MP 9TH Hindi

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

MP Board Class 9th Hindi Solutions Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं ( राजेश जोशी )

कवि – परिचय

जीवन – परिचय – हिन्दी के प्रसिद्ध कवि राजेश जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ था । शिक्षा पूरी करने के बाद पत्रकारिता को अपनाया। बाद में साहित्य लेखन के कार्य में संलग्न हो गए। उन्होंने काव्य, नाटक, समीक्षाएँ, कहानियाँ और नाट्य रूपान्तरण लिखे। उन्हे लघु फिल्मों की पटकथा लिखने का भी अवसर मिला। उन्होंने मायकोवस्की की कविता का अनुवाद ‘पतलून पहिना बादल’ नाम से किया तथा भर्तृहरि की कविताओं के अनुकरण पर ‘भूमि का कल्पतरू यह भी’ नामक अनुरचना लिखी। उनकी कविताओं का अनुवाद विविध भाषाओं में हुआ है।
रचनाएँ – उनके प्रमुख काव्य संग्रह – मिट्टी का चेहरा, ‘एक दिन बोलेंगे पेड़’ ‘नेपथ्य में हँसी’, और ‘दो पंक्तियों के बीच’ हैं।
काव्यगत विशेषताएँ – राजेश जोशी जी सामाजिक सरोकारों के रचनाकार है। उनकी कविताओं में गहरी आस्था झलकती है। वे हमेशा सृजन के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। उन्हें निराशा में भी आशा की प्रबल संभावना दिखाई देती है। भाषा-शैली – जोशी जी की भाषा सहज, सरज और अकृत्रिम है। वे गद्य को पद्य बनाने की कला में निपुण हैं। वे आत्मीयता और स्वाभाविक लय से कविता को रमणीय बना देता हैं। उनकी रचनाओं में उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है।
कविता का सार
राजेश जोशी द्वारा रचित “बच्चे काम पर जा रहे है” नामक कविता गहरे सामाजिक बोध की कविता है। इसमें ‘बाल मजदूरी’ की विवशता पर चिंता प्रकट की गई है। कवि को इस बात की पीड़ा है कि हमारे देश में बच्चों को काम करना पड़ रहा है। उन्हें यह भी दुःख है कि लोगों ने बाल मजदूरी की कुप्रथा को अपना लिया है। कवि ने सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि ऐसी व्यवस्था किस काम की जिसमें बच्चे खेल, शिक्षा, और जीवन के उमंग से वंचित हैं।
पाठ्य पुस्तक पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 
प्रश्न 1. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता की पहली दो पंक्तियाँ “कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं, सुबह-सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं । ” को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर- उक्त दो पंक्तियों को पढ़कर मेरे मन में बच्चों के प्रति करुणा तथा व्यवस्था के प्रति आक्रोश का भाव उमड़ता है। सर्दी तथा कोहरे में जब बच्चों को घर में होना चाहिए, उस समय व खेलने नहीं, विद्यालय भी नहीं, काम पर जा रहे हैं। यह विडंबना ही है। पता नहीं इस राष्ट्रीय समस्या का समाधान है भी या नहीं ।
प्रश्न 2. कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?” कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर – बच्चों का काम पर जाना सामाजिक एवं आर्थिक विडंबना का स्पष्ट प्रमाण है। बच्चे ही राष्ट्र के भविष्य हैं। इन बच्चों के अमानवीय दशाओं में मजदूरी करने को सामान्य बात मानकर चुप रहकर उसका विवरण लिख देने से हमारा दायित्व पूरा नहीं हो जाता। हमें इस समस्या के प्रति गहरा लगाव एवं चिंता करनी चाहिए।
प्रश्न 3. सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर-समाज के एक बड़े वर्ग को आज भी गरीबी का अभिशाप झेलना पड़ रहा है। इस गरीबी के कारण करोड़ों बच्चों को अपने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों में हाथ वॅटाना पड़ता है। वे न चाहते हुए भी मजदूरी करने को विवश हो जाते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है, जिससे वे सुविधा और मनोरंजन के उपकरण खरीद सकें, अतः वे इन सुविधाओं से वंचित है।
प्रश्न 4. दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/ रही हैं, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-काम पर जाते बच्चों को देख हर कोई उदासीनता का भाव प्रकट कर रहा है। इसके निम्नांकित कारण हैं –
(1) आज के समाज में सभी अपने बारे में ही सोचते हैं। वे सोचते हैं कि चलो मेरा बच्चा तो काम पर नहीं जा रहा है। लोग इस समस्या के प्रति जागरूकता नहीं दिखाते हैं उनकी सोच है कि यह सरकार का कार्य है।
(iii) समाज का एक बड़ा वर्ग इन बच्चों से काम लेकर मुनाफा कमा रहा है। वह अपना नुकसान नहीं चाहता।
प्रश्न 5. आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-काम करते हुए देखा है?
उत्तर-मैंने अपने शहर में बच्चों को चाय की दुकान पर, ढाबे पर, होटलों पर, विभिन्न दुकानों पर, समृद्ध वर्ग के घरों में तथा प्राइवेट कार्यालयों में काम करते हुए देखा है।
प्रश्न 6. “बच्चों का काम पर जाना एक बड़े हादसे के समान है।” क्यों?
उत्तर-वस्तुत: बच्चों का काम पर जाना धरती पर एक बड़े हादसे के समान है। बच्चे ही राष्ट्र के भविष्य हैं। जिस उम्र में बच्चों को पढ़ना-लिखना चाहिए, उस उम्र में वे बाल मजदूरी करते हुए अपना भविष्य नष्ट कर रहे हैं। बच्चों का भविष्य नष्ट होना देश हित और विकास के दृष्टिकोण के किसी हादसे से
प्रश्न 7. ‘कोहरे से ढँकी’ कहकर कवि ने किस प्रकार की परिस्थितियों की ओर संकेत किया है?
उत्तर-कोहरा प्रातः काल घना होता है, जो शीत की भयावहता को बढ़ा देता है। वातावरण में घना कोहरा और टपकती बर्फीली फुहार सर्दी को चरम सीमा प्रदान करती है। ऐसे वातावरण में काँपते हुए बच्चों को ग्रेजी-रोटी हेतु काम पर जाते देखकर कवि का मन दुखी हो जाता है। वह सोचता है कि बच्चों को काम पर जाना बढी भयावह स्थिति है।
प्रश्न 8. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता में कवि ने बाल मजदूरी पर क्या संदेश दिया है?
उत्तर- बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता में कवि ने बालमजदूरी की समस्या को उभारा है। उसने प्रश्न किया है कि किन कारणों से बच्चों को काम पर जाना पड़ रहा है। और समाज के लोग यह सब देखकर चुप क्यों है? कवि को समाज की यह संवेदनहीनता भयंकर लगती है। कवि समाज की इस संवेदनहीनता को दूर करना चाहता है, ताकि इन बच्चों के प्रति वह कुछ सोचे और उन्हें इस समस्या से मुक्ति मिले।
प्रश्न 9. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता में कवि ने बालमजदूरी की पीड़ा को मर्मस्पर्शी ढंग से उभारा है। इसमें उस सामाजिक विडंबना को भी स्थान दिया गया है, जिसमें बच्चों को अत्यन्त विपरीत परिस्थितियों में काम पर जाने को विवश होना पड़ रहा है। कविता में कवि ने समाज की संवेदनहीनता पर कठोर व्यंग्य किया है। समाज इन बच्चों को काम पर जाता देखकर भी चिन्तित क्यों नहीं होता। वह ऐसे मूक और अंधा क्यों बना रहता है।
प्रश्न 10. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं इससे क्या प्रश्न खड़ा होता है ?
उत्तर-बच्चों का बचपन पढ़ने-लिखने तथा खेलने-कूदने के लिए होता है, बचपन मस्ती तथा बेफिक्री भरा होता है। ऐसी स्थिति में प्रतिकूल परिस्थितियों में उन्हें रोजी-रोटी कमाने के लिए काम पर जाना पड़ रहा है। यह एक भयानक स्थिति है। इससे बच्चों का बचपन उनसे छिन जाता है। उनका जीवन अंधकारमय हो जाता है।
प्रश्न 11. बच्चों के काम पर जाने की समस्या को कवि ने गाँव की पगडंडी की अपेक्षा कोहरे से ढँकी सड़क पर क्यों दिखाया है ?
उत्तर – कवि ने बच्चों के काम पर जाने की समस्या को गांव की पगडंडी पर न दिखाकर कोहरे से ढकी सड़क पर दिखाया है। कारण गाँवों में लोग अधिक सहृदय और संवेदनशील होते हैं, जबकि शहर के लोगों की सहृदयता एवं संवेदनशीलता घटती जा रही है। शहर सड़कों के किनारे ही बसे हैं। वहाँ के लोग बच्चों को काम पर जाता देखकर तनिक भी विचलित नहीं होते हैं। उन्हें ऐसा लगता है, जैसे यह कोई आम बात हो ।
प्रश्न 12. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता का उद्देश्य क्या है?
उत्तर- बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता का उद्देश्य बालमजदूरी के प्रति समाज का ध्यान आकर्षित कराते हुए, उसमें संवेदना उत्पन्न करना है। कवि चाहता है कि समाज व सरकार के लोगों की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे बच्चों को काम करने से रोकें तथा उनका छिनता हुआ बचपन उन्हें लौटाएँ ।
प्रश्न 13. कवि ने बच्चों के काम पर जाने की पीड़ा को किस तरह व्यक्त किया है?
उत्तर – कवि ने इस कविता के माध्यम से बच्चों को काम पर जाते हुए देखकर अपनी पीड़ा को व्यक्त किया है। कवि देखता है कि छोटे-छोटे बच्चे कोहरे से भरी भयंकर सर्दी में भी काम पर जाने को विवश हैं। यह उनके काम पर जाने के नहीं, बल्कि उनके खेलने-कूदने और पढ़ने के दिन हैं। कवि दुःखी है समाज अपने में मस्त है। यह बड़ी चिन्ता का विषय है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थान में भरिए –
(i) ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ में ……….. समस्या प्रमुख है। (दहेज / बालश्रमिक)
(ii) मदरसा ………. शब्द है। (हिन्दी/अरबी)
(iii) बच्चों को ………. करना चाहिए। (अध्ययन / मजदूरी)
उत्तर-(i) बालश्रमिक (ii) अरबी (iii) मजदूरी
प्रश्न 2. सत्य / असत्य बताइए –
(i) बच्चों को मजदूरी करना अच्छा है।
(ii) बाल्यावस्था अध्ययन की अवस्था है।
(iii) बच्चों को खेलने के साथ अध्ययन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उत्तर-(i) असत्य (ii) सत्य (iii) सत्य।
प्रश्न 3. एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
(i) ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता में कौनसी समस्या प्रमुख है।
(ii) कवि किस बात से दुःखी है।
(iii) क्या बच्चों को नौकरी पर जाना आवश्यक है।
उत्तर – (i) उक्त कविता में बाल श्रमिक की समस्या प्रबल है।
(ii) बच्चे काम करने जाते हैं, कवि इस बात से बड़ा दुःखी है।
(iii) यदि आर्थिक स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है, तो बच्चों को अंश कालिक नौकरी पर जाना आवश्यक हो जाता है।
महत्वपूर्ण गद्यांश एवं सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
काव्यांश – 1 
“कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?”
प्रश्न 1. उपर्युक्त काव्यांश में कवि क्यों चिंताग्रस्त है?
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में कवि बच्चों को काम पर जाता देख चिंताग्रस्त है।
प्रश्न 2. उक्त काव्यांश में किस सामाजिक समस्या का वर्णन है?
उत्तर – उक्त काव्यांश में बाल मजदूरी की समस्या का वर्णन है।
प्रश्न 3. ‘विवरण की तरह लिखा जाना’ पंक्ति से कवि का क्या आशय है?
उत्तर – उक्त पंक्ति से कवि का यह आशय है कि वर्तमान समय में जब शिक्षा सभी के लिए सुलभ है, उसके बावजूद भी बच्चों के लिए समुचित शिक्षा का प्रबन्ध नहीं है। बच्चे काम पर जाने के लिए विवश हैं। परन्तु हम इस समस्या के समाधान के लिए दो-चार पंक्तियाँ लिखने के सिवाए कुछ नहीं कर सकते ।
प्रश्न 4. उपर्युक्त पंक्तियाँ किस पाठ से ली गई हैं? इसके रचयिता कौन हैं?
उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियाँ ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं, नामक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता कवि श्री राजेश जोशी हैं।
काव्यांश – 2
“क्या अन्तरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदे
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक | “
प्रश्न 1. उपर्युक्त काव्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-उपर्युक्त पंक्तियों में बच्चों को काम पर जाता देख कवि पूछता है कि आखिर बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं? क्या इन बच्चों की सारी गेंदे आकाश में चली गई? क्या इनकी रंगबिरंगी किताबों को दीमकों ने खा लिया? क्या इनके सारे खिलौने पहाड़ के नीचे दब गए या स्कूल के भवन किसी भूकंप में नष्ट हो गए? अचानक ऐसा क्या हो गया कि बच्चों को काम पर जाना पड़ रहा है।
प्रश्न 2. उपर्युक्त काव्यांश का शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश की भाषा खड़ी बोली है। इसमें तत्सम तथा उर्दू शब्दों का समावेश है। प्रश्नात्मक शैली है। इस अंश में कवि ने बाल मजदूरों की विवशता पर आक्रोश व्यक्त किया है।
प्रश्न 3. मदरसा का क्या अर्थ है ?
उत्तर – मदरसा अरबी भाषा का शब्द है। हिन्दी में इसका अर्थ होता है-विद्यालय।
काव्यांश – 3
“तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल
पर दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे-छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं। “
प्रश्न 1. उपर्युक्त काव्यांश का मूलभाव क्या है?
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में कवि ने बाल मजदूरी की विवशता पर अपना आक्रोश व्यक्त किया है।
प्रश्न 2. काव्यांश के आधार पर कवि की वेदना को चित्रित कीजिए।
उत्तर- उपर्युक्त काव्यांश में कवि बच्चों को काम पर जाता देख अत्यन्त दुखी है। वह चाहता है कि मासूम बच्चों से उनका बचपन न छीना जाए। बच्चे पढ़े-लिखें एवं समाजोपयोगी कार्य करें। काम पर जा रहे बच्चों की उम्र कार्य करने की नहीं, बल्कि चिंतामुक्त होकर खेलने-पढ़ने की है।
प्रश्न 3. ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर- उक्त पंक्ति से कवि का यह आशय है कि यदि बच्चों के लिए इस संसार में उपलब्ध समस्त सुविधाएँ वास्तव में नष्ट हो गई होती; जैसे- गेंद खो जाती, किताबें दीमक खा जाती, विद्यालय, पार्क इत्यादि नष्ट हो जाते, तो क्या होता। स्थिति अत्यन्त अत्यन्त भयावह होती और दुनिया में कुछ भी सुंदर कहलाने योग्य नहीं बचता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *