक शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य संबंधी नियमों का ज्ञान देती है। इससे हमें रोगों संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इसके अलावा शारीरिक शिक्षा हमें संतुलित एवं पौष्टिक भोजन संबंधी जानकारी देती है। स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करके हम अपने-आपको रोगों से बचा सकते हैं और स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

2. मानसिक स्फूर्ति या चुस्ती (Mental Alertness or Agility):
शारीरिक शिक्षा मनुष्य के मन को चुस्त एवं दुरुस्त बनाती है। शारीरिक शिक्षा मनुष्य को उचित समय पर फौरन निर्णय लेने के काबिल बनाती है। इसके परिणामस्वरूप मनुष्य यह विचार कर सकता है कि वह अपनी कार्य-कुशलता और कार्यक्षमता में किस प्रकार वृद्धि करे। एक चुस्त एवं फुर्तीले मन वाला व्यक्ति ही अपने जीवन में कामयाब हो सकता है।

3. संवेगों एवं भावनाओं को नियंत्रित करना (Control Over Emotions and Feelings):
शारीरिक शिक्षा मनुष्य को अपने संवेगों एवं भावनाओं को काबू करना सिखाती है। मनुष्य अपनी समस्याओं को हंसी-खुशी सुलझा लेता है। वह शोक, घृणा, उन्माद, उल्लास, खुशी आदि को अधिक महत्त्व नहीं देता। उसके लिए सफलता या असफलता का कोई महत्त्व नहीं होता। वह असफल होने पर साहस नहीं त्यागता और अपने कार्य में लगा रहता है। इस प्रकार वह अपना कीमती समय एवं शक्ति को अवांछनीय कार्यों में व्यर्थ नहीं गंवाता और अपने समय का सदुपयोग करता है।

4. आदर्श नागरिकता का निर्माण (Formation of Ideal Citizenship):
शारीरिक शिक्षा मनुष्यों में ऐसे गुण उत्पन्न करती है जिनकी मदद से वे आदर्श खिलाड़ी एवं आदर्श दर्शक बन सकते हैं। शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हुए खिलाड़ियों में अनेक ऐसे गुण पैदा हो जाते हैं जो भविष्य में उन्हें आदर्श नागरिक बनने में मदद देते हैं।

5. प्रभावशाली वक्ता (Effective Orator or Speaker):
शारीरिक शिक्षा मनुष्य का शारीरिक विकास करके उसमें पढ़ने-लिखने की क्षमता का भी विकास करती है। स्वस्थ मनुष्य प्रत्येक वस्तु में रुचि लेता है और उसे अपने ढंग से देखता है। इससे पढ़ने-लिखने की कुशलता में बढ़ोतरी होती है। दूसरे, स्वस्थ एवं हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति ही एक अच्छा वक्ता हो सकता है। शारीरिक शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है जिससे वह दूसरे लोगों को प्रभावित कर सकता है। इस प्रकार शारीरिक शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करके उसे एक अच्छा वक्ता बनने के मौके प्रदान करती है।

6. सौंदर्य और कला प्रेमी (Beauty and Art Loving)शारीरिक शिक्षा मनुष्य में सौंदर्य तथा कला के प्रति प्रेम की भावना को जगाती है। आमतौर पर देखने में आता है कि जब कोई खिलाड़ी उत्कृष्ठ खेल प्रदर्शन करता है तो लोग उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहते। एक सुंदर और सुडौल शरीर प्रत्येक व्यक्ति को अच्छा लगता है। प्रत्येक मनुष्य अपने शरीर को अधिक-से-अधिक सुंदर एवं सुडौल बनाने का प्रयत्न करता है।

7. खाली समय का सदुपयोग (Proper Use of Leisure Time):
शारीरिक शिक्षा मनुष्य को अपने खाली समय का सदुपयोग करना सिखाती है। आधुनिक मशीनी युग में मशीनों की सहायता से दिनों का काम घंटों में तथा घंटों का काम मिनटों में हो जाता है। इस प्रकार दिनभर का काम पूरा करने के पश्चात् मनुष्य के पास पर्याप्त समय शेष बच जाता है। खाली समय को बिताना उसके लिए एक समस्या बन जाता है। शारीरिक शिक्षा उनकी इस समस्या का समाधान करने में मदद करती है।

प्रश्न 4. नेतृत्व को परिभाषित कीजिए। शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नेता के गुणों का वर्णन कीजिए। अथवा नेतृत्व क्या है? शारीरिक शिक्षा में एक नेता के गुणों की व्याख्या करें।
उत्तर:
नेतृत्व का अर्थ व परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Leadership):
मानव में नेतृत्व की भावना आरंभ से ही होती है। किसी भी समाज की वृद्धि या विकास उसके नेतृत्व की विशेषता पर निर्भर करती है। नेतृत्व व्यक्ति का वह गुण है जिससे वह दूसरे व्यक्तियों के जीवन के विभिन्न पक्षों में मार्गदर्शन करता है। नेतृत्व को विद्वानों ने निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है

1. मॉण्टगुमरी (Montgomery):
के अनुसार, “किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए व्यक्तियों को इकट्ठा करने की इच्छा व योग्यता को ही नेतृत्व कहा जाता है।”

2. ला-पियरे वफावर्थ (La-Pierre and Farnowerth):
के अनुसार, “नेतृत्व एक ऐसा व्यवहार है जो लोगों के व्यवहार पर अधिक प्रभाव डालता है, न कि लोगों के व्यवहार का प्रभाव उनके नेता पर।”

3. पी० एम० जोसेफ (P. M. Joseph):
के अनुसार, “नेतृत्व वह गुण है जो व्यक्ति को कुछ वांछित काम करने के लिए, मार्गदर्शन करने के लिए पहला कदम उठाने के योग्य बनाता है।” .

एक अच्छे नेता के गुण (Qualities of aGood Leader):
प्रत्येक समाज या राज्य के लिए अच्छे नेता की बहुत आवश्यकता होती है क्योंकि वह समाज और राज्य को एक नई दिशा देता है। नेता में एक खास किस्म के गुण होते हैं जिनके कारण वह सभी को एकत्रित कर काम करने के लिए प्रेरित करता है। शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे नेता का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि शारीरिक क्रियाएँ किसी योग्य नेता के बिना संभव नहीं हैं। किसी नेता में निम्नलिखित गुण या विशेषताएँ होमा आवश्यक है।

1. ईमानदारी एवं कर्मठता (Honesty and Energetic):
शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में ईमानदारी एवं कर्मठता एक नेता के महत्त्वपूर्ण गुण हैं। ये उसके व्यक्तित्व में निखार और सम्मान में वृद्धि करते हैं।

2. वफादारी एवं नैतिकता (Loyality and Morality):
शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में वफादारी एवं नैतिकता एक नेता के महत्त्वपूर्ण गुण हैं। उसे अपने शिष्यों या अनुयायियों (Followers) के प्रति वफादार होना चाहिए और विपरीत-से-विपरीत परिस्थितियों में भी उसे अपनी नैतिकता का त्याग नहीं करना चाहिए।

3. सामाजिक समायोजन (Social Adjustment):
एक अच्छे नेता में अनेक सामाजिक गुणों; जैसे सहनशीलता, धैर्यता, सहयोग, सहानुभूति व भाईचारा आदि का समावेश होना चाहिए।

4. बच्चों के प्रति स्नेह की भावना (Affection Feeling towards Children):
नेतृत्व करने वाले में बच्चों के प्रति स्नेह की भावना होनी चाहिए। उसकी यह भावना बच्चों को अत्यधिक प्रभावित करती है।

5. तर्कशील एवं निर्णय-क्षमता (Logical and Decision-Ability):
उसमें समस्याओं पर तर्कशील ढंग से विचार-विमर्श करने की योग्यता होनी चाहिए। वह एक अच्छा निर्णयकर्ता भी होना चाहिए। उसमें उपयुक्त व अनायास ही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए।

6. शारीरिक कौशल (Physical Skill):
उसका स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए। वह शारीरिक रूप से कुशल एवं मजबूत होना चाहिए, ताकि बच्चे उससे प्रेरित हो सकें।

7. बुद्धिमान एवं न्यायसंगत (Intelligent and Fairness):
एक अच्छे नेता में बुद्धिमता एवं न्यायसंगतता होनी चाहिए। एक बुद्धिमान नेता ही विपरीत-से-विपरीत परिस्थितियों का समाधान ढूँढने की योग्यता रखता है। एक अच्छे नेता को न्यायसंगत भी होना । चाहिए ताकि वह निष्पक्ष भाव से सभी को प्रभावित कर सके।

8. शिक्षण कौशल (Teaching Skill):
नेतृत्व करने वाले को विभिन्न शिक्षण कौशलों का गहरा ज्ञान होना चाहिए। उसे विभिन्न शिक्षण पद्धतियों में कुशल एवं निपुण होना चाहिए। इसके साथ-साथ उसे शारीरिक संकेतों व हाव-भावों को व्यक्त करने में भी कुशल होना चाहिए।

9. सृजनात्मकता (Creativity):
एक अच्छे नेता में सृजनात्मकता या रचनात्मकता की योग्यता होनी चाहिए ताकि वह नई तकनीकों या कौशलों का प्रतिपादन कर सके।

10. समर्पण व संकल्प की भावना (Spirit of Dedication and Determination):
उसमें समर्पण व संकल्प की भावना होना बहुत महत्त्वपूर्ण है। उसे विपरीत-से-विपरीत परिस्थिति में भी दृढ़-संकल्पी या दृढ़-निश्चयी होना चाहिए। उसे अपने व्यवसाय के प्रति समर्पित भी होना चाहिए।

11. अनुसंधान में रुचि (Interest in Research):
एक अच्छे नेता की अनुसंधानों में विशेष रुचि होनी चाहिए।

12. आदर भावना (Respect Spirit):
उसमें दूसरों के प्रति आदर-सम्मान की भावना होनी चाहिए। यदि वह दूसरों का आदर नहीं करेगा, तो उसको भी दूसरों से सम्मान नहीं मिलेगा।

13. पेशेवर गुण (Professional Qualities):
एक अच्छे नेता में अपने व्यवसाय से संबंधित सभी गुण होने चाहिएँ।

14. भावनात्मक संतुलन (Emotional Balance):
नेतृत्व करने वाले में भावनात्मक संतुलन का होना बहुत आवश्यक है। उसका अपनी भावनाओं पर पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए।

15. तकनीकी रूप से कुशल (Technically Skilled):
उसे तकनीकी रूप से कुशल या निपुण होना चाहिए।

प्रश्न 5. नेतृत्व (Leadership) क्या है? इसके महत्त्व का विस्तार से वर्णन करें।
                                 अथवा
शारीरिक शिक्षा में नेतृत्व प्रशिक्षण की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डालें।
उत्तर:
नेतृत्व का अर्थ (Meaning of Leadership):
मानव में नेतृत्व की भावना आरंभ से ही होती है। किसी भी समाज की वृद्धि व विकास उसके नेतृत्व की विशेषता पर निर्भर करते हैं। नेतृत्व व्यक्ति का वह गुण है जिससे वह दूसरे व्यक्तियों के जीवन के विभिन्न पक्षों में मार्गदर्शन करता है।

नेतृत्व का महत्त्व (Importance of Leadership):
नेतृत्व की भावना को बढ़ावा देना शारीरिक शिक्षा का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है, क्योंकि इस प्रकार की भावना से मानव के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास होता है। क्षेत्र चाहे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक अथवा शारीरिक शिक्षा का हो या अन्य, हर क्षेत्र में नेता की आवश्यकता पड़ती है। शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है, जिससे उसकी शारीरिक शक्ति, सोचने की शक्ति, व्यक्तित्व में निखार और कई प्रकार के सामाजिक गुणों का विकास होता है। मानव में शारीरिक क्षमता बढ़ने के कारण निडरता आती है जो नेतृत्व का एक विशेष गुण माना जाता है। इसी प्रकार खेलों के क्षेत्र में हम दूसरों के साथ सहयोग के माध्यम से लक्ष्य प्राप्त करना सीख जाते हैं। व्यक्तिगत एवं सामूहिक खेलों में व्यक्ति को अच्छे नेता के सभी गुणों को ग्रहण करने का अवसर मिलता है।
अध्यापक शारीरिक शिक्षा के माध्यम से नेतृत्व की भावना व शारीरिक शिक्षा का विस्तार करने तथा प्रशिक्षण देने में अपने शिष्यों को कई अवसर प्रदान कर सकता है। कक्षा, शिविरों में और शारीरिक शिक्षा कार्यक्रमों के आयोजन के अन्य अवसरों पर ध्यान देने से अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं। इस क्षेत्र के कुछ उचित अवसर इस प्रकार हैं

(1) खेल मैदान की तैयारी और खेल सामग्री की देखभाल की समितियों के सदस्य बनाना।
(2) सामूहिक व्यायाम का नेता बमाना।
(3) खेल-खिलाने तथा अन्य अवसरों पर अधिकारी बनाना।
(4) विद्यालय की टीम का कप्तान बनाना।
(5) कक्षा का मॉनीटर अथवा टोली का नेता बनाना।
(6) छोटे-छोटे खेलों को सुचारु रूप से चलाने के अवसर प्रदान करना।
(7) विद्यालय की विभिन्न समितियों के सदस्य नियुक्त करना।

प्राचीनकाल में बच्चों तथा व्यक्तियों को मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, शारीरिक तथा नैतिक विशेषताओं तथा आवश्यकताओं का ज्ञान नहीं था। आज के वैज्ञानिक युग में पूर्ण व्यावसायिक योग्यता के बिना काम नहीं चल सकता, क्योंकि नेताओं की योग्यता पर ही किसी व्यवसाय की उन्नति निर्भर करती है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शारीरिक शिक्षा के क्षेत्रों में कई प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं; जैसे ग्वालियर, चेन्नई, पटियाला, चंडीगढ़, लखनऊ, हैदराबाद, मुंबई, अमरावती और कुरुक्षेत्र आदि। इन केंद्रों में शारीरिक शिक्षा के अध्यापकों को इस क्षेत्र के नेताओं के रूप में प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे शारीरिक शिक्षा की ज्ञान रूपी ज्योति को अधिक-से-अधिक

फैला सकें और अपने नेतृत्व के अधीन अधिक-से-अधिक विद्यार्थियों में नेतृत्व के गुणों को विकसित कर सकें। विद्यार्थी देश का भविष्य होते हैं और एक कुशल व आदर्श अध्यापक ही शारीरिक शिक्षा के द्वारा अच्छे समाज व राष्ट्र के निर्माण में सहायक हो सकता है। शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र और मैदान नेतृत्व के गुण को उभारने में कितना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है यह प्रस्तुत कथन से सिद्ध होता है”The battle of Waterloo was won in the play fields of Eton.” अर्थात् वाटरलू का प्रसिद्ध युद्ध, ईटन के खेल के मैदान में जीता गया। यह युद्ध अच्छे नेतृत्व के कारण जीता गया। इस प्रकार स्पष्ट है कि नेतृत्व का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1. समाज (Society) से आपका क्या अभिप्राय है?
                      अथवा
समाज की अवधारणा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
व्यावहारिक रूप से समाज (Society) शब्द का प्रयोग मानव समूह के लिए किया जाता है परन्तु वास्तविक रूप से समाज मानव समूह के अंतर्गत व्यक्तियों के संबंधों की व्यवस्था का नाम है। समाज स्वयं में एक संघ है जो सामाजिक व औपचारिक संबंधों का जाल है। मानव बुद्धिजीवी है इसलिए हमें सामाजिक प्राणी कहा जाता है। परिवार सामाजिक जीवन की सबसे छोटी एवं महत्त्वपूर्ण इकाई है। परिवार,के बाद दूसरी महत्त्वपूर्ण इकाई विद्यालय है। विद्यालय बच्चों को देश-विदेश के इतिहास, भाषा, विज्ञान, गणित, कला एवं भूगोल की जानकारी प्रदान करते हैं।

कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थान व्यक्ति को मुख्य विषयों के बारे में जानकारी देते हैं। ‘परिवार और शिक्षण संस्थाओं के बाद व्यक्ति के लिए उसका पड़ोस और आस-पास का क्षेत्र आता है। पड़ोस अलग-अलग जातीय समुदाय से संबंधित हो सकते हैं। परन्तु पड़ोस में रहने वाले सभी व्यक्तियों का कल्याण इस बात में है कि वे मिल-जुल कर शान्ति से रहें, पड़ोस में आमोद-प्रमोद का स्वच्छ वातावरण बनाएँ और एक-दूसरे के दुःख-दर्द में शामिल हों। जैसे-जैसे पारिवारिक पड़ोस में वृद्धि होती जाती है वैसे-वैसे सामाजिक क्षेत्र का दायरा बढ़ता जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि समाज की धारणा व्यापक एवं विस्तृत है।

प्रश्न 2. शारीरिक शिक्षा किस प्रकार सामाजिक मूल्यों को बढ़ाती है?
                    अथवा
शारीरिक शिक्षा सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार, सहनशीलता, सहयोग व धैर्यता बढ़ाने में किस प्रकार सहायक होती है?
                    अथवा
शारीरिक शिक्षा से मनुष्य में कौन-कौन-से सामाजिक गुण विकसित होते हैं?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा सामाजिक मूल्यों को निम्नलिखित प्रकार से बढ़ाती है

1. सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार;
खेल के दौरान यदि कोई खिलाड़ी घायल हो जाता है तो दूसरे सभी खिलाड़ी उसके प्रति हमदर्दी की भावना रखते हैं। ऐसा हॉकी अथवा क्रिकेट खेलते समय देखा भी जा सकता है। जब भी किसी खिलाड़ी को चोट लगती है तो सभी खिलाड़ी हमदर्दी प्रकट करते हुए उसकी सहायता के लिए दौड़ते हैं। यह गुण व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

2. सहनशीलता व धैर्यता:
मानव के समुचित विकास के लिए सहनशीलता व धैर्यता अत्यन्त आवश्यक मानी जाती है। जिस व्यक्ति में सहनशीलता व धैर्यता होती है वह स्वयं को समाज में भली-भाँति समायोजित कर सकता है। शारीरिक शिक्षा अनेक ऐसे अवसर प्रदान करती है जिससे उसमें इन गुणों को बढ़ाया जा सकता है।

3. सहयोग की भावना:
समाज में रहकर हमें एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करना पड़ता है। शारीरिक शिक्षा के माध्यम से सहयोग की भावना में वृद्धि होती है। सामूहिक खेलों या गतिविधियों से व्यक्तियों या खिलाड़ियों में सहयोग की भावना बढ़ती है। यदि कोई खिलाड़ी अपने खिलाड़ियों से सहयोग नहीं करेगा तो उसका नुकसान न केवल उसको होगा बल्कि उसकी टीम को भी होगा। शारीरिक शिक्षा इस भावना को सुदृढ़ करने में सहायक होती है।

4. अनुशासन की भावना:
अनुशासन को शारीरिक शिक्षा की रीढ़ की हड्डी कहा जा सकता है। अनुशासन की सीख द्वारा शारीरिक शिक्षा न केवल व्यक्ति के विकास में सहायक है, बल्कि यह समाज को अनुशासित नागरिक प्रदान करने में भी सक्षम है।

प्रश्न 3. नेतृत्व (Leadership) से आप क्या समझते हैं? कोई दो परिभाषाएँ बताएँ।
                           अथवा
नेतृत्व की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मानव में नेतृत्व की भावना आरंभ से ही होती है। किसी भी समाज की वृद्धि या विकास उसके नेतृत्व की विशेषता पर निर्भर करती है। नेतृत्व व्यक्ति का वह गुण है जिससे वह दूसरे व्यक्तियों के जीवन के विभिन्न पक्षों में मार्गदर्शन करता है।
1. मॉण्टगुमरी के अनुसार, “किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए व्यक्तियों को इकट्ठा करने की इच्छा तथा योग्यता को ही नेतृत्व कहा जाता है।”
2. ला-पियरे व फा!वर्थ के अनुसार, “नेतृत्व एक ऐसा व्यवहार है जो लोगों के व्यवहार पर अधिक प्रभाव डालता है न कि लोगों के व्यवहार का प्रभाव उनके नेता पर।”

प्रश्न 4. हमें एक नेता की आवश्यकता क्यों होती है?
                अथवा
एक नेता के मुख्य कार्य बताइए।
                अथवा
एक अच्छे नेता के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रत्येक समाज या देश के लिए एक अच्छा नेता बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि वह समाज और देश को एक नई दिशा देता है। नेता जनता का प्रतिनिधि होता है। वह जनता की समस्याओं को सरकार या प्रशासन के सामने प्रस्तुत करता है। वह सरकार या प्रशासन को लोगों की आवश्यकताओं व समस्याओं से अवगत करवाता है। वह लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रयास करता है। एक नेता के माध्यम से ही जनता अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एवं समस्याओं के निवारण हेतु प्रयास करती है। इसलिए हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एवं समस्याओं के निवारण हेतु एक नेता की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5. एक अच्छे नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिएँ?
उत्तर:
नेता में एक खास किस्म के गुण होते हैं जिनके कारण वह सभी को एकत्रित कर काम करने के लिए प्रेरित करता है। एक अच्छे नेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिएँ-
(1) एक अच्छे नेता में पेशेवर प्रवृत्तियों का होना अति आवश्यक है। अच्छी पेशेवर प्रवृत्तियों का होना न केवल नेता के लिए आवश्यक है बल्कि समाज के लिए भी अति-आवश्यक है।
(2) एक अच्छे नेता की सोच सकारात्मक होनी चाहिए, ताकि बच्चे और समाज उससे प्रभावित हो सकें।
(3) उसमें ईमानदारी, निष्ठा, समय-पालना, न्याय-संगतता एवं विनम्रता आदि गुण होने चाहिएँ।
(4) उसके लोगों के साथ अच्छे संबंध होने चाहिएँ।
(5) उसमें भावनात्मक संतुलन एवं सामाजिक समायोजन की भावना होनी चाहिए।
(6) उसे खुशमिजाज तथा कर्मठ होना चाहिए।
(7) उसमें बच्चों के प्रति स्नेह और बड़ों के प्रति आदर-सम्मान की भावना होनी चाहिए।
(8) उसका स्वास्थ्य भी अच्छा होना चाहिए, क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य अच्छी आदतें विकसित करने में सहायक होता है।
(9) उसका मानसिक दृष्टिकोण सकारात्मक एवं उच्च-स्तर का होना चाहिए।

प्रश्न 6. शारीरिक शिक्षा में नेतृत्व के अवसर कब-कब प्राप्त होते हैं? वर्णन करें।
                           अथवा
शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में नेतृत्व का गुण कैसे विकसित किया जा सकता है? ।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम में कभी-कभी ऐसे अवसर आते हैं, जहाँ विद्यार्थी को नेतृत्व की जरूरत होती है। विद्यार्थी को नेतृत्व करने के अवसर निम्नलिखित क्षेत्रों में दिए जा सकते हैं
(1) विद्यार्थियों द्वारा शारीरिक शिक्षा में प्रशिक्षण क्रियाओं या अभ्यास क्रियाओं का नेतृत्व करना।
(2) समूह खेलों का आयोजन करवाकर नेतृत्व का गुण विकसित करना।
(3) खेल मैदान की तैयारी और खेल सामग्री की देखभाल की समितियों के सदस्य बनाना।
(4) सामूहिक व्यायाम का नेता बनाना।
(5) खेल-खिलाने तथा अन्य अवसरों पर अधिकारी बनाना।
(6) विद्यालय की टीम का कप्तान बनाना।
(7) कक्षा का मॉनीटर बनाना।
(8) छोटे-छोटे खेलों को सुचारु रूप से चलाने के अवसर प्रदान करना।
(9) विद्यालय की विभिन्न समितियों के सदस्य नियुक्त करना।

इस तरह अध्यापक विद्यार्थियों में नेतृत्व का गुण विकसित करने में सहायता करता है। इससे विद्यार्थी नेता में स्वाभिमान की भावना पैदा होती है। विद्यार्थी देश का भविष्य होते हैं। एक आदर्श अध्यापक ही शारीरिक शिक्षा के द्वारा अच्छे समाज व राष्ट्र के निर्माण में सहायक हो सकता है।

प्रश्न 7. नेतृत्व अथवा नेता के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर-नेतृत्व/नेता के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं
1. संस्थागत नेता:
इस प्रकार के नेता संस्थाओं के मुखिया होते हैं। स्कूल, कॉलेज, परिवार, फैक्टरी या दफ्तर आदि को मुखिया की आज्ञा का पालन करना पड़ता है।

2. प्रभुता:
संपन्न या तानाशाही नेता-इस प्रकार का नेतृत्व एकाधिकारवाद पर आधारित होता है। इस प्रकार का नेता अपने आदेशों का पालन शक्ति से करवाता है और यहाँ तक कि समूह का प्रयोग भी अपने हित के लिए करता है। यह नेता नियम और आदेशों को समूह में लागू करने का अकेला अधिकारी होता है। स्टालिन, नेपोलियन और हिटलर इस प्रकार के नेता के उदाहरण हैं।

3. आदर्शवादी या प्रेरणात्मक नेता:
इस प्रकार का नेता समूह पर अपना प्रभाव तर्क-शक्ति से डालता है और समूह अपने नेता के आदेशों का पालन अक्षरक्षः (ज्यों-का-त्यों) करता है। समूह के मन में अपने नेता के प्रति सम्मान होता है। नेता समूह या लोगों की भावनाओं का आदर करता है। महात्मा गाँधी, अब्राहम लिंकन, जवाहरलाल नेहरू और लालबहादुर शास्त्री इस तरह के नेता थे।

4. विशेषज्ञ नेता:
समूह में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको किसी विशेष क्षेत्र में कुशलता हासिल होती है और वे अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। ये नेता अपनी कुशल सेवाओं को समूह की बेहतरी के लिए इस्तेमाल करते हैं और समूह इन कुशल सेवाओं से लाभान्वित होता है। इस तरह के नेता अपने विशेष क्षेत्र; जैसे डॉक्टरी, प्रशिक्षण, इंजीनियरिंग तथा कला-कौशल के विशेषज्ञ होते हैं।

प्रश्न 8. शारीरिक शिक्षा या खेलकूद का व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ता है?
                         अथवा
व्यक्ति के विकास में शारीरिक शिक्षा का क्या योगदान है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा या खेलकूद का लक्ष्य मानव के व्यक्तित्व का विकास इस प्रकार करना है कि वह जीवन की जटिलताओं के उतार-चढ़ाव को सहन कर सके तथा समाज का सम्मानित नागरिक बन सके। व्यक्ति का व्यक्तित्व तीन पक्षों पर आधारित है
(1) मानसिक पक्ष,
(2) शारीरिक पक्ष,
(3) सामाजिक पक्ष।

इन तीनों पक्षों के विकास से ही अच्छे नागरिक का निर्माण होता है। शारीरिक शिक्षा या खेलकूद के माध्यम से शारीरिक व्यक्तित्व निखरता है, इस बात को सभी मानते हैं। शारीरिक व्यक्तित्व का अर्थ है-अच्छा स्वास्थ्य व स्वस्थ दिमाग। अतः शारीरिक व्यक्तित्व के निखरने पर मानसिक पक्ष पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार मनुष्य अच्छे-बुरे को समझने की क्षमता रखने लगता है। यही क्षमता उसके सामाजिक व्यक्तित्व का निर्माण करती है। अतः प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से खेलकूद व्यक्ति के व्यक्तित्व पर अमिट प्रभाव डालते हैं जो उसके भावी जीवन का आधार बनते हैं।

प्रश्न 9. दर्शक कैसे अच्छे खिलाड़ी बन सकते हैं?
उत्तर:
दर्शन को अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए निम्नलिखित गुण अपनाने आवश्यक हैं
(1) यदि रैफरी अथवा अंपायर उनकी इच्छानुसार निर्णय न दे तो वह अपना रोष प्रकट करने के लिए अनुचित ढंग न प्रयोग करें।
(2) वे अपने साथी दर्शकों के साथ इस कारण ही न लड़ाई-झगड़ा करें, क्योंकि वे विरोधी टीम के पक्ष में हैं।
(3) वे बढ़िया खेल को उत्साहित करने में किसी प्रकार का व्यवधान न डालें।
(4) वे जिस टीम के पक्ष में हैं, यदि वह मैच हार रही है तो दुर्व्यवहार का प्रदर्शन न करें और न ही खेल के मैदान में पत्थर, कंकर, बोतलें अथवा कूड़ा-कर्कट फेंककर खेल में रुकावट डालें।

प्रश्न 10. आदिकाल में खेलों को मनुष्य ने अपने जीवन का सहारा क्यों बनाया?
उत्तर:
आदिकाल में मनुष्य भागना, कूदना और उछलना जैसी क्रियाएँ करता था। ये मौलिक क्रियाएँ आधुनिक खेलों की आधार हैं। आदिकाल में मनुष्य ये क्रियाएँ अपने जीवन निर्वाह के लिए शिकार करने और निजी सुरक्षा के लिए करता था। मनुष्य की आवश्यकता ने नेज़ा मारने का अभ्यास, तीरंदाजी और पत्थर मारने जैसी खेलों को जन्म दिया। ये आदिकालीन खेलें जहाँ मनुष्य के जीवन निर्वाह के लिए जरूरी थीं, वहीं उनको आत्मिक प्रसन्नता भी देती थीं।

प्रश्न 11. मानव का विकास समाज से संभव है। व्याख्या करें। अथवा मनुष्य और समाज का परस्पर क्या संबंध है?
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। आधुनिक युग में मानव-संबंधों की आवश्यकता पहले से अधिक अनुभव की जाने लगी है। कोई भी व्यक्ति अपने-आप में पूर्ण नहीं है। किसी-न-किसी कार्य के लिए उसे दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है। इन्हीं जरूरतों के कारण समाज में अनेक संगठनों की स्थापना की गई है। समाज द्वारा ही मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। अतः मनुष्य समाज पर आश्रित रहता है तथा इसके द्वारा ही उसका विकास संभव है।

प्रश्न 12. शारीरिक शिक्षा हानिकारक मानसिक प्रभावों को किस प्रकार कम करती है? अथवा शारीरिक शिक्षा मनोवैज्ञानिक व्याधियों को कम करती है, कैसे?
उत्तर:
आधुनिक युग में व्यक्ति का अधिकतर काम मानसिक हो गया है। उदाहरण के रूप में, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, दार्शनिक, गणित-शास्त्री आदि सभी बुद्धिजीवी मानसिक कार्य अधिक करते हैं। मानसिक कार्यों से हमारे नाड़ी तंत्र (Nervous System) पर दबाव पड़ता है। इस दबाव को कम करने या समाप्त करने के लिए हमें अपने काम में परिवर्तन लाने की जरूरत है। यह परिवर्तन मानसिक सुख पैदा करता है। सबसे लाभदायक परिवर्तन शारीरिक व्यायाम है। जे०बी० नैश का कहना है कि जब कोई विचार उसके दिमाग में आता है तो परिस्थिति बदल जाने पर भी वह विचार उसके दिमाग में चक्कर काटने लगता है तो इससे पीछा छुड़वाने के लिए अपने आपको दूसरे कामों में लगा लेता हूँ ताकि उसका दिमाग तसेताजा हो सके। इसलिए सभी लोगों को मानसिक उलझनों से छुटकारा पाने के लिए खेलों में भाग लेना चाहिए, क्योंकि खेलें मानसिक तनाव को दूर करती हैं। इस प्रकार हानिकारक प्रभावों को कम करने में शारीरिक शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रश्न 13. शारीरिक शिक्षा किस प्रकार रोगों की रोकथाम में सहायता करती है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा निम्नलिखित प्रकार से रोगों की रोकथाम में सहायता करती है
(1) शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने में सहायता करती है और मजबूत एवं सुडौल शरीर किसी भी प्रकार की बीमारी से लड़ सकता है।

(2) शारीरिक शिक्षा व्यक्तियों व छात्रों को शारीरिक संस्थानों का ज्ञान प्रदान करती है। शारीरिक संस्थानों की जानकारी होने से वे अपने शरीर एवं स्वास्थ्य के प्रति सक्षम रहते हैं।

(3) शारीरिक शिक्षा अच्छी आदतों को विकसित करने में सहायता करती है; जैसे हर रोज दाँतों पर ब्रश करना, भोजन करने से पहले हाथ साफ करना, सुबह-शाम सैर करना आदि।

(4) शारीरिक शिक्षा पौष्टिक एवं संतुलित आहार के महत्त्व के बारे में जानकारी देती है। पौष्टिक एवं संतुलित आहार करने से हमारे शरीर की कार्यक्षमता और रोग निवारक क्षमता बढ़ती है।

(5) शारीरिक क्रियाएँ माँसपेशियों को मजबूत, रक्त के प्रवाह को ठीक और पाचन शक्ति में बढ़ोत्तरी करने में सहायक होती हैं।

(6) शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाना है। इसलिए यह व्यक्तियों को अनेक रोगों के लक्षण, कारण एवं नियंत्रण के उपायों से अवगत करवाती है।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1. समाज क्या है?
उत्तर:
व्यावहारिक रूप से समाज (Society):
शब्द का प्रयोग मानव समूह के लिए किया जाता है परन्तु वास्तविक रूप से समाज मानव समूह के अंतर्गत व्यक्तियों के संबंधों की व्यवस्था का नाम है। समाज स्वयं में एक संघ है जो सामाजिक व औपचारिक संबंधों का जाल है।

प्रश्न 2. समाज की कोई दो परिभाषाएँ दीजिए। अथवा समाज को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1. राइट के अनुसार, “समाज व्यक्तियों का एक समूह ही नहीं है, बल्कि यह समूह के व्यक्तियों के बीच पाए जाने वाले संबंधों की व्यवस्था है।”
2. गिडिंग्स के अनुसार, “समाज स्वयं वह संगठन व औपचारिक संबंधों का योग है जिसमें सहयोग देने वाले व्यक्ति परस्पर बंधे रहते हैं।”

प्रश्न 3. क्या मध्यकाल में खेलें केवल मन बहलाने के लिए ही खेली जाती थीं?
उत्तर:
मध्यकाल में खेलें मन बहलाने का साधन थीं परंतु यह हृष्टता-पुष्टता, जोश, ज़ज्बात और शक्ति के दिखावे के लिए भी खेली जाती थीं। खेलों का प्रचलन शक्तिशाली और जोशीले सैनिक तैयार करना भी था। रोमवासियों ने खेलों के हिंसक रूप को भी अपनाया हुआ था। यूनानवासियों ने खेलों को आपसी प्यार और मित्रता में वृद्धि करने के लिए खेला।

प्रश्न 4. शारीरिक शिक्षा परिवार व समाज के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर:
परिवार एवं समाज के स्वास्थ्य में शारीरिक शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान है। शारीरिक शिक्षा मनुष्य को न केवल अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने की कुशलता प्रदान करती है, अपितु यह उसे अपने परिवार एवं समाज के स्वास्थ्य को भी ठीक रखने में सहायता करती है। इस तरह से शारीरिक शिक्षा के द्वारा मनुष्य स्वयं अपने परिवार एवं अपने समाज के स्वास्थ्य की देखभाल भली-भाँति कर सकता है।

प्रश्न 5. एक अच्छा खिलाड़ी सफलता के लिए क्या-क्या करता है?
उत्तर:
एक अच्छा खिलाड़ी सफलता के लिए कठोर परिश्रम का सहारा लेता है। वह सफलता के लिए अयोग्य तरीकों का प्रयोग नहीं करता, अपितु देश की आन और खेल की मर्यादा के लिए दूसरों को परिश्रम करने और साफ-सुथरा खेल खेलने के लिए प्रेरित करता है। वह विरोधी खिलाड़ियों को भी अपने साथी समझता है।

प्रश्न 6. खेलें खिलाड़ी में कौन-कौन से गुण पैदा करती हैं?
उत्तर:
खेलें खिलाड़ी को आज्ञा पालन करने वाला, समय का सदुपयोग करने वाला, दूसरों के विचारों का सम्मान करने वाला, सहनशील, स्वस्थ और फुर्तीला खिलाड़ी बना देती हैं। खेलों के द्वारा खिलाड़ियों में दूसरों के साथ मिलकर रहना, उनको अपने बराबर समझना जैसे सामाजिक गुण आ जाते हैं। खिलाड़ी सत्य बोलने वाले, चरित्रवान, नैतिक मूल्यों का पालन करने वाले बन जाते हैं।

प्रश्न 7. खेलों में भाग लेने से शरीर नीरोगी कैसे होता है?
उत्तर:
खेलों में भाग लेने से शरीर के निरंतर गतिशील रहने से अधिक भूख लगती है और शरीर में नया खून, शक्ति और तंदुरुस्ती पैदा होती है।

प्रश्न 8. शारीरिक शिक्षा किन नैतिक गुणों का विकास करती है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति में ईमानदारी, वफादारी, सच बोलना, दूसरों की सहायता करना, आत्म-त्याग आदि नैतिक गुणों . का विकास करती है। .

प्रश्न 9. नेता का प्रमुख गुण क्या होना चाहिए? ‘
उत्तर:
सर्वप्रथम तो एक नेता को अच्छा नागरिक होना चाहिए, फिर एक अच्छा वक्ता व प्रशिक्षक तथा उसके बाद एक विशेषज्ञ होना चाहिए। उसे ईमानदार, समय का पाबंद और कर्मठ होना चाहिए।

प्रश्न 10. मॉण्टगुमरी के अनुसार नेतृत्व को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मॉण्टगुमरी के अनुसार, “किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए व्यक्तियों को इकट्ठा करने की इच्छा व योग्यता को ही नेतृत्व कहा जाता है।” ..

प्रश्न 11. समूह क्या है?
उत्तर:
समूह एक ऐसी सामाजिक अवस्था है जिसमें सभी इकट्ठे होकर कार्य करते हैं और अपने-अपने विचारों या भावनाओं को संतुष्ट करते हैं। इसके द्वारा एकीकरण, मित्रता, सहयोग व सहकारिता के विचारों को बढ़ावा मिलता है। समूह में समान उद्देश्य की पूर्ति हेतु इकट्ठे होकर कार्य किया जाता है।

प्रश्न 12. प्राथमिक समूह किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राथमिक समूह वह पारिवारिक समूह है जिसमें भावनात्मक संबंध, घनिष्ठता एवं प्रेम-भाव प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसमें सशक्त समाजीकरण, अच्छे चरित्र तथा आचरण का विकास होता है। इस समूह के सदस्य एक-दूसरे से अपनी गतिविधियों व संस्कृति संबंधी वार्तालाप करते हैं।

प्रश्न 13. द्वितीयक समूह किसे कहते हैं?
उत्तर:
द्वितीयक समूह प्राथमिक समूह से अधिक विस्तृत होता है। यह एक ऐसा समूह है जिसमें अप्रत्यक्ष, प्रभावरहित, औपचारिक संबंध होते हैं । इस समूह में सम्मिलित सदस्यों में कोई भावनात्मक संबंध नहीं होता। ऐसे समूहों में स्वार्थ प्रवृत्तियाँ अधिक पाई जाती हैं।

प्रश्न 14. आदर्शवादी या प्रेरणात्मक नेता किसे कहा जाता है?
उत्तर:
इस प्रकार का नेता समूह पर अपना प्रभाव तर्क-शक्ति से डालता है और समूह अपने नेता के आदेशों का पालन अक्षरक्षः (ज्यों-का-त्यों) करता है। समूह के मन में अपने नेता के प्रति सम्मान होता है। नेता समूह या लोगों की भावनाओं का आदर करता है। महात्मा गाँधी, अब्राहम लिंकन, जवाहरलाल नेहरू और लालबहादुर शास्त्री इस तरह के नेता थे।

HBSE 9th Class Physical Education व्यक्ति एवं समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का योगदान Important Questions and Answers

वस्तनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

प्रश्न 1. व्यक्ति के विकास में शारीरिक शिक्षा का कोई एक योगदान बताएँ।
उत्तर:
अच्छी आदतों का विकास करना।

प्रश्न 2. समाज के विकास में शारीरिक शिक्षा का कोई एक योगदान बताएँ।
उत्तर:
सामाजीकरण में सहायक सामाजिक गुणों; जैसे सहयोग, बंधुत्व व अच्छे नागरिक की भावना का विकास करना।

प्रश्न 3. शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के शरीर को कैसा बनाती है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के शरीर को मजबूत एवं तंदुरुस्त बनाती है।

प्रश्न 4. एक अच्छे नेता का कोई एक गुण बताएँ।
उत्तर:
एक अच्छा नेता ईमानदार होता है।

प्रश्न 5. खेल के मैदान में खिलाड़ी का व्यवहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
खेल के मैदान में खिलाड़ी का व्यवहार शांत एवं धैर्यपूर्ण होना चाहिए।

प्रश्न 6. एक नेता कैसा होना चाहिए?
उत्तर-एक
नेता ईमानदार, कर्मठ तथा अच्छा वक्ता होना चाहिए।

प्रश्न 7. एक योग्य व्यक्ति में नेतृत्व के अलावा कौन-कौन से आवश्यक गुण होते हैं?
उत्तर:
एक योग्य व्यक्ति में नेतृत्व के अलावा ईमानदारी, सहनशीलता, सहयोग की भावना, आज्ञा पालन की भावना और नैतिक गुण होते हैं।

प्रश्न 8. शारीरिक शिक्षा द्वारा विकसित कोई एक सामाजिक मूल्य बताएँ।
उत्तर:
सामाजिक सहयोग की भावना विकसित होना।

प्रश्न 9. समूह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर;
समूह दो प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 10. किस प्रकार के समूह में भावनात्मक संबंध पाया जाता है?
उत्तर:
प्राथमिक समूह में भावनात्मक संबंध पाया जाता है।

प्रश्न 11. आदिकाल में मनुष्य किस प्रकार की खेलें खेलता था?
उत्तर:
तीरंदाजी, नेज़ाबाजी और पत्थरों को फेंकना।

प्रश्न 12. प्राचीनकाल में मनुष्य के लिए खेलों का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
जीवन-निर्वाह और शिकार खेलने के लिए युक्ति सीखना।

प्रश्न 13. समाज किसका जाल है?
उत्तर:
समाज सामाजिक संबंधों का जाल है।

प्रश्न 14. “नेतृत्व एक ऐसा व्यवहार है जो लोगों के व्यवहार पर अधिक प्रभाव डालता है, न कि लोगों के व्यवहार का प्रभाव उनके नेता पर।” यह परिभाषा किसने दी? 
उत्तर:
यह परिभाषा ला-पियरे व फा!वर्थ ने दी।

प्रश्न 15. “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
अरस्तू का।

बहुविकल्पीय प्रश्न [Multiple Choice Questions]

प्रश्न 1. “समाज के बिना मानव पशु है या देवता।” यह कथन है
(A) मैजिनी का
(B) क्लेयर का
(C) अरस्तू का
(D) मजूमदार का
उत्तर:
(C) अरस्तू का

प्रश्न 2. “बच्चा नागरिकता का प्रथम पाठ माता के चुंबन और पिता के दुलार से सीखता है।” यह कथन किसका है?
(A) क्लेयर का
(B) मैजिनी का
(C) मजूमदार का
(D) ईलियट और मैरिल का
उत्तर:
(B) मैजिनी का

प्रश्न 3. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अनुसार एक अच्छे नागरिक में अच्छे समाज के निर्माण के लिए गुण होने चाहिएँ
(A) सत्य
(B) अहिंसा
(C) निर्भीकता
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4. अरस्तू के अनुसार एक अच्छे नागरिक के गुण होते हैं
(A) शारीरिक सौंदर्य
(B) तीव्र बुद्धि व ज्ञान
(C) शुद्ध आचरण व व्यवहार
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5. आदिकाल में मनुष्य के पसंदीदा खेल थे-
(A) तीरंदाजी
(B) नेज़ा मारने का अभ्यास
(C) पत्थर फेंकना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6. शारीरिक शिक्षा समाज के विकास में योगदान देती है
(A) जातीय भेदभाव का अंत करना
(B) सहयोग की भावना का विकास करना
(C) आदर्श नागरिकों का निर्माण करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7. खिलाड़ी का व्यवहार होना चाहिए.
(A) धैयपूर्ण
(B) सहनशील
(C) शांत
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8. खिलाड़ी का चयन किस आधार पर किया जाता है?
(A) सामाजिक आधार पर
(B) आर्थिक आधार पर
(C) खेल कला एवं योग्यता के आधार पर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) खेल कला एवं योग्यता के आधार पर

प्रश्न 9. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक शिक्षा बढ़ावा देती है’
(A) मित्रता को
(B) सद्भावना को
(C) अंतर्राष्ट्रीय शांति को
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 10. “हमें खेल जीतने के लिए नहीं, बल्कि अच्छा प्रदर्शन करने के लिए खेलना चाहिए।” यह कथन है
(A) अरस्तू का .
(B) बैरन-डी-कोबर्टिन का
(C) प्लेटो का
(D) सुकरात का
उत्तर:
(B) बैरन-डी-कोबर्टिन का

प्रश्न 11. “समाज स्वयं वह संगठन व औपचारिक संबंधों का योग है जिसमें सहयोग देने वाले व्यक्ति परस्पर बंधे रहते हैं।” यह कथन है
(A) अरस्तू का
(B) सुकरात का
(C) प्लेटो का
(D) गिडिंग्स का
उत्तर:
(D) गिडिंग्स का

प्रश्न 12. “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।” यह कथन है
(A) अरस्तू का
(B) सुकरात का.
(C) प्लेटो का
(D) गिडिंग्स का
उत्तर:
(A) अरस्तू का

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