MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 11 अमरवाणी संस्कृतभाषा
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 11 अमरवाणी संस्कृतभाषा
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 11 अमरवाणी संस्कृतभाषा
MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 11 अभ्यासः
प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) का भाषा ‘देवभाषा’ इति कथ्यते? [कौन-सी भाषा ‘देवभाषा’ कही जाती है?]
उत्तर:
संस्कृत भाषा
(ख) कदा संस्कृत दिवसः आयोज्यते? [संस्कृतदिवस का आयोजन कब किया जाता है?]
उत्तर:
श्रावणी पूर्णिमायाम्
(ग) आदिज्ञानस्य आधाराः के? [प्रारम्भिक ज्ञान के आधार क्या थे?]
उत्तर:
चतुर्वेदाः, वेदाङ्गनि उपनिषदः दर्शनानि पुराणानि, चिकित्सानाट्य साहित्यशास्त्रादयः ग्रन्थाः
(घ) किं वर्षं संस्कृतवर्षम्? [कौन-सा वर्ष संस्कृत वर्ष है?]
उत्तर:
१९९९-२००० वर्ष ‘संस्कृतवर्षम्’
(ङ) भारतस्य द्वे प्रतिष्ठे के? [भारत की दो प्रतिष्ठा क्या हैं?]
उत्तर:
संस्कृतं संस्कृतिस्तथा
(च) का भाषा सम्पूर्ण राष्ट्र एकसूत्रेण बध्नाति? [कौन-सी भाषा सम्पूर्ण राष्ट्र को एकसूत्र में बाँधती हैं?]
उत्तर:
संस्कृत भाषा।
प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) संस्कृतभाषायाः पञ्चकवीनां नामानि लिखतः। [संस्कृत भाषा के पाँच कवियों के नाम लिखो।]
उत्तर:
संस्कृतभाषायाः पञ्चकवीनां नामानि-कालिदास भारविमाघदण्डि भर्तृहरिः सन्ति। [संस्कृत भाषा के पाँच कवियों के नाम हैं-कालिदास, भारवि, माघ, दण्डि तथा भर्तृहरि।]
(ख) गूढरहस्यानि दैवीयतत्वानि कुत्र निहितानि? [गूढ़ रहस्य तथा दैवी तत्व कहाँ छिपे हुए हैं?]
उत्तर:
श्रीमद्भगवद्गीतादिभारतीय धर्मदर्शन ग्रन्थेषु गूढरहस्यानि दैवीय तत्वानि निहितानि। [श्रीमद्भगवद्गीता आदि भारतीय धर्मदर्शन के ग्रन्थों में गूढ़ रहस्य तथा दैवी तत्व छिपे हुए हैं।]
(ग) कस्मात् कारणात् सङ्गणकाय संस्कृतम् उपयुक्तम् [किस कारण से संगणक के लिए संस्कृत उपयुक्त हैं?]
उत्तर:
भाषाविज्ञान दृष्ट्या सुदृढ़सुबद्धव्याकरणकारणात् सङ्गणकाय संस्कृतम् उपयुक्तम्। [भाषा विज्ञान की दृष्टि से सुदृढ़ और सुबद्ध व्याकरण के कारण से संगणक के लिए संस्कृत भाषा उपयुक्त है।]
(घ) कयोः ग्रामयोः जनाः संस्कृतेन वदन्ति? [कौन से दो गाँवों में मनुष्य संस्कृत में बोलते हैं?]
उत्तर:
कर्नाटके ‘मत्तूर ग्रामे’, मध्य प्रदेशे ‘झीरिग्रामे’ च जनाः संस्कृतेन वदन्ति। [कर्नाटक में ‘मत्तूर’ गाँव में, तथा मध्य प्रदेश के ‘झीरि गाँव’ में लोग संस्कृत में बोलते हैं।]
(ङ) धर्मपुराणस्मृतिग्रन्थेषु किं किं प्रतिपादितम्? [धर्मपुराण स्मृति ग्रन्थों में किस-किस बात का प्रतिपादन किया है?]
उत्तर:
चत्वारः पुरुषार्थाः, चत्वारः आश्रमाः, पोड्शसंस्काराः स्त्रीसमादरायः, सदाचारविचाराः, धर्मपुराणस्मृति ग्रन्थेषु प्रतिपादिता। [चार पुरुषार्थ, चार आश्रम, सोलह संस्कार, स्त्री सम्मान, सदाचार का विचार, धर्मपुराण तथा स्मृति ग्रन्थों में प्रतिपादन किया गया है।]
(च) चत्वारः वेदाः के? [चार वेद कौन-से हैं?]
उत्तर:
ऋग्वेदः, यजुर्वेदः, सामवेदः, अथर्ववेदः [ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।]
प्रश्न 3.
रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाओ
(क) श्रावणीपूर्णिमायां संस्कृतिदिवस: आयोज्यते।
(ख) पुरा संस्कृतभाषा जनभाषा आसीत्।
(ग) आध्यात्मिकज्ञानेन भारतं जगद्गुरुः आसीत्?
(घ) समस्तभारतीय भाषाणां जननी संस्कृतम्।
(ङ) भारते पञ्चदश संस्कृतविश्वविद्यालयाः सन्ति।
उत्तर:
(क) श्रावणी पूर्णिमायां किं आयोज्यते?
(ख) पुरा संस्कृतभाषा का आसीत्?
(ग) केन कारणेन भारतं जगद्गुरु आसीत्?
(घ) केषाम् जननी संस्कृतम्?
(ङ) भारते कति संस्कृत विश्वविद्यालयाः सन्ति?
प्रश्न 4.
उचित का मेल कराओ
उत्तर:
(क) → (3)
(ख) → (4)
(ग) → (5)
(घ) → (7)
(ङ) → (6)
(च) → (2)
(छ) → (8)
(ज) → (1)
प्रश्न 5.
कोष्ठक से उचित शब्द चुनकर रेखांकित शब्दों से प्रश्न बनाओ (कस्याः केषाम्, कीदृशी, कस्य)
(क) आर्याणाम् भाषा संस्कृतभाषा आसीत्?
(ख) भोजस्य राज्ये सर्वेजनाः संस्कृतभाषायाम् एव वदन्ति स्म।
(ग) आङ्गलभाषायाः कतिपयेषु शब्देषु संस्कृतभाषायाः प्रभावः दृश्यते।
(घ) बाणभट्टस्य कादम्बरी अपि संस्कृतभाषायाः उत्कृष्टा कृतिः अस्ति।
उत्तर:
(क) केषाम् भाषा संस्कृतभाषा आसीत्?
(ख) कस्य राज्ये सर्वेजनाः संस्कृतभाषायाम् एव वदन्ति स्म?
(ग) कस्याः कतिपयेषु शब्देषु संस्कृतभाषाः प्रभावः दृश्यते?
(घ) बाणभट्टस्य कादम्बरी अपि संस्कृतभाषायाः कीदृशी कृतिः अस्ति?
प्रश्न 6.
उचित शब्द से रिक्त स्थान भरो (संस्कृतभाषायाः, संस्कृतभाषया, संस्कृतभाषाम्, संस्कृतभाषा)
(क) जनाः ……….. वदन्ति।
(ख) ……….. देववाणी कथ्यते।
(ग) ………….. विकासः आवश्यकः अस्ति।
(घ) भारतीयभाषानां उद्गम ………… एव अभवत्।
उत्तर:
(क) संस्कृतभाषाम्
(ख) संस्कृतभाषा
(ग) संस्कृतभाषायाः
(घ) संस्कृतभाषया।
प्रश्न 7.
उचित अव्यय पद चुनकर कथा को पूर्ण करो
(सत्वरं, पुरा, इति, अन्तः, मन्द-मन्दं, बहिः, एकदा, शीघ्रं, उच्चैः, उपरि, शनैः शनैः, परितः, पुरतः)
………… काले एकस्मिन् वने बहवः पशुपक्षिणः निवसन्ति स्म। …………. वनस्य …………. नूतनवर्षस्य सभा आसीत्। शशकः कच्छपं ………… आगच्छतु …………. उक्त्वा ………… सभां गतवान्। स्थूल: गजः …………. आगतः। मूषकः बिलात् ………… आगत्य सभां गतः। सर्वे पशुपक्षिणः आगत्य मञ्चस्य ………… उपविष्टाः। सभास्थलं …………. वानराः आसन्। सिंह ………….. गर्जनं कृत्वा मञ्चस्य …………. उपविष्टः। सिंहः भाषणं दत्वा शुभकामना: दत्तवान्। सर्वे मिष्ठान्न खादितवन्तः कच्छपः ………. विलम्बेन आगतवान्। तं दृष्ट्वा सर्वे हसितवन्तः।
उत्तर:
पुरा, एकदा, अन्तः, सत्वरं, इति, शीघ्र, मन्द-मन्दं, बहिः, परितः, पुरतः, शीघ्रं, उपरि, शनैः शनैः।
अमरवाणी संस्कृतभाषा हिन्दी अनुवाद
“भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती”
भी छात्राः! श्रावणमासस्य द्वादशीतः भाद्रपदमासस्य तृतीयापर्यन्तं संस्कृतसप्ताहः भवति। अद्य श्रावणीपूर्णिमा अस्ति। किं भवन्तः जानन्ति? अद्य संस्कृतदिवसः अपि आयोज्यते। संस्कृतभाषा अतिप्राचीना अस्ति। दैवीयप्रेरणया उत्पन्न अतः इयं भाषा देवभाषा इति कथ्यते। सम्पूर्णे अपि विश्वे आदिज्ञानस्य आधाराः ऋग्वेदः, यजुर्वेदः, सामवेदः, अथर्ववेदः इति चतुर्वेदाः तथा शिक्षा, कल्पः, ज्योतिष, छन्दः, व्याकरणं, निरुक्तम् इति षड् वेदाङ्गनि अष्टोत्तरशतम् उपनिषदः षड् दर्शनानि अष्टादश पुराणानि चिकित्सानाट्यसाहित्य-शास्त्रादयः ग्रन्थाः च संस्कृतभाषायाम् एव लभ्यन्ते। पुरा संस्कृतभाषा जनभाषा आसीत्, अधुना अपि प्रासङ्गिकी अस्ति। संस्कृतस्य महत्त्वं विविधकारणै अस्ति। यथा
अनुवाद :
“भाषाओं में मुख्य संस्कृत भाषा मधुर और दिव्य है।”
हे छात्रो! श्रावण महीने की द्वादशी से लेकर भादों (भाद्रपद) महीने की तृतीया तक संस्कृत भाषा का सप्ताह होता है। आज श्रावण महीने की पूर्णमासी है। क्या आप जानते हैं कि आज संस्कृतदिवस का आयोजन भी किया जा रहा है। संस्कृत-भाषा बहुत अधिक प्राचीन है। दैवी-प्रेरणा से उत्पन्न हुई है, इसलिए यह भाषा देवभाषा कही जाती है। सम्पूर्ण विश्व में ही प्रारम्भिक ज्ञान के आधार पर ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद आदि चारों वेद तथा शिक्षा, कल्प, ज्योतिष्ज्ञ, छन्द, व्याकरण, निरूक्त, छ: वेदाङ्ग, एक सौ आठ उपनिषद, छः दर्शन, अठारह पुराण, चिकित्सा, नाट्य साहित्य और शास्त्र इत्यादि ग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही प्राप्त हैं। प्राचीन काल में संस्कृत भाषा ही जनभाषा (लोगों की भाषा) थी, (यह बाद में) आज भी प्रासङ्गिक है। संस्कृत का महत्त्व अनेक कारणों से है। जैसे-
1. आध्यात्मिकं महत्त्वम् :
आध्यात्मिकज्ञानेन भारतं जगद्गुरुः आसीत्। श्रीमद्भगवद्गीतादिभारतीयधर्म दर्शनग्रन्थेषु गूढरहस्यायानि दैवीयतत्त्ववानि निहितानि। भौतिकजगति आध्यात्मिकशान्तिनिमित्तं वैदेशिकाः अपि भारतीयदर्शनस्य अध्ययनं कुर्वन्ति।
2. सांस्कृतिकं महत्त्वम् :
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा।” तत्रापि “संस्कृति ः संस्कृताश्रिता” इति उच्यते। चत्वारः पुरुषार्थाः, चत्वार : आश्रमाः, षोडश संस्काराः, स्त्रीसमादरादयः, सदाचारविचाराः धर्मपुराणस्मृतिग्रन्थेषु संस्कृतभाषायाम् एव प्रतिपादिताः।
3. साहित्यिकं महत्त्वम् :
संस्कृतभाषायाम् आदिकविवाल्मीकिम् आरम्भ्य विष्णुशर्माकालिदासभारविमाघदण्डिभर्तृहरिजयदेवादीनां वैविध्यपूर्णकवीनां विश्वप्रसिद्धा समृद्धपरम्परा अस्ति। एतेषां कृतिषु गद्यपद्यनाट्य-काव्यगीतिनीतिस्तोत्रकथासाहित्यस्य भण्डार: दृश्यते।
4. वैज्ञानिकं महत्त्वम् :
विज्ञानस्य विभिन्न क्षेत्रेषु भारतीयवैज्ञानिकैः पाणिनिः पतञ्जलि-कणाद-आर्यभट्टवराहमिहिर-भास्कराचार्यादिभिः संस्कृते लिखिताः ग्रन्थाः अद्यापि विश्वस्य मार्गदर्शनं कुर्वन्ति। भाषाविज्ञानदृष्ट्या अपि सुदृढ़सुबद्धव्याकरणकारणात् सङ्गणकाय अस्याः भाषायाः उपयोगिता उद्घोषिता। समस्तभारतीयभाषाणां जनन्याः संस्कृतभाषायाः प्रभावः अन्यवैदेशिकभाषासु अपि दृश्यते। समृद्धशब्दभण्डारकारणात् आधुनिकप्राविधिक क्षेत्रे परिभाषिकशब्दानुवादसमये संस्कृतस्य एव साहाय्यं स्वीक्रियते। न केवलं एतानि कारणानि अपि तु संस्कृतं सम्पूर्ण राष्ट्र एकसूत्रेण बध्नाति।
अनुवाद :
1. आध्यात्मिक महत्त्व :
आध्यात्मिक ज्ञान के कारण भारतवर्ष जगद्गुरु था। श्रीमद्भगवद्गीता आदि भारतीय धर्म दर्शन ग्रन्थों में गूढ़ रहस्य तथा दैवीय तत्व छिपे हुए हैं। भौतिक संसार में आध्यात्मिक शान्ति के लिए विदेशी लोग भी भारतीय दर्शन का अध्ययन करते हैं।
2. सांस्कृतिक महत्त्व :
“भारत की प्रतिष्ठा दो में है-संस्कृत तथा संस्कृति में। वहाँ भी संस्कृति संस्कृत के आश्रित है।” ऐसा कहा जाता है। चार पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष), चार आश्रम, सोलह संस्कार, स्त्री समादर इत्यादि, सदाचार सम्बन्धी विचार, धर्म पुराण और स्मृति ग्रन्थों को संस्कृत भाषा में ही प्रतिपादित किया गया है।
3. साहित्यिक महत्त्व :
संस्कृत भाषा में आदि कवि वाल्मीकि से लेकर विष्णु शर्मा, कालिदास, भारवि, माघ, दण्डि, भर्तृहरि, जयदेव आदि विविधतापूर्ण कवियों की विश्वप्रसिद्ध समृद्ध परम्परा है। इनकी रचनाओं में गद्य-पद्य नाटक, काव्य, गीति, नीति, स्रोत, कथा साहित्य का भण्डार दिखायी देता है।
4. वैज्ञानिक महत्त्व :
विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय वैज्ञानिकों के द्वारा पाणिनि, पतञ्जलि, कणाद, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, भास्कराचार्य आदि के द्वारा संस्कृत में लिखे ग्रन्थ आज भी विश्व का मार्गदर्शन करते हैं। भाषा विज्ञान की दृष्टि से भी सुदृढ़ और सुबद्ध व्याकरण के कारण से सङ्गणक के लिए इसकी भाषा की उपयोगिता घोषित की गई थी। समस्त भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा का प्रभाव अन्य वैदेशिक भाषाओं पर भी दिखाई पड़ता है। समृद्ध शब्द भण्डार के कारण से आधुनिक प्राविधिक (तकनीकी) क्षेत्र में पारिभाषिक शब्दों का अनुवाद करने के समय संस्कृत की ही सहायता स्वीकार की जाती है।
केवल इतने ही कारण नहीं हैं अपितु (यह) संस्कृत (भाषा) सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधती है।
अस्याः भाषायाः ऐतिहासिक-सामाजिक-राष्ट्रीयअन्ताराष्ट्रियक्षेत्रेषु अपि महत्त्वम् अस्ति। एतस्याः महत्त्वं ज्ञात्वा इदानी सर्वकारः अपि पुनः जनभाषां कर्तुं १९९९-२००० वर्ष ‘संस्कृतवर्षम्’ इति उद्घोष्य संस्कृतस्य प्रचारप्रसारे संलग्नः अस्ति। भारते इदानी पञ्चदश संस्कृतविश्वविद्यालयाः सन्ति। सर्वे प्रायः चिन्तयन्ति यत् संस्कृतं कठिनम् इति, किन्तु वस्तुतः एषा सरला सरसा सुबोधजनभाषा अस्ति। अतः कर्नाटके ‘मत्तूर ग्रामे’ मध्यप्रदेशे ‘झीरिग्रामे’ च जनाः संस्कृतेन वदन्ति। इदानीम् अस्माभि अपि संस्कृतं पठित्वा अस्याः भाषायाः प्रसाराय प्रयत्नः करणीयः।
अनुवाद :
इस भाषा का ऐतिहासिक-सामाजिक-राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में भी महत्त्व है। इसके महत्त्व को जानकर अब सरकार भी फिर से इसे जनभाषा बनाने के लिए १९९९-२००० के वर्ष को संस्कृतवर्ष’ घोषित करके संस्कृत के प्रचार और प्रसार में लगी हुई है। भारतवर्ष में अब पन्द्रह संस्कृत विश्वविद्यालय हैं। सभी प्रायः सोचा करते हैं कि संस्कृत कठिन है किन्तु वास्तव में यह भाषा सरल, सरस और सुबोध जनभाषा है। अतः कर्नाटक में ‘मत्तूर’ नामक गाँव में और मध्य प्रदेश में ‘झीरि’ गाँव में लोग संस्कृत में ही बोलते हैं। अब हम लोगों को भी संस्कृत पढ़कर इस भाषा के प्रसार के लिए प्रयत्न करने चाहिए।
अमरवाणी संस्कृतभाषा शब्दार्थाः
गीर्वाणभारती = संस्कृत भाषा। प्रासङ्गिकी = प्रासंगिक। दैवीय प्रेरणया = देवों की प्रेरणा से। पुरा = प्राचीन काल में। अधुना = अभी या वर्तमान में। प्राविधिक क्षेत्रम् = तकनीकी क्षेत्र। स्वीक्रियते = ली जाती है। सर्वकारः = सरकार। उद्घोष्य = उद्घोषणा करके। करणीय = करना चाहिए।