MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 2 कालबोध:
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 2 कालबोध:
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 2 कालबोध:
MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 2 अभ्यासः
प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो-
(क) सप्ताहे कति दिनानि भवन्ति? [सप्ताह में कितने दिन होते हैं?]
उत्तर:
सप्त
(ख) कति तिथयः भवन्ति? [तिथियाँ कितनी होती हैं ?]
उत्तर:
पञ्चदश
(ग) सूर्यः कस्यां दिशि उदेति? [सूर्य किस दिशा में उदय होता है ?]
उत्तर:
पूर्वस्यां
(घ) वर्षे कति मासाः भवन्ति? [वर्ष में कितने महीने होते हैं ?]
उत्तर:
द्वादश
(ङ) चैत्रवैशाखयोः कः ऋतुः भवति? [चैत्र-वैशाख में कौन-सी ऋतु होती है ?]
उत्तर:
बसन्तः।
प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) माघफाल्गुनयोः कः ऋतुः भवति माघ और फागुन में कौन-सी ऋतु होती है?]
उत्तर:
माघफाल्गुनयोः शिशिरः ऋतुः भवति। [माघ और फागुन में शिशिर ऋतु होती है।]
(ख) चन्द्रः कदा पूर्णतां प्राप्नोति? [चन्द्रमा कब पूर्णता को प्राप्त करता है?]
उत्तर:
चन्द्रः पूर्णिमायां पूर्णतां प्राप्नोति। [चन्द्रमा पूर्णमासी को पूर्णता प्राप्त करता है।]
(ग) अमावस्या कस्मिन् पक्षे भवति? [अमावस्या किस पक्ष में होती है?]
उत्तर:
अमावस्या कृष्णपक्षे भवति। [अमावस्या कृष्णपक्ष में होती है।]
(घ) कौ द्वौ पक्षौ भवतः? [कौन से दो पक्ष होते हैं ?]
उत्तर:
शुक्लपक्षः, कृष्णपक्षः च इति द्वौ पक्षौ भवतः। [शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष नामक दो पक्ष होते हैं।]
प्रश्न 3.
उपयुक्त जोड़े बनाइए
उत्तर:
(क) → (4)
(ख) → (6)
(ग) → (5)
(घ) → (1)
(ङ) → (3)
(च) → (2)
प्रश्न 4.
नीचे लिखे हुए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर खाली स्थानों को पूरा करो
(क) शुक्लपक्षे ……….. तिथिः भवति। (अमावस्या/पूर्णिमा)
(ख) ज्येष्ठमासानान्तरम् ………. मासः भवति। (श्रावण/आषाढः)
(ग) सप्ताहे ……….. दिनानि भवन्ति। (नव/सप्त)
(घ) शुक्लपक्षे चन्द्रः क्रमशः ……….। (क्षीयते/वर्धते)
(ङ) पक्षे तिथयः ……… भवन्ति। (षोडश/पञ्चदश)
उत्तर:
(क) पूर्णिमा
(ख) आषाढ़ः
(ग) सप्त
(घ) वर्धते
(ङ) पञ्चदश।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्दों को लिखो (चन्द्रः, पृथ्वी, वासरः, निशा)
उत्तर:
(क) चन्द्रः-शशिः, शशाङ्क।
(ख) पृथ्वी-धरा, अचला।
(ग) वासरः-दिवसः, दिनम्।
(घ) निशा-रजनी, राका।
प्रश्न 6.
पाठ में आये हुए अव्यय शब्दों को चुनकर पाँच वाक्य बनाओ।
उत्तर:
अव्यय शब्द :
यदा, तत्र, तदा, यथा, अत्र ।
वाक्य प्रयोग :
- यदा सूर्यः उदेति, तदा अहम् व्यायामम् करोमि।
- अहम् एकम् व्यालम् अपश्यत् तदा अहम् भयभीतः जातः।
- अत्र आगच्छ।
- तत्र सः अगच्छत्।
- यथा सः निर्दिष्टः तथा सः अकरोत्।
(नामों को क्रम से लिखिए)
प्रश्न 7.
रिक्त स्थानों को पूरा करो-
(क) वसन्तः ……….. वर्षा ……… , ……… , शिशिरः।
(ख) शनिवासरः ……… , ……… मङ्गलवासरः ………… , …………… , ………..।
(ग) चैत्रः ………. आषाढः ……….. आश्विनः ……….. पौषः ……….।
(घ) ……… द्वादशः ………. , ……… , पञ्चदश, ……….. , ………. , ………… , नवदश ……….।
(ङ) प्रतिपदा ……….. , ……….. , ……….. पञ्चमी …………… , …………. नवमी ……….. , ………. त्रयोदशी ………. अमावस्या।
उत्तर:
(क) ग्रीष्म, शरद, हेमन्त।
(ख) रविवासरः, सोमवासरः, बुधवासरः, गुरुवासरः, शुक्रवासरः।
(ग) वैशाखः, ज्येष्ठः, श्रावणः, भाद्रपदः, कार्तिकः, मार्गशीर्ष, माघः, फागुनः।
(घ) एकादशः, त्रयोदश, चतुर्दश, षोडशः, सप्तदश, अष्टादश, विंशति।
(ङ) द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, चतुर्दशी।।
कालबोध: हिन्दी अनुवाद :
शिष्यः :
महोदय! रात्रिदिवसयोः विभाजनं कथं भवति?
गुरुः :
पृथ्वी गोलाकारा विद्यते। एषा अहर्निशं केन्द्र परिभ्रमति। यदा अस्याः यः भागः सूर्यस्य सम्मुखे भवति तत्र सूर्यस्य किरणाः पतन्ति तदा दिनं जायते। यस्मिन् भागे किरणाः न पतन्ति तत्र अन्धकारः भवति रात्रिश्च जायते। सूर्यः प्रातः पूर्वस्यां दिशि उदेति सायं च पश्चिमदिशि अस्तं गच्छति। एवं सूर्यस्य उदयानन्तरं दिनस्य अस्तानन्तरं च रात्रेः ज्ञानं भवति। दिवानिशानुसारमेव जनाः विविधाः क्रियाः सम्पादयन्ति।
अनुवाद :
शिष्य-महोदय! रात और दिन का विभाजन कैसे होता है?
गुरु :
पृथ्वी गोल आकार की है। यह रात और दिन केन्द्र पर (अपनी कीली पर) घमती है। जब इसका जो भाग सर्य के सामने होता है, वहाँ सूर्य की किरणें गिरती हैं, तब दिन होता है। जिस भाग में किरणें नहीं गिरती हैं, वहाँ अंधेरा होता है और रात्रि हो जाती है। सूर्य प्रात:काल पूर्व दिशा में उदित होता है और सायंकाल को पश्चिम दिशा में छिप जाता है। इस प्रकार, सूर्य के उदय होने के बाद और दिन के अस्त हो जाने के बाद रात्रि का ज्ञान हो जाता है। दिन और रात्रि के अनुसार ही मनुष्य अनेक प्रकार के कार्य पूर्ण किया करते हैं।
शिष्यः :
सप्ताहे कति दिनानि भवन्ति?
गुरुः :
सप्ताहे सप्त दिनानि भवन्ति। तेषां नामानि तु-रविवासरः, सोमवासरः, मङ्गलवासरः, बुधवासरः, गुरुवासरः, शुक्रवासरः, शनिवासरः चेति। शिष्यः-वर्षे कति मासाः भवन्ति?
गुरुः :
वर्षे द्वादश मासाः भवन्ति। तेषां नामानि तु-चैत्रः, वैशाखः, ज्येष्ठः, आषाढः, श्रावणः, भाद्रपदः, आश्विनः, कार्तिकः, मार्गशीर्षः, पौषः, माघ, फाल्गुनः चेति।
शिष्यः :
तिथयः कति भवन्ति? अनुवाद-शिष्य-एक सप्ताह में कितने दिन होते हैं?
गुरु :
एक सप्ताह में सात दिन होते हैं। उनके नाम हैंरविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार तथा शनिवार।
शिष्य :
एक वर्ष में कितने महीने होते हैं?
गुरु :
एक वर्ष में बारह महीने होते हैं। उनके नाम हैं-चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन (क्वार), कार्तिक, मार्गशीर्ष (अगहन), पौष, माघ और फाल्गुन (फागुन)।
शिष्य :
तिथियाँ कितनी होती हैं?
गुरुः :
प्रतिपक्षं तिथयः पञ्चदश भवन्ति। यथा-प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पञ्चमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या वा।
मासे द्वौ पक्षौ भवतः शुक्लपक्षः, कृष्णपक्ष: चेति। शुक्लपक्षे पूर्णिमा कृष्णपक्षे च अमावस्या भवति। शुक्लपक्षे चन्द्रः क्रमशः वर्धते। पूर्णिमायां सः पूर्णतां प्राप्नोति। सः पञ्चदशभिः कलाभिः पूर्णः भवति। कृष्णपक्षे च क्रमशः क्षयं प्राप्नोति। प्रतिदिनं तस्य एका कला क्षीयते। अमावस्यायां सः पूर्णरूपेण लुप्तः भवति।
अनुवाद :
गुरु :
प्रत्येक पक्ष (पाख) में पन्द्रह तिथियाँ होती हैं। जैसे-प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दौज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पञ्चमी (पाँचें), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातें), अष्टमी (आठ), नवमी (नौमी), दशमी, एकादशी (ग्यारस), द्वादशी, त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस), पूर्णिमा (पूर्णमासी या पूनों) अथवा अमावस्या (मावस)।
महीने में दो पक्ष होते हैं-शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष में अमावस्या होती है। शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। पूर्णमासी को वह पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। वह पन्द्रह कलाओं से पूर्ण होता है और कृष्णपक्ष में क्रमशः क्षय (क्षीणता) को प्राप्त कर लेता है। प्रत्येक दिन उसकी एक कला क्षीण हो जाती है। अमावस्या को वह पूर्ण रूप से छिप जाता है।
शिष्यः :
वर्षे कति ऋतवः भवन्ति?
गुरुः :
चैत्रवैशाखयोः-वसन्तः, ज्येष्ठाषाढयो:-ग्रीष्मः, श्रावणभाद्रपदयोः-वर्षा, आश्विनकार्तिकयोः-शरद्, मार्गशीर्षपौषयोः-हेमन्तः, माघफाल्गुनो:-शिशिरः एवं षड् ऋतवः भवन्ति। शिष्य! एकादशतः विंशतिपर्यन्तं संख्यां गणय।
शिष्यः :
आम्! एकादश, द्वादश, त्रयोदश, चतुर्दश, पञ्चदश, षोडश, सप्तदश, अष्टादश, नवदश, विंशतिः।
गुरु :
साधु वत्स! सम्यगुक्तम्। अनुवाद-शिष्य-वर्ष में कितनी ऋतुएँ होती हैं?
गुरु :
चैत्र और वैशाख में बसन्त, ज्येष्ठ और आषाढ़ में ग्रीष्म, श्रावण और भाद्रपद में वर्षा, आश्विन और कार्तिक में शरद, मार्गशीर्ष (अगहन) और पौष में हेमन्त, माघ और फाल्गुन में शिशिर, इस तरह छः ऋतु होती हैं। हे शिष्य! ग्यारह से बीस तक की संख्या गिनो।
शिष्य :
जी हाँ! ग्यारह, बारह, तेरह, चौदह, पन्द्रह, सोलह, सत्रह, अठारह, उन्नीस, बीस।
गुरु :
बहुत अच्छा वत्स! ठीक बताया है।
कालबोध: शब्दार्थाः
अहर्निशम् = दिन और रात। गोलाकारा = गोल आकार की। कला = शोभा (चन्द्रमा की कला)। पक्ष = पखवारा (महीने का आधा भाग)। क्षयं = नाश, हानि को।