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HBSE 10th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

HBSE 10th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

Haryana Board 10th Class Hindi Rachana पत्र-लेखन

पत्र-लेखन

पत्र के माध्यम से संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाए जाते हैं। मनुष्य अपने रिश्तेदारों, मित्रों तथा परिचितों के साथ अपनी भावनाएँ व्यक्त कर सकता है। व्यावहारिक जीवन में सरकारी विभागों से भी पत्र के माध्यम से संपर्क किया जाता है। आज के वैज्ञानिक युग में मोबाइल, ई-मेल आदि होने से पत्र का परंपरागत स्वरूप बदलता जा रहा है, फिर भी इसके महत्त्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

पत्र-लेखन एक विधा है। अभ्यास के जरिए इसमें कुशलता प्राप्त की जा सकती है, अतः इसका अभ्यास बाल्यकाल से ही करना चाहिए।
पत्र की विशेषताएँअच्छे पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
(क) संक्षिप्तता-अच्छे पत्र न तो अधिक विस्तृत होते हैं और न ही बहुत लघु। उनमें ‘गागर में सागर’ भरने वाली बात चरितार्थ होनी चाहिए। अधिक बड़े पत्र में बिखराव आ जाता है, जबकि छोटे पत्र में बात स्पष्ट नहीं हो पाती। अतः पत्र में संक्षिप्तता आवश्यक है।
(ख) सरलता-पत्र की भाषा सरल व सुबोध होनी चाहिए। आलंकारिक तथा जटिल शब्दों से पत्र का भाव स्पष्ट नहीं होता। पत्र का कार्य लेखक के भावों को संप्रेषित करना होता है। उसमें स्पष्टता अवश्य होनी चाहिए।
(ग) विषय की स्पष्टता–पत्र में विषय स्पष्ट होना चाहिए। पत्र पढ़कर पाठक को उसका भाव समझ में आना चाहिए। यदि वह उसका आशय नहीं समझ पाता है तो पत्र का उद्देश्य निरर्थक हो जाता है।

पत्र के प्रकारपत्र दो प्रकार के होते हैं
(1) अनौपचारिक पत्र
(2) औपचारिक पत्र।


1. औपचारिक पत्र:
इस प्रकार का पत्राचार उनके साथ किया जाता है जिनके साथ हमारा व्यक्तिगत संबंध नहीं होता। इन पत्रों में आत्मीयता गौण होती है। इनमें कथ्य की प्रधानता होती है। तथ्यों तथा सूचनाओं को अधिक महत्त्व दिया जाता है। औपचारिक पत्र के अंतर्गत निम्नलिखित पत्र आते हैं
(क) सरकारी पत्र
(ख) आवेदन पत्र
(ग) संपादक के नाम पत्र
(घ) व्यावसायिक पत्र आदि।

Composition Letter Writing HBSE 10th Class

2. अनौपचारिक पत्र-इस प्रकार का पत्राचार उनके साथ किया जाता है जिनके साथ हमारा व्यक्तिगत संबंध होता है। इन पत्रों में कोई औपचारिकता नहीं होती। इनमें भाव प्रधान होता है। ये पत्र अपने मित्र, परिवार के सदस्य, निकट संबंधी आदि को लिखे जाते हैं। इनमें व्यक्तिगत सुख-दुःख का ब्योरा और विवरण होता है।

1. शुल्क माफी (फीस माफी) के लिए अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान मुख्याध्यापक जी,
दयानंद उच्च विद्यालय,
गगन विहार, नई दिल्ली।
विषय- शुल्क माफ़ी (फीस माफ़ी) के लिए प्रार्थना-पत्र।

मान्यवर,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैंने इस वर्ष आपके विद्यालय से नौवीं कक्षा की परीक्षा 90% अंक लेकर उत्तीर्ण की है।

हरियाणा सरकार द्वारा एम०आई०टी०सी० कॉरपोरेशन बंद करने के कारण मेरे पिता जी बेरोज़गार हो गए हैं। उन्हें केवल तीन हज़ार रुपए ही पेंशन मिलती है। पाँच सदस्यों वाले परिवार का इतने कम रुपयों में गुज़ारा होना बहुत कठिन है। कॉरपोरेशन बंद होने के कारण पारिवारिक आर्थिक दशा अत्यंत हीन हो गई है। मेरे अतिरिक्त मेरे दो छोटे भाई भी इस विद्यालय में पढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में मेरे पिता जी मेरा शुल्क देने में समर्थ नहीं हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप मेरा शुल्क माफ़ करके मुझे अनुगृहीत करें, जिससे मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ।

आशा है कि आप मेरी इस प्रार्थना पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे और मुझे शुल्क माफ़ी प्रदान करेंगे। मैं आपका सदा धन्यवादी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राजेश कुमार
कक्षा दसवीं अनुक्रमांक-15
दिनांक : 5 मई, 20….

Vyavaharika Patra 10th Class HBSE

2. चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
भिवानी।
विषय- चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र देने हेतु प्रार्थना-पत्र।

आदरणीय महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैंने आपके विद्यालय से नौवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। मैं कक्षा में प्रथम रहा था। मेरे पिता जी का स्थानांतरण कैथल में हो गया है। मुझे वहाँ नए स्कूल में दाखिला लेना है। उस स्कूल के नियम के अनुसार पिछले स्कूल द्वारा जारी किया गया चरित्र प्रमाण-पत्र भी आवेदन-पत्र के साथ संलग्न करना होगा, तभी मुझे नए स्कूल में दाखिला मिलेगा।

आदरणीय महोदय मैं विद्यालय की हॉकी टीम का कप्तान रहा हूँ तथा विद्यालय में होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता रहा हूँ। मैं स्कूल साहित्य परिषद् का उप-प्रधान भी रहा हूँ। मेरी आपसे प्रार्थना है कि इन गतिविधियों का उल्लेख करते हुए आप मुझे चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुरेश कुमार
कक्षा-दसवीं
अनुक्रमांक-29
दिनांक : 5 अप्रैल, 20……

10th Class Hindi Patra Lekhan HBSE

3. राष्ट्रीय पर्वो पर मिष्ठान-वितरण विषय को लेकर अपने मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय उच्च विद्यालय,
रमाना रमानी (करनाल)
हरियाणा।
आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि अपने विद्यालय में हर वर्ष राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर विद्यार्थी, एन०सी०सी० सांस्कृतिक गतिविधियों आदि में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन विद्यार्थी ही नहीं, अपितु अध्यापकगण भी उतनी ही मेहनत एवं मार्गदर्शन करते हैं। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप विद्यार्थियों एवं स्टाफ के उत्साहवर्द्धन हेतु राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर मिष्ठानवितरण का प्रबन्ध करवाने की कृपा कीजिए। इसके लिए हम आपके अत्यन्त आभारी होंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय,
रामगोपाल
कक्षा दसवीं ‘क’
दिनांक : 7 अप्रैल, 20….

Patra Lekhan 10th Class HBSE

4. कक्षा-कक्ष में समुचित प्रकाश-व्यवस्था हेतु मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक जी,
राजकीय उच्च विद्यालय,
सुन्दर नगर।
विषय- कक्षा-कक्ष में समुचित प्रकाश-व्यवस्था हेतु।

मान्यवर,
मैं आपके विद्यालय की दसवीं ‘क’ अनुभाग का विद्यार्थी हूँ। हमारी कक्षा का कक्ष संख्या डी. 5 है। उसमें एक दरवाजा एवं एक ही खिड़की है। इसलिए कक्षा-कक्ष में पर्याप्त मात्रा में प्रकाश नहीं होता। कक्षा के पीछे के बैंचों पर तो अन्धेरा ही रहता है। कक्षा-कक्ष में केवल. एक ही ट्यूब लाईट लगी हुई है। वह भी पिछले माह से खराब है। हमने स्कूल के क्लर्क व कक्षा अध्यापक से भी कई बार इस सम्बन्ध में प्रार्थना की है, किन्तु अभी तक प्रकाश की कोई समुचित व्यवस्था नहीं हुई है।

अतः आप से प्रार्थना है कि आप शीघ्र-अति-शीघ्र कक्षा-कक्ष में प्रकाश की व्यवस्था करवाने की कृपा करें ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई में कोई बाधा न पड़े।
सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अंकुज
कक्षा-दसवीं ‘क’
दिनांक : 5 मई, 20…..

5. दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण परीक्षा देने में असमर्थता प्रकट करते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय कन्या उ०मा० विद्यालय,
रतिया।
विषय-परीक्षा देने में असमर्थता के विषय में। श्रीमान जी,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं (ग) की छात्रा हूँ। कल विद्यालय से छुट्टी होने पर घर जाते समय सड़क पार करते हुए स्कूटर से टकरा जाने के कारण मैं गंभीर रूप से घायल हो गई हूँ। मेरी दाईं टाँग की हड्डी भी टूट गई है। डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार मैं लगभग दो मास तक चल-फिर नहीं सकती। इसलिए मैं दिसंबर मास में होने वाली परीक्षा देने में असमर्थ हूँ।

अतः आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे दो मास का अवकाश देने की कृपा करें। इस प्रार्थना-पत्र के साथ मैं अपना डॉक्टरी. प्रमाण-पत्र भी भेज रही हूँ।
सधन्यवाद।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
कमलेश
कक्षा दसवीं
अनुक्रमांक-25
दिनांक : 10 अगस्त, 20….

6. समय पर मासिक शुल्क जमा न कराने के कारण नाम कट जाने पर पुनः नाम लिखने की अनुमति हेतु मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक जी,
आर्य उच्च विद्यालय,
करनाल।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि पिछले दो मास से मेरे पिता जी बीमार थे व उन्हें अवैतनिक अवकाश (बिना वेतन के छुट्टी) लेना पड़ा था। इसलिए पिता जी का वेतन न मिलने के कारण मैं अपना स्कूल का मासिक शुल्क जमा नहीं करवा सका था। इसलिए कक्षाअध्यापक ने मेरा नाम काट दिया था। किन्तु अब मेरे पिता जी का वेतन मिल गया है और मैंने स्कूल का मासिक शुल्क जमा करवा दिया है। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरा नाम पुनः लिखवाने की कृपा करना ताकि मैं निश्चिन्त होकर अपनी पढ़ाई कर सकूँ।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
दिवेश कुमार
कक्षा-दसवीं
दिनांक : 18 जनवरी, 20….

7. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखो जिसमें विद्यालय-पुस्तकालय में पुस्तकों की उचित व्यवस्था करने की प्रार्थना की गई हो।

सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
नीलोखेड़ी (करनाल)।
विषय- पुस्तकालय में पुस्तकों की उचित व्यवस्था हेतु।

मान्यवर,
निवेदन है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में विषय से सम्बन्धित तथा सामान्य ज्ञान की पुस्तकें बहुत बड़ी संख्या में हैं, किन्तु पुस्तकों की व्यवस्था ठीक न होने के कारण समय पर कोई पुस्तक नहीं मिलती। पुस्तक ढूँढने में बहुत समय व्यर्थ चला जाता है। कभी-कभी तो पुस्तक मिलती ही नहीं। अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि पुस्तकालय में पुस्तकों की उचित व्यवस्था करवाई जाए ताकि समय पर हमें वांछित पुस्तकें उपलब्ध हो सकें। इससे पुस्तकालय इंचार्ज के लिए भी सुविधा रहेगी और विद्यार्थियों का भी समय व्यर्थ में नष्ट होने से बच जाएगा।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
महेष शर्मा
कक्षा दसवीं ‘क’
4 अगस्त, 20…..

8. समय के सदुपयोग का महत्त्व बताते हुए अनुज को पत्र लिखें।

118 मॉडल टाऊन,
करनाल।
1 अगस्त, 20….
प्रिय अनुज,
सदा प्रसन्न रहो।
कल ही पिता जी का पत्र मिला। पढ़कर पता चला कि आजकल तुम अपने मित्रों के साथ घूमने-फिरने व गप-शप में काफी समय व्यतीत कर देते हो। प्रिय अनुज तुम्हें पता है कि समय सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एवं मूल्यवान धन है। इसलिए इसे व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए। कहा भी गया है-‘गया वक्त फिर हाथ न आवे।’ समय का महत्त्व इस बात में भी है कि धन खो जाने पर कमाया जा सकता है किन्तु समय कभी लौटकर नहीं आता। जितने भी महान् पुरुष हुए हैं, सबने समय का सदुपयोग किया है। इसलिए हमें कभी भी अपने मूल्यवान समय को व्यर्थ में नहीं गँवाना चाहिए अपितु समय का सदुपयोग तुम्हें अपनी पढ़ाई करने में करना चाहिए। समय का सही प्रयोग करने वाले व्यक्ति को कभी असफलता का मुँह नहीं देखना पड़ता। हमें अपने समय का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए। हर काम समय पर करना चाहिए। समय के सदुपयोग में सुख, शांति, सफलता एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। समय का सदुपयोग करके हम जीवन की ऊँचाइयों को छू सकते हैं। मुझे आशा है कि तुम अपना. हर कार्य समय पर करोगे। माता-पिता को सादर प्रणाम कहना।

तुम्हारा भाई,
राकेश ।
पता……………..
…………………

9. विद्यालय में कई दिन से खाली हिन्दी-अध्यापक के पद की भर्ती के लिए मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय उच्च विद्यालय,
पूण्डरी।
मान्यवर,
हम दसवीं ‘क’ कक्षा के सभी विद्यार्थी आपसे निवेदन करते हैं कि हमारे हिन्दी-अध्यापक का स्थानांतरण कई मास पूर्व हो गया था। उनके स्थान पर अभी तक कोई हिन्दी का अध्यापक नहीं आया है। इसलिए हमारी हिन्दी विषय की पढ़ाई नहीं हो रही है। परीक्षा भी बहुत समीप है। अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारे लिए हिन्दी-अध्यापक की नियुक्ति शीघ्र करें ताकि हमारी पढ़ाई सुचारु रूप से हो सके।
सधन्यवाद।
आपके आज्ञाकारी शिष्य,
दसवीं ‘क’ के विद्यार्थी
दिनांक : 10 अक्तूबर, 20….

10. कक्षा-कक्ष में पंखे कम होने की शिकायत करते हुए, मुख्याध्यापक को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय उच्च विद्यालय,
रामनगर।
विषय- कक्षा कक्ष में पंखे कम होने की शिकायत हेतु।

आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं ‘ग’ का विद्यार्थी हैं। हमारे कक्षा-कक्ष में केवल दो ही पंखे लगे हुए हैं। इनमें से एक पंखा तो कई दिनों से बंद पड़ा हुआ है। इसलिए कक्षा के छात्रों का गर्मी के कारण बुरा हाल रहता है। उनका ध्यान पढ़ाई में पूर्ण रूप से नहीं लग पाता। कभी-कभी पंखे के नीचे बैठने के लिए विद्यार्थियों के बीच झगड़ा भी हो जाता है। इसलिए आपसे निवेदन है कि पुराने पंखों को ठीक करवाया जाए और दो नए पंखे भी लगवाने की कृपा करें ताकि विद्यार्थियों को गर्मी के कारण परेशानी न उठानी पड़े और वे मन लगाकर अपनी पढ़ाई कर सकें।

सधन्यवाद भवदीय,
हितेश कुमार
कक्षा-दसवीं ‘ग’
दिनांक : 20 अगस्त, 20….

11. विद्यालय में स्वच्छ पेयजल की समुचित व्यवस्था हेतु मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
डी.ए.वी. उच्च विद्यालय,
फरीदाबाद।
विषय : विद्यालय में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था करने हेतु।
मान्यवर,
निवेदन है कि मैं विद्यालय की दसवीं ‘क’ कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं विद्यालय में पेयजल की व्यवस्था के विषय में प्रार्थना करना चाहता हूँ। विद्यालय में पेयजल के सभी नल एक ही स्थान पर लगे हुए हैं। इसलिए आधी छुट्टी के समय पानी पीने वाले बच्चों की भीड़ एक ही स्थान पर इकट्ठा हो जाती है। इससे छोटे बच्चे पानी पीने से वंचित रह जाते हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय-भवन की हर मंजिल पर पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। गर्मी के दिनों में ठण्डे पानी के वाटर कूलर लगवाए जाएँ तथा पानी को शुद्ध करने वाले यंत्र (R.O.) भी लगवाए जाएँ। इसके अतिरिक्त पीने के पानी के स्थान पर सफाई भी होनी चाहिए।

अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप इन सभी सुझावों की ओर ध्यान देते हुए पीने के पानी की समुचित व्यवस्था करें। आपकी अति कृपा होगी।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
भुवनेश्वर
कक्षा-दसवीं (क)
अनुक्रमांक-29
दिनांक : 7 मई, 20….

12. विद्यालय में विज्ञान की प्रयोगशाला को अत्याधुनिक करने हेतु मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में, ,
मुख्याध्यापक महोदय,
डी०ए०वी० उच्च विद्यालय,
पानीपत।
विषय- विद्यालय में विज्ञान की प्रयोगशाला को अत्याधुनिक करने हेतु।

मान्यवर,
विनम्र निवेदन है कि विद्यालय में स्थापित विज्ञान की प्रयोगशाला में यद्यपि पर्याप्त सामान व सामग्री है जिससे हम अपने विज्ञान संबंधी प्रयोग करते हैं। किन्तु यहाँ अभी भी प्रयोग के लिए नए-नए वैज्ञानिक उपकरणों का अभाव है। विषय से संबंधित नए-नए वैज्ञानिक उपकरण मंगवाए जाएँ। इनके अतिरिक्त विद्यालय की प्रयोगशाला में कम्प्यूटर की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे विद्यार्थी अपने विषय सम्बन्धी प्रैक्टीकल सुविधापूर्वक कर सकें। इसके अतिरिक्त प्रयोगशाला में इंटरनेट का कनेक्शन भी लगवा दें तो विद्यार्थी अपने लिए विज्ञान से संबंधी नई-नई जानकारी हासिल कर सकेंगे तथा प्रैक्टीकल भी ठीक प्रकार से हो सके।

हमें आशा है कि विद्यालय में विज्ञान की प्रयोगशाला में इन सभी वस्तुओं की व्यवस्था करने से उसका अत्याधुनिक रूप बन जाएगा।
सधन्यवाद
राकेश ठाकुर
कक्षा दसवीं ‘क’
दिनांक……………..

13. परोपकार का महत्त्व बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।

548, विकास नगर,
रोहतक।
1 अगस्त, 20……
प्रिय मित्र अभिनव,

मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि कल हमारी कक्षा में ‘परोपकार’ विषय पर निबन्ध लेखन प्रतियोगिता करवाई गई थी। इस प्रतियोगिता में मुझे प्रथम पुरस्कार मिला है। ‘परोपकार’ मानव-जीवन का महान् गुण है। मानव-जीवन की सार्थकता इसी में है कि मानव अपने कल्याण के साथ-साथ दूसरों के उपकार के विषय में भी सोचे। भारतीय संस्कृति की विशेषता भी मानव-कल्याण की भावना ही है। कहा भी गया है-‘परोपकार ही जीवन है।’ प्रकृति में भी नदियाँ व वृक्ष परोपकार की ही शिक्षा देते हैं। हमें यथाशक्ति व सामर्थ्यानुकूल दूसरों की सहायता करनी चाहिए। तुलसीदास जी ने भी कहा है कि ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई।’ आज के भौतिक युग में आवश्यकता इस बात की है कि हमें अपने स्वार्थ को कम करके दूसरों के कल्याण व उपकार के लिए प्रयास करने चाहिएँ। इसी में मानव की उदारता और मानवता समाहित है। भारत के इतिहास में परोपकार करने वाले अनेक महापुरुषों के नाम हैं जिनसे हमें दूसरों का कल्याण करने की प्रेरणा मिलती है। परोपकार ही मानव का सच्चा धर्म है। हमें सदा परोपकार के कार्य करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
तुम्हारा मित्र
मनोज
पता ……………..
………………… ।

14. छात्रकोष से आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
करनाल।
श्रीमान जी,

मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी निर्धन मज़दूर हैं। वे मज़दूरी करके जैसे-तैसे परिवार का गुजारा चलाते हैं। मैं इस वर्ष की परीक्षा में प्रथम रहा हूँ। खेलों में भी बराबर भाग लेता हूँ। मैं आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहता हूँ, किन्तु इस वर्ष मेरे पिता जी मेरी पढ़ाई का पूरा व्यय नहीं दे सकते। अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय के छात्रकोष से कुछ रुपये मुझे दिलवाकर मेरी आर्थिक सहायता करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राम गोपाल
कक्षा दसवीं
अनुक्रमांक-5
दिनांक : 20 मई, 20…… .

15. खेलों के क्षेत्र में और अधिक सुविधाएँ प्रदान करने हेतु मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० उच्च विद्यालय,
फरीदाबाद (हरियाणा)।
विषय- खेल संबंधी सुविधाओं हेतु।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि पिछले वर्ष हमारे विद्यालय की फुटबॉल टीम ने जिला स्तर की खेल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस सफलता से उत्साहित होकर विद्यालय के अन्य छात्र भी विभिन्न खेलों में भाग लेने के लिए तत्पर हैं। किन्तु स्कूल के खेल के मैदान में अनेक गड्ढे पड़े हुए हैं तथा खेलों का सामान भी पुराना हो गया है। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि वालीबॉल, बास्केटबॉल, फुटबाल आदि खेलों के लिए उनके पोल व जाल सही करवाने की कृपा करें। सभी खिलाड़ियों को उनके खेल संबंधी ड्रैस व जूतों की सुविधा प्रदान की जाए। खिलाड़ियों को खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित करने हेतु रिफ्रेशमेंट की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाए। सभी खेलों के लिए प्रशिक्षित कोचों को भी अल्पकाल के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए। इससे खिलाड़ियों के हौंसले बुलंद होंगे और वे पहले की अपेक्षा खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे और अपने विद्यालय का नाम रोशन करेंगे।

आशा है कि आप हमारी प्रार्थना की ओर ध्यान देते हुए उपर्युक्त सुविधाएँ शीघ्र ही प्रदान करवाने की कृपा करेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मुनीश कुमार (खेल सचिव)
कक्षा-दसवीं ‘क’
दिनांक : 27 अगस्त, 20….

16. छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
आर्य कन्या उच्च विद्यालय,
नई दिल्ली।
विषय- र्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन-पत्र।

श्रीमान जी,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मैं अब तक पढ़ाई में पूर्ण रुचि लेती रही हूँ और कक्षा में प्रतिवर्ष प्रथम स्थान प्राप्त करती रही हूँ। आठवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में भी मैंने 90% अंक प्राप्त करके ज़िले में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। मैं पढ़ाई के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेती रही हूँ। निबंध-लेखन प्रतियोगिता में मेरा दूसरा स्थान है और कविता पाठ प्रतियोगिता में मैंने जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

मेरे पिता जी एक छोटे दुकानदार हैं। इस वर्ष निरंतर अस्वस्थ रहने के कारण उनका व्यवसाय ठप्प हो गया है जिसके कारण घर की आर्थिक दशा कमज़ोर हो गई है। फलस्वरूप, मेरे पिता जी मेरी पढ़ाई का खर्च नहीं दे सकते।

आपसे निवेदन है कि मुझे इस वर्ष 150 रुपए मासिक छात्रवृत्ति प्रदान करने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। आपकी इस कृपा के लिए मैं सदा आपकी आभारी रहूँगी।

सधन्यवाद।
आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
सुषमा
कक्षा दसवीं
अनुक्रमांक-55
दिनांक : 4 मई, 20….

17. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को आवेदन-पत्र लिखिए जिसमें पुस्तक बैंक से सहायता के लिए प्रार्थना की गई हो।

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
चंडीगढ़।
विषय- पुस्तक बैंक से सहायता के लिए आवेदन-पत्र।

आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं (क) कक्षा का छात्र हूँ। मैंने इसी वर्ष 80% अंक लेकर नौवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की है। मैं कक्षा में प्रथम रहा हूँ।
मेरे पिता जी सेवानिवृत्त सैनिक हैं जिनकी पेंशन एक हज़ार रुपए प्रतिमास है। आय का कोई दूसरा साधन नहीं है। मेरे अतिरिक्त मेरा भाई भी सातवीं कक्षा में पढ़ता है। मैं विज्ञान विषय की महँगी पुस्तकें नहीं खरीद सकता। अब तक मैं अपने साथियों से पुस्तकें माँगकर पढ़ता रहा हूँ किंतु परीक्षा के दिनों में मेरे साथी चाहकर भी मुझे पुस्तकें नहीं दे सकेंगे।

अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय के पुस्तक बैंक से विज्ञान विषय की सभी पुस्तकें दिलवाकर अनुगृहीत करें।
मैं आपका अति धन्यवादी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नरेश कुमार
कक्षा-दसवीं (क)
अनुक्रमांक-46
दिनांक : 22 फरवरी, 20….

18. उपायुक्त हिसार के कार्यालय में क्लर्क/टाइपिस्ट के रिक्त पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।

सेवा में,
उपायुक्त महोदय, हिसार। विषय-क्लर्क/टाइपिस्ट के पद हेतु आवेदन-पत्र। मान्यवर,
दिनांक 15 जनवरी, 20…. के नवभारत टाइम्स में आपके कार्यालय के लिए क्लर्क/टाइपिस्ट के कुछ पदों के लिए आवेदन-पत्र आमंत्रित किए गए हैं। मैं इस पद के लिए अपनी सेवाएँ अर्पित करना चाहता हूँ।
मेरी शैक्षणिक योग्यताएँ एवं कार्य अनुभव इस प्रकार हैं-
मैंने हरियाणा शिक्षा बोर्ड से सन् 20.. में बारहवीं कक्षा की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।

मैंने एक वर्षीय हिंदी टंकण एवं आशुलिपि डिप्लोमे की परीक्षा उत्तीर्ण की है। टंकण में मेरी गति 40 शब्द प्रति मिनट है तथा आशुलिपि में लगभग 90 शब्द प्रति मिनट है। मैंने लगभग एक वर्ष श्रीमद्भगवद्गीता उ० मा० विद्यालय, कुरुक्षेत्र में लिपिक के पद पर कार्य किया है। इस समय मैं चीनी मिल, शाहबाद में क्लर्क/टाइपिस्ट के पद पर कार्यरत हूँ।

मैं इक्कीस वर्ष का स्वस्थ युवक हूँ। यदि आप मुझे अपने कुशल निर्देशन में सेवा करने का अवसर प्रदान करेंगे तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपने कार्य और सद्व्यवहार से अपने अधिकारियों को संतुष्ट रखने का हर संभव प्रयास करूँगा।

आवेदन-पत्र के साथ प्रमाण-पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ संलग्न हैं।
भवदीय,
रामकुमार वर्मा
108, गीता कॉलोनी,
कुरुक्षेत्र।
दिनांक : 9 सितंबर, 20….

19. किसी उच्च विद्यालय के मुख्याध्यापक को अस्थाई हिंदी अध्यापक के पद हेतु आवेदन-पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
चंडीगढ़।
दिनांक : 25 जुलाई, 20………….
विषय- अस्थाई हिंदी अध्यापक के पद हेतु आवेदन-पत्र ।

आदरणीय महोदय,
दिनांक 22 जुलाई, 20…. के समाचार पत्र ‘नवभारत टाइम्स’ में आपके विद्यालय की ओर से अस्थाई हिंदी अध्यापक के पद हेतु विज्ञापन छपा है। इस पद के लिए मैं अपने-आपको प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा शैक्षिक विवरण एवं योग्यताएँ इस प्रकार हैं-
नाम – सुनील कुमार
पिता का नाम – गिरधारी लाल
जन्म तिथि – 29/8/1990
स्थायी पता – 293, माडल टाऊन, अंबाला।
शैक्षिक योग्यताएँ-दसवीं परीक्षा 85 प्रतिशत अंकों के साथ केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 2006 में उत्तीर्ण की। सीनियर सैंकेंडरी परीक्षा 75 प्रतिशत अंकों के साथ के०मा० शिक्षा बोर्ड से 2008 में उत्तीर्ण की।

स्नातक परीक्षा 70 प्रतिशत अंकों के साथ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (2011) से उत्तीर्ण की। स्नातकोत्तर (हिंदी) परीक्षा 62 प्रतिशत अंकों के साथ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (2013) से उत्तीर्ण की।

अध्यापन में मेरा एक वर्ष का अनुभव है। अनुभव प्रमाण-पत्र संलग्न है। आशा है आप मुझे सेवा का अवसर प्रदान करेंगे।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपना काम निष्ठापूर्वक करूँगा।
धन्यवाद सहित।
आवेदक
सुनील कुमार
293, माडल टाऊन, अंबाला।

20. किसी उच्च विद्यालय के मुख्याध्यापक को लिपिक के पद हेतु आवेदन-पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्चतर विद्यालय,
चंडीगढ़।
विषय : लिपिक के पद हेतु आवेदन-पत्र।
आदरणीय महोदय,
25 अप्रैल, 20…. के साप्ताहिक रोजगार समाचार-पत्र में प्रकाशित विज्ञापन क्रमांक-206 के उत्तर में अपनी सेवाएँ उपरोक्त पद के लिए अर्पित करता हूँ। मेरा परिचय और शैक्षणिक योग्यताएँ निम्नलिखित हैं-
नाम : राजकुमार चौहान
पिता का नाम : श्री महेंद्र सिंह चौहान
जन्म-तिथि : 5 नवंबर, 1993
पत्र-व्यवहार का पता : गाँव व डाकखाना उम्मीदपुर, ज़िला करनाल।
शैक्षणिक योग्यता : मैंने दसवीं कक्षा में 80.1% अंक प्राप्त किए हैं तथा 10 + 2 वाणिज्य में 75% अंक प्राप्त किए हैं। मैंने दो वर्ष का टंकण एवं आशुलिपि का डिप्लोमा किया हुआ है। साथ ही कंप्यूटर
चलाने का ज्ञान भी अर्जित किया है।
कार्य अनुभव : मैं गत छह मास से जे०बी०डी० प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, करनाल में कार्यालय सहायक का कार्य कर रहा हूँ।

आशा है कि आप मुझे अपने कुशल निर्देशन में काम करने का अवसर प्रदान करके अनुग्रहीत करेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मैं पूरी ईमानदारी और परिश्रम से काम करूँगा तथा अपनी क्षमताओं का और अधिक परिचय दे सकूँगा।
सधन्यवाद।
भवदीय,
राजकुमार चौहान
गाँव व डाकखाना,
उम्मीदपुर, करनाल।
दिनांक : 6 मई, 20….

21. परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले अपने मित्र को बधाई देते हुए एक पत्र लिखिए।

28-ए, मॉडल टाउन,
लुधियाना।
1 जून, 20….
प्रिय मित्र साहिल,
सस्नेह नमस्कार!
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा के परिणाम की सूची में तुम्हारा नाम प्रथम स्थान पर मुझे देखकर अत्यंत. प्रसन्नता हुई। मेरे परिवार के सभी सदस्य भी इस सुखद समाचार को पढ़कर बहुत प्रसन्न हैं। प्रिय मित्र, हमें तुमसे यही आशा थी। यह तुम्हारे अथक परिश्रम का ही फल है। तुमने सिद्ध कर दिया है कि सच्चे मन से किया गया परिश्रम कभी असफल नहीं रहता। 94% अंक प्राप्त करना कोई मज़ाक नहीं है।

आशा है कि तुम भविष्य में भी अधिकाधिक परिश्रम और पूरी लगन से अध्ययन करोगे तथा सफलता की ऊँचाइयों को इसी प्रकार छूते रहोगे। इस शानदार सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करो। अपने माता-पिता को मेरी ओर से हार्दिक बधाई देना न भूलना।
तुम्हारा मित्र,
सरबजीत सिंह

22. अपने मित्र को नव वर्ष के अवसर पर शुभकामना-पत्र लिखिए।

कृष्ण कुमार शर्मा,
मोतीबाग,
नई दिल्ली।
30 दिसंबर, 20….
प्रिय आनंद भूषण,
सप्रेम नमस्कार।
1 जनवरी, 20…. से आरंभ होने वाला यह वर्ष तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के जीवन में सुख-समृद्धि भरने वाला हो। तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जाए। इस नव वर्ष में तुम सफलताओं की नई ऊँचाइयों को प्राप्त करो। नव वर्ष की मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करो। परीक्षा के बाद क्या करने का विचार है, अवश्य लिखना।

मेरी ओर से अपने छोटे भाई को स्नेह और माता-पिता को सादर प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
कृष्ण कुमार

23. जल-संरक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।

अंबाला।
15 मई, 20….
प्रिय सुरेश,
आपका पत्र मिला। पढ़कर ज्ञात हुआ कि आपके नगर में पीने के पानी की बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। इस समस्या के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है। हम पानी के महत्त्व को न समझते हुए उसका दुरुपयोग करते हैं। गलियों में और घरों में पानी के नल खुले रहते हैं जिससे पानी व्यर्थ में बहता रहता है। जबकि पानी की एक-एक बूंद कितनी कीमती है। इसलिए हमें पानी को व्यर्थ नहीं बहने देना चाहिए। पानी के संरक्षण के प्रति जनता में जागरुकता उत्पन्न करनी चाहिए। हमें स्वयं पानी का सदुपयोग करके दूसरों के सामने आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। वर्षा के पानी को भी टैंक में एकत्रित करके बाद में उसका कृषि के लिए या अन्य कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है।

वर्षा के पानी को व्यर्थ में न बहने देकर पृथ्वी में गहरा सुराख करके उसमें छोड़ देना चाहिए ताकि जमीन के नीचे के जल का स्तर सही बना रहे जिससे हमें पृथ्वी के नीचे से जल आसानी से मिल सके। प्रिय मित्र किसी ने ठीक ही कहा है कि ‘जल ही जीवन है।’ जल न केवल मनुष्यों के लिए अपितु पशुओं, जानवरों, पक्षियों, पेड़-पौधों, फसलों आदि सबके लिए अनिवार्य है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए जल संरक्षण अत्यन्त आवश्यक है।
अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम व छोटी बहन को प्यार कहना।
तुम्हारा मित्र,
शुभम।
पता : श्री रामगोपाल स्वरूप,
मॉडल टाऊन, 158/7,
फरीदाबाद।

24. अपने मित्र को ग्रीष्मावकाश साथ बिताने के लिए निमंत्रण पत्र लिखिए।

तिलक नगर,
नई दिल्ली।
12 मई, 20….
प्रिय मित्र मनोज,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही तुम्हारा पत्र मिला। तुमने उसमें ग्रीष्मावकाश के बारे में पूछा है। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने इस बार गर्मी की छुट्टियाँ शिमला में बिताने का निर्णय किया है। हमारे अवकाश 6 जून से आरंभ होने जा रहे हैं। अतः 8 जून को मैं और मेरा भाई राजेश शिमला के लिए रवाना हो जाएँगे। मेरा एक और मित्र भी हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो गया है।

तुम्हें तो पता ही है कि शिमला में मेरे चाचा जी का अच्छा व्यापार है। वे मुझे वहाँ आने के लिए अनेक बार लिख चुके हैं। मैं चाहता हूँ कि तुम भी हमारे साथ शिमला चलो। शिमला एक पर्वतीय स्थल है। वहाँ की प्रकृति बहुत सुंदर और आकर्षक है। वहाँ चारों ओर चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष हैं। वहाँ की पहाड़ियाँ तो मानो आकाश को स्पर्श करती हैं। वहाँ रहकर हम आस-पास के क्षेत्रों को भी देख सकते हैं। अगर अवसर मिला तो हम ट्रैकिंग करने के लिए जाखू की पहाड़ियों से आगे भी जाएँगे। आशा है कि तुम्हें ग्रीष्मावकाश का यह कार्यक्रम पसंद आएगा। अपनी स्वीकृति शीघ्र भेजें ताकि समुचित व्यवस्था की जा सके।
छोटे भाई को प्यार और माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
कमल

25. परीक्षा में असफल रहने वाले भाई को संवेदना-पत्र लिखिए।

15-ए, मॉडल टाउन,
जालंधर।
20 मार्च, 20….
प्रिय रमेश,
सदा खुश रहो!
आज ही आदरणीय पिता जी का पत्र प्राप्त हुआ है। परीक्षा में तुम्हारे असफल रहने का समाचार पढ़कर बहुत दुःख हुआ। मुझे तो तुम्हारे पास होने की पहले ही आशा नहीं थी क्योंकि जिन परिस्थितियों में तुमने परीक्षा दी थी, उनमें असफल होना स्वाभाविक ही था। पहले माता जी अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गईं, फिर तुम कई दिनों तक बीमार रहे। जिस कष्ट को सहन करके तुमने परीक्षा दी, वह मुझसे छिपा नहीं है। इस पर तुम्हें व्यथित नहीं होना चाहिए। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। तुम अपने मन से यह बात निकाल दो कि परिवार का कोई सदस्य तुम्हारे असफल होने पर नाराज़ है। आगामी वर्ष की परीक्षा के लिए अभी से लगन के साथ परिश्रम करो ताकि अधिकाधिक अंक प्राप्त कर सको। किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो लिखना। माता जी व पिता जी को प्रणाम।
तुम्हारा भाई,
जगदीश चंद्र

26. माता जी की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए मित्र को संवेदना पत्र लिखिए।

679/13, अर्बन एस्टेट,
लुधियाना।
14 अप्रैल, 20….
प्रिय मित्र श्याम,
मधुर स्मृति।
कल ही तुम्हारा पत्र मिला । तुम्हारी माता जी की असामयिक मृत्यु के बारे में पढ़कर बहुत दुःख हुआ। उनकी मृत्यु का समाचार पढ़कर मैं स्तब्ध रह गया। पहले तो मुझे इस घटना पर विश्वास ही नहीं हुआ। जब चेन्नई से लौटते हुए मैं तुम्हारे पास आया था तब तो वे पूर्णतः स्वस्थ थीं। क्रूर काल के हाथ उनको इतनी जल्दी हमसे छीनकर ले जाएँगे, इसकी मैंने स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी।

उनकी ममतामयी मूर्ति रह-रहकर मेरी आँखों के सामने आ जाती है। निश्चय ही उनकी ममतामयी छाया के बिना तुम अपने आपको बहुत असहाय पाते होंगे। मैं इन संकट के क्षणों में तुम्हारे लिए कुछ भी तो नहीं कर सकता। मैं क्या कोई भी कुछ नहीं कर सकता। हम तो केवल यह सोचकर धीरज रख सकते हैं कि सभी प्राणियों का यही अंत है। मेरी परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक सहानुभूति है। इस संवेदना-पत्र द्वारा मैं आपको धीरज धरने के लिए आग्रह करता हूँ। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि वे आप सबको इस महान् आघात को सहने की शक्ति प्रदान करें तथा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
आपका अभिन्न मित्र,
रामकुमार शर्मा

27. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर विषय विशेष की पढ़ाई न होने की शिकायत कीजिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
ए०एस० जैन उच्च विद्यालय,
कानपुर।
विषय : गणित की पढ़ाई न होने के विषय में।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं आपका ध्यान अपनी कक्षा के गणित विषय की पढ़ाई की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले एक मास से हमारे यहाँ गणित का पीरियड खाली जा रहा है। जब से श्री रामलाल जी दोबारा पाठ्यक्रम (रिफ्रेशर कोस) के लिए गए हैं, तब से उनके स्थान पर कोई अध्यापक नहीं आया है। इस कारण, हमारा गणित विषय का पाठ्यक्रम अन्य अनुभागों से काफी पीछे रह गया है। उधर छ:माही परीक्षा भी समीप आ गई है। अतः आपसे प्रार्थना है कि शीघ्रातिशीघ्र गणित की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था करवाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मुकेश
कक्षा-दसवीं (क)
अनुक्रमांक-34
दिनांक : 8 मई, 20….

28. सहायक स्टेशन मास्टर द्वारा किए गए अशिष्ट व्यवहार के विरुद्ध भारत सरकार के रेलमंत्री के नाम पत्र लिखिए।

सेवा में,
रेलमंत्री महोदय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली।
श्रीमान जी,
विनम्र निवेदन है कि मैं कल मुंबई जाने वाली गाड़ी में स्थान आरक्षित करवाने के लिए रेलवे स्टेशन, अंबाला छावनी गया। वहाँ श्री रामभज शर्मा सहायक स्टेशन मास्टर यह काम करते हैं। पहले तो वे बीस मिनट तक अपनी सीट पर नहीं आए। जब मैंने उनसे मुंबई जाने वाली गाड़ी में स्थान आरक्षित करवाने के लिए निवेदन किया तो उन्होंने टालमटोल करना चाहा किंतु मैंने उन्हें पुनः प्रार्थना की तो वे मुझसे गुस्से से पेश आए और झगड़ा करने पर उतारू हो गए। उन्होंने मुझे इतने लोगों के सामने अपशब्द भी कहे।।

मान्यवर, मेरा आपसे अनुरोध है कि रामभज शर्मा द्वारा मेरे साथ किए गए अशिष्ट व्यवहार के लिए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि वे भविष्य में किसी के साथ अभद्र एवं अशिष्ट व्यवहार न करें।
सधन्यवाद।
भवदीय,
मनोहर लाल
108-अंबाला छावनी,
हरियाणा।
दिनांक : 10 अक्तूबर, 20….

29. अपने नगर में समुचित सफाई बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।

सेवा में,
ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी,
ग्वालियर।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं हनुमान बस्ती का निवासी हूँ। यह बस्ती नगर की सबसे पिछड़ी बस्ती है। यहाँ के अधिकतर निवासी अनुसूचित जाति से संबंधित हैं। शायद इसी कारण यह पिछड़ा हुआ क्षेत्र है। नगरपालिका के कर्मचारी भी इस क्षेत्र की सफाई की ओर कोई ध्यान नहीं देते। यद्यपि नगरपालिका की ओर से इस क्षेत्र की सफाई के लिए कर्मचारी नियुक्त किया गया है परंतु वह बहुत कम ही दिखाई पड़ता है। फलस्वरूप, यह क्षेत्र गंदगी का ढेर बनकर रह गया है। नगरपालिका की गाड़ी भी यहाँ गंदगी उठाने कभी नहीं आती। कूड़ा पड़ा रहने के कारण यहाँ मच्छरों का प्रकोप बहुत बढ़ गया है। मच्छरों ने तो यहाँ अपना स्थाई घर बना लिया है। यही कारण है कि नगर में सबसे अधिक मलेरिया यहीं फैलता है। न तो इस क्षेत्र से मच्छर खत्म करने का कोई उपाय किया । गया है और न ही मलेरिया के उपचार का। मच्छरों का मूल कारण गंदगी हैं।

आपसे सविनय निवेदन है कि आप स्वयं कभी इस क्षेत्र में निरीक्षण का कार्यक्रम बनाएँ। आपके निरीक्षण का समाचार सुनते ही नगरपालिका के सफाई कर्मचारी इस क्षेत्र को साफ करने में लग जाएँगे। आशा है आप इस क्षेत्र की सफाई की ओर ध्यान देंगे तथा हमें इस गंदगी से मुक्ति दिलाएँगे।
सधन्यवाद।
भवदीय,
रामप्रसाद सक्सेना
572/13, हनुमान बस्ती,
ग्वालियर।
दिनांक : 16 अगस्त, 20….

30. स्थानीय डाकपाल को अपने मोहल्ले के डाकिए के बारे में एक शिकायत-पत्र लिखिए जो कि नियमित डाक देने नहीं आता।

सेवा में,
डाकपाल महोदय,
इंदिरा नगर,
अहमदाबाद।
मान्यवर,
हमारे मोहल्ले का डाकिया गोपाल राय नियमित रूप से डाक देने नहीं आता। अनेक बार ज़रूरी पत्र घर के बाहर फेंककर चला जाता है। अनेक लोगों के ज़रूरी पत्र खो जाते हैं। पुनः, उसके आने का समय निश्चित नहीं है। वह कभी 11 बजे डाक वितरण करने आता है तो कभी सायं 4 बजे। कभी-कभी तो वह दो-तीन दिनों तक लगातार नज़र ही नहीं आता है।

मोहल्ले के लोगों ने उससे शिकायत की लेकिन वह सुनी-अनसुनी कर देता है। अतः हमारा आपसे अनुरोध है कि आप उसे स्थानांतरित करके किसी कर्तव्यनिष्ठ डाकिए को हमारे मोहल्ले का काम सौंपे। आशा है कि आप हमारी शिकायत की ओर ध्यान देंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय,
राकेश पांडे एवं
मोहल्ले के अन्य लोग।
दिनांक : 2 जुलाई, 20….

31. मोबाइल फोन के अधिक उपयोग से बचने का सुझाव देते हुए मित्र को एक पत्र लिखिए।

854/19 अर्बन एस्टेट,
करनाल।
25 जुलाई, 20….
प्रिय मित्र आर्व,
सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर खुशी हुई कि तुम्हारे पिताजी ने तुम्हारे लिए एक स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदकर दिया है। आज मोबाइल फोन यद्यपि मानव जीवन की आवश्यकता बन गया है। मोबाइल फोन ने मानव जीवन को अत्यधिक सुविधाएँ प्रदान की हैं। उसमें कैमरे, केल्कुलेटर, रेडियो, कैमरा, गेम, टेप रिकॉर्ड आदि सुविधाएँ हैं। इसके अतिरिक्त इन्टरनेट के द्वारा हम मोबाइल के माध्यम से हर प्रकार की सूचना प्राप्त कर सकते हैं। विद्यार्थी के लिए मोबाइल फोन बहुत ही लाभदायक सिद्ध हुआ है। किन्तु यह एक सीमा तक ही लाभदायक है। किन्तु वहीं मोबाइल उस समय हमारे लिए हानिकारक बन जाता है जब हम अनावश्यक चीजें, चित्र देखने लगते हैं तथा पढ़ाई व खेल-कूद सब छोड़कर मोबाइल से चिपके रहते हैं। इससे हमारी पढ़ाई का नुकसान तो होता ही है, हमारे मन व स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए मेरा सुझाव है कि मोबाइल फोन का प्रयोग एक सीमा तक ही उचित है। इसका अधिक उपयोग सदा हानिकारक होता है। इसका उपयोग बिना सोचे-समझे करेंगे तो यह हमारा मित्र नहीं शत्रु बन जाएगा। आशा है कि तुम मेरे सुझाव पर ध्यान देते हुए इसका लाभ ही उठाएँगे।

अपने माता-पिता को सादर प्रणाम व छोटी बहन को प्यार कहना।
तुम्हारा मित्र
रवि प्रकाश

32. मोहल्ले में असामाजिक तत्त्वों द्वारा तोड़-फोड़ की आशंका व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
पुलिस अधीक्षक, कैथल।
विषय : असामाजिक तत्त्वों की रोकथाम हेतु।
महोदय,
मैं कैथल के पटियाला चौक के मकान नं. 455 का निवासी अविनाश चोपड़ा हूँ मेरे घर के आस-पास एक मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद हैं। जब भी कोई त्योहार आता है तो इन तीनों धार्मिक स्थलों पर चहल-पहल बढ़ जाती है। इस चहल-पहल के दौरान गत वर्षों से कुछ आसामजिक तत्त्व कोई-न-कोई वारदात करते आ रहे हैं। जिससे कभी-कभी जान-माल का नुकसान भी हो जाता है। इस वर्ष भी दो पर्व एक साथ आ रहे हैं जिस अवसर पर गत वर्षों की भाँति तोड़-फोड़ एवं जान-माल की हानि होने की आशंका है अतः आपसे निवेदन है कि आने वाले इन पर्यों पर ऐसी व्यवस्था करें कि किसी प्रकार के जान-माल का नुकसान न हो। सभी लोग अपनी-अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार त्योहार का आनंद उठा सकें।
धन्यवाद।
भवदीय,
अविनाश चोपड़ा
मकान नं. 455,
पटियाला चौक
दिनांक : 18 फरवरी, 20….

33. बिजली की ‘आँख मिचौनी’ से होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए नगर के एस०डी०ओ०, बिजली विभाग, को पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान एस०डी०ओ०,
बिजली विभाग,
सोनीपत।
प्रिय महोदय,
मैं अपने विचार हरियाणा बिजली बोर्ड के अधिकारियों तक पहुँचाना चाहता हूँ। आशा है आप मेरे इन विचारों को मद्देनजर रखते हुए बिजली न होने से, होने वाली परेशानियों को दूर करने का प्रयास करेंगे।

पिछले छह महीनों से राज्य में बिजली सप्लाई की स्थिति काफी खराब चल रही है। कभी बिजली आती है और कभी चली जाती है। यदि हम शिकायत करने जाते हैं तो पॉवर-कट का रटा-रटाया जवाब मिलता है। जून-जुलाई की भयंकर गर्मी के दिनों में सारा दिन बिजली नहीं रहती। गर्मी के दिनों में सारा दिन बिजली न होने से गर्मी के मारे लोगों का बुरा हाल होता है। रात को भी 10 बजे के बाद बिजली चली जाती है। पॉवर न होने के कारण कभी ट्यूबवेल भी नहीं चलते जिससे नगरों में पानी की सप्लाई अवरुद्ध हो जाती है। राज्य के आधे से अधिक लघु उद्योग बिजली न होने के कारण बंद पड़े हैं। इससे बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है। बड़े उद्योगों की भी स्थिति खराब है। परीक्षाओं के दिनों में बिजली न होने से विद्यार्थी अपनी पढ़ाई अच्छी तरह नहीं कर पाते। गाँवों में तो हालात और भी खराब है। सप्ताह में दो बार बिजली आती है। उसका भी कोई भरोसा नहीं है। बेचारे किसान बहुत ही परेशान और दुखी हैं। बिजली न होने के कारण ट्यूबवैल नहीं चलते और फ़सलें सूख रही हैं। बिजली न होने का परिणाम यह हुआ है कि राज्य का सारा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। क्या राज्य सरकार और उसके अधिकारी इस ओर ध्यान देंगे ?
भवदीय,
सोहनलाल नागपाल।

34. ‘दिल्ली परिवहन निगम’ के प्रबंधक को पत्र लिखकर बस कंडक्टर के दुर्व्यवहार की शिकायत कीजिए।

सेवा में,
प्रबंधक महोदय,
दिल्ली परिवहन निगम,
दिल्ली।
महोदय,
कल जब मैं नरेला से नई दिल्ली स्टेशन के लिए जा रही बस में सवार हुआ, तब बस का कंडक्टर किसी सवारी से झगड़ा कर रहा था। मैंने जब इस झगड़े का कारण पूछा तो वह अकारण ही मुझ पर बरस पड़ा और गालियाँ देने लगा। अन्य यात्रियों ने उसके इस दुर्व्यवहार की निंदा की परंतु उस पर कुछ असर न पड़ा। मुझे लगता है कि उसने शराब पी रखी थी। कंडक्टर का नाम रामपाल तथा बस का नं० डी०एल०-1 ए०एच०, 2835 है।

आपसे निवेदन है कि आप कंडक्टर के विषय में पूछताछ करें तथा उसके लिए उचित दंड की व्यवस्था करें ताकि भविष्य में किसी अन्य यात्री से वह अथवा उस जैसा कोई अन्य कंडक्टर दुर्व्यवहार करने का साहस न कर सके।
भवदीय,
राजीव चावला
प्रशांत विहार,
75, नरेला, नई दिल्ली-68
दिनांक : 18 फरवरी, 20….

35. हरियाणा रोडवेज के जींद डिपो के महाप्रबंधक को अनियमित बस सेवा में सुधार के लिए पत्र लिखिए।

सेवा में,
महाप्रबंधक,
हरियाणा राज्य परिवहन,
जींद डिपो।
महोदय,
निवेदन यह है कि इस पत्र के द्वारा मैं आपका ध्यान जींद डिपो की अनियमित बस सेवा की ओर दिलाना चाहता हूँ। जींद डिपो की बसें आमतौर पर समय पर नहीं आतीं। इससे सामान्य नागरिकों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विद्यार्थियों को कक्षा में पहुँचने में देरी हो जाती है तथा कर्मचारी भी बस सेवा के नियमित न होने के कारण समय पर कार्यालय नहीं पहुंच पाते। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप अपना ध्यान इस ओर दें ताकि अनियमित बस सेवा में सुधार किया जा सके। मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद।
भवदीय,
रमेश कुमार गुप्ता,
672, न्यू हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी, जींद।
दिनांक : 15 मार्च, 20….

36. अपने नगर की टूटी-फूटी सड़कों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए अपने नगर-परिषद् के अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
नगर-परिषद्,
पटना।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि इस पत्र द्वारा हम आपका ध्यान नगर की सड़कों की दयनीय दशा की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं। नगर की अधिकांश सड़कें टूट चुकी हैं। हम संबंधित अधिकारी को पहले भी कई बार सड़कों के विषय में लिख चुके हैं किंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई हैं। कई स्थानों पर गहरे गड्ढे पड़ चुके हैं। वर्षा के दिनों में इनमें पानी भर जाता है और कई बार दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं। टूटी हुई सड़कों पर पानी जमा हो जाने से मच्छर मक्खियों का प्रकोप भी बढ़ गया है जिससे बीमारी फैलने का भय बना रहता है। नगर की कई सड़कों पर तो इतना पानी जमा हो जाता है कि वहाँ से आना-जाना बड़ा कठिन हो जाता है। आस-पास की बस्तियों में बदबू फैल गई है। अतः आपसे पुनः प्रार्थना है कि नगर की सड़कों की यथाशीघ्र मरम्मत करवाएँ ताकि नगर के लोग सुविधापूर्वक उन पर से आ-जा सकें तथा मच्छर-मक्खियों के प्रकोप से बच सकें।
सधन्यवाद।
भवदीय,
मोहन सिंह
मंत्री, नगर सुधार सभा,
पटना।
दिनांक : 15 मई, 20….

37. अनुशासन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए अपने अनुज को एक पत्र लिखिए।

शिवानी सदन,
373/37 पटेल नगर,
करनाल,
15 जनवरी, 20 ……….।
प्रिय केशव
शुभाशीष।
तुम्हारा पत्र मिला। ज्ञात हुआ कि तुम्हारा स्कूल 20 जनवरी से खुल रहा है। अब तुम्हें दूसरे सत्र के पाठ्यक्रम की पढ़ाई करवाई जाएगी।

तुम दसवीं कक्षा के विद्यार्थी हो। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्त्व होता है। विद्यार्थी ही नहीं, अपितु प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में भी अनुशासन का वैसा ही महत्त्व होता है। जो विद्यार्थी अनुशासन का पालन करते हुए अपनी शिक्षा प्राप्त करते हैं, वे अन्य विद्यार्थियों से अच्छे तो माने ही जाते हैं अपितु उन्हें अपने जीवन में सफलता भी मिलती है। समाज में उनका सम्मान भी होता है। वे माता-पिता के ही नहीं, अपितु सबके स्नेह के अधिकारी बन जाते हैं। सभी उनकी हर प्रकार की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। एक के बाद एक सफलता उनके कदम चूमती है। इसके विपरीत अनुशासन के अभाव में किसी प्रकार की सफलता एवं विकास जीवन में नहीं हो सकता। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह समय विद्यार्थी का ज्ञान प्राप्त करने का है जिसके आधार पर उसके भावी जीवन की नींव रखी जाती है।

अतः तुम्हें अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन के महत्त्व को भी भली-भाँति समझना चाहिए। बाकी मिलने पर। माता-पिता को नमस्ते एवं विशू को प्यार कहना।
तुम्हारी बहन
मान्या

38. अपनी भूल के लिए क्षमा याचना करते हुए पिता जी को एक पत्र लिखिए।

22, कमला छात्रावास,
हिंदू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
……… नगर।
15 जनवरी, 20….
पूज्य पिता जी,
सादर चरण वंदना।

आशा है कि आपको मेरा पत्र मिला होगा। उसमें मैंने लिखा था कि मुझे 300 रुपए पुस्तकों और कापियों के लिए चाहिएँ। वस्तुतः एक मित्र के बहकावे में आकर मैंने ऐसा लिख दिया था। वास्तव में, हमारे विद्यालय की ओर से जयपुर के लिए शैक्षणिक यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया था। मैं भी इसमें भाग लेना चाहता था। मैंने सोचा आप शायद मुझे जयपुर जाने की अनुमति नहीं देंगे। अतः मित्र के कहने पर मैंने यह लिख भेजा था कि मुझे पुस्तकों और कापियों के लिए पैसों की आवश्यकता है। बाद में आपको झूठ लिखने के अपराध के कारण मुझे आत्मग्लानि हुई। दो दिनों तक तो मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगा। आज आपको पत्र लिखने के बाद मैं इस बोझ से मुक्त हुआ हूँ। आशा है कि आप मेरी पहली भूल को क्षमा करेंगे। मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में मैं ऐसी गलती नहीं करूँगा।

यदि आप अनुमति देंगे, तभी मैं शैक्षणिक यात्रा पर जाऊँगा, अन्यथा नहीं। एक बार पुनः क्षमा याचना।
आपका सुपुत्र,
दिनेश

39. चुनाव के दृश्य का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

गुरु नानक खालसा व०मा० विद्यालय,
अमेठी।
15 दिसंबर, 20….
प्रिय राकेश,
सप्रेम नमस्कार।
आशा है कि तुम्हारी परीक्षा समाप्त हो गई होगी और तुम अपने माता-पिता के काम में हाथ बँटा रहे होगे। प्रिय इस पत्र में मैं अपने गाँव में हुए चुनाव के दृश्य के विषय में लिख रहा हूँ। आशा है तुम्हें यह दृश्य अच्छा लगेगा।

पिछले सप्ताह हमारे गाँव की पंचायत का चुनाव हुआ था। चुनाव की घोषणा होते ही सारे गाँव में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। चुनाव से लगभग पंद्रह दिन पूर्व चुनाव प्रचार आरंभ हो गया था। चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों ने अपने-अपने चुनाव निशान के रंग-बिरंगे पत्रक छपवाकर गली-गली में बाँट दिए थे। प्रतिदिन सुबह-शाम लोगों के घरों में जाकर उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने पक्ष में मत देने का आग्रह करते थे। पक्ष और विपक्ष के उम्मीदवार अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताते थे और लोगों को अधिक-से-अधिक सुविधाएँ प्रदान करने के वायदे करते थे। गाँव की गलियों की दीवारों पर, पंचायत-घर के सामने आदि सभी स्थानों पर पोस्टर भी चिपका दिए गए थे। विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी चुनाव में मदद के लिए पहुँच गए थे। कुछ उम्मीदवारों ने गरीब लोगों को लालच देकर फुसलाने का भी प्रयास किया था। चुनाव के दिन गाँव में चहल-पहल थी।

पंचायत भवन और गाँव के विद्यालय में दो चुनाव केंद्र बनाए गए थे। जिला मुख्यालय से उप-चुनाव अधिकारी और अन्य कर्मचारी रात को ही गाँव में पहुंच गए थे। उनके साथ कुछ पुलिस कर्मचारी भी थे। लोग प्रातः आठ बजे से ही वोट डालने के लिए पंक्तियों में आकर खड़े हो गए थे। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएँ भी अलग पंक्तियों में खड़ी हुई थीं। मतदान सुबह नौ बजे से सायं पाँच बजे तक चलता रहा। सरपंच के पद के लिए काँटे का मुकाबला था। शांति बनाए रखने के लिए पुलिस को सतर्क कर दिया गया था। सायं छह बजे परिणाम घोषित हुआ। चौधरी फतेह सिंह दो सौ मतों से चुनाव जीत गए। विजयी पक्ष ने ढोल बजाकर खुशियाँ मनाईं।

अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना। परीक्षा का परिणाम आने पर पत्र लिखना न भूलना।
तुम्हारा मित्र,
प्रवीण शर्मा

40. विद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकों की कमी दूर करने के बारे में मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय हाई स्कूल,
अम्बाला।
आदरणीय महोदय,
निवेदन है कि हम दसवीं ‘क’ कक्षा के विद्यार्थी हैं। हम आपका ध्यान विद्यालय के पुस्तकालय में हिन्दी की पाठ्य पुस्तकों तथा अन्य विषयों की पाठ्य पुस्तकों की कमी की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। हिन्दी पाठ्य-पुस्तकों की केवल तीन प्रतियाँ ही पुस्तकालय में हैं। इसलिए बहुत दिनों की प्रतीक्षा के पश्चात् ही हमें पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। इससे हमारी पढ़ाई की हानि होती है। यही दशा अन्य विषयों की पुस्तकों की भी हैं। इसलिए हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि पुस्तकालय में पर्याप्त मात्रा में पुस्तकें मँगवाने की कृपा करें। इससे सभी विद्यार्थियों को सुविधा प्राप्त होगी। आशा है कि आप हमारी इस प्रार्थना को स्वीकार करके हमें अनुगृहीत करेंगे।
आपके आज्ञाकारी शिष्य
कक्षा दसवीं ‘क’
दिनांक 26 जुलाई, 20 ……

41. योग का महत्त्व बताते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।

548, गाँधी नगर,
सोनीपत।
8 जनवरी, 20…….
प्रिय मुकुल
प्रसन्न रहो।
कल ही तुम्हारा पत्र मिला, पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुम इस वर्ष अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहे हो। तुम्हारा मित्र होने के नाते मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी अनिवार्य है। इसके लिए तुम्हें नियमित योगाभ्यास करना चाहिए। योग करने से शरीर और मन दोनों को लाभ पहुँचता है। योग से शरीर सुन्दर एवं सुगठित बनता है। योग से शारीरिक-तन्त्र सुचारु रूप से कार्य करता है एवं पाचन-शक्ति भी बनी रहती है। योग से चेहरे की आभा भी बढ़ती है। योग का प्रभाव न केवल शरीर पर, अपितु मन पर भी पड़ता है। कहा भी गया है जैसा तन वैसा मन । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए तुम्हें नियमित रूप से योग का अभ्यास करना चाहिए।

अपने माता-पिता जी को मेरी ओर से सादर प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
निशांत शर्मा

42. अपने जिले के उपायुक्त को बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने के लिए पत्र लिखिए।

सेवा में
उपायुक्त महोदय,
समस्तीपुर।
दिनांक : 15 जुलाई, 20………….
विषय- समस्तीपुर जिले में बाढ़-पीड़ितों की सहायता के लिए पत्र।
महोदय,
बिहार में आई भयंकर बाढ़ को देखते हुए मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूँ कि समस्तीपुर के बाढ़-पीड़ितों की सहायता के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँ। राष्ट्रीय समाचार-पत्रों में इस बाढ़ के बारे में अनेक समाचार प्रकाशित हुए हैं। इस बात को लेकर बिहार सरकार की आलोचना की गई है कि सरकार की ओर से आवश्यक कदम नहीं उठाए जा रहे। अतः आप इस दिशा में तत्काल आवश्यक कार्रवाई करें।

बाढ़ से ग्रस्त हुए पीड़ितों के पास तत्काल राहत सामग्री पहुंचाई जाए। समाज के पिछड़े और गरीब लोगों में उपभोग की . आवश्यक वस्तुएँ मुफ्त बाँटी जाएँ। जिनके मकान इस बाढ़ में गिर गए हैं, उनको तत्काल अनुदान धनराशि दी जाए। इस बाढ़ से मलेरिया आदि बीमारियाँ फैल सकती हैं, इसलिए स्वास्थ्य सेवाओं को सक्रिय किया जाए और बाढ़ से प्रभावित रोगियों के मुफ्त उपचार की तत्काल व्यवस्था भी की जाए। बाढ़ से जो सड़कें टूट गई हैं, उनकी मुरम्मत कराई जाए। विशेषकर, नदियों के बाँधों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँ। बाढ़ के कारण जिन किसानों की फसलें नष्ट हो गई हैं, उनका सर्वेक्षण करके तत्काल एक रिपोर्ट कृषि मंत्रालय को भेजी जाए ताकि किसानों के लिए कुछ अतिरिक्त सुविधाओं की घोषणा की जा सके। इस पत्र के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए पाँच लाख रुपए का एक ड्राफ्ट भेजा जा रहा है।

आशा है आप इस दिशा में शीघ्र तथा आवश्यक कदम उठाएँगे।
आपका विश्वास भाजन,
कृष्ण मोहन

43. प्रातःकालीन भ्रमण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए अपने अनुज को एक पत्र लिखें।

11/5 विवेकानन्द नगर,
करनाल।
18 जनवरी, 20….
प्रिय अभिषेक
शुभाशीष।
कल ही तुम्हारे छात्रावास के प्रमुख प्रबन्धक का पत्र मिला। पढ़कर तुम्हारी परीक्षा के परिणाम का पता चला कि तुम प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हो किन्तु साथ ही यह लिखा है कि तुम प्रातः देर से उठते हो और भ्रमण के लिए नहीं जाते। प्रातः भ्रमण करना स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभकारी है। प्रातःकाल में शुद्ध एवं स्वच्छ वायु बहती है जो हमारे जीवन में स्फूर्ति एवं चुस्ती उत्पन्न करती है। उस समय प्राकृतिक दृश्य भी अत्यन्त मनोरम होते हैं जिन्हें देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है। प्रातःकाल की सूर्य की किरणें जहाँ नीरोगता बढ़ाती हैं, वहीं आँखों की रोशनी के लिए लाभदायक होती हैं। प्रातःकाल के भ्रमण से स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है।

प्रिय अनुज मुझे आशा है कि तुम मेरे इस पत्र को पढ़कर प्रातः शीघ्र उठकर भ्रमण के लिए नियमित रूप से जाओगे और कभी शिकायत का अवसर नहीं दोगे।
तुम्हारा भाई,
हितेश

44. मित्र को पत्र लिखिए जिसमें किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वर्णन किया गया हो।

232/13, अर्बन एस्टेट
कुरुक्षेत्र।
11 जुलाई, 20….
प्रिय मित्र अरविंद,
नमस्ते।
कल तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुम अपना ग्रीष्मावकाश बिताने के लिए उदयपुर गए थे। मैं भी अपने बड़े भाई के साथ इस बार धर्मशाला पर्वतीय क्षेत्र में गर्मी की छुट्टियाँ व्यतीत करने गया था। इस यात्रा का वर्णन मैं तुम्हें पत्र में लिखकर भेज रहा हूँ।

15 जून को हम कुरुक्षेत्र से चंडीगढ़ पहुंचे। वहाँ से 11 बजे हमने धर्मशाला की बस पकड़ी और सायं 7 बजे हम पालमपुर पहुँच गए। पालमपुर के छात्रावास में हमें रहने के लिए स्थान मिल गया। छात्रावास का भवन सड़क के किनारे बना हुआ है। पास में ही हिमाचल प्रदेश का कृषि विश्वविद्यालय है। लगभग सभी पहाड़ियाँ घने वृक्षों से ढकी हुई हैं। धौलाधार की ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ यहाँ से साफ़ नज़र आती हैं। जून के महीने में भी रात को काफी सरदी थी जिसके कारण हमें कंबल किराए पर लेने पड़े। अगले दिन हम धर्मशाला के लिए रवाना हुए। लगभग 12.00 बजे हम धर्मशाला पहुँचे। हम धर्मशाला से आगे मकलोड़गंज भी गए। यह इस क्षेत्र की सबसे ऊँची पहाड़ी है। यहीं पर धार्मिक नेता दलाईलामा का निवास स्थान तथा प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर है। इस क्षेत्र के चारों ओर चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष हैं। सामने की पहाड़ियाँ बर्फ से ढकी रहती हैं। लगभग दो बजे ज़ोरदार वर्षा हुई जिससे सरदी काफ़ी बढ़ गई। हमने वहाँ रात एक होटल में काटी। अगले दिन हम पहाड़ियों से उतरते हुए नीचे धर्मशाला में आए। यह काफी बड़ा नगर है। पहाड़ियों पर बने हुए घर काफी सुंदर लगते हैं। यहाँ का पार्क तो बहुत ही सुंदर है जो कि शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया है। यहाँ पर भी आस-पास पहाड़ी झरने, सुंदर वृक्ष और छोटी पहाड़ियाँ हैं। दो दिन यहाँ पर रहने के बाद हम लौट पड़े। धर्मशाला से लेकर नंगल तक सारा रास्ता पहाड़ी है। मार्ग में हमने काँगड़ा, ज्वालाजी तथा चिंतपूर्णी के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन किए। इस प्रकार से हमारी पर्वतीय यात्रा काफी रोचक रही।

माता जी और पिता जी को मेरी ओर से प्रणाम कहना।
आपका अभिन्न मित्र,
पंकज

45. अपने गाँव में पुलिस चौकी बनवाने के लिए पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
पुलिस अधीक्षक,
औरंगाबाद।
विषय : गाँव में पुलिस चौकी बनाने हेतु प्रार्थना-पत्र।
आदरणीय महोदय,
विनम्र निवेदन है कि हम रामपुर गाँव के निवासी हैं। हमारा गाँव जिले की सीमा पर स्थित है। हमारे गाँव का थाना गाँव से पंद्रह मील की दूरी पर स्थित है। इसलिए थाने से पुलिस कर्मचारी गाँव को पूर्णतः अपने नियंत्रण में नहीं रख सकते। गाँव में कई बार चोरी भी हो चुकी है। इसलिए गाँव के लोगों में दहशत फैली हुई है। वे अपने आपको असुरक्षित अनुभव करते हैं। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप हमारे गाँव में एक पुलिस चौकी स्थापित करने की कृपा करें ताकि गाँव के लोगों की असुरक्षा की भावना दूर हो जाए और झगड़े इत्यादि न हों। हमें पूर्ण आशा है कि आप हमारी इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए गाँव में पुलिस चौकी स्थापित करके हमें अनुगृहीत करेंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय,
रामपुर गाँव के निवासी
दिनांक : …………….

46. छात्रावास में पौष्टिक खाद्य सामग्री न मिलने की शिकायत करते हुए मुख्याध्यापक को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० उच्च विद्यालय।
अम्बाला छावनी।
आदरणीय महोदय।
निवेदन है कि मैं विद्यालय की दसवीं ‘ख’ श्रेणी का विद्यार्थी हूँ और छात्रावास में रहता हूँ। छात्रावास में कई मास से पौष्टिक खाद्य सामग्री का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इससे छात्रावास में रहने वाले छात्रों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कुछ छात्र तो पेट दर्द से पीड़ित रहने लगे हैं। हमने छात्रावास के संचालक महोदय को भी इस विषय में लिखा था। किन्तु हमारी बात पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। खाद्य सामग्री की जो सूची बनाकर दी जाती है, उसके मुताबिक खाद्य सामग्री नहीं लाई जाती। इससे न केवल छात्रों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, अपितु स्कूल के छात्रावास की बदनामी भी हो रही है।

अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारी इस शिकायत को ध्यान में रखते हुए इस समस्या का समाधान शीघ्र-अति-शीघ्र करने की कृपा करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
मोहन
कक्षा दसवीं ‘क’
छात्रावास कक्ष संख्या-5
दिनांक : 18 मई, 20…..

47. छात्रावास में रहने के लाभों पर प्रकाश डालते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।

कमरा नं. 18, छात्रावास
डी०ए०वी० उच्च विद्यालय
फरीदाबाद।
15 मई, 20…..
प्रिय मुकेश,
आपका पत्र कल ही मिला। पढ़कर मालूम हुआ कि मेरे छात्रावास में आ जाने के कारण तुम कुछ अकेलापन अनुभव करते हो। मैं तो कहता हूँ कि तुम भी छात्रावास में आ जाओ। छात्रावास में रहने के अनेक लाभ हैं। छात्रावास जीवन का अपना ही आनन्द है, जिसका वर्णन करना कठिन है।

हमारे छात्रावास का भवन बिल्कुल नया है। उसके हर कक्ष में लाईट, पंखे आदि की समुचित व्यवस्था है। वहाँ चारों ओर हरे-भरे पेड़ लगे हुए हैं। प्रकृति की गोद में बने इस छात्रावास में पढ़ाई का वातावरण है।

हमें सुबह पाँच बजे जगा दिया जाता है। हम शौच आदि से निवृत्त होकर घूमने जाते हैं तथा कुछ हल्का-फुल्का व्यायाम भी करते हैं जिससे हमारा शरीर तंदरूस्त रहता है। स्नानादि के पश्चात् हमें नाशता दिया जाता है। तत्पश्चात् हम विद्यालय में चले जाते हैं। विद्यालय की छुट्टी के पश्चात् हमें दोपहर का भोजन दिया जाता है। यहाँ का भोजन अत्यन्त पौष्टिक एवं स्वादिष्ट होता है। छात्रावास संरक्षक श्री मनमोहन शर्मा बहुत हँसमुख किन्तु अनुशासन में विश्वास रखने वाले व्यक्ति हैं। जो हमारी हर प्रकार से सहायता करते हैं। छात्रावास में हर कार्य की समय-सारणी बनी हुई है। खेल के समय खेल और पढ़ाई के समय केवल पढ़ाई।

महीने में एक दिन रात्रि के समय मनोरंजन के लिए सभा का आयोजन किया जाता है। इसमें हम लोग कविता, कहानी चुटकुले, गीत आदि का आनन्द लेते हैं। रात्रि के भोजन के पश्चात् कुछ समय पढ़ने के पश्चात् ठीक साढ़े दस बजे सो जाते हैं। छात्रावास में आने पर मेरा परिचय कई विद्यार्थियों से हुआ है। वे भी मेरे मित्र बन गए हैं। यहाँ आने पर सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि मैं अपने सब कार्य स्वयं करता हूँ अर्थात् आत्मनिर्भरता का गुण मैंने यहाँ रहकर ही सीखा है। छात्रावास के जीवन के और भी अनेक लाभ हैं जिनका वर्णन मैं तुमसे मिलकर करूँगा।

अपने माता-पिता जी को मेरा सादर प्रणाम एवं छोटी बहन को प्यार कहना।
तुम्हारा मित्र
प्रेमनाथ।

48. अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें महाकुंभ के मेले का वर्णन किया गया हो।

305, वेस्ट पटेल नगर,
नई दिल्ली।
15 फरवरी, 20….
प्रिय मित्र
राकेश,
सप्रेम नमस्कार।
दो दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि तुम पिछले सप्ताह ‘वैष्णो देवी’ गए थे। मैं भी आज ही महाकुंभ के मेले से लौटकर आया हूँ। इस पत्र में मैं इस महा मेले का वर्णन कर रहा हूँ।

यह तो तुम्हें ज्ञात ही है कि महाकुंभ के अवसर पर हिंदुओं के लिए प्रयाग स्थान का विशेष महत्त्व है। अतः लाखों की संख्या में हिंदू इलाहाबाद पहुंचते हैं। यद्यपि यात्रियों को असंख्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तथापि उनके उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं आती। इस वर्ष फरवरी महीने में कुंभ का पावन पर्व था। लाखों की संख्या में लोग इलाहाबाद पहुँचने लगे। रेल मंत्रालय की ओर से पूरे भारतवर्ष से विशेष रेलगाड़ियाँ चलाई गई थीं। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विशेष प्रबंध किया गया था। पुलिस के दस्ते पूरी चौकसी रखे हुए थे। स्थान-स्थान पर सरकार की ओर से सस्ते राशन की दुकानें खोली गई थीं। लाखों साधु-संत इस अवसर पर उपस्थित थे। स्थान-स्थान पर धार्मिक प्रवचनों का प्रबंध था।

मैं अपने माता-पिता के साथ महाकुंभ के दूसरे दिन ही पहुँच गया था। बड़ी मुश्किल से हमें धर्मशाला में रहने का स्थान मिला। अगले दिन प्रातः नौ बजे हम त्रिवेणी में पवित्र स्नान करने गए। स्त्रियों के स्नान के लिए अलग व्यवस्था थी। उस दिन हमारे प्रधानमंत्री जी ने भी प्रयाग में स्नान किया। स्नान करने में हमें कोई विशेष असुविधा नहीं हुई। लगभग एक बजे हम पूजा-पाठ समाप्त करके धर्मशाला में लौट आए।

महाकुंभ के मेले का दृश्य देखने योग्य था। श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही थी। स्त्रियाँ और पुरुष भजन-कीर्तन करते हुए त्रिवेणी की ओर बढ़ रहे थे। विभिन्न घाटों पर पुरोहित दान-दक्षिणा ले रहे थे। अगले दिन प्रातः पुनः स्नान करने के पश्चात् हम लोगों ने वापस आने का निर्णय लिया।

महाकुंभ का मेला भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यही नहीं, यह राष्ट्रीय एकता का भी परिचायक है। मेले में सभी जातियों के लोग भाग लेते हैं। यद्यपि लोगों को अनेक कष्ट सहन करने पड़ते हैं तथापि उनकी आध्यात्मिक रुचि कम नहीं होती।
परिवार के सभी लोगों को मेरी ओर से यथायोग्य अभिवादन कहें।
आपका अभिन्न मित्र,
राजीव कुमार

49. माता-पिता की आज्ञा का पालन करने पर बल देते हुए छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।

कमरा नं0 45
छात्रावास
विवेकानन्द उच्च विद्यालय
सिरसा।
दिनांक : 15 मई, 20………….
प्रिय राजेश
कल ही पिता जी का पत्र मिला, पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम आठवीं कक्षा में 65% अंक लेकर उत्तीर्ण हुए हो। साथ ही यह जानकर कुछ निराशा भी हुई कि तुम माता-पिता का कहना न मानकर दोस्तों के साथ घूमते रहते हो। प्रिय राजेश माता-पिता से बढ़कर हमारा कोई भी हितैषी नहीं हो सकता। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि माता-पिता के चरणों में ही स्वर्ग है। तुम बहुत समझदार हो। माता-पिता की आज्ञा का पालन करना तो सन्तान का परम-कर्त्तव्य है। उनकी आज्ञानुसार चलकर हम जीवन में बड़ी से बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
प्रिय राजेश मुझे तुमसे पूर्ण आशा है कि भविष्य में तुम पिता की आज्ञा का पूर्णतः पालन करते हुए अपने जीवन को उज्ज्वल बनाओगे।
माता-पिता को सादर प्रणाम एवं मुन्ना को प्यार कहना।
तुम्हारा भाई
पुनीत।

50. कुसंगति से बचाव का सुझाव देते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।

436-बी, विश्वकर्मा मार्ग,
रोहतक।
28 सितंबर, 20….
प्रिय मुकेश,
सदा प्रसन्न रहो।
आज ही तुम्हारे विद्यालय के मुख्याध्यापक का पत्र मिला। यह जानकर अत्यंत दुःख हुआ कि आजकल तुम पढ़ाई में मन न लगाकर कक्षा से गायब रहने लगे हो, जिसके परिणामस्वरूप तुम विद्यालय की मासिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे।

प्रिय भाई, तुम तो जानते ही हो कि कितनी कठिनाई से हम तुम्हें पढ़ा रहे हैं। यदि तुम कुसंगति में पड़कर अपना जीवन नष्ट करोगे तो हमारे साथ-साथ माता-पिता को भी ठेस पहुंचेगी।
अतः तुम समय के महत्त्व को पहचानो। जीवन के अमूल्य क्षणों को व्यर्थ न गँवाकर अपनी पढ़ाई में मन लगाओ। कुसंगति से दूर रहकर ही तुम माता-पिता के स्वप्न को साकार कर सकते हो।
आशा करता हूँ कि तुम कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित होकर पढ़ाई में मन लगाओगे। मुझे तुम्हारे चरित्र की पवित्रता का पता है। तुम अपने लक्ष्य को कभी भी नहीं भूलोगे परंतु मुझे यह भी ज्ञात है कि बुरी संगति बुद्धि हर लेती है, इसलिए उससे मैं तुम्हें सावधान करता हूँ। शेष मिलने पर।
तुम्हारा भाई,
रोशन लाल

51. अपने छोटे भाई को खेलों का महत्त्व बताते हुए पत्र लिखें।

238, गांधी नगर,
हाँसी।
तिथि : 25.03.20…….
प्रिय रमन,
खुश रहो!
तुम्हारा पत्र कुछ दिन पूर्व प्राप्त हुआ था, किंतु परीक्षा के कार्य में व्यस्त होने के कारण तुम्हें पत्र लिखने में देर हो गई है। आज छुट्टियों के बाद तुम्हारा स्कूल खुल गया होगा। इसलिए मैं तुम्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का महत्त्व भी बताना चाहता हूँ। प्रिय रमन, यह आयु जिसमें तुम इस समय हो, बड़ी चंचल और बेफिक्री की होती है। इस अवस्था में यह जानकारी नहीं होती कि थोड़ी-सी सावधानी से भविष्य कितना उज्ज्वल हो सकता है तथा थोड़ी-सी असावधानी से कितनी हानि हो सकती है। तुम पढ़ने में बहुत लायक हो, इसमें संदेह नहीं है। किंतु पढ़ने के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य होना भी जरूरी है। अच्छे स्वास्थ्य के बिना पढ़ाई का कोई लाभ नहीं। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी नियमित रूप से भाग लेना आवश्यक है। किसी ने ठीक ही कहा है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।
मेरी ओर से पूज्य माता-पिताजी को सादर प्रणाम कहना। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।

तुम्हारा भाई,
मुनीश

पता-
रमन कुमार
36, अर्बन अस्टेट, भिवानी।

52. व्यायाम के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।

करनाल।
8 जनवरी, 20…….
प्रिय मुकुल
प्रसन्न रहो।
कल ही तुम्हारा पत्र मिला, पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुम इस वर्ष अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहे हो किन्तु साथ ही यह भी लिखा है कि तुम बार-बार बीमार पड़ते रहे हो। तुम्हारा मित्र होने के नाते मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी अनिवार्य है। इसके लिए तुम्हें नियमित व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम करने से शरीर और मन दोनों को लाभ पहुँचता है। व्यायाम से शरीर सुन्दर, सुगठित, स्वस्थ और सुडौल बनता है। व्यायाम से शारीरिक-तन्त्र एवं पाचन-शक्ति भी बनी रहती है। व्यायाम का प्रभाव न केवल शरीर पर, अपितु मन पर भी पड़ता है। कहा भी गया है जैसा तन वैसा मन। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इसलिए तुम्हें नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।

अपने माता-पिता जी को मेरी ओर से प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
निशांत शर्मा

53. पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।

म.न. 818
सेक्टर-39,
करनाल।
दिनांक-16 मई, 20….
प्रिय मित्र,
कुछ दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला था। पढ़कर पता चला कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं थी। प्रिय मित्र, आजकल हरियाणा व पंजाब में तो पराली व गेहूँ के अवशेष को जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। इस समय धान की फसल काटी जा रही है और सरकार के द्वारा पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी किसान पराली को जला रहे हैं, जिसके कारण वायु प्रदूषण इस कद्र बढ़ गया है कि साँस लेना भी कठिन हो रहा है। घर से बाहर निकलते ही धुएँ के कारण आँखों में जलन होने लगती है और गले में खाँसी उठती है। पराली के धुएँ से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यदि इसका कोई समाधान नहीं निकाला गया तो यह देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी। इससे लोगों को फेफड़ों संबंधी अनेक बीमारियाँ लग सकती हैं। यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है। सरकार को शीघ्र ही इस समस्या का कोई समाधान अवश्य निकालना चाहिए। इसके अतिरिक्त किसानों व अन्य लोगों में वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता भी लानी होगी। उम्मीद है कि निकट भविष्य में कोई-न-कोई समाधान तो अवश्य ही निकलेगा तभी हम पर्यावरण सुरक्षित रह सकेंगे।

प्रिय मित्र अपने माता-पिता को सादर प्रणाम करना और छोटी बहन को प्यार देना।
तुम्हारा मित्र
प्रवेश कुमार।

54. विद्यालय में शौचालय की व्यवस्था हेतु मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
जलगाँव (फतेहाबाद)।
विषय- विद्यालय में शौचालय की व्यवस्था हेतु।

श्री मान जी,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में लड़के-लड़कियों के लिए केवल एक-एक ही शौचालय है। सभी विद्यार्थी लाइनों में लगे रहते हैं एवं गन्दगी की वजह से भी बहुत परेशानी होती है। निकासी की व्यवस्था भी उचित नहीं है। बीमारी फैलने की पूर्ण संभावना है।

इस विद्यालय का विद्यार्थी होने के नाते मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि अन्य शौचालयों की व्यवस्था करवाई जाए। विद्यालय के इस कार्य में हम सभी छात्र आपका पूर्ण सहयोग करेंगे।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
साहिल चौधरी
कक्षा-दसवीं ‘ख’
29 अगस्त, 20……

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