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MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 16 यमराज की दिशा

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 16 यमराज की दिशा

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 16 यमराज की दिशा ( चंद्रकांत देवताले )

कवि – परिचय

जीवन – परिचय – चंद्रकांत देवताले का जन्म 1936 में म.प्र. के बैतूल जिले के जौलखेडा गाँव में हुआ था। उन्होंने इंदौर तथा हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से शिक्षा प्राप्त की। आजीविका के लिए उन्होंने अध्यापन कार्य शुरू किया। देवताले की बचपन से ही लेखन में रुचि थी। वह साठोत्तरी कविता के समर्थक कवि थे। उन्हें माखन लाल चतुर्वेदी पुरस्कार से सम्मानित यिा गया। सन् 1986-87 में -उन्हें मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान भी प्राप्त हुआ।
रचनाएँ – देवताले की प्रमुख रचनाएँ – दीवारों पर खून से, लक्कड़बग्घा हँस रहा है, हड्डियों में छिपा ज्वर, भूखंड तप रहा है, पत्थर की बेंच आदि हैं।
काव्यगत विशेषताएँ- चंद्रकांत देवताले गाँव-कस्बों और मध्यवर्ग की भावनाओं के कवि हैं वे समाज में जोंक की तरह खून चूसते शोषकों पर जमकर बरसते हैं।
भाषा-शैली – इनकी कविता की भाषा सरल और सुगम है। तत्सम शब्दों का स्वाभाविक प्रयोग है। वाक्य रचना गद्यात्मक है। वे बात को सरल-सीधी शैली में कह देते हैं।
कविता का सार
‘यमराज की दिशा’ नामक कविता में चारों ओर फैलती विनाशकारी और शोषक शक्तियों की ओर संकेत किया गया है। कवि की माँ कवि को बताती रहती है कि वह ईश्वर से बातचीत करती रहती है। ईश्वर ने माँ को बताया था कि दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से यमराज क्रुद्ध होते है। अतः उस तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए। उसने ऐसा ही किया और उसे दक्षिण दिशा की पहचान हो गई। आज उसे ऐसा लगता है कि सब दिशाएँ दक्षिण हो गई है। वह जिधर भी पैर फैलाता है, उधर जलती आँखों वाले यमराज दिखाई देते हैं। शायद अब माँ का जमाना नहीं रहा।
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई ?
उत्तर – कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल इसलिए नहीं हुई कि उसकी माँ ने उसे समझा दिया था कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके मत सोना । दक्षिण दिशा में यमराज का घर है। दक्षिण दिशा मौत की दिशा है। माँ के आज्ञाकारी पुत्र कवि ने इसे भली-भाँति अपने जीवन भार याद रखा।
प्रश्न 2. कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघना सम्भव नहीं था ?
उत्तर – कवि ने दक्षिण दिशा को लाँघना असम्भव बताया, क्योंकि दक्षिण का कोई अन्त नहीं है। दक्षिण में चलकर हम जहाँ भी ठहरते हैं, उसके आगे से फिर दक्षिण दिशा शुरू हो जाती है। इस प्रकार दक्षिण को लाँघ पाना सम्भव नहीं था।
प्रश्न 3. कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है ?
उत्तर – कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है। उसकी माँ ने जब उसे दक्षिण दिशा का ज्ञान कराया था, तब से आज की परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। सभ्यता का विकास खतरनाक दिशा की ओर बढ़ता गया। आज धन कमाने की लालसा में लोग दूसरों का शोषण करने से भी नहीं चूकते हैं। आज समाज में धन लोलुपता बढ़ी है, जिससे शोषक हर ओर फैल गए हैं।
प्रश्न 4. “सभी दिशाओं में यमराज की आलीशान महल हैं। और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं। “
उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर – प्राचीन लोगों का मानना था कि यमराज दक्षिण दिशा में रहते हैं। उस समय लोगों में न इतनी धन लोलुपता थी और न मानवीय मूल्यों का इतना ह्रास हुआ था। आज सभ्यता के विकास के साथ चलने के लिए लोगों में स्वार्थ तथा शोषण की प्रवृत्ति बढ़ी है। ये शोषक शक्तियाँ किसी एक दिशा तक सीमित न रहकर चारों ओर फैली हुई है।
प्रश्न 5. ‘यमराज की दिशा’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- ‘यमराज की दिशा’ नामक कविता में कवि समाज के विभिन्न वर्गों में मौजूद हानिकारक तत्वों की ओर संकेत करता है। वह कहता है कि माँ बचपन में जिस भय की चर्चा किया करती थी, अब वह दक्षिण दिशा तक ही सीमित न रहकर चारों ओर फैल गया है। आम आदमी के लिए खतरा बन गई ताकतें विध्वंश, हिंसा, मृत्यु के रूप में फैलकर चुनौती बन गई हैं। इस कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त विभिन्न चुनौतियों से लड़ने के लिए आम आदमी को प्रेरित किया गया है।
प्रश्न 6. कवि ने हर दिशा को मृत्यु की दिशा कहकर आम आदमी को क्या संदेश दिया है?
उत्तर कवि ने हर दिशा को मृत्यु की दिशा कहकर आम आदमी को वर्तमान समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों, भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती तथा विभिन्न व्यभिचारों से अवगत कराया है। कवि यह महसूस करता है कि प्राचीन समय के दक्षिण दिशा के खतरे आज दिशा विशेष तक सीमित नहीं रहे। आज चारों ओर आम आदमी खतरों से घिरा हुआ है। लोगों ने विकास भले ही किया, पर इससे विध्वंस, हिंसा, अशांति और भय का वातावरण बन गया है। कवि आम आदमी को यह बताना चाहता है कि एकजुट होकर संघर्ष करने से ही इन खतरों पर विजय पाई जा सकती है। अतः सभी को इन खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 7. हर जगह दक्षिण दिशा हो जाने के माध्यम से कवि किस वास्तविकता से हमें सजग करना चाहता है?
उत्तर- आज समाज में हर ओर शोषण, भ्रष्टाचार, हिंसा, लूटमार आदि का बोलबाला है। शोषक तथा उनके सहयोगी समाज के किसी निश्चित क्षेत्र तक सीमित नहीं रहे। वे चारों दिशाओं में फैले हैं। आदमी कहीं भी जाए उसका शोषण होना ही है। कवि हमें इस वास्तविकता से अवगत कराकर ऐसे तत्वों से सावधान रहने का संदेश देता है।
प्रश्न 8. माँ ने ऐसा क्यों कहा होगा कि यमराज को नाराज करना बुद्धिमानी की बात नहीं।
उत्तर-कवि प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहता है कि माँ प्रेम और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति होती है। वह अपने बच्चे को जीवन में आने वाली प्रत्येक कठिनाई से बचाना चाहती है। शास्त्रों में यमराज को मृत्यु का देवता माना गया है। जीवन कब तक रहेगा, यह उसके हाथ में होता है। दक्षिण यमराज की दिशा मानी जाती है। उस ओर पैर करके सोने से यमराज नाराज होकर मृत्यु का शिकार बन सकता है। अतः अपने बच्चे को खतरों से बचाने के लिए माँ ने ऐसा कहा होगा।
प्रश्न 9. माँ कवि से जो कुछ कहती है, वह सचमुच ईश्वर की सलाह के बाद कहती है या अपने अनुभव के आधार पर? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर कवि की माँ और उसके समय के लोगों में आस्तिकता की भावना प्रगाढ़ होती थी। इसीलिए कवि की माँ जब समस्याओं पर सच्चे मन से विचार करती थी, तो यह आस्तिकता उसे आंतरिक प्रेरणा देती थी, जो दुविधा की स्थिति से उबारने में उसकी मदद करती थी। उसे लगता था कि वह दिव्य शक्ति उसे ईश्वर से मिल ही है, जिसे वह ईश्वरीय मुलाकात कहती थीं। माँ को अनुभव तो था ही। अतः वह अपने अनुभव को प्रभावपूर्ण बनाने हेतु अपने पुत्र को ईश्वरीय भय दिखाया करती थी, जिससे कवि उसकी बात का उल्लघंन करने की बात न सोचे।
प्रश्न 10. माँ के समझाने के बाद कवि दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोया। इससे उसे क्या फायदा हुआ?
उत्तर- माँ ने कवि को यमराज का भय दिखाते हुए दक्षिण दिशा में पैर करके न सोने की सीख दी। इसके बाद कवि दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोया। कवि को यह फायदा हुआ कि उसे दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा।
प्रश्न 11. कवि की माँ द्वारा दक्षिण की ओर पैर करके न सोने की सीख के पीछे कौन-सी भावना प्रकट होती है?
उत्तर- कवि की माँ अपने बेटे को जीवन की कठिनाइयों के प्रति सचेत करती थी। वह कवि को बताती थीं कि दक्षिण दिशा में पैर करके मत सोना, क्योंकि उस दिशा में यमराज का घर है। इस दिशा में पैर करके सोने से यमराज क्रुद्ध हो सकते हैं। यमराज को क्रुद्ध करना बुद्धिमानी की बात नहीं। वह मृत्यु का देवता है। ऐसी सीख देने के पीछे माँ की अपने बेटे को कष्टों से बचाने की चिन्ता की भावना प्रकट होती है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) मृत्यु की दिशा कहलाती है ………… । (पूर्व / दक्षिण)
(ii) माँ अपने बच्चों का हमेशा ……… चाहती है। (कल्याण/अशुभ)
(iii) माँ ने ……… दिशा में पैर करने से मना किया है। (पूर्व/दक्षिण)
उत्तर- (i) दक्षिण (ii) कल्याण (iii) दक्षिण।
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
(i) दक्षिण दिशा यमराज की दिशा है।
(ii) यमराज को नाराज करना बुद्धिमानी नहीं है।
(iii) यमराज सभी दिशाओं में रहते हैं।
उत्तर- (i) सत्य (ii) सत्य (iii) सत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए
(i) यमराज का घर किस दिशा में है ?
(ii) कवि दक्षिण दिशा क्यों नहीं लाँघ सका?
(iii) कवि की माँ किस प्रवृत्ति की है।
उत्तर- (i) यमराज का घर दक्षिण दिशा में है।
(ii) दक्षिण दिशा अन्त हीन होने से उसे कोई भी लाँघ नहीं सका।
(iii) कवि की माँ धार्मिक प्रवृत्ति की महिला है।
महत्वपूर्ण गद्यांश एवं सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
काव्यांश – 1
“माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिन्दगी जीने और दुःख बरदाश्त करने के
रास्ते खोज लेती है। “
प्रश्न 1. कवि क्या विश्वासपूर्वक नहीं कहता ?
उत्तर – कवि अपनी माँ की ईश्वर से मुलाकात होना विश्वासपूर्वक नहीं कहता।
प्रश्न 2. कवि की माँ क्या प्रदर्शित करती थीं?
उत्तर- कवि की माँ ईश्वर से अपनी मुलाकात होना प्रदर्शित करती थीं।
प्रश्न 3. काव्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए की कवि की माँ किस प्रवृत्ति की महिला थीं?
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में वर्णित तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि कवि की माँ धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं।
प्रश्न 4. काव्यांश में कौन-सी शैली का प्रयोग कवि ने किया है?
उत्तर- द्वंद्व मुक्त शैली का प्रयोग किया है।
प्रश्न 5. उपर्युक्त काव्यांश किस कविता से अवतरित है? इसके रचयिता कौन है ?
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश यमराज की दिशा’ नामक कविता से उद्धृत हैं इसके रचयिता कवि चन्द्रकांत देवताले है।
काव्यांश – 2
“माँ ने एक बार मुझसे कहा था-
दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था –
तुम जहाँ भी हो, वहाँ से हमेशा दक्षिण में । “
प्रश्न 1. मृत्यु की दिशा कवि ने किसे बताया है ?
उत्तर – कवि ने दक्षिण दिशा को मृत्यु की दिशा बताया है।
प्रश्न 2. यमराज का घर कहाँ है?
उत्तर- यमराज का घर दक्षिण दिशा में है।
प्रश्न 3. कवि की माँ ने कवि को क्या करने को मना किया था ?
उत्तर – कवि की माँ ने कवि को दक्षिण की तरफ पैर करने को मना किया था।
प्रश्न 4. ‘यमराज को क्रुद्ध करना’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर – अनुप्रास अलंकार।
प्रश्न 5. यमराज को क्रुद्ध करने का क्या आशय है?
उत्तर-यमराज को क्रुद्ध करने का आशय है अपनी मृत्यु को निमंत्रण देना।
काव्यांश – 3
“माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता।’
प्रश्न 1. उपर्युक्त पंक्तियों का सारांश लिखिए।
उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कहता है कि माँ को समझाने के पश्चात् मैं दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोया । इसके बाद कवि को कभी दक्षिण दिशा पहचानने में मुश्किल नहीं हुई, क्योंकि कवि को माँ की सीख हमेशा याद रही। कवि दक्षिण दिशा में दूर-दूर गया परन्तु उसे माँ की शिक्षा हमेशा याद रही। कवि का मानना है कि दक्षिण को पार करना असम्भव है, क्योंकि इसका कोई अन्त नहीं है। यदि इस दिशा का अन्त होता, तो कवि यमराज का घर अवश्य देख लेता।
प्रश्न 2. उपर्युक्त काव्यांश का शिल्प – सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश की भाषा सहज, सरल एवं सुबोध है। तुकांतहीन छंद-मुक्त रचना है। ‘दक्षिण दिशा’ ‘इससे इतना’, ‘लाँघ लेना’, ‘पहुँच पाना’ में अनुप्रास तथा ‘दूर-दूर ‘ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की छटा दर्शनीय है।
प्रश्न 3. कवि दक्षिण दिशा क्यों नहीं लाँघ सका?
उत्तर – कवि के अनुसार दक्षिण दिशा का कोई अंत नहीं है । इसलिए वह इसे लाँघ नहीं सका।

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