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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 6 राखी का मूल्य

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 6 राखी का मूल्य

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 6 राखी का मूल्य

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 6 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(क) कर्मवती कौन थी?
उत्तर
कर्मवती मेवाड़ की महारानी थी।

(ख) कर्मवती ने वीरों से कौन-सी प्रतिज्ञा करने को कहा?
उत्तर
कर्मवती ने वीरों से मरते दम तक मेवाड़ की पताका को झुकने न देने की प्रतिज्ञा करने को कहा।

(ग) रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी क्यों भेजी ?
उत्तर
रानी कर्मवती ने हुमायूँ से बैरभाव समाप्त कर उसे भाई बनाने के लिए राखी भेजी।

(घ) राखी पाकर हुमायूँ ने क्या निर्णय लिया ?
उत्तर
राखी पाकर हुमायूँ ने मेवाड़ की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजने का सेनापति को आदेश दिया।

(ङ) हमारे देश में राखी का क्या महत्व है ?
उत्तर
हमारे देश में राखी को भाई-बहन के स्नेह बन्धन का प्रतीक माना गया है। सुरक्षा सूत्र को पहनकर भाई, बहन की रक्षा का संकल्प करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए

(क) जिन्हें प्राण देने का चाव हो, वे ही ये राखियाँ स्वीकार करें।
(ख) राखी वह शीतल प्रलेप है, जो सारे घाव भर देती
(ग) बहन का रिश्ता दुनिया के सारे सुखों, दौलतों, ताकतों और सल्तनतों से बढ़कर है।
उत्तर
(क) रानी कर्मवती मेवाड़ के वीर सपूतों को मेवाड़ की रक्षा के लिए ललकारते हुए राखियाँ आगे बढ़ाती है और कहती है कि वे ही लोग राखियों को लें जो देश-रक्षा के यज्ञ में स्वयं की आहुति देने को तत्पर हों।
(ख) व
(ग) गद्यांश 3 व 4 की व्याख्या देखें।

प्रश्न 3.
सही उत्तर चुनकर लिखिए

(क) इस पाठ का मुख्य उद्देश्य है
(1) राजपूतों के बारे में बताना।
(2) बहन द्वारा भाई को राखी बांधना।
(3) मुसीबत के समय बहन की मदद न करना।
(4) सांस्कृतिक एवं साम्प्रदायिक सदभावना का विकास करना।
उत्तर
(4) सांस्कृतिक एवं साम्प्रदायिक सदभावना का विकास करना।

(ख) कर्मवती कहाँ की रानी थी?
(1) झाँसी
(2) कालपी
(3) मेवाड़
(4) इन्दौर।
उत्तर
(3) मेवाड़।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1. ‘भ्रातृ’ शब्द तथा ‘त्व’ प्रत्यय मिलाकर ‘भ्रातृत्व’ बना है। इसी प्रकार निम्नलिखित तालिका के शब्दों में ‘त्व’ प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए
पितृ, मातृ, लघु, गुरु, मनुष्य, प्रभु।
उत्तर
पितृ + त्व- पितृत्व; मातृ + त्व- मातृत्व;
लघु + त्व-लघुत्व; गुरु + त्व = गुरुत्व;
मनुष्य + त्व= मनुष्यत्व, प्रभु + त्व = प्रभुत्व।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कीजिए
रणभूमि, राजपुत्र, देशभक्ति, रसोईघर, देशनिकाला, सेनापति।
उत्तर
रणभूमि = रण की भूमि
राजपुत्र = राजा का पुत्र
देशभक्ति = देश की भक्ति
रसोईघर = रसोई का घर
देशनिकाला = देश से निकाला
सेनापति = सेना का पति।

प्रश्न 3.
पाँचों प्रकार के योजक चिह्नों के दो-दो उदाहरण लिखिए
उत्तर

प्रश्न 4.
इस पाठ के चारों प्रकार के (और के प्रयोग वाले) वाक्य छाँटकर लिखिए।
उत्तर
(क) जाओ रणभूमि तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है और बहनो, तुम घर जाकर वीरव्रत की तैयारी करो। (उपवाक्य योजक)
(ख) हम हँसते-हँसते मरेंगे और बहुतों को मारकर मरेंगे। (उपवाक्य योजक)
(ग) किन्तु और भी तो बाधाएँ हैं। (विशेषण)
(घ) इस विकट अवसर पर मेवाड़, की रक्षा का और कोई उपाय है भी तो नहीं। (विशेषण)
(ङ) भ्रातृत्व और मनुष्यत्व पर विश्वास करके हुमायूँ की परीक्षा ली जाए। (शब्द योजक)
(च) लीजिए यह राखी और यह पत्र। (शब्द योजक)
(छ) हम भी देखेंगे कि कौन कितने पानी में है ? और यह भी प्रकट हो जाएगा कि एक राजपूतानी की राखी में कितनी ताकत है?
(उपवाक्य योजक)
(ज) मेवाड़ की रानी कर्मवती ने कुछ और सोचा। (क्रिया विशेषण)

प्रश्न 5.
‘तो’ के प्रयोग वाले वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं ऐसे वाक्यों को छाँटकर लिखें।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के बहुवचन लिखिए
थाली, जाली, भाई, दुश्मन, गाड़ी, साड़ी, धागा।
उत्तर
शब्द – बहुवचन
थाली – थालियाँ
जाली – जालियाँ
भाई – भाइयों
दुश्मन – दुश्मनों
गाड़ी – गाड़ियाँ
साड़ी – साड़ियाँ
धागा – धागे

प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
हँसते-हँसते प्राण देना, आग उगलना, प्राण कॉपना, खौफ खाना, जादू का पिटारा,
आग में कूदना, घाव भरना, आँख उठाना, कयामत का पैगाम, तिरछी नजर करना।
उत्तर
(क) हँसते-हँसते प्राण देना-सदैव बलिदान हेतु तत्पर रहना।
वाक्य प्रयोग-मेवाड़ की रक्षा के लिए वीर राजपूतों ने हँसते-हँसते अपने प्राण दे दिये।

(ख) आग उगलना-बुराई करना।
वाक्य प्रयोग-पाकिस्तान व्यर्थ ही भारत के विरुद्ध आग – उगलता रहता है।

(ग) प्राण काँपना-अत्यधिक डर जाना।
वाक्य प्रयोग-तूफान की तीव्रगति को देख नगरवासियों के प्राण काँप गये।

(घ) खौफ खाना-डरना।
वाक्य प्रयोग-चन्द्रशेखर आजाद के व्यक्तित्व से अंग्रेज भी खौफ खाते थे।

(ङ) जादू का पिटारा-करामात की थैली।
वाक्य प्रयोग-शिक्षक के पास कोई जादू का पिटारा तो है नहीं जो उसे खोले और विद्यार्थी बिना पढ़े परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाए।

(च) आग में कूदना-कठिन रास्ता चुनना।
वाक्य प्रयोग-कानून के विरुद्ध कार्य करना आग में कूदने के समान है।

(छ) घाव भरना-दुःख कम होना।
वाक्य प्रयोग-जहाँ तक सम्भव हो हमें दूसरों के घाव । भरने चाहिए।

(ज) आँख उठाना-चुनौती देना।
वाक्य प्रयोग-रानी लम्मीबाई ने अंग्रेजों के समक्ष आँख उठाने का साहस किया।

(झ) कयामत का प्रैगाम-प्रलय की सूचना।
वाक्य प्रयोग-पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को संरक्षण देना स्वयं उसके लिए एक दिन कयामत का पैगाम लेकर आयेगा।

(ज) तिरछी नजर करना-नाराज होना।
वाक्य प्रयोग-मेरे द्वारा सच बोलने पर तुमने अपनी नजर तिरछी क्यों कर ली?

राखी का मूल्य परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. हम लोग सदियों से हँसते-हँसते प्राण देते आए हैं। हमारी इस अजेय शक्ति का स्रोत आप बहनों की राखियों के धागे ही तो हैं। यही तो हमें बल देते आए हैं।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती’ के ‘राखी का मूल्य’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक हरिकृष्ण प्रेमी हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में एक वीर राजपूत अपने उद्गारों को रानी कर्मवती के समक्ष प्रकट कर रहा है।

व्याख्या-हम लोग युद्धभूमि में सैकड़ों वर्षों से हँसते-हँसते न्योछावर होते आये हैं। हममें यह जो शक्ति है जिसे कोई हरा नहीं सकता, वह आप जैसी बहनों की राखियों के धागों से ही प्राप्त होती आयी है। इनसे हमें एक नया बल और उत्साह प्राप्त होता रहा है।

2. मेवाड़ के सपूतो, तुम्हीं मेवाड़ के अभिमान हो, तुम्हारी कीर्ति अमर है। जाओ रणभूमि तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-मेवाड़ के वीर सपूतों को सम्बोधित करते हुए रानी कर्मवती कहती हैं

व्याख्या-हे मेवाड़ के बहादुर पुत्रों ! तुमसे मेवाड़ स्वयं स्वाभिमान महसूस कर रहा है। तुम्हारा यश संसार में अमर है। युद्ध भूमि को तुम जैसे वीर पुत्रों की आवश्यकता है। वह तुम्हारा इन्तजार कर रही है।

3. हमारी राखी वह शीतल प्रलेप है जो सारे घाव भर देती है। राखी वह वरदान है, जो सारे बैर-भावों को जलाकर भस्म कर देती है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में रानी कर्मवती के राखी के महत्त्व को प्रदर्शित किया गया है।

व्याख्या-राखी बैर-भाव रूपी घावों को भरने के लिए मरहम का कार्य करती है। राखी एक वरदान के समान है। इससे सारे बैर-भाव जल जाते हैं तथा प्रेम और सद्भावना का वातावरण उत्पन्न होता है।

4. “मैं दुनिया को बता देना चाहता हूँ कि हिन्दुओं के रस्मों-रिवाज मुसलमान के लिए भी उतने ही प्यारे और पाक हैं जितने उनके लिए। तुम भूलते हो कि हम सब एक परवरदिगार की औलाद हैं।”

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में हुमायूँ ने हिन्दुओं और मुसलमानों को एक ही ईश्वर ही सन्तान बताया है।

व्याख्या-हुमायूँ अपने सेनापति को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हिन्दुओं और मुसलमानों में कोई अन्तर नहीं है। सब के सब उस एक मालिक की सन्तान हैं जिसने उन्हें बनाया है। आज मैं इस पूरे संसार के सामने यह सिद्ध करना चाहता हूँ कि हिन्दुओं के सभी रीति-रिवाज और परम्पराएँ एक मुसलमान के लिए भी समान रूप से प्रिय और पवित्र हैं।

5. बहन का रिश्ता दुनिया के सारे सुखों, दौलतों, ताकतों और सल्तनतों से बढ़कर है। मैं इस रिश्ते की इज्जत सल्तनत कुर्बान करके भी रखूगा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में हुमायूँ कर्मवती की राखी को स्वीकार करते हुए उसके प्रति सम्मान और बलिदान की भावना प्रकट करता है।

व्याख्या-हुमायूँ का कथन है कि बहन का रिश्ता संसार में सभी वस्तुओं से बढ़कर है। राखी भेजकर रानी कर्मवती ने उसे | भाई बनाया है तो वह इस रिश्ते का सम्मान रखने के लिए सब कुछ बलिदान करने को भी सहर्ष तैयार है।

राखी का मूल्य शब्दकोश

सर्वस्व = सब कुछ; अजेय = जिसे जीता न जा सके; मर्यादा = लोकनीति, रिवाज, सीमा; कीर्ति = यश;
आन = गौरव; वैमनस्य = बैर, दुश्मनी, मनमुटाव; पश्चाताप =पछतावा; भ्रातृत्व = भाई-भाई से अपनापन; मनुष्यत्व = मानवता; लफ़्ज = शब्द; प्रलेप = विशेष प्रकार का मरहम।

राखी का मूल्य उर्दू शब्दों के हिन्दी रूप

सल्तनत = साम्राज्य; खाक = धूल; पैगाम = सन्देश, खबर, सूचना; हिफाजत = सुरक्षा;
तरजीह = प्राथमिकता,वरीयता; मुताबिक = अनुसार; कुर्बानी – बलिदान; फौलाद = इस्पात, मजबूत लोहा; सौगात = भेंट, कयामत = प्रलय; खौफ = डर; परवरदिगार = खुदा, ईश्वर ।

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